9 महीने पहले गायब हुई नाबालिग बालिग होकर लौटी घर, तलाश में पुलिस ने खोद डाली थी कब्र भी…
गरियाबंद- 9 महीने पहले रहस्यमयी ढंग से गायब हुई एक नाबालिग युवती अचानक घर लौट आई है. यह वही मामला है जिसमें पुलिस ने अपहरण और हत्या की आशंका में जांच के दौरान एक कब्र तक खोद डाली थी. अब युवती बालिग हो चुकी है और उसने पुलिस को बताया है कि वह बालोद जिले में अपने एक रिश्तेदार के घर रह रही थी.
अपहरण के संदेह में 40 वर्षीय पड़ोसी को किया गया था गिरफ्तार
अगस्त 2024 में ग्राम चलना पदर में अपनी बुआ के घर रह रही नाबालिग अचानक लापता हो गई थी. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज किया और जांच शुरू की. कॉल डिटेल खंगालने पर पुलिस को गांव के ही एक 40 वर्षीय पड़ोसी से बातचीत का सुराग मिला, जिसे 31 जनवरी 2025 को हिरासत में लिया गया.
फोटो: लालधर (संदही).
कब्र खुदी, लेकिन निकला पुराना कंकाल
संदेही युवक से पूछताछ में गोलमोल जवाब मिलने पर पुलिस ने हत्या की आशंका जताई. संदेही की निशानदेही पर गांव के श्मशान में एक कब्र खुदवाई गई. कार्यपालिक दंडाधिकारी की मौजूदगी में जब कब्र खोदी गई, तो उसमें से एक कंकाल बरामद हुआ जो करीब 10 साल पुराना निकला. इसके बाद पुलिस ने जांच की दिशा बदल दी थी.
अचानक लौट आई युवती
मंगलवार की रात लापता युवती अपने माता-पिता के पास पुरनापानी स्थित कुरलापारा पहुंच गई. परिजनों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. देवभोग थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह ने बताया कि युवती अब बालिग हो चुकी है, और उसका बयान न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा.
न्यायालय के निर्देश के बाद होगी आगे की कार्रवाई
पुलिस ने बताया कि युवती के बयान बीएनएस धारा 183 के तहत न्यायालय के समक्ष दर्ज कराए जाएंगे. अगर कथन के अनुसार कोई अपराध सामने आता है, तो उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
आदिवासी समाज ने किया था थाने का घेराव
इस मामले में संदेही युवक लालधर गौड़ को लेकर आदिवासी विकास परिषद ने नाराजगी जताई थी. 27 मार्च को समाज के नेताओं लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में देवभोग थाने का घेराव किया गया था. आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने लालधर को शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं, जिससे उसका एक पैर भी टूट गया.
फोटो: निष्पक्ष जांच के लिए SP को ज्ञापन देने पहुंचे थे प्रतिनिधि.
अब जबकि युवती खुद घर लौट आई है, पूरे मामले ने नया मोड़ ले लिया है. पुलिस अब तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की बात कह रही है.
May 15 2025, 12:49
रमन सिंह, भूपेश बघेल के बाद साय सरकार में भी नहीं मिल रहा न्याय
दरअसल जब विज्ञापन जारी किया गया था तब नगर निगम, पालिका और पंचायतों के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नगरीय प्रशासन विभाग के अंतर्गत होती थी, लेकिन साल 2019 में नियमों में बदलाव हुए. सभी स्कूल शिक्षा विभाग को हैंडओवर हो गए. कोर्ट में लगी याचिका निगम प्रशासन द्वारा निकाले गये विज्ञापन के तहत चयनित शिक्षकों की नौकरी से हटाने के ख़िलाफ़ था. अब इन दो विभागों के बीच 45 शिक्षक कुछ इस तरह फंसे हुए हैं, जो कोर्ट का आदेश भी निकालने में असमर्थ नजर आता है. बीजेपी की रमन सरकार, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के बाद अब बीजेपी की साय सरकार में भी इन शिक्षकों को न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है. एक उम्मीद के साथ प्रदेश के धमतरी, बलौदाबाज़ार और गरियाबंद सहित कई ज़िलों से उपमुख्यमंत्री अरुण साव के पास ये सहायक शिक्षक ज्ञापन लेकर पहुंचे, जहां उन्होंने अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार उनकी नियुक्ति बहाल की जाए.
न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमारे अधिकार से वंचित किया
उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मिलने पहुंचे गवेन्द्र कुमार साहू ने बताया, 2013 में 98 पोस्ट निकले गए थे, जिसमें 43-45 लोंगों का चयन हुआ, लेकिन बिना कारण और नोटिस दिए हमें निकाल दिया गया. इतने लंबे समय से न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमें हमारे अधिकार से वंचित किया जा रहा है इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार हमें जल्दी से जल्दी नियुक्ति देने की मांग लेकर सरकार से कर रहे हैं.