हमास द्वारा बंधकों की अदला-बदली के बाद इजरायल ने सैकड़ों फिलिस्तीनियों को किया रिहा

हमास द्वारा युद्धविराम समझौते के तहत तीन इजरायली बंधकों को रिहा किए जाने के बाद इजरायली बलों ने सैकड़ों कैदियों को रिहा करना शुरू कर दिया है, हाल के तनावों के बावजूद युद्धविराम जारी है। रिहा किए जाने से पहले, बंधकों को दक्षिणी गाजा में उग्रवादियों द्वारा भीड़ के सामने परेड कराया गया। उनमें 46 वर्षीय इयार हॉर्न, 36 वर्षीय सागुई डेकेल चेन और 29 वर्षीय अलेक्जेंडर ट्रूफानोव शामिल थे।

19 जनवरी को युद्धविराम शुरू होने के बाद से यह छठा ऐसा आदान-प्रदान था। शनिवार से पहले, 700 से अधिक फिलिस्तीनी कैदियों के साथ 21 बंधकों को पहले ही रिहा किया जा चुका था। लगभग एक महीने तक चलने वाला युद्धविराम हाल के दिनों में नाजुक रहा है, जिसमें इजरायल और हमास के बीच मतभेद सामने आए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा गाजा से 2 मिलियन से अधिक फिलिस्तीनियों को हटाने का सुझाव दिए जाने के बाद तनाव बढ़ गया, जिससे युद्धविराम का भविष्य अनिश्चित हो गया। मिस्र और कतर के साथ बातचीत के बाद, हमास ने और बंधकों को रिहा करने पर सहमति जताई। बंधकों की रिहाई आम तौर पर हाई-प्रोफाइल होती है, जिसमें बंदी मंच पर चढ़ते हैं और माइक्रोफोन को संबोधित करते हैं, अक्सर उनके साथ सशस्त्र हमास लड़ाके और तेज़ संगीत होता है। जब बंधक तेल अवीव में रेड क्रॉस पहुंचे, तो भीड़ ने जयकारे लगाए, चिल्लाते हुए कहा, "इयर, सगुई और साशा अपने घर जा रहे हैं।"

हमास के कैदी सूचना कार्यालय ने घोषणा की कि 369 फिलिस्तीनियों को इजरायली जेलों से रिहा किया जाएगा, जिनमें अहमद बरगौटी भी शामिल हैं, जो एक प्रमुख फिलिस्तीनी राजनीतिक व्यक्ति हैं, जो दूसरे इंतिफादा के दौरान इजरायल में आत्मघाती हमलावरों को भेजने के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, जिससे इजरायली नागरिकों में गंभीर हताहत हुए हैं।

शेष 251 अपहृतों के लिए चिंताएँ बढ़ रही हैं, जिनमें से 73 अभी भी गाजा में हैं, जिनमें से आधे के बारे में माना जाता है कि वे मर चुके हैं। शेष बंधकों में से कई इजरायली सैनिक हैं। पिछले शनिवार को रिहा किए गए तीन लोगों ने चिंता जताई क्योंकि वे बहुत खराब स्थिति में थे, और बंधकों में से एक कीथ सीगल ने अपने साथ हुए क्रूर व्यवहार का वर्णन करते हुए संदेश भेजे। उन्होंने कहा, "मुझे अकल्पनीय परिस्थितियों में 484 दिनों तक रखा गया था, और हर एक दिन ऐसा लगा जैसे यह मेरा आखिरी दिन हो सकता है। राष्ट्रपति ट्रम्प, आप ही कारण हैं कि मैं जीवित घर पर हूँ। कृपया उन्हें घर वापस लाएँ।"

हालाँकि युद्धविराम को अस्थायी रूप से संरक्षित किया गया है, लेकिन यह महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। हमास ने इजरायल द्वारा पर्याप्त सहायता, चिकित्सा आपूर्ति और मलबे को साफ करने के लिए उपकरण प्रदान करने में विफलता का हवाला देते हुए आगे की रिहाई में देरी करने की धमकी दी। हालाँकि तत्काल संकट टल गया, लेकिन अगर वार्ता का अगला दौर आगे नहीं बढ़ता है तो संघर्ष विराम फिर से टूट सकता है।

युद्ध ने बड़े पैमाने पर विनाश किया

युद्ध ने बड़े पैमाने पर विनाश किया है, जिससे गाजा की अधिकांश आबादी विस्थापित हो गई है। 48,000 से अधिक फिलिस्तीनी लोगों की मौत की सूचना मिली है, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ और बच्चे हैं, जबकि इज़राइल का दावा है कि उसने 17,000 से अधिक आतंकवादियों को मार गिराया है। ट्रम्प की गाजा से 2 मिलियन फिलिस्तीनियों को स्थानांतरित करने की योजना ने अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। जबकि इजरायल सरकार इस विचार का समर्थन करती है, फिलिस्तीनी और मानवाधिकार समूह इसका विरोध करते हैं, इसे संभावित रूप से अवैध बताते हैं। कुछ इजरायली राजनेता युद्ध को फिर से शुरू करने का आह्वान कर रहे हैं, और अगर हमास को लगता है कि लड़ाई जारी रहेगी तो वह और अधिक बंधकों को रिहा करने के लिए कम इच्छुक हो सकता है।

