आतंकी साजिश का खुलासा: झारखंड मॉड्यूल के आतंकियों का बड़े नेता की हत्या का षडयंत्र विफल

रांची: झारखंड में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने एक बड़ी आतंकी साजिश का पर्दाफाश किया है। एटीएस की गहन जांच में यह सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि राज्य में सक्रिय एक आतंकी मॉड्यूल, जिसका संबंध झारखंड से बताया जा रहा है, एक बड़े और प्रभावशाली नेता की हत्या की योजना बना रहा था। एटीएस ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए कई संदिग्धों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ जारी है। इस खुलासे के बाद पूरे राज्य में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।

एटीएस सूत्रों के अनुसार, उन्हें विश्वसनीय खुफिया जानकारी मिली थी कि कुछ संदिग्ध तत्व राज्य के एक प्रमुख नेता को निशाना बनाने की फिराक में हैं। इस सूचना के आधार पर एटीएस ने एक विशेष टीम गठित कर जांच शुरू की। जांच के दौरान, एटीएस को झारखंड के कुछ इलाकों में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली, जिसके बाद इन इलाकों में छापेमारी की गई। छापेमारी के दौरान, एटीएस ने कई ऐसे सबूत बरामद किए हैं, जिनसे इस आतंकी साजिश की पुष्टि होती है। बरामद सबूतों में हथियार, गोला-बारूद और कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज शामिल हैं, जो इस साजिश की ओर इशारा करते हैं।

एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए संदिग्धों से पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं। पूछताछ में पता चला है कि यह मॉड्यूल पिछले कुछ महीनों से इस साजिश को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था। उन्होंने नेता की रेकी भी की थी और उनके दैनिक गतिविधियों की जानकारी जुटा रहे थे। अधिकारी ने यह भी बताया कि इस मॉड्यूल के तार किसी बड़े आतंकी संगठन से जुड़े होने की आशंका है और एटीएस इस दिशा में भी अपनी जांच को आगे बढ़ा रही है। हालांकि, सुरक्षा कारणों से अधिकारी ने नेता के नाम और मॉड्यूल से जुड़े अन्य विशिष्ट विवरणों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

इस खुलासे के बाद राज्य के राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है। जिस नेता को निशाना बनाने की साजिश रची गई थी, उनकी सुरक्षा को तत्काल प्रभाव से बढ़ा दिया गया है। राज्य सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए एटीएस को हर संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि राज्य में किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

इस आतंकी साजिश के खुलासे ने राज्य की सुरक्षा एजेंसियों के सामने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना दर्शाती है कि आतंकी संगठन अब भी राज्य में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश में लगे हुए हैं और बड़े नेताओं को निशाना बनाकर अशांति फैलाने की फिराक में हैं। एटीएस अब इस मॉड्यूल के नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त करने और इसके पीछे के मास्टरमाइंड तक पहुंचने के लिए गहन जांच कर रही है।

 गिरफ्तार किए गए संदिग्धों के मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की भी जांच की जा रही है, ताकि इस साजिश से जुड़े अन्य लोगों की पहचान की जा सके।

इस घटना ने आम जनता के बीच भी चिंता और भय का माहौल पैदा कर दिया है। लोग राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे हैं और सरकार से दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। वहीं, राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटना का राज्य की राजनीति पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है।

फिलहाल, एटीएस की जांच जारी है और उम्मीद है कि जल्द ही इस आतंकी साजिश से जुड़े सभी पहलुओं का खुलासा हो सकेगा। इस घटना ने एक बार फिर देश की सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क रहने और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को और तेज करने का संदेश दिया है।

धनबाद में अवैध शराब के साथ किंगपिन गिरफ्तार, 100 लीटर से ज्यादा शराब बरामद


धनबाद : हरिहरपुर थाना और उत्पाद विभाग की टीम ने गोमो के पुराना बाजार स्थित आवास मे छापेमारी कर भारी मात्रा में अवैध अंग्रेजी शराब के साथ अवैध शराब बिक्रेता रंजीत सरदार उर्फ किंगपिन को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है , 

आश्चर्य है की पूरे गोमो के शराब दुकान में अंग्रेजी शराब के जितना ब्रांड नही मिलता उतना ज्यादा ब्रांड इस अवैध शराब बिक्रेता के घर से बरामद किया गया है,उत्पाद विभाग के अधिकारी के अनुसार 100 लीटर से ज्यादा अंग्रेजी शराब छापेमारी के दौरान रंजीत सरदार के घर से बरामद किया गया है जिसमे कुछ नकली अंग्रेजी शराब की होने की भी संभावना जताई जा रही है। 

