मुसलमानों पर दिए अपने बयान पर कायम हैं जस्टिस यादव, बोले-मैंने किसी न्यायिक सीमा का उल्लंघन नहीं किया

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इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं। पिछले दिनों प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में उन्होंने हिंदू और मुस्लिम धार्मिक कानूनों या मान्यताओं को लेकर बयान दिया था। इसके बाद वह विवादों के घेरे में आ गएय़ उनको सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के सामने पेश भी होना पड़ा था। हालांकि, अपने बयान पर कायम हैं। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की ओर से तलब किए जाने के एक महीने बाद, जस्टिस यादव ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर कहा है कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं, और उनके अनुसार यह न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती है।

सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भांसाली से लेटेस्ट अपडेट मांगी थी। इसके बाद जस्टिस भांसाली ने जस्टिस कुमार से कॉलेजियम के बाद उनके जवाब मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने लेटर लिख कर जवाब दिया। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर बताया कि वह अपनी टिप्पणी पर कायम हैं, जो उनके अनुसार न्यायिक आचरण के किसी भी सिद्धांत का उल्लंघन नहीं करती है।

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरुण भंसाली ने भी 17 दिसंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अगुवाई वाले कॉलेजियम के साथ जस्टिस यादव की बैठक के बाद उनसे जवाब तलब किया था। इस महीने की शुरुआत में, अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से बताया गया कि सीजेआई ने मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भंसाली को पत्र लिखकर इस मसले पर नई रिपोर्ट मांगी थी।

रिपोर्ट के मुताबिक जवाब मांगने वाले उक्त पत्र में लॉ के एक छात्र और एक आईपीएस अधिकारी की ओर से उनके भाषण के खिलाफ दायर की गई शिकायत का जिक्र किया गया था, जिसे सरकार ने अनिवार्य रूप से रिटायर कर दिया था।

रिपोर्ट के अनुसार के अनुसार, जस्टिस यादव ने अपने जवाब में दावा किया कि उनके भाषण को निहित स्वार्थ वाले लोगों की ओर से तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है, और न्यायपालिका से जुड़े लोग जो सार्वजनिक रूप से खुद का बचाव करने में असमर्थ हैं, उन्हें न्यायिक बिरादरी के सीनियर लोगों द्वारा सुरक्षा दिए जाने की जरुरत है।

क्या बोले थे यादव

जस्टिस यादव ने कहा, आपको यह गलतफहमी है कि अगर कोई कानून (यूसीसी) लाया जाता है, तो यह आपके शरीयत, आपके इस्लाम और आपके कुरान के खिलाफ होगा, लेकिन मैं एक और बात कहना चाहता हूं। चाहे वह आपका पर्सनल लॉ हो, हमारा हिंदू कानून हो, आपका कुरान हो या फिर हमारी गीता हो, जैसा कि मैंने कहा कि हमने अपनी प्रथाओं में बुराइयों (बुराइयों) को संबोधित किया है, कमियां थीं, दुरुस्त कर लिए हैं, छुआछूत, सती, जौहर, कन्या भ्रूण हत्या, हमने उन सभी मुद्दों को संबोधित किया है, फिर आप इस कानून को खत्म क्यों नहीं कर रहे हैं, कि जब आपकी पहली पत्नी मौजूद है, तो आप तीन पत्नियां रख सकते हैं, उसकी सहमति के बिना, यह स्वीकार्य नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी आज करेंगे ऑटो एक्सपो का उद्घाटन, 100 से ज्यादा मॉडल पेश होंगे

