सम्पादकीय: आज खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता, कैसर जनित उत्पादों का वाहिष्कार और सामाजिक जागृति के लिए सरकार और समाज को सजग होने की जरूरत
विनोद आनंद
हाल ही में प्रसिद्ध क्रिकेटर और राजनेता नवजोत सिंह सिद्धू,ने कैंसर से जूझ रही अपनी पत्नी की स्वास्थ्य को लेकर एक बयान जारी किया था.उनकी पत्नी फोर्थ स्टेज कैंसर से जूझते हुए जिंदगी की लड़ाई लड़ रही थी.डॉक्टरों ने उन्हें इलाज और सर्जरी के बाद, कहा की इनके जीवन के 5%उम्मीद है, स्वाभाविक रूप से कोई भी व्यक्ति हताश हो जायेगा और ऐसे परिस्थिति में और भी इलाज की रास्ता ढूंढेगा. यही नवजोत सिंह सिद्धू ने किया, सोसल साईट और अन्य अध्ययन के आधार पर डाइट प्लान और हर्बल खाद्य द्वारा उनकी पत्नी को लाभ मिला और उनकी जाँच निगेटिव आयी, वे इतने खुश और उत्साहित हुए कि अपनी पत्नी कि स्वास्थ्य को लेकर वर्तमान स्थिति को मीडिया से शेयर किया. इसको लेकर कुछ चिकित्स्कों कि प्रतिक्रिया आयी कि इस तरह के इलाज़ के भरोसे कोई भी मरीज नहीं रहे बल्कि चिकित्साकीय सलाह और प्रॉपर इलाज़ जरूर कराएं.
मैं भी ऐसा हीं सलाह देना चाहूंगा कि कोई भी मरीज सिर्फ डाइट और हर्बल इलाज के भरोसे ना रहें, विशेषज्ञ चिकित्स्कों की देख रेख में इलाज जरूर कराएं. साथ हीं चिकित्सकों और आयुष मंत्रालय से यह भी कहना चाहूंगा कि अगर इलाज के साथ अगर डाइट और हर्बल से लाभ कि संभावना है तो इस दिशा में और रिसर्च हो और मरीज को जरूर इस के सहारे बिमारी से जल्द उबड़ने कि सलाह दें.
वैसे यह अत्यंत संवेदनशील विषय है स्वास्थ्य में सुधार के लिए घरेलू उपायों को प्राथमिकता देने वाले बयान ने एक नई बहस को जन्म दिया है.
अब यह ट्रेंडिंग खबर इसलिए बंन गयी है कि एक सिविल सोसाइटी संगठन ने सिद्दू द्वारा साझा की गयी यह जानकारी को भ्रामक बताते हुए इसे स्वास्थ्य के महत्वपूर्ण मुद्दों पर अनुचित प्रभाव डालने वाला बताया है. और सिविल सोसाइटी के संगठन की ओर से सिद्धू को 850 करोड़ रुपये का नोटिस भेजा गया.सिविल सोसाइटी के इस कारबाई पर मैं यह नहीं कहना चाहता हूँ कि यह नोटिस उचित है या अनुचित. लेकिन सिविल सोसाइटी का ध्यान इस ओर जरूर आकृष्ट करना चाहूंगा कि सिर्फ भ्रम फैलाने या सिद्धू जैसे महत्वपूर्ण लोगों के इस तरह के दावे से लोगों के अंदर गलतफहमी हो सकती है जैसे मुद्दा के साथ हीं आज बाजार में कैंसर फैलाने वाले उत्पाद, खाद पदार्थों में मिलावट से मानव जीवन का अस्तित्व खतरा में है इस पर भी क्यों नहीं कारबाई की जा रही है, इसके जिम्मेबार लोगों को क्यों नहीं नोटिश भेजी जा रही है, इन सब के बिरुद्ध कोई भी समाजिक संघठन क्यों नहीं आगे आ रही है. यह एक बड़ा सवाल आज खड़ा हो गया है.
आज हम जब समाज में व्याप्त स्वास्थ्य पर खतरों पर विचार करते हैं, तो बाज़ारों में कई ऐसे उत्पाद लोगों के जीवन के लिए खतरा बन गया है. जिस पर हर सामाजिक संगठन के साथ सरकारी तंत्र को गंभीर होने और इस दिशा में जागरूकता के साथ कठोर कारबाई की जरूरत है, लोगों के जीवन से खिलबाड़ करने वाले लोगों से आर्थिक जुर्माना के साथ कानूनी कारबाई जरुरी है.
