वक्फ संसोधन बिल के खिलाफ टीएमसी का विरोध प्रदर्शन, सड़कों पर होंगे 2 लाख से ज्यादा लोग, विधानसभा में प्रस्ताव भी पेश होगा


डेस्क: वक्फ संसोधन बिल के खिलाफ ममता बनर्जी की कांग्रेस 30 नवंबर को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन करेगी। इस दौरान 2 लाख से ज्यादा लोग सड़कों पर होंगे। इस विरोध प्रदर्शन में सांसद कल्याण बनर्जी मुख्य वक्ता होंगे। इसके साथ ही ममता सरकार ने वक्फ संसोधन बिल के खिलाफ प्रस्ताव पेश करने की भी तैयारी कर ली है। वक्फ संसोधन बिल कुछ महीने पहले संसद में पेश किया गया था। हालांकि, भारी विरोध के बाद इसे संसदीय समिति के पास भेज दिया गया। संसदीय समिति का कार्यकाल शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन तक बढ़ा दिया गया है।

अब संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद इसमें जरूरी बदलाव किए जाएंगे और इसे दोबारा पेश किया जाएगा। तृणमूल कांग्रेस शुरुआत से ही इस बिल का विरोध करती आ रही है और अब पार्टी ने व्यापक स्तर पर इस कानून का विरोध करने का मन बना लिया है।

चट्टोपाध्याय ने सोमवार को कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के खिलाफ राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया जाएगा। हालांकि, तारीख अभी तय नहीं हुई है। चटर्जी ने दावा किया कि वक्फ (संशोधन) विधेयक विभाजनकारी है और इससे अल्पसंख्यकों को हाशिए पर धकेला जा सकता है तथा उनके अधिकारों का हनन हो सकता है। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने की तारीख अभी तय नहीं हुई है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने वक्फ (संशोधन) विधेयक का बार-बार विरोध किया है।

केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में विचार के लिए वक्फ संशोधन विधेयक सहित 16 विधेयकों को सूचीबद्ध किया है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है ताकि वक्फ संपत्तियों के विनियमन और प्रबंधन में आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। संशोधन विधेयक का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन और प्रबंधन में सुधार करना है।

पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री और कोलकाता के महापौर फिरहाद हकीम ने सोमवार को कहा कि टीएमसी का अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ वक्फ (संशोधन) विधेयक के विरोध में 30 नवंबर को शहर में एक रैली निकालेगा। यह रैली शहर के रानी रासमणि एवेन्यू में निकाली जाएगी। हाकिम और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अन्य प्रमुख नेता भी रैली को संबोधित करेंगे।
झारखंड के 81 विधायकों में 80 करोड़पति, जानें किसके पास है सबसे ज्यादा संपत्ति

डेस्क: झारखंड में नवनिर्वाचित विधायकों में 89 प्रतिशत करोड़पति हैं और कांग्रेस के रामेश्वर उरांव सबसे अमीर विधायक हैं, जिनकी कुल संपत्ति 42.20 करोड़ रुपये है। ‘द झारखंड इलेक्शन वॉच’ और ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) ने 81 विजयी उम्मीदवारों में से 80 के हलफनामों का विश्लेषण किया और पाया कि 2024 में 71 नवनिर्वाचित विधायक 'करोड़पति' हैं, जो 2019 में निर्वाचित ऐसे विधायकों की संख्या से 20 प्रतिशत अधिक है।

रिपोर्ट के अनुसार, पांच साल पहले निर्वाचित हुए 81 विधायकों में से 56 करोड़पति थे और 2014 में इनकी संख्या 41 थी। इस साल 71 करोड़पति विधायकों में से 28 झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के, 20 भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के, 14 कांग्रेस के, चार राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के, दो भाकपा (माले) लिबरेशन के और एक-एक लोजपा (रामविलास), जद (यू) और आजसू पार्टी के हैं।

झामुमो ने 34 विधानसभा सीट जीतीं, जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने 16, राजद ने चार और भाकपा (माले) लिबरेशन ने दो सीट जीतीं। दूसरी ओर, भाजपा ने 21 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की और उसके सहयोगी लोजपा (रामविलास), जद (यू) और आजसू पार्टी ने एक-एक सीट हासिल की। वर्ष 2024 के झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रत्येक विजेता उम्मीदवार की औसत संपत्ति 6.90 करोड़ रुपये है और 2019 के चुनाव में यह 3.87 करोड़ रुपये थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जीतने वाले उम्मीदवारों में कांग्रेस के लोहरदगा विधायक रामेश्वर उरांव 42.20 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ सबसे अमीर हैं। पांकी निर्वाचन क्षेत्र से जीतने वाले भाजपा के कुशवाहा शशि भूषण मेहता 32.15 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ दूसरे सबसे अमीर विजयी उम्मीदवार हैं, जबकि गोड्डा सीट जीतने वाले राजद के संजय प्रसाद यादव 29.59 करोड़ रुपये की कुल संपत्ति के साथ सूची में तीसरे स्थान पर हैं।

