युद्ध बॉलीवुड फिल्मों जैसा नहीं”, पाकिस्तान के सीथ सीजफायर के बीच ऐसा क्यों बोले पूर्व सेना प्रमुख मनोज नरवणे
#warisnotbollywoodmoviegeneralmanojmukundnaravane
![]()
पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर पर पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने बड़ा बयान दिया है। रिटायर्ड जनरल मनोज नरवणे ने उन लोगों की आलोचना की है, जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष विराम पर सवाल उठा रहे हैं और पाकिस्तान के खिलाफ बड़े पैमाने पर लड़ाई छेड़ने की वकालत कर रहे हैं। पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि युद्ध कोई रोमांटिक बॉलीवुड फिल्म नहीं है।
सीजफायर पर सवाल उठा रहे लोगों को जवाब
पुणे के इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के डायमंड जुबली समारोह में उन्होंने कहा कि यह सैन्य कार्रवाई को रोकने का ऐलान किया है, सीजफायर नहीं। हमें इंतज़ार करना होगा और देखना होगा कि आने वाले दिनों और हफ़्तों में क्या होता है। जनरल नरवणे ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को लाइन ऑफ़ कंट्रोल पर गलत हरकतें करने से रोकने का कड़ा संदेश दिया है। अगर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आता है तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
युद्ध रोमांटिक नहीं है, यह गंभीर मामला- जनरल नरवणे
जनरल नरवणे ने कहा कि पिछले हफ्ते हालात बहुत तनावपूर्ण थे। इसकी शुरुआत ऑपरेशन सिंदूर से हुई। भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादी कैंपों और उनके ठिकानों पर हमला किया। इसके बाद चार दिनों तक ज़मीन और आसमान में ज़ोरदार लड़ाई हुई। आखिर में सैन्य कार्रवाई रोकने का ऐलान किया गया। उन्होंने कहा कि वॉर तुम्हारी बॉलीवुड फिल्म नहीं है, युद्ध रोमांटिक नहीं है, यह गंभीर मामला है। युद्ध में बच्चे अपने माता-पिता को खो देते हैं।
युद्ध का सदमा पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है- जनरल नरवणे
नरवणे ने कहा कि जिन लोगों ने लड़ाई में अपनों को खोया है, उसका सदमा अब पीढ़ी दर पीढ़ी रहेगा। एक पीटीएसडी (पोस्ट ट्रोमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर) नामक समस्या के चलते पीड़ित लोग 20 साल बाद भी घबराहट और चिंता का शिकार रहते हैं। ऐसे लोगों को कई बार मनोचिकित्सक की मदद लेनी पड़ती है। युद्ध या हिंसा सबसे आखिरी उपाय होना चाहिए। यही वजह है कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह दौर युद्ध का दौर नहीं है। हालांकि कुछ बेवकूफ लोगों द्वारा हमारे ऊपर लड़ाई थोपी जाएगी, लेकिन हमें इसका जश्न नहीं मनाना चाहिए।
युद्ध मेरी पहली पसंद नहीं- जनरल नरवणे
अभी भी लोग सोच रहे हैं कि बड़े पैमाने पर लड़ाई होनी चाहिए। जनरल नरवणे ने कहा कि युद्ध एक महंगा सौदा है, जिसमें लाखों डॉलर के सैन्य उपकरण बर्बाद हो जाते हैं। युद्ध के बाद फिर से सब कुछ बनाने में बहुत पैसा खर्च होता है। यह एक बड़ा आर्थिक बोझ होता है। उन्होंने यह भी कहा कि झगडे से बचने के लिए रक्षा और सेना में निवेश करना ज़रूरी है। एक सैनिक होने के नाते अगर मुझे आदेश मिलेगा तो मैं लड़ाई लड़ूंगा, लेकिन यह मेरी पहली पसंद नहीं होगी।' उन्होंने कहा कि उनकी पहली पसंद कूटनीति है, जिसमें बातचीत के जरिए मसलों को निपटाया जाता है ताकि युद्ध की जरूरत ही न पड़े।
May 12 2025, 15:24