बनारस का लाल पेड़ा: जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी खाते हैं, जानिए इसकी खासियत।
धीरे-धीरे होने की एक सामूहिक लय, दृढ़ता से बांधे है इस समूचे शहर को…हिन्दी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर रहे कवि केदारनाथ सिंह की इन पंक्तियों को ठीक से समझना हो तो आप बनारस के उदय प्रताप कॉलेज के कैंपस में बनने वाले लाल पेड़ा की मेकिंग देख कर समझ सकते हैं. धीमी आंच पर खोये को भूनते हुए देखना और इसकी सोंधी सोंधी खुशबू धीरे धीरे पूरे माहौल को “बनारस” बना देती है.
आप ये पढ़कर नॉस्टैल्जिक हो गए होंगे, लेकिन यकीन जानिए यहां बनने वाला लाल पेड़ा और इसे बनाने का तरीका कुछ ऐसा ही है. इस पेड़े का हर कोई दीवाना है. इनमें केदारनाथ सिंह, नामवर सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह, चंद्रशेखर और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम भी आता है. ये लाल पेड़ा सबको बहुत पसंद आता है. छात्र जीवन में कभी केदारनाथ सिंह लाल पेड़ा खाते हुए मौज में कहा करते थे कि “गुरू जवन मजा बनारस में, उ न पेरिस में न फारस में”
लाल पेड़ा बनाने का तरीका
1911 में राजर्षि उदय प्रताप सिंह, जो यूपी कॉलेज के फाउंडर थे. उन्होंने छात्रों को शुद्ध और स्वादिष्ट मिठाइयां मिले और वो बनारस की एक पहचान दूध और रबड़ी खा सकें. इसके लिए लोकल हलवाई लालता और बसंता यादव को कॉलेज कैंपस में मिठाई की दुकान शुरू करने की इजाजत दी. इन्हीं लालता और बसंता ने अपने कारीगर नगई के साथ मिलकर लाल पेड़ा बनाने का तरीका ईजाद किया था. अब इस दुकान की जिम्मेदारी यहां की तीसरी पीढ़ी जय सिंह यादव संभाल रहे हैं.
113 साल पुरानी दुकान
आज यूं तो बनारस के हर इलाके में आपको लाल पेड़ा मिल जाएगा, लेकिन इसकी ओरिजिन इसी यूपी कॉलेज के कैंपस में स्थित इसी 113 साल पुरानी दुकान से हुई थी. कहा जाता है कि एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह, जो इसी कॉलेज के पूर्व छात्र रह चुके थे. जब यूपी कॉलेज पहुंचे तो ये लाल पेड़ा उनको खाने के लिए दिया गया. लाल पेड़ा देखते ही वो फूट फूट कर रोने लगें. उन्हें अपना छात्र जीवन याद आ गया.
लाल पेड़ा को GI टैग
पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की यूपी कॉलेज में राजा साहब के नाम से आज भी चर्चा होती है. छात्र जीवन में वीपी इस मिठाई के दीवाने तो थे ही साथ ही प्रधानमंत्री रहने के दौरान भी स्पेशली ये मिठाई बनारस से मंगाते थे. ऐसे ही चंद्रशेखर भी थे. पीएम मोदी के समय कार्यकाल में इस लाल पेड़ा को GI टैग भी मिल गया. पीएम नरेंद्र मोदी ने इस लाल पेड़ा को बनारस की सरहद से निकालकर पूरी दुनियां तक पहुंचाने का काम किया. आज बनारस के अमूल प्लांट से तैयार लाल पेड़ा पूरी दुनियां में पहुंच रहा है. लाल पेड़ा सामाजिक और धार्मिक समारोहों, त्यौहारों और शुभ अवसरों पर नियमित रूप से दिखाई देता है.
इस पेड़ा में खास क्या है?
बाबा विश्वनाथ से लेकर संकट मोचन तक को इसका भोग लगाया जाता है. इसकी सेल्फ लाइफ लगभग 15 से 20 दिन रहती है. पूछने पर जय सिंह बताते हैं कि इस क्लासिक मिठाई की तैयारी में इस्तेमाल किया जाने वाला खास दानेदार खोया इसे देश भर में बनने वाले पेड़ों से अलग करता है. दानेदार खोया और चीनी को एक खुले बर्तन में तेज आंच पर गर्म किया जाता है. बीच बीच में घी डालना होता है. इसको तब तक लगातार हिलाया जाता है जब तक कि एक समान लाल-भूरा रंग न आ जाए. आंच से उतारने पर इसकी बनावट चिकनी होनी चाहिए.
Dec 18 2024, 13:04