डुमरी सीट से विजयी हुए झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के जयराम कुमार महतो के पास सबसे कम करीब 2.55 लाख रुपये की संपत्ति है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 14 विजयी उम्मीदवारों ने एक करोड़ रुपये और उससे अधिक की देनदारियों की घोषणा की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल 42 विधायक फिर से निर्वाचित हुए हैं और पिछले पांच वर्षों में उनकी औसत संपत्ति वृद्धि 2.71 करोड़ रुपये है।

विजयी उम्मीदवारों में से 28 ने अपनी शैक्षणिक योग्यता कक्षा 8 और 12 पास के बीच घोषित की है, जबकि 50 ने स्नातक और उससे अधिक की शैक्षणिक योग्यता घोषित की है और एक विजेता डिप्लोमा धारक हैं। एक अन्य ने खुद को केवल साक्षर घोषित किया है। राज्य विधानसभा में विजयी महिला उम्मीदवारों की संख्या 10 से बढ़कर 12 हो गई है।
सरकारी हॉस्पिटल में लापरवाही! डॉक्टर ने मरीज के पेट के अंदर छोड़ी टॉवल, टांके लगाने के 3 महीने बाद चला पता

डेस्क: राजस्थान के कुचामन में एक सरकारी हॉस्पिटल में घोर लापरवाही का मामला सामने आया है। यहां एक महिला के पेट के ऑपरेशन के दौरान डॉक्टरों ने टॉवल को पेट के अंदर ही छोड़ दिया और टांके भी लगा दिया। 3 महीने तक महिला के पेट में दर्द होता रहा और वह पेन किलर गोलियां खाती रही। जब दर्द हद से बढ़ गया तो परिजनों ने महिला को एम्स में दिखाया। एम्स ने जब पेट के अंदर से इस टॉवल को निकाला तो सब दंग रह गए।

कुचामन के राजकीय चिकित्सालय में एक महिला के सिजेरियन प्रसव के दौरान डॉक्टरों ने उसके पेट में 15 गुना 10 साइज का टॉवल (एक तरह से मेडिकल गॉज) छोड़ दिया। टॉवल अंदर होने के बावजूद महिला के टांके लगा दिए गए। प्रसव के पहले दिन एक जुलाई से लेकर तीन महीनों तक महिला तेज पेट दर्द से परेशान रही लेकिन कुचामन के सरकारी डॉक्टर तो छोडि़ए, वहां निजी अस्पताल, मकराना के अस्पताल और अजमेर के डॉक्टर भी महिला की इस पीड़ा को नहीं समझ पाए।

अजमेर में डॉक्टरों ने तो सिटी स्कैन करके पेट में गांठ बता दी। थक हारकर महिला के परिजन एम्स जोधपुर पहुंचे, जहां गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के डॉक्टरों ने सिटी स्कैन के बाद अंदर किसी फॉरेन बॉडी के होने की जानकारी दी और ऑपरेशन के समय वह टॉवल देखकर दंग रह गए।

इतना बड़ा टॉवल आंतों से चिपका हुआ था और उसने महिला की आंतों को खराब कर दिया। तीन महीने तक महिला ने कई दर्द निवारक दवाएं लीं, जिससे उसके शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान हुआ। मामले में डीडवाना सीएमएचओ ने जांच के लिए तीन डॉक्टरों की कमेटी गठित की थी लेकिन परिजन संतुष्ट नहीं है। इसलिए अब उन्होंने न्याय के लिए राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

कुचामन निवासी पीडि़ता पेटदर्द के कारण बहुत कम खाना खा पाती थी, जिसके कारण उसके स्तन में दूध भी बहुत कम बन रहा था। शिशु को जन्म से ही बाहर का दूध पिलाना पड़ रहा था। नियम के अनुसार, पहले छह महीने तक केवल मां का दूध पिलाना जरुरी है। बाहर का दूध पीने से शिशु के जीवनभर कुपोषित रहने की आशंका होती है।

