प्रियंका गांधी ने ली सांसद पद की शपथ, भाई राहुल के अंदाज में पकड़ी संविधान की किताब

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संसद के शीतकालीन सत्र का आज तीसरा दिन है। सत्र की शुरुआत काफी हंगामेदार रही है। विपक्ष ने पिछले दो दिनों से अदाणी और मणिपुर मुद्दे पर जमकर बवाल काटा है। इस बीच आज कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लोकसभा सांसद के रूप में शपथ ली। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा और रवींद्र वसंतराव चव्हाण के शपथ लेने के तुरंत बाद ही विपक्षी सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया। स्पीकर ओम बिरला ने लगातार सांसदों को संयम बनाए रखने को कहा, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा। विपक्षी सांसदों के हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने जैसे ही प्रियंका गांधी का नाम पुकारा, वो हाथ में संविधान का किताब लेकर पहुंची और शपथ लीं। प्रियंका गांधी जब पद और गोपनीयता की शपथ ले रही थी, तब उनके भाई राहुल और मां सोनिया भी वहां बतौर सांसद मौजूद थे।इस दौरान उनके बेटे और बेटी रेहान वाड्रा और मिराया वाड्रा संसद पहुंचे थे।

वायनाड में राहुल गांधी की खाली की गई सीट पर हुए वायनाड उपचुनाव में प्रियंका ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है। इस तरह आज से गांधी परिवार की तीन लोग संसद में दिखेंगे। राहुल गांधी रायबरेली से सांसद हैं, प्रियंका वायनाड से सांसद चुनी गई हैं जबकि सोनिया गांधी राज्यसभा की सांसद हैं। माना जा रहा है कि प्रियंका अब भाई राहुल के साथ लोकसभा में केंद्र सरकार को घेरेंगी। संसद में पहुंचे से पहले भी प्रियंका गांधी लगातार मोदी सरकार के कामकाज पर सरकार को घेरती रही हैं।

हसीने के बांग्लादेश से निकलते ही खालिदा जिया के दोनों हाथों में लड्डू, पहले भ्रष्टाचार मामले में बरी, अब अमेरिका का टिकट

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बांग्लादेश में हालात बिल्कुल बदलते जा रहे है। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद ना केवल हिंदुओं पर अत्याचार बढ़े हैं, बल्कि कट्टर इस्लामवादी और चीन-पाकिस्तान के हमदर्दों की बल्ले-बल्ले हो गई है। बांग्लादेश में तख्तापलट के कुछ ही घंटों के बाद जेल में बंद विपक्षी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को रिहा कर दिया गया था। शेख हसीने के पीछे खालिदा जिया के दोनों हाथों में लड्डू नजर आ रहा है। खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के आरोपों में बरी कर दिया गया है। बता दें कि उच्च न्यायालय ने बुधवार को पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष खालिदा जिया को भ्रष्टाचार के एक मामले में बरी कर दिया। इसके साथ ही खालिदा जिया ने विदेश जाने की भी तैयारी शुरू कर दी है।

पहले तो शेख हसीना के तख्ता पलट के ठीक बाद खालिदा जिया को निचली अदालत ने बरी कर दिया था और अब उच्च न्यायालय ने भी बुधवार (27 नवंबर 2024) को उन्हें बरी कर दिया। समाचार पोर्टल ‘बीडीन्यूज24 डॉट कॉम’ की खबर के मुताबिक, न्यायमूर्ति ए.के.एम.असदुज्जमां और न्यायमूर्ति सैयद इनायत हुसैन की पीठ ने जिया की अपील को स्वीकार करते हुए निचली अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के फैसले को पलट दिया। वहीं, डेली स्टार ने अपनी खबर में कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने 2011 में तेजगांव थाने में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया था, जिसमें जिया और तीन अन्य पर अज्ञात स्रोतों से ट्रस्ट के वास्ते धन जुटाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया था।

कोर्ट के फैसले के बाद खालिदा जिया खास इलाज के सिलसिले में विदेश जाने की तैयारी में हैं। उन्होंने इसके लिए सारे जरूरी इंतजाम कर लिए हैं। अपने वीजा आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बुधवार को कोर्ट का फैसला आने के बाद वह अमेरिकी दूतावास पहुंचीं थीं। 'डेली स्टार' अखबार बीएनपी की मीडिया शाखा के सदस्य सयरूल कबीर खान के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि खालिदा अपने आवेदन की प्रक्रिया को पूरा करने के सिलसिले में अपनी उंगलियों का निशान देने बुधवार दोपहर अपने गुलशन कार्यालय से अमेरिकी दूतावास पहुंची थीं। अगले महीने जिया के ब्रिटेन जाने की संभावना है। वहां से वह उच्च स्तर के इलाज के लिए अमेरिका या जर्मनी जा सकती हैं।

