आर-पार के मूड में चीन, ट्रंप को 10% के जवाब में 15% टैरिफ, अब बढ़ेगा तनाव

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा और मेक्सिको को बड़ी राहत दी। ट्रंप ने दोनों देशों पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। हालांकि, चीन को किसी भी तरह की राहत नहीं दी। फिर क्या था अमेरिका के टैरिफ से चीन तिलमिला उठा और अमेरिका को जवाब देने की ठानी। इसी का नतीजा है कि अब चीन ने भी अमेरिका से इंपोर्ट होकर आने वाले सामानों पर टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। चीन ने अमेरिका के कोयला और क्रूड ऑयल समेत कई उत्पादों पर 15 पर्सेंट तक टैरिफ थोप दिया है। चीन की तरफ से लगाए गए ये टैरिफ 10 फरवरी से लागू होंगे।

चीनी वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को अमेरिकी उत्पादों पर 10 से 15 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले की जानकारी दी। बीजिंग के टैरिफ लगाए जाने से चीन में अमेरिका से आने वाले बड़ी कारों, पिक ट्रक, एलएनजी, कच्चा तेल और खेती-बाड़ी की मशीनों के आयात पर असर पड़ेगा। चीन ने कोयले और प्राकृतिक गैस पर 15 प्रतिशत और पेट्रोलियम, कृषि उपकरण, उच्च उत्सर्जन वाले वाहनों और पिकअप ट्रकों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। चीन ने कुछ प्रमुख खनिजों के निर्यात पर नियंत्रण लगाया है। साथ ही गूगल और कुछ अमेरिकी कंपनियों की जांच शुरू कर दी है।

केवल टैरिफ तक नहीं रुका चीन

चीन सिर्फ टैरिफ तक ही नहीं रुका, बल्कि उसने दो अमेरिकी कंपनियों को अपनी अविश्वसनीय संस्थाओं की सूची में डाला है। इसमें बायोटेक कंपनी इलुमिना और केल्विन क्लेन और टॉमी हिलफिगर की मालिकाना हक वाली फैशन रिटेलर कंपनी पीवीएच ग्रुप शामिल है। चीन का कहना है कि उन्होंने सामान्य बाजार व्यापार सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। टैरिफ के अलावा, चीन ने अमेरिकी टेक्नोलॉजी कंपनी गूगल के खिलाफ एक एंटी-मोनोपॉली जांच शुरू करने की भी घोषणा की है।

चीन-अमेरिका में छिड़ा ट्रेड वॉर

अमेरिका और चीन के एक-दूसरे पर टैरिफ लगाने से दोनों मुल्कों में व्यापार के स्तर पर तनाव बढ़ गया है। इससे आने वाले दिनों में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर तेज होने की भी संभावना है। दरअसल, चीन का जवाबी कदम ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित टेलीफोनिक बातचीत से पहले आया है। ट्रंप ने सोमवार को कहा कि शी के साथ बातचीत ‘शायद अगले 24 घंटों में’ होगी। ट्रंप ने यह भी कहा कि अगर चीन के साथ कोई समझौता नहीं हो सका, तो ‘टैरिफ बहुत, बहुत ज्यादा होंगे।

तय हो गया पीएम मोदी का अमेरिका दौरा, 12 फरवरी की तारीख तय, व्हाइट हाउस में खुद डिनर होस्ट करेंगे डोनाल्ड ट्रंप

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी को अमेरिका का दौरा कर सकते हैं। जहां वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ व्यापक चर्चा करेंगे। विदेश मंत्रालय (एमईए) के सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को इसकी जानकारी दी।ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद यह मोदी की वाशिंगटन की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। उनकी यह पहली यात्रा भारत-अमेरिका संबंधों के रणनीतिक महत्व को रेखांकित करती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 फरवरी की शाम को फ्रांस से एआई सम्मेलन में भाग लेकर अमेरिका पहुंचने की उम्मीद है। पीएम मोदी फ्रांस में 10-11 फरवरी को ग्रैंड पैलेस में एआई एक्शन समिट में भाग लेंगे। फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा के वो 12 फरवरी को अमेरिका पहुंचेंगे। वो 14 फरवरी तक अमेरिकी राजधानी में रहेंगे। इस दौरान पीएम मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से 13 फरवरी को मुलाकात होने की संभावना है। ट्रंप पीएम मोदी के दौरे के दौरान उनके लिए एक रात्रिभोज भी आयोजित कर सकते हैं।