पीड़िता की आंतें खराब हो जाने की वजह से उसकी आंतों में पाचन क्रिया बुरी तरह प्रभावित हुई। एम्स के डॉक्टर्स ने पीड़िता को अगले तीन चार महीने लिक्विड डाइट के साथ हल्का आहार लेने की सलाह दी है।

एम्स में गेस्ट्रो सर्जरी के डॉ सुभाष सोनी के नेतृत्व में डॉ सेल्वाकुमार, डॉ वैभव वार्ष्णेय, डॉ पीयूष वार्ष्णेय और डॉ लोकेश अग्रवाल ने सर्जरी को अंजाम दिया। टॉवल का एक टुकड़ा डॉक्टरों ने लेकर उसे कल्चर के लिए भेजा है ताकि उसमें तीन महीने में पनपने वाले वैक्टीरिया सहित अन्य रासायनिक क्रियाओं की जांच की जा सके।

इस मामले में डीडवाना के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अनिल जूडिया का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि हमनें इस मामले में जांच के लिए डॉक्टरों की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कमेटी ने जांच पूरी कर ली है। संभवत: आज इसकी रिपोर्ट मिल जाएगी।
दिल्ली में चलती बस से कूदी नाबालिग लड़की, छेड़छाड़ की अफवाह पर भीड़ ने ड्राइवर को जमकर पीटा

डेस्क: उत्तरी दिल्ली में बस ड्राइवर और एक अन्य व्यक्ति के साथ विवाद होने के बाद एक नाबालिग लड़की चलती मिनी बस से कूद गई। यह घटना बुधवार शाम बुराड़ी के नाथपुरा इलाके में घटी। लड़की इब्राहिमपुर चौक पर बस में चढ़ी थी और ड्राइवर दीपक व मनोज नामक एक अन्य व्यक्ति से उसकी बहस हो गई। दीपक और मनोज दोनों पहले से एक-दूसरे को जानते थे। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मौका पाकर वह लड़की चलती बस से कूदकर भागने लगी।

पुलिस ने बताया कि दो प्रत्यक्षदर्शियों को इसमें गड़बड़ी का संदेह हुआ और उन्होंने शालीमार पैलेस चौक के पास बस को रोक लिया। यौन उत्पीड़न की अफवाह फैलने के बाद वहां भीड़ इकट्ठा हो गई और उसने मनोज तथा दीपक के साथ मारपीट की जिससे स्थिति और बिगड़ गई

पीसीआर कॉल मिलने पर पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और नाबालिग लड़की व दोनों पुरुषों को मेडिकल जांच के लिए अस्पताल ले गई। लड़की ने अपना बयान दर्ज कराया, जिसमें उसने यौन उत्पीड़न, छेड़छाड़ या उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया। यह जानकर राहत मिली कि चिकित्सकीय जांच से भी उसके बयान की पुष्टि हुई।

लड़की के बयान के आधार पर पुलिस ने बुराड़ी थाने में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की है। अधिकारी ने बताया कि मामले में आगे की जांच जारी है।
यहां आम लोगों के लिए खुलेगी 68 साल पुरानी टनल, 62.5 करोड़ रुपये खर्च, जानें क्या-क्या काम हुआ?


डेस्क: जम्मू कश्मीर को लेह लद्दाख से जोड़ने वाली ट्विन-ट्यूब जवाहर टनल एक बार फिर से आम लोगों के लिए खुलने वाली है। यह टनल दिसंबर 2024 में आम लोगों के आवागमन के लिए खोली जा सकती है। 1956 में बनी 2.5 किलोमीटर लंबी ट्विन-ट्यूब जवाहर टनल का ऐतिहासिक महत्व है। यह टनल पीर-पंजाल रेंज के जरिए कश्मीर घाटी और लेह को शेष भारत से जोड़ती है। इस वजह से इस टनल की अहमियत बहुत ज्यादा है।

इस टनल में मरम्मत की जरूरत महसूस किए जाने के बाद बीआरओ ने इस पर काम शुरू किया। इसकी मरम्मत का काम ईपीसी मोड के जरिए 62.5 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। इसके लिए MoRTH ने पैसे की व्यवस्था की और सीमा सड़क संगठन ने प्रोजेक्ट बीकन के जरिए लगभग एक वर्ष (गैर-कार्य मौसम को छोड़कर) में काम पूरा किया।