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भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 का आयोजन 17 जनवरी से लेकर 22 जनवरी के बीच आयोजित होने जा रहा है। इसका आयोजन नई दिल्ली के भारत मंडपम में किया जाएगा। इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।इसमें ऑटोमोबाइल, कंपोनेंट और तकनीकों से संबंधित 100 से अधिक नए उत्पाद लॉन्च होने की उम्मीद इस एक्सपो में आम लोगों को एक ही छत के नीचे अलग-अलग तरह के वाहन और गाड़ियों से जुड़ी हर चीज देखने को मिलेगी। नी इसमें वाहन विनिर्माताओं के साथ-साथ कलपुर्जा, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, टायर और ऊर्जा भंडारण बनाने वालों से लेकर वाहन सॉफ्टवेयर कंपनियों के उत्पाद देखने को मिलेंगे।इस बार एक्सपो की थीम सीमाओं से परे भविष्य के लिए ऑटो वैल्यू चेन में सहयोग को बढ़ाना है। या

दुनिया भर की कंपनियां होंगी शामिल

दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम, द्वारका में यशोभूमि और ग्रेटर नोएडा में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में ऑटो एक्सपो सज गया है। करीब दो लाख वर्ग मीटर के दायरे में फैले भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो में दुनिया भर की नामचीन ऑटोमोटिव और मोबिलिटी कंपनियां शिरकत कर रही हैं।

100 से ज्यादा नई गाड़ियां होंगी लॉन्च

ऑटो एक्सपो में देश की सबसे बड़ी कार कंपनी मारुति सुजुकी इंडिया की पहली इलेक्ट्रिक कार Maruti eVitara लॉन्च होने जा रही है। वहीं हुंडई मोटर इंडिया की क्रेटा इलेक्ट्रिक, टाटा मोटर्स की सिएरा ईवी, सफारी ईवी और हैरियर ईवी की भी झलक दिखने वाली है। इसके अलावा सुजुकी मोटरसाइकिल से लेकर हीरो मोटोकॉर्प, एमजी मोटर, मर्सडीज बेंज और ओलेक्ट्रा ग्रीन टेक जैसी बस कंपनी तक अपनी गाड़ियां यहां पेश करने वाली हैं।

100 से ज्यादा नए मॉडल होंगे पेश

इस बार का भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो काफी खास है क्योंकि इस बार यहां पर 100 से ज्यादा नए वाहनों को लॉन्च किया जाने वाला है। वहीं ऑटो कंपोनेंट्स से लेकर कंस्ट्रक्शन इक्विपमेंट, साइकिल और फ्यूचर मोबिलिटी टेक्नोलॉजी से जुड़े टोटल 9 एक्सपो एक साथ आयोजित हो रहे हैं।

उल्फा नेता पर “मेहरबान” बांग्लादेश, पहले मौत की सजा रद्द, अब आजीवन कारावास घटाकर किया 14 साल

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बांग्लादेश की अदालत पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोपों में बरी करने के बाद अब उल्फा नेता पर भी मेहरबान हो गई। उच्च न्यायालय ने देश के शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले में उल्फा नेता परेश बरुआ की उम्रकैद की सजा को 14 साल की कैद में बदल दिया है, जबकि कई अन्य आरोपियों को बरी कर दिया है। इससे पहले कोर्ट ने उनकी मौत की सजा को रद्द कर दिया था और उसे आजीवन कारावास में बदल दिया था।

बता दें कि असम के यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट के सैन्य कमांडर बरुआ भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल है। वह फिलहाल चीन में है और उसकी अनुपस्थिति में बांग्लादेश हाईकोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी। बुधवार को बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने दो दशक पहले असम में अलगाववादी समूह के ठिकानों पर हथियारों से भरे ट्रकों की तस्करी करने के प्रयास के सिलसिले में उल्फा नेता परेश बरुआ की आजीवन कारावास की सजा को घटाकर 14 वर्ष कारावास में बदल दिया।

