न्यायिक जीत के बाद भी भटक रहे सहायक शिक्षक, डिप्टी सीएम साव से लगाई गुहार, कहा – जल्द बहाल की जाए नियुक्ति

रायपुर-  छत्तीसगढ़ में न्यायालय के आदेश की अवहेलना करना या कहे न्यायालय के आदेश को नजरअंदाज करना अब आम बात हो चुकी है. SI भर्ती परीक्षा, D.ed -B.ed भर्ती विवाद में पहले भी देखा गया है कि किस प्रकार कोर्ट के निर्देश का समय सीमा पर राज्य सरकार पालन करने से पीछे हटती आई है. ऐसा ही एक मामला है नगरीय प्रशासन द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति का, जिसमें सहायक शिक्षकों को अकारण नौकरी से निकाल दिया गया. अब न्यायिक जीत हासिल करने के बाद भी शिक्षक अपनी बहाली के लिए दर-दर भटक रहे हैं, क्योंकि सरकार कोर्ट का आदेश मानने में कोताही कर रही है.

दरअसल उपमुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव से मुलाकात करने प्रदेशभर के विभिन्न जिलों से सहायक शिक्षक पहुंचे थे. ये शिक्षक पूरे प्रक्रिया के तहत 2014 में निगम स्कूलों में नियुक्त किए गए थे, जिन्हें महज 50 दिन के अंदर बिना कारण निकाल दिया गया. हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से अपने पक्ष में फैसला होने के बाद भी ये आज बेरोजगार हैं. साव से मुलाकात कर सभी ने 15 अप्रैल 2025 में जो फैसला सुप्रीम कोर्ट ने दिया है उसके अनुसार उनकी नियुक्ति करने की मांग की है.

सिलसिलेवार समझिए कब क्या हुआ

  • 2 जून 2013 में नगरीय प्रशासन विभाग ने नगर निगम स्कूलों में सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 98 पदों पर विज्ञापन जारी किया.
  • 43-46 चयनित लोगों का 15 अक्टूबर 2014 को नियुक्ति आदेश जारी किया गया.
  • 45 दिन बाद 29/11/2014 को विभाग ने सभी 45 लोगों के सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया.
  • याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई, जिसमें सिंगल बेच आदेश ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं के पक्ष में 16/04/2019 को नियुक्ति का आदेश जारी किया.
  • राज्य सरकार ने फिर हाइकोर्ट की डबल बेंच में याचिका दायर की. 2/03/2022 को सुनवाई में फिर से नियुक्ति का कोर्ट ने निर्देश दिया.
  • हाई कोर्ट के फैसले से असंतुष्ट राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई, जिसमें 15/04/2025 को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी नियुक्त शिक्षकों को नौकरी में बहाल किया जाना चाहिए.

रमन सिंह, भूपेश बघेल के बाद साय सरकार में भी नहीं मिल रहा न्याय

दरअसल जब विज्ञापन जारी किया गया था तब नगर निगम, पालिका और पंचायतों के स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नगरीय प्रशासन विभाग के अंतर्गत होती थी, लेकिन साल 2019 में नियमों में बदलाव हुए. सभी स्कूल शिक्षा विभाग को हैंडओवर हो गए. कोर्ट में लगी याचिका निगम प्रशासन द्वारा निकाले गये विज्ञापन के तहत चयनित शिक्षकों की नौकरी से हटाने के ख़िलाफ़ था. अब इन दो विभागों के बीच 45 शिक्षक कुछ इस तरह फंसे हुए हैं, जो कोर्ट का आदेश भी निकालने में असमर्थ नजर आता है. बीजेपी की रमन सरकार, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार के बाद अब बीजेपी की साय सरकार में भी इन शिक्षकों को न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है. एक उम्मीद के साथ प्रदेश के धमतरी, बलौदाबाज़ार और गरियाबंद सहित कई ज़िलों से उपमुख्यमंत्री अरुण साव के पास ये सहायक शिक्षक ज्ञापन लेकर पहुंचे, जहां उन्होंने अनुरोध किया कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार उनकी नियुक्ति बहाल की जाए.

न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमारे अधिकार से वंचित किया

उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मिलने पहुंचे गवेन्द्र कुमार साहू ने बताया, 2013 में 98 पोस्ट निकले गए थे, जिसमें 43-45 लोंगों का चयन हुआ, लेकिन बिना कारण और नोटिस दिए हमें निकाल दिया गया. इतने लंबे समय से न्यायिक लड़ाई लड़ने के बाद भी हमें हमारे अधिकार से वंचित किया जा रहा है इसलिए कोर्ट के आदेशानुसार हमें जल्दी से जल्दी नियुक्ति देने की मांग लेकर सरकार से कर रहे हैं.