जम्मू-कश्मीर में तीन सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, टेरर लिंक मामले में एलजी मनोज सिन्हा का बड़ा एक्शन

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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। तीनों कर्मचारियों पर टेरर लिंक मामले में गाज गिरी है। इनमें एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और वन विभाग का कर्मचारी शामिल हैं। उपराज्यपाल ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत इन कर्मचारियों को बर्खास्त किया। जांच में यह पाया गया कि इनकी आतंकवादी संगठनों से संबंध थे।

बर्खास्त तीनों कर्मचारी अलग-अलग आतंकवाद से जुड़े मामलों में जेल में बंद हैं। इनमें से एक पुलिस कांस्टेबल फिरदौस अहमद भट को कथित तौर पर क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के साथ कथित संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि फिरदौस अहमद ने आतंकवादी संगठनों को साजोसामान और दूसरी सहायता दी। मोहम्मद अशरफ भट, जो एक टीचर है उन पर छात्रों को कट्टरपंथी बनाने और प्रतिबंधित संगठनों के साथ संबंध बनाए रखने का आरोप लगाया गया था। वहीं, वन विभाग का निसार अहमद खान कथित तौर पर कश्मीर के जंगली इलाकों में आतंकवादियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में शामिल था।

यह बड़ी कार्रवाई उपराज्यपाल की अध्यक्षता में सुरक्षा समीक्षा बैठक के एक दिन बाद की गई। बैठक में उपराज्यपाल ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों और परदे के पीछे छिपे आतंकी तंत्र को बेअसर करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने का निर्देश दिया था। उपराज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकवाद का समर्थन और वित्तपोषण करने वालों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

पुलिस में रहकर आतंकियों की मदद

फिरदौस अहमद भट 2005 में एसपीओ के रूप में नियुक्त हुआ और 2011 में कांस्टेबल बन गया। उसे मई 2024 में गिरफ्तार किया गया। वह कोट भलवाल जेल में बंद है। फिरदौस भट को जम्मू-कश्मीर पुलिस में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी इकाई के संवेदनशील पद पर तैनात किया गया था। हालांकि, उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करना शुरू कर दिया। मई 2024 में फिरदौस भट का पर्दाफाश हुआ जब दो आतंकवादियों- वसीम शाह और अदनान बेग को अनंतनाग में पिस्तौल और हैंड ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि फिरदौस भट ने लश्कर के दो अन्य स्थानीय आतंकवादियों- ओमास और अकीब को वसीम और अदनान को गैर-स्थानीय नागरिकों और अनंतनाग आने वाले पर्यटकों पर आतंकी हमले करने के लिए हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने का काम सौंपा था। पूछताछ के दौरान फिरदौस भट ने सच उगल दिया। फिरदौस भट साजिद जट्ट का करीबी सहयोगी था जिसने उसे पाकिस्तान से एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क को संचालित करने में मदद की।

वन विभाग का अर्दली आतंकियों की मददगार

निसार अहमद खान 1996 में वन विभाग में सहायक के तौर पर शामिल हुआ था। वह गुप्त रूप से हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया और उनके लिए जासूसी करता था। हिजबुल मुजाहिदीन के साथ उसके संबंध पहली बार वर्ष 2000 में सामने आए जब अनंतनाग जिले के चमारन में एक बारूदी सुरंग विस्फोट हुआ। इस हमले को हिजबुल मुजाहिदीन ने अंजाम दिया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन बिजली मंत्री गुलाम हसन भट मारे गए थे।

नासिर खान और एक अन्य आरोपी ने तत्कालीन मंत्री और दो पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान की थी। नासिर ने विस्फोट में इस्तेमाल आरडीएक्स की तस्करी में भी मदद की और आतंकी हमले का समन्वय किया।

शिक्षक बना लश्कर का ओवरग्राउंड वर्कर

रियासी निवासी अशरफ भट को 2008 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था। उसे 2013 में स्थायी शिक्षक बना दिया गया। एक शिक्षक के रूप में काम करते हुए अशरफ ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रति निष्ठा की शपथ ली और एक ओवरग्राउंड वर्कर बन गया। वर्ष 2022 में उसकी गतिविधियों का पता चला और उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वर्तमान में वह रियासी की जिला जेल में बंद है।

एक शिक्षक के तौर पर अशरफ भट युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकी गतिविधियों के लिए वित्त जुटाने और हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों के परिवहन में कोऑर्डिनेट करने में लश्कर-ए-तैयबा की मदद की।

कौन हैं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की विदेशी पत्नी एलिजाबेथ? जिसको लेकर आक्रामक हो रहे असम के सीएम सरमा