अटॉर्नी जनरल ब्यूरो के एक अधिकारी ने बुधवार को बताया, दो न्यायाधीशों की पीठ ने बरुआ और चार बांग्लादेशी दोषियों की उम्रकैद की सजा में कटौती की है। अधिकारी के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फुज्जमां बाबर और पांच अन्य को बरी कर दिया, जिन्हें इसी मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। उन्होंने बताया कि अदालत ने बरुआ सहित पांच अन्य दोषियों की जेल की सजा में कटौती की और तीन अन्य आरोपियों की मौत के कारण उनकी अपील निरस्त (समाप्त) घोषित कर दी।

परेश बरुआ को 2014 में उसकी गैरमौजूदगी में चलाए गए मुकदमे में मौत की सजा सुनाई गई थी। तब बांग्लादेश में शेख हसीना प्रधानमंत्री थीं। हालांकि, मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने के बाद पिछले महीने, अदालत ने बरुआ की मौत की सजा को कम कर उम्रकैद में बदला था।

अप्रैल 2004 में चट्टोग्राम (अब चटगांव) के रास्ते पूर्वोत्तर भारत में उल्फा के ठिकानों पर 10 ट्रक हथियार पहुंचाने के कुछ 'प्रभावशाली लोगों' के कथित प्रयासों को नाकाम कर दिया गया था। सुरक्षा एजेंसियों ने इन ट्रक पर लदे हथियार जब्त कर लिए थे, जिनमें 27,000 से अधिक ग्रेनेड, 150 रॉकेट लॉन्चर, 11 लाख से अधिक गोला-बारूद, 1,100 सब मशीन गन और 1.14 करोड़ गोलियां शामिल थीं। घटना के सिलसिले में हथियारों की तस्करी के लिए विशेष शक्तियां अधिनियम 1974 के तहत एक मामला और अवैध रूप से हथियार रखने के लिए शस्त्र अधिनियम के तहत दूसरा मामला दर्ज किया गया था।

दोनों मामलों में पूर्व गृह राज्य मंत्री लुत्फुज्जमां बाबर, सेना खुफिया महानिदेशालय के पूर्व प्रमुख जनरल रजाकुल हैदर चौधरी, सरकारी उर्वरक संयंत्र के पूर्व प्रबंध निदेशक मोहसिन तालुकदार, इसके महाप्रबंधक इनामुल हक, उद्योग मंत्रालय के पूर्व अतिरिक्त सचिव नुरूल अमीन और जमात-ए-इस्लामी नेता मोतिउर रहमान निजामी को मौत की सजा सुनाई गई थी। वहीं, बरुआ सहित पांच आरोपियों के लिए उम्रकैद की सजा मुकर्रर की गई थी।

सैफ पर हमले के बाद सरकार पर हमलावर विपक्ष, फडणवीस बोले- मुंबई सुरक्षित नहीं, यह कहना गलत है

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अभिनेता सैफ अली खान पर मुंबई में हुए हमले के बाद विपक्ष हमलावर है। महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दलों ने इस घटना के बाद बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। सैफ अली खान पर जानलेवा हमले के बाद मुंबई को असुरक्षित कहा जा रहा है। कांग्रेस-उद्धव शिवसेना समेत तमाम पार्टी नेताओं ने इस घटना की निंदा करते हुए नागरिक सुरक्षा का मुद्दा उठाया है और कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। जिसके बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्षियों को जवाब दिया है।

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर उनके घर में घुसकर हमला करना एक गंभीर घटना है, लेकिन इसके कारण मुंबई को असुरक्षित कहना गलत होगा। पुलिस कार्रवाई कर रही है और सरकार देश की वित्तीय राजधानी को सुरक्षित बनाने के लिए कदम उठाएगी।

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि किस प्रकार की मंशा से यह हमला हुआ है सभी चीजें जल्द ही सामने आएंगी। फडणवीस ने मीडिया से कहा, मुझे लगता है कि मुंबई देश के बड़े शहरों में सबसे सुरक्षित है। यह सच है कि कभी-कभी कुछ घटनाएं होती हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। लेकिन यह कहना कि ऐसी घटनाओं के कारण मुंबई असुरक्षित है, सही नहीं है। ऐसी टिप्पणियों के कारण मुंबई की छवि खराब होती है। शहर को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार निश्चित रूप से प्रयास करेगी।

इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शद चंद्र पवार के प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर मुंबई में उनके घर में घुसकर चाकू से हमला होना दिखाता है कि महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही ।. यह घटना दर्शाती है कि राज्य में मशहूर हस्तियां भी सुरक्षित नहीं हैं। मुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री देवेंद्र फडणवीस कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफल रहे हैं।

कोई भी सुरक्षित नहीं- संजय राउत

शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में कोई भी सुरक्षित नहीं है। आम लोगों की तो बात ही छोड़िए, यहां तक कि जिन मशहूर हस्तियों के पास अपनी सुरक्षा है, वे भी सुरक्षित नहीं हैं। राउत ने कटाक्ष करते हुए कहा कि राज्य में पुलिस को ज्यादातर राजनेताओं की सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है। उन्होंने कहा कि कानून का कोई डर नहीं है। सरकार पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है।

कांग्रेस सांसद ने सरकार से मांगा जवाब

कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, इस निर्लज्ज हमले से बेहद स्तब्ध हूं। मुंबई में क्या चल रहा है? बांद्रा में ऐसा होना चिंता का विषय है। ऐसे में आम आदमी कैसे सुरक्षा की उम्मीद कर सकता है? आए दिन हम मुंबई और एमएमआर में बंदूक हिंसा, डकैती, चाकूबाजी की घटनाओं के बारे में सुनते हैं और सरकार के पास कोई जवाब नहीं है। हमें जवाब चाहिए।

सैफ अली खान पर हमला करने वाले तस्वीर आई सामने, गले में गमछा और पीठ पर बैग टांगे सीढ़ियों पर दिखा

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सैफ अली खान पर उनके मुंबई स्थित घर में चोर ने चाकू से हमला किया। टाइट सिक्योरिटी के बावजूद अपने ही घर में सैफ पर हुए इस हमले को लेकर बॉलीवुड से लेकर राजनीतिक गलियारों में कई सवाल लोगों के मन में खड़े कर दिए हैं। इस घटना के बाद आरोपी की पहली तस्वीर सामने आई है।

बुधवार रात बॉलीवुड सुपरस्टार पर हमला करने वाले आरोपी की सीसीटीवी तस्वीर मिली है। सीसीटीवी फुटेज में आरोपी का चेहरा साफ दिखाई दे रहा है, जिससे पता चलता है कि वह 16 जनवरी को सुबह 2:33 बजे बिल्डिंग की सीढ़ियों पर था।

मुंबई पुलिस ने गुरुवार को बताया कि अभिनेता पर हमला करने वाला व्यक्ति चोरी करने के इरादे से फायर एग्जिट सीढ़ियों से घर में घुसा था। इस संदिग्ध आरोपी का चेहरा उसी बिल्डिंग की सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ। संदिग्ध की पहचान होते ही पुलिस ने इसका खुलासा करते हुए उसका चेहरा दिखा दिया है जो मौके से भाग गया था। बांद्रा पुलिस पिछले कई घंटों से सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही थीं। इस संबंध में पुलिस पिछले सप्ताह घर में काम के लिए आए हर व्यक्ति से पूछताछ कर रही है। सैफ पर हमले की जांच के लिए मुम्बई पुलिस ने लोकल और क्राइम ब्रांच की कुल 10 टीम बनाई हैं

इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट में मुंबई पुलिस के सूत्रों से जुड़ी खबर के मुताबिक पुलिस के शक की सुई सबसे ज्यादा घर में काम करने वाले लोगों पर है। सूत्रों के मुताबिक मुंबई पुलिस को शक है कि किसी हाउस हेल्प ने चोर की घर में एंट्री करवाने में मदद की। लेकिन किसी वजह से फिर झड़प हो गई। वहीं, इंडिया टुडे में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस सूत्रों की मानें तो चोर घर में अटैक करने से पहले ही छिपा हुआ था। 25-30 सीसीटीवी की फुटेज खंडाली जा रही है ताकि इस केस से जुड़े कुछ और तार मिल सके। उधर, गिरफ्तार संदिग्ध से पूछताछ चल रही है।