9 महीने पहले गायब हुई नाबालिग बालिग होकर लौटी घर, तलाश में पुलिस ने खोद डाली थी कब्र भी…

गरियाबंद- 9 महीने पहले रहस्यमयी ढंग से गायब हुई एक नाबालिग युवती अचानक घर लौट आई है. यह वही मामला है जिसमें पुलिस ने अपहरण और हत्या की आशंका में जांच के दौरान एक कब्र तक खोद डाली थी. अब युवती बालिग हो चुकी है और उसने पुलिस को बताया है कि वह बालोद जिले में अपने एक रिश्तेदार के घर रह रही थी.

अपहरण के संदेह में 40 वर्षीय पड़ोसी को किया गया था गिरफ्तार

अगस्त 2024 में ग्राम चलना पदर में अपनी बुआ के घर रह रही नाबालिग अचानक लापता हो गई थी. परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज किया और जांच शुरू की. कॉल डिटेल खंगालने पर पुलिस को गांव के ही एक 40 वर्षीय पड़ोसी से बातचीत का सुराग मिला, जिसे 31 जनवरी 2025 को हिरासत में लिया गया.

फोटो: लालधर (संदही).

कब्र खुदी, लेकिन निकला पुराना कंकाल

संदेही युवक से पूछताछ में गोलमोल जवाब मिलने पर पुलिस ने हत्या की आशंका जताई. संदेही की निशानदेही पर गांव के श्मशान में एक कब्र खुदवाई गई. कार्यपालिक दंडाधिकारी की मौजूदगी में जब कब्र खोदी गई, तो उसमें से एक कंकाल बरामद हुआ जो करीब 10 साल पुराना निकला. इसके बाद पुलिस ने जांच की दिशा बदल दी थी.

अचानक लौट आई युवती

मंगलवार की रात लापता युवती अपने माता-पिता के पास पुरनापानी स्थित कुरलापारा पहुंच गई. परिजनों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी. देवभोग थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह ने बताया कि युवती अब बालिग हो चुकी है, और उसका बयान न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा.

न्यायालय के निर्देश के बाद होगी आगे की कार्रवाई

पुलिस ने बताया कि युवती के बयान बीएनएस धारा 183 के तहत न्यायालय के समक्ष दर्ज कराए जाएंगे. अगर कथन के अनुसार कोई अपराध सामने आता है, तो उच्च अधिकारियों के मार्गदर्शन में आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

आदिवासी समाज ने किया था थाने का घेराव

इस मामले में संदेही युवक लालधर गौड़ को लेकर आदिवासी विकास परिषद ने नाराजगी जताई थी. 27 मार्च को समाज के नेताओं लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में देवभोग थाने का घेराव किया गया था. आरोप लगाया गया था कि पुलिस ने लालधर को शारीरिक और मानसिक यातनाएं दीं, जिससे उसका एक पैर भी टूट गया.

फोटो: निष्पक्ष जांच के लिए SP को ज्ञापन देने पहुंचे थे प्रतिनिधि.

अब जबकि युवती खुद घर लौट आई है, पूरे मामले ने नया मोड़ ले लिया है. पुलिस अब तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की बात कह रही है.

प्रदेश के कई स्कूलों में 60% से ज्यादा बच्चे फेल, अब प्राचार्यों एवं शिक्षकों पर कार्रवाई की तैयारी

रायपुर-  छत्तीसगढ़ बोर्ड के नतीजे पिछले सालों से भले ही ज्यादा है लेकिन कई जिलों में परिणाम काफी कमजओर हैं. 10वीं एवं 12वीं दोनों कक्षाओं के परिणामों की समीक्षा होगी. रायपुर संभाग में 19 मई से जिलेवार परिणामों की समीक्षा की जाएगी. रायपुर संभाग में रायपुर जिले का परिणाम सबसे कमजोर है. खराब परिणामों और लचर प्रशासनिक व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री के कड़े तेवर और महासमुंद के जिला शिक्षा अधिकारी को हटाने की कार्रवाई के बाद कुछ और जिले के शिक्षा अधिकार भी निशाने पर हैं.

बोर्ड परीक्षा के परिणामों की राज्य स्तर पर समीक्षा तो होगी ही, संभाग स्तर पर भी न केवल जिलेवार, बल्कि स्कूलवार समीक्षा की जाएगी. रायपुर संभाग में परीक्षा परिणाम की समीक्षा अगले सप्ताह से शुरू होगी. रायपुर संभाग के अंतर्गत आने वाले 5 जिलों में सबसे खराब परिणाम रायपुर जिले का है. जहां न केवल संसाधन, बल्कि ज्यादातर स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक हैं. कुछ स्कूलों में तो अतिशेष शिक्षक हैं. अन्य सालों की तुलना में मेरिट सूची में अन्य जिलों से ज्यादा विद्यार्थी आए हैं किन्तु ओवरऑल परिणाम ने निराश किया है.