हालांकि पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा का आधिकारिक विवरण अभी तक सामने नहीं आया है, लेकिन चर्चा व्यापार, रक्षा सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा, विशेष रूप से हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित रहने की उम्मीद है। बता दें कि ट्रंप ने 20 जनवरी को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राज्य अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी। उनके शपथ ग्रहण के बाद, पीएम मोदी ने 27 जनवरी को उनसे फोन पर बात की थी।

बैकफुट पर डोनाल्ड ट्रंप! कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ का फैसला टाला, इतने दिनों की दी राहत

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लगता है ग्लोबल टैरिफ वॉर टल गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने के फैसले को 30 दिन के लिए टाल दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको के बाद अब कनाडा को भी टैरिफ से 30 दिनों के लिए राहत दे दी है। सोमवार को कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप से फोन पर बातचीत के बाद बताया कि अमेरिका ने शनिवार को लगाए गए टैरिफ को 30 दिनों के लिए रोकने का फैसला किया है। इसके पहले अमेरिका ने मेक्सिको के खिलाफ भी टैरिफ पर 30 दिन की रोक लगाई थी। ट्रंप ने टैरिफ को रोकने का फैसला तब लिया है, जब दोनों देशों ने सीमा सुरक्षा और ड्रग्स की तस्करी को रोकने के लिए कदम उठाए हैं।

ट्रंप ने बताया कि ट्रूडो और शिनबाम के साथ उनकी बातचीत अच्छी रही। दोनों देशों ने अमेरिका के साथ बॉर्डर को सिक्योर करने पर सहमति जताई है। इसके बाद ट्रम्प ने दोनों देशों पर टैरिफ रोकने से जुड़े कार्यकारी आदेश पर साइन किए। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर कहा कि ‘बहुत ही दोस्ताना बातचीत’ के बाद उन्होंने ‘एक महीने की अवधि के लिए टैरिफ को तुरंत रोकने पर सहमति जताई। ट्रंप ने कहा कि इस एक महीने के दौरान दोनों देशों के बीच और बातचीत होगी, ताकि एक ‘डील’ हासिल की जा सके।

फेंटेनाइल तस्करी पर रोक लगाने की दिशा में कदम

ट्रंप के फैसले के बाद ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि टैरिफ पर रोक के बदले में कनाडा बॉर्डर सिक्योरिटी में भारी निवेश करेगा। साथ ही संगठित अपराध, फेंटेनाइल की तस्करी और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए दोनों देश मिलकर कनाडा-यूएस ज्वाइंट स्ट्राइक फोर्स बनाएंगे। इसके अलावा कनाडा फेंटेनाइल जार (फेंटेनाइल की तस्करी रोकने वाला अधिकारी) की नियुक्ति भी करेगा। तस्करी में शामिल कार्टेल (समूह) को आतंकवादी समूहों की सूची में शामिल किया जाएगा। ट्रूडो ने इस आदेश पर साइन भी कर दिए हैं। कनाडा इस पर 200 मिलियन डॉलर खर्च करेगा।

टैरिफ से बचने के लिए मेक्सिको करेगा ये काम

मेक्सिको ने भी ट्रंप की चिंताओं को दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाते हुए अमेरिका में अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर 10000 नेशनल गार्ड्स की तैनाती का आदेश दिया है।

इससे पहले शनिवार को ट्रंप ने घोषणा की थी कि वे कनाडा और मैक्सिको से इम्पोर्टेड सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे और चीन से आने वाले सामानों पर 10 फीसदी टैरिफ का प्रस्ताव भी किया। उन्होंने कनाडा से आयातित ऊर्जा संसाधनों पर भी 10 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना बनाई थी।