 बता दे कि रंजीत सरदार पिछले कई सालों से अवैध शराब बेचने का धंधा करता था वो अपने घर से ही अंग्रेजी शराब बेचता था , हरिहरपुर पुलिस कई दिनों से उसके पीछे पड़ी थी , 

खास बात है कि रंजीत सरदार का घर गोमो के सबसे पुराने बिशॉप रॉकी हाई स्कूल के बाउंड्री से सटा हुआ भी है ,जिसके कारण स्कूली बच्चे भी नशे का शिकार हो रहे थे।

हरिहरपुर थानेदार राहुल झा ने बताया कि उच्च अधिकारियो के निर्देश पर उत्पाद विभाग और हरिहरपुर पुलिस ने दल बल के साथ रंजीत सरदार के घर और दुकान में छापेमारी की , उसके घर से भारी मात्रा में अंग्रेजी शराब के साथ बियर भी बरामद किया गया है ,साथ ही आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

हेमंत सोरेन सरकार सरकारी कर्मचारियों को मोबाइल खरीदने के लिए 25 हजार रुपये देगी


झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए सरकारी कर्मचारियों को मोबाइल खरीदने के लिए 25 हजार रुपये की राशि देने का ऐलान किया है। इस योजना का उद्देश्य कर्मचारियों को बेहतर संचार और डिजिटल सेवाओं से जोड़ना है। सरकार का मानना है कि इससे कर्मचारियों की कार्यक्षमता और दक्षता में वृद्धि होगी। इस फैसले से राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।

किन आधिकारियों को मिलेंगे मोबाइल के पैसे

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने पहले जारी की गई लिस्ट में कुछ सुधार किया है। अब मोबाइल खरीदने के पैसे संशोधित प्रस्ताव के बाद प्रशाखा पदाधिकारी, जिला मत्स्य पदाधिकारी, जिला गव्य विकास पदाधिकारी, जिला खनन पदाधिकारी, सहायक अभियोजन पदाधिकारी, सहायक निदेशक सामाजिक सुरक्षा सहित अन्य पदाधिकारियों को मिलेगी। संशोधित प्रस्ताव के बाद हेमंत सोरेन सरकार कर्मचारियों को मोबाइल के साथ-साथ अब रिचार्ज के पैसे भी देगी।

बता दें कि राज्य मंत्रिपरिषद ने बीते साल 24 जुलाई को मंत्री से लेकर राजपत्रित पदाधिकारियों को मोबाइल खरीदने और रिचार्ज की सुविधा दिए जाने का फैसला लिया था। इसके फैसले के बाद वित्त विभाग ने 30 जुलाई 2024 को अधिसूचना जारी कर आदेश जारी किया था। हालांकि वित्त विभाग ने कार्यपालक आदेश के तहत 28 मार्च 2025 को पे मैट्रिक्स लेवेल-9 के राजपत्रित पदाधिकारियों को दी गई इस सुविधा को स्थगित कर दिया था। बाद में इस पर झारखंड सचिवालय सेवा संघ ने नाराजगी जताई थी। अब दूसरी लिस्ट जारी की गई है, जिसमें ज्यादा सरकारी कर्मचारियों को भी मोबाइल खरीदने के लिए पैसे दिए जाएंगे।

युवाओं को मिलेगी अमीन की ट्रेनिंग, एक साल का होगा कोर्स


झारखंड के युवाओं के लिए अच्छी खबर है। श्रम एवं नियोजन विभाग के निर्देश पर झारखंड राज्य ओपन यूनिवर्सिटी युवाओं को अमीन की ट्रेनिंग देगी। यह एक साल का कोर्स होगा, जिसमें युवाओं को भूमि सर्वेक्षण और मापन का प्रशिक्षण दिया जाएगा। नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई है और इच्छुक युवा विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इस प्रशिक्षण से युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे।