बता दें कि खालिदा कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं, जिनमें लीवर सिरोसिस, हार्ट, फेफड़े, किडनी और आंख की समस्याएं शामिल है। शेख हसीन की कट्टर विरोधी माने जाने वाली 78 वर्षीय खालिदा जिया वहां की मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की अध्यक्ष हैं। उनके पति 1977 से 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे और उन्होंने 1978 में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की स्थापना की।

खालिदा जिया की राजनीतिक करियर की शुरुआत तब हुई जब उनके पति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी। 30 मई 1981 को तत्कालीन राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या कर दी गई थी। उनकी मृत्यु के बाद खालिदा जिया, 2 जनवरी 1982 को बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी में शामिल हो गईं।

प्रियंका गांधी की संसदीय पारी की शुरुआत, आज लेंगी पद और गोपनीयता की शपथ

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केरल की वायनाड लोकसभा सीट जीतकर प्रियंका गांधी आज बतौर सांसद पहली बार संसद की दहलीज पर होंगी। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा आज यानी गुरुवार को संसद सदस्य के रूप में शपथ लेंगी। इसके साथ ही वह संसद में अपने भाई राहुल गांधी और मां सोनिया गांधी के साथ शामिल होंगी। इस तरह आज से गांधी परिवार की तीन लोग संसद में दिखने लगेंगे।वायनाड में राहुल गांधी की खाली की गई सीट पर हुए वायनाड उपचुनाव में प्रियंका ने 4 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की है।

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वायनाड सीट राहुल गांधी के इस्तीफा देने के बाद खाली हुई थी। इसी के बाद कांग्रेस पार्टी की तरफ से राहुल के बाद प्रियंका गांधी पर इस सीट को लेकर भरोसा जताया गया था। प्रियंका ने पार्टी का भरोसा कायम रखते हुए यहां से जबरदस्त जीत हासिल की। वायनाड में प्रियंका गांधी को 6 लाख 22 हजार 338 वोट मिले, जबकि सीपीआई के उम्मीदवार सत्यम मोकेरी को 2 लाख 11407 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

प्रियंका गांधी शपथ ग्रहण समारोह के बाद 30 और 1 दिसंबर को वायनाड का दौरा करेंगी। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी भी प्रियंका गांधी के साथ इस दौरान मौजूद रह सकते हैं। प्रियंका गांधी वायनाड में दो दिवसिए दौरे में सात रोड शो करेंगी। सभी विधानसभा सीटों पर वो रोड शो करेंगी।

अब सवाल उठ रहा है कि आखिर प्रियंका गांधी लोकसभा में कांग्रेस के सांसदों के साथ किस पंक्ति में बैठेंगीं। लोक सभा में प्रक्रिया और संचालन के नियम 4 के अनुसार सदन में सदस्य स्पीकर द्वारा तय किये गए नियम के अनुसार ही बैठेंगी। प्रियंका गांधी नवनिर्वाचित सांसद हैं और उपचुनाव में अभी अभी जीत कर आई हैं, ऐसे में अब तक वायनाड लोकसभा सांसद के लिए पहले से कोई सीट निर्धारित नहीं थी। तो सवाल उठता है कि आखिर प्रियंका गांधी लोकसभा में कहां बैठेंगी? प्रियंका गांधी को लेकर सदन में सीटिंग अरेंजमेंट को लेकर कुछ बातें बिल्कुल साफ है।

कहां बैठेंगी प्रियंका?

पहला, विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसद स्पीकर के बाएं तरफ बैठते हैं और प्रियंका गांधी भी स्पीकर के बाई तरफ बैठेगी। दूसरा, कांग्रेस सांसदों के लिए आवंटित पंक्तियों में ही प्रियंका गांधी को भी जगह दी जाएगी। चूंकि नए सांसदों को सीट आवंटन का अधिकार स्पीकर और लोकसभा कार्यालय को है। प्रियंका गांधी पहली बार सांसद है तो ऐसे में प्रियंका गांधी को मौजूदा स्थिति में पहली पंक्ति में स्थान मिलना मुश्किल है। कांग्रेस के एक सांसद ने बताया कि विपक्ष के दलों को स्पीकर की तरफ से सीटें दे दी गई है और विपक्ष की पार्टियां किस सांसद को कहां बैठाया जाए आपस में इसकी चर्चा कर रही है। कांग्रेस में विपक्ष के नेता, डिप्टी लीडर और चीफ व्हिप तय करते हैं किस सांसद को अपने कोटे में कहां बैठाएं?

