CM योगी ने दी मकर संक्रांति की शुभकामनाएं, बाबा गोरखनाथ को चढ़ाई खिचड़ी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मकर संक्रांति पर गोरखनाथ मंदिर में प्रसाद के रूप में खिचड़ी चढ़ाई. इसके बाद सीएम योगी ने कहा कि मैं मकर संक्रांति के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं देता हूं. यह भगवान सूर्य के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का त्योहार और उत्सव है. सनातन धर्म के अनुयायी इस त्योहार को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाते हैं.

इसके साथ ही सीएम योगी ने कहा कि आज महाकुंभ के पहले अमृत स्नान का दिन है, देश और दुनिया में महाकुंभ के प्रति आकर्षण देखना अविश्वसनीय है. उन्होंने कहा कि सोमवार को पहल दिन लगभग 1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम पर डुबकी लगाई.

दरअसल प्रयागराज में पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ महाकुंभ मेला सोमवार से शुरू हो गया. मेला प्रशासन के मुताबिक, सोमवार को 1.75 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान, श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए. सीएम योगी ने सभी श्रद्धालुओं, संत महात्माओं, कल्पवासियों और आगंतुकों का स्वागत करते हुए महाकुंभ के प्रथम स्नान की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने महाकुंभ को भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक गरिमा का प्रतीक बताया.

13 अखाड़ों का अमृत स्नान

प्रयागराज महाकुंभ में पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व के सकुशल समापन के बाद अब आज महास्नान यानी शाही स्नान होगा, जिसे इस बार अमृत स्नान नाम दिया गया है. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, महाकुंभ मेला प्रशासन की तरफ से पूर्व की मान्यताओं का पूरी तरह ध्यान रखते हुए सनातन धर्म के 13 अखाड़ों के लिए अमृत स्नान का भी स्नान क्रम जारी किया गया है.

महाकुंभ 2025: दुनिया की 'सबसे खूबसूरत साध्वी' ने खुद को साध्वी मानने से किया इनकार

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी, सोमवार से महाकुंभ 2025 की शुरुआत हो गई है. पहले दिन पौष पूर्णिमा के मौके पर 1.5 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे. श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. विदेशों से भी कई श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंचे, लेकिन इस दौरान सबसे ज्यादा एक साध्वी की ओर सभी का ध्यान गया, जिन्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत साध्वी कहा जा रहा है.

साध्वी हर्षा रिछारिया की महाकुंभ से कई तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आई हैं और खूब वायरल हो रही हैं. अब उन्होंने बताया कि वह लाइमलाइट और ग्लैमरस की दुनिया को छोड़कर इस तरफ कैसे आईं. हर्षा रिछारिया ने अपने आप को साध्वी मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर मुझे “साध्वी” का टैग दे दिया गया है, लेकिन ये उचित नहीं है. क्योंकि अभी मैं पूरी तरह से इस चीज में नहीं गई हूं. अभी मुझे इस चीज की इजाजत भी नहीं मिली है.

संन्यास लेने पर क्या बोलीं हर्षा?

उन्होंने संन्याल लेने के नाम पर कहा, “किसने कहा कि मैंने संन्यास ले लिया है. जब आपके मन में श्रद्धा ज्यादा बढ़ जाती है, तो आप अपने आप को किसी भी रूप में में ढाल सकते हैं. मैं ये (संन्यासी) रूप दो साल से लेना चाहती थीं, लेकिन मेरे काम की वजह से मैं ऐसा नहीं कर पा रही थीं, लेकिन अब मुझे मौका मिला और मैंने ऐसा कर लिया है.”

मैं पहले से ही वायरल थीं”

इसके साथ ही उनसे कहा गया कि कहा जाता है कि वायरल होने के लिए इस तरह की वेशभूषा धारण की है तो इस पर जवाब देते हुए हर्षा रिछारिया ने कहा कि मुझे वायरल होने की जरूरत नहीं है. मैं पहले से ही देश में बहुत वायरल हूं. मैं 10 से भी ज्यादा बार वायरल हो चुकी हूं. अब मेरी श्रद्धा है, मैं जैसे चाहे वैसे रहना चाहती हूं. युवाओं को लेकर कहा कि आज के युवा अपने धर्म और संस्कृति को लेकर जागरूक हो रहे हैं.