आठवें वेतन आयोग को मिली मंजूरी, मोदी सरकार का केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ा तोहफा

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केंद्रीय कैबिनेट ने सरकारी कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने आठवां वेतन आयोग लागू करने का ऐलान कर दिया है। यह 2026 से लागू होगा। अभी तक कर्मचारियों को सातवें पे कमीशन के तहत वेतन मिलता था। सरकार की तरफ से 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दिए जाने की घोषणा बजट 2025 से महज कुछ ही दिन पहले हुई है।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने यह जानकारी दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि, हालांकि इसके कार्यान्वयन की सही तारीख अभी तक घोषित नहीं की गई है। कहा गया है कि साल 2026 में इसका गठन किया जा सकता है। उन्होंने दोहराया कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें पहले ही लागू की जा चुकी हैं। सरकार बाद में आयोग के बाकी डिटेल्स के बारे में जानकारी देगी। इसमें शामिल होने वाले सदस्यों की भी सूचना दी जाएगी।

एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेंशनधारकों को मिलेगा लाभ

सरकार के इस कदम का इंतजार एक करोड़ से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को था। ये अपने मूल वेतन, भत्ते, पेंशन और अन्य लाभों को संशोधित करने में मदद के लिए आयोग के गठन की आस लगाए थे। परंपरागत रूप से, केंद्रीय वेतन आयोग का गठन हर 10 साल में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतनमान, भत्ते और लाभों में बदलाव की समीक्षा और सिफारिश करने के लिए किया जाता है। यह आयोग महंगाई और आर्थिक स्थितियों जैसे कारकों को ध्यान में रखकर फैसला लेता है।

8वें वेतन आयोग के बाद सैलरी में आएगा जबरदस्त उछाल

8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बड़ा इजाफा होगा। पे कमीशन की सिफारिशों पर कर्मचारियों की सैलरी रिवाइज की जाएगी। पे कमीशन के गठन के बाद सैलरी रिवाइज होगी। सरकार से मिली मंजूरी के बाद अब इसका गठन साल 2026 से पहले हो जाएगा। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसकी सिफारिशें लागू हो सकेंगी। माना जा रहा है कि सातवें वेतन आयोग के मुकाबले 8वें वेतन आयोग में कई बदलाव संभव हैं। माना जा रहा है कि फिटमेंट फैक्टर में कुछ बदलाव हो सकते हैं।

जनवरी 2016 में लागू हुई थीं 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें

इससे पहले 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें, जिन्हें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जनवरी 2016 में लागू किया था। जिसकी अवधि 31 दिसंबर 2025 को खत्म हो जाएगी।

कैसे रूकेगी जंगःगाजा के साथ संघर्षविराम को मंजूरी देने से नेतन्याहू का इनकार, बोले- डील अभी पूरी नहीं

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इजरायल और हमास के बीच संघर्ष विराम समझौते पर संकट के बादल मंडराते हुए नजर आ रहे हैं। जो संघर्ष विराम समझौता तय माना जा रहा था उसे नेतन्याहू इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने यह कहकर उलझा दिया है कि हमास के साथ संघर्ष विराम समझौता अभी पूरा नहीं हुआ है। इसे अंतिम रूप देने पर काम किया जा रहा है। हालांकि, नेतन्याहू के इस बयान से कुछ घंटे पहले ही अमेरिका और कतर ने समझौते की घोषणा कर दी थी। इससे गाजा में 15 महीने से बनी हुई युद्ध की स्थिति को रोकने और बड़ी संख्या में बंधकों के रिहा होने का रास्ता साफ होगा।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने कहा है कि जब तक हमास पीछे नहीं हटता, तब तक मंत्रिमंडल संघर्ष विराम समझौते को मंजूरी देने के लिए बैठक नहीं करेगा। नेतन्याहू के कार्यालय ने हमास पर अंतिम समय में छूट पाने की कोशिश करते हुए समझौते के कुछ हिस्सों से मुकरने का आरोप लगाया। हालांकि, उसने इन छूटों के बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा।