लिहाज से बेहतर करने और इसे मजबूत बनाने की जरूरत महसूस हुई ताकि यह लंबे समय तक आवागमन के लिए उपयुक्त रहे। इसके साथ ही इसमें बेहतर आवागमन की सुविधा प्रदान की गई है, जो अन्य टनल में होती है। इस दौरान सिविल के साथ-साथ इलेक्ट्रो-मैकेनिकल कार्य भी किए गए हैं, जैसे कि रिसाव को रोकना, फुटपाथ ओवरले, क्षतिग्रस्त कंक्रीट सतह को एपॉक्सी मोर्टार से पैच करना, सुरंग निगरानी नियंत्रण और संचार प्रणाली, अग्निशमन प्रणाली, सुरंग की सफाई के लिए मशीनीकृत व्यवस्था आदि। आधुनिक तकनीक का उपयोग सुरक्षा, संरक्षा और आराम को बढ़ाएगा।

टनल में किए गए काम में 76 हाई-डेफिनिशन सीसीटीवी कैमरे, धुआं और आग सेंसर, SCADA सिस्टम और वास्तविक समय की निगरानी के लिए एक केंद्रीकृत निगरानी कक्ष शामिल हैं। जवाहर सुरंग NH-44 के लिए एक वैकल्पिक मार्ग के रूप में कार्य करती है और सभी तेल टैंकर, विस्फोटक लदे वाहन और गैसोलीन वाहन जिन्हें नवनिर्मित काजीकुंड-बनिहाल सुरंग को पार करने की अनुमति नहीं है, वे इस सुरंग का उपयोग करेंगे।
मणिपुर में JDU विधायक के घर पर भीड़ ने किया हमला, लूट लिए 1.5 करोड़ रुपये के गहने और 18 लाख कैश

डेस्क: जनता दल यूनाइटेड यानी JDU के एक विधायक के घर पर हमले और लूटपाट की खबर आई है। मणिपुर में JDU के विधायक के. जॉयकिशन सिंह की मां ने शिकायत दर्ज कराई है कि 16 नवंबर को MLA के आवास पर तोड़फोड़ करने वाली भीड़ ने 18 लाख रुपये नकद और 1.5 करोड़ रुपये के आभूषण लूट लिए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमले के दौरान पश्चिम इंफाल के थांगमेइबंद इलाके में विधायक के आवास पर आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों के लिए रखे गए कई सामान को भी बर्बाद कर दिया गया।

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, ‘थांगमेइबंद निर्वाचन क्षेत्र के विधायक के. जॉयकिशन सिंह की मां ने इंफाल पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि भीड़ के हमले में 18 लाख रुपये कैशऔर 1.5 करोड़ रुपये कीमत की कई कीमती चीजें लूट ली गईं या बर्बाद कर दी गईं। इस संबंध में FIR दर्ज कर ली गई है।’ उन्होंने बताया कि 16 नवंबर की शाम को भीड़ ने विधायक के घर पर करीब 2 घंटे तक तोड़फोड़ की। जब भीड़ ने JDU MLA के घर पर हमला किया था उस वक्त वह घर पर नहीं थे बल्कि अपने किसी परिजन के इलाज के लिए दिल्ली में थे।

जॉयकिशन के घर से कुछ ही मीटर की दूरी पर टॉम्बिसाना हायर सेकेंडरी स्कूल में स्थापित रिलीफ कैंप में रह रहे एक विस्थापित शख्स ने कहा, ‘हमारे जैसे लोगों के लिए वहां आलू, प्याज और सर्दियों के कपड़े आदि रखे गए थे, ये सब लूट लिए गए।’ जॉयकिशन की देखरेख में राहत शिविर का मैनेजमेंट करने वाली वॉलंटियर सनयाई ने कहा,‘हमने भीड़ से MLA के आवास में तोड़फोड़ न करने का आग्रह किया, क्योंकि वहां विस्थापितों को बांटा जाने वाला सामान रखा था।’ उन्होंने दावा किया कि लॉकर, इलेक्ट्रॉनिक्स सामान और फर्नीचर में तोड़फोड़ की गई।

सनयाई ने दावा किया कि भीड़ ने 3 AC ले जाने की कोशिश की पर नाकाम रही, लेकिन 7 गैस सिलेंडर ले जाने में कामयाब हो गई। उन्होंने बताया कि हमले के दौरान विस्थापित लोगों के दस्तावेज भी नष्ट कर दिए गए और वहां मौजूद एक स्वयंसेवक से मारपीट भी की गई।