शपथ के बाद से ही एक्शन में ट्रंप

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ के बाद कनाडा, मेक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने 1 फरवरी को इससे जुड़े आदेशों पर साइन भी कर दिया था। ट्रंप के इस फैसले के बाद कनाडा ने भी 2 फरवरी को अमेरिका पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया था। इसमें अमेरिका से होने वाले 106 अरब डॉलर के निर्यात को शामिल किया गया था। दूसरी तरफ मेक्सिको ने भी जवाबी कार्रवाई की बात कही थी।

भगदड़ के बाद शव पानी में डाल दिए गए हैं...’ महाकुंभ पर ये क्या बोल गईं जया बच्चन

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समाजवादी पार्टी की नेता जया बच्चन ने नए विवाद को जन्म दि दिया है। महाकुंभ भगदड़ को लेकर सपा सांसद जया बच्चन ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कुंभ में पानी सबसे ज्यादा प्रदूषित है। भगदड़ में मरने वाले लोगों के शव नदी में फेंके गए हैं, इससे पानी दूषित हो गया है। उनके इस बयान पर विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इस दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। साथ ही साथ बयान को अस्थिरता पैदा करने वाला बताया है।

जया बच्चन ने संसद परिसर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, अभी सबसे ज्यादा दूषित पानी कहां है? कुंभ में… वहां मची भगदड़ में जिन लोगों की मौत हुई, उनके शव नदी में फेंक दिए गए हैं, जिससे पानी दूषित हो गया है।यही पानी वहां लोगों तक पहुंच रहा है, इस पर कोई सफाई नहीं दे रहा है। असली मुद्दों पर कोई बात नहीं कर रहा। सपा सांसद ने कहा कि मैं मीडिया से आग्रह करूंगी कि वह आम आदमी की आखिरी उम्मीद है। महाकुंभ में क्या हुआ. इसकी तस्वीर को दुनिया के सामने लाए। कुंभ में हजारों लोग चले गए। सरकार को सच्‍चाई जनता बतानी होगी।

महाकुंभ आने वालों की संख्या पर भी उठाया सवाल

सपा सांसद ने इसके साथ ही महाकुंभ में आने वाले लोगों की संख्या पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, कुंभ में आने वाले आम लोगों को कोई विशेष सुविधा नहीं दी जा रही, उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं है। यह झूठ बोला जा रहा है कि वहां करोड़ों लोग आ चुके हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोग किसी भी समय एक जगह पर कैसे इकट्ठा हो सकते हैं?’

बीजेपी और धार्मिक संगठनों की तीखी प्रतिक्रिया

जया बच्चन के इस बयान पर बीजेपी नेताओं और धार्मिक संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।वीएचपी के मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि उच्च पद पर बैठे सांसद का ऐसा बयान देश में अस्थिरता पैदा करने वाला है। झूठे बयान देकर सनसनी फैलाने के लिए जया बच्चन को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। महाकुंभ आस्था और भक्ति की रीढ़ है, जहां धर्म, कर्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है। करोड़ों श्रद्धालुओं की भावनाएं इस महान अनुष्ठान से जुड़ी हैं।

अखिलेश भी भगदड़ में हुई मौतों पर उठा चुके हैं सवाल

इससे पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन मची भगदड़ में हुई मौतों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि सरकार महाकुंभ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं के आंकड़े दे। अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधते हुए मांग की थी कि दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम का प्रबंधन तुरंत सेना को सौंप दिया जाना चाहिए।

भारतीयों के खिलाफ ट्रंप का एक्शन शुरू, अमेरिका से अवैध प्रवासियों को लेकर सेना का पहला विमान भारत रवाना