कांग्रेस को करना है तय

दरअसल स्पीकर की तरफ से सीटों के आवंटन के बाद कांग्रेस की तरफ से विपक्ष के नेता, डिप्टी लीडर और चीफ व्हिप आपस में चर्चा करके तय करते हैं कि कि संसद को कहां बैठाया जाए. प्रियंका गांधी के लोकसभा में आने के बाद कांग्रेस को अपनी नवनिर्वाचित सांसद के लिए एक सीट तय करना होगा, जो कांग्रेस के हिस्से में लोकसभा सांसदों के लिए सीट आई हैं.

देवेंद्र फडणवीस या एकनाथ शिंदे...महाराष्ट्र सीएम पर सस्पेंस बरकरार, कब होगा पटाक्षेप?

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महाराष्ट्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति ने प्रचंड जीत हासिल की। 23 नवंबर को विधानसभा चुनाव का परिणाम भी आ गया लेकिन आज 28 नवंबर तक मुख्यमंत्री के नाम का पटाक्षेप नहीं हो सका है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री कौन होगा? सस्पेंस अब भी बरकरार है। महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद के तहत गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी महासचिव विनोद तावड़े के बीच अहम बैठक हुई। वहीं, आज महायुति के तीनों शीर्ष नेताओं के साथ गृहमंत्री अमित शाह की बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर एलान हो सकता है।

महाराष्ट्र में भाजपा, शिवसेना और राकांपा के महायुति गठबंधन ने चुनाव में जबरदस्त प्रदर्शन किया और जीत हासिल की। हालांकि, इन सभी दलों में भाजपा का प्रदर्शन जबरदस्त रहा और वह अकेले ही बहुमत के करीब का आंकड़ा जुटाकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। इसके बाद से ही भाजपा के कई नेताओं की तरफ से मुख्यमंत्री पद पार्टी के पास रखने की मांग उठने लगी।

वहीं दूसरी तरफ शिवसेना(शिंदे) के कुछ नेताओं ने भी एकनाथ शिंदे को दोबारा सीएम बनाने की मांग तेज कर दी। कई बार शिवसेना की ओर से भारतीय जनता पार्टी पर दबाव बनाया गया।हालांकि, एकनाथ शिंदे अब मुख्यमंत्री सीएम की रेस से हट गए हैं।

देवेंद्र फडणवीस के नाम पर पेच फंस

एकनाथ शिंदे के बयान के बाद ऐसा लगा जैसे देवेंद्र फडणवीस सीएम पद की रेस में बाजी मार चुके हैं। मगर ताजा घटनाक्रम सामने आए हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि देवेंद्र फडणवीस पर फिर पेच फंस गया है। अमित शाह और विनोद तावड़े के बीच बुधवार की रात को लंबी बातचीत हुई। विनोद तावड़े ने महाराष्ट्र का जो फीडबैक दिया है, उससे ही फडणवीस के नाम पर पेच फंसता दिख रहा है। बैठक में महाराष्ट्र के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर चर्चा की गई। एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री नहीं रहने पर सूबे के राजनीतिक और सामाजिक समीकरणों पर पड़ने वाले असर पर भी चर्चा हुई. बीजेपी शीर्ष नेतृत्व महाराष्ट्र के मराठा वोटरों पर पड़ने वाले असर को लेकर लगातार मंथन कर रहा है। तावड़े से बैठक से पहले गृहमंत्री अमित शाह ने एनसीपी और शिवसेना के नेताओं के साथ अलग-अलग बैठक कर फीडबैक लिया।

एकनाथ शिंदे बता चुके हैं अपनी राय

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सीएम पद को लेकर चल रही चर्चाओं को विराम दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे मन में सीएम बनने की लालसा नहीं है। पीएम मोदी और अमित शाह जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा। सरकार बनाते समय मेरी तरफ से कोई अड़चन नहीं आएगी। मैं चट्टान की तरह साथ खड़ा हूं। भाजपा की बैठक में जो भी निर्णय लिया जाएगा, हमें मान्य होगा। भाजपा का सीएम मुझे मंजूर है।

शिंदे ने कहा कि पिछले ढाई साल में पीएम मोदी और अमित शाह ने मेरा पूरा सहयोग किया। अमित शाह और पीएम मोदी ने बालासाहेब ठाकरे के एक आम शिवसैनिक को सीएम बनाने के सपने को पूरा किया है। वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मुझे मुख्यमंत्री बनाया और बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं रोने वालों और लड़ने वालों में से नहीं हूं। मैं भागने वाला नहीं समाधान करने वाला व्यक्ति हूं। हम मिलकर काम करने वाले लोग हैं। ढाई साल तक हमने खूब काम किया है। महाराष्ट्र में विकास की रफ्तार बढ़ी है। हमने हर वर्ग की भलाई के लिए काम किया।

पिक्चर अभी बाकी है...

