मुझे दिल का दौरा पड़ जाता… संन्यास के बाद अपनी कॉल हिस्ट्री दुनिया को दिखाकर ये क्या बोले अश्विन?

रविचंद्रन अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया है. ऑस्ट्रेलिया में खेले तीसरे टेस्ट के बाद संन्यास लेकर वो अब भारत लौट चुके हैं. लेकिन, संन्यास के बाद ऐसा क्या हुआ जिसके चलते अश्विन ने कहा कि उन्हें दिल का दौरा पड़ जाता. अश्विन ने ऐसा अपनी कॉल हिस्ट्री को देखकर कहा है. उन्होंने अपनी उस कॉल हिस्ट्री को दुनिया के सामने भी रखा है. सवाल है कि संन्यास लेने के बाद अश्विन को अपनी कॉल हिस्ट्री में क्या चीज अलग दिखी?

मुझे हार्ट अटैक आ जाता… अश्विन ने शेयर की कॉल हिस्ट्री

संन्यास लेने के बाद अब अश्विन भी सचिन और कपिल जैसे रिटायर क्रिकेटरों के क्लब में शामिल हो गए हैं. अश्विन ने कॉल हिस्ट्री को अपने एक्स हैंडल पर शेयर करते हुए लिखा- अगर कोई मुझे 25 साल पहले ये कहता कि मेरे पास स्मार्टफोन है, जिसका कॉल लॉग मेरे करियर के आखिरी दिन पर ऐसा दिखने वाला है, तो तब मुझे हार्ट अटैक आ जाा. मैं इसके लिए सचिन और कपिल पाजी को धन्यवाद देना चाहता हूं.

अश्विन ने गाबा टेस्ट के बाद लिया संन्यास

अश्विन ने इंटरनेशनल करियर में 765 विकेट अपने नाम किए हैं. ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा दौरे पर अश्विन ने सिर्फ एक मैच खेला, जिसमें उन्होंने 1 विकेट हासिल किया. उन्हें पर्थ में खेले पहले टेस्ट में टीम में जगह नहीं मिली थी. उसके बाद एडिलेड में अश्विन प्लेइंग इलेवन में आए मगर ब्रिसबेन में अगले टेस्ट से उन्हें फिर से ड्रॉप कर दिया गया था. गाबा में खेले तीसरे टेस्ट के बाद अश्विन ने संन्यास का ऐलान कर दिया.

पाकिस्तान ने साउथ अफ्रीका को 81 रन से हराया, सीरीज पर किया कब्जा

पाकिस्तान ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरा वनडे भी जीत लिया है. इसी के साथ उसने 3 वनडे की सीरीज में 2-0 की अजेय बढ़त ले ली है. मतलब, वनडे सीरीज पर उसका कब्जा हो चुका है. अब अगर पाकिस्तान तीसरा वनडे हार भी जाती है, फिर भी सीरीज उसी की रहेगी. पाकिस्तान ने मोहम्मद रिजवान की कप्तानी में साउथ अफ्रीका को दूसरे वनडे में 81 रन से हराया. इस जीत के साथ उसने एक बेशकीमती रिकॉर्ड भी अपने नाम किया. पाकिस्तान का ये रिकॉर्ड साउथ अफ्रीका में सबसे सफल टीम बनने के तमगे से जुड़ा है.

साउथ अफ्रीका में पाकिस्तान बनी सबसे सफल टीम

मोहम्मद रिजवान की कप्तानी में पाकिस्तान ने साउथ अफ्रीका में जो कारनामा किया, उसके बाद वो वहां की माटी पर बाइलेटरल वनडे सीरीज जीतने के मामले में सबसे सफल विदेशी टीम बन गई है. पाकिस्तान ने इस बार साउथ अफ्रीका में तीसरी बाइलेटरल वनडे सीरीज अपने नाम की है. पाकिस्तान के साउथ अफ्रीका में सबसे सफल टीम बनने की शुरुआत 11 साल पहले साल 2013 में हुई थी, जब उसने वहां पहली बाइलेटरल वनडे सीरीज जीती थी. उसके बाद 2021 में दूसरी बार उसने वहां वनडे सीरीज जीती और अब 2024 में तीसरी वनडे सीरीज में भी अजेय बढ़त ले ली.

बाबर-रिजवान की पार्टनऱशिप और गुलाम का तूफान

साउथ अफ्रीका के खिलाफ दूसरे वनडे में पाकिस्तान ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 329 रन बनाए थे. पाकिस्तान को इतने बड़े स्कोर तक पहुंचाने में बाबर और रिजवान के बीच 23.3 ओवर में 4.89 की रनरेट से हुई 115 रन की साझेदारी के अलावा कामरान गुलाम के तेज-तर्रार अर्धशतक का भी बड़ा हाथ रहा. बाबर आजम ने 73 रन, मोहम्मद रिजवान ने 80 रन, जबकि कामरान गुलाम ने 196 से ज्यादा की स्ट्राइक रेट से 63 रन ठोके.