मणिपुर में पिछले सप्ताह हिंसा बढ़ने के बाद गुस्साए लोगों ने कई विधायकों के घरों में तोड़फोड़ की थी। यह हिंसा मेइती समुदाय की 3 महिलाओं और 3 बच्चों के जिरीबाम जिले में एक राहत शिविर से लापता होने के बाद भड़की थी। 11 नवंबर को सुरक्षा बलों और संदिग्ध कुकी-जो उग्रवादियों के बीच गोलीबारी में 10 उग्रवादियों के मारे जाने के बाद 6 लोग लापता हो गए थे, और बाद में उनकी लाशें मिली थीं।
अमेरिका में गिरफ्तार हुआ गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भाई अनमोल, कई मामलों में था वांछित


डेस्क: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या और अभिनेता सलमान खान के मुंबई स्थित घर के बाहर गोलीबारी के मामले में वांछित गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का छोटा भाई अमेरिका में गिरफ्तार कर लिया गया है। जानाकारी के अनुसार लॉरेंस के छोटे भाई अनमोल बिश्नोई को अमेरिकी कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने गिरफ्तार कर लिया है और उसे फिलहाल आयोवा की एक जेल में बंद कर दिया गया है। ‘अमेरिकी आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन’ विभाग की वेबसाइट पर हाल ही में दी गई जानकारी के अनुसार अनमोल बिश्नोई आयोवा की एक काउंटी जेल में बंद है। इसके अलावा अन्य कोई विवरण तत्काल उपलब्ध नहीं है।

माना जाता है कि अनमोल कनाडा में रहता है और नियमित रूप से अमेरिका आता-जाता रहता है। वह लॉरेंस का छोटा भाई है, जिस पर जेल में रहने के बावजूद वैश्विक आपराधिक गिरोह चलाने का आरोप है। लॉरेंस फिलहाल अहमदाबाद के साबरमती केन्द्रीय कारागार में बंद है। अनमोल पिछले महीने मुंबई के बांद्रा इलाके में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सिद्दीकी की हत्या समेत कई आपराधिक मामलों में वांछित है। इस साल 14 अप्रैल को बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के बांद्रा इलाके में स्थित घर के बाहर गोलीबारी की घटना में भी कथित तौर पर उसका हाथ है। भारत ने अनमोल के प्रत्यर्पण की मांग की है।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने हाल ही में अनमोल की गिरफ्तारी में मददगार सूचना देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की घोषणा भी की है। इस सप्ताह की शुरुआत में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अनमोल को निर्वासित करने की संभावना पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि यह मामला गृह सुरक्षा मंत्रालय और एफबीआई के अधिकार क्षेत्र में आता है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने 18 नवंबर को एक प्रेस वार्ता में अनमोल के संभावित निर्वासन पर एक सवाल के जवाब में कहा था ‘‘ ऐसी रिपोर्ट पर टिप्पणी गृह सुरक्षा मंत्रालय और एफबीआई को करनी चाहिए न कि विदेश मंत्रालय को।
आखिर फिर से क्यों सुलगने लगा मणिपुर? म्यांमार से क्या है कनेक्शन?


डेस्क: मणिपुर एक बार फिर से सुलगने लगा है। पिछले हफ्ते सूबे में सैकड़ों लोगों ने कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए प्रदर्शन किया। सूबे में कुकी और मैतेई समुदाय फिर से आमने-सामने हैं और ताजा हिंसा के मामले में 23 लोगों की गिरफ्तारी भी की गई है। बता दें कि सूबे में पिछले साल शुरू हुई अशांति में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि मणिपुर अचानक अशांत हो गया? कुकी और मैतेई समुदाय एक दूसरे को शक की नजरों से क्यों देखते हैं? आइए, समझने की कोशिश करते हैं।

20 अप्रैल 2023 को मणिपुर हाई कोर्ट के एक जज ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 'मैतेई समुदाय के उस अनुरोध पर विचार करे जिसमें उसने खुद को अनुसूचित जनजाति की लिस्ट में शामिल होने की मांग की थी।' इसके बाद कुकियों में डर पसर गया कि ST दर्जा मिलने के बाद मैतैई लोगों को पहाड़ी इलाकों में जमीन खरीदने की इजाजत मिल जाएगी। इसके बाद इस मसले पर पहले तो विरोध प्रदर्शन हुआ और बाद में हिंसा होने लगी। बात बढ़ते-बढ़ते यहां तक बढ़ गई कि सूबे में अब तक हिंसा में सैकड़ों जानें जा चुकी हैं।

