संजय सिंह की पत्‍नी पर ऐसा क्या बोल गए मनोज तिवारी? आप नेता ने दी कोर्ट में घसीटने की धमकी

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आम आदमी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी नेता मनोज तिवारी को कोर्ट में घसीटने की धमकी दी है। संजय सिंह का कहना है कि उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने की कोशिश की गई। आप नेता ने कहा कि बीजेपी वाले झूठ फैलाते रहते हैं। दरअसल, मनोज तिवारी ने आप नेता संजय सिंह की पत्‍नी के वोटर आईडी पर सवाल खड़े किए थे। जिसको लेकर संजय सिंह ने बीजेपी नेता मनोज तिवारी के खिलाफ मानहानि का केस करने को लेकर चेतावनी दी है।

संजय सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि बीजेपी ने फिर से झूठ फैलाना किया शुरू कर दिया है। बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्वांचलियों को रोहिंग्या और बांग्लादेशी बताया और उनके वोट कटवाने की एप्लीकेशन दी। इसका मैंने संसद में विरोध किया तो बीजेपी वालों ने मेरी पत्नी का वोट कटवाने की एप्लीकेशन दे दी। अब बीजेपी झूठ फैला रही है कि मेरी धर्मपत्नी का सुल्तानपुर में वोट है। इस झूठ को फैलाने में मनोज तिवारी भी शामिल हैं।

आप नेता ने कहा, 'अनीता सिंह ने 4 जनवरी 2024 को सुल्तानपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी को वोट कटवाने की एप्लीकेशन दी। बीजेपी नेता अमित मालवीय और मनोज तिवारी ने मेरा अपमान किया है। अब मैं इन दोनों नेताओं के खिलाफ मानहानि का मुकदमा करूंगा।' क्या बीजेपी वाले हमारे पैतृक आवास पर भी कब्जा करना चाहते हैं? मैं बीजेपी से कहना चाहता हूं कि तुरंत इलेक्शन कमिशन की वेबसाइट पर जाकर मेरी पत्नी अनीता सिंह के एपिक नंबर 2202935 पर चेक करो कि कहां इनका वोट बना हुआ है

संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली की विभिन्न विधानसभाओं में नियमों के खिलाफ जाकर हजारों वोट कटवाने की एप्लीकेशन दी। लेकिन हम उनकी इस साजिश को सफल नहीं होने देंगे। हम पूर्वांचल समाज का अपमान नहीं होने देंगे

इससे पहले बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने दावा किया था कि संजय सिंह की पत्नी ने 2024 लोकसभा चुनाव में दिल्ली में मतदान किया था। मनोज तिवारी का कहना है कि अगर शपथपत्र के मुताबिक अनीता सिंह यूपी के सुल्तानपुर में रजिस्‍टर्ड मतदाता हैं तो उनका दिल्ली में वोट देना अवैध और गैर-कानूनी है। बीजेपी की तरफ से इसे गंभीर मामला करार देते हुए चुनाव आयोग से तुरंत कार्रवाई की मांग की गई।

भारत बहुत भाग्यशाली नहीं, दुश्मन अंदर भी हैं, बाहर भी", ऐसा क्यों बोले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह*

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केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत सुरक्षा के मोर्चे पर बहुत भाग्यशाली नहीं रहा है। देश को बाहरी और आंतरिक दोनों तरफ से खतरों का सामना करना पड़ता है। हमें लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।राजनाथ सिंह ने रविवार को मध्य प्रदेश के इंदौर जिले स्थित महू छावनी में सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए सीमा पर सुरक्षा को लेकर ये बातें कहीं। साथ ही रक्षा मंत्री ने सेना के जवानों से आह्वान किया कि वे बाहरी और आंतरिक दुश्मनों पर कड़ी नजर रखें।