क्यों छोड़ी ग्लैमरस की दुनिया

ग्लैमरस की दुनिया को छोड़ने पर उन्होंने कहा, “कुछ चीजें हमारी किस्मत में लिखी होती हैं. हमारे कुछ पुराने कर्मों और जन्मों का फल भी होता है, जो हमें इस जन्म में मिलता है. कब हमारी जिंदगी क्या मोड़ ले. ये सब कुछ निर्धारित होता है. मैंने देश विदेश में शो किए हैं, एंकरिंग की, एक्टिंग की, लेकिन पिछले एक से डेढ़ साल से मैं बहुत अच्छी साधना में लगी हुई है. मैंने पहले वाली जिंदगी को विराम दे दिया है. मैं इसे बहुत एंजॉय कर रही हूं. मुझे साधना में सुकून मिलता है.”

फोन चोरी होने का है खतरा, तो लें Google की ‘शरण’, ये सिक्योरिटी फीचर्स करेंगे आपकी मदद

स्मार्टफोन की चोरी एक आम समस्या है. अगर आपका फोन चोरी हो जाता है, तो न सिर्फ आपका फोन खोता है, बल्कि आपकी पर्सनल जानकारी भी खतरे में पड़ सकती है. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गूगल ने एंड्रॉयड फोन के लिए कुछ खास सिक्योरिटी फीचर्स दिए हैं, जिनसे आप अपने फोन को सुरक्षित रख सकते हैं. यह फीचर्स गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन के तहत मिलते हैं. एंड्रॉयड 10 या उससे ऊपर के वर्जन पर ये फीचर्स आसानी से मिल जाएंगे.

गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन एक सिक्योरिटी सर्विस है, जो खास तौर पर आपके फोन और डेटा को चोरी से बचाने के लिए डिजाइन की गई है. अगर आपका फोन चोरी हो जाता है, तो यह सर्विस आपके फोन को लॉक कर सकती है, उसकी ट्रैकिंग कर सकती है, और आपके फोन का डेटा भी डिलीट कर सकती है. इसके सभी फीचर्स आपके फोन की सेफ्टी को और भी बढ़ा देते हैं.

Google Theft Protection: ऐसे करें चालू

गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन को एक्टिव करना बहुत आसान है. बस कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करें:

फोन पर Settings ऐप को खोलें.

अब नीचे स्क्रॉल करके Security and Privacy पर टैप करें.

फिर Device Unlock ऑप्शन पर जाएं.

यहां Theft Protection का ऑप्शन मिलेगा. उसे चुनें.

अब आपको कई ऑप्शन्स दिखाई देंगे, जैसे Theft Detection Lock, Offline Device Lock, Remote Lock, और Find My Device.

इन सभी फीचर्स को ऑन कर दें. अगर आपको ज्यादा सुरक्षा चाहिए, तो बायोमेट्रिक डेटा (जैसे फिंगरप्रिंट या फेस अनलॉक) के जरिए ऑथेंटिकेशन करना होगा.

Google Theft Protection: फीचर्स

गूगल थेफ्ट प्रोटेक्शन के कुछ मेन फीचर्स के बारे में नीचे बताया गया है.

Theft Detection Lock: यह फीचर आपके फोन को तब लॉक कर देता है जब यह संदिग्ध एक्टिविटी का पता लगाता है. जैसे ही यह महसूस करता है कि फोन चोरी हो सकता है, यह तुरंत लॉक हो जाएगा.

Offline Device Lock: अगर आपका फोन इंटरनेट से जुड़ा नहीं है (ऑफलाइन है), तो यह फीचर आपके फोन की स्क्रीन को लॉक कर देता है. इससे फोन तब भी सुरक्षित रहता है, जब वह ऑनलाइन न हो.

Remote Lock: इस फीचर की मदद से आप अपने फोन को कहीं से भी लॉक कर सकते हैं. आपको बस android.com/lock पर जाकर अपना फोन लॉक करना होता है. अगर फोन ऑफलाइन है, तो जैसे ही ऑनलाइन होगा, वो खुद-ब-खुद लॉक हो जाएगा.

Find and Erase Device: इस फीचर के जरिए आप अपने फोन को ट्रैक कर सकते हैं और अगर फोन चोरी हो जाए, तो आप अपनी सारी जानकारी मिटा सकते हैं, ताकि आपकी निजी जानकारी सुरक्षित रहे, और चोर के हाथ न लगे.

