सेना ने पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो में शिवाजी की प्रतिमा, चीन से सुधरते रिश्तों के बीच कितना अहम है फैसला?
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भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में 14,300 फीट की ऊंचाई पर स्थित पैंगोंग झील के किनारे मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी की एक भव्य मूर्ति स्थापित की है। ये जगह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के निकट है जहां चीन के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई थी।शिवाजी की प्रतिमा का अनावरण भारत और चीन की ओर से टकराव वाले दो अंतिम जगहों डेमचोक और देपसांग पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी करने के कुछ सप्ताह बाद किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि चीन के साथ कम होते तनाव के बीच भारत का ये कदम कितना अहम होगा?
पैंगोंग वह झील है जिसके पानी से होते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) गुजरती है, जो भारत और चीन की सीमा है। झील का पश्चिमी सिरा भारत के क्षेत्र में हैं और पूर्वी छोर चीन के नियंत्रण वाले तिब्बत में। यह वह इलाका है जिसने 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर कई बार संघर्ष देखा है। अगस्त 2017 में इसी झील के किनारे पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी। मई 2020 में भी करीब 250 सैनिक आमने-सामने आ गए थे। अगस्त 2020 में भारतीय सेना ने झील के दक्षिणी किनारे की अहम ऊंचाइयों पर कब्जा कर दिया था। इनमें रेजांग ला, रेक्विन ला, ब्लैक टॉप, गुरुंग हिल, गोरखा हिल आदि शामिल थे। हालांकि बाद में डिसइंगेजमेंट के तहत भारत ने ये इलाके खाली कर दिया।
दोनों पक्षों ने 21 अक्टूबर को बनी सहमति के बाद टकराव वाले बाकी दो स्थानों पर सैनिकों की वापसी पूरी कर ली। सैन्य और कूटनीतिक स्तर की कई वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 2021 में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट पर सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की थी। अब वहां शिवाजी की प्रतिमा स्थापित किया जाना चीन को एक संदेश की तरह देखा जा रहा है
वहीं, भारतीय सेना ने लद्दाख में भारत-चीन सीमा के निकट पैंगांग लेक में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा लगाई है उस पर तारीफ के साथ विरोध के स्वर उठ रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रतिमा की उपस्थिति जहां भारत की सामरिक और सांस्कृतिक उपस्थिति को दर्शाती है वहीं लद्दाख की विरासत और पारिस्थितिक तंत्र की उपेक्षा का भी आरोप लगाया जा रहा है। चुसुल के काउंसलर कोनचो स्टानजिन ने कहा है कि इस काम को करने से पहले स्थानीय समुदाय से कोई परामर्श नहीं लिया गया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि हमारी विशिष्ट पर्यावरण और वाइल्डलाइफ को देखते हुए बिना लोकल परामर्श के इस प्रतिमा का निर्माण किया गया है। यहां पर इसके औचित्य पर सवाल खड़ा होता है। हमें ऐसे प्रोजेक्टों को प्राथमिकता देनी चाहिए जो हमारे समुदाय और नेचर के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए उसको प्रतिबिंबित करे।
इस प्रतिमा का अनावरण गुरुवार को 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया, जिसे ‘फायर एंड फ्यूरी कोर’ के नाम से भी जाना जाता है। कोर ने ‘एक्स’ पर बताया कि वीरता, दूरदर्शिता और अटल न्याय की इस विशाल प्रतिमा का अनावरण लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने किया। 30 फीट से ज्यादा ऊंची यह प्रतिमा मराठा योद्धा की विरासत को सम्मान देने के लिए बनाई गई। जिन्हें उनकी सैन्य शक्ति, प्रशासनिक कौशल और न्यायपूर्ण और समतावादी समाज को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों के लिए सम्मानित किया जाता है। पैंगोंग झील के लुभावने और रणनीतिक परिदृश्य में स्थित, यह प्रतिमा देश के दूरदराज और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का जश्न मनाने के एक बड़े प्रयास के हिस्से के रूप में स्थापित की गई है
Dec 30 2024, 13:29