आंतरिक या बाहरी दुश्मन हमेशा सक्रिय-राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री ने रविवार को इंदौर से 25 किलोमीटर दूर महू छावनी में मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और इन्फैंट्री स्कूल, प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान आर्मी वॉर कॉलेज (एडब्ल्यूएस) के साथ-साथ इन्फैंट्री म्यूजियम और आर्मी मार्कस्मैनशिप यूनिट का दौरा किया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा, सुरक्षा के नजरिए से भारत बहुत भाग्यशाली देश नहीं है, क्योंकि हमारी उत्तरी सीमा और पश्चिमी सीमा लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है। उन्होंने सैन्यकर्मियों से कहा, हमें आंतरिक मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसी असुरक्षा के साथ हम बेफिक्र नहीं हो सकते। हमारे दुश्मन, चाहे आंतरिक हों या बाहरी, हमेशा सक्रिय रहते हैं। इन परिस्थितियों में हमें उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और उनके खिलाफ उचित और समय पर प्रभावी कदम उठाने चाहिए।

शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने जवानों से कहा कि शांति के समय में भी अनुशासन और समर्पण बहुत जरूरी है। अनुशासन के इस स्तर को बनाए रखने के लिए समर्पण और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। जवानों का प्रशिक्षण युद्ध से कम नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।

सैन्यकर्मियों के मेहनत और प्रतिबद्धता की सराहना

रक्षामंत्री ने सैन्यकर्मियों से आगे कहा कि उनकी कड़ी मेहनत और प्रतिबद्धता के कारण देश और इसकी सीमाएं लगातार सुरक्षित और मजबूत होती जा रही हैं। रक्षा मंत्री ने कर्मियों को सैन्य रणनीतियों और युद्ध कौशल में निपुण बनाने में भारतीय सेना के प्रशिक्षण संस्थानों के बहुमूल्य योगदान की भी सराहना की।

क्या है इसरो का स्पैडेक्स मिशन ? आज अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग के लिए लॉन्च होगा नया कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) सोमवार, 30 दिसंबर को पीएसएलवी रॉकेट पर अपना अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग - जिसे स्पैडेक्स के नाम से भी जाना जाता है - लॉन्च कर रहा है। अंतरिक्ष एजेंसी के नवीनतम अपडेट के अनुसार, स्पैडेक्स लॉन्च को दो मिनट के लिए 9:58 से 10 बजे तक पुनर्निर्धारित किया गया है।

इसरो ने सोमवार को एक अपडेट में कहा, "लॉन्च का दिन आ गया है। आज रात ठीक 10 बजे, स्पैडेक्स और अभिनव पेलोड के साथ पीएसएलवी-सी60 उड़ान भरने के लिए तैयार है।" अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, "अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग ऑर्बिटल डॉकिंग में भारत की क्षमता स्थापित करने के लिए एक अग्रणी मिशन है, जो भविष्य के मानव अंतरिक्ष उड़ान और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है।"

पहले यह लॉन्च रात 9:58 बजे निर्धारित किया गया था। इसरो ने कहा कि अब यह सोमवार को रात 9.58 बजे की बजाय रात 10 बजे उड़ान भरेगा। हालांकि, पुनर्निर्धारण के पीछे के कारण के बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं है।

स्पेस डॉकिंग क्या है जिसे इसरो स्पैडेक्स के माध्यम से हासिल करना चाहता है?

अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक होगी, जिसमें चंद्रमा पर मानव भेजना, वहां से नमूने लाना और देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन- भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन करना शामिल है। अंतरिक्ष में डॉकिंग के लिए एक लागत प्रभावी प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन, इसरो का अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग, यदि सफल होता है, तो भारत चीन, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका की सूची में शामिल हो जाएगा।

डॉकिंग तकनीक का उपयोग तब भी किया जाएगा जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च की योजना बनाई जाती है। मिशन को पहले लॉन्च पैड से लॉन्च किया जाएगा और इसमें स्पैडेक्स के साथ दो अंतरिक्ष यान प्राथमिक पेलोड के रूप में और 24 द्वितीयक पेलोड होंगे। इसरो ने कहा कि

पीएसएलवी रॉकेट में दो अंतरिक्ष यान- स्पेसक्राफ्ट ए (एसडीएक्स01) और स्पेसक्राफ्ट बी (एसडीएक्स02) को एक ऐसी कक्षा में रखा जाएगा जो उन्हें एक दूसरे से 5 किमी दूर रखेगी। बाद में, इसरो मुख्यालय के वैज्ञानिक उन्हें 3 मीटर तक करीब लाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद वे पृथ्वी से लगभग 470 किमी की ऊँचाई पर एक साथ मिल जाएँगे।