आपके लिए जरूरी बात

थेफ्ट डिटेक्श लॉक फीचर Wi-Fi या ब्लूटूथ से जुड़े फोन पर सही से काम नहीं करता. अगर आप अक्सर ब्लूटूथ डिवाइस का इस्तेमाल करते हैं, तो यह फीचर काम करने में दिक्कत कर सकता है. अगर आप फोन को बार-बार लॉक करते हैं, तो थेफ्ट डिटेक्शन लॉक कुछ समय के लिए रुक सकता है, जिससे गलत अलर्ट्स आ सकते हैं.

जबलपुर में दर्दनाक हादसा: आग लगने से 10 कुत्तों की मौत, कई पक्षी भी झुलसे

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के संजीवनी नगर थाना क्षेत्र में एक दर्दनाक घटना सामने आई, जहां एक मकान में आग लगने से 10 कुत्तों की जिंदा जलकर मौत हो गई. इस घटना में कुछ पक्षियों की भी जलकर मौत हो गई, जबकि दो कुत्ते गंभीर रूप से झुलस गए. वहीं घर में रखा घर गृहस्थी का सामान भी जलकर राख हो गया. फिलहाल इस पूरे मामले में डॉग लवर की शिकायत पर संजीवनी नगर पुलिस ने एफआईआर दर्ज करते हुए पूरे मामले की जांच शुरू कर दी.

यह हादसा उस समय हुआ, जब मकान में रहने वाली काजल कुंडू नाम की महिला, जो पश्चिम बंगाल की रहने वाली है और जबलपुर में कोचिंग पढ़ाने का काम करती है, किसी काम से घर में ताला लगाकर बाहर गई हुई थी. काजल ने घर में एक दर्जन से अधिक कुत्ते और पक्षी पाल रखे थे. घटना के समय घर खाली था और आग ने सभी जानवरों को अपनी चपेट में ले लिया.

फायर ब्रिगेड ने बुझाई आग

घटना की सूचना मिलते ही पड़ोसियों ने फायर ब्रिगेड और पुलिस को सूचित किया. फायर ब्रिगेड की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक कुत्तों और पक्षियों की मौत हो चुकी थी. फायर ब्रिगेड अधिकारी कुशाग्र ठाकुर ने कहा कि प्राथमिक जांच में आग लगने का कारण शॉर्ट सर्किट लग रहा है. हालांकि, काजल कुंडू का आरोप है कि यह घटना किसी साजिश के तहत हुई है और किसी ने जानबूझकर आग लगाई है.

इस मामले में काजल ने संजीवनी नगर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस ने घटना की जांच शुरू कर दी है और आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने में जुटी है. पड़ोसियों का कहना है कि महिला अपने जानवरों के प्रति काफी संवेदनशील थी और उन्हें परिवार की तरह देखती थी.

सदमे डॉग लवर महिला, वापस लौटेगी बंगाल

घटना के बाद से काजल बेहद सहमी हुई हैं और उन्होंने कोलकाता लौटने का फैसला किया है. वहीं, इस घटना ने पशु प्रेमियों को गहरा आघात पहुंचाया है. एक स्थानीय डॉग लवर दीपमाला ने कहा कि इस मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि दोषियों को सजा मिल सके. पड़ोसी आशीष सिन्हा ने बताया कि महिला हमेशा अपने जानवरों की देखभाल में लगी रहती थी और यह घटना बेहद दुखद है. पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम मिलकर घटना के असली कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रही है.

तेलंगाना में पतंग लूटने के दौरान 8 साल के बच्चे की मौत, परिवार में मातम

तेलंगाना के मेडक जिले में पतंग लूटने के दौरान एक 8 साल के बच्चे की मौत हो गई. बच्चा पतंग लूटने के लिए सड़क पर दौड़ रहा था. इसी दौरान वह एक गाड़ी से टकराकर नीचे गिर गया. स्थानीय लोग उसे लेकर पहुंचे, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. घटना के बाद से ही पीड़ित परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. पुलिस ने बच्चे के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है.