फिलहाल, नेतन्याहू ने स्पष्ट रूप से नहीं बताया है कि वह कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा घोषित समझौते को स्वीकार करते हैं या नहीं। नेतन्याहू ने एक बयान में यह जरूर कहा था कि वह समझौते का अंतिम ब्योरा पूरा होने के बाद ही औपचारिक प्रतिक्रिया जारी करेंगे।

इससे पहले कतर के प्रधानमंत्री ने बुधवार 15 जनवरी को संघर्ष विराम समझौते के होने की घोषणा की। शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल सानी ने कतर की राजधानी दोहा में समझौते की घोषणा करते हुए कहा कि संघर्ष विराम समझौता रविवार से लागू होगा। उन्होंने आगे कहा कि इसकी सफलता इजरायल और हमास पर निर्भर करेगी वे यह सुनिश्चित करने के लिए सद्भावना से काम करें कि यह समझौता टूट न जाए।

दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने वॉशिंगटन से समझौते की तारीफ करते हुए कहा कि जब तक इजरायल और हमास दीर्घकालिक युद्धविराम के लिए बातचीत की मेज पर बने रहेंगे, तब तक युद्धविराम लागू रहेगा। बाइडन ने इस समझौते को सफल बनाने के लिए महीनों की अमेरिकी कूटनीति को श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि समझौता वार्ता के प्रयास में उनका प्रशासन और नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टीम एक भाषा में बोल रही थी।

इस समझौते की घोषणा के बाद बड़ी संख्या में फलस्तीनी सड़कों पर उतरे और उन्होंने खुशी मनाई। मध्य गाजा के दीर अल बलाह में महमूद वादी ने कहा कि इस समय हम जो महसूस कर रहे हैं, कोई नहीं कर सकता। इसे बयां नहीं किया जा सकता।

चुनाव प्रचार में एआई का मनमाने ढंग से उपयोग नहीं कर सकेंगीं पार्टियां, आयोग ने जारी की एडवाइजरी

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आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस यानी एआई का इस्तेमाल आज लगभग हर क्षेत्र में किया जा रहा है। एक तरफ जहां एआई ने लोगों का काम आसान किया है। वहीं, इसका दुरुपयोग भी खूब किया जा रहा है। चुनाव में एआई के इस्तेमाल को लेकर कोई परेशानी न खड़ी हो, इसीलिए चुनाव आयोग सख्त है। इलेक्शन कमीशन ने चुनाव में एआई के इस्तेमाल को लेकर एडवाइजरी जारी की है। आयोग ने कहा है कि राजनीतिक दल और उम्मीदवार एआई से जारी होने वाली सामग्री का उचित रूप से खुलासा जरूर करें।

चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को जारी की गई एडवाइजरी में कहा है कि अगर कोई राजनीतिक दल या उम्मीदवार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के जरिये किसी फोटो, वीडियो या अन्य सामग्री का उपयोग करे तो उसके स्रोत की जानकारी का खुलासा जरूर किया जाए। आयोग ने कहा कि राजनीतिक दल विज्ञापन और प्रचार सामग्री पर अगर सिथेंटिक कंटेट का उपयोग करेंगे तो उनको इसका अस्वीकरण देना होगा।