बता दें कि मणिपुर की आधी आबादी मैतेइयों की है और अगर उन्हें ST का दर्जा मिल जाता है तो उनके जीवन में बेहतरी आने की संभावना है। हालांकि कुकियों का मानना है कि इससे आरक्षण में उनका हिस्सा घट जाएगा।

मैतेई समुदाय पारंपरिक रूप से मणिपुर की घाटी में रहता है जो कि राज्य के क्षेत्रफल का 10% है। वहीं, नागा और कुकी समुदाय के लोग मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में रहते हैं। कुकियों का मानना है कि घाटी में रहने वाले मैतेइयों को बेहतर अवसर दिए गए हैं, और यही वजह है कि वे मैतेई समुदाय के लिए आरक्षण का विरोध करते हैं।

2021 में म्यांमार में हुए तख्तापलट के बाद सूबे में पड़ोसी देश से बड़ी संख्या में शरणार्थी आए थे। मणिपुर की म्यांमार के साथ लगभग 400 किलोमीटर लंबी सीमा है। मणिपुर का कुकी समुदाय म्यांमार की चिन जनजाति के साथ जातीय वंश साझा करते हैं और मैतेइयों को डर था कि शरणार्थियों के आने से राज्य में उनकी संख्या कम हो जाएगी। बताया जाता है कि मणिपुर के पहाड़ी इलाकों में म्यांमार से आए शरणार्थी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ऐसे में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच अविश्वास कम होने की बजाय बढ़ता ही जा रहा है।

मैतेई और कुकी दोनों ही समुदाय हथियारों से लैस हैं। दोनों ही समुदायों के पास ऑटोमैटिक हथियार भी हैं जिन्हें या तो राज्य पुलिस से चुराया गया है या म्यांमार से मंगाया गया है। कुकी समुदाय के लोग मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर भी उनके खिलाफ हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाते रहते हैं और उन्हें हटाने की मांग करते रहते हैं। बीजेपी नेता बीरेन सिंह, जो कि मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं, कुकियों के इन आरोपों को खारिज करते हैं। बीरेन सिंह ने कई बार हिंसा के लिए ड्रग माफिया और अवैध प्रवासियों, खासकर म्यांमार के शरणार्थियों को दोषी ठहराया है।

इस महीने हिंसा की ताजा घटनाएं तब शुरू हुईं जब 31 साल की कुकी महिला को जिरीबाम जिले के एक गांव में जलाकर मार डाला गया। यह इलाका जून तक संघर्ष से अछूता था। कुकियों ने इस कृत्य के लिए मैतेई समुदाय के लोगों को जिम्मेदार ठहराया। पिछले साल हुई झड़पों के बाद से कुकी और मैतेई मणिपुर के अलग-अलग इलाकों में चले गए हैं, लेकिन जिरीबाम में अभी भी मिश्रित आबादी है, और यहां से अक्सर तनाव की खबरें सामने आती रहती हैं। घटना के कुछ दिनों बाद जिरीबाम जिले में एक पुलिस स्टेशन पर हमला करने की कोशिश करने के बाद सुरक्षा बलों के साथ गोलीबारी में 10 हथियारबंद कुकी मारे गए।

इन्हीं सबके बीच मैतेई समुदाय के 6 लोग गायब हो गए, जिनमें से 3 के शव नदी में तैरते हुए पाए गए। बाद में 3 और लोगों के शव भी बरामद हुए। इस घटना के गुस्साए लोगों ने सूबे की राजधानी इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने रविवार को बताया कि उन्होंने सांसदों और मंत्रियों के घरों में तोड़फोड़ और आगजनी करने के आरोप में 23 लोगों को गिरफ्तार किया है। मणिपुर में हिंसा बढ़ने के बीच CRPF की 8 कंपनियां राज्य की राजधानी इंफाल पहुंच गई हैं जिन्हें संवेदनशील एंव सीमांत क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा।
हिमाचल के इस शहर में गोलगप्पे का पानी और कॉफी के सैंपल फेल, प्रसिद्ध मंदिर का प्रसाद भी खाने लायक नहीं


डेस्क: हमीरपुर के मंदिर ट्रस्ट की दुकान पर बेचे जाने वाले रोट के नमूने फेल होने के बाद, हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में गोलगप्पे के पानी और कॉफी के नमूने भी गुणवत्ता की कसौटी पर खरे नहीं उतर पाए हैं और सरसों के तेल की गुणवत्ता भी नमूने की जांच में मानक के अनुसार नहीं मिली है। ऊना शहर में खाद्य दुकानों और रेहड़ी वालों से लिए गए कुल 17 नमूनों को हाल ही में सोलन जिले के कंडाघाट में स्थित प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया था। अधिकारियों ने बताया कि गोलगप्पे में रंग की मिलावट पाई गई। नियमों के अनुसार, पानी में रंग का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