विद्यार्थियों को देना होगा केवल 10 प्रतिशत शुल्क

इस प्रोजेक्ट के तहत युवाओं को 1 साल की ट्रेनिंग दी जायेगी. 1 साल के बाद कोर्स पूरा होने पर विद्यार्थियों को डिप्लोमा का सर्टिफिकेट दिया जायेगा. अमीन की ट्रेनिंग के लिए 40 हजार रुपए शुल्क निर्धारित किये गये हैं. हालांकि इसका 90 प्रतिशत यानी 36 हजार रुपए संबंधित जिला के उप विकास आयुक्त जमा करेंगे. जबकि ट्रेनिंग लेने वाले विद्यार्थियों को केवल 10 प्रतिशत यानी 4 हजार रुपए देने होंगे. कोर्स करने वाले सभी विद्यार्थियों का प्रैक्टिकल संबंधित जिला के अंचल/प्रखंड में कराया जायेगा. इस संबंघ में सभी अंचलाधिकारी /प्रखंड विकास पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है.

प्रथम चरण में 180 विद्यार्थियों का होगा नामांकन

झारखंड ओपन यूनिवर्सिटी की ओरसे अमीन की ट्रेनिंग के लिए रामगढ़ में नामांकन प्रक्रिया शुरू कर दी है. प्रथम चरण में कुल 180 विद्यार्थियों का नामांकन होगा. ट्रेनिंग के लिए 3 बैच चलेंगे. प्रत्येक बैच में 60 विद्यार्थि होंगे. विवि की ओर से मनोज अगारिया को कोर्स को-ऑर्डिनेटर बनाया गया है. इसके अलावा विद्यार्थियों को पढ़ाने और प्रैक्टिकल कराने के लिए 4 शिक्षक होंगे. प्रत्येक शिक्षक को 25 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय का भुगतान किया जायेगा. भवन किराया और आधारभूत संरचना आदि का किराया प्रोजेक्ट की राशि से खर्च किये जायेंगे.

गुमला में शादी समारोह में आई युवती से छह युवकों ने किया कथित बलात्कार, सभी गिरफ्तार

गुमला जिले में एक शादी समारोह में शामिल होने आई एक युवती के साथ छह युवकों ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यह शर्मनाक घटना जिले के एक गांव में घटित हुई, जहां पीड़िता एक विवाह समारोह में शिरकत करने आई थी।

पुलिस के विवरण के अनुसार, पीड़िता जब विवाह स्थल से बाहर निकली, तो छह युवकों ने उसे घेर लिया। इसके बाद वे उसे जबरदस्ती पास के एक सुनसान जंगल में ले गए, जहां उन्होंने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया। किसी तरह पीड़िता उन दरिंदों के चंगुल से अपनी जान बचाकर भागने में सफल रही और उसने तुरंत अपने परिवार के सदस्यों और स्थानीय पुलिस को इस भयावह घटना की जानकारी दी।

पीड़िता की शिकायत मिलते ही पुलिस हरकत में आई और तत्परता दिखाते हुए सभी छह आरोपियों को धर दबोचा। पुलिस ने आरोपियों की पहचान सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। 

वर्तमान में, पुलिस इस मामले की गहनता से जांच कर रही है ताकि घटना की पूरी सच्चाई सामने आ सके और यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी दोषी बच न पाए।

इस हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके में गहरा सदमा और आक्रोश पैदा कर दिया है। स्थानीय समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए हैं और आरोपियों के लिए कड़ी से कड़ी सजा की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह के जघन्य अपराध समाज के लिए एक खतरा हैं और इन्हें किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। लोगों ने पुलिस प्रशासन से अपील की है कि इस मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाया जाए ताकि पीड़ितों को जल्द न्याय मिल सके और अपराधियों को उनके किए की सजा मिल सके।

गुमला पुलिस ने नागरिकों को भरोसा दिलाया है कि वे मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच करेंगे और कानून के अनुसार दोषियों को कड़ी सजा दिलवाएंगे। पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया है कि वे पीड़िता और उसके परिवार के साथ खड़े हैं और उन्हें हर संभव सहायता और सुरक्षा प्रदान करेंगे।

यह दुखद घटना एक बार फिर हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे को प्रमुखता से उठाती है। यह अत्यंत आवश्यक है कि हम एक ऐसे सामाजिक वातावरण का निर्माण करें जहां प्रत्येक महिला सुरक्षित महसूस करे और बिना किसी डर के अपना जीवन जी सके। इसके लिए न केवल कानून का सख्ती से पालन करना होगा, बल्कि समाज के हर वर्ग को महिलाओं के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता की भावना विकसित करनी होगी। इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सामूहिक प्रयास और जागरूकता ही एकमात्र उपाय है।