मेडक जिले के टेकमल मंडल केंद्र का नीरुडी श्रीराम (8) नाम का एक लड़का टूटी हुई पतंग की तलाश कर रहा था. इसी दौरान जब वह बिना देखे ही सड़के उल्टी तरफ दौड़ रहा था और फिर वह एक ट्रैक्टर से टकरा गया. टक्कर होते ही श्रीराम नीचे गिर गया. घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोग बच्चे को जोगिपेट के सरकारी अस्पताल ले गए, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. बताया जा रहा है कि अभी कुछ दिनों पहले बच्चे के पिता की तालाब में गिरने से मौत हो गई थी.

पतंग लूटने के दौरान 8 साल के बच्चे की मौत

बहुत ही कम दो लोगों की मौत से परिवार टूट गया है. घटना के बाद पीड़ित परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है. मृतक पतंग खरीदने के लिए 20 किलोमीटर दूर गया था. इस दौरान जोगीपेट शहर में उसकी मौत हो गई. श्रीराम की मौत से घबराए साथी दोस्त उसके घर पहुंचे और यहां आकर उन्होंने श्रीराम के परिवार और गांववालों की घटना की जानकारी दी. घटना के बाद अस्पताल पहुंचे परिवार वाले बच्चे को मृत चीख-चीखकर रोने लगे.

गांव में पसरा सन्नाटा

घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने श्रीराम के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस का कहना है कि वह आरोपी ट्रैक्टर ड्राइवर के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करेंगे. इस तरह की घटना के बाद से ही श्रीराम के गांव में सन्नाटा पसर गया है.

अमेरिकी सेना का जवान कैसे बना ‘बाबा मोक्षपुरी’? जानें

महाकुंभ-2025 ने भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के संतों और आध्यात्मिक गुरुओं को अपनी ओर आकर्षित किया है. इनमें से एक नाम है अमेरिका के न्यू मैक्सिको में जन्मे बाबा मोक्षपुरी का. बाबा मोक्षपुरी, जो कभी अमेरिकी सेना में सैनिक थे, अब सनातन धर्म के प्रचारक बन गए हैं. उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा और सनातन धर्म से जुड़ने की कहानी साझा की.

बाबा मोक्षपुरी कहते हैं, “मैं भी कभी एक सामान्य व्यक्ति था. मुझे परिवार और पत्नी के साथ समय बिताना पसंद था और सेना में भी शामिल हुआ था, लेकिन एक समय ऐसा आया जब मैंने महसूस किया कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है. तभी मैंने मोक्ष की तलाश में इस आध्यात्मिक यात्रा की शुरुआत की.” अब वे जूना अखाड़े से जुड़े हैं और अपना पूरा जीवन सनातन धर्म के प्रचार में समर्पित कर चुके हैं.

भारत यात्रा ने बदला जीवन

बाबा मोक्षपुरी ने सन 2000 में पहली बार भारत यात्रा की. वह कहते हैं, “यह यात्रा मेरे जीवन की सबसे यादगार घटना थी. यहीं मैंने ध्यान और योग को जाना और पहली बार सनातन धर्म के बारे में समझा. भारतीय संस्कृति और परंपराओं ने मुझे गहराई से प्रभावित किया. यह मेरी आध्यात्मिक जागृति की शुरुआत थी.”

बेटे की मृत्यु से मिली नई दिशा

बाबा मोक्षपुरी के जीवन में बड़ा मोड़ तब आया, जब उनके बेटे का असमय निधन हो गया. उन्होंने बताया, “इस घटना ने मुझे यह सिखाया कि जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है. इसी दौरान मैंने ध्यान और योग को अपनी शरणस्थली बनाया, जो मुझे इस कठिन समय से बाहर निकाले.”

योग और सनातन धर्म के प्रचारक

इसके बाद बाबा मोक्षपुरी ने योग, ध्यान और अपनी आध्यात्मिक समझ को पूरी तरह से समर्पित कर दिया. वह अब पूरी दुनिया में घूमकर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की शिक्षाओं का प्रचार कर रहे हैं. 2016 में उज्जैन कुंभ के बाद से उन्होंने हर महाकुंभ में भाग लेने का संकल्प लिया है और मानते हैं कि ऐसी परंपरा सिर्फ भारत में ही संभव है.

नीम करोली बाबा से मिली प्रेरणा

बाबा मोक्षपुरी ने अपनी आध्यात्मिक यात्रा में नीम करोली बाबा के प्रभाव का खास तौर पर उल्लेख किया. वह कहते हैं, “नीम करोली बाबा के आश्रम में भक्ति और ध्यान की ऊर्जा ने मुझे गहरे तक प्रभावित किया. मुझे वहां ऐसा महसूस हुआ जैसे बाबा स्वयं भगवान हनुमान का रूप हैं. यह अनुभव मेरे जीवन में भक्ति, ध्यान और योग के प्रति मेरी प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है.”