शाहीन-नसीम के आगे साउथ अफ्रीका का सरेंडर

अब साउथ अफ्रीका के आगे 330 रन का विशाल लक्ष्य था, जिसका पीछा करते हुए वो 43.1 ओवर में 248 रन पर ऑल आउट हो गए. पाकिस्तान की ओर से शाहीन शाह अफरीदी और नसीम शाह ने मिलकर 7 विकेट बांटे. शाहीन ने 4 जबकि नसीम ने 3 विकेट लिए. इनके अलावा अबरार अहमद ने 2 विकेट जबकि सलमान आगा ने 1 विकेट लिया. कामरान गुलाम को उनके विसफोटक खेल के लिए प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया.

मोहम्मद रिजवान बने तीसरे पाकिस्तानी कप्तान

साउथ अफ्रीका में वनडे सीरीज जीतने वाले मोहम्मद रिजवान तीसरे पाकिस्तानी कप्तान बन गए हैं. उनसे पहले दो वनडे सीरीज पाकिस्तान ने मिस्बाह उल हक (2013) और बाबर आजम (2021) की कप्तानी में जीते थे.

भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले चौथे टेस्ट से पहले मोहम्मद शमी को लेकर NCA से मांगा अपडेट

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गाबा में खेला तीसरा टेस्ट भी खत्म हो चुका है. 5 टेस्ट मैचों में से तीन खत्म होने के बाद सीरीज 1-1 की बराबरी पर है. मतलब अब बाकी बचे दोनों मुकाबले टीम इंडिया को जीतने होंगे. सिर्फ इसलिए नहीं की सीरीज जीतनी है. बल्कि WTC फाइनल के टिकट के लिए भी. भारत को अगले साल WTC का फाइनल खेलना है तो उसके लिए सबसे आसान तरीका ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बाकी बचे दो टेस्ट में जीत से होकर गुजरता है. यही वजह है कि गाबा टेस्ट के खत्म होने के बाद और मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले चौथे टेस्ट से पहले रोहित शर्मा, अपनी तरकस के एक बड़े तीर यानी मोहम्मद शमी पर अपडेट मांगते दिखे हैं.

रोहित ने शमी पर मांगी अपडेट

टीम इंडिया के कप्तान रोहित शर्मा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाले चौथे टेस्ट से पहले शमी को लेकर NCA से अपडेट मांगा है. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अब सही समय आ गया है. यही सही वक्त है ये जानने का की शमी पर ताजा अपडेट क्या है? भारतीय कप्तान ने कहा कि वो चाहते हैं कि NCA से कोई आगे आकर इस मामले में सटीक जानकारी दे.

रोहित ने शमी को लेकर बात ब्रिसबेन में किए प्रेस कॉन्फ्रेंस में की. उन्होंने अपडेट मांगते हुए ये भी बताया कि वो जानते हैं कि शमी फिलहाल घरेलू क्रिेकेट में खेल रहे हैं. लेकिन साथ ही साथ उनके घुटने से जुड़ी कुछ समस्या भी है. रोहित ने कहा कि आप नहीं चाहते कि कोई खिलाड़ी भारत से ऑस्ट्रेलिया आए और फिर वो इंजरी के चलते मैच के बीच से बाहर हो जाए. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि आप सब भी जानते हैं कि उस तरह की सिचुएशन में क्या होता है?

NCA देगी क्लीन चिट, तभी खेलेंगे शमी

रोहित ने आगे कहा कि भारतीय टीम ये जरूर चाहती है कि शमी जल्दी वापसी करें लेकिन वो उन्हें लेकर कोई रिस्क लेने के मूड में भी नहीं है. ऐसे में सबकुछ NCA के फैसले पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि 100 फीसद नहीं हमें पूरे 200 फीसद स्योर होना पड़ेगा तभी हम शमी को खिलाने का चांस ले सकते हैं. अगर NCA को लगता है कि वो रिकवर कर चुके हैं और खेलने के लिए पूरी तरह से फिट हैं तो मुझे उनके जुड़ने से खुशी होगी.

