जहानाबाद में आंधी-तूफान ने मचाया कहर : आकाशीय बिजली से दो कि मौत, कई घायल*
जहानाबाद : जिले में अचानक बदले मौसम ने जमकर तबाही मचाई है। जहां एक और आकाशीय बिजली के चलते खेत में काम कर रहे हैं किसान की मौत हो गई है। वहीं दूसरी ओर घर के बाहर खेल रही एक बच्ची भी इसकी शिकार हो गयी है। हल्की बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दिलाई, लेकिन उसके पूर्व आयी तेज आंधी तूफान ने पूरे जिले में कोहराम मचा दिया है। बारिश थमते ही जहानाबाद सदर अस्पताल में मानों मरीजों की झड़ी सी लग गयी। कई लोग अपने बच्चों को गोद मे लिए भागते भागते अस्पताल पहुंचे थे। खेत मे काम करने घोसी थाना छेत्र के मोहिउद्दीनपुर निवासी 32 वर्षीय गुणु चौधरी  बारिस देख घर लौट रहे थे कि उनपर आकाशीय बिजली ने अपना कहर बरपाया और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गयी। इसके बाद परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है। दूसरी ओर घर के बाहर बिजली के खंभे पर आकाशीय बिजली गिरने के बाद वह एक बच्चे के ऊपर गिर पड़ा। जिसके बाद उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया। इलाज के क्रम में बच्चे ने दम तोड़ दिया। वहीं गली में खेल रहे एक बच्ची के ऊपर पड़ोस के घर के छत से करकट गिरने से घायल हो गयी। उसे भी इलाज के लिए लाया गया है।
जहानाबाद प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी स्व० श्यामनारायण सिंह की पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई

जहानाबाद प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी एवं ए.एन.एस. कॉलेज, जहानाबाद के संस्थापक सदस्य स्वर्गीय श्यामनारायण सिंह की पुण्यतिथि बुधवार को कॉलेज परिसर में भव्य श्रद्धांजलि सभा के साथ मनाई गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में गणमान्य अतिथियों, प्राध्यापकों, शिक्षकेत्तर कर्मचारियों, छात्र-छात्राओं एवं शहर की प्रतिष्ठित हस्तियों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय प्रांगण में स्व. श्यामनारायण बाबू की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई। इसके उपरांत आयोजित श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने उनके जीवन, संघर्ष और योगदान को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) ओमप्रकाश सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि श्यामनारायण बाबू का जीवन सदैव गरीब, असहाय, और समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति की सेवा के लिए समर्पित रहा। वर्ष 1925 में जन्मे श्यामनारायण बाबू ने मात्र 17 वर्ष की उम्र में भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में हिस्सा लिया और जेल की यातनाएं सहीं, लेकिन स्वतंत्रता संग्राम से पीछे नहीं हटे।

उन्होंने डॉ. अनुग्रह नारायण सिंह, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, जयप्रकाश नारायण एवं फिदा हुसैन जैसे महान नेताओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया। पढ़ाई पूरी नहीं कर सके, परंतु शिक्षा के महत्व को समझते हुए उन्होंने एसएस कॉलेज, एसएन कॉलेज, गांधी स्मारक विद्यालय और गौतम बुद्ध उच्च विद्यालय जैसे कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ए.एन.एस. कॉलेज की स्थापना से लेकर अपने जीवन के अंतिम समय तक वे संस्थापक सचिव के रूप में कार्यरत रहे। साथ ही, वे तीन बार नगर पालिका (वर्तमान नगर परिषद्) के चेयरमैन भी रहे। 1975 की इमरजेंसी के दौरान उन्हें मीसा एक्ट के तहत छह महीने की जेल भी हुई, बाद में जनता पार्टी सरकार में वे कारा सुधार समिति के सदस्य नियुक्त हुए।