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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश के बाद अमेरिका ने अवैध प्रवासियों को निकालना शुरू कर दिया है। तक अमेरिका द्वारा दक्षिण अमेरिकी देशों के अवैध अप्रवासियों को निर्वासित किया जा रहा था, लेकिन अब भारत के अवैध अप्रवासियों पर भी कार्रवाई शुरू हो गई है। इसी के तहत अमेरिका से सोमवार को एक अमेरिकी सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर भारत के लिए रवाना हो गया है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने एक अमेरिकी अधिकारी के हवाले से बताया है कि सी-17 सैन्य विमान प्रवासियों को लेकर रवाना हुआ है।

सेना की मदद से निर्वासन अभियान

अमेरिका में सत्ता संभालने के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने के लिए सख्त कदम उठाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इमिग्रेशन एजेंडे को पूरा करने के लिए सेना की मदद ली है, जिसके तहत ही सैन्य एयरक्राफ्ट की मदद से लोगों को डिपोर्ट करने का काम शुरू किया जा चुका है। इसी के बाद अब अमेरिका में बसे भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट करने के लिए अमेरिका से C-17 विमान रवाना हो गया है। अमेरिकी अधिकारी ने कहा, अमेरिका का एक सैन्य विमान C-17 भारतीय प्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए रवाना हो गया है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह विमान अगले 24 घंटे तक भारत नहीं पहुंचेगा।

अलग-अलग जगहों के लिए डिपोर्ट किए जा रहे अप्रवासी

इसी के साथ पेंटागन ने एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगो, कैलिफोर्निया में अमेरिकी अधिकारियों द्वारा रखे गए 5,000 से अधिक अप्रवासियों को डिपोर्ट करने के लिए फ्लाइट देना भी शुरू कर दिया है। अब तक, सैन्य विमान प्रवासियों को ग्वाटेमाला, पेरू और होंडुरास ले गए हैं। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा है कि अमेरिका के एल पासो, टेक्सास और सैन डिएगा, कैलिफोर्निया से पांच हजार से ज्यादा अवैध अप्रवासियों को लेकर जल्द ही सेना के विमान उड़ान भरेंगे।

लगभग 18,000 अवैध भारतीयों की पहचान का दावा

डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद पहली बार भारतीय अवैध प्रवासियों को भारत डिपोर्ट किया जाएगा। ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ अपनी-अपनी बातचीत के दौरान अमेरिका में बसे अवैध भारतीयों को लेकर पहले ही चिंता जताई थी। राष्ट्रपति ट्रंप ने पीएम मोदी से बातचीत के बाद कहा था कि उन्होंने इमिग्रेशन को लेकर पीएम से बात की थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि जब अवैध अप्रवासियों को वापस लेने की बात आएगी तो भारत वही करेगा जो सही होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका ने लगभग 18,000 भारतीय अप्रवासियों की पहचान की है जो अवैध रूप से अमेरिका में हैं।

करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करेंगे ट्रंप

राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद ही डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका से करीब 1.1 करोड़ अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करने की बात कही थी। पिछले सप्ताह ही अमेरिकी सेना ने लैटिन अमेरिकी देशों में अवैध अप्रवासियों को लेकर छह उड़ानें भरी हैं। हालांकि कोलंबिया ने अमेरिका के विमानों को अपने देश में उतरने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन ट्रंप के सख्त रुख के बाद कोलंबिया ने अपने नागरिकों को लाने के लिए अपने ही विमान भेजे थे।

दुनिया के सबसे ताकतवर सेनाओं की लिस्ट जारी, जानें भारत का नंबर

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दुनिया की टॉप आर्मी की रैंकिंग जारी करने वाले ऑर्गेनाइजेशन ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स ने साल 2025 की अपनी लिस्‍ट जारी कर दी है। इस सूची में भारत को जो रैंक हासिल हुई है, वो हैरान करने वाला है। इस सूची में भारत की दुनिया की टॉप-5 सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति में शामिल किया गया है। यह रैंकिंग भारत की थलसेना, नौसेना और वायुसेना की बढ़ती रक्षा क्षमताओं को दिखाती है।

ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स में भारत की सेना चौथे नंबर पर है। रैंकिंग के अनुसार, अमेरिका की सेना 0.0744 स्कोर के साथ दुनिया की सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति है। इसके बाद रूस (0.0788) और चीन (0.0788) का नंबर दिया गया है। भारत को दुनिया की चौथी सबसे ताकतवर सैन्य शक्ति बताया गया है और इसका स्कोर 0.1184 है। टॉप 5 शक्तिशाली सैन्य शक्ति में दक्षिण कोरिया ने भी जगह बनाई है और यह पांचवें स्थान पर है।

भारत छठी बार अपनी चौथी रैंकिंग को बरकरार रखे हुए है। भारत ने पिछले कुछ समय से रक्षा उत्पादन और आत्मनिर्भर होने पर जोर दिया है, जो उसकी ताकत को और भी बढ़ाता है। इंडेक्स में भारत की बढ़त का श्रेय सैन्य शाखाओं में आधुनिकीकरण को दिया जा सकता है। टॉप 10 ताकतवर देशों में फ्रांस है, जो नया शामिल हुआ है। पिछले साल की रैंकिग में यह 11वें नंबर पर था। इस बार फ्रांस 7वें नंबर पर आ गया है। पिछले साल सातवीं रैंक पर जापान था जो इस बार आठवें पर पहुंच गया।

पाकिस्‍तान की सेना 12वें नंबर पर

भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान जो कि हमारा नंबर 1 दुश्‍मन भी है. अब भारत पर आंख उठाने से पहले 100 दफा सोचेगा. भले ही पाकिस्‍तान के पास परमाणु हथियार हैं लेकिन इसके बाद भी वह जीपीएफ इंडेक्स में टॉप 5 तो छोड़ो टॉप 10 देशों में भी अपनी जगह नहीं बना पाया है. जीपीएफ इंडेक्स में पाकिस्तान को 12वां स्थान दिया गया है और वह ब्राजील से भी नीचे है.

इस मामले में दूसरे नंबर पर भारत

सबसे ज्यादा सैनिकों की बात करें तो इस मामले में भारत दूसरे नंबर पर है। भारत के पास 14,55,550 सैनिक हैं। इसके अलावा भारत के पास 11,55,000 रिजर्व सैनिक हैं। भारत के पास हथियारों की बात करें तो इसमें टी-90 भीष्म और अर्जुन टैंक, ब्रह्मोस मिसाइल और पिनाका रॉकेट सिस्टम जैसे उन्नत हथियार हैं। भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में काफी विस्तार किया है। इंडियन एयरफोर्स के पास 2,229 विमान हैं, जिनमें 600 लड़ाकू जे, 899 हेलीकॉप्टर और 831 सहायक विमान शामिल हैं। भारतीय नौसेना ने भी 142,251 कर्मियों और 150 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के साथ अपनी स्थिति मजबूत की है।

ट्रंप से मिलने पहुंचे बेंजामिन नेतन्याहू, मिडिल ईस्ट में होगी शांति?

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डोनाल्‍ड ट्रंप के सत्‍ता संभालने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू अमेरिका के दौरे पहुंच गए हैं। गाजा और लेबनान में युद्ध तथा सीरिया में तख्‍तापलट के बाद पूरे पश्चिम एशिया में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। ट्रंप के सत्‍ता में आने से पहले हमास और इजरायल के बीच सीजफायर हुई है और कई बंदियों की रिहाई भी हुई है। इससे अब उम्‍मीद बनने लगी है कि खाड़ी देशों में शांति आएगी।

बेंजामिन नेतन्याहू का ये दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब गाजा युद्ध विराम का पहला चरण खत्म होने को है। बेंजामिन ने यूएस रवाना होने से पहले कहा कि मेरा मानना है कि हम सुरक्षा को मजबूत कर सकते हैं, शांति बना सकते हैं। ताकत के माध्यम से शांति के एक उल्लेखनीय युग को प्राप्त कर सकते हैं।