इसरो अधिकारियों के अनुसार, यह प्रक्रिया सोमवार को निर्धारित लिफ्ट-ऑफ के लगभग 10-14 दिन बाद होने की उम्मीद है। स्पैडेक्स मिशन में, स्पेसक्राफ्ट ए में एक हाई रेजोल्यूशन कैमरा है, जबकि स्पेसक्राफ्ट बी में मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड और रेडिएशन मॉनिटर पेलोड है। ये पेलोड हाई रेजोल्यूशन इमेज, प्राकृतिक संसाधन निगरानी, ​​वनस्पति अध्ययन आदि प्रदान करेंगे। यह 2024 में इसरो का आखिरी मिशन होगा और पीएसएलवी-सी60 पहला वाहन है जिसे पीएसएलवी इंटीग्रेशन फैसिलिटी में चौथे चरण तक एकीकृत किया गया है।

विवाद में फंसे मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक, लग रहे गंभीर आरोप
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* कर्नाटक में एक ठेकेदार की आत्महत्या के बाद से कांग्रेस की सरकार मुश्किल में है। कर्नाटक में कॉन्ट्रैक्टर सचिन पंचाल के सुसाइड केस में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक के करीबी का नाम सामने आ रहा है। प्रियांक के सहयोगी पर आरोप है कि उन्होंने एक ठेकेदार को आत्महत्या के लिए मजबूर किया। प्रियांक के करीबी का नाम आने के बाद भाजपा ने खड़गे पर निशाना साधा है। दरअसल, बीदर के एक ठेकेदार सचिन पंचाल ने कथित तौर पर गुरुवार को एक ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली थी। उनका शव रेलवे ट्रैक पर मिला था। पुलिस ने सचिन के पास से लंबा-चौड़ा सुसाइड नोट बरामद किया। सचिन पांचाल के डेथ नोट में मंत्री प्रियांक खड़गे के करीबी और कलबुर्गी महानगर निगम के पूर्व नगरसेवक राजू कपनूर पर गंभीर आरोप लगाए गए। सुसाइड नोट में प्रियांक के सहयोगी – राजू कपनूर पर आरोप है कि उन्होंने बिना टेंडर दिए 15 लाख रुपये से ज्यादा लेकर धोखाधड़ी की। इतना ही नहीं, 1 करोड़ रु. पैसे देने के लिए दबाव डालने की भी बात की जा रही है। राजू कपनूर पर भाजपा नेताओं की हत्या की सुपारी देने का भी आरोप है। दावा है कि राजू कपनूर और गिरोह ने भाजपा विधायक बसवराज मैटिमूड, अंडोला स्वामीजी श्री सिद्धलिंग स्वामीजी, चंदू पाटिल और मणिकांता सहित चार लोगों की हत्या की सुपारी दी थी। इतना ही नहीं, आरोप है कि जब पुलिस के सामने ये मामला ले जाया गया तो पुलिस ने शिकायत दर्ज करने में काफी आनाकानी की। डेथ नोट के आधार पर कर्नाटक पुलिस ने रविवार को प्रियांक खड़गे के करीबी राजू कपनूर समेत 6 लोगों पर केस दर्ज किया है। पुलिस ने बताया कि इन लोगों पर भाजपा विधायक बसवराज मट्टीमाडु और अन्य नेताओं की हत्या की साजिश रचने का आरोप है। सचिन के सुसाइड नोट में इनका नाम था। इसी आधार पर केस दर्ज किया गया है। *प्रियांक ने आरोपों को किया खारिज* इस मामले में अब कर्नाटक सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने सुसाइड मामले में कहा कि इस मामले में दो पहलू सामने आए हैं। ठेकेदार ने कुछ और कहा है, जबकि आरोपी ने भी घटना के दूसरे पहलू के मद्देनजर शिकायत की है। कैबिनेट मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा, मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं कि इस मामले में स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और मैंने खुद गृह मंत्री से अनुरोध किया है कि वे गृह विभाग के भीतर एक स्वतंत्र जांच एजेंसी से मामले की जांच करवाएं। इसलिए स्वाभाविक रूप से भाजपा को लगता है कि उन्हें कुछ मुद्दा मिल गया है, लेकिन एक साल हो गया है, भाजपा अपने मतलब के आधार पर मुझ पर इस्तीफा देने का दबाव बना रही है।प्रियांक खड़गे ने आगे कहा, न तो मैं, न ही मेरा विभाग और न ही सरकार इन सभी गतिविधियों में शामिल है। *बीजेपी ने की सीबीआई जांच की मांग* वहीं, बीजेपी ने मामले को गंभीरता से उठाते हुए केस को सीबीआई को सौंपने की मांग की है। कर्नाटक बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ रविवार शाम को पंचाल के परिवार वालों से मुलाकात की। बाद में एक बयान में उन्होंने कहा, मंत्री प्रियांक खड़गे के दाहिने हाथ राजू से उत्पीड़ित होने के कारण आत्महत्या करने वाले बीदर के ठेकेदार पंचाल द्वारा लिखे गए सुसाइड नोट से चौंकाने वाली और गंभीर जानकारी का पता चलता है कि उसने हमारे एमएलए बसवराज मट्टीमाडु, पार्टी नेता चंदू पाटिल, मणिकांठा राठौड़ और अंडोला स्वामी को मारने के लिए 'सुपारी' दी थी।
रंगीन मिजाज हिजबुल्लाह कमांडर का सच, एक साथ 4 महिलाओं से लड़ाया इश्क; फोन पर की थी शादी

