जम्मू-कश्मीर में तीन सरकारी कर्मचारी बर्खास्त, टेरर लिंक मामले में एलजी मनोज सिन्हा का बड़ा एक्शन
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जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है। तीनों कर्मचारियों पर टेरर लिंक मामले में गाज गिरी है। इनमें एक पुलिस कांस्टेबल, एक शिक्षक और वन विभाग का कर्मचारी शामिल हैं। उपराज्यपाल ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत इन कर्मचारियों को बर्खास्त किया। जांच में यह पाया गया कि इनकी आतंकवादी संगठनों से संबंध थे।
बर्खास्त तीनों कर्मचारी अलग-अलग आतंकवाद से जुड़े मामलों में जेल में बंद हैं। इनमें से एक पुलिस कांस्टेबल फिरदौस अहमद भट को कथित तौर पर क्षेत्र में सक्रिय आतंकवादी समूहों के साथ कथित संबंधों के चलते गिरफ्तार किया गया था। सुरक्षा एजेंसियों का दावा है कि फिरदौस अहमद ने आतंकवादी संगठनों को साजोसामान और दूसरी सहायता दी। मोहम्मद अशरफ भट, जो एक टीचर है उन पर छात्रों को कट्टरपंथी बनाने और प्रतिबंधित संगठनों के साथ संबंध बनाए रखने का आरोप लगाया गया था। वहीं, वन विभाग का निसार अहमद खान कथित तौर पर कश्मीर के जंगली इलाकों में आतंकवादियों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाने में शामिल था।
यह बड़ी कार्रवाई उपराज्यपाल की अध्यक्षता में सुरक्षा समीक्षा बैठक के एक दिन बाद की गई। बैठक में उपराज्यपाल ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों और परदे के पीछे छिपे आतंकी तंत्र को बेअसर करने के लिए आतंकवाद विरोधी अभियान तेज करने का निर्देश दिया था। उपराज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकवाद का समर्थन और वित्तपोषण करने वालों को बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
पुलिस में रहकर आतंकियों की मदद
फिरदौस अहमद भट 2005 में एसपीओ के रूप में नियुक्त हुआ और 2011 में कांस्टेबल बन गया। उसे मई 2024 में गिरफ्तार किया गया। वह कोट भलवाल जेल में बंद है। फिरदौस भट को जम्मू-कश्मीर पुलिस में इलेक्ट्रॉनिक निगरानी इकाई के संवेदनशील पद पर तैनात किया गया था। हालांकि, उसने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करना शुरू कर दिया। मई 2024 में फिरदौस भट का पर्दाफाश हुआ जब दो आतंकवादियों- वसीम शाह और अदनान बेग को अनंतनाग में पिस्तौल और हैंड ग्रेनेड के साथ गिरफ्तार किया गया। जांच में पता चला कि फिरदौस भट ने लश्कर के दो अन्य स्थानीय आतंकवादियों- ओमास और अकीब को वसीम और अदनान को गैर-स्थानीय नागरिकों और अनंतनाग आने वाले पर्यटकों पर आतंकी हमले करने के लिए हथियार और गोला-बारूद मुहैया कराने का काम सौंपा था। पूछताछ के दौरान फिरदौस भट ने सच उगल दिया। फिरदौस भट साजिद जट्ट का करीबी सहयोगी था जिसने उसे पाकिस्तान से एक बड़े आतंकवादी नेटवर्क को संचालित करने में मदद की।
वन विभाग का अर्दली आतंकियों की मददगार
निसार अहमद खान 1996 में वन विभाग में सहायक के तौर पर शामिल हुआ था। वह गुप्त रूप से हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया और उनके लिए जासूसी करता था। हिजबुल मुजाहिदीन के साथ उसके संबंध पहली बार वर्ष 2000 में सामने आए जब अनंतनाग जिले के चमारन में एक बारूदी सुरंग विस्फोट हुआ। इस हमले को हिजबुल मुजाहिदीन ने अंजाम दिया था जिसमें जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन बिजली मंत्री गुलाम हसन भट मारे गए थे।
नासिर खान और एक अन्य आरोपी ने तत्कालीन मंत्री और दो पुलिसकर्मियों की हत्या के लिए आतंकवादियों को रसद सहायता प्रदान की थी। नासिर ने विस्फोट में इस्तेमाल आरडीएक्स की तस्करी में भी मदद की और आतंकी हमले का समन्वय किया।
शिक्षक बना लश्कर का ओवरग्राउंड वर्कर
रियासी निवासी अशरफ भट को 2008 में रहबर-ए-तालीम शिक्षक के पद पर नियुक्त किया गया था। उसे 2013 में स्थायी शिक्षक बना दिया गया। एक शिक्षक के रूप में काम करते हुए अशरफ ने लश्कर-ए-तैयबा के प्रति निष्ठा की शपथ ली और एक ओवरग्राउंड वर्कर बन गया। वर्ष 2022 में उसकी गतिविधियों का पता चला और उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वर्तमान में वह रियासी की जिला जेल में बंद है।
एक शिक्षक के तौर पर अशरफ भट युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और आतंकी गतिविधियों के लिए वित्त जुटाने और हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों के परिवहन में कोऑर्डिनेट करने में लश्कर-ए-तैयबा की मदद की।
Feb 15 2025, 19:07