न्यू मैक्सिको में आश्रम खोलने की योजना

अब बाबा मोक्षपुरी ने अपनी पश्चिमी जीवनशैली को छोड़कर ध्यान और आत्मज्ञान के मार्ग को अपनाया है. उनका अगला लक्ष्य न्यू मैक्सिको में एक आश्रम खोलने का है, जहां वह भारतीय दर्शन और योग का प्रचार करेंगे.

नागा साधु: जानें क्यों लगाते हैं शरीर पर भस्म और क्या है इसका धार्मिक महत्व

नागा साधु कठोर तपस्या और साधना के लिए जाने जाते हैं. वे भगवान शिव के परम भक्त होते हैं और अक्सर महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में देखे जाते हैं. इन साधुओं का जीवन पूरी तरह से सांसारिक सुखों से दूर होता है, लेकिन एक बात जो अक्सर लोगों के मन में उठती है, वह यह है कि ये साधु अपने शरीर पर भस्म क्यों लगाते हैं? आइए, जानें इसके धार्मिक और ऐतिहासिक कारणों के बारे में.

नागा साधु अपने शरीर पर भस्म या राख लगाते हैं, जिसे वे ‘भभूत’ भी कहते हैं. भस्म का उपयोग एक धार्मिक प्रतीक के रूप में किया जाता है और यह पवित्रता का प्रतीक मानी जाती है. भगवान शिव के भक्त होने के कारण, नागा साधु चिता की राख या धूनी की राख अपने शरीर पर लगाते हैं. यह उन्हें नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है और मानसिक शांति प्रदान करता है.

भस्म बनाने की प्रक्रिया

भस्म बनाने की प्रक्रिया काफी लंबी होती है. हवन कुंड में पीपल, पाखड़, रसाला, बेलपत्र, केला और गाय के गोबर को जलाकर राख तैयार की जाती है. फिर इस राख को छानकर कच्चे दूध में लड्डू बनाया जाता है. इसे सात बार अग्नि में तपाकर और फिर कच्चे दूध से बुझाया जाता है. यह प्रक्रिया भस्म को शुद्ध और पवित्र बनाने के लिए की जाती है. इस भस्म को बाद में नागा साधु अपने शरीर पर लगाते हैं.

भस्म का शारीरिक लाभ

कई लोग यह सवाल करते हैं कि जब नागा साधु ठंड के मौसम में बिना कपड़ों के रहते हैं, तो उन्हें ठंड नहीं लगती. इसका एक मुख्य कारण यह है कि भस्म शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है. भस्म शरीर पर एक इंसुलेटर का काम करती है, जिससे साधु ठंड या गर्मी से प्रभावित नहीं होते. इसमें कैल्शियम, पोटैशियम और फास्फोरस जैसे खनिज होते हैं, जो शरीर के तापमान को संतुलित रखने में मदद करते हैं.

भस्म और साधना का संबंध

नागा साधु भस्म को सिर्फ शरीर को गर्म रखने के लिए नहीं लगाते, बल्कि यह उनके साधना और तपस्या का हिस्सा है. वे मानते हैं कि भस्म शरीर को शुद्ध करती है और आत्मिक शक्ति को बढ़ाती है. यह उन्हें मानसिक शांति, स्थिरता और ध्यान की गहरी स्थिति में मदद करती है. इसके अलावा, भस्म को लगाने से साधु अपने शरीर के सारे भौतिक बंधनों से मुक्त होते हैं और वे पूरी तरह से आत्मा की साधना में लीन हो जाते हैं.

नागा साधु और उनके रहन-सहन

नागा साधु अपने शरीर पर भस्म लगाकर निर्वस्त्र रहते हैं और अपने शरीर की रक्षा के लिए चिमटा, चिलम, कमंडल जैसे वस्त्र और हथियार रखते हैं. उनके पास त्रिशूल, तलवार और भाला होते हैं, जो उन्हें आत्मरक्षा और धर्म की रक्षा के प्रतीक माने जाते हैं. उनकी बड़ी-बड़ी जटाएं और उनके मस्तक पर तीनधारी तिलक (त्रिपुंड) उनके विशेष रूप को दर्शाते हैं.