श्रद्धांजलि सभा में प्रो. अरविंद कुमार सिंह, प्रो. शिवप्रकाश सिंह, प्रो. शिवशंकर सिंह, डॉ. अखिलेश पाण्डेय, डॉ. रंगनाथ द्विवेदी सहित कई वक्ताओं ने उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उनके सुपुत्र अभय कुमार सिंह एवं अखिलेश सिंह ने भी सभा को संबोधित किया और सभी आगंतुकों के प्रति आभार जताया।

कार्यक्रम के दौरान डा. अमित कुमार सिंह के नेतृत्व में एक क्विज प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया, जिसमें सफल छात्र-छात्राओं को पुरस्कार प्रदान किए गए। सभा के अंत में प्रो. डॉ. राम भवन शर्मा द्वारा कुशल मंच संचालन किया गया। कार्यक्रम के उपरांत सभी अतिथियों के लिए प्रीतिभोज की व्यवस्था महाविद्यालय परिवार द्वारा की गई।

यह आयोजन स्व. श्यामनारायण बाबू के आदर्शों और विचारों को जीवित रखने की दिशा में एक प्रेरणादायी पहल रही।

हुलासगंज को आदर्श प्रखंड बनाने की दिशा में शिष्टमंडल समिति की बैठक सम्पन्न, स्वच्छता और जागरूकता को लेकर लिए गए अहम निर्णय

हुलासगंज: महापरिवर्तन आंदोलन से जुड़ी प्रखंड शिष्टमंडल समिति की एक अहम बैठक आदर्श संस्कृत कॉलेज, हुलासगंज में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य श्री श्रीनिवास जी ने की। हर महीने की तरह इस बार भी समिति की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए जिनका उद्देश्य हुलासगंज को एक आदर्श प्रखंड के रूप में विकसित करना है।

बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णयों में बाजार समिति को गंदगी मुक्त करना, जल निकासी की समुचित व्यवस्था करना और हुलासगंज बाजार में शौचालय निर्माण की व्यवस्था सुनिश्चित करना शामिल है। निर्णयों को अमल में लाने के लिए शिष्टमंडल के गणमान्य सदस्य संबंधित सक्षम प्राधिकारियों से मिलेंगे।

बैठक के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि आगामी शुक्रवार को शाम चार बजे एक स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली जाएगी। इस रैली के माध्यम से लोगों को ‘स्वच्छ रहें – स्वस्थ रहें’ का संदेश दिया जाएगा।

महापरिवर्तन आंदोलन एक गैर-राजनीतिक सामाजिक चेतना अभियान है, जिसकी प्रेरणा वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी एवं एसटीएफ बिहार के संस्थापक विनय कुमार सिंह हैं। वर्तमान में यह अभियान बिहार के बारह जिलों में सक्रिय रूप से संचालित हो रहा है, जिसका उद्देश्य राज्य को एक उन्नत और विकसित स्वरूप प्रदान करना है। इसी के तहत प्रत्येक प्रखंड में एक शिष्टमंडल समिति का गठन किया गया है, जिसमें समाज के प्रतिष्ठित, गैर-राजनीतिक और अच्छे छवि वाले व्यक्तियों को शामिल किया गया है।

बैठक में प्रखंड के सभी गांवों की सामूहिक समस्याओं पर भी चर्चा हुई। समिति के संयोजक, रिटायर्ड शिक्षक नंदकिशोर कुमार ने सभी ग्रामीणों से अपील की कि वे अपनी समस्याएं फोन या व्हाट्सऐप के माध्यम से समिति तक पहुंचाएं ताकि त्वरित समाधान किया जा सके। वहीं प्रखंड कार्यकारिणी संयोजक रौशन कुमार ने इस पहल को एक सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि अगर सभी लोग मिलकर सहयोग करें तो हुलासगंज को एक आदर्श प्रखंड के रूप में पहचान मिलना तय है।

इस बैठक में रणधीर कुमार, वेंकटेश कुमार, सूरजपुर पंचायत के मुखिया पति मन्ना जी, मनोज कुमार समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

जहानाबाद: महिला के पेट से निकाला गया 4 किलो का ट्यूमर, मगध हॉस्पिटल में सर्जरी रही सफल


