“मोदी का कोई मुकाबला नहीं”, भारतीय प्रधानमंत्री से मिलकर क्या-क्या बोले ट्रंप


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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच गुरुवार को वाइट हाउस में मुलाकात हुई। दोनों नेताओं ने अपने पुराने संबंध को याद किया और दोनों देशों के विकास के लिए साथ मिलकर काम करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। पीएम मोदी जैसे ही वाइट हाउस पहुंचे तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। दोनों नेता गले मिले।इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनसे कहीं ज्यादा कठोर वार्ताकार हैं। उनसे कोई मुकाबला ही नहीं है। बातचीत या समझौते को लेकर ट्रंप ने मोदी को खुद से कहीं ज्यादा सख्त और बेतहर बताया। पीएम मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब ट्रंप से पूछा गया कि उनमें से कौन आज ज्यादा सख्त मोलभाव कर सकता है तो ट्रंप ने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी मुझसे कहीं ज्यादा सख्त मोलभाव करने वाले हैं और वह मुझसे कहीं ज्यादा बेहतर वार्ताकार हैं। कोई मुकाबला ही नहीं है।

ट्रंप ने कहा कि मोदी अपने देश के हित को सबसे ऊपर रखते हैं। मैं उनसे हमेशा सीखता हूं। दोनों नेता एक दूसरे के गले लगे। उनके बीच ये दोस्ती इस मुलाकात से नहीं बल्कि सालों पुरानी है। उन्होंने एल्बम में पुरानी तस्वीरें देखीं और उनपर मुस्कुराते हुए दिखाई दिए। ट्रंप ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच ये दोस्ती इस मुलाकात के बाद और भी गहरी होगी।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा,'भारत के प्रधानमंत्री मोदी का हमारे साथ होना बहुत सम्मान की बात है। वे लंबे समय से मेरे बहुत अच्छे दोस्त हैं। हमारे बीच बहुत बढ़िया संबंध रहे हैं और हमने अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान इस संबंध को बनाए रखा। हमने अभी फिर से शुरुआत की है। मुझे लगता है कि हमारे पास बात करने के लिए कुछ बहुत बड़ी चीजें हैं।पहली बात है तेल और गैस की बात है और हमारे पास काफी तेल और गैस है और इंडिया में उसकी जरूरत है जो हम देंगे। बाद में बात आती है ट्रेड की, व्यापार की, इसके अलावा हमें बहुत खुशी और बहुत ही हमारे लिए एक सम्मान की बात है कि मेरे एक मित्र आज वापस यहां आए हैं और उनसे मिलकर मुझे बहुत खुशी है।

राज्यसभा में वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पेश, मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया फर्जी, कहा- हम नहीं मानेंगे

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संसद के बजट सत्र के पहले चरण का आज आखिरी कामकाजी दिन है। राज्यसभा में वक्फ विधेयक पर जेपीसी रिपोर्ट पेश की गई। राज्यसभा में जेपीसी रिपोर्ट मेधा कुलकर्णी ने पेश की। रिपोर्ट पेश होने के बाद नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि इससे कई सदस्य असहमत हैं। खरगे ने जेपीसी की रिपोर्च को फर्जी और अलोकतांत्रिक करार दिया।

खरगे ने कहा- असंसदीय रिपोर्ट

राज्यसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, विपक्ष की ओर से जो सुझाव दिए गए थे उनको कंसीडर ही नहीं किया गया। नॉन स्टेक होल्डर को बाहर से बुलाकर उनका स्टेक ले रहे हैं। क्या हम पढ़े-लिखे नहीं हैं। जानकार नहीं हैं। डिसेंट नोट पर आपको बोलना चाहिए था। ऐसी फर्जी रिपोर्ट को हम कभी नहीं मानेंगे। उन्होंने कहा कि बाहर से सदस्यों को आमंत्रित कर बयान दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसी असंसदीय रिपोर्ट को सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए। खरगे ने कहा कि अगर रिपोर्ट में असहमति के स्वर को जगह नहीं दी गई है तो ऐसी स्थिति में इसे अस्वीकार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को हर हाल में वापस किया जाना चाहिए।

टीएमसी ने राज्यसभा का किया वॉकआउट*

वहीं, टीएमसी ने वक्फ पर जेपीसी रिपोर्ट टेबल करने के दौरान वॉक आउट किया। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि ये लोकतंत्र में कैसे होगा कि आपने हमारे डिसेंट को नोट नहीं लिया। राज्य सभा में पेश कर दिया। इसलिए हमने विरोध किया कि यह रिपोर्ट जल्दबाजी में आई है।