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असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्व सरमा और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई आमने सामने हैं। दोनों नेताओं के विवाद के बीच की वजह हैं कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की ब्रिटिश मूल की उनकी पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न। बिस्वा सरमा के गोगोई और उनकी ब्रिटिश मूल की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न पर सवाल उठाने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। बिस्वा ने गोरव की पत्नी पर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी- आईएसआई से संपर्क रखने के आरोप लगाए हैं। सरमा ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की दस साल पहले भारत में उस समय पाकिस्तान के हाई कमिश्नर के साथ हुई मीटिंग को लेकर सवाल उठाए और इसे उनकी पत्नी एलिजाबेथ गोगोई से जोड़ा है। इसके बाद भाजपा ने इस बात को लेकर ना केवल गौरव गोगोई को घेरा है, बल्कि कांग्रेस पर भी हमलावर है।

हिमंत का आरोप

सबसे पहले मामले की जड़ मे चलते है, यानी जानते हैं कि मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा गौरव गोगोई को लेकर आखिर कहा क्या है। बिस्वा सरमा ने गुरुवार, 13 फ़रवरी को एक्स पर लिखा, "2015 में भारत में पाकिस्तानी उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने पहली बार बने सांसद (गौरव गोगोई) और उनके स्टार्टअप, पॉलिसी फॉर यूथ को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में भारत-पाकिस्तान संबंधों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया था। उल्लेखनीय बात यह है कि यह सांसद उस समय विदेशी मामलों की संसदीय समिति तक के सदस्य नहीं थे। जिससे उनके पाकिस्तानी उच्चायोग जाने की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं। गोगोई ऐसे वक़्त में पाकिस्तानी उच्चायोग गए जब भारत ने अपने अंदरूनी मामलों में उच्चायोग के दख़ल और हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के नेताओं से उसके संपर्क करने को लेकर आधिकारिक विरोध जताया था।"

मुख्यमंत्री सरमा ने ये भी लिखा कि इस मुलाकात के फौरन बाद 'द हिंदू' में प्रकाशित लेख में सांसद के स्टार्टअप ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) की आलोचना करते हुए अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से निपटने के उनके तरीक़ों पर एतराज जताया। गोगोई के संसद की कार्रवाई के दौरान पूछे गए प्रश्नों का जिक्र करते हुए हिमंत ने उनकी मंशा पर सवाल उठाए और इशारा किया कि संवेदनशील रक्षा मामलों की तरफ़ उनका ध्यान लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने इस पोस्ट में ये भी लिखा कि ये सभी डेवलपमेंट उनकी एक ब्रितानी महिला से शादी के बाद होने शुरु हुए। उन महिला का प्रोफेशनल बैकग्राउंड और भी कई संदेहों को जन्म देता है।

इससे पहले हिमंत ने एक और पोस्ट में लिखा था, "आईएसआई से संबंधों, युवाओं को ब्रेनवॉश करने और कट्टरपंथी बनाने के लिए पाकिस्तानी दूतावास में ले जाने तथा पिछले 12 वर्षों से भारतीय नागरिकता लेने से इनकार करने के आरोपों से जुड़े गंभीर सवालों के जवाब दिए जाने की आवश्यकता है।"

इससे पहले बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था, "विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई की पत्नी एलिज़ाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान योजना आयोग के सलाहकार अली तौकीर शेख और आईएसआई से संबंध पाए गए हैं। यह बेहद चिंताजनक है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। इसलिए उम्मीद है कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और गौरव गोगोई पाकिस्तान और आईएसआई के साथ उनके संबंधों के बारे में स्पष्ट करेंगे।"

कौन हैं एलिजाबेथ?

ब्रिटेन में जन्मी एलिज़ाबेथ कोलबर्न से गौरव गोगोई की मुलाकात 2010 में हुई थी जब वे दोनों संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की एक समिति में एक साथ इंटर्नशिप कर रहे थे। एलिजाबेथ का परिवार लंदन में बसा है। तीन साल बाद यानी 2013 में गौरव गोगोई ने नई दिल्ली में एलिजाबेथ से शादी कर ली। एक जानकारी के अनुसार एलिजाबेथ ने मार्च 2011 से जनवरी 2015 तक सीडीकेएन (क्लाइमेट डेवलपमेंट एड नॉलेज नेटवर्क) के साथ काम किया था।

सीडीकेएन की वेबसाइट के अनुसार यह संस्था ग़रीब और जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे सबसे अधिक संवेदनशील लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाने की दिशा में काम करती है। एलिजाबेथ इस संस्था के लिए भारत-पाकिस्तान और नेपाल में काम कर चुकी हैं। जलवायु परिवर्तन से जुड़े उनके कई लेख सीडीकेएन की वेबसाइट पर मौजूद है।

एलिज़ाबेथ ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की पढ़ाई की है। वह इस समय ऑक्सफ़ोर्ड पॉलिसी मैनेजमेंट से जुड़ी हुई हैं, जो जलवायु परिवर्तन से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए काम करती है। सांसद गौरव गोगोई ने 2024 के आम चुनाव में जो हलफनामा दाखिल किया है उसमें पत्नी के काम की जानकारी के तौर पर उन्हें ऑक्सफ़ोर्ड पॉलिसी मैनेजमेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में वरिष्ठ सलाहकार बताया गया है।

हिमंत क्यों गौरव के पीछे पड़े?