रायपुर जिला 10वीं के परिणाम में 33 जिले में 32वें क्रम पर है. यहां 66.24 फीसदी बच्चे ही उत्तीर्ण हुए हैं. जबकि पिछले साल का परिणाम 71.64 फीसदी था. इसी तरह 12वीं में 79.94 प्रश विद्यार्थी सफल हुए हैं. पिछले साल 83.19 फीसदी बच्चे उत्तीर्ण हुए थे. इसी तरह धमतरी जिले में 10वीं में 72.01 % एवं 12वीं में 81.56 %, गरियाबंद में 10वीं में 80.70 %, 12वीं में 90.17 प्रतिशत, बलौदाबाजार जिले में 10वीं 81.69 प्रश एवं 12वीं में 86.51 प्रश तथा महासमुंद जिले में 10वीं 78.33 प्रश एवं 12वीं का परिणाम 84.08 प्रश रहा. रायपुर के संभागीय संयुक्त संचालक शिक्षा राकेश कुमार पांडेय जिलेवार परीक्षा परिणामों की समीक्षा करेंगे. वे 19 मई को रायपुर, 21 को धमतरी, 23 को गरियाबंद, 28 को बलौदाबाजार एवं 30 मई को महासमुंद जिले के परीक्षा परिणाम की समीक्षा करेंगे. समीक्षा बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी के अलावा प्राचार्य भी उपस्थित रहेंगे.

खराब परिणाम वाले प्राचार्यों व शिक्षकों पर होगी कार्रवाई

जेडी संभागीय संयुक्त संचालक राकेश पांडेय ने कहा कि न केवल 10वीं एवं 12वीं के परिणाम, बल्कि प्रत्येक स्कूल के विषयवार परिणाम की समीक्षा की जाएगी. इसके लिए सभी स्कूलों से विषयवार परिणाम की जानकारी मंगाई है. उन्होंने कहा कि समीक्षा के बाद खराब परिणाम वाले प्राचार्यों एवं शिक्षकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा.

माओवादियों की पांचवीं शांति वार्ता की अपील पर गृहमंत्री विजय शर्मा का तीखा जवाब

रायपुर- माओवादी संगठन की ओर से शांति वार्ता की पांचवीं अपील पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने दो टूक जवाब देते हुए कहा है कि वार्ता तभी संभव है जब माओवादी खुद सामने आकर बातचीत की पहल करें. उन्होंने स्पष्ट किया कि जो लोग बस्तर के दर्द में कभी शामिल नहीं हुए, न ही चिंगावरम, घोड़ा गांव, एर्राबोर, दरभा गुड़ा, ताड़मेटला और झीरम जैसे नरसंहारों पर कुछ बोले, वे अब वार्ता की बात कर रहे हैं, तो यह स्वीकार्य नहीं हो सकता.

नक्सलियों की शांति वार्ता की अपील पर गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि कुछ व्यक्तिगत और कुछ संस्थागत लोगों के माध्यम से वार्ता की बात सामने आती है, लेकिन ये वही लोग हैं जो कभी भी बस्तर के दर्द में सामने नहीं आए. जिन्होंने चिंगावरम और घोड़ा गांव में मारे गए आदिवासियों की चिंता नहीं की, एर्राबोर में जिन आदिवासियों को जिंदा जलाया गया, उनकी चिंता नहीं की, दरभा गुड़ा में आदिवासियों को मारा गया, झीरम घाटी में छत्तीसगढ़ के नेतृत्व को समाप्त करने की कोशिश की गई, उनकी कोई चिंता नहीं है.

उन्होंने आगे कहा कि मणिकोंटा, रानीबोली, ताड़मेटला जैसे स्थानों पर कभी कोई चिंता व्यक्त नहीं की गई. आज अचानक आकर खड़े हो गए और कहने लगे कि राज्य सरकार ऐसा-ऐसा करे और केंद्र सरकार ऐसा करे. अगर कोई लोग आकर किसी संस्था की ओर से ऐसा कहेंगे तो यह कैसे स्वीकार्य होगा? चर्चा ऐसे नहीं हो सकती. माओवादी बात करना चाहें, चर्चा करना चाहें, जरूर बात होगी. ना केंद्र सरकार गोली चलाना चाहती है, ना राज्य सरकार गोली चलाना चाहती है.

विजय शर्मा ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने माओवादियों कहा “मैं हाथ जोड़कर आग्रह करता हूं कि आप मुख्यधारा में आएं. तो कहना यह है कि इसमें एक चिट्ठी की ऑथेंटिसिटी को भी हमें चेक करना है और साथ ही साथ इस मामले में सरकार का रुख बड़ा स्पष्ट है.