जहानाबाद जिले के मगध हॉस्पिटल से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां डॉक्टरों की टीम ने एक 55 वर्षीय महिला के पेट से करीब 4 किलो वजनी ट्यूमर को सफलतापूर्वक ऑपरेशन के जरिए बाहर निकाला। यह जटिल सर्जरी अस्पताल के अनुभवी चिकित्सकों की देखरेख में संपन्न हुई।

मरीज शिवानी देवी, उम्र 55 वर्ष, बीते छह महीनों से पेट दर्द और असहजता की समस्या से परेशान थीं। जब उन्होंने चिकित्सकीय परामर्श लिया तो सीटी स्कैन में उनके पेट में एक विशाल ट्यूमर की पुष्टि हुई।

शुरुआत में इसे लैप्रोस्कोपिक (दूरबीन विधि) तकनीक से निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन ट्यूमर के अत्यधिक बड़े आकार के कारण डॉक्टरों को ओपन सर्जरी करनी पड़ी। सर्जरी का नेतृत्व कर रहे वरिष्ठ सर्जन डॉ. राजीव रंजन कुमार ने बताया कि ऑपरेशन पूरी तरह सफल रहा और अब मरीज की स्थिति स्थिर एवं बेहतर है।

डॉ. कुमार ने बताया कि यदि समय रहते इस ट्यूमर की पहचान न होती, तो यह जानलेवा साबित हो सकता था। उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी प्रकार के लंबे समय तक बने रहने वाले दर्द, सूजन या असामान्य लक्षणों को नजरअंदाज न करें और समय रहते विशेषज्ञ से सलाह लें।

यह घटना न केवल चिकित्सा क्षेत्र की सफलता को दर्शाती है, बल्कि यह भी बताती है कि समय पर की गई जांच और इलाज से गंभीर बीमारियों से भी बचा जा सकता है।

कवयित्री मानसी सिंह की रचना ने भावुक किया पाठकों को, शब्दों में छलका यथार्थ का स्याह सच

जहानाबाद (बिहार): मगध विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की स्नातकोत्तर छात्रा एवं ‘शब्दाक्षर प्रदेश साहित्य मंत्री’ कवयित्री मानसी सिंह की नवीनतम कविता “कभी-कभी” ने साहित्यप्रेमियों के हृदय को गहराई से छू लिया है। सोशल मीडिया और साहित्यिक मंचों पर यह रचना तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

इस कविता में कवयित्री ने अपनेपन के दिखावे, विश्वास के टूटने, और जीवन के कठोर यथार्थ को बड़ी ही सहज, लेकिन गहरी भाषा में अभिव्यक्त किया है। कविता की पंक्तियाँ –
“कभी-कभी बुरे वक्त का आना बहुत जरूरी है,
कभी-कभी अपनों को आजमाना बहुत जरूरी है...”
ने पाठकों को आत्मचिंतन पर विवश कर दिया।

मानसी सिंह की रचना न केवल भावनाओं को छूती है, बल्कि जीवन की कठिन परिस्थितियों में आत्मनिरीक्षण और आत्मबल की आवश्यकता को भी दर्शाती है। उन्होंने कविता में दर्शाया कि तन्हाई की पीड़ा, झूठे अपनेपन की तुलना में कहीं अधिक सुकूनदायक होती है।

कविता का अंतिम भाग –
“जब प्रेम प्रकृति; नेह का बंधन कोई साथ नहीं जाता,
ऐसे में सपोलों का क्या पालना बहुत जरूरी है...!!”
एक प्रहार है उन रिश्तों पर, जो केवल दिखावे के लिए होते हैं।

कविता को मिल रही सराहना
साहित्यिक मंचों पर इस रचना को युवाओं, विद्यार्थियों और कवि समुदाय से विशेष सराहना मिल रही है। कई पाठकों ने इसे “आत्मचेतना की आवाज़” बताया है। यह कविता वर्तमान सामाजिक संदर्भ में रिश्तों की असलियत और आत्मबल की महत्ता को गहराई से रेखांकित करती है।

