*महाकुंभ के लिए 31 बंदी तैयार कर रहे 100 विशेष कालीन, राम मंदिर के लिए भी तैयार कर चुके हैं कालीन*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही- एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) के तहत महाकुंभ में जिला कारागार के बंदियों के बुने कालीनों का स्टॉल लगेगा। 31 बंदी प्रयागराज महाकुंभ -2025 का लोगो और धार्मिक आकृतियों वाले कालीन बनाने में जुटे हैं। करीब 100 कालीन तैयार करने का लक्ष्य है। महाकुंभ के लोगों वाले दो विशेष कालीन भी तैयार किए जा रहे। ये कालीन महाकुंभ आयोजन सीमित को भेंट किए जाएंगे।
धार्मिक और सांस्कृतिक के लिए विख्यात प्रयागराज महाकुंभ इस बार 13 जनवरी से शुरू हो रहा है। महाकुंभ में देशभर से साधु- संन्यासी के साथ-साथ गृहस्थ लोग भी पहुंचते हैं। बड़ी संख्या में विदेशी सैलानी भी यहां आते हैं। प्रमुख उत्पादों की देश-विदेश तक पहुंच बनाने के लिए ओडीओपी के तहत स्टॉल लगाए जाएंगे। इसमें भदोही के विश्व प्रसिद्ध कालीन का भी स्टॉल लगेगा। एक अनुमान के मुताबिक, पूरे देश से निर्यात होने वाले कालीनों में 60 फीसदी भागीदारी भदोही की है।
31 बंदी कालीन बनाने में दिन-रात जुटे
खास बात यह है कि स्टॉल में जिला कारागार के बंदियों के हाथों से बुने कालीन होंगे। 31 बंदी कालीन बनाने में दिन-रात जुटे हुए हैं। जेल प्रशासन के अनुसार महाकुंभ में करीब 100 टफ्टेड ( हाथ से चलने वाली छोटी मशीन) और 25 से 30 हस्तनिर्मित कालीनों को स्टॉल पर प्रदर्शित किया जाएगा। इन कालीनों पर धार्मिक आकृतियां उकेरी जा रही है। छह गुणा छह साइज के दो विशेष कालीन महाकुंभ के लोगों पर केंद्रित है,जो कि महाकुंभ आयोजन सीमित को भेंट किए जाएंगे।
राम मंदिर के लिए तैयार कर चुके हैं कालीन
जिला कारागार में कालीनों की डिजाइन दहेज उत्पीड़न मामले के बंद अनुराग तैयार करते हैं। वह बीएचयू फाइन आर्ट के विद्यार्थी रह चुके हैं। उनका कहना है कि यहां से छुटने के बाद अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे। कालीन की डिजाइन को पेंसिल से पेपर उकेरते है। इसी तरह बंदी उमाकांत सरोज कालीन बुनाई के कार्य की देखरेख करते हैं। वह बेडरनर, पावदान,आसन, हैंगिंग तैयार करते हैं। अनुराग व उमाकांत ने बताया कि पहले अयोध्या के राम मंदिर और अब महाकुंभ के लिए कालीन तैयार कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।
जिले की प्रमुख कालीन कंपनियों से भी आर्डर मिलते हैं। इस समय पर्याप्त आर्डर है। बुनकर महाकुंभ की तैयारी के साथ निर्यातकों के आर्डर तैयार कर रहे हैं। कुल 31 बंदी कालीन बुनने में लगे हैं। अकुशल और कुशल कारीगर के हिसाब से 50 से 81 रुपए तक पारिश्रमिक दिया जाता है।
Dec 08 2024, 18:22