मैं RAW का एजेंट..', पत्नी पर ISI एजेंट होने के आरोप पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई का तीखा पलटवार


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भाजपा ने बुधवार को कांग्रेस नेता गौरव गोगोई की पत्नी पर पाकिस्तान और इसकी खुफिया एजेंसी ISI से संबंध होने का आरोप लगाया। अब कांग्रेस सांसद ने बीजेपी पर जोरदार पलटवार किया है। गौरव गोगोई ने कहा, अगर मेरी पत्नी पाकिस्तान के ISI की एजेंट हैं तो मैं RAW का एजेंट हूं। दरअसल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा ने कांग्रेस के सांसद गौरव गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान और आईएसआई सं संबंध होने के दावे किए थे। विस्वा के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न के पाकिस्तान योजना आयोग के सलाहकार अली तौकीर शेख और ISI से संबंध के आरोप लगाए थे।

भाजपा के आरोपों पर गौरव गोगोई का जवाब

बीजेपी के आरोपो को लोकसभा में विपक्ष के उपनेता ने 'हास्यास्पद और मनोरंजक' बताकर खारिज कर दिया। गोगोई ने पलटवार करते हुए कहा कि भाजपा ने ऐसे 'निराधार' आरोप इसलिए लगाए हैं, क्योंकि उसके पास उठाने के लिए कोई मुद्दा नहीं है। गोगोई ने कहा, 'अगर मेरी पत्नी पाकिस्तान की ISI एजेंट हैं तो मैं भारत के RAW का एजेंट हूं। मुझे इन आरोपों से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिस परिवार पर खुद कई आरोप लगे हैं, वह मुझ पर भी आरोप लगा रहा है।' उन्होंने कहा कि असम के मुख्यमंत्री यह सब इसलिए कर रहे हैं ताकि खुद पर लगे आरोपों से ध्यान भटकाया जा सके।

सीएम हिमंत ने क्या आरोप लगाए

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और उनकी ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न को लेकर कहा था कि देर-सवेर, यह पता चल जाएगा कि जॉर्ज सोरोस के इकोसिस्टम के नेतृत्व में विदेशी शक्तियों ने 2014 में असम कांग्रेस के एक बड़े फैसले को कैसे प्रभावित किया। समय आने पर सच्चाई सामने आ जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा था कि कपल को आईएसआई के साथ अपने करीबी संबंध होने और युवा प्रभावशाली दिमागों को ब्रेनवॉश और कट्टरपंथ के लिए पाकिस्तान हाईकमीशन में ले जाने के संबंध में उठाए गए गंभीर सवालों के जवाब देने चाहिए।

भारतीय नागरिकता नहीं लेने पर भी उठाए सवाल

सरमा ने आगे कहा था कि इन चीजों पर जवाबदेही जरूरी है। देश पारदर्शिता और सच्चाई जानने का हकदार है। इस से पहले असम के मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा था कि ISI से संबंध जुड़ने पर कई गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, जिनका जवाब दिया जाना जरूरी है। उन्होंने गौरव गोगोई की पत्नी की तरफ इशारा करते हुए कहा, ब्रेनवॉशिंग और कट्टरपंथ के लिए युवाओं को पाकिस्तान दूतावास में ले जाना और पिछले 12 वर्षों से भारतीय नागरिकता लेने से इनकार करना कई सवाल खड़े करता है।

बीजेपी प्रवक्ता का भी हमला

बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी एलिजाबेथ कोलबर्न के आईएसआई से कथित संबंधों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कोलबर्न इस्लामाबाद में Climate and Development Knowledge Network (CDKN) के लिए काम कर चुकी हैं, जहां वे पाकिस्तान योजना आयोग के पूर्व सलाहकार अली तौकीर शेख के अधीन थीं। भाटिया ने यह भी आरोप लगाया कि कोलबर्न अभी तक ब्रिटिश नागरिक बनी हुई हैं और उनके राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों में शामिल होने की आशंका है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा,'उम्मीद है कि राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे जी और गौरव गोगोई पाकिस्तान और ISI के साथ अपने संबंधों के बारे में सफाई देंगे।