अश्विन ने अचानक क्यों लिया संन्यास? इन 3 बड़े सवालों ने खड़ा किया सस्पेंस

गाबा टेस्ट के बाद अश्विन के संन्यास के फैसले ने सबको चौंका दिया. हैरानी इस वजह से ज्यादा हुई क्योंकि इस बात की भनक तक, पहले से किसी को नहीं थी. रिटायरमेंट के कयास अगर किसी क्रिकेटर को लेकर लग भी रहे थे तो वो रोहित और विराट थे. हालांकि उनके बारे में भी कहा जा रहा था कि वो सीरीज के बाद संन्यास ले सकते हैं. लेकिन, अश्विन ने बीच सीरीज में ही सबकी उम्मीदों से परे जाकर संन्यास ले लिया. सवाल है क्यों? क्या ये संन्यास उनका खुद का फैसला है या उन्हें मजबूर किया गया? कहने वाले ये भी कह रहे हैं कि धोनी ने भी बीच सीरीज से ही संन्यास लिया था? लेकिन, जैसे अश्विन रिटायर हुए वो अलग ही रहा. ऐसा होते उन्होंने पहले नहीं देखा.

अश्विन के संन्यास के फैसले से उठे 3 बड़े सवाल

गाबा टेस्ट के ड्रा होने के बाद रोहित शर्मा के साथ अश्विन भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए, जहां उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट से अपने रिटायरमेंट का ऐलान किया. अश्विन का ये ऐलान चौंकाने वाला रहा, साथ ही कुछ बड़े सवालों का जन्म देने वाला भी. अश्विन के रिटायरमेंट से जुड़े 3 सवाल बड़े शॉकिंग रहे. पहला, क्या अश्विन इसलिए रिटायर हुए क्योंकि टीम में उनकी जगह नहीं बन पा रही थी? दूसरा सवाल, ऐसी भी क्या जल्दी थी कि अश्विन को बीच सीरीज में संन्यास लेना पड़ा? अगर उन्हें रिटायर होना था तो सीरीज खत्म होने का इंतजार भी कर सकते थे? मामला तीसरे सवाल से और गहराता है क्योंकि मेलबर्न और सिडनी टेस्ट के लिए परिवार ने ऑस्ट्रेलिया जाने का टिकट करा लिया था, ये जानते हुए अश्विन ने संन्यास लिया?

परिवार जाने वाला था ऑस्ट्रेलिया तो फिर संन्यास क्यों?

सबसे पहले तीसरे सवाल पर ही चर्चा करते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार अश्विन के पिता और परिवार मेलबर्न में होने वाले बॉक्सिंग डे टेस्ट और सिडनी में होने वाले न्यू ईयर टेस्ट देखने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने वाले थे. उन्होंने टिकट भी बुक करा ली थी. लेकिन, 17 दिसंबर की रात को अश्विन ने उन्हें फोन कर बताया कि 18 दिसंबर उनके इंटरनेशनल करियर का आखिरी दिन है. अश्विन के इस फैसले से उनका परिवार भी हैरान रह गया.

रिपोर्ट्स में कहा गया अश्विन के फैसले से जरूर हर किसी को हैरानी हो रही हो. लेकिन, इसका ख्याल उनके दिमाग में काफी पहले से था. अश्विन के इस ख्याल की वजह घुटने को लेकर उनकी परेशानी बताई जा रही है. अश्विन के करीबियों का कहना था कि मौजूदा बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के लिए ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले भी भी वो डबल माइंडेड थे कि क्या करें? लेकिन एक बार जब वो ऑस्ट्रेलिया गए तो सबको यही लग रहा था कि वो सीरीज के बाद ही वापस लौटेंगे.

क्या प्लेइंग XI में जगह ना बना पाना है वजह?

अब आते हैं पहले सवाल पर जो कि टीम में उनकी जगह के ना बन पाने से जुड़ा है. अश्विन को ऑस्ट्रेलिया दौरे की टीम में तो मौका मिला पर प्लेइंग इलेवन में जगह बना पाना उनके लिए दूर की कौड़ी रही. पर्थ में खेले पहले टेस्ट में उन्हें मौका नहीं मिला. वहीं एडिलेड में पिंक बॉल से खेले दूसरे टेस्ट में वो प्लेइंग इलेवन में आए तो मगर अपनी पिछले दौरे की कामयाबी को दोहरा पाने में नाकाम रहे. एडिलेड में खेले पिछले पिंक बॉल टेस्ट में 5 विकेट लेने वाले अश्विन इस बार बस 1 विकेट ही ले सके.लिहाजा, ब्रिसबेन में खेले तीसरे टेस्ट में अश्विन को एक बार फिर से प्लेइंग इलेवन से बाहर होना पड़ा.

प्लेइंग इलेवन से अंदर-बाहर के इसी खेल से अश्विन को समझ आ गया होगा कि भारतीय टीम मैनेजमेंट अब क्या चाहता है? लिहाजा, उन्होंने संन्यास के बारे में सोचने का फैसला किया होगा.

अश्विन ने सीरीज के खत्म होने का इंतजार क्यों नहीं किया?