बीआईटी सिंदरी कैंपस में छात्रों के दो गुटों में हिंसक झड़प, कई घायल

धनबाद: बीआईटी सिंदरी (BIT Sindri) के कैंपस में देर रात छात्रों के दो गुटों के बीच हिंसक झड़प की खबर सामने आई है। इस घटना में कई छात्रों के घायल होने की सूचना है, हालांकि अभी तक घायलों की सही संख्या और उनकी स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं मिल पाई है।

सूत्रों के अनुसार, यह झड़प देर रात किसी बात को लेकर शुरू हुई और देखते ही देखते इसने उग्र रूप ले लिया। दोनों गुटों के छात्रों के बीच लाठी-डंडे और पत्थर भी चले, जिससे कैंपस में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। घटना की सूचना मिलते ही कॉलेज प्रशासन और स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रित करने का प्रयास किया।

अभी तक झड़प के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन प्रारंभिक जानकारी के अनुसार यह किसी मामूली विवाद या गुटबाजी का परिणाम हो सकता है। कुछ छात्रों का कहना है कि यह झड़प दो अलग-अलग हॉस्टल के छात्रों के बीच हुई, जबकि कुछ अन्य छात्रों का मानना है कि इसके पीछे किसी और तरह का आपसी रंजिश कारण हो सकता है। कॉलेज प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और झड़प में शामिल छात्रों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है।

इस हिंसक झड़प में घायल हुए छात्रों को तत्काल स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। पुलिस ने कैंपस में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है और स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है ताकि आगे कोई और अप्रिय घटना न हो।

बीआईटी सिंदरी झारखंड का एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान है और इस तरह की घटना कैंपस के माहौल को खराब कर सकती है। छात्रों के बीच इस तरह की हिंसा चिंता का विषय है और कॉलेज प्रशासन को भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

कॉलेज के डीन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया है कि जो भी छात्र इस घटना में दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

फिलहाल, कैंपस में तनाव का माहौल है, लेकिन पुलिस की मौजूदगी के कारण स्थिति नियंत्रण में है। कॉलेज प्रशासन छात्रों और अभिभावकों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील कर रहा है। इस घटना से संस्थान की छवि पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए कॉलेज प्रशासन के लिए यह जरूरी है कि वह इस मामले की निष्पक्ष जांच करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए।

आगे की जानकारी के लिए इंतजार किया जा रहा है, जिसमें घायलों की संख्या, उनकी स्थिति और झड़प के सही कारणों का पता चल सकेगा। कॉलेज प्रशासन और पुलिस दोनों ही इस मामले की गंभीरता से जांच कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पत्नी कल्पना सोरेन के साथ नए मुख्यमंत्री आवास का रखा आधारशिला

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने आज मुख्यमंत्री आवासीय परिसर में नए मुख्यमंत्री आवास निर्माण के लिए आधारशिला रखा। इस मौके पर उनके साथ उनकी पत्नी व गांडेय विधायक कल्पना सोरेन भी उपस्थित रही। बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर दोनों ने विधिवत्त पूजा अर्चना कर नए मुख्यमंत्री आवास के लिए आधारशिला रखी। मुख्यमंत्री दंपति ने विधि विधान के साथ पूजा कर भगवान से शुभ शुरुआत का आशीर्वाद प्राप्त किया। नए मुख्यमंत्री आवास आधुनिकता के अनुरूप सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाएगा। 

नया डीपीआर बनने के बाद अब इसका निर्माण कार्य शुरू किया जा रहा है। इस आवास को लेकर कई मिथक थे जो इसके पुनःनिर्माण की बड़ी वजह मानी जा रही है। ऐसी मिथक प्रचलित है कि इस आवास में जो कोई मुख्यमंत्री रहा उसने अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया। मुख्यमंत्री आवास को कैफोर्ड हाउस भी कहा जाता है। अगर इतिहास को देखे तो 1853 में बंगाल के लेफ्टिनेंट गर्वनर के प्रिंसिपल एजेंट कमिश्नर एलियन ने इस आवास की नींव रखी थी। भवन निर्माण पूरा होने से पहले ही एलियन का ट्रांसफर हो गया। इसके बाद कैफोर्ड ने पद संभाला और उनके आने के साथ ही निर्माण कार्य शुरू हुआ। 1854 में ब्रिटिश सरकार ने कैफोर्ड को छोटा नागपुर का कमिश्नर बना दिया। कैफोर्ड इस आवास में रहने लगे तभी से इस आवास का नाम कैफोर्ड हाउस हो गया।फिर बिहार से झारखंड अलग होने के बाद अस्थायी सरकार बनने की वजह से मुख्यमंत्री के चेहरे बदलते रहे। इसी कड़ी में कैफोर्ड हाउस को अशुभ मान लिया गया। 2014 में रघुवर दास राज्य के मुख्यमंत्री बने, उन्होने मिथक तोड़ने की कोशिश की। उन्होने कहा कि वो इन सब बातों पर यकीन नहीं करते। हालांकि उन्होंने आवास में कुछ वास्तु बदलाव जरूर किए।