संसद में आज नया आयकर बिल होगा पेश, पर जेपीसी रिपोर्ट भी आएगी, हंगामे के आसार*
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संसद का बजट सत्र जारी है। आज बजट सत्र के 10वें दिन की कार्यवाही होगी। कुछ देर बार नया इनकम टैक्स बिल संसद में पेश क‍िया जाना है। नए इनकम टैक्स बिल का मकसद मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 को आम आदमी के ल‍िए आसान बनाना और मुकदमेबाजी कम करना है। मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में लागू होने के बाद से अब तक 66 बजट (दो अंतरिम बजट सहित) में काफी बदलाव देख चुका है। नया इनकम टैक्स बिल को लेकर तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। इस बिल का ड्राफ्ट भी जारी हो गया है। नए इनकम टैक्स बिल में 536 धाराएं और 23 चैप्टर हैं। मौजूदा कानून में 14 अनुसूचियां हैं जो नए कानून में बढ़कर 16 हो जाएंगी। नए बिल में चैप्टर की संख्या 23 ही रखी गई है। पेजों की संख्या काफी कम होकर 622 हो गई है, जो वर्तमान भारी-भरकम कानून का लगभग आधा है, जिसमें पिछले छह दशकों में किए गए संशोधन शामिल हैं। जब इनकम टैक्स कानून 1961 लाया गया था, तो इसमें 880 पेज थे। लोकसभा में बिल पेश किए जाने के बाद इसे विस्तृत चर्चा के लिए संसद की स्थायी समिति के पास भेजे जाने की संभावना है। प्रस्तावित कानून में कर विवादों के मामलों के शीघ्र निस्तारण के लिए नये प्रावधान किए गए हैं। *आज वक्फ बोर्ड पर जेपीसी रिपोर्ट भी होगी पेश* इसके अलावा, लोकसभा में आज वक्फ बोर्ड पर जेपीसी रिपोर्ट भी पेश होगी। इस दौरान वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने वाली संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट गुरुवार को लोकसभा और राज्यसभा के पटल पर रखी जाएगी। लोकसभा की कार्यवाही सूची के मुताबिक, समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल विधेयक से संबंधित रिपोर्ट और साक्ष्यों का रिकॉर्ड सदन के पटल पर रखेंगे। यह रिपोर्ट राज्यसभा के पटल पर भी रखी जाएगी। *वक्फ बिल पर जेपीसी रिपोर्ट पर क्या बोले जगदम्बिका पाल?* समिति के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद जगदम्बिका पाल ने कहा, 'आज जेपीसी और वक्फ की रिपोर्ट को लोकसभा अध्यक्ष ने कार्यसूची पर रखा है, जिसे आज हम प्रस्तुत करने जा रहे हैं। छह महीने पहले जब सरकार इस बिल पर संशोधन लेकर आई थी, तब केंद्रीय मंत्री और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने आग्रह किया था कि इस बिल पर विस्तार से चर्चा की जाए, क्योंकि यह देश का ज्वलंत मुद्दा है। आज जेपीसी ने पूरे छह महीने में कई बैठकों और सभी राज्यों के दौरे के बाद रिपोर्ट तैयार की है।
मोदी-ट्रंप के बीच क्या होंगे चर्चा के मुद्दे? मुलाकात पर दुनिया की नजर
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन के दौरे पर अमेरिका पहुंच गए हैं। पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक भी करेंगे, ये ट्रंप दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक होगी। प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को भारत-अमेरिका संबंधों के लिहाज से अहम माना जा रहा है। नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच बैठक में कई मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है। इसमें भारतीयों के अमेरिका से डिपोर्टशन में खराब बर्ताव, ट्रंप की टैरिफ नीति और चीन की आक्रामकता शामिल हो सकती है। *प्रवासियों को लेकर सहमति बनाने की कोशिश* नरेंद्र मोदी के इस दौरे के दौरान एक मुख्य मुद्दा भारतीय निर्वासितों के साथ मानवीय व्यवहार का हो सकता है। अमेरिका से हाल ही में 104 अवैध भारतीय अप्रवासियों के पहले जत्थे को भारत वापस भेजा गया है। भारत में अपने नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार पर भारी गुस्सा देखा गया है। भारतीयों को जंजीरों में बांधकर भेजे जाने के मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को भी आलोचना सहनी पड़ी है। ऐसे में भारत इस दौरे पर अमेरिका से नागरिकों के साथ मानवीय बर्ताव करा आश्वासन मांग सकता है। *टैरिफ का मुद्दा अहम* डोनाल्ड ट्रंप पद संभालने के बाद से व्यापार शुल्क पर काफी आक्रामक हैं। ट्रंप ने कई देशों पर टैरिफ लगाए हैं और भारत के लिए भी सख्ती के संकेत दिए हैं। ट्रंप ने हाल ही में साथ एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया है। भारतीय कंपनियां घरेलू स्टील की कीमतों पर इसके प्रभाव और अमेरिकी स्टील बाजार में जोखिम को लेकर चिंतित हैं। भारत ने नरेंद्र मोदी की यात्रा से पहले हाईएंड मोटरसाइकिलों और इलेक्ट्रिक बैटरियों पर शुल्क घटाए हैं। ऐसे में उम्मीद है कि इस मुद्दे पर दोनों पक्ष व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ बातचीत कर सकते हैं। *रक्षा उत्पादन में सहयोग बढ़ाने पर मंथन* इसके अलावा मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के दौरान भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं। इस यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल और फाइटर जेट इंजन के सह-उत्पादन को लेकर बड़ी डील हो सकती है। इसके अलावा भारत अमेरिका से माउंटेड एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल सिस्टम और सैकड़ों स्ट्राइकर व्हीकल्स खरीदने की योजना भी बना रहा है।