महाराष्ट्र की जनता नए मुख्यमंत्री के नाम का बेसब्री से इंतजार कर रही है। देखना होगा कि आखिरकार किसके सिर पर मुख्यमंत्री का ताज सजता है। क्या फडणवीस फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे या शिंदे को यह जिम्मेदारी मिलेगी? या फिर कोई और चेहरा सामने आएगा? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

दिल्ली वक्फ मामला: अदालत ने आरोपी को दी जमानत, ईडी को लगाई फटकार

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दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को विधायक अमानतुल्ला खान से जुड़े दिल्ली वक्फ बोर्ड मामले में एक आरोपी को जमानत दे दी, साथ ही ईडी की खिंचाई की कि वह उसे बिना सुनवाई के हिरासत में रखने के लिए अपना पूरा जोर लगा रहा है। विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह ने खान की ओर से संपत्ति खरीदने के लिए बिचौलिया बनने के आरोपी कौसर इमाम सिद्दीकी को जमानत दे दी, यह देखते हुए कि वह 24 नवंबर, 2023 से हिरासत में है। अदालत ने कहा कि निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की "दूर-दूर तक संभावना" भी नहीं है, क्योंकि उसने अपेक्षित मंजूरी की कमी के कारण आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया था।

इसमें कहा गया, "अभियोजन एजेंसी त्वरित सुनवाई में योगदान देने की जिम्मेदारी से पीछे नहीं हट सकती। मुकदमे से पहले हिरासत में लेना कानून के शासन को कमजोर करता है और किसी व्यक्ति के बुनियादी मानवाधिकारों की रक्षा करने की अपनी प्रतिबद्धता के प्रति राज्य की विश्वसनीयता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।" 14 नवंबर को न्यायाधीश ने आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से इनकार कर दिया और खान की "तत्काल रिहाई" का आदेश देते हुए कहा कि दिल्ली वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें आगे की कैद में रखना "अवैध" होगा। न्यायाधीश ने बुधवार को सिद्दीकी को जमानत देते हुए कहा कि मामले की फाइल के अवलोकन से पता चला है कि लगभग पांच महीने की देरी के लिए ईडी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। 

अदालत ने कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने "पूरे पांच महीने तक कार्यवाही को रोके रखा, जबकि आरोपी जेल में अपने मुकदमे की शुरुआत होने का इंतजार करता रहा"। न्यायाधीश ने रेखांकित किया, "अब, इस स्तर पर, जब ईडी के पास जमानत का विरोध न करके आरोपी के त्वरित मुकदमे के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करने के लिए अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करने का अवसर है, तो उसने पूरी ताकत और उग्रता के साथ जमानत का विरोध करने का विकल्प चुना है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना से कम नहीं है।" अदालत ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि त्वरित सुनवाई के लिए अपनी ऊर्जा और संसाधनों को लगाने के बजाय अभियोजन एजेंसी का पूरा जोर आरोपी को बिना सुनवाई के हिरासत में रखने पर है।

अदालत ने कहा कि आरोपी के खिलाफ दोषसिद्धि की मांग करने के अधिकार के अलावा, अभियोजन एजेंसी का यह भी कर्तव्य है कि वह नागरिकों को लंबे समय तक पूर्व-परीक्षण हिरासत से बचाए। उन्होंने कहा, "पूरी दुनिया में निर्दोषता की धारणा को स्वीकार किया गया है।" न्यायाधीश ने कहा कि ईडी को मंजूरी प्राप्त करने के लिए पर्याप्त समय की आवश्यकता होगी, जो मुकदमे में देरी में और योगदान देगा और आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील हेमंत शाह की दलील को स्वीकार किया कि वह समानता के आधार पर जमानत का लाभ पाने का हकदार है। अदालत ने कहा कि सिद्दीकी एक साल से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है और आज तक, दस्तावेजों की प्रति आरोपी को नहीं दी जा सकी है और मामला आरोप तय करने के चरण तक भी नहीं पहुंचा है।

ईडी के अनुसार, सिद्दीकी पर अपराध की आय से खान की ओर से संपत्ति खरीदने का आरोप है। ईडी ने आवेदन का विरोध करते हुए दावा किया कि मामले में आरोपी के आचरण और भूमिका के कारण उसे लंबे समय तक जेल में रहने के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच दो एफआईआर से शुरू हुई है, जिनमें से एक वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं के संबंध में सीबीआई का मामला और दूसरी दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई द्वारा दर्ज कथित आय से अधिक संपत्ति का मामला है।

बांग्लादेश में चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर भड़के पवन कल्याण, जानें क्या कहा?