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हिज्‍बुल्लाह के एक वरिष्ठ कमांडर फुआद शुकर को लेकर बड़ी जानकारी सामने आई है।फुआद शुकर की चार प्रेमिकाएं थीं और उसने सबसे फोन पर ही शादी की थी। इजरायल की जासूस एजेंसी मोसाद ने यह खुलासा किया है। मोसाद को लेबनानी सशस्त्र समूह पर निगरानी के दौरान पता चली। मोसाद ने हिजबुल्ला के शीर्ष कमांडर फुआद शुकर को निशाना बनाने से पहले लंबे समय तक उसकी निगरानी की। फुआद शुकर अपनी ही एक गलती से मोसाद के जाल में फंसा। दरअसल शुकर का एक साथ चार-चार महिलाओं से प्रेम संबंध था और इन महिलाओं से बातचीत के दौरान ही शुकर मोसाद के जाल में फंसा और आखिरकार मोसाद ने बीते दिनों उसे लेबनान के एक अपार्टमेंट में ढेर कर दिया।

न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि हिज्‍बुल्लाह के सह-संस्थापकों में से एक फुआद शुकर ने कथित तौर पर एक साथ 4 महिलाओं के साथ धोखाधड़ी करने के लिए खुद को अपराधी महसूस किया और इसके चलते उसने उन सभी से शादी करने की कोशिश की। रिपोर्ट के अनुसार, फुआद शुक्र ने चार प्रेमिकाओं को पटा तो लिया। मगर एक साथ चारों से इश्क लड़ाकर काफी असहज महसूस कर रहा था। उसने हिजबुल्लाह के सर्वोच्च धार्मिक मौलवी हाशिम सफीउद्दीन से संपर्क किया। मोसाद ने कथित तौर पर खुलासा किया कि फुआद शुक्र ने सफीउद्दीन से अपनी चार प्रेमिकाओं से शादी कराने के लिए कहा था। सफीउद्दीन की सलाह के बाद फुआद शुक्र के लिए फोन पर चार अलग-अलग शादी समारोह आयोजित किए गए। सफीउद्दीन की अक्टूबर में एक हवाई हमले में मौत हो गई थी।