अमेरिका पहुंचते ही नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड से मिले पीएम मोदी, मस्क से भी होगी मुलाकात
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय अमेरिका की यात्रा पर हैं। इस दौरान वह राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात करेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप और पीएम मोदी की यह पहली मुलाकात होगी। पीएम और ट्रंप आज मुलाकात करेंगे और दोनों देशों के सहयोग, मजबूती को लेकर कई विषयों पर चर्चा करेंगे। इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका पहुंचने के बाद राष्ट्रपति ट्रंप से पहले नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड से मुलाकात की। पीएम मोदी ने तुलसी गबार्ड से मुलाकात को लेकर सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, तुलसी गबार्ड से मुलाकात हुई। उनके इस पद पर कायम होने के लिए उनको बधाई। भारत-अमेरिका की दोस्ती के कई पहलुओं पर चर्चा की। तुलसी गबार्ड एक अमेरिकी राजनीतिज्ञ सैन्य अधिकारी हैं। फिलहाल वो डोनाल्ड सरकार में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के तौर पर अपनी जिम्मेदारियां निभा रही हैं। खास बात यह है कि पीएम मोदी के साथ मुलाकात से कुछ घंटों पहले ही उनको यह पद दिया गया था। सीनेट में अंतिम मतदान के बाद बुधवार (12 फरवरी) को तुलसी गबार्ड को आधिकारिक रूप से अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक नियुक्त कर लिया गया। तुलसी गबार्ड अमेरिकी खुफिया एजेंसी का नेतृत्व करने वाली पहली हिंदू बन गई हैं। गबार्ड के हाथों में अमेरिका की 18 खुफिया एजेंसियों की कमान है। *खुद को हिंदू बताती हैं गोबार्ड* मीडिया रिपोर्ट की मानें तो तुलसी गबार्ड खुद को हिंदू बताती हैं लेकिन वह भारतीय मूल की नहीं हैं। उनकी मां ने हिंदू धर्म अपनाया था। अब तुलसी हिंदू धर्म का पालन करती हैं। दरअसल, तुलसी गबार्ड की मां हिंदू धर्म का पालन करती रही हैं जबकि पिता समोआ से हैं। हिंदू धर्म से गहरा जुड़ाव होने के कारण ही उनका नाम तुलसी रखा गया। *पीएम मोदी की एलन मस्क से मुलाकात संभव* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान एलन मस्क से मिलेंगे और इस दौरान दक्षिण एशियाई बाजार में स्टारलिंक के प्रवेश पर चर्चा हो सकती है। दरअसल, स्टारलिंक भारत में प्रवेश करना चाहता है। भारत सरकार ने मस्क के इस विचार का समर्थन किया है कि स्पेक्ट्रम की नीलामी के बजाय उसे आवंटित किया जाना चाहिए। हालांकि, स्टारलिंक के लाइसेंस आवेदन की अभी भी समीक्षा की जा रही है।
अमेरिका पहुंचे पीएम मोदी, हुआ जोरदार स्वागत, लगे 'मोदी-मोदी' के नारे
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* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिन की अमेरिका की यात्रा पर हैं। गुरुवार को पीएम मोदी जॉइंट एंड्रूज बेस पर उतरे, जहां भारतीय समुदाय के सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। भारतीय प्रवासी प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए ब्लेयर हाउस के बाहर जमा हुए और कड़ाके की ठंड के बावजूद 'मोदी, मोदी' के नारे गूंज रहे थे, भीड़ ने जयकारे लगाए और भारतीय तिरंगा भी लहराया। पीएम मोदी ने लोगों से बातचीत की और उनके गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आभार व्यक्त किया। लोगों ने भारत और अमेरिका के झंडे और 'अमेरिका नरेंद्र मोदी का स्वागत करता है' लिखे पोस्टर लिए हुए थे और पीएम मोदी की अमेरिका यात्रा पर उत्साह व्यक्त किया। बुधवार की सुबह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएम मोदी ने कहा,'सर्दियों की ठंड में गर्मजोशी से स्वागत! ठंड के मौसम के बावजूद, वाशिंगटन डीसी में भारतीय प्रवासियों ने मेरा बहुत ही खास स्वागत किया है। मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं।' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निमंत्रण पर पीएम मोदी दो दिनों की यात्रा पर अमेरिका गए हुए हैं। इस दौरे पर उनके साथ विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल मौजूद हैं। अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और अन्य अधिकारियों ने एयरपोर्ट पर उनका स्वागत किया। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति बनने के बाद पीएम मोदी की यह पहली अमेरिका यात्रा है। अमेरिका के वाशिंगटन डीसी पहुंचने पर पीएम मोदी ने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने और भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने और भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं। हमारे देश अपने लोगों के लाभ और बेहतर भविष्य के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।
पहले की 90 घंटे काम की वकालत, अब मजदूरों पर बयान, जानें क्या बोले L&T चेयरमैन सुब्रह्मण्यन