भस्म न केवल उन्हें ठंड और गर्मी से बचाती है, बल्कि यह उनके मानसिक और आत्मिक शुद्धिकरण का भी एक तरीका है. इस प्रक्रिया के जरिए नागा साधु अपने आप को ईश्वर के प्रति पूरी तरह समर्पित और सांसारिक मोह-माया से मुक्त कर लेते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद रेलवे की अपील: यात्रियों से कहा- टिकटों की कालाबाजारी की शिकायत करें

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय रेलवे ने रेल टिकटों को लेकर यात्रियों से अपील की है. भारतीय रेलवे ने कहा है कि यात्रियों को फेयर टिकट मिले, इसको लेकर हम प्रतिबद्ध हैं. अगर इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी दिखे तो हमें तुरंत बताएं. ऐसा करके आप रेलवे सिस्टम को ठीक करने में मदद कर सकते हैं. रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताया.

आरपीएफ के डीजी मनोज यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला असली रेल यात्रियों के अधिकारों की रक्षा में एक ऐतिहासिक निर्णय है. रेल मंत्रालय ने केरल और मद्रास हाई कोर्ट के फैसलों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी, जिसमें अनधिकृत थोक रेलवे टिकट बुकिंग को सामाजिक अपराध बताया गया था.

सिस्टम को सुधारने में हमारा साथ दें- RPF DG

आरपीएफ के डीजी ने कहा कि आरपीएफ अपने मिशन में दृढ़ है. सभी वैध यात्रियों के लिए टिकट सुलभ हों और व्यक्तिगत लाभ के लिए सिस्टम का दुरुपयोग न हो. सिस्टम का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ हम सख्त कार्रवाई करेंगे. हम जनता से अपील करते हैं कि वे किसी भी अनियमितता की रिपोर्ट करें और रेलवे सिस्टम को सुधारने में हमारा साथ दें. सभी शिकायतों के लिए हेल्पलाइन नंबर 139 एक ही है. रेलमदद पोर्टल के माध्यम से भी शिकायत कर सकते हैं. RPF यात्रियों को रेलवे सिस्टम की अखंडता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है.

टिकटों की कालाबाजारी सामाजिक अपराध- SC

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि टिकटों की कालाबाजारी एक सामाजिक अपराध है और इससे आम लोगों को परेशानी होती है. रेलवे हमारे देश के बुनियादे ढांचे का आधार है. देश की अर्थव्यवस्था में इसका जबरदस्त प्रभाव है. रेल टिकट धोखाधड़ी अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है. इसे तुरंत रोका जाना चाहिए. इस फैसले से रेलवे टिकट, खासकर तत्काल टिकटों की कालाबाजारी रुकेगी. अब कोई भी व्यक्ति रेलवे टिकटों को जमा करके ज्यादा दामों पर नहीं बेच सकेगा. यह फैसला ऑनलाइन बुक किए गए टिकटों पर भी लागू होगा. सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2025 को यह फैसला सुनाया था.

एप्पल को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी महाकुंभ पहुंचीं, लॉरेन पॉवेल से हुईं कमला,मिला ये गोत्र

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो गई है, जहां हर तरफ राम भजन और जयकारे लग रहे हैं. महाकुंभ देश ही नहीं विदेशों में चर्चा का विषय बना हुआ है. विदेशों से भी श्रद्धालु महाकुंभ में पहुंच रहे हैं. इसी बीच apple कंपनी के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल भी प्रयागराज पहुंच गई हैं. वह अपने गुरु स्वामी कैलाशानंद महाराज के पास पहुंची हैं.

स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल अपनी 40 सदस्य की टीम के साथ महाकुंभ में पहुंची हैं. यहां वह महाकुंभ के कई अनुष्ठानों में हिस्सा लेंगी. लॉरेन पॉवेल महाकुंभ में एक संन्यासी का भेष धारण करके पहुंची हैं. वह भगवा चोला पहने और रुद्राक्ष की माला लिए नजर आ रही हैं. यहां लॉरेन पॉवेल कल्पवास करेंगी और साथ ही साधुओं की संगत में रहकर सादगी वाला जीवन व्यतीत करेंगी.