वो भारत के ही लोग हैं, उनको मुख्यधारा में आना चाहिए

गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि मैं इस पर बहुत स्पष्टता से कहना चाहता हूं. मतलब कोई वो दबे हैं, वो हार रहे हैं. ऐसी कोई बात हम नहीं कहते हैं. वो भारत के ही लोग हैं और भटके हुए लोग हैं. उनको मुख्यधारा में आना चाहिए. उनको पुनर्वास करना चाहिए. छत्तीसगढ़ में तो हम लोगों ने आत्मसमर्पण कहना छोड़ दिया है और कहते हैं कि आप मुख्यधारा में आएं, आप पुनर्वास करें. ऐसा ही कहते हैं क्योंकि अगर मान-सम्मान को ठेस वाला विषय हो तो यह भी तैयार है. लेकिन विषय ये है कि मुख्यधारा में आना चाहिए. लोकतंत्र का सम्मान होना चाहिए. इतना ही हमारा कहना है.

गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि कुछ लोग कुछ दिनों पहले हैदराबाद में बैठकें कर रहे थे. उसमें कुछ व्यक्तिगत लोग थे, कुछ संस्था थी और अब वे कहते हैं कि राज्य सरकारों को ऐसा करना चाहिए. विजय शर्मा ने कहा कि मैं कह रहा हूं, ये लोग कौन हैं जो बस्तर के दुख में कभी खड़े नहीं हुए? आज अचानक बोलने खड़े हो गए हैं. इनसे कोई बात नहीं हो सकती. हां, माओवादी बात करना चाहें तो बात हो सकती है. उन्हें प्रत्यक्ष रूप से इस विषय पर चर्चा करनी चाहिए, और अपनी बात रखकर आगे बढ़ना चाहिए.

गृह मंत्री विजय शर्मा ने आगे कहा कि बस्तर के कोने-कोने तक भारत के संविधान को पहुंचाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है. बस्तर के कोने-कोने तक, पूरे छत्तीसगढ़ के कोने-कोने तक विकास की गंगा बहाने के लिए छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय की सरकार प्रतिबद्ध है. गृह मंत्री अमित शाह ने मार्गदर्शन किया है. उन्होंने संकल्प लिया है, उस पर हम सब मिलकर काम करेंगे.

जब ट्रैफिक जाम में फंसे वित्त मंत्री OP चौधरी, तब कार्यकर्ता की एक्टिवा पर बैठकर पहुंचे अपने बंगले

रायपुर- राजधानी रायपुर में आज भाजपा की ओर से आयोजित तिरंगा यात्रा के दौरान एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला. तेलीबांधा (मरीन ड्राइव) से जयस्तंभ चौक तक निकाली गई इस भव्य यात्रा में शामिल सभी मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों के काफिले ट्रैफिक जाम में फंस गए. इसी दौरान वित्त मंत्री ओपी चौधरी का काफिला भी नगर घड़ी चौक के पास रुक गया. जिसके बाद वे BJYM उपाध्यक्ष अश्वनी विश्वकर्मा की एक्टिवा पर बैठकर घड़ी चौक से शंकर नगर बंगले तक पहुंचे।

इस संबंध में भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) रायपुर के उपाध्यक्ष अश्वनी विश्वकर्मा ने फेसबुक पर एक पोस्ट में बताया कि तिरंगा यात्रा के समापन पर सभी मंत्रियों की गाड़ी जाम में फंस गई थी, जिसमें हमारे यूथ आइकॉन एवं छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त मंत्री ओपी चौधरी का काफिला भी शामिल था. इस दौरान अश्वनी विश्वकर्मा ने मंत्री ओपी चौधरी से कहा कि मैं आपको बंगले तक छोड़ देता हूं. जिसके बाद वित्त मंत्री चौधरी एक सामान्य इंसान की तरह एक्टिवा (मोपेड) पर बैठे और नगर घड़ी चौक से शंकर नगर बंगले पहुंचे।

BJYM नेता अश्वनी ने बताया कि इस बीच मंत्री ओपी चौधरी का मार्गदर्शन मिला. उन्होंने करियर से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें साझा कीं. छत्तीसगढ़ की माटी से जुड़े हुए सरल, सहज और मिलनसार मंत्री ओपी चौधरी का यह रूप वास्तव में प्रेरणादायक है.

बता दें कि यह तिरंगा यात्रा हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए सफल ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के सम्मान में निकाली गई थी. इस यात्रा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, डिप्टी सीएम अरुण साव, कैबिनेट मंत्री, सांसद, विधायक, बड़ी संख्या में पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता समेत सर्व समाज, साधु-संत और सैनिक परिवार शामिल हुए.