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पहले हफ्ते में 90 घंटे काम और रविवार को भी काम करने की सलाह देकर विवादों में रहे लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यम का फिर एक बयान चर्चा में है। इस बार उन्होंने नौकरी की जगह बदलने और लोगों के दफ्तर जाने की इच्छा पर टिप्पणी करके एक और विवाद को जन्म दे दिया है। उनका कहना है कि सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के कारण मजदूर अपने गांवों से बाहर जाकर काम करने को तैयार नहीं हैं।

मंगलवार को सीआईआई साउथ ग्लोबल लिंकेज शिखर सम्मेलन में बोलते हुए, उन्होंने कहा कि भारतीय श्रमिक, जिनमें तकनीकी विशेषज्ञ भी शामिल हैं, नौकरी के लिए आगे बढ़ने से हिचकिचाते हैं। इससे उद्योग के लिए चुनौतियां पैदा होती हैं। निर्माण उद्योग में श्रमिकों की कमी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जहां कई देश प्रवास की समस्याओं से जूझ रहे हैं, वहीं भारत में लोगों के काम के लिए आगे बढ़ने से अनिच्छुक होने की एक अनूठी समस्या है।

एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रमण्यम ने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं और वित्तीय सहायता की उपलब्धता के कारण श्रमिकों में नौकरी करने इच्छा खत्म हो रही है। सुब्रमण्यम ने बताया कि एलएंडटी में करीब चार लाख मजदूर काम करते हैं, लेकिन छंटनी के कारण कंपनी को सालाना करीब 60 लाख मजदूरों की व्यवस्था करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि मजदूरों को काम पर रखने के पारंपरिक तरीके बदल गए हैं, जिसमें डिजिटल संचार अब महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा, "किसी नई साइट के लिए बढ़ई लाने के लिए कंपनी उन बढ़ईयों की सूची में संदेश भेजती है, जिनके साथ वह काम कर रही है या पहले काम कर चुकी है।"