खास बात यह भी है कि इजरायली एजेंसी मोसाद ने दशकों तक मेहनत कर हिजबुल्लाह कमांडरों के बारे में छोटी-बड़ी और निजी जानकारी जुटाने में बिताए हैं। इजरायल 2006 में हुई जंग के बाद से ही हिजबुल्लाह के सैकड़ों कमांडरों पर नजर रखे हुए था। इसमें हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर का नाम भी शामिल था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 30 जुलाई को फुआद शुकर को एक फोन गया, जिसमें उसे अपने गुप्त ठिकाने से दक्षिणी बेरुत के एक ठिकाने पर बुलाया गया। जैसे ही शुकर वहां पहुंचा, तभी इजराइल ने मिसाइल से हमला कर शुकर को ढेर कर दिया। इसी साल जुलाई में मजदल शम्स में एक मिसाइल हमला हुआ था, जिसमें स्कूली बच्चों समेत कई इस्राइली नागरिक मारे गए थे। जुलाई में इजरायल पर हुए एक मिसाइल हमले के बाद से फउद शुकर इजरायल के निशाने पर था। इस हमले में इजरायल के दर्जनों नागरिक मारे गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई में शुकर को एक फोन कॉल आया था, जिससे उसके छिपने की जगह का पता चल गया। इसके बाद इजरायल ने फउद शुकर को उसकी एक पत्नी और दो बच्चों के साथ मार गिराया था।

जजों के रिश्तेदार नहीं बनेंगे जज? कॉलेजियम उठा सकता है बड़ा कदम, भाई-भतीजावाद वाली छवि को दुरुस्त करने की कोशिश

#collegium_may_take_action_relatives_of_judges_will_no_longer_become_high_court

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में शामिल एक जज ने विचार पेश किया है कि हाई कोर्ट में उन लोगों की नियुक्तियाँ ना की जाएँ, जिनके रिश्तेदार पहले से हाई कोर्ट में जज हैं। इसके लिए इन हाई कोर्ट से ऐसे नाम ना भेजने को कहा जाएगा। रिश्तेदारों की जगह नए और पहली बार वकील बने लोगों को प्राथमिकता दिए जाने का विचार पेश किया गया है।इस प्रस्ताव के तहत, मौजूदा या पूर्व संवैधानिक न्यायालय के जजों के परिवार के सदस्यों को उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश फिलहाल रोकी जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्‍ना की अध्‍यक्षता वाले कॉलेजियम ने हाल ही में हाईकोर्ट जज बनने के संभावित वकीलों व जूनियर जजों से बातचीत की। यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश वाले जजों व वकीलों से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा बातचीत की गई हो। इस दौरान एक वकील की तरफ से कॉलेजियम के सामने यह मांग रखी गई कि ऐसे वकीलों को जज बनाने की सिफारिश ना की जाए जिनके माता-पिता व रिश्‍तेदार पहले सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में जज रह चुके हों। इस प्रस्‍ताव को कई अन्‍य वकीलों का भी समर्थन मिला। कॉलेजियम में सीजेआई के अलावा जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका भी शामिल रहे।

पहली बार मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति कांत वाले कॉलेजियम ने पहली बार हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू की है, ताकि उनकी उपयुक्तता का परीक्षण किया जा सके और उनकी क्षमता और योग्यता का आकलन किया जा सके। शीर्ष तीन न्यायाधीशों ने इलाहाबाद, बॉम्बे और राजस्थान उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित लोगों के साथ बातचीत की और 22 दिसंबर को केंद्र को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य समझे जाने वाले नामों को अग्रेषित किया।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम केवल उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा प्रस्तुत वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के विस्तृत बायोडेटा, उनके पिछले जीवन पर खुफिया रिपोर्ट, साथ ही संबंधित राज्यपालों और सीएम की राय के आधार पर काम करता था।

अक्टूबर 2015 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को रद्द कर दिया था। एनजेएसी को संसद द्वारा सर्वसम्मति से कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए लाया गया था। कॉलेजियम प्रणाली, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के चयन को नियंत्रित करती है। एनजेएसी को रद्द करने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने जजों के चयन की अपारदर्शी प्रक्रिया में कुछ पारदर्शिता लाने की कोशिश की है।