नेतन्याहू ने कहा कि अमेरिकी राजधानी में उनकी बैठकों में इजराइल और क्षेत्र के सामने मौजूद खास और नाजुक मुद्दों पर चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि बातचीत में हमास पर विजय, हमारे सभी बंधकों की रिहाई और ईरानी आतंकवादी धुरी से निपटना शामिल हैं। साथ ही कहा कि ईरान का एक्सिस ऑफ रेसिस्टेंस अरब के साथ-साथ पूरी दुनिया के लिए घातक है।

सऊदी अरब के साथ रिश्‍ते सामान्‍य करने पर चर्चा

इजरायली पीएम ने कहा कि इस मुलाकात में ट्रंप के साथ सऊदी अरब के साथ रिश्‍ते सामान्‍य करने को लेकर बातचीत करेंगे। उन्‍होंने कहा कि मैं शांति के दायरे को बढ़ाने पर बात करूंगा और ताकत के बल पर शांति हासिल करने का प्रयास करूंगा। सऊदी के साथ रिश्‍ते सामान्‍य करने को लेकर नेतन्‍याहू के प्रवक्‍ता दोस्‍तरी ने कहा कि हमारी इच्‍छा शांति पर पहुंचने की है और दूसरे पक्ष की भी यही इच्‍छा है। उन्‍होंने यह भी कहा कि अब संबंधों को सामान्‍य करना 7 अक्‍टूबर के पहले के मुकाबले ज्‍यादा चुनौतीपूर्ण है। इसकी वजह यह है कि सऊदी अरब ने शर्त रख दी है कि संबंधों को सामान्‍य करने को लेकर कोई भी बातचीत करने से पहले इजरायल को लड़ाई रोकनी होगी।

बजट 2025 में दिखा पड़ोसी देशों के साथ संबंधों का असर, जाने भारत ने किसे दी कितनी मदद?

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार (1 जनवरी) को आम बजट 2025-26 पेश किया। हर साल जब सरकार की ओर से बजट पेश किया जाता है तो हर आम और खास को इससे काफी आशा होती है। बजट केवल अपने देश के लिए लोगों का ही हित साधक नहीं होता, बल्कि पड़ोसी देशों की भी इसपर नजर होती है। इस बात पर सबकी नजर होती है कि सरकार ने किस देश के लिए कितनी सहायता राशि का ऐलान किया है, खासकर पड़ोसी देशों के लिए।भारत ने इस बार के बजट (2025-26) में विदेशी सहायता के मद में कटौती की है। वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में विदेशी सहायता के लिए संशोधन आवंटन 5806 करोड़ रुपये था लेकिन इस साल इसे घटाकर 5,483 करोड़ रुपये कर दिया गया है। हालांकि, भारत ने अपने पड़ोसी देशों का पूरा ध्यान रखा है। भारत ने मालदीव और अफगानिस्तान के लिए सहायता बढ़ाई है, जबकि बांग्लादेश से रिश्तों में तल्खियों के बावजूद सहायता राशि में कटौती नहीं की गई है।

मालदीव हुआ “मालामाल”

बजट 2025 के फंड आवंटन में मालदीव को सबसे अधिक फायदा हुआ है। मालदीव को केंद्रीय बजट 2025 में अन्य दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बीच विकास सहायता में सबसे अधिक वृद्धि मिली है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ समय संबंधों में खटास के बाद इसे अहम माना जा रहा है।मालदीव के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की तरफ से पेश किए गए 2025 के बजट में परिव्यय में लगभग 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बजट दस्तावेज के अनुसार, 2025-26 में मालदीव के लिए 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। यह वित्त वर्ष 2024-25 में द्वीप राष्ट्र को दिए गए 470 करोड़ रुपये से काफी अधिक है।

बांग्लादेश को क्या मिला?