स्वामी कैलाशानंद को मानती हैं पिता

इससे पहले वह शनिवार को अपने गुरु, स्वामी कैलाशानंद गिरी, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर के आश्रम पहुंची थीं. साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर भी पहुंचीं थी. वहां वह गुलाबी सूट और सफेद दुपट्टे में नजर आई थीं. उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की थी. उन्हें अपने गुरु के साथ ही काशी विश्वनाथ में पूजा करते हुए देखा गया था. लॉरेन पॉवेल सनातन धर्म में काफी गहरी आस्था रखती हैं. इसके साथ ही वह गुरु स्वामी कैलाशानंद को न सिर्फ अपना गुरु, बल्कि वह उन्हें अपने पिता के समान मानती और समझती हैं. गुरु स्वामी कैलाशानंद भी ने भी लॉरेन पॉवेल को अपनी बेटी बताया और कहा था वह भी उन्हें अपनी बेटी की तरह से ही मानते हैं.

लॉरेन पॉवेल से कमला रखा गया नाम

स्वामी कैलाशानंद ने बताया कि लॉरेन पॉवेल को सनातन धर्म में आने के बाद अच्युत-गोत्र दिया गया है. इसके साथ ही उनका नाम भी लॉरेन पॉवेल से कमला रखा गया है. उन्होंने कहा कि लॉरेन उनकी बेटी जैसी हैं. उनके दूसरी बार भारत आने और कुंभ में उनका स्वागत है. वह ध्यान लगाने के लिए भारत आई हैं. वह शाही स्नान और मौनी अमावस्या के मौके पर महाकुंभ में शाही स्नान भी करेंगी. एक स्नान 14 जनवरी और दूसरा 29 जनवरी को होगा. ऐसे में बताया जा रहा है कि वह तब तक यहीं रहेंगी.

गुरुग्राम में वन्य जीवों की अवैध बिक्री: 85 तितलियों और अन्य जीवों की बरामदगी

हरियाणा के गुरुग्राम से अजब-गजब मामला सामने आया है. यहां वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने वन्य जीव विभाग के साथ मिलकर पंडाला में एक दुकान पर रेड मारी. रेड के दौरान यहां टीम ने अलग-अलग प्रजातियों की 85 तितलियों के साथ कछुए और बिच्छू जैसे जीव भी बरामद किए. ये सभी मृत अवस्था में शोपीस में सजाए गए थे. फिलहाल अधिकारियों ने इन सभी को कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है.

मामले में अधिकारियों का कहना है कि वे आला अधिकारी से कार्रवाई को लेकर सलाह ले रहे हैं. यदि ये सभी प्रजातियां वाइल्ड लाइफ एक्ट के शेड्यूल-1 में आती हैं, तो आरोपी दुकानदार को तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाएगा. अगर ये सभी प्रजातियां वाइल्ड लाइफ एक्ट के शेड्यूल-2 में आती हैं, तो दुकानदार पर जुर्माना लगाया जा सकता है.

वाइल्ड लाइफ अधिकारी की मानें तो वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो के पास तितलियों को शोकेस में सजाकर बेचे जाने की सूचना थी. इस पर टीम ने गुड़गांव वाइल्ड लाइफ विभाग की टीम के साथ मिलकर पंडाला एरिया में एक दुकान पर रेड की जहां ये सारा सामान बरामद किया गया है.

कई वन्य जीव बरामद

आरोपी शोपीस में सजाकर 5 से 10 हजार रुपये में बेचते थे. प्रारंभिक पूछताछ में सामने आया है कि इन्हें बेचने वाला दुकानदार कहीं बाहर गया था. जहां उसने इस तरह से वन्यजीवों को शोपीस में रखकर बेचते देखा. जिसके बाद उसने इसकी यहां शुरुआत की. इनकी बिक्री वह ऑनलाइन ही करता था. यह सामान 5 से 10 हजार रुपये में बेचा जाता था. फिलहाल अधिकारियों ने दुकानदार से पूरी जानकारी अपने पास जुटाने के साथ ही यहां से बरामद तितलियों, बिच्छू और अन्य वन्य जीवों को भी कब्जे में लेकर लैब भेज दिया है. अब अधिकारी लैब रिपोर्ट आने व अधिकारियों के अगले आदेश का इंतजार कर रहे हैं. आदेशों व रिपोर्ट के आधार पर आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.