असम के ही जोरहाट से सांसद गौरव गोगोई लोकसभा में कांग्रेस के डिप्टी लीडर हैं। अब सवाल ये उठाता है कि असम के सीएम अपने ही राज्य के कांग्रेस नेता पर इतने ज्यादा आक्रामक क्यों हैं?दरअसल, इस पूरे विवाद को हिमंता और गोगोई के बीच प्रतिद्वंद्विता के महज एक पड़ाव के रूप में देखा जाना चाहिए। दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई करीब डेढ़ दशक पहले शुरू हुई थी, जब हिमंता, गौरव के पिता तरुण गोगोई के करीबी हुआ करते थे। 90 के दशक में हिमंता ने कांग्रेस से राजनीति की शुरुआत की थी। हिमंता कांग्रेस में तेजी से आगे बढ़े। वह 2001 में पहली बार जालुकबाड़ी सीट से विधायक बने। विधानसभा पहुंचने के साथ ही हिमंता की नज़दीकियां मुख्यमंत्री तरुण गोगोई से बढ़ती गईं। हिमंता 2001 से लगातार तीन बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए और तरुण गोगोई भी लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने।

दूसरे ही कार्यकाल में हिमंता को कैबिनेट में जगह मिल गई। ना सिर्फ मंत्री बने मुख्यमंत्री गोगोई ने स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसे अहम मंत्रालय हिमंता को सौंपे। इस दौरान सरमा तरुण गोगोई के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक बन गए। लेकिन अक्सर इस तरफ की राजनीतिक मित्रताओं में 'पुत्रमोह' आड़े आ जाता है।

तरुण गोगोई के तीसरे कार्यकाल में हिमंत (तब वो कांग्रेस में थे) उम्मीद लगाकर बैठे थे कि आगे उन्हें सीएम बनने का मौका मिलेगा। लेकिन तरुण गोगोई ने 2014 में अपने बेटे गौरव गोगोई को लोकसभा चुनाव में खड़ा कर राजनीति में एंट्री करवा दी। इस समय गौरव असम में एक बड़े नेता हैं। क्योंकि हिमंता ने गौरव की पुरानी लोकसभा सीट कलियाबोर को परिसीमन के तहत खत्म कर दिया था ताकि गौरव मुसलमानों के वोट से जीत न सकें। लेकिन गौरव ने 2024 के लोकसभा चुनाव में हिंदू बहुल जोरहाट सीट से जीत दर्ज कर हिमंता को बड़ा झटका दे दिया। लिहाजा गौरव असम में सीएम सरमा के बड़े प्रतिद्वंद्वी बनकर सामने आ गए है।

अवैध प्रवासियों के विमान की अमृतसर में लैंडिंग पर रार, भड़के मान, कांग्रेस के साथ अकाली दाल का मिला साथ

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अमेरिका का एक सैन्य विमान देश में अवैध रूप से रह रहे 119 भारतीयों को लेकर आज रात अमृतसर पहुंचेगा। यह डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यहां से निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का दूसरा जत्था होगा। अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे भारतीय नागरिकों को भारत भेजने मामले में एक नया विवाद शुरू हो गया है। ये विवाद अवैध प्रवासियों के विमान के अमृतसर में उतारने को लेकर खड़ा हो गया। पंजाब के राजनीतिक दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने आरोप लगाया है कि अमृतसर में अमेरिकी विमान की लैंडिंग राज्य को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और शिरोमणि अकाली दल ने भी अब भगवंत मान का समर्थन किया है।

यूएस डिपोर्टेशन पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। भगवंत मान ने केंद्र पर पंजाब और पंजाबियों को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि केंद्र अमृतसर जैसे पवित्र शहर को ‘डिपोर्टेशन सेंटर’ बना रही है। यूएस से डिपोर्ट किए जाने का मुद्दा जब संसद तक पहुंचा था तो विपक्ष के सवालों का सरकार को जवाब देना पड़ गया था। विदेश मंत्री एस जयशकर ने राज्यसभा में बयान जारी कर विपक्षी सांसदों के सवालों का जवाब दिया।

सीएम भगवंत मान कहा कि बीजेपी की सरकार पंजाब के साथ भेदभाव करती है और राज्य को बदनाम करने का कोई मौका नहीं चूकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार साजिश के तहत अप्रवासियों को अमृतसर ला रही है। मान ने बताया कि अमेरिका से आने वाले दूसरे जत्थे में सिर्फ 67 पंजाब के हैं, जबकि हरियाणा के 33, गुजरात के 8, यूपी के 3 पैसेंजर हैं। इसके अलावा गोवा, महाराष्ट्र और राजस्थान के भी दो-दो अप्रवासी है। हिमाचल और जम्मू-कश्मीर का भी एक-एक पैसेंजर है।