शेख़ हसीना की सत्ता के पतन के बाद भारत और बांग्लादेश के रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं, लेकिन इस बार के बजट में बांग्लादेश को मिलने वाली सहायता राशि को जस की तस रखा गया है। बांग्लादेश के बजट में सरकार ने कोई बढ़ोतरी नहीं की है। बांग्लादेश के लिए बजट राशि पिछले साल के 120 करोड़ में कोई फेरबदल नहीं हुआ है।

सबसे ज्यादा बजट भूटान के लिए

भारत सबसे ज़्यादा भूटान की आर्थिक मदद करता है। भारत ने 2025-26 के बजट में भूटान के लिए 2150 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसके लिए संशोधित बजट 2543 करोड़ रुपये का था। भारत भूटान को इन्फ्रास्ट्रक्चर, पनबिजली परियोजनाओं और आर्थिक सहयोग से जुड़ी परियोजनाओं के लिए मदद देता है।

अफगानिस्तान की सहायता कम हुई

भारत अफगानिस्तान से बेहतर रिश्ते कायम करने की लगातार कोशिश कर रहा है. लेकिन, बजट में इसकी छाप नहीं दिखाई दी। अफगानिस्तान को पिछले साल 200 करोड़ रुपये की सहायता राशि दी गई थी, जो 2025-26 में घटकर 100 करोड़ रुपये रह गई है। यह दो साल पहले दिए गए 207 करोड़ रुपये से काफी कम है। भारत तालिबान सरकार के साथ अपने व्यवहार में सतर्क रहा है और उसने अपनी भागीदारी को मानवीय सहायता और आर्थिक सहयोग तक ही सीमित रखा है।

म्यांमार को सहायता में वृद्धि

म्यांमार के बजट में 2024-25 के 250 करोड़ रुपये से 2025-26 के लिए 350 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है। यह देश में चल रही उथल-पुथल के बीच किया गया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में भारत-म्यांमार सीमा पर लोगों की आवाजाही के नियमों को कड़ा कर दिया है। नए नियमों के अनुसार, दोनों तरफ फ्री मूवमेंट रिजीम (एफएमआर) के तहत 16 किलोमीटर से लेकर 10 किलोमीटर तक की आवाजाही प्रतिबंधित है।

नेपाल के साथ 700 करोड़ रुपये का आवंटन बरकरार

हाल के दिनों में नेपाल पर चीन का असर बढ़ा है। लेकिन भारत नेपाल के साथ लगातार संबंध सुधारने की कोशिश में लगा है। भारत ने हाल में ऐसा कोई कदम नहीं उठाया है, जिससे चीन के साथ नेपाल की नजदीकी बढ़े। वित्त वर्ष 2024-25 में नेपाल के लिए संशोधित बजट 700 करोड़ रुपये का था। वित्त वर्ष 2025-26 में भी इसमें कोई कटौती नहीं की गई है और इसे 700 करोड़ ही रखा गया है।

कौन हैं आर प्रज्ञानंद? जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियन डी गुकेश को दी मात, जीता शतरंज का बड़ा खिताब

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ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानंद ने टाटा स्टील मास्टर्स का खिताब जीत लिया। प्रज्ञानंद ने विश्व चैंपियन डी गुकेश को टाईब्रेकर में 2-1 से खिताब पर कब्जा जमा लिया। बता दें कि इससे पूर्व दोनों भारतीय खिलाड़ी अंतिम दिन अपनी बाजियां हार गए थे लेकिन दोनों के बीच खिताब के लिए टाईब्रेकर मुकाबला हुआ था। जिसमें प्रज्ञाननंद ने बाजी मारी।

टाटा स्टील मास्टर्स 2025 में आर प्रज्ञानंद और डी गुकेश के बीच मुकाबला 2 फरवरी को विज्क आन जी (नीदरलैंड) में खेला गया। टाईब्रेक में 19 साल के प्रज्ञानंद ने 18 साल के गुकेश को शिकस्त दे दी। गुकेश को हमवतन अर्जुन एरिगैसी ने हराया। विश्व चैंपियन बनने के बाद गुकेश की ये पहली हार थी। जबकि प्रज्ञानंद जर्मनी के विंसेंट कीमर से हार गए। इन असफलताओं के बावजूद, वे लीडरबोर्ड में टॉप पर बने रहे, जिससे टूर्नामेंट टाईब्रेकर में चला गया।

