*समाज में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करना सामाजिक प्रगति का आधार:प्रो० दानपति तिवारी*
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अयोध्या- का०सु०साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अयोध्या एवं डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के विधि संकाय के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर “21वीं सदी में भारत के सामाजिक,आर्थिक एवं राजनैतिक विकास में महिलाओं की भूमिका” विषय पर एक व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. दानपति तिवारी ने की, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विधि विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार राय द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. शशि कुमार ने किया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साकेत महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. दानपति तिवारी ने कहा कि समाज में महिलाओं की समान भागीदारी सुनिश्चित करना केवल एक नैतिक दायित्व ही नहीं, बल्कि यह सामाजिक प्रगति का आधार भी है। जब महिलाओं को उनके अधिकारों और कर्तव्यों की सही समझ होती है, तब वे न केवल अपने लिए बल्कि समाज के लिए भी एक सशक्त परिवर्तन का माध्यम बनती हैं। उन्होंने कहा कि जिस समय पश्चिमी सभ्यता पुरुष और नारी में समानता के अधिकार की बातें करती थी, उससे बहुत पूर्व भारतीय ग्रंथों में नारी को पुरुष के समान नहीं बल्कि उससे ऊँचा दर्जा प्राप्त था।जहाँ पश्चिमी सभ्यता में स्त्री की पहचान एक माँ,बहन, बेटी तक ही सीमित थी,वहीं भारतीय संस्कृति में उसे देवी का स्थान प्राप्त था।मानव सभ्यता के तीन आधार स्तंभ बुद्धि,शक्ति और धन तीनों की अधिष्ठात्री देवियाँ ही हैं।
विधि संकायाध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार राय ने कहा कि सशक्त राष्ट्र के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण अपरिहार्य है। महिला सशक्तिकरण केवल अधिकार देने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उन्हें उन अधिकारों का प्रयोग करने में सक्षम भी बनाया जाना चाहिए। विधि की जानकारी और न्यायिक प्रक्रियाओं की समझ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।उन्होंने जनसमुदाय से आह्वान किया है कि महिलाओं का आदर करें क्योंकि जहां महिलाओं की पूजा की जाती है, वहां देवता निवास करते हैं। कार्यक्रम के अंत में प्रो. अशोक कुमार राय ने सभी आमंत्रित वक्ताओं, उपस्थित प्राध्यापकों एवं छात्रों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे शैक्षणिक आयोजनों से महिलाओं के अधिकारों को लेकर एक सकारात्मक संवाद स्थापित होता है, जिससे समाज में जागरूकता और न्याय की भावना को मजबूती मिलती है।
साकेत महाविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग की प्रो०कविता सिंह ने कहा कि महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए विधिक प्रणाली का ज्ञान होना आवश्यक है। एक शिक्षित और विधिक रूप से सशक्त महिला न केवल स्वयं के अधिकारों की रक्षा कर सकती है, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन सकती है।
साकेत महाविद्यालय के बी०एड० विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो०शिखा वर्मा ने कहा कि महिला सशक्तिकरण का अर्थ केवल समानता प्राप्त करना नहीं, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाना भी है। विधि के माध्यम से महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता प्राप्त करने का अवसर मिलता है, जिससे वे अपनी क्षमताओं का पूर्ण उपयोग कर सकती हैं।
कार्यक्रम में विधि संकाय के छात्र-छात्राओं ने महिला अधिकारों से संबंधित विभिन्न प्रश्न पूछे, जिनका आमंत्रित वक्ताओं और प्राध्यापकों ने समाधान प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. संतोष पाण्डेय, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. वंदना गुप्ता, डॉ. रजनीश श्रीवास्तव, डॉ. विवेकानंद पांडेय एवं बिपेंद्र पांडेय सहित बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
Mar 08 2025, 19:33