मंगलवार को हमीरपुर जिले के देवसिद्ध में बाबा बालक नाथ मंदिर में प्रसाद के रूप में बेचे जा रहे रोट के नमूने की गुणवत्ता खराब पाई गई। मंदिर प्रबंधन की ओर से बुधवार को कैंटिन बंद करा दी गई, साथ ही यह भी कहा गया कि जल्द ही बाहर से सामान मंगाया जाएगा। गौतम बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट, दियोटसिद्ध के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने कहा कि इस कैंटीन को बंद कर दिया गया है।

खाद्य सुरक्षा विभाग ने दो महीने पहले बाबा बालक नाथ मंदिर ट्रस्ट की दुकान पर प्रसाद के रूप में बेचे जा रहे रोट के नमूने जांच के लिए सोलन जिले के कंडाघाट स्थित ‘कंपोजिट टेस्टिंग लैबोरेटरी’ भेजे थे। ये नमूने खाने लायक नहीं पाए गए। एक निजी दुकान से लिए गए ‘रोट’ के नमूने भी परीक्षण में सही नहीं पाए गए। ‘रोट’ बनाने के लिए गेहूं के आटे, चीनी और देसी घी या वनस्पति तेल का इस्तेमाल किया जाता है। प्रसाद बेचने वाली मुख्य कैंटीन मंदिर ट्रस्ट द्वारा शुरू से ही संचालित की जा रही थी और उसका कारोबार अच्छा चल रहा था। हर साल लगभग 50-75 लाख श्रद्धालु बाबा बालक नाथ के प्राचीन गुफा मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वे बाबा बालक नाथ को ‘प्रसाद’ के रूप में ‘रोट’, मिठाइयां और अन्य चीजें चढ़ाते हैं।

इस बीच, कंडाघाट प्रयोगशाला से 17 में से तीन नमूनों की रिपोर्ट आ गई है। इनमें से दो की गुणवत्ता खराब पाई गई है और एक गलत ब्रांड का नाम लिखा था। बुधवार को खाद्य मानक एवं सुरक्षा शाखा के सहायक निदेशक जगदीश धीमान ने कहा, ‘‘इस संबंध में कार्रवाई की जा रही है।’’

खाद्य मानक एवं सुरक्षा शाखा द्वारा ऊना में लिए गए गोलगप्पे के पानी के नमूनों में भी मिलावट पाई गई है। अधिकारियों ने बताया कि सरसों के तेल के नमूने में भी मिलावट मिली है, जबकि कॉफी का नमूना फेल पाया। उन्होंने बताया कि इस मामले में कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि बाजारों में केवल गुणवत्ता वाले उत्पाद ही बेचे जाएं और आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कानून के अनुसार मामला दर्ज किया जाए।
गौरव मेहता के ठिकानों पर ED की रेड, जानें क्या है बिटकॉइन का बवाल जिसने उड़ाई सुप्रिया सुले की नींद


डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चुनावी राज्य महाराष्ट्र के बिटकॉइन मामले से जुड़े गौरव मेहता के छत्तीसगढ़ स्थित ठिकानों पर बुधवार को छापेमारी की। यह तलाशी मनी लॉन्ड्रिंग केस की जारी जांच के तहत की जा रही है। सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में मेहता के ठिकानों पर PMLA के प्रावधानों के तहत छापेमारी की जा रही है। भाजपा ने एनसीपी (शरदचंद्र पवार) की नेता एवं बारामती से सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस नेता नाना पटोले पर मौजूदा चुनावों में अवैध रूप से बिटकॉइन का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इसके नेताओं ने एक रिकॉर्डिंग सुनाई जिसमें सुले की आवाज होने का आरोप लगाया गया है। सुले ने आरोपों से इनकार किया है।

महाराष्ट्र की 288 सदस्यीय विधानसभा के लिए बुधवार को मतदान जारी है। सूत्रों ने बताया कि ईडी मेहता और कुछ अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है, जिन पर आरोप है कि उन्होंने भोले-भाले लोगों से बिटकॉइन के रूप में ‘‘भारी’’ धनराशि (जिसका मूल्य 2017 में 6,600 करोड़ रुपये था) एकत्र की और उनसे बिटकॉइन के रूप में 10 प्रतिशत मासिक ‘रिटर्न’ का झूठा वादा किया। यह मामला महाराष्ट्र और दिल्ली में दर्ज पुलिस FIR से संबंधित है।