माओवादियों के गढ़ ‘कर्रेगुट्टा’ में सुरक्षाबलों का कब्जा, CRPF DG जीपी सिंह और CG DGP अरुण देव ने दी नक्सल ऑपरेशन की जानकारी

रायपुर- छत्तीसगढ़ में नक्सल उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे सबसे बड़े ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. बीजापुर और तेलंगाना सीमा पर स्थित कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों में 21 दिनों तक चले इस संयुक्त अभियान में अब तक 31 वर्दीधारी माओवादी मारे गए हैं. मुठभेड़ों के दौरान 35 हथियार, 450 IED, सैकड़ों बंकर और माओवादियों की तकनीकी इकाइयां भी नष्ट की गई है.

इस बड़ी सफलता को लेकर बुधवार को बीजापुर में आयोजित संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में CRPF के डीजी जीपी सिंह और छत्तीसगढ़ के डीजीपी अरुण देव गौतम ने इस अभियान की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन 21 अप्रैल से 11 मई तक चला और इसे अब तक का सबसे प्रभावशाली माओवादी विरोधी अभियान माना जा रहा है।

CRPF DG जीपी सिंह और डीजीपी अरुण गौतम ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देशन में संचालित इस ज्वाइंट एक्शन प्लान के अंतर्गत माओवाद विरोधी अभियान का संचालन किया जा रहा है. माओवाद विरोधी अभियान के मुख्य आयाम हैं-सुरक्षा बलों द्वारा नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना कर सुरक्षा विहीन क्षेत्रों को भरना, माओवाद प्रभावित जिलों में राज्य की विकास योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन करना ताकि क्षेत्र का सर्वांगीण विकास हो एवं नागरिकों को इसका लाभ मिल सके तथा सुरक्षा बलों द्वारा माओवादियों के आर्म्ड कैडर्स एवं उनके संपूर्ण ईको सिस्टम के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करना है. इस एक्शन प्लान के क्रियान्वयन के फलस्वरूप सुरक्षा बलों ने माओवादियों के आर्म्ड कैडर्स एवं ईको सिस्टम को भारी क्षति पहुंचाई है, जिससे माओवादियों के प्रभाव क्षेत्र में काफी कमी आई है.

नक्सलियों के अभेद्य गढ़ में पहुंचे सुरक्षाबल

माओवादियों के सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन पीएलजीए बटालियन, सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी सहित अनेक शीर्ष कैडर्स की शरणस्थली जिला सुकमा एवं बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्रों में थी. उक्त क्षेत्र में चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में सुरक्षा बलों द्वारा अनेक नवीन सुरक्षा कैंपों की स्थापना की जाकर आसूचना आधारित अभियानों का संचालन किया जा रहा है. सुरक्षा बलों का वर्चस्व बढ़ने के फलस्वरूप माओवादियों द्वारा यूनिफाइड कमांड का गठन किया गया एवं उक्त स्थान से पलायन कर जिला बीजापुर, छत्तीसगढ़ एवं जिला मुलुगु, तेलंगाना की सीमा पर माओवादियों द्वारा अभेद्य समझे जाने वाले करेगुट्टालू पहाड़ पर शरण ली गई.

करेगुट्टालू पहाड़ी लगभग 60 किमी लंबा एवं 5 किमी से लेकर 20 किमी चौड़ा अत्यंत दुष्कर पहाड़ी क्षेत्र है. उक्त पहाड़ी की भौगोलिक परिस्थिति काफी कठिन एवं चुनौतीपूर्ण है. माओवादियों द्वारा विगत ढाई वर्ष में शनैः-शनैः उक्त पहाड़ी में अपना बेस तैयार किया, जिसमें उनके लगभग 300-350 आर्म्ड कैडर्स सहित पीएलजीए बटालियन की टेक्निकल डिपार्टमेंट (टीडी) यूनिट एवं अन्य महत्वपूर्ण संगठनों की शरणस्थली थी.

प्राप्त सूचनाओं के आधार पर पूर्ण एवं पुख्ता ऑपरेशनल योजना तैयार की जाकर छत्तीसगढ़ पुलिस एवं केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल द्वारा 21 अप्रैल से एक वृहद संयुक्त ऑपरेशन संचालित किया गया. यह अभियान अब तक का सबसे बड़ा एवं व्यापक माओवाद विरोधी अभियान है तथा राज्य एवं केंद्र की विभिन्न एजेंसियों का मिलकर काम करने का एक उत्कृष्ट नमूना है. इस अभियान का उद्देश्य माओवादियों की सशस्त्र क्षमता को क्षीण करना, हथियारबंद दस्तों को न्यूट्रलाइज़ करना, इस दुर्गम इलाके से माओवादियों को हटाना और माओवादियों के दुर्दांत संगठन पीएलजीए बटालियन को क्षिन्न-भिन्न करना था.