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बांग्लादेश में इस्कॉन मंदिर से जुड़े चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। उनके जेल जाने की खबरों के बाद से लगातार हंगामा जारी है।चिन्मय दास के समर्थक सड़कों पर उतर आए है और उग्र विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। पड़ोसी देश के हालात पर भारत में भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही है।हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम ने चिंता जताई। उन्होंने बांग्लादेशी सरकार से हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार को रोकने का आग्रह किया। 

उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने बांग्लादेश पुलिस द्वारा हिंदू धर्मगुरु और इस्कॉन के प्रमुख पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने कहा कि आइए मिलकर चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करें। हम मोहम्मद यूनुस की बांग्लादेश सरकार से आग्रह करते हैं कि वे हिंदुओं पर अत्याचार रोकें।

कल्याण ने ऐतिहासिक संदर्भ पर प्रकाश डाला और बांग्लादेश के निर्माण के दौरान भारतीय सेना द्वारा किए गए बलिदानों को याद किया। उन्होंने सेना के जवानों की जान जाने और राष्ट्र के निर्माण में खर्च किए गए संसाधनों का उल्लेख किया और बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को तत्काल समाप्त करने का आग्रह किया। इस मुद्दे ने बांग्लादेशी अंतरिम सरकार के नेता मोहम्मद यूनुस का भी ध्यान खींचा है, जिन्होंने हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने की अपील की है। कल्याण द्वारा एकजुटता का आह्वान क्षेत्र में अल्पसंख्यक समुदायों के साथ हो रहे व्यवहार के बारे में बढ़ती चिंताओं को दर्शाता है।

भारत सरकार भी जता चुकी है चिंता

इस मामले में भारत सरकार ने मंगलवार (26 अक्टूबर) को अपनी प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘हम चिन्मय कृष्ण दास, जो ‘बांग्लादेश सम्मिलित सनातन जागरण जोत’ के प्रवक्ता हैं, की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं। बयान में कहा गया, ‘यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी, तोड़फोड़, देवी-देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज किए गए हैं। 

विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, जबकि शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें प्रस्तुत करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। हम दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर भी चिंता व्यक्त करते हैं। मंत्रालय ने कहा, “हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अपील करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।

महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंस खत्म, बीजेपी ही बनाएगी मुख्यमंत्री, एकनाथ शिंदे ने साफ किया रुख

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महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद को लेकर चले आ रहे संशय का अब पटाक्षेप हो चुका है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना शिंदे गुट के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार को सीएम पद को लेकर चल रही चर्चाओं को विराम दे दिया। उन्होंने कहा कि मेरे मन में सीएम बनने की लालसा नहीं है। पीएम मोदी और अमित शाह जो भी निर्णय लेंगे मुझे मंजूर होगा। एकनाथ शिंदे ने कह दिया है कि भाजपा अपना सीएम बनाए, शिवसेना उसका समर्थन करेगी।

एकनाथ शिंदे ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि महाराष्ट्र की जनता का धन्यवाद, जिन्होनें हमें शानदार जीत दिलाई। मैं मुख्यमंत्री नहीं, आम कार्यकर्ता की तरह काम करता हूं। हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए महायुति गठबंधन ने योजनाएं चलाई हैं। एकनाथ शिंदे ने पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह का धन्यवाद कि उन्होंने जनता का काम करने की मजबूती दी। एकनाथ शिंदे ने कहा कि केंद्र सरकार ने पूरा समर्थन दिया तभी महाराष्ट्र में विकास कार्यों में तेजी आई। हम बाला साहेब के विचारों को लेकर आगे बढ़े।

एकनाथ शिंदे ने कहा कि पिछले ढाई साल में पीएम मोदी और अमित शाह ने मेरा पूरा सहयोग किया। अमित शाह और पीएम मोदी ने बालासाहेब ठाकरे के एक आम शिवसैनिक को सीएम बनाने के सपने को पूरा किया है। वे हमेशा मेरे साथ खड़े रहे हैं। उन्होंने मुझ पर विश्वास किया। मुझे मुख्यमंत्री बनाया और बड़ी जिम्मेदारी दी। मैं रोने वालों और लड़ने वालों में से नहीं हूं। मैं भागने वाला नहीं समाधान करने वाला व्यक्ति हूं। हम मिलकर काम करने वाले लोग हैं। ढाई साल तक हमने खूब काम किया है। महाराष्ट्र में विकास की रफ्तार बढ़ी है। हमने हर वर्ग की भलाई के लिए काम किया। 