समाज में नकली उत्पादों का संकट
वर्तमान समय में खाद्य उत्पादों और घरेलू चीजों की गुणवत्ता एक बड़ा मुद्दा बन चुकी है। नकली मसाले, प्लास्टिक चावल,आँटा में मिलावट, पैक्ड मसालों में कैंसर जनित केमिकल्स की मिलावट, चाइनीज चावल,लहसून, सब्जी को हरा रखने के लिए हरे रसायनिक पदार्थ और अन्य स्वस्थता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले उत्पादों का व्यापक रूप से बाजार में संचालन जो न सिर्फ कैंसर बल्कि किडनी और लिवर जैसी गंभीर बीमारियों को बढ़ावा दे रहा है.इसकी बहुत लम्बी लिस्ट है जो स्वास्थ्य के लिए प्रतिकूल है
हाल के अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि हमारे आहार में मौजूद कई सामग्रियां, जैसे कि कैमिकल्स और हानिकारक तत्व, हमारे स्वास्थ्य पर भयानक प्रभाव डाल रहे हैं।
इन उत्पादों की बिक्री का तंत्र समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी का भी प्रमाण है। जब हम जल्दी से लाभ कमाने की कोशिश करते हैं, तब हम अपने स्वास्थ्य की कीमत पर घाटे में जाते हैं।ऐसे समानो ओर प्रतिबंध लगाने के लिए कोई भी संगठन क्यों नहीं आगे आ रही है.
सिविल सोसाइटी की भूमिका
सिविल सोसाइटी का मुख्य कार्य सामाजिक स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा करना, लेकिन यह देखना बेहद अनिश्चित है कि क्यों ऐसी संस्थाएँ केवल एक विवादास्पद बयान पर प्रतिक्रिया देती हैं, जबकि वे उन हानिकारक उत्पादों के खिलाफ चुप्पी साधे रहती हैं जो व्यापक स्तर पर समाज को नुकसान पहुँचा रहे हैं. यहाँ पर प्रश्न उठता है कि क्या समाज के संगठन केवल निषेधात्मक बयानों पर ध्यान देते हैं, या वास्तविक स्वास्थ्य संकटों की ओर भी उनकी नज़र जाती है?
सिविल सोसाइटी को यह समझना चाहिए कि संतुलित आहार और स्वास्थ्य के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता होती है. उन्हें उन कारको पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए जो दीर्घकालिक स्वास्थ्य संकट का कारण बन सकते हैं.
हानिकारक उत्पादों की जांच
नकली खाने के उत्पादों की अनुपस्थिति में, सरकार को खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है.
उपभोक्ताओं को यह जानने का अधिकार होना चाहिए कि जो वे खा रहे हैं, वह सुरक्षित है या नहीं. इसके लिए आवश्यक है कि खाद्य मानक प्राधिकरण को और अधिक सशक्त और सक्रिय बनाए जाए.
सामाजिक संगठनों को खाद्य सुरक्षा के मुद्दे पर जागरूकता फैलाने, उपभोक्ता शिक्षा, और स्वास्थ्य के अधिकारों के प्रति भी जागरूक करना चाहिए. इसके साथ ही, उन्हें उत्पादकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने में भी सक्षम बनाना चाहिए, ताकि वे उस माल की गुणवत्ता और मानक का पालन कर सकें जो वे बाजार में लाते हैं.
समाज की जिम्मेदारी
एक स्वस्थ समाज का निर्माण केवल सरकारी प्रयासों पर निर्भर नहीं है, बल्कि यह समाज के हर सदस्य की जिम्मेदारी है. हमें अपनी वस्तुओं के बारे में जागरूक रहना चाहिए और केवल उन्हीं उत्पादों का चयन करना चाहिए जो प्रमाणित और सुरक्षित हैं.
उपभोक्ताओं के अधिकारों के बारे में जानकारी होना आवश्यक है, ताकि वे हानिकारक उत्पादों की पहचान कर सकें और उनके खिलाफ आवाज उठाने का साहस जुटा सकें.
निष्कर्ष
समाज में स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता लाना सबसे प्राथमिकता होनी चाहिए. हमें अच्छी गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों के लिए संघर्ष करना चाहिए और उन संगठनों का समर्थन करना चाहिए जो इस दिशा में प्रयासरत हैं. जब तक हम अपनी दिनचर्या में असुरक्षित और नकली उत्पादों का उपयोग करते रहेंगे, तब तक हानिकारक बीमारियों का खतरा बना रहेगा.
स्वास्थ्य केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है; यह समाज के हर सदस्य की जिम्मेदारी है. हमें अपनी आवाज उठानी होगी, अपने स्वास्थ्य के अधिकार की रक्षा करनी होगी और एक ऐसे वातावरण का निर्माण करना होगा जहाँ सभी के लिए सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने की संभावना हो.
इस संदर्भ में, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी व्यक्ति की व्यक्तिगत और सामाजिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर संवेदनशीलता हो और समाज मिलकर उन हानिकारक उत्पादों के खिलाफ खड़ा हो सके जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा हैं.
Dec 03 2024, 10:25