श्रमिकों की अनिच्छा के लिए सरकारी योजनाओं को ठहराया जिम्मेदार

साथ ही उन्होंने बताया कि कामगारों को काम पर रखने के लिए राजी करना एक चुनौती बनी हुई है। एलएंडटी के मुखिया के अनुसार मानव संसाधन से जुड़े मुद्दों को संबोधित करने के लिए, एलएंडटी ने श्रम के लिए एचआर नामक एक अलग विभाग बनाया है। सुब्रमण्यम ने जन धन बैंक खातों, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, गरीब कल्याण योजना और मनरेगा योजना जैसे कारकों को श्रमिकों की अनिच्छा के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा ये योजनाएं उन्हेंवित्तीय स्थिरता प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा, अगर आप तकनीकी विशेषज्ञों से कार्यालय आने को कहते हैं, तो वह अलविदा कह देते हैं। यह समस्या निर्माण मजदूरों से आगे बढ़कर इंजीनियरिंग पेशेवरों तक फैली हुई है। सुब्रह्मण्यन याद करते हुए कहा, "जब मैंने 1983 में एलएंडटी जॉइन किया था, तो मेरे बॉस ने कहा था, अगर आप चेन्नई से हैं, तो आप दिल्ली जाकर काम करें। आज अगर मैं चेन्नई से किसी लड़के को लेकर जाता हूं और उसे दिल्ली जाकर काम करने के लिए कहता हूं, तो वह अलविदा कह देता है।" उन्होंने कहा कि आईटी सेक्टर में स्थान बदलने के प्रति अनिच्छा और भी अधिक स्पष्ट है। इस सेक्टर में भी कर्मचारी ऑफिस लौटने के बजाय दूर से काम करना पसंद करते हैं।

रविवार को भी काम करने की कर चुके हैं वकालत

इससे एसएन सुब्रह्मण्यन ने रविवार को भी काम करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था, "घर पर बैठकर आप क्या करेंगे? कितनी देर तक अपनी पत्नी को देख सकते हैं? आओ, ऑफिस आकर काम करो।" उन्होंने यह भी कहा था कि वह खुद रविवार को भी काम करते हैं। उनके इस बयान पर कई उद्योगपतियों ने प्रतिक्रिया दी थी। आदर पूनावाला, आनंद महिंद्रा और आईटीसी के संजीव पुरी जैसे उद्योग जगत के दिग्गजों ने वर्क-लाइफ बैलेंस बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया था

पीएम मोदी ने फ्रांस के मार्सिले पहुंचते ही वीर सावरकर को याद किया, क्या है कारण?

#why_pm_modi_remember_veer_savarkar_reached_marseille 

प्रधानमंत्री मोदी फ्रांस दौरे के दौरान फ्रांस के दूसरे सबसे बड़े शहर और बंदरगाह मार्सिले का भी पहुंचे। मार्सिले एक ऐसा शहर जो नेपोलियन बोनापार्ट और फुटबॉलर जिनेदिन जिदान जैसी हस्तियों का घर है। यहां दुनियाभर से पर्यटक घूमने आते हैं और इस शहर की खूबसूरती का आनंद लेते हैं। वैसे, इस शहर से भारत का भी एक पुराना नाता रहा है। इस दौरान मोदी ने एक्स पर मार्सिले में 115 साल पुरानी घटना का जिक्र कर विनायक दामोदर सावरकर को भी याद किया।

फ्रांस के मार्सिले शहर में पीएम मोदी ने स्वतंत्रता सेनानी वीडी सावरकर की स्मृति में श्रद्धांजलि अर्पित की। मार्सिले में उन्होंने विनायक दामोदर सावरकर को याद किया। पीएम मोदी ने वीर सावरकर की तारीफ भी की। 

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया और लिखा, "भारत की स्वतंत्रता की खोज में इस शहर का विशेष महत्व है। यहीं पर महान वीर सावरकर ने साहसपूर्वक भागने का प्रयास किया था। मैं मार्सिले के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी कार्यकर्ताओं को भी धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश हिरासत में न सौंपा जाए। वीर सावरकर की बहादुरी आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करती है!"

मार्सिले से सावरकर के जुड़ाव की क्या है कहानी?

भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान, सावरकर को गिरफ्तार कर मुकदमे के लिए ब्रिटिश जहाज मोरिया से भारत लाया जा रहा था, तब उन्होंने 8 जुलाई, 1910 को कैद से भागने का प्रयास किया था। कहा जाता है सावरकर जहाज के पोर्टहोल से निकलकर तैरते हुए किनारे पहुंच गए थे, लेकिन बाद में उन्हें फ्रांसीसी अधिकारियों ने पकड़ लिया और उन्हें ब्रिटिश जहाज अधिकारियों की हिरासत में वापस सौंप दिया था। इसके बाद उन्हें काला पानी की सजा हुई।

मार्सिले शहर का भारत के लिए महत्व

मार्सिले में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शहर में भारत के नए महावाणिज्य दूतावास का उद्घाटन किया है। मार्सिले दक्षिणी फ्रांस में है और यह देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर होने के साथ बंदरगाह भी लिए है, जिससे व्यापार का बड़ा केंद्र है। मार्सिले भूमध्य सागर के तट पर भारत-फ्रांस के लिए एक व्यापारिक गेटवे का काम करता है। यह भारत-मध्य पूर्व-यूरोप इकॉनोमिक कॉरिडोर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट में से एक है।

क्या है फ्रांस में लगा ITER प्रोजेक्ट,"धरती पर सूरज" बनाने में फ्रांस की कैसे मदद कर रहा भारत?