अब पुनः इस आवास को अत्याधुनिक आवास बनाया जाएगा। जानकारी के अनुसार, इस आवास में हैलीपैड जैसी सुविधाएं रहेंगी। इसके अलावा बड़े बड़े कॉन्फ्रेंस हॉल और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग रूम भी होंगे।

रिपोर्टर जयंत कुमार

बिल काटना पड़ा महंगा: पूर्वी सिंहभूम प्रशासन महिला को देगा ₹2 करोड़ का मुआवजा

पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन को एक मामूली सा बिल काटना भारी पड़ गया है। दरअसल, प्रशासन द्वारा काटे गए ₹7.13 लाख के एक बिल के मामले में उन्हें अदालत में हार का सामना करना पड़ा है। इस हार के परिणामस्वरूप, अब जिला प्रशासन को संबंधित महिला को लगभग ₹2 करोड़ का मुआवजा देना होगा। यह घटना प्रशासनिक प्रक्रियाओं में बरती गई लापरवाही और उसके गंभीर वित्तीय परिणामों का एक उदाहरण है।

यह मामला वर्ष 2017 का है, जब पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 33 के चौड़ीकरण का कार्य चल रहा था। इस दौरान, सड़क निर्माण कंपनी ने कथित तौर पर पीड़िता, श्रीमती सोनिया देवी की जमीन से मिट्टी उठा ली थी। श्रीमती देवी का आरोप था कि कंपनी ने उनकी अनुमति के बिना और उचित मुआवजा दिए बिना मिट्टी का खनन किया, जिससे उन्हें काफी नुकसान हुआ।

इसके बाद, श्रीमती देवी ने जिला प्रशासन से शिकायत की और मुआवजे की मांग की। जांच के बाद, जिला प्रशासन ने सड़क निर्माण कंपनी पर ₹7.13 लाख का बिल काटा। हालांकि, श्रीमती देवी इस कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थीं। उनका मानना था कि उन्हें जो नुकसान हुआ है, वह इस बिल की राशि से कहीं अधिक है। इसलिए, उन्होंने मुआवजे की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया।

लंबे समय तक चली कानूनी लड़ाई के बाद, अदालत ने श्रीमती सोनिया देवी के पक्ष में फैसला सुनाया। अदालत ने पाया कि जिला प्रशासन द्वारा काटा गया बिल पर्याप्त नहीं था और श्रीमती देवी को वास्तव में अधिक नुकसान हुआ है।

 अदालत ने अपने फैसले में जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि वह श्रीमती देवी को लगभग ₹2 करोड़ का मुआवजा दे। इस मुआवजे में मिट्टी के खनन से हुए नुकसान के साथ-साथ कानूनी लड़ाई में हुए खर्च भी शामिल हैं।

इस मामले में जिला प्रशासन की हार कई सवाल खड़े करती है। सबसे पहला सवाल तो यही है कि आखिर किस आधार पर ₹7.13 लाख का बिल काटा गया था? क्या प्रशासन ने नुकसान का सही आकलन किया था? दूसरा बड़ा सवाल यह है कि जब श्रीमती देवी ने मुआवजे की मांग की थी, तो प्रशासन ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से क्यों नहीं लिया? अगर प्रशासन ने समय रहते उचित कार्रवाई की होती, तो शायद इस भारी भरकम मुआवजे से बचा जा सकता था।

यह घटना अन्य सरकारी विभागों और प्रशासनिक निकायों के लिए भी एक सबक है। किसी भी मामले में लापरवाही बरतना और पीड़ित की शिकायतों को अनदेखा करना कितना महंगा साबित हो सकता है, यह इस घटना से स्पष्ट होता है।