खैर, सवाल अश्विन के रिटायरमेंट की टाइमिंग से है? दरअसल, अश्विन को संन्यास लेना ही था तो वो सीरीज के खत्म होने का इंतजार कर सकते थे? लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. क्यों? क्या इसके पीछे की वजह ड्रेसिंग रूम में गौतम गंभीर के साथ वायरल हो रही उनकी तस्वीर है? अब इस तस्वीर का सच क्या है वो तो हम दावे से नहीं कह सकते मगर सोशल मीडिया पर इसी को लेकर चर्चा गर्म है. और, फिर बात को बेवजह यूं ही नहीं निकलती.

अश्विन के संन्यास के फैसले से खुश नहीं गावस्कर

अश्विन के संन्यास को लेकर एक ओर जहां हैरानी की लहर है वहीं दूसरी ओर सुनील गावस्कर इस फैसले से आहत हैं. वो अश्विन के बीच सीरीज में संन्यास लेने के फैसले से खुश नजर नहीं आए. उन्होंने कहा कि अश्विन के संन्यास के बाद भारत का एक खिलाड़ी कम हो गया है. उन्हें अगर संन्यास लेना था तो ये भी कह सकते थे कि वो सीरीज के खत्म होने के बाद संन्यास लेंगे.

आर अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से लिया संन्यास, जानिए उनके करियर की खास बातें।

भारत के ऑफ स्पिनर आर अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया. अश्विन ने गाबा टेस्ट खत्म होते ही रिटायरमेंट का ऐलान किया. रविचंद्रन अश्विन भारतीय टेस्ट इतिहास के अब तक के सबसे कामयाब गेंदबाजों में से एक रहे हैं. इस दौरे पर उन्हें अभी तक एक ही मैच खेलने का मौक़ा मिला है. एडिलेड के बाद वे गाबा टेस्ट से बाहर हो गए थे. गाबा टेस्ट के दौरान अश्विन टीम इंडिया के खिलाड़ियों को गले लगाते हुए नजर आए. उन्होंने कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली को गले लगाया. हेड कोच गंभीर से भी अश्विन ने काफी देर तक बातचीत की और फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस में आकर उन्होंने रिटायरमेंट का ऐलान कर दिया. रोहित शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी दी कि अश्विन अब ऑस्ट्रेलिया में नहीं रहेंगे. वो गुरुवार को भारत लौटेंगे.

अश्विन का इंटरनेशनल करियर

आर अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में 106 मैचों में 537 विकेट हासिल किए. उनके नाम 37 फाइव विकेट हॉल हैं और 8 बार उन्होंने मैच में 10 विकेट लिए. अश्विन ने 156 वनडे विकेट भी हासिल किए. टी20 में अश्विन ने 72 विकेट चटकाए. इंटरनेशनल करियर में उनके नाम 765 विकेट रहे. अश्विन ने बतौर बल्लेबाज भी अपनी छाप छोड़ी. उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 3503 रन हैं और उन्होंने कुल 6 टेस्ट शतक लगाए. फर्स्ट क्लास क्रिकेट में उनके नाम कुल 8 शतक रहे.

अश्विन ने करियर में क्या हासिल किया?

अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे तेजी से 250, 300 और 350 विकेट हासिल करने वाले खिलाड़ी हैं.

अश्विन भारत के लिए सबसे तेजी से 50, 100, 150, 200, 250, 300, 350, 400, 450 और 500 टेस्ट विकेट हासिल करने वाले खिलाड़ी हैं.

अश्विन ने चार मैचों में शतक और पांच विकेट लेने का रिकॉर्ड बनाया है. ये कारनामा करने वाले वो इकलौते भारतीय हैं.

अश्विन एक सीजन में सबसे ज्यादा 82 विकेट लेने वाले खिलाड़ी रहे हैं.

अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा बाएं हाथ के बल्लेबाजों को आउट किया.

अश्विन के भारत में सबसे ज्यादा 383 विकेट हैं.

अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रेटिंग प्वाइंट हासिल करने वाले खिलाड़ी हैं.

अश्विन ने करियर में क्या-क्या जीता?

अश्विन ने 2 बार एशिया कप जीता, 2010 और 2016 में वो चैंपियन टीम इंडिया का हिस्सा रहे.

2011 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे.

2013 में अश्विन चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम में थे.

2016 में अश्विन आईसीसी मेंस क्रिकेटर ऑफ द ईयर बने

2016 में ही अश्विन आईसीसी मेंस टेस्ट क्रिकेटर ऑफ द ईयर भी बने.

2015 में अश्विन को अर्जुन अवॉर्ड मिला.

अश्विन को 2011 से 2020 के दशक की टेस्ट टीम में जगह मिली.