#india_france_collaboration_iter_project 

अपने फ्रांस दौरे के तीसरे दिन प्रधानमंत्री मोदी इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) प्रोजेक्ट का दौरा किया। आपको बता दें कि ये वही जगह है जहां दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पृथ्वी पर "मिनी सन" बनाने के प्रयास में जुटे हैं। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य पृथ्वी पर “मिनी सन” बनाकर स्वच्छ और असीमित ऊर्जा की आपूर्ति करना है। यह वैश्विक सहयोग पर आधारित एक ऐतिहासिक पहल है। सबसे अहम बात भारत भी इस प्रोजेक्ट में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। 

न्यूक्लियर फ्यूजन: सूरज की तरह ऊर्जा पैदा करना

इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) प्रोजेक्ट 21 सदी का सबसे महंगा मेगा साइंस प्रोजेक्ट है। दक्षिणी फ्रांस के कैडराचे में स्थित ITER दुनिया का सबसे विकसित फ्यूजन एनर्जी न्यूक्लियर रिएक्टर है। न्यूक्लियर फ्यूजन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो हमारे सूरज और अन्य तारों में ऊर्जा पैदा करती है। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के नाभिक मिलकर हीलियम बनाते हैं, जिससे अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है। ITER प्रोजेक्ट का उद्देश्य इस प्रक्रिया को पृथ्वी पर कृत्रिम रूप से पुनः पेश करना है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रक्रिया से बिना किसी हानिकारक ग्रीनहाउस गैस या रेडियोधर्मी कचरे के ऊर्जा पैदा की जा सकती है। एक ग्राम परमाणु ईंधन से लगभग 8 टन तेल के बराबर ऊर्जा पैदा की जा सकती है।

सात देशों के साझेदारी में भारत भी शामिल

ITER को द वे प्रोजेक्ट के नाम से भी जाना जाता है। इसके जरिए कोशिश की जा रही है कि स्वच्छ ऊर्जा की असीमित सप्लाई पूरी दुनिया को की जा सके। 22 बिलियन यूरो से अधिक लागत वाली इस परियोजना के सात देश साझेदार हैं। इनमें भारत और फ्रांस के अलावा चीन, अमेरिका, दक्षिण कोरिया, रूस, जापान और यूरोपीय संघ (ईयू) भी शामिल हैं।

खर्च का कुल 10 फीसदी का सहयोग करेगा भारत

इस प्रोजेक्ट की सबसे खास बात यह है कि इसमें जगह-जगह मेड इन इंडिया लिखा गया है। इस पर खर्च होने वाली कुल राशि में से भारत को करीब 10 फीसदी का सहयोग देना है। हालांकि, वह इस तकनीक का शत-प्रतिशत इस्तेमाल कर पाएगा। 

भारत में बना “फ्रिज” प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा

भारत ने इस परियोजना में सबसे बड़े घटक का भी योगदान दिया है - दुनिया का सबसे बड़ा रेफ्रिजरेटर जिसमें यह अनूठा रिएक्टर है, को लार्सन एंड टुब्रो द्वारा गुजरात में बनाया गया है। इसका वजन 3,800 टन से अधिक है और इसकी ऊंचाई कुतुब मीनार से लगभग आधी है। ITER रिएक्टर का कुल वजन लगभग 28,000 टन होगा।

भारत के लिए कितना फायदेमंद?

वैज्ञानिकों का मानना है कि ITER प्रोजेक्ट के सफल होने पर दुनिया में ऊर्जा संकट का समाधान हो सकता है। यह प्रोजेक्ट न केवल स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करेगा, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। भारत के इस प्रोजेक्ट में भागीदारी से देश की तकनीकी क्षमता और वैश्विक सहयोग की भावना का प्रदर्शन हो रहा है। यह प्रोजेक्ट भारत को वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाने में मदद करे