21 मुठभेड़ें, 31 नक्सली ढेर

उक्त माओवाद विरोधी अभियानों में 21 अप्रैल से 11 मई के दौरान कुल 21 मुठभेड़ों में 16 वर्दीधारी महिला माओवादी समेत कुल 31 वर्दीधारी माओवादियों के शव और 35 हथियार बरामद किए गए हैं. प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि मुठभेड़ स्थल से बरामद शव प्रतिबंधित और अवैध सीपीआई माओवादी संगठन अंतर्गत पीएलजीए बटालियन नंबर 01, तेलंगाना राज्य समिति, दंडकारण्य विशेष जोनल समिति के माओवादी कैडर्स हैं. शवों की विस्तृत पहचान प्रक्रिया जारी है. लगातार 21 दिनों तक चलने वाले इस ऐतिहासिक माओवाद विरोधी अभियान के दौरान प्राप्त सभी तथ्यों और जानकारियों पर विचार करने के पश्चात अनुमान है कि अभियान के दौरान कई वरिष्ठ स्तर के माओवादी कैडर्स या तो मारे गए हैं या गंभीर रूप से घायल हुए हैं. हालांकि, कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण सुरक्षा बल सभी घायल और मारे गए माओवादियों के शव बरामद नहीं कर पाए. अब तक इस अभियान के दौरान कुल 31 माओवादियों के शव बरामद किए जा सके हैं, जिनमें से 03 शव 24 अप्रैल, 01 शव 05 मई को, 22 शव 07 मई को तथा 05 शव 08 मई को बरामद किए गए हैं.

इस अभियान में अब तक कुल 216 माओवादी ठिकाने और बंकर नष्ट किए गए. उपरोक्त माओवादी ठिकाने और बंकर से तलाशी अभियानों के दौरान कुल 450 नग आईईडी, 818 नग बीजीएल शेल, 899 बंडल कार्डेक्स, डेटोनेटर और भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की गई है.

माओवादियों की तकनीकी यूनिट तबाह

सुरक्षा बलों ने माओवादियों की 04 तकनीकी इकाइयों को नष्ट किया है, जिनका उपयोग बीजीएल शेल, देसी हथियार, आईईडी और अन्य घातक हथियारों के निर्माण के लिए किया जा रहा था. इन तकनीकी इकाइयों के ठिकानों से 04 लेथ मशीनें भी बरामद कर नष्ट की गईं. अभियान के दौरान विभिन्न माओवादी ठिकानों और बंकरों से बड़ी मात्रा में राशन सामग्री, दवाएं एवं दैनिक उपयोग की वस्तुएं भी बरामद की गई.

ऑपरेशन में 18 जवान घायल

विगत 21 दिनों के इस महत्वपूर्ण अभियान के दौरान विभिन्न आईईडी विस्फोटों में कोबरा, एसटीएफ और डीआरजी के कुल 18 जवान घायल हुए. हालांकि सभी घायल जवान अब खतरे से बाहर हैं और उन्हें विभिन्न अस्पतालों में सर्वोत्तम उपचार प्रदान किया जा रहा है. करेगुट्टालू पहाड़ी के ऊपर की परिस्थितियां काफी विपरीत हैं, दिन के समय तापमान 45 डिग्री सेंटीग्रेड से अधिक होने से अनेक जवान डिहाइड्रेशन के शिकार हुए, परंतु उसके उपरांत भी उनके द्वारा ऊंचे मनोबल के साथ माओवादियों के विरुद्ध उक्त अभियान जारी रखा गया.

2025 में अब तक 174 नक्सली मारे गए

साल 2025 की शुरुआत से अब तक कुल 174 हार्डकोर माओवादी मारे जा चुके हैं. इस व्यापक और संगठित अभियान के दूरगामी परिणाम देखने को मिल रहे हैं, जिसके तहत माओवादियों की बड़ी और सशस्त्र इकाइयाँ अब छोटे-छोटे समूहों में विभाजित हो चुकी हैं. सुरक्षा बलों की क्षेत्र में पकड़ और मजबूत हुई है, साथ ही बीजापुर जिले के नेशनल पार्क क्षेत्र तथा नारायणपुर जिले के माड़ क्षेत्र जैसे पूर्ववर्ती सुरक्षा-विहीन क्षेत्रों में भी निरंतर प्रगति हो रही है. भविष्य में भी माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में आम जनता का विश्वास अर्जित करने, क्षेत्रीय विकास को गति देने और माओवादियों के समयबद्ध समूल उन्मूलन के लिए आक्रामक कार्रवाई जारी रखी जाएगी.