कवयित्री मानसी सिंह, जिन्होंने यह रचना साझा की है, न केवल साहित्य में सक्रिय हैं, बल्कि समकालीन विषयों पर अपनी पैनी दृष्टि और भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए भी जानी जाती हैं।

जहानाबाद श्रीराम स्तुति से गूंजा भक्तिमय माहौल, सावित्री सुमन की लेखनी से झलका रामभक्ति का अलौकिक भाव

जहानाबाद: साहित्य और भक्ति का सुंदर संगम प्रस्तुत करती हैं लेखिका सावित्री सुमन, जिनकी हालिया रचना "श्रीराम स्तुति" ने रामभक्तों के बीच खास जगह बना ली है। यह स्तुति सिर्फ एक कविता नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभूति है, जिसमें श्रीराम के जीवन, उनके गुणों और उनकी करुणा का भावपूर्ण चित्रण किया गया है।

स्तुति की विशेषताएं:
श्रीराम स्तुति की हर पंक्ति में राम के भक्तों की अटल आस्था और शुद्ध भक्ति की झलक मिलती है।

  • पहले छंद में श्रीराम के रघुकुल नंदन होने और उनके धनुषधारी मंगलकारी रूप की वंदना की गई है।
  • दूसरे छंद में श्रीराम की करुणा और उनकी अहिल्या उद्धार कथा को बड़े ही कोमल भावों से दर्शाया गया है।
  • तीसरे छंद में लंका विजय, रावण संहार और वानर सेना की वीरता का वर्णन है।
  • अंतिम छंद में श्रीराम के स्वरूप को शीतल, सरल और काल पर विजय प्राप्त करने वाले परमात्मा के रूप में प्रस्तुत किया गया है।

इस स्तुति को पढ़ते समय ऐसा प्रतीत होता है मानो रामचरितमानस की दिव्य गंगा बह रही हो, जहां हर पंक्ति से श्रद्धा, भक्ति और आंतरिक शांति का अनुभव होता है।

सावित्री सुमन की यह रचना न सिर्फ साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी पाठकों को जोड़ने में सक्षम है। यह स्तुति रामनवमी, राम कथा या किसी भी धार्मिक आयोजन में पाठ के लिए उपयुक्त है।

जहानाबाद में राजघराने जैसी फीलिंग के साथ पार्टी करें – पहुंचिए कन्हैया भोग स्वीट्स रेस्टोरेंट

जहानाबाद। खास मौके पर अगर आप भी चाहते हैं शुद्ध शाकाहारी भोजन के साथ राजसी माहौल में पार्टी करना, तो जहानाबाद का कन्हैया भोग स्वीट्स रेस्टोरेंट आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन है। यह रेस्टोरेंट न सिर्फ अपने स्वादिष्ट और शुद्ध वेजिटेरियन खाने के लिए मशहूर है, बल्कि इसकी भव्य सजावट भी हर किसी को खास महसूस कराती है।

प्योर वेज और वैष्णव थाली की खास पेशकश
रेस्टोरेंट के संचालक कुणाल किशोर बताते हैं कि यह एक पूर्णत: शाकाहारी रेस्टोरेंट है, जहां विशेष रूप से बिना लहसुन-प्याज वाली वैष्णव थाली भी उपलब्ध है। रेस्टोरेंट का स्थान भी काफी उपयुक्त है – अंबेडकर चौक, मगध ग्रामीण बैंक के बगल में, जहां ऑफिस आने-जाने वाले लोग भी आसानी से पहुंच सकते हैं।

रेस्टोरेंट की दीवारों को राधा-कृष्ण, बुद्ध भगवान, लक्ष्मी-नारायण जैसे देवी-देवताओं की सुंदर तस्वीरों से सजाया गया है, जिससे यहां का वातावरण न सिर्फ शुद्ध बल्कि एकदम आध्यात्मिक और शाही अनुभव देता है।