 प्रशासनिक अधिकारियों को चाहिए कि वे हर मामले की गंभीरता को समझें और उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए त्वरित और न्यायसंगत कार्रवाई करें।

इस मामले में पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन की हार न केवल वित्तीय नुकसान का कारण बनी है, बल्कि इससे प्रशासन की छवि भी धूमिल हुई है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन इस फैसले के बाद क्या कदम उठाता है और भविष्य में ऐसी गलतियों से बचने के लिए क्या उपाय करता है। वहीं, श्रीमती सोनिया देवी के लिए यह फैसला एक लंबी और कठिन कानूनी लड़ाई के बाद मिली जीत है, जो यह साबित करती है कि न्याय के लिए लड़ने वाले अंततः सफल होते हैं।

धनबाद में शराब की ओवररेटिंग और मनपसंद ब्रांड की कमी से उपभोक्ता परेशान

धनबाद में शराब की दुकानों पर इन दिनों उपभोक्ताओं को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। एक तरफ उन्हें निर्धारित मूल्य से अधिक कीमत चुकाने पर मजबूर किया जा रहा है, तो दूसरी तरफ अपनी पसंद का ब्रांड ढूंढने में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ग्राहकों की लगातार शिकायतों के बावजूद, ओवररेटिंग की समस्या जस की तस बनी हुई है और दुकानों में केवल कुछ चुनिंदा ब्रांड ही उपलब्ध हैं, जिससे उपभोक्ताओं में भारी नाराजगी है।

उत्पाद विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में 56 शराब कंपनियों के 700 से अधिक ब्रांडों को बेचने की अनुमति है। कागजों पर तो उपभोक्ताओं के पास विभिन्न प्रकार के ब्रांडों का विकल्प मौजूद है, लेकिन वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। जब ग्राहक अपनी पसंदीदा शराब खरीदने दुकान पर पहुंचते हैं, तो उन्हें अक्सर यह कहकर लौटा दिया जाता है कि वह ब्रांड उपलब्ध नहीं है। इसके बजाय, दुकान संचालक उन्हें मौजूद ब्रांडों में से ही किसी एक को खरीदने के लिए दबाव डालते हैं, भले ही वह उनकी पसंद का न हो।

इस स्थिति के कारण

 उपभोक्ताओं को न केवल अपनी पसंद से समझौता करना पड़ रहा है, बल्कि कई बार उन्हें मजबूरन अधिक कीमत भी चुकानी पड़ती है। ओवररेटिंग की समस्या धनबाद में कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसने और भी गंभीर रूप ले लिया है। दुकान संचालक खुलेआम निर्धारित मूल्य से 10 से 20 प्रतिशत तक अधिक वसूल रहे हैं, और जब ग्राहक इसका विरोध करते हैं, तो उन्हें शराब देने से भी इनकार कर दिया जाता है।

इस संदर्भ में जब उत्पाद विभाग के अधिकारियों से बात की गई, तो उन्होंने ओवररेटिंग की शिकायतों पर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया। हालांकि, जमीनी स्तर पर स्थिति में कोई खास बदलाव देखने को नहीं मिल रहा है। उपभोक्ताओं का कहना है कि विभाग की ओर से नियमित निरीक्षण और सख्त कार्रवाई की कमी के कारण दुकान संचालकों के हौसले बुलंद हैं और वे मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं।

मनपसंद ब्रांडों की कमी के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह जानबूझकर किया जा रहा है ताकि कुछ खास ब्रांडों की बिक्री को बढ़ावा दिया जा सके, जिनमें दुकान संचालकों का अधिक मुनाफा होता है। वहीं, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि आपूर्ति श्रृंखला में गड़बड़ी के कारण सभी ब्रांड समय पर दुकानों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। कारण चाहे जो भी हो, इसका सीधा असर उपभोक्ताओं की जेब और पसंद पर पड़ रहा है।

धनबाद के जागरूक नागरिकों और उपभोक्ता मंचों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि उत्पाद विभाग को इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए और ओवररेटिंग को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही, सभी अधिकृत ब्रांडों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए भी उचित व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उपभोक्ताओं को अपनी पसंद की शराब खरीदने में कोई परेशानी न हो।

उपभोक्ताओं ने यह भी मांग की है कि शराब की दुकानों पर मूल्य सूची स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जानी चाहिए और यदि कोई दुकानदार निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उनका कहना है कि यह उनकी गाढ़ी कमाई का सवाल है और उन्हें अपनी पसंद की चीज उचित मूल्य पर खरीदने का अधिकार है।