शोएब अख्तर का विवादित बयान: ICC को मेरे पांव धोकर पीना चाहिए, सबसे तेज गेंद के रिकॉर्ड पर दिया बड़ा बयान

पाकिस्तान के पूर्व दिग्गज तेज गेंदबाज शोएब अख्तर अभी तक के सबसे तेज गेंदबाज हैं. वह अपने खेल के समय में अपनी तेज रफ्तार के लिए जाने जाते थे, जिसके आगे बडे़-बड़े बल्लेबाज फ्लॉप हो जाते थे. वहीं, अब अख्तर अपने अजीबोगरीब बयानों की वजह से फैंस के बीच सुर्खियों में रहते हैं. उन्होंने हाल ही में एक दावा किया है. उनका कहना है कि अगर वह चाहे तो 6 महीने में उनका सबसे तेज गेंद फेंकने का रिकॉर्ड टूट सकता है. इसके अलावा उन्होंने आईसीसी को उनके पांव धोकर पीने की बात भी कही है.

शोएब अख्तर का अजीबोगरीब बयान

दरअसल, शोएब अख्तर हाल ही में टीएनकेएस पॉडकास्ट में नजर आए थे. इस यूट्यूब शो पर जब शोएब अख्तर से पूछा गया कि क्या इंटरनेशनल क्रिकेट में कोई उनका सबसे तेज गेंद का रिकॉर्ड तोड़ सकता है? इस सवाल का जवाब देते हुए अख्तर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि ऐसा हो सकता है. अगर मैं दुनियाभर में गेंदबाज इकट्ठा करूं तो मेरे ख्याल में 6 महीने के अंदर ये रिकॉर्ड टूट सकता है. अगर मैं दुनियाभर से दो-तीन हजार खिलाड़ी इकट्ठा करने में कामयाब हो जाऊं तो मैं अपना रिकॉर्ड तुड़वा दूंगा. युवा खिलाड़ी 160-170 तक भी गेंदबाजी कर सकते हैं. अगर कुछ भी नहीं हुआ ना तो मैं आपको 150, 140 और 145 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करने वाले तेज गेंदबाज की बड़ी तादाद में दे दूंगा. तब भारत-पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश उन्हें मौका दें या ना दें, उनकी मर्जी है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं खिलाड़ी को खिलाने के लिए पोल कराऊंगा. लोग वोट करेंगे और बताएंगे कि किसे खिलाना है और किसे नहीं. मैं वाकई चाहता हूं कि कोई आए और मेरा रिकॉर्ड तोड़े. एक ही बॉल फेंकनी है. अगर 150 किलोमीटर की गति से फेंक वाले गेंदबाज बड़ी तादाद में दुनिया को मिल गए तो फिर आईसीसी को मेरे पांव धोकर पीना चाहिए.’

सालों से नहीं टूटा अख्तर का रिकॉर्ड

शोएब अख्तर ने 2003 वर्ल्ड कप के दौरान सबसे तेज गेंदबाज फेंकने का रिकॉर्ड बनाया था. उन्होंने इस टूर्नामेंट के दौरान इंग्लैंड के खिलाफ 161.3 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गेंद फेंकी थी. ये क्रिकेट के इतिहास में अभी तक की सबसे तेज गेंद थी. यानी पिछले 21 साल से कोई भी गेंदबाज इस रिकॉर्ड को नहीं तोड़ सका है. अख्तर अपनी रफ्तार की वजह से ही एक सफल गेंदबाज बने थे. उन्होंने अपने इंटरनेशनल करियर के दौरान पाकिस्तान के लिए 224 मैचों में 444 विकेट चटकाए थे.

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी फाइनल: रजत पाटीदार ने खेली कप्तानी पारी, मध्य प्रदेश ने मुंबई को दिया 175 रनों का लक्ष्य

सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी का फाइनल मैच श्रेयस अय्यर की कप्तानी वाली मुंबई और रजत पाटीदार की अगुआई वाली मध्य प्रदेश की टीमों के बीच खेला जा रहा है. एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में खेले जा रहे इस अहम मैच में मुंबई ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी का फैसला किया था. कप्तान श्रेयस अय्यर का ये फैसला कहीं ना कहीं सही साबित हुआ, लेकिन रजत पाटीदार को अपनी टीम का कोई भी गेंदबाज नहीं रोक सका. रजत पाटीदार ने इस बड़े मुकाबले में एक कप्तानी पारी खेली और टीम को फाइटिंग टोटल तक पहुंचाया.

रजत पाटीदार ने खेली कप्तानी पारी

रजत पाटीदार के लिए बतौर बल्लेबाज सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2024 काफी यादगार रही है. उन्होंने लगभग हर एक मुकाबले में टीम के लिए अहम रन बनाए. मुंबई के फाइनल में भी उन्होंने अपनी टीम के लिए दमदार पारी खेली. पाटीदार जब बल्लेबाजी के लिए आए थे तो मध्य प्रदेश ने 48 रन पर 3 विकेट गंवा दिए थे. टीम परेशानी में नजर आ रही थी, लेकिन उन्होंने आते ही चौके और छक्का की बारिश कर दी. पाटीदार ने 40 गेंदों पर 202.50 की स्ट्राइक रेट से नाबाद 81 रन बनाए.