यहां पर साउथ इंडियन, चाइनीज, इंडियन मेन कोर्स, और विशेष स्पेशल थाली की पूरी व्यवस्था है। साथ ही, सभी प्रकार की ताजगी भरी मिठाइयां भी उपलब्ध हैं। ऑफिसियल मीटिंग्स के लिए यहां की राजघराना सुपर डीलक्स वेज थाली और शाही थाली काफी लोकप्रिय हैं।

फैमिली और युवाओं के लिए आकर्षक डिस्काउंट
फैमिली डिनर पर 10% डिस्काउंट और पार्टी मनाने आए युवाओं के लिए 15 से 20% तक की छूट भी दी जाती है। साथ ही, रेस्टोरेंट से फ्री होम डिलीवरी की सुविधा भी ग्राहकों को उपलब्ध है।

अगर आप भी जहानाबाद में किसी खास मौके को खास बनाना चाहते हैं, तो एक बार जरूर पहुंचिए कन्हैया भोग स्वीट्स रेस्टोरेंट, अंबेडकर चौक के पास। यहां का स्वाद, माहौल और सेवा – सब कुछ आपको राजसी अनुभव कराएंगे।

जहानाबाद महर्षि विद्या पीठ में वैदिक मंत्रोच्चार और हवन के साथ नए सत्र का शुभारंभ

जहानाबाद। उत्तरी गांधी मैदान स्थित महर्षि विद्या पीठ में शनिवार को नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत पारंपरिक वैदिक रीति-रिवाजों के साथ की गई। विद्यालय प्रांगण में हवन और वैदिक मंत्रोच्चार के माध्यम से छात्र-छात्राओं के उज्ज्वल भविष्य और विद्यालय के समग्र विकास की कामना की गई।

इस शुभ अवसर पर विद्यालय के निदेशक साकेत रौशन, प्राचार्या सोनाली शर्मा, शिक्षकगण एवं छात्र-छात्राओं ने विधिपूर्वक हवन में पूर्ण आहुति दी। हवन के उपरांत सभी विद्यार्थियों को उनके नए कक्षा में स्वागत करते हुए चंदन का टीका लगाया गया और पुष्पवर्षा की गई। विद्यालय परिसर एवं कक्षाओं को विशेष रूप से सजाया गया था, जिससे छात्रों को सकारात्मक और प्रेरणादायक वातावरण प्राप्त हो सके।

विद्यालय निदेशक साकेत रौशन ने छात्रों को संबोधित करते हुए शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला और अपील की कि विद्यार्थी नए सत्र में पूरे मनोयोग से पढ़ाई करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही व्यक्ति को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाती है।

प्राचार्या सोनाली शर्मा ने कहा कि विद्यालय का उद्देश्य बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। उन्होंने छात्रों से अपील की कि वे शिक्षा को गंभीरता से ग्रहण करें और जीवन में उसका सार्थक उपयोग करें।

इस अवसर पर मगध डायरी के संपादक प्रो. कृष्ण मुरारी शर्मा, शिक्षिका श्रुति केशरी, ब्यूटी कुमारी, रीमा कुमारी, प्रिया कुमारी, हिमांशु राज, राहुल राज सहित समस्त शिक्षकगण और छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

पूरे आयोजन में श्रद्धा, उत्साह और अनुशासन की झलक दिखाई दी, जो नए सत्र की सकारात्मक शुरुआत का संकेत है।

वंदना कुमारी भगत को पीएच.डी. की उपाधि, क्षेत्रीय शोध को मिला सम्मान

बोधगया। मगध विश्वविद्यालय, बोधगया के जंतु विज्ञान विभाग ने वरिष्ठ पत्रकार, भाजपा नेता एवं आयकर अधिवक्ता राजीव भगत की सुपुत्री, पूर्व राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य विद्यार्थी परिषद एवं युवा भाजपा नेत्री वंदना कुमारी भगत को विद्या वाचस्पति (Ph.D.) की उपाधि प्रदान की।