जजों के रिश्तेदार नहीं बनेंगे जज? कॉलेजियम उठा सकता है बड़ा कदम, भाई-भतीजावाद वाली छवि को दुरुस्त करने की कोशिश
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* सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम एक नए प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम में शामिल एक जज ने विचार पेश किया है कि हाई कोर्ट में उन लोगों की नियुक्तियाँ ना की जाएँ, जिनके रिश्तेदार पहले से हाई कोर्ट में जज हैं। इसके लिए इन हाई कोर्ट से ऐसे नाम ना भेजने को कहा जाएगा। रिश्तेदारों की जगह नए और पहली बार वकील बने लोगों को प्राथमिकता दिए जाने का विचार पेश किया गया है।इस प्रस्ताव के तहत, मौजूदा या पूर्व संवैधानिक न्यायालय के जजों के परिवार के सदस्यों को उच्च न्यायालय के जज के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश फिलहाल रोकी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्‍ना की अध्‍यक्षता वाले कॉलेजियम ने हाल ही में हाईकोर्ट जज बनने के संभावित वकीलों व जूनियर जजों से बातचीत की। यह पहला मौका है जब हाईकोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश वाले जजों व वकीलों से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा बातचीत की गई हो। इस दौरान एक वकील की तरफ से कॉलेजियम के सामने यह मांग रखी गई कि ऐसे वकीलों को जज बनाने की सिफारिश ना की जाए जिनके माता-पिता व रिश्‍तेदार पहले सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट में जज रह चुके हों। इस प्रस्‍ताव को कई अन्‍य वकीलों का भी समर्थन मिला। कॉलेजियम में सीजेआई के अलावा जस्टिस बी आर गवई, सूर्यकांत, हृषिकेश रॉय और ए एस ओका भी शामिल रहे। पहली बार मुख्य न्यायाधीश और न्यायमूर्ति गवई और न्यायमूर्ति कांत वाले कॉलेजियम ने पहली बार हाई कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के साथ बातचीत शुरू की है, ताकि उनकी उपयुक्तता का परीक्षण किया जा सके और उनकी क्षमता और योग्यता का आकलन किया जा सके। शीर्ष तीन न्यायाधीशों ने इलाहाबाद, बॉम्बे और राजस्थान उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए अनुशंसित लोगों के साथ बातचीत की और 22 दिसंबर को केंद्र को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए योग्य समझे जाने वाले नामों को अग्रेषित किया। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम केवल उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा प्रस्तुत वकीलों और न्यायिक अधिकारियों के विस्तृत बायोडेटा, उनके पिछले जीवन पर खुफिया रिपोर्ट, साथ ही संबंधित राज्यपालों और सीएम की राय के आधार पर काम करता था। अक्टूबर 2015 में, सुप्रीम कोर्ट की पांच-जजों की संवैधानिक पीठ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को रद्द कर दिया था। एनजेएसी को संसद द्वारा सर्वसम्मति से कॉलेजियम प्रणाली को बदलने के लिए लाया गया था। कॉलेजियम प्रणाली, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जजों के चयन को नियंत्रित करती है। एनजेएसी को रद्द करने के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने जजों के चयन की अपारदर्शी प्रक्रिया में कुछ पारदर्शिता लाने की कोशिश की है।
सेना ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में शिवाजी की प्रतिमा, चीन से सुधरते रिश्तों के बीच कितना अहम है फैसला?

#shivaji_maharaj_statue_in_ladakh_pangong_tso_lake

भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील के किनारे मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की एक भव्य मूर्ति स्थापित की है। ये जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट है जहां चीन के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी।शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारत और चीन की ओर से टकराव वाले दो अंतिम जगहों डेमचोक और देपसांग पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के कुछ सप्ताह बाद किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि चीन के साथ कम होते तनाव के बीच भारत का ये कदम कितना अहम होगा?