रजत पाटीदार ने अपनी इस पारी में 6 चौके और 6 छक्के जड़े. यानी 81 में से 60 रन तो उन्होंने चौके और छक्कों से ही बटोर लिए. ये सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी 2024 में रजत पाटीदार का 5वां अर्धशतक भी था. पाटीदार ने इस पारी के दौरान सिर्फ 28 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया. इसी के साथ पाटीदार ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी के फाइनल में बतौर कप्तान सबसे बड़ी पारी खेलने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया. पाटीदार से पहले साल 2019 में मनीष पांडे ने नाबाद 60 रन की पारी खेली थी.

मध्य प्रदेश ने बोर्ड पर लगाए 174 रन

रजत पाटीदार की इस कप्तानी पारी के चलते मध्य प्रदेश की टीम 20 ओवर में 8 विकेट के नुकसान पर 174 रन बनाने में कामयाब रही. पाटीदार के अलावा सुभ्रांशु सेनापति ने 17 गेंदों पर 23 रन बनाए. वहीं, वेंकटेश अय्यर ने 17 रन और राहुल बाथम ने 19 रनों का योगदान दिया. दूसरी ओर मुंबई को लिए शार्दुल ठाकुर और रॉयस्टन डायस ने सबसे ज्यादा 2-2 विकेट लिए.

राहुल द्रविड़ के छोटे बेटे अनवय ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी में लगाया शतक, कर्नाटक को दिलाई जीत

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और कोच रहे राहुल द्रविड़ के बेटे भी उनके नक्शेकदमों पर चलते हुए पिच पर अपना रंग जमा रहे हैं. द्रविड़ के बड़े बेटे समित ने तो पिछले कुछ महीनों में अलग-अलग टूर्नामेंट में दमदार पारियां खेलने के अलावा विकेट लेकर भी अपनी पहचान बनाई है. अब उनके छोटे नवाब अनवय ने भी अपने पिता और बड़े भाई की तरह बल्ले से जलवा बिखेर दिया है. अनवय ने विजय मर्चेंट ट्रॉफी के मुकाबले में अपनी टीम कर्नाटक की ओर से जोरदार शतक लगाया और टीम को 3 जरूरी पॉइंट्स दिला दिए.

बीसीसीआई के अंडर-16 रेड बॉल टूर्नामेंट विजय मर्चेंट ट्रॉफी के इस मुकाबले में कर्नाटक का सामना झारखंड से था. मुकाबला आंध्र प्रदेश के मुलापाडु में था. तीन दिनी मैच वाले इस टूर्नामेंट का ये मुकाबला 11 दिसंबर से शुरू हुआ था. झारखंड ने इसमें पहले बैटिंग करते हुए 387 रन बनाए थे. उसकी ओर से ओपनर तौहीद शतक से चूक गए और सबसे ज्यादा 98 रन उन्होंने बनाए. उनके अलावा लोअर ऑर्डर में मनमीत सागर ने भी 72 रन बनाए.

अनवय ने दिखाया बैटिंग का जलवा

इसके बाद बैटिंग आई कर्नाटक की और उसके लिए ओपनर्स ने ही जोरदार पारियां खेलीं. कर्नाटक के लिए आर्या गोडा और कप्तान ध्रुव कृष्णन ने शानदार शतक जमाए. इनके बाद चौथे नंबर पर आए राहुल द्रविड़ के बेटे अनवय. युवा विकेटकीपर-बल्लेबाज ने टीम की अच्छी शुरुआत का फायदा उठाते हुए एक बेहतरीन पारी खेली. अनवय ने आखिरी दिन का खेल खत्म होने से पहले अपना शानदार शतक पूरा कर लिया. उन्होंने 153 गेंदों में नाबाद 100 रन बनाए, जिसमें 10 चौके और 2 छक्के शामिल थे.

ओपनर्स के शतक और फिर अनवय की इस बेहतरीन पारी के दम पर कर्नाटक ने 4 विकेट खोकर 441 रन बनाए और झारखंड पर 54 रन की बढ़त ले ली. हालांकि, मैच ड्रॉ हो गया लेकिन पहली पारी की बढ़त के आधार पर कर्नाटक को 3 पॉइंट मिल गए, जबकि झारखंड को सिर्फ एक पॉइंट मिला. इस तरह अनवय ने अपने पिता राहुल की तरह ही क्रीज पर लंबा समय बिताकर एक बेहतरीन पारी खेली और टीम की सफलता में योगदान दिया.