टाईब्रेकर के बाद सडन डेथ की स्थिति आ गई। कड़े मुकाबले के बीच गुकेश नियंत्रण खो बैठे और अपना घोड़ा गंवा दिया। उसके बाद प्रज्ञानंद ने धैर्य बरतते सही तकनीक दिखाते हुए अंक बटोरा। प्रज्ञानंद ने मास्टर्स में पूर्ण अंक प्राप्त करने और अपनी पहली जीत हासिल करने के लिए सही तकनीक का प्रदर्शन किया तो दूसरी ओर गुकेश के लिए, यह लगातार दूसरा साल था जब वह पहले स्थान के लिए बराबरी पर रहे और टाईब्रेकर हार गए। पिछले साल के पिछले संस्करण में गुकेश चीनी वेई यी से भी हार गए थे।

प्रज्ञानंद टाटा स्टील मास्टर्स का खिताब जीतने वाले दूसरे भारतीय शतरंज खिलाड़ी बन गए हैं। उनसे पहले महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने यह ट्रॉफी पांच बार जीती है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के अमेरिका दौरे पर राहुल गांधी ने ऐसा क्या कहा, भड़क गया सत्ता पक्ष

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संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चर्चा में हिस्सा लिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरा। लोकसभा में चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की शपथ का जिक्र किया और कहा कि पीएम मोदी को शपथ का निमंत्रण मिले इसलिए विदेश मंत्री जयशंकर को अमेरिका भेजा था।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि विदेश मंत्री एस जयशंकर को तीन बार अमेरिका भेजा गया ताकि प्रधानमंत्री को वहां आने का न्योता मिल सके। दरअसल, राहुल गांधी ने कहा कि चीन आज एआई, बैट्री, इलेक्ट्रिक कार, ऑप्टिक्स के क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन हम इसमें पीछे हैं। राष्ट्रपति के अभिभाषण में इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए थी। साथ ही हमारे बैंकिंग सेक्टर पर दो या तीन बड़ी कंपनियों का ही प्रभाव नहीं होना चाहिए और छोटी और मध्यम वर्ग की कंपनियों को भी बैंकिंग सेक्टर तक आसान पहुंच होनी चाहिए। अगर ऐसा होता तो हमारे विदेश मंत्री को तीन-चार बार अमेरिका जाकर ये नहीं कहना पड़ता कि हमारे प्रधानमंत्री को आमंत्रित करें।' राहुल गांधी ने कहा कि 'अगर हमने इन क्षेत्रों में काम किया होता तो अमेरिका खुद हमारे प्रधानमंत्री को आमंत्रित करता।

राहुल गांधी के इस बयान पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति जताई। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू जवाब देने के लिए उठे। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेता को बिना किसी सबूत के ऐसे आरोप नहीं लगाने चाहिए। ये दो देशों का मुद्दा है। ये विदेश नीति का मामला है। रिजिजू ने कहा कि वो विपक्ष के नेता हैं। उन्हें जिम्मेदार होना चाहिए। रिजिजू ने कहा कि अगर विपक्ष के नेता के पास भले ही किसी स्रोत से ऐसी जानकारी हो, जो उन्होंने कहा है तो उसे सदन में रखना चाहिए।

राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि मैं आपकी दिमागी शांति भंग करने के लिए माफी मांगता हूं। मैं ये सवाल को उठाने के लिए माफी मांगता हूं। आई एम सॉरी। इसपर रिजिजू ने कहा कि आपने सदन में झूठ बोला है। इसके लिए माफी मांगों। आपको देश के मामले में तो एक होना चाहिए। रिजिजू ने कहा कि विपक्ष के नेता को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। गंभीर विषय पर चर्चा चल रही है।

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बीते दिनों अपने शपथ ग्रहण समारोह में चीन के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया था, लेकिन भारत से विदेश मंत्री एस जयशंकर, ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। राहुल गांधी के बयान को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।