पैंगोंग वह झील है जिसके पानी से होते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) गुजरती है, जो भारत और चीन की सीमा है। झील का पश्चिमी सिरा भारत के क्षेत्र में हैं और पूर्वी छोर चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में। यह वह इलाका है जिसने 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर कई बार संघर्ष देखा है। अगस्त 2017 में इसी झील के किनारे पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। मई 2020 में भी करीब 250 सैनिक आमने-सामने आ गए थे। अगस्त 2020 में भारतीय सेना ने झील के दक्षिणी किनारे की अहम ऊंचाइयों पर कब्जा कर दिया था। इनमें रेजांग ला, रेक्विन ला, ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, गोरखा हिल आदि शामिल थे। हालांकि बाद में डिसइंगेजमेंट के तहत भारत ने ये इलाके खाली कर दिया।

दोनों पक्षों ने 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद टकराव वाले बाकी दो स्थानों पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी। अब वहां शिवाजी की प्रतिमा स्थापित किया जाना चीन को एक संदेश की तरह देखा जा रहा है

वहीं, भारतीय सेना ने लद्दाख में भारत-चीन सीमा के निकट पैंगांग लेक में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाई है उस पर तारीफ के साथ विरोध के स्‍वर उठ रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रतिमा की उपस्थिति जहां भारत की सामरिक और सांस्‍कृतिक उपस्थिति को दर्शाती है वहीं लद्दाख की विरासत और पारिस्थितिक तंत्र की उपेक्षा का भी आरोप लगाया जा रहा है। चुसुल के काउंसलर कोनचो स्‍टानजिन ने कहा है कि इस काम को करने से पहले स्‍थानीय समुदाय से कोई परामर्श नहीं लिया गया। उन्‍होंने एक्‍स पर लिखा कि हमारी विशिष्‍ट पर्यावरण और वाइल्‍डलाइफ को देखते हुए बिना लोकल परामर्श के इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है। यहां पर इसके औचित्‍य पर सवाल खड़ा होता है। हमें ऐसे प्रोजेक्‍टों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो हमारे समुदाय और नेचर के प्रति सम्‍मान प्रकट करते हुए उसको प्रतिबिंबित करे।

इस प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया, जिसे ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के नाम से भी जाना जाता है। कोर ने ‘एक्स’ पर बताया कि वीरता, दूरदर्शिता और अटल न्याय की इस विशाल प्रतिमा का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। 30 फीट से ज्यादा ऊंची यह प्रतिमा मराठा योद्धा की विरासत को सम्मान देने के लिए बनाई गई। जिन्हें उनकी सैन्य शक्ति, प्रशासनिक कौशल और न्यायपूर्ण और समतावादी समाज को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया जाता है। पैंगोंग झील के लुभावने और रणनीतिक परिदृश्य में स्थित, यह प्रतिमा देश के दूरदराज और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का जश्न मनाने के एक बड़े प्रयास के हिस्से के रूप में स्थापित की गई है

दिलजीत दोसांझ ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह को दिया ट्रिब्यूट, सुप्रिया श्रीनेत ने गायक को सराहा
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* पंजाबी गायक दिलजीत दोसांझ ने गुवाहाटी में अपने एक शो को पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को समर्पित किया। इसकी कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने सराहना की। उन्होंने कहा कि यह कदम दिलजीत दोसांझ को मनोरंजन जगत के उन लोगों से अलग करता है, जिन्होंने पूर्व पीएम के प्रति सम्मान व्यक्त नहीं किया। बता दें कि पूर्व वित्त मंत्री और दो बार प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का गुरुवार को निधन हो गया था। वह 92 साल के थे। गायक ने रविवार को इंस्टाग्राम पर अपने शो का एक वीडियो शेयर किया। वीडियो में दिलजीत ने पूर्व प्रधानमंत्री को भावभीनी श्रद्धांजलि दी।दिलजीत ने कहा कि वे एक शालीन व्यक्ति थे, जो कभी भी किसी को असभ्य तरीके से जवाब नहीं देते थे। उन्होंने कहा, आज का कार्यक्रम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को समर्पित है। उन्होंने बहुत ही सादा जीवन जिया. वे कभी भी पलटकर जवाब नहीं देते थे या बुरी बातें नहीं करते थे, जो राजनीति जैसे पेशे में असंभव है। इसके बाद उन्होंने पूर्व पीएम द्वारा कही गई एक शायरी कही, जैसा कि उन्होंने कहा, हजारों जवाबों से मेरी खामोशी अच्छी, न जाने कितने सवालों की आबरू ढक लेती है। गायक ने युवाओं से इसे सीखने का आग्रह किया। उन्होंने कैप्शन में लिखा, "आज का कॉन्सर्ट डॉ. मनमोहन सिंह जी को समर्पित है। पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का लंबी बीमारी के बाद 26 दिसंबर को निधन हो गया। फिल्म जगत के कई लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा और उनके योगदान को याद किया। गायक दिलजीत दोसांझ के इस कदम की कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने तारीफ की है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि भीड़ से अलग खड़े होने और चमकने के लिए एक साहसी व्यक्ति की जरूरत होती है। दिलजीत दोसांझ ने अपना संगीत कार्यक्रम डॉ. मनमोहन सिंह जी को समर्पित किया। यह एक ऐसा भाव है जो उन्हें फिल्म उद्योग के अधिकांश लोगों से अलग करता है। वे कायर लोग हैं, जिनमें भारत के पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर शोक व्यक्त करने की भी शालीनता नहीं थी।
किसानों का आज पंजाब बंद, 150 से ज्‍यादा ट्रेनें प्रभावित, बस सेवा पर भी असर