दरअसल, इस स्कैम का मास्टरमाइंड अमित भारद्वाज नाम का शख्स था जिसने बिटकॉइन में इन्वेस्टमेंट के नाम पर स्कैम किया था। सैकड़ों इन्वेस्टर्स के साथ धोखाधड़ी की गई। बिटकॉइन में इन्वेस्ट कर हर महीने 10% रिटर्न्स का वादा किया गया था। इस स्कैम के बाद अमित भारद्वाज दुबई भाग गया था लेकिन उसे वापस भारत डिपोर्ट कर दिया गया था। उसकी साल 2022 में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। इसी स्कैम में शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा को यूक्रेन में बिटकॉइन माइनिंग फॉर्म खोलने के नाम पर 285 बिटकॉइन अमित भारद्वाज ने दिए थे। इन बिटकॉइन की कीमत उस वक्त करीब 150 करोड़ रुपये थी।

इस मामले में करीब महाराष्ट्र और पंजाब में 40 एफआईआर दर्ज हुई थी। मामले की जांच के लिए पूर्व आईपीएस और साइबर एक्सपर्ट रविन्द्र नाथ को भी जांच टीम में लिया गया था। आरोप है कि उस वक्त के पुणे पुलिस कमिश्नर अमिताभ गुप्ता और एक आईपीएस भाग्यश्री ने बिटकॉइन के इन वॉलेट को हथिया लिया था और बदले में वो बिटकॉइन वॉलेट रख दिए गए जिनमें पैसे नहीं थे।

इस स्कैम में रविंद्रनाथ को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। रविंद्रनाथ के जेल जाने पर गौरव मेहता ने गवाही दी थी। गौरव मेहता इस मामले में महत्वपूर्ण किरदार हैं। इस मामले में ED ने शिम्पी भारद्वाज, नितिन गौड़ और निखिल महाजन को गिरफ्तार किया था। शिंपी भारद्वाज अमित भारद्वाज के भाई अजय भारद्वाज की पत्नी है। अमित भारद्वाज और उसके परिवार के खिलाफ ईडी कोर्ट में चार्जशीट भी दायर कर चुकी है।

पूर्व आईपीएस अधिकारी रवींद्रनाथ ने कहा, 'मेरी कंपनी ने मुझे 2018 में एक केस की जांच करने के लिए एक क्रिप्टोकरेंसी विशेषज्ञ के रूप में बुलाया था। मुझे 2022 में धोखाधड़ी के आरोपों के तहत उस केस में गिरफ्तार किया गया था। मैंने एक मुकदमे के बाद 14 महीने जेल में बिताए। उस दौरान मैं सोच रहा था कि क्या हुआ था? क्या मामला था?  मुझे क्यों फंसाया गया था? मेरे साथ अन्य सहकर्मी भी थे। हम सच्चाई का पता लगाने पर काम कर रहे थे।'

इसके साथ ही पूर्व आईपीएस ने कहा, 'हमारे खिलाफ एक गवाह, गौरव मेहता, जो सारथी एसोसिएट्स नामक एक ऑडिट फर्म का कर्मचारी हैं। परसों उसने मुझे 4-5 घंटे तक कई बार फोन किया, लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया। आखिरकार, जब मैंने जवाब दिया तो उसने मुझे बताया कि 2018 में जब अमित भारद्वाज को गिरफ्तार किया गया था। उसके पास एक क्रिप्टोकरेंसी हार्डवेयर वॉलेट था। उस वॉलेट को तत्कालीन कमिश्नर अमिताभ गुप्ता ने बदल दिया था और दूसरा वॉलेट रख लिया था। हमें गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन असली अपराधी अमिताभ गुप्ता और उनकी टीम थी।'

पूर्व आईपीएस अधिकिरी ने कहा, 'उन्होंने (गौरव मेहता) दो आईपीएस अधिकारियों, अमिताभ गुप्ता और भाग्यश्री नौटके का नाम लिया। उन्होंने दो नेताओं का नाम लिया एक सुप्रिया सुले और नाना पटोले हैं । पाटिल ने आरोप लगाया कि इसके बाद उन्होंने मुझसे कहा कि इस विधानसभा चुनाव में बिटकॉइन का इस्तेमाल किया जा रहा है।'