बहरहाल, धनबाद में शराब उपभोक्ताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ओवररेटिंग और मनपसंद ब्रांडों की कमी के कारण वे खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। अब देखना यह है कि उत्पाद विभाग इस गंभीर समस्या पर कब तक ध्यान देता है और उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।

कोयला राजस्व में झारखंड का दबदबा, कोल इंडिया के भुगतान में शीर्ष स्थान पर

धनबाद, झारखंड: कोयला मंत्रालय की हालिया रिपोर्ट ने झारखंड राज्य को एक महत्वपूर्ण उपलब्धि से नवाजा है। अप्रैल 2025 के आंकड़ों के अनुसार, कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) द्वारा विभिन्न मदों में किए गए कुल ₹5066.61 करोड़ के राजस्व भुगतान में झारखंड पहले स्थान पर रहा है। यह आंकड़ा न केवल राज्य की कोयला खदानों की विशालता और उत्पादकता को दर्शाता है, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था में कोयला क्षेत्र के महत्वपूर्ण योगदान को भी रेखांकित करता है।

मंत्रालय द्वारा जारी किए गए विस्तृत आंकड़ों के अनुसार, कोल इंडिया ने विभिन्न राज्यों में स्थित अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से यह राजस्व भुगतान किया है। इन भुगतानों में मुख्य रूप से रॉयल्टी, जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) में योगदान और अन्य कर एवं शुल्क शामिल हैं। झारखंड ने इन सभी मदों में अन्य कोयला उत्पादक राज्यों को पीछे छोड़ते हुए सबसे अधिक राजस्व उत्पन्न किया है।

इस उपलब्धि का श्रेय मुख्य रूप से झारखंड में स्थित कोल इंडिया की प्रमुख सहायक कंपनियों जैसे सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) और भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (BCCL) के उत्कृष्ट प्रदर्शन को जाता है। इन कंपनियों ने अप्रैल माह में कोयला उत्पादन और प्रेषण के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया, जिसके परिणामस्वरूप राज्य सरकार को भारी राजस्व प्राप्त हुआ।

यह राजस्व राज्य सरकार के लिए विकास कार्यों और सामाजिक कल्याण योजनाओं को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कोयला राजस्व का एक बड़ा हिस्सा DMF में जाता है, जिसका उपयोग कोयला खनन से प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल और आधारभूत संरचना के विकास के लिए किया जाता है। इस प्रकार, झारखंड का शीर्ष स्थान न केवल राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत करेगा बल्कि कोयला खनन क्षेत्रों के निवासियों के जीवन स्तर में सुधार लाने में भी सहायक होगा।

इस संदर्भ में, झारखंड के मुख्यमंत्री ने राज्य के कोयला क्षेत्र के कर्मचारियों, अधिकारियों और कोल इंडिया प्रबंधन को उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि यह उपलब्धि राज्य सरकार और कोल इंडिया के बीच समन्वय और सहभागिता का परिणाम है। उन्होंने भविष्य में भी इसी तरह के प्रदर्शन की उम्मीद जताई ताकि राज्य और इसके निवासियों को कोयला संपदा का अधिकतम लाभ मिल सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि झारखंड में उच्च गुणवत्ता वाले कोयले के विशाल भंडार और कुशल खनन गतिविधियों के कारण यह राज्य हमेशा से ही कोयला राजस्व के मामले में अग्रणी रहा है। भौगोलिक परिस्थितियां और अनुकूल सरकारी नीतियां भी इस उपलब्धि में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि कोयला एक सीमित प्राकृतिक संसाधन है और पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव भी होते हैं। इसलिए, झारखंड सरकार को कोयला क्षेत्र से प्राप्त राजस्व का उपयोग राज्य में सतत विकास और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने की दिशा में भी करना चाहिए।

अप्रैल 2025 में कोयला राजस्व में झारखंड का शीर्ष स्थान प्राप्त करना राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह न केवल राज्य की आर्थिक प्रगति का प्रतीक है बल्कि कोयला क्षेत्र के महत्व को भी दर्शाता है। उम्मीद है कि झारखंड भविष्य में भी इस प्रदर्शन को बनाए रखेगा और कोयला राजस्व का उपयोग राज्य के विकास और नागरिकों के कल्याण के लिए प्रभावी ढंग से करेगा।