बता दें कि वर्तमान में शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे एनडीए सरकार के सीएम हैं, जबकि बीजेपी के नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजित पवार उपमुख्यमंत्री हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में महायुति ने रिकॉर्ड जीत हासिल की है। उसके बाद बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि राज्य में बीजेपी का मुख्यमंत्री हो और इसे लेकर एकनाथ शिंदे और अजित पवार से सहमति बन गई है। हालांकि गुरुवार को दिल्ली में बैठक के बाद अंतिम फैसला का ऐलान होगा।

क्या है कॉप 29, भारत ने क्यों खारिज किया नया जलवायु वित्त समझौता*
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कोयला, तेल और गैस उत्पादन के परिणामस्वरूप हर साल अरबों टन कार्बनडाइऑक्साइड वायुमंडल में छोड़ा जाता है। मानवीय गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जिसके कम होने के कोई संकेत नहीं हैं। जलवायु परिवर्तन हमारे समय का सबसे बड़ा संकट है और यह हमारी आशंका से भी कहीं ज़्यादा तेज़ी से हो रहा है। पिछले चार साल रिकॉर्ड पर सबसे गर्म रहे। दुनिया का कोई भी कोना जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी परिणामों से अछूता नहीं है। बढ़ते तापमान के कारण पर्यावरण क्षरण, प्राकृतिक आपदाएँ, मौसम की चरम सीमाएँ, खाद्य और जल असुरक्षा तेजी से बढ़ रही है। इसी बीच हाल ही में अजरबैजान के बाकू में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन (कॉप-29) का आयोजन किया गया। इस दौरान भारत ने 'ग्लोबल साउथ' के लिए 300 अरब अमेरिकी डॉलर के नए जलवायु फंडिंग पैकेज को रविवार को खारिज कर दिया। कहा कि यह पैकेज बहुत कम है। समझौते को मंजूरी से पहले भारत को बात रखने का मौका नहीं दिया गया। अजरबैजान के बाकू में आयोजित कॉप 29 सम्मेलन में 300 अरब डॉलर वार्षिक क्लाइमेट फाइनेंस का लक्ष्य तय किया गया, जिससे विकासशील देशों को मदद मिल सके। लेकिन यह समझौते पर भी विवादों के बादल छा गए। भारत ने इसे एक “दृष्टि भ्रम” बताते हुए कहा कि इससे असली जलवायु समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता। दरअसल, विकासशील देशों ने इसके लिए कम से कम एक ट्रिलियन डॉलर (1000 अरब डॉलर) की मांग की थी। भारत ने कॉप-29 के अध्यक्ष पद व संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन अधिकारी पर समझौते को थोपने और आपत्ति दर्ज करने का मौका नहीं देने का आरोप लगाया। इस बीच जलवायु कार्यकर्ताओं ने कॉप-29 के आयोजन स्थल के बाहर सम्मेलन के अंतिम दिन भी प्रदर्शन जारी रखा। कार्यकर्ताओं की मांग है कि जलवायु समस्याओं को देखते हुए वित्त बढ़ाया जाना चाहिए। *भारत ने जलवायु वित्त पैकेज पर क्या कहा* आर्थिक मामलों के विभाग की सलाहकार चांदनी रैना ने यहां संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन के समापन सत्र में भारत की ओर से कड़ा बयान देते हुए इस प्रस्ताव को अपनाने की प्रक्रिया को ''अनुचित'' और ''पहले से प्रबंधित'' करार दिया तथा कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में भरोसे की चिंताजनक कमी को दर्शाती है।विकासशील देशों के लिए यह नया जलवायु वित्त पैकेज या नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (एनसीक्यूजी) 2009 में तय किए गए 100 अरब अमेरिकी डॉलर के लक्ष्य का स्थान लेगा। समझौते पर वार्ता के बाद जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि देश विभिन्न स्रोतों- सार्वजनिक और निजी, द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय तथा वैकल्पिक स्रोतों से कुल 300 अरब अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष मुहैया कराने का लक्ष्य 2035 तक हासिल करेंगे। वित्तीय मदद का 300 अरब अमेरिकी डॉलर का आंकड़ा उस 1.3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से बहुत कम है, जिसकी मांग 'ग्लोबल साउथ' देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पिछले तीन साल से कर रहे हैं। *विकसित देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार* भारतीय आर्थिक सलाहकार रैना ने कहा, विकसित देश ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार रहे हैं। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वे विकासशील व निम्न आय वाली अर्थव्यवस्थाओं को वित्त, प्रौद्योगिकी तथा क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करें, ताकि उन्हें गर्म होती दुनिया से निपटने में मदद मिल सके। उन्होंने 2009 में 100 अरब डॉलर के पैकेज का एलान किया था। वर्ष 2020 तक पैकेज के सिर्फ 70 प्रतिशत लक्ष्य को ही हासिल किया सका और वह भी कर्ज की शक्ल में। 300 अरब डॉलर से विकासशील देशों का कुछ नहीं होने वाला। भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद अब विकसित देशों पर जलवायु वित्त को बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। *इन देशों ने किया भारत का समर्थन* संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में वैश्विक दक्षिण के लिए 300 अरब डॉलर के नए जलवायु वित्त पैकेज पर भले ही सहमति बन गई हो, लेकिन बड़ी संख्या में देशों की प्रतिक्रियाओं से पता चलता है कि इससे हर कोई खुश नहीं है। अल्प विकसित देशों (एलडीसी) समूह के अध्यक्ष इवांस नेजेवा ने इसे निराशाजनक बताया। वहीं, नाइजीरिया, मलावी और बोलीविया ने भी भारत का समर्थन किया है। नाइजीरिया की वार्ताकार नकिरुका मडुकेवे ने कहा कि जलवायु फंडिंग पैकेज 'मजाक' है। गरीब देशों के संघ एलडीसी के अध्यक्ष इवांस नजेवा ने पैकेज को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि पृथ्वी की सेहत सुधारने का मौका गंवा दिया। वहीं अफ्रीकी वार्ताकारों के समूह के अध्यक्ष ने कहा कि यह समझौता 'कड़वे मन से' किया गया। *क्या है COP 29 में तय समझौता?* संयुक्त राष्ट्र के अंतिम आधिकारिक मसौदे के अनुसार, कॉप 29 का मुख्य उद्देश्य जलवायु से जुड़ी पिछली फाइनेंस योजना को तीन गुना बढ़ाना था। पहले हर साल 100 अरब डॉलर (₹8.25 लाख करोड़) की योजना थी, जिसे अब 300 अरब डॉलर (24.75 लाख करोड़ रुपये) किया गया है। समझौते के मुताबिक, साल 2035 तक यह प्रयास किया जाएगा कि सार्वजनिक और निजी स्रोतों से विकासशील देशों को कुल 1.5 ट्रिलियन डॉलर (123.75 लाख करोड़ रुपये) तक की वित्तीय सहायता मिले। इसके अलावा, 1.3 ट्रिलियन डॉलर (1,07,25,000 करोड़ रुपये) विशेष रूप से अनुदानों और सार्वजनिक निधियों के रूप में कमजोर देशों के लिए सुनिश्चित किए जाएंगे।
भारत को सिर्फ यूरोप को खुश करने के लिए ऊंची कीमतें क्यों चुकानी चाहिए”, जयशंकर के इन चुभते सवालों के क्या हैं मायने?*
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भारतीय विदेश मंत्री अपनी हाजिरजवाबी के लिए जाने जाते हैं। एस जयशंकर अपने जवाब से अच्छे-अच्छों को लाजवाब कर चुके हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर हो रही आलोचनाओं पर पश्चिमी देशों को दो टूक जवाब दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दुनिया के हर हिस्से के अपने-अपने हित होते हैं और यह समझना जरूरी है। उन्होंने यूरोप के चयनात्मक दृष्टिकोण की आलोचना की और पूछा कि अगर यह सिद्धांतों का मामला है, तो यूरोप ने खुद रूस के साथ अपने कारोबार में कटौती क्यों नहीं की। इटली में इतालवी न्यूज़पेपर कोरिएरे डेला सेरा को दिए इंटरव्यू में एस जयशंकर ने दुनिया के अन्य हिस्सों से यूरोप की अनुचित अपेक्षाओं पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही एस जयशंकर ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर बात की और यूक्रेन वॉर डिप्लोमैटिक हल पर जोर दिया। उन्होंने इंटरव्यू के दौरान भारत-चीन संबंधों समेत कई मुद्दों पर भी बात की। जयशंकर ने कहा, दुनिया के इस हिस्से (पश्चिमी देश) को यह समझना होगा कि दुनिया के हर हिस्से के अपने हित हैं। यूरोप की प्राथमिकताएं स्वाभाविक रूप से एशिया या अफ्रीका या लैटिन अमेरिका के देशों से अलग