मान को मनीष तिवारी का साथ

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी भगवंत मान के आरोपों का समर्थन किया है। मनीष तिवारी ने कहा कि बुनियादी बात है यह है कि जो लोग अमेरिका गए थे, चाहे वह पंजाब से थे या गुजरात से थे या हरियाणा से थे, वे सभी आर्थिक मौके के लिए अमेरिका गए थे। भगवंत मान की बात बिल्कुल सही है कि उनको पंजाब में क्यों लाया जा रहा है? यह विमान दिल्ली में भी लैंड कर सकता था। केंद्र सरकार क्या संदेश देना चाह रही है? आप यह संदेश देना चाहते हैं कि जो लोग बाहर जाते हैं वे सिर्फ पंजाब से जाते हैं।

शिवसेना (यूबीटी) का समर्थन

भगवंत मान के अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों को अमृतसर लाने वाले विमानों पर दिए गए बयान पर शिवसेना (यूबीटी) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने समर्थन जताया। उन्होंने कहा कि भगवंत मान बिलकुल सही हैं। पहले विमान में जिन अप्रवासियों को अमानवीय परिस्थितियों में वापस लाया गया, उनमें ज्यादातर लोग गुजरात के थे। उन्होंने कहा कि उस विमान को गुजरात में उतरना चाहिए था, लेकिन वह अमृतसर में उतरा, ताकि यह दिखाया जा सके कि सभी अवैध अप्रवासी पंजाब से हैं और पंजाब ही आर्थिक संकट में फंसा हुआ राज्य है। साथ ही प्रियंका चतुर्वेदी ने यह भी कहा कि अगर सरकार एजेंटों पर कड़ी कार्रवाई नहीं कर पा रही है, तो यह सरकार की विफलता है।

अकाली दल ने भी दिया साथ

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान पर शिरोमणि अकाली दल के नेता और पंजाब के पूर्व मंत्री गुलज़ार सिंह रानीके ने अपनी राय रखी है। पूर्व मंत्री ने कहा कि यह पंजाब का दुर्भाग्य है कि केंद्र सरकारें हमेशा पंजाब को बदनाम करने की कोशिश करती रही हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब एक बॉर्डर स्टेट है और अमृतसर ज़िला भी बॉर्डर के पास है। ऐसे में अमेरिका जाने वाले कथित अवैध प्रवासियों को ले जाने वाले विमानों का उतरना पंजाब को बदनाम करने की साजिश है। यह दिखाने की कोशिश है कि सिर्फ़ पंजाबी ही अवैध प्रवासी हैं। ये विमान कहीं और भी उतर सकते हैं।

अरविंद केजरीवाल की बढ़े वाली है मुसीबत, सीएम आवास रिनोवेशन की होगी जांच, CVC ने दिए आदेश

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दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुसीबत बढ़ने वाली है। दरअसल, सेंट्र्रल विजिलेंस कमिशन यानी सीवीसी ने दिल्ली के सीएम आवास के नवीनीकरण और लग्जरी चीजों की खरीद के लिए अरविंद केजरीवाल द्वारा कराए गए खर्च की जांच करने का आदेश दिया है। सीवीसी ने 13 फरवरी को जांच के आदेश जारी किए हैं। आदेश सेंट्रल पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट (सीपीडब्यूडी) की रिपोर्ट सामने आने के बाद दिया। बता दें कि सिविल लाइंस इलाके में 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित बंगला 2015 से अक्टूबर 2024 तक, दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में अरविंद केजरीवाल का आधिकारिक निवास था। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों पर पद से इस्तीफा देने के बाद इसे खाली कर दिया था।

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के विधायक विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री आवास पर किए गए खर्च की शिकायत की थी।विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भी इसे लेकर पत्र लिखा था। उन्होंने पत्र के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 6, फ्लैग स्टाफ रोड स्थित सरकारी आवास पर अवैध निर्माण और नियमों के घोर उल्लंघन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। साथ उप-राज्यपाल वीके सक्सेना से आग्रह किया था कि संपत्ति को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाए और आस-पास की सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण को बिना देरी के हटाया जाए।

एलजी को लिखे अपने पत्र में विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया था कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक धन का उपयोग करके अपने आधिकारिक आवास को शीश महल में बदल दिया, जो पूरी तरह से अवैध और अनैतिक था। ऐसे में संपत्ति को उसकी मूल स्थिति में बहाल किया जाए और आस-पास की सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण को बिना देरी के हटाया जाए। इस शिकायत पर ही कार्रवाई करते हुए ये आदेश जारी किए गए हैं।

वहीं, 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित बंगले में रिनोवेशन को लेकर सें सीपीडब्यूडी की रिपोर्ट में कहा गया कि 40,000 वर्ग गज (8 एकड़) में बने बंगले के निर्माण में कई नियमों को तोड़ा गया। दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने आरोप लगाया था कि बंगले के रेनोवेशन में 45 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए गए हैं। भाजपा ने बंगले को केजरीवाल का शीशमहल नाम दिया है।

एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों को फिर दिखाया आईना, लोकतंत्र पर खतरे को लेकर दिया ये जवाब

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विदेश मंत्री एस जयशंकर अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। एक बार फिर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पूरी दुनिया को भारत की मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था की झलक दिलाई। साथ ही ‘खतरे में लोकतंत्र’ का झंडा बुलंद करने वाले पश्चिमी देशों को आईना भी दिखाया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने भारत समेत दुनियाभर के लोकतंत्र पर बात की। विदेश मंत्री ने पश्चिमी देशों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे लोग लोकतंत्र को वेस्टर्न कैरेक्टरिस्टिक मानते हैं।

मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं-जयशंकर

म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में ‘लाइव टू वोट अनदर डे: फोर्टिफाइंग डेमोक्रेटिक रेजिलिएंस’ पर चर्चा के दौरान जब विदेश मंत्री जयशंकर से पूछा गया कि क्या विश्व स्तर पर लोकतंत्र संकट में है? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि मैं इस पैनल में जितने भी लोग बैठे हैं, उसमें मैं सबसे आशावादी व्यक्ति हूं। यहां अधिकतर लोग निराशावादी दृष्टिकोण रखते हैं।

लोकतंत्र केवल सिद्धांत नहीं, डिलीवर किया गया एक वादा-जयशंकर

जर्मनी के म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस में जब उनसे पूछा गया कि क्या वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र खतरे में है, तो उन्होंने स्याही लगी इंडेक्स फिंगर दिखा दी। अपनी उंगली दिखाते हुए जयशंकर ने कहा, हमारे लिए, लोकतंत्र केवल एक सिद्धांत नहीं बल्कि एक डिलीवर किया गया वादा है। भारतीय विदेश ने इस दावे को खारिज करतो हुए कहा कि मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं। मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूं। बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।

भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जो कहा जा रहा है कि दुनियाभर में लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन मेरा ऐसा मानना नहीं है। लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है और लोकतंत्र ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है।' उन्होंने माना कि 'लोकतंत्र के लिए चुनौतियां भी हैं और अलग-अलग देशों में हालात अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है। भारतीय विदेश मंत्री ने कहा कि भारत ने आजादी के बाद ही लोकतंत्र के मॉडल को अपनाया। पश्चिम के देश मानते हैं कि लोकतंत्र उनकी देन हैं, लेकिन वैश्विक दक्षिण के देश मानते हैं कि भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरे तक बैठा हुआ है।

नए मुख्य चुनाव आयुक्त के नियुक्ति के लिए 17 फरवरी को बैठक, पीएम मोदी-राहुल गांधी करेंगे चयन पर मंथन

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मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। इससे पहले नए सीईसी के सिलेक्शन को लेकर 17 फरवरी को बैठक बुलाई गई है। मीटिंग में पीएम मोदी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल के अलावा नेता विपक्ष राहुल गांधी भी शामिल होंगे। कमेटी की सिफारिश के बाद राष्ट्रपति अगले सीईसी की नियुक्ति करेंगी।

अब तक सबसे सीनियर चुनाव आयुक्त (ईसी) को सीईसी के रूप में प्रमोट किया जाता रहा है। राजीव कुमार के बाद ज्ञानेश कुमार सबसे सीनियर ईसी हैं। उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक है। ऐसे में एक नया सीईसी भी नियुक्त किया जा सकता है। सुखबीर सिंह संधू दूसरे सीईसी हैं।

17 फरवरी को पैनल कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल की अध्यक्षता वाली सर्च कमेटी द्वारा तैयार की गई पांच नामों की सूची में से एक नाम का चयन करेगा। सूत्रों के मुताबिक, सिलेक्शन कमिटी में पीएम, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और पीएम की ओर से नामित एक केंद्रीय मंत्री शामिल होंगे। बैठक में सर्च कमिटी की ओर से शॉर्टलिस्ट नाम रखे जाएंगे। सिलेक्शन कमिटी एक नाम फाइनल करके उसकी सिफारिश करेगी। कमिटी की सिफारिश के आधार पर राष्ट्रपति मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करेंगे।

नए कानून के आधार पर पहली बार नियुक्ति

यह पहली बार होगा जब किसी मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन नए कानून - मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा की शर्तें और पद की अवधि) अधिनियम, 2023 के प्रावधानों के तहत किया जाएगा। इससे पहले, चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों (सीईसी) की नियुक्ति सरकार की सिफारिशों के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती थी। यह कानून सुप्रीम कोर्ट द्वारा मार्च 2023 में दिए गए अपने फैसले के बाद लागू हुआ था, जिसमें उसने एक चयन समिति के गठन का आदेश दिया था और कहा था कि इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होने चाहिए। अदालत ने कहा था कि यह आदेश तब तक लागू रहेगा जब तक संसद द्वारा कानून नहीं बना दिया जाता। हालाँकि, जब कानून पारित हुआ, तो केंद्र ने मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर एक केंद्रीय मंत्री को पैनल के तीसरे सदस्य के रूप में नियुक्त कर दिया, जिससे सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया में प्रमुख भूमिका मिल गई।

सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी को सुनवाई

कानून के पारित होने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट 19 फरवरी को उस याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें चुनाव आयुक्त और मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बनाए गए नए कानून को चुनौती दी गई है। 2023 के कानून के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में मुख्य न्यायाधीश को हटा दिया गया था। नए कानून के तहत नियुक्ति करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और एक केंद्रीय मंत्री को रखा गया है। याची ने कहा कि 2023 के कानून ने चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सीजेआई को हटा दिया और प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और एक केंद्रीय मंत्री की समिति को इसका अधिकार दिया। याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि चुनाव आयोग को राजनीतिक और कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाना चाहिए, ताकि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किए जा सके।

राजीव कुमार इन चुनावों को सफलतापूर्वक किया नेतृत्व

राजीव कुमार को मई 2022 में मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनके नेतृत्व में चुनाव आयोग ने 2024 में लोकसभा चुनाव को सफलतापूर्वक कराया। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में एक दशक से अधिक समय बाद शांतिपूर्ण तरीके से विधानसभा चुनाव भी उनके नेतृत्व में हुए। लोकसभा चुनाव के बाद इस साल महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराए गए। साल 2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार की देखरेख में कर्नाटक, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव कराए गए थे।

अमेरिका से 119 प्रवासी भारतीयों को लेकर आ रहा एक और विमान, क्या फिर बेड़ियों-हथकड़ियों में होगी वापसी?

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अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को वापस भेजने का सिलसिला जारी है। डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के तहत एक और अमेरिकी सैन्य परिवहन विमान सी-17 ग्लोबमास्टर-III 16 फरवरी को अमृतसर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरेगा। इसमें करीब 119 भारतीय नागरिक होंगे, जो अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे।यह डोनाल्ड ट्रंप के पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद यहां से निर्वासित किया जाने वाला भारतीयों का दूसरा जत्था होगा। इससे पहले महीने की शुरुआत में 104 अवैध अप्रवासियों का एक बैच अमृतसर पहुंचा था। दूसरे जत्थे के निर्वासित लोगों में पंजाब से 67, हरियाणा से 33, गुजरात से आठ, उत्तर प्रदेश से तीन, राजस्थान-महाराष्ट्र से दो-दो और जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश से एक-एक व्यक्ति शामिल हैं।

पीएम मोदी ने कहा-अवैध अप्रवासी को भारत स्वीकार करेगा

पीएम मोदी की दो दिवसीय यूएस यात्रा कल यानी शुक्रवार को ही संपन्न हुई है। एक ओर जहां पीएम मोदी अमेरिका से वापस भारत लौटने की तैयारी कर रहे थे, ठीक उसी वक्त ट्रंप प्रशासन अवैध प्रवासी भारतीयों की दूसरी खेप को डिपोर्ट करने की तैयारी में लगा था। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने यूएस दौरे के दौरान ट्रंप के सामने साफ किया कि अमेरिका में रहने वाले अवैध अप्रवासी नागरिकों को भारत स्वीकार करेगा। यह केवल भारत का मुद्दा नहीं है। यह एक वैश्विक समस्या है। जो लोग अवैध तरीके से दूसरे देशों में रह रहे हैं, उन्हें वहां रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। हम अवैध अप्रवासी भारतीयों को वापस लेने के लिए तैयार हैं।

क्या दिखेगा पीएम मोदी के दौरे का असर?

डिपोर्टेशन पर संसद में मचे हल्ले के बाद भारत सरकार ने अमेरिकी अधिकारियों से इस मामले में बात की है। पीएम मोदी के यूएस दौरे पर भी इस मुद्दे को उठाया गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रंप प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है? उम्मीद की जा रही है कि पीएम मोदी की ट्रंप से मुलाकात का असर इस डिपोर्टेशन पर दिख सकता है। यानी अवैध प्रवासी भारतीयों के हाथों में हथकड़ी और पैरों में बेड़ियां नहीं लगनी चाहिए।

10 दिन पहले आया था पहला जत्था

अमेरिका से ऐसे अवैध प्रवासी भारतीयों का पहला जत्था 5 फरवरी को अमृतसर पहुंचा था। तब 104 लोगों को अमेरिकी सैन्य विमान में हथकड़ी और बेड़ियों से जकड़कर लाया गया था। इस पर सड़कों से लेकर संसद तक हंगामा भी मचा था। भारतीयों के प्रति इस तरह के अमानवीय व्यवहार की निंदा हुई थी। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार की कूटनीति तक पर सवाल खड़े किए थे। विपक्षी दलों का कहना था कि अवैध प्रवासियों का डिपोर्टेशन पहले भी होता आया है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि इन्हें सैन्य विमान में अमानवीय परिस्थितियों में भेजा जाए। विपक्षी नेताओं की मांग थी कि मोदी सरकार को इस मामले में अमेरिका से बात करनी चाहिए।