अवैध रेत खनन मामले में पुलिस की बड़ी कार्रवाई : आरक्षक की हत्या में शामिल 4 आरोपी झारखंड से गिरफ्तार

बलरामपुर- छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमा पर स्थित बलरामपुर जिले के लिबरा गांव में 11 मई की रात अवैध रेत परिवहन की शिकायत पर कार्रवाई करने पहुंची पुलिस टीम पर रेत माफियाओं ने जानलेवा हमला कर दिया। इस हमले में कांस्टेबल शिवबचन सिंह की ट्रैक्टर से कुचलकर निर्मम हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद यह मामला प्रदेश भर में गरमा गया था. इस बीच आज मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और घटना में प्रयुक्त दो ट्रैक्टरों को भी जब्त कर लिया है। इस घटना की जांच जारी है और अन्य आरोपियों की तलाश की जा रही है।

गिरफ्तार आरोपियों के नाम

आरीफूल हक (24 वर्ष), खाला टोला, सेराजनगर, थाना धुरकी, जिला गढ़वा (झारखंड)

जमील अंसारी (41 वर्ष), खाला टोला, सेराजनगर, थाना धुरकी, जिला गढ़वा (झारखंड)

शकील अंसारी (22 वर्ष), खाला टोला, सेराजनगर, थाना धुरकी, जिला गढ़वा (झारखंड)

अकबर अंसारी (50 वर्ष), अरसली, थाना भवनाथपुर, जिला गढ़वा (झारखंड)।

विधायक से मिले बगैर चले गए कलेक्टर : सावित्री मंडावी ने SDM और तहसीलदार पर निकाली भड़ास, कलेक्ट्रेट का घेराव करने की दी चेतावनी

भानुप्रतापपुर- क्षेत्र में रेत के अवैध खनन मामले को लेकर विधायक सावित्री मंडावी भानुप्रतापपुर रेस्ट हाउस में कांकेर कलेक्टर नीलेश महादेव क्षीरसागर से मिलने का इंतजार करती रहीं. कलेक्टर रेस्ट हाउस पहुंचे पर विधायक से बिना मिले चले गए. इस घटना से विधायक सावित्री हथप्रभ रह गईं और उन्होंने अपनी नाराजगी मौके पर मौजूद दूसरे अधिकारियों पर निकाली. विधायक ने भानुप्रतापपुर एसडीएम और तहसीलदार पर जमकर भड़ास निकाली और इस मामले को लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने की चेतावनी भी दी.

बता दें कि विधायक मंडावी क्षेत्र में रेत के अवैध उत्खनन के मामले में अपने समर्थकों के साथ कलेक्टर से मिलना चाहतीं थीं. इसके लिए बाकायदा कलेक्टर ने सहमति भी दी थी पर वे विधायक से बिना मिले ही चले गए. इस पर एमएलए सावित्री मंडावी ने कहा, इस तरह का कलेक्टर पहली बार देखा है. सहमति देने के बाद भी बिना मिले चले गए.

जिला मुख्यालय में जरूरी काम के चलते समय नहीं दे पाया : कलेक्टर

इस मामले में कलेक्टर नीलेश महादेव क्षीरसागर ने बताया कि मैं विधायक से मिलने ही भानुप्रतापपुर रेस्ट हाउस पहुंचा था. मैंने तहसीलदार को विधायक के पास भेजकर संदेश भिजवाया था कि जो भी विषय है उस पर चर्चा करेंगे. चूंकि मेरे पास समय की कमी थी. कांकेर जिला मुख्यालय में आवश्यक कार्य थे इसलिए मैं उनको समय नहीं दे सकता था इसलिए मैं चला आया.

कलेक्टर ने पूरे विधानसभा के नागरिकों का किया अपमान : विधायक

वहीं विधायक सावित्री मंडावी ने कहा है कि यह जनप्रतिनिधियों का अपमान है. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा आदिवासी महिला विधायक के साथ यदि कलेक्टर इस तरह के रवैया रखते हैं तो आम आदमी के साथ क्या करते होंगे. यह विधायक की नहीं पूरे विधानसभा के नागरिकों का अपमान है. इस मामले को लेकर विधायक मंडावी ने कलेक्टर कार्यालय का घेराव करने की बात भी कही.

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नया रोस्टर जारी, 9 जून से होगा लागू

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का नया रोस्टर जारी किया गया है, जो 9 जून से प्रभावी होगा. मुख्य न्यायाधीश समेत चार डिवीजन बेंच गठित किए गए हैं, जो विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई करेंगे.

नए रोस्टर के तहत सभी रिट, पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL), टैक्स, आपराधिक और सिविल अपीलें डिवीजन बेंच (DB) को सौंपी गई हैं. इसके अलावा 14 सिंगल बेंच को धारावार और वर्षवार केस सौंपे गए हैं. विशेष प्रकार के मामलों जैसे POCSO, SC-ST एक्ट और याचिकाएं विशेष पीठ को आवंटित की गई है. मुख्य न्यायाधीश ने इस नए रोस्टर का आदेश जारी किया है, जो अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.

औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में बड़े बदलाव: युवाओं, किसानों, उद्यमियों और निवेशकों को मिलेगा सीधा लाभ

रायपुर-  छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य को देश का अगला औद्योगिक और रोजगार हब बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए औद्योगिक विकास नीति 2024-30 में कई अहम संशोधनों को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया, जो आने वाले वर्षों में राज्य के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को नई दिशा देगा।

स्थानीय युवाओं को मिलेगा प्राथमिकता – बढ़ेगा रोजगार

संशोधित नीति के अनुसार, जिन उद्योगों में छत्तीसगढ़ के युवाओं को रोजगार मिलेगा, उन कंपनियों को सरकार की ओर से विशेष अनुदान मिलेगा। इससे स्थानीय रोजगार दर में तेज़ी आएगी और पलायन पर भी अंकुश लगेगा।

आधुनिक खेती को मिलेगा संस्थागत समर्थन

हाइड्रोपोनिक और एयरोपोनिक जैसी हाईटेक फार्मिंग तकनीकों को औद्योगिक क्षेत्र में शामिल कर किसानों को आधुनिक उपकरण, ऑटोमेशन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसी तकनीकों से जोड़ा जाएगा। इससे खेती की उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़ेगी।

खेल प्रशिक्षण और अकादमियों को प्रोत्साहन

राज्य सरकार खेल और युवा सशक्तिकरण को प्राथमिकता देती हुई खेल अकादमी और निजी प्रशिक्षण केंद्रों को प्रोत्साहन देगी। इससे न केवल खेल प्रतिभाओं को मंच मिलेगा, बल्कि स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का विकास भी होगा।

उच्च शिक्षा को मिलेगा बढ़ावा

गुणवत्तापूर्ण विश्वविद्यालयों की स्थापना को प्रोत्साहन देकर छत्तीसगढ़ को शैक्षणिक हब के रूप में भी विकसित करने की योजना है। इससे राज्य के छात्रों को उत्कृष्ट शिक्षा के अवसर यहीं उपलब्ध होंगे।

ऑटोमोबाइल सेक्टर को विस्तार

अब ऑटोमोबाइल रिपेयरिंग एवं सर्विस यूनिट्स को हर विकासखंड समूह में मान्यता दी जाएगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी तकनीकी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

पर्यटन और होटल व्यवसाय को नई उड़ान

बस्तर और सरगुजा जैसे दूरस्थ क्षेत्रों में होटल-रिसॉर्ट के निर्माण हेतु निवेश की न्यूनतम सीमा कम की गई है। इससे इन इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय युवाओं को आजीविका के साधन मिलेंगे।

कपड़ा उद्योग को मिलेगा दोगुना प्रोत्साहन

टेक्सटाइल क्षेत्र में निवेश करने वाले उद्योगों को 200% तक का प्रोत्साहन मिलेगा। इससे महिलाओं एवं ग्रामीण कारीगरों को सिलाई, बुनाई और कढ़ाई जैसे रोजगारों में अधिक अवसर मिलेंगे।

छत्तीसगढ़ बनेगा लॉजिस्टिक हब

नई लॉजिस्टिक नीति के तहत पूरे राज्य में माल परिवहन को आसान बनाया जाएगा। इससे व्यापारियों को लागत में कमी, समय की बचत और बाजारों तक तेज पहुंच मिलेगी।

दिव्यांगजनों को मिलेगा विशेष लाभ

दिव्यांगजनों की परिभाषा में बदलाव कर उन्हें अधिक से अधिक योजनाओं में शामिल किया जाएगा। यह समावेशी विकास की दिशा में सरकार का सराहनीय कदम है।

रक्षा और एयरोस्पेस सेक्टर को स्पेशल पैकेज

राज्य अब ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर, डिफेंस और एयरोस्पेस इंडस्ट्री में भी निवेश आकर्षित करने हेतु विशेष प्रोत्साहन पैकेज प्रदान करेगा।

निजी औद्योगिक पार्कों को मिलेगा इंफ्रास्ट्रक्चर अनुदान

"प्लग एंड प्ले" फैक्ट्रियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ निजी औद्योगिक पार्कों को इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलेगा।

प्रदेश में इज ऑफ लिविंग को बढ़ावा

प्रदेश में इज ऑफ लिविंग को बढ़ावा देने हेतु निजी सीबीएसई स्कूल और मिनी मॉल (मल्टीप्लेक्स युक्त) को भी थ्रस्ट सेक्टर की तरह मान्यता दी जाएगी, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां ये सुविधाएं नहीं हैं।

समावेशी और क्षेत्रीय संतुलन आधारित नीति

यह नीति राज्य के सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त मॉडल तैयार करती है। इससे क्षेत्रीय असमानता में कमी आएगी।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि यह संशोधित नीति केवल आर्थिक वृद्धि का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, युवाओं के भविष्य और किसानों के सशक्तिकरण का यंत्र है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में छत्तीसगढ़ देश के शीर्ष निवेश स्थलों में शामिल होगा।