होंगी। अगर सब कुछ इतने गहरे सिद्धांत का मामला है तो यूरोप को खुद ही रूस के साथ अपने सभी व्यापार खत्म कर देने चाहिए थे, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह बहुत ही चयनात्मक रहा है और उसने बहुत ही सावधानी से अपने अलगाव को आगे बढ़ाया है। इसलिए, यह कहना कि यह क्षेत्र (यूरोप) अपने लोगों की चिंता करेगा और दूसरों को इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए कि उन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, उचित नहीं है।' *जयशंकर के तीखे सवाल* जयशंकर ने आगे पूछा कि भारत को सिर्फ यूरोप को खुश करने के लिए ऊंची कीमतें क्यों चुकानी चाहिए। उन्होंने बताया कि यूरोप ने पहले रूस से ऊर्जा खरीदी थी, लेकिन अब वह अन्य देशों से ऊर्जा खरीद रहा है, जिससे बाजार में दबाव बढ़ा है। भारत को इस स्थिति में अपनी कीमतें क्यों बढ़ानी चाहिए? *रूसी तेल खरीदने को लेकर पहले भी दे चुके हैं जवाब* यह पहली बार नहीं है जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सस्ता रूसी तेल खरीदने के लिए भारत के रुख को जाहिर किया हो। पहले भी कई मंचों पर वे भारत का रुख साफ शब्दों में रख चुके हैं। जयशंकर ने कहा कि रूस एक सोर्स है। भारत को अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनने का अधिकार है।
इजरायल-लेबनान सीज़फायर पर भारत का बड़ा बयान, जानें क्या कहा?*
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इजरायल और हिजबुल्लाह में समझौते के बाद लेबनान में युद्ध विराम हो गया है। इजराइल और ईरान समर्थित हथियारबंद समूह हिज़्बुल्लाह के बीच एक युद्धविराम समझौते की घोषणा के बाद पिछले 13 महीनों से चल रही लड़ाई थम जाएगी। इस समझौते के तहत 60 दिनों का युद्ध विराम रहेगा और हिजबुल्ला दक्षिण लेबनान से पीछे हटेगा। दोनों के बीच सालभर से अधिक समय तक संघर्ष चला। इजरायल-हिजबुल्लाह के बीच सीज फायर का ऐलान होने के बाद भारत का बड़ा बयान सामने आया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर शांति समझौते का स्वागत किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि "हम इजरायल और हिजबुल्लाह में हुए शांति समझौते का स्वागत करते हैं। हम हमेशा हमलों में वृद्धि को रखने शांति स्थापित करने और बातचीत के रास्ते पर लौटने की पक्षधर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इस फैसले से पूरे क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि इजरायल और लेबनान के हिज्बुल्ला ने अमेरिकी मध्यस्थता वाले शांति समझौते को स्वीकार कर लिया है, जिसे दोनों पक्षों के बीच शत्रुता की ‘‘स्थायी समाप्ति’’ के उद्देश्य से तैयार किया गया है। बाइडेन ने इजरायल और हिज्बुल्ला के बीच हुए युद्धविराम समझौते को ‘‘अच्छी खबर’’ बताया और उम्मीद जताई कि 13 महीने से अधिक समय से जारी लड़ाई में विराम गाजा में युद्ध को समाप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा। इजराइल और लेबनान के बीच युद्ध विराम आधिकारिक तौर पर बुधवार तड़के चार बजे से प्रभावी हो गया। इसी के साथ लेबनान से विस्थापित हजारों लोग स्वदेश लौटने के लिए तैयार हो गए हैं। लेबनान की सेना ने विस्थापित नागरिकों से दक्षिणी लेबनान के कस्बों और गांवों में लौटने से पहले इजराइली सैनिकों के हटने का इंतजार करने का आह्वान किया है। लेबनान में इस समय संयुक्त राष्ट्र अंतरिम शांति सेना के 10 हजार जवान मौजूद हैं। *समझौते में 60 दिनों का युद्धविराम* इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच हुए सीजफायर की शर्तों के अनुसार इस समझौते में 60 दिनों का युद्धविराम किया गया है। सीजफायर के अनुसार इजरायली सैनिक लेबनान से वापस जाएंगे। हिजबुल्लाह के लड़ाके भी दक्षिणी लेबनान में इजरायली सीमा से हटेंगे। वहीं, समझौते में इस बात पर जोर दिया गया है कि हिजबुल्लाह अगर युद्धविराम का उल्लंघन करता है तो इजरायल को हमला करने का अधिकार होगा। हालांकि, लेबनान की ओर से इस प्रावधान का कड़ा विरोध जताया गया।