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पंजाब के किसानों ने आज 'पंजाब बंद' बुलाया है। सुबह 7 बजे से शाम 4 बजे तक सड़क और रेलों का आवागमन ठप रहेंगे। इस दौरान रेल, बसें, सवारी गाडि़यां और सड़कें बंद रहेंगी। किसानों ने आज पंजाब में यातायात समेत रेलवे ट्रैक जाम करने की चेतावनी दी है। इसकी वजह से अंबाला-दिल्ली रेलमार्ग पर चलने वाली करीब 18 एक्सप्रेस ट्रेनों सहित उत्तर प्रदेश के रास्ते पंजाब जाने वाली 150 से ज्‍यादा ट्रेनों को रद्द करने की खबर आ रही है। किसानों के बंद के ऐलान की वजह से उत्तर रेलवे की करीब 200 से अधिक ट्रेनों पर असर पड़ेगा।

किसान नेता सरवन सिंह पंढ़ेर ने पंजाब बंद को लेकर कहा कि प्रधानमंत्री और सुप्रीम कोर्ट के जजों को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कोई उत्तर अभी तक नहीं मिला है। इसलिए पंजाब बंद रखने का फैसला लिया गया है। सरकार बातचीत के लिए तैयार नहीं है। इसलिए बंद के सिवा अब कोई उपाय नहीं है।

जगजीत सिंह डल्लेवाल ने किसानों से की अपील

दूसरी ओर, पंजाब-हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने रविवार को केंद्र के साथ-साथ पंजाब सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार भी अब केंद्र के नक्शेकदम पर चलकर हमारे आंदोलन को कुचलने की तैयारी में है। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोगों को खनौरी पहुंचने की अपील की। डल्लेवाल ने कहा कि जब हमने अनशन शुरू किया तो हमारा मानना था कि गांधीवादी तरीके से सत्याग्रह करेंगे। अंग्रेज सरकार भी सत्याग्रह को मानती थी, लेकिन यह सरकार हमारी बात सुनने के बजाए हमारे मोर्चे को कुचलने की कोशिश कर रही है। भारी संख्या में फोर्स लेकर पंजाब सरकार केंद्र के इशारे पर मोर्चे पर हमला करने की तैयारी में है। मेरा लोगों से निवेदन है कि मोर्चे पर पहुंचें, ताकि इसे बचाया जा सके।

क्‍या है किसानों की मांग?

फसलों के एमएसपी से लेकर कुल 13 मांगों को लेकर किसान नेता प्रदर्शन पर रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा ने यह बंद बुलाया है। उनका कहना है कि सरकार जिद्द पर अड़ी हुई है और किसानों की जायज मांगों को भी नहीं मान रही है। पंजाब सरकार के अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय टीम ने रविवार को खनौरी सीमा स्थल पर डल्लेवाल से मुलाकात की थी। इस टीम में पुलिस के डिप्‍टी इंस्‍पेक्‍टर जनरल मंदीप सिंह सिद्धू और रिटायर्ड एडिशनल डीजीपी जसकरण सिंह भी शामिल थे। बाद में किसान नेताओं ने कहा कि डल्लेवाल ने कोई भी चिकित्सा सहायता लेने से इनकार कर दिया है।