जहानाबाद पनिहास तालाब की अनदेखी से संकट में धरोहर, पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं
जहानाबाद जिले के काको प्रखंड स्थित ऐतिहासिक पनिहास तालाब आज प्रशासनिक उदासीनता के चलते अपनी पहचान खोने की कगार पर है। लगभग 80 बीघा क्षेत्रफल में फैला यह तालाब अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक महत्व के लिए कभी दूर-दूर तक प्रसिद्ध था। एक छोर पर स्थित भगवान भास्कर का प्राचीन सूर्य मंदिर और दूसरे छोर पर पहली महिला सूफी संत बीबी कमाल का मकबरा इस क्षेत्र की ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को विशेष पहचान देते हैं।
धरोहर पर संकट के बादल
कभी ग्रामीण जीवन रेखा रहे इस तालाब की स्थिति आज चिंताजनक है। जलीय खरपतवारों ने तालाब को अपने कब्जे में ले लिया है, जिससे जल सड़ने लगा है और जलस्तर भी प्रभावित हो रहा है। इसका सीधा असर न सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य पर पड़ा है बल्कि खेतों की सिंचाई व्यवस्था भी प्रभावित हुई है।स्थानीय निवासियों की पहल और मांग
गांव के निवासियों का कहना है कि यदि तालाब का समुचित विकास किया जाए तो यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल बन सकता है। स्थानीय लोगों ने सुझाव दिया है कि तालाब का सौंदर्यीकरण कर नौकायन (बोटिंग), रनिंग ट्रैक, पार्क और ओपन जिम जैसी सुविधाएं शुरू की जानी चाहिए। इससे न केवल पर्यटक आकर्षित होंगे, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नया जीवन मिलेगा।नगर पंचायत का आश्वासन
नगर पंचायत काको के अध्यक्ष राहुल रंजन ने जानकारी दी कि पनिहास तालाब के सौंदर्यीकरण और संरक्षण के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजा गया है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बहुत जल्द तालाब की सफाई एवं विकास कार्य प्रारंभ किए जाएंगे, जिससे यह ऐतिहासिक धरोहर फिर से अपनी खोई हुई रौनक हासिल कर सके। स्थानीय जनता को उम्मीद है कि इस बार सिर्फ आश्वासन नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही होगी। लोगों की मांग है कि पनिहास तालाब को एक विकसित पर्यटन स्थल के रूप में नया जीवन मिले ताकि आने वाली पीढ़ियां भी इस गौरवशाली विरासत से रूबरू हो सकें।अब सवाल यह है — क्या प्रशासन वादों को निभाएगा या फिर पनिहास तालाब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा?
Apr 29 2025, 09:17