बड़े बेटे ने भी किया प्रभावित

अनवय से पहले द्रविड़ के बड़े बेटे समित ने भी अपने प्रदर्शन से पहचान बनाई है. उन्हें कुछ ही महीने पहले भारत की अंडर-19 टीम में जगह मिली थी, जहां उन्हें ऑस्ट्रेलिया की अंडर-19 टीम के खिलाफ अनऑफिशियल टेस्ट मैच खेलना था. हालांकि चोट के कारण वो इसमें हिस्सा नहीं ले सके. हालांकि उससे पहले समित ने कूच बेहार ट्रॉफी में शानदार प्रदर्शन करते हुए 8 मैच में 362 रन बनाए थे और अपनी मीडियम पेस बॉलिंग से 16 विकेट भी हासिल किए थे.

विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पूरा किया अपना 'शतक', तोड़ सकते हैं सचिन का रिकॉर्ड

ब्रिसबेन में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच सीरीज का तीसरा टेस्ट शुरू हो चुका है. इस टेस्ट में मैदान पर उतरते ही विराट कोहली ने अपना शतक पूरा कर लिया. विराट कोहली का ये शतक रनों का ना होकर उनके खेले मैचों का रहा. ब्रिसबेन में विराट कोहली के इस अनोखे शतक के चलते अब सचिन तेंदुलकर के रिकॉर्ड पर भी खतरा मंडराता दिख रहा है. दरअसल, किसी एक विरोधी के खिलाफ सर्वाधिक मैच खेलने का रिकॉर्ड मास्टर ब्लास्टर तेंदुलकर के ही नाम पर है.

एक विरोधी के खिलाफ सचिन-जयवर्धने ने खेले सर्वाधिक मैच

सचिन तेंदुलकर ने सबसे ज्यादा मैच खेलने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ही बनाया है. उन्होंने इस टीम के खिलाफ 110 इंटरनेशनल मैच खेले हैं. इतने ही मैच खेलते हुए ये रिकॉर्ड संयुक्त तौर पर श्रीलंका के माहेला जयवर्धने के नाम भी है. हालांकि, जयवर्धने ने भारत के खिलाफ 110 मैच खेले हैं. एक विरोधी के खिलाफ सर्वाधिक मैच खेलने वाले खिलाड़ियों की लिस्ट में दूसरा नाम भी सचिन का ही है. उन्होंने ये उपलब्धि श्रीलंका के खिलाफ 109 मैच खेलकर बनाए हैं. इसके बाद लिस्ट में दो बार सनथ जयसूर्या का नाम आता है, जिन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ 105 मैच और भारत के खिलाफ 103 मैच खेले हैं. 103 मैच खेलने का रिकॉर्ड एक बार फिर से जयवर्धने का है. उन्होंने ये उपलब्धि पाकिस्तान के खिलाफ हासिल की है.

कोहली का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ‘शतक’, तोड़ सकते हैं सचिन का रिकॉर्ड

बहरहाल, अब हो सकता है कि विराट कोहली इन सबसे आगे निकल जाएं. वो दुनिया में किसी एक विरोधी के खिलाफ सबसे ज्यादा क्रिकेट मैच खेलने वाले खिलाड़ी बन जाएं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना 100 वां मैच खेल रहे विराट कोहली इस टीम के खिलाफ अगले 11 इंटरनेशनल मैच और खेलते ही इस रेस में सबसे आगे निकल जाएंगे.

विराट कोहली अब 36 साल के हो चुके हैं. ऐसे में सचिन के रिकॉर्ड से उनका आगे निकलना अब इस पर भी निर्भर करेगा कि उनके अंदर कितनी क्रिकेट बची है. T20 क्रिकेट से वो पहले ही रिटायर हो चुके हैं.

विराट ने अब तक किस टीम के खिलाफ खेले कितने मैच?

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 100 वां इंटरनेशनल मैच खेल रहे विराट ने दूसरा सबसे ज्यादा 85 मैच इंग्लैंड के खिलाफ खेला. उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ 75 मैच, वेस्टइंडीज के खिलाफ 73 मैच, साउथ अफ्रीका के खिलाफ 61 मैच, न्यूजीलैंड के खिलाफ 55 मैच, बांग्लादेश के खिलाफ 30 मैच जबकि पाकिस्तान के खिलाफ 27 मैच खेले है.

वर्ल्ड चैंपियन बनकर भी क्यों रो पड़े डी गुकेश? जानें उनकी भावुक कहानी

वादा तो हर कोई करता है, सपना तो हर कोई देखता है लेकिन हर कोई उन सपनों को और खुद से किए वादों को पूरा नहीं कर पाता. वो भी ऐसा वादा, जो सिर्फ 11 साल की उम्र में किया हो और फिर 18 साल की उम्र में उसे पूरा भी कर दिखाया. भारत के युवा चेस ग्रैंड मास्टर डी गुकेश गर्व से कह सकते हैं कि वो ऐसा कर पाए. छोटी सी उम्र में ही अपने कमाल के प्रदर्शन से दुनियाभर में पहचान बना चुके गुकेश ने अब अपना नाम चेस इतिहास में हमेशा के लिए दर्ज करवा दिया है. गुकेश ने सिर्फ 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया और अपने सपने को पूरा कर लिया. मगर वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद भी उन्होंने खुद को ‘बेस्ट’ मानने से इनकार कर दिया.