गुरुवार को विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग के सभागार में आयोजित समारोह में वंदना कुमारी ने "The Impact of Cypermethrin in Heteropneustes fossilis" विषय पर आधारित शोध प्रस्तुत किया। यह शोध गया शहर के प्रसिद्ध दिग्घी तालाब की मछली की एक प्रजाति पर केंद्रित था।

वंदना ने वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा से जंतु विज्ञान में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की है। अपने शोध कार्य के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण शोध पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित किए। उनके शोध निर्देशक डॉ. शैलेन्द्र कुमार, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, टी.एस. कॉलेज, हिसुआ, नवादा ने बताया कि वंदना ने गहन रुचि और मेहनत के साथ यह शोध कार्य संपन्न किया और क्षेत्रीय स्तर पर मछलियों की जैव विविधता और पर्यावरणीय प्रभावों का विश्लेषण प्रस्तुत किया।

वंदना के मित्र व संस्कार भारती दक्षिण बिहार प्रान्त के मंत्री विकास मिश्र ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि गया बिहार की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहरों का केन्द्र है और इस प्रकार के शोध क्षेत्र की वैश्विक पहचान को मजबूत करते हैं।

इस अवसर पर एस.एन. सिन्हा महाविद्यालय, जहानाबाद के अंग्रेजी विभागाध्यक्ष प्रो. सुबोध झा, हिंदी प्राध्यापिका कुमारी मानसी, डॉ. उदय शंकर सिन्हा (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय), डॉ. दिलीप केशरी (विभागाध्यक्ष, जंतु विज्ञान), डॉ. एस.एन.पी. यादव, डॉ. सरफराज, डॉ. तरुण, डॉ. अदिति कुमारी, प्रो. आभा कुमारी, प्रो. पूनम कुमारी, प्रो. राजेंद्र प्रसाद (महाराजा कॉलेज, आरा), सीनेट सदस्य अनिल स्वामी, वंदना की माता ओम ज्योति भगत, भाई सुधांशु व अमृतांशु समेत कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे।

वंदना ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, शोध निर्देशक, विभागाध्यक्ष, प्रोफेसरों और अपने सभी सहयोगी मित्रों को देते हुए सभी के प्रति आभार व्यक्त किया।

यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत परिश्रम का परिणाम है, बल्कि क्षेत्रीय शोध को राष्ट्रीय मंच पर स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

धधकता चित्त: नारी शक्ति की मुखर अभिव्यक्ति – मानसी सिंह की कविता ने मचाई हलचल

बोधगया स्थित मगध विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की अनुसंधायिका मानसी सिंह द्वारा लिखित कविता "धधकता चित्त" इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। यह कविता नारी के भीतर सुलगते दर्द, अपमान और उसके भीतर पलते प्रतिशोध की तीव्र अग्नि को बखूबी दर्शाती है।

कविता में मानसी ने नारी के सहनशील स्वभाव के पीछे छिपी उसकी शक्ति और प्रतिकार की भावना को बड़ी ही मार्मिकता और तेवर के साथ प्रस्तुत किया है। शब्दों की चुभन, भावों की तीव्रता और संदेश की स्पष्टता यह साबित करती है कि यह सिर्फ एक रचना नहीं, बल्कि एक चेतावनी है—उन सभी के लिए जो नारी को कमज़ोर समझने की भूल करते हैं।

"जो सीता बनकर शांत बैठी थी,
काली रूप में आ सकती है",
जैसी पंक्तियाँ कविता को महज साहित्यिक नहीं, बल्कि सामाजिक और वैचारिक विमर्श का माध्यम बना देती हैं।

यह कविता बताती है कि अब नारी सिर्फ सहनशीलता का प्रतीक नहीं, बल्कि न्याय और स्वाभिमान की पुकार है। जब-जब उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाई जाएगी, वह सीता से काली बनने में देर नहीं करेगी।

मानसी सिंह की यह रचना विश्वविद्यालय परिसरों से लेकर सोशल मीडिया तक अपनी गूंज छोड़ रही है। यह कविता आधुनिक नारी की चेतना, आत्मबल और अस्मिता का उद्घोष बन चुकी है।