फ्रांस-अमेरिका की यात्रा के बाद देश लौटे पीएम मोदी, दिल्ली में सरकार गठन की सुगबुगाहट हुई तेज

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फ्रांस और अमेरिका की अपनी यात्रा समाप्त करने के बाद शुक्रवार को दिल्ली लौट आए। उनकी फ्लाइट शुक्रवार देर रात पालम हवाई अड्डे पर लैंड हुई। अपनी यात्रा के दौरान, पीएम मोदी ने फ्रांस में एआई शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की और अमेरिका में उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी मुलाकात की। पीएम के स्वदेश लौटते ही दिल्ली में सरकार गठन की सुगबुगाहट तेज हो गई है।

द‍िल्‍ली का सीएम कौन होगा? इस पर फैसला आज या कल हो सकता है। शुक्रवार को बीजेपी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने द‍िल्‍ली के संगठन नेताओं की बैठक ली, जिसमें सरकार का खाका तय क‍िया गया। इस बैठक में बी एल संतोष, वीरेंद्र सचदेवा, हर्ष मल्होत्रा, पवन राणा मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में 48 विधायकों में से 15 विधायकों की एक लिस्ट तैयार कर ली गई है और इसी लिस्ट से 9 विधायकों का चुनाव किया जाएगा जो दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्री होंगी। प्रधानमंत्री मोदी के अमेर‍िका से लौट के बाद आज इस पर बैठक होगी और पीएम मोदी इस पर आख‍िरी फैसला ले सकते हैं।

पीएम के साथ गृह मंत्री अमित शाह, जेपी नड्डा और बीजेपी के शीर्ष नेताओं की बैठक होगी। आज या कल पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग होने वाली है और इसमें मंथन के बाद दिल्ली के नए सीएम का नाम सामने आ जाएगा। सूत्रों के मुताबिक, 17 या 18 फरवरी को विधायक दल की मीटिंग हो सकती है और 19 या 20 फरवरी को शपथ ग्रहण संभव है। यानी दिल्ली को नई सरकार अगले हफ्ते मिलने की संभावना है।

भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि पीएम मोदी के आते ही भाजपा विधायक दल की बैठक के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। राजौरी गार्डन से विधायक सिरसा खुद भी मंत्री-मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे हैं। उन्‍होंने कहा क‍ि नई सरकार 19-20 फरवरी के आसपास काम करना शुरू कर देगी। सिरसा ने कहा, उम्मीद है कि भाजपा विधायक दल की बैठक 18-19 फरवरी के आसपास होगी। मुझे लगता है कि शपथ ग्रहण समारोह के बाद 20 फरवरी तक नई सरकार का गठन हो जाएगा।

गृह मंत्रालय ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस चलाने की राष्ट्रपति से मांगी अनुमति, जानें पूरा मामला

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केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आम आदमी पार्टी के नेता सत्येंद्र जैन के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति मांगी है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुबातिक, सूत्रों से खबर मिली है कि सत्येंद्र जैन के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 218 के तहत मंजूरी मांगी गई है। इसके साथ ही आप नेता सत्येंद्र जैन की मुश्किलें बढ़ गई है।

क्यों मांगी गई इजाजत

आप नेता सत्येंद्र जैन पर ट्रायल चलाने के लिए राष्ट्रपति से इजाजत इसीलिए मांगी गई है क्योंकि धारा 218, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के तहत, न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेटों, पब्लिक सर्वेंट और सशस्त्र बलों के सदस्यों को आधिकारिक कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए किए गए अपराधों के अभियोजन के लिए सुरक्षा देते हैं। यह प्रावधान सुनिश्चित करते हैं कि सरकारी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे बिना उचित जांच-पड़ताल और सरकारी मंजूरी के न चलाए जाएं। हालांकि, कुछ मामलों में समय सीमा और अपवाद दिए गए हैं ताकि न्याय में देरी न हो।

सत्येंद्र जैन पर क्या मामला था दर्ज*

आप नेता सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज है। उन पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला अगस्त 2017 के उस केस से जुड़ा है, जिसमें सीबीआई ने आप नेता पर आय से अधिक संपत्ति रखने के लिए एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद दिसंबर 2018 में सीबीआई ने आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि आप नेता की संपत्ति 1.47 करोड़ रुपये थी, जो 2015-17 के बीच जैन की इनकम सोर्सेंज से लगभग 217 फीसदी ज्यादा थी।

सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशायल (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में 30 मई, 2022 को गिरफ्तार किया था। दिल्ली राउज एवेन्यू कोर्ट ने 18 अक्तूबर, 2024 को उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि केस का ट्रायल जल्द पूरा होने की उम्मीद नहीं है। तब से वो जमानत पर रिहा हैं। जैन के तिहाड़ जेल में रहते मसाज करने का वीडियो वायरल हुआ था।