पारदर्शिता बने रहने के लिए ये जरूरी

चुनाव आयोग ने यह दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जिस तरह से बड़े पैमाने पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा तैयार किया जा रहे हैं कंटेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है, वह मुमकिन है कि मतदाताओं को प्रभावित करें। लिहाजा जरूरत इस बात की है कि पूरी पारदर्शिता बनी रहे और मतदाता को पता हो कि कौन सा कंटेंट ओरिजिनल है और कौन सा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की तकनीक द्वारा इस्तेमाल कर बनाया गया।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने प्रशासन को गलत सूचना फैलाने के किसी भी प्रयास के प्रति सतर्क रहने और तेजी से कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।उन्होंने राजनीतिक दलों से चुनाव प्रचार में गरिमा और शिष्टाचार बनाए रखने का भी आग्रह किया है।

पहले ही किया था सतर्क

चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार ने हाल में गलत जानकारी फैलाने में एआई और ‘डीप फेक’ के इस्तेमाल के खिलाफ चेतावनी दी थी। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि ‘डीप फेक’ और गलत सूचनाओं से चुनावी प्रक्रियाओं में विश्वास खत्म हो सकता है। पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान आयोग ने सोशल मीडिया मंचों के जिम्मेदारीपूर्ण और नैतिक तरीके से इस्तेमाल के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे।

लगातार सामने आ रहे डीपफेक के मामले

दिल्ली विधानसभा चुनाव में डीपफेक और भ्रामक संदेश फैलाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। हाल ही में पुलिस ने आप के खिलाफ प्रधानमंत्री व गृहमंत्री की एआई-जनरेटेड तस्वीरें और वीडियो पार्टी के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट करने के आरोप में पांच एफआईआर दर्ज की हैं। शिकायतें 10 जनवरी और 13 जनवरी को पोस्ट किए गए वीडियो से जुड़ी थीं, जिनमें से एक में 90 के दशक की बॉलीवुड फिल्म के दृश्य में भाजपा नेताओं को चित्रित करने के लिए एआई-डीपफेक तकनीक का उपयोग किया गया था। इसके साथ ही सोशल मीडिया और एआई के दुरुपयोग को रोकने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। आयोग का मानना है कि डीपफेक वीडियो चुनाव कानूनों और निर्देशों का उल्लंघन करके चुनावी प्रक्रिया को बाधित करते हैं।

प्रणब मुखर्जी के स्मारक के बगल में होगा मनमोहन सिंह का मेमोरियल, जानें कहां है वो 1.5 एकड़ जमीन

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केन्द्र की मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मेमोरियल के लिए डेढ़ एकड़ जमीन को चिह्नित कर दी है। ये जमीन राष्ट्रीय स्मृति परिसर में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की समाधि के ठीक बगल में है। गृह मंत्रालय और शहरी मामलों के मंत्रालय ने मनमोहन सिंह के परिवार को आधिकारिक रूप से इस फैसले के बारे में सूचित किया है। साथ ही परिवार से एक ट्रस्ट रजिस्टर करने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि ये सार्वजनिक भूमि के आवंटन के लिए अनिवार्य प्रक्रिया है। इस कदम से भूमि आवंटन की कानूनी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।

सूत्रों के अनुसार, सिंह के परिवार के सदस्यों से साइट का निरीक्षण करने का अनुरोध किया गया है,लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है। परिवार अभी शोक में है,इसलिए उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर कोई फैसला नहीं लिया है। सूत्र ने कहा कि मनमोहन सिंह परिवार तय करेगा कि उन्हें किस तरह का स्मारक चाहिए। इसमें समय लग सकता है। परिवार इस पर विचार करेगा कि वे किस तरह का स्मारक बनाना चाहते हैं। फिर वे सरकार को सूचित करेंगे।

टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरूआत में ही मनमोहन सिंह के मेमोरियल के लिए जमीन चिह्नित करने के लिए अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्मृति परिसर का दौरा किया था। राष्ट्रीय स्मृति यमुना किनारे विकसित की गई है। यह राष्ट्रपतियों, उपराष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों और पूर्व राष्ट्रपतियों, पूर्व उपराष्ट्रपतियों और पूर्व प्रधानमंत्रियों के अंतिम संस्कार और स्मारकों के लिए एक सामान्य स्थान है। वर्तमान में परिसर में सात नेताओं के स्मारक हैं। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी,पी वी नरसिम्हा राव,चंद्रशेखर और आई के गुजराल शामिल हैं। अब बचे दो स्थान मनमोहन सिंह और प्रणब मुखर्जी के लिए निर्धारित किए गए हैं।

बता दें कि मनमोहन सिंह की समाधि स्थल के लिए खूब विवाद हुआ था। केंद्र ने कांग्रेस पर दिग्गज नेता की मौत के बाद राजनीति करने का आरोप लगाया था। तो कांग्रेस ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए ‘अपमान’ करने का आरोप लगाया था।

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर कई तरह के आरोप लगाए थे। यहां तक की मनमोहन सिंह के निधन के बाद ही इस मामले पर दोनों दलों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया था। जबकि खुद पीएम मोदी से लेकर केंद्र सरकार के सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी में मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया था।

डॉ. मनमोहन सिंह ने 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी थे। उनके कार्यकाल के दौरान भारत ने आर्थिक विकास देखा। राष्ट्रीय स्मृति परिसर में स्मारक बनाने से लोगों को डॉ. सिंह के जीवन और कार्यों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। यह उनके योगदान को याद रखने और भावी पीढ़ियों को प्रेरित करने का एक तरीका होगा।

जाते-जाते भारत पर मेहरबान हुई बाइडेन सरकार, भाभा समेत 3 परमाणु संस्थानों से हटाए प्रतिबंध

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अमेरिका की जो बाइडन सरकार ने जाते-जाते भारत पर तोहफों की बारिश की है। अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर 20 साल से लगा प्रतिबंध हटाया। इसमें भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (IGCAR) और इंडियन रेयर अर्थ (IRE) के नाम हैं। वहीं, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चाइना की 11 संस्थाओं को प्रतिबंध की लिस्ट में जोड़ा है। यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो ऑफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) ने इसकी पुष्टि की है।

बीआईएस के अनुसार, बार्क के अलावा इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) पर से प्रतिबंध हटाया गया है। तीनों संस्थान भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करते हैं और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में किए जाने वाले कार्यों पर निगरानी रखते हैं।

बीआईएस ने कहा, इस निर्णय का उद्देश्य संयुक्त अनुसंधान और विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन करना है, जो साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की ओर ले जाएगा। अमेरिका व भारत शांतिपूर्ण परमाणु सहयोग और संबंधित अनुसंधान और विकास गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

अमेरिका ने पहले ही दिया था संकेत

अमेरिका का ये फैसला अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन के 6 जनवरी के हुए भारत दौरे के बाद आया।सुलिवन ने दिल्ली आईआईटी में कहा था कि अमेरिका उन नियमों को हटाएगा जो भारतीय परमाणु संस्थाओं और अमेरिकी कंपनियों के बीच सहयोग में बाधा डाल रहे हैं। उन्होंने कहा था कि लगभग 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की नींव रखी थी, जिसे हमें अब पूरी तरह हकीकत बनाना है।

परमाणु समझौते का क्रियान्वयन होगा आसान

प्रतिबंध हटाने के फैसले को 16 साल पहले भारत और अमेरिका के बीच हुए नागरिक परमाणु समझौते के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। दोनों देशों में 2008 में तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह और अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल के दौरान समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।

चीन पर गिराई गाज

जहां अमेरिका ने भारत के लिए ये रियायतें दी हैं, वहीं चीन के 11 संगठनों को 'एंटिटी लिस्ट' में जोड़ा गया है. यह कदम अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जो चीन और अन्य विरोधियों की एडवांस सेमीकंडक्टर और AI तकनीकों तक पहुंच को सीमित करना चाहती है