सच किया 7 साल पुराना सपना

गुकेश ने गुरुवार 12 दिसंबर को चीन के डिंग लिरेन को हराकर वर्ल्ड चैंपियनशिप जीत ली. सिंगापुर में 17 दिनों तक चली चैंपियनशिप में 14 राउंड की कड़ी टक्कर के बाद भारतीय स्टार ने डिफेंडिंग चैंपियन को हरा दिया. दोनों ही खिलाड़ी 13 राउंड के बाद 6.5 – 6.5 पॉइंट्स के साथ बराबरी पर थे. ऐसे में आखिरी राउंड 14 में फैसला होना था और गुकेश ने यहां अपने से ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी को हराते हुए चैंपियनशिप अपने नाम कर ली. इस तरह वो सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन भी बन गए.

गुकेश ने सिर्फ 18 साल 8 महीने और 14 दिन की उम्र में वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतकर ये रिकॉर्ड बनाया. ये रिकॉर्ड तो अपने आप में बड़ी उपलब्धि है, मगर इसे खास बनाया गुकेश के खुद से किए वादे ने. गुकेश जब सिर्फ 11 साल 6 महीने के थे, तब चेस बेस इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने सपने का खुलासा किया था. छोटे से गुकेश ने तब कहा था कि वो बड़े होकर सबसे युवा वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहेंगे. ठीक 7 साल 2 महीने बाद गुकेश ने वर्ल्ड चैंपियन बनकर बता दिया कि वो सिर्फ सपने देखते ही नहीं हैं, बल्कि उन्हें हूबहू सच भी करते हैं.

फूट-फूटकर रोने लगे गुकेश

आम तौर पर चेस खिलाड़ी हमेशा अपने जज्बातों पर काबू रखते हैं और उनरे चेहरे के हाव-भाव से हार या जीत का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल होता है. गुकेश भी उनसे अलग नहीं हैं. बेहद कम बोलने वाले और अपनी भावनाओं पर संयम रखने वाले गुकेश के लिए भी इस बार ऐसा करना मुश्किल था. जैसे ही डिंग ने रिजाइन करते हुए गुकेश से हाथ मिलाया और मैच शीट पर साइन किया, वो अपनी सीट पर बैठ गए और उनकी आंखें आंसुओं से भर आईं. पहली बार किसी ने इस भारतीय सितारे को इस तरह अपने इमोशन को खुलकर सामने पेश करते हुए देखा.

सिर्फ गुकेश ही नहीं, उनके पिता भी इस जीत से भावुक थे, जो कि स्वाभाविक ही था. तभी तो गुकेश जैसे ही मैच हॉल से बाहर निकले, उन्होंने सबसे पहले अपने पिता को जोर से गले लगा दिया और काफी देर तक दोनों एक-दूसरे से लिपटे रहे. पिता के चेहरे पर खुशी तो थी ही, साथ ही अपने बेटे पर गर्व भी था और उसी गर्व के साथ वो गुकेश की पीठ थपथपाते रहे.

डिंग की तारीफ, बताया कौन है बेस्ट

इतनी सी उम्र में दुनिया जीत लेना हर किसी के बस की नहीं है. अगर जीत भी जाएं तो उसके बाद भी अपने स्वभाव और अपनी बातों में स्थायित्व बनाए रखना आसान नहीं होता. अभिमान में कई चैंपियन बड़े-बड़े दावे करते रहे हैं, मगर गुकेश ने यहां भी परिपक्वता दिखाई. भारतीय स्टार ने जीत के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में सबसे पहले अपने प्रतिद्वंद्वी डिंग लिरेन की बात की और उनकी हार पर खेद जताया. गुकेश ने साथ ही उन्हें सही मायनों में वर्ल्ड चैंपियन बताते हुए कड़ी टक्कर के लिए उनकी जमकर तारीफ की.

इसके बाद गुकेश ने जो कहा, वो आम लोगों को हैरान कर सकता है. नए-नए वर्ल्ड चैंपियन बने गुकेश ने साफ किया कि ये खिताब जीतने के बाद भी वो दुनिया के बेस्ट प्लेयर नहीं हैं क्योंकि वो तमगा अभी भी नॉर्वे के दिग्गज और महानतम ग्रैंड मास्टर में से एक मैग्नस कार्लसन के नाम है, जिन्होंने 5 बार इस चैंपियनशिप पर कब्जा किया और पिछले साल खुद को इससे अलग भी कर लिया.