डोनाल्‍ड ट्रंप कैसे पूरा करेंगे अपना वादा, लाखों अवैध प्रवासियों को निकालना होगा कितना मुश्किल?

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डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीता है। वे जनवरी महीने में अपना पदभार ग्रहण करेंगे। दूसरे कार्यकाल के पहले 100 दिन में ट्रंप अपनी आक्रामक नीतियों को लागू करेंगे। वे जो बाइडन प्रशासन के कई फैसलों को पलटने की तैयारी में हैं। अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और महंगाई को लेकर ट्रंप बड़ा फैसला लेंगे। ट्रंप के प्लान में प्रवासियों का बड़े पैमाने पर निर्वासन भी शामिल है। डोनाल्ड ट्रंप सबसे पहले आव्रजन और उर्जा नीति में बदलाव करेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप 2015 से ही आव्रजन पर सख्त रुख अपनाए हुए हैं। ट्रंप ने भारी संख्या में अवैध प्रवासियों को अमेरिका से निकालने का वादा किया है। अनुमान लगाया जा रहा है कि ट्रंप सबसे पहले इसी पर काम करेंगे। चुनाव जीतने के बाद अपने भाषण में भी डोनाल्ड ट्रंप ने बिना प्राधिकरण के देश में रहने वाले विदेशियों के खिलाफ आलोचना की और चेतावनी दी कि अनियंत्रित आप्रवासन "हमारे देश के खून में जहर घोल रहा है" और इसे रोका जाना चाहिए। ट्रंप कह चुके हैं कि "पहले ही दिन, हम अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान शुरू करेंगे।"

दुनिया का सबसे बड़ा निर्वासन अभियान चलाने की प्लानिंग कर चुके डोनाल्ड ट्रंप ने इसके लिए टॉम होमन को जिम्मा सौंपा है। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (आईसीई) के निदेशक टॉम होमन को "सीमा ज़ार" के रूप में नियुक्त करेंगे जो देश की सीमाओं के प्रभारी होंगे। टॉम होमन ने कहा कि उनका प्रशासन पहले उन 4 लाख 25 हजार अवैध प्रवासियों को निर्वासित करेगा। ये वे आंकड़े हैं जिनके खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड हैं।

ट्रंप इस मुद्दे को लेकर जितनी मुखरता दिखा रहे हैं, उसके रास्ते में कई कानूनी अड़चनें आने और हिंसक झड़पें होने के आसार हैं। केवल अवैध आप्रवासियों में ही नहीं बल्कि वैध रूप से अमेरिका आकर काम कर रहे और आगे यहां स्थायी रूप से बसने के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे लोगों के बीच भी संशय पैदा हो गया है। हालात यह हो गए हैं कि इससे बचने के रास्ते तलाशने के लिए आप्रवासन मामलों के वकीलों के पास सलाह लेने वालों का तांता लगने लगा है और इसके साथ ही अफवाहों का बाजार गर्म हो रहा है। ऐसी अफवाहें भी फैल गई हैं कि जन्म से नागरिकता दिए जाने की व्यवस्था भी ट्रंप सरकार खत्म करने जा रही है जबकि ऐसा कोई सरकारी एजेंडा नहीं है।

ट्रंप और नव-निर्वाचित उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने आपराधिक रिकॉर्ड वाले 50 लाख से लेकर 10 लाख तक अवैध आप्रवासियों को गिरफ्तार कर निर्वासित करने की शुरुआत करने की बात कही है। ट्रंप इस मुद्दे को लेकर जितनी मुखरता दिखा रहे हैं, उसके रास्ते में कई कानूनी अड़चनें आने और हिंसक झड़पें होने के आसार हैं। ट्रंप ने अपने सबसे बड़े चुनावी वादे को पूरा करने की अहम जिम्मेदारी टॉम होमन को सौंपी है। उन्हें सीमा सुरक्षा विभाग का मुखिया चुना है। साथ ही यह भी कहा है कि वह बार्डर जार साबित होंगे यानि की एक ऐसी शख्सियत जिन्हें निर्वासन प्रक्रिया के लिए जरूरी सभी अधिकार दिए जाएंगे। इन्हीं होमन और उनके परिवार को पिछले कुछ दिनों में जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब कार्रवाई शुरू होगी तो ऐसे मामले तेजी से बढ़ेंगे।

वहीं, अवैध प्रवासियों का सामूहिक निर्वासन अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। दरअसल, अमेरिका में निर्माण कार्यो और खेती बाड़ी जैसे क्षेत्र तो पूरी तरह से आप्रवासी श्रमिकों पर ही टिके हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ये लोग स्थानीय लोगों की तुलना में कम पैसों में काम करने को राजी हो जाते हैं। ऐसे में कारोबारियों के लिए ये सस्ते में उपलब्ध श्रमिक होते हैं। इनमें से ज्यादातर अवैध रूप से मेक्सिको के रास्ते घुस आए आप्रवासी हैं। कई को दो साल तक के लिए अमेरिका में काम करने का अस्थायी लाइसेंस मिला हुआ है लेकिन जिनकी यह अवधि खत्म हो रही है, वह ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से बेहद चिंतित नजर आ रहे हैं। इससे

ट्रंप को अपना वादा पूरा करने के लिए उनके प्रशासन को आव्रजन अदालत प्रणाली का विशाल विस्तार करना होगा। वह नए न्यायाधीशों की एक बड़ी सेना कैसे जुटाएंगे, यह अभी तक स्पष्ट नहीं किया गया है। बड़े पैमाने पर कार्यस्थल पर छापेमारी सहित गैर-दस्तावेज आप्रवासियों को ढूंढना और उनका पता लगाना, आईसीई एजेंटों का काम होगा। उनकी संख्या, जो अब लगभग 20,000 है, बहुत अधिक बढ़ानी होगी, शायद दोगुनी या तिगुनी। ट्रम्प के कार्यालय संभालने के समय इतने सारे एजेंटों की भर्ती करना उतना ही असंभव है जितना कि आप्रवासन न्यायाधीशों की एक बड़ी सेना को खड़ा करना। ये केवल दो बाधाएं हैं जिन्हें विशेषज्ञ ट्रम्प के नए कार्यकाल की शुरुआत में बड़ी कार्रवाई की संभावना पर संदेह के कारणों के रूप में उद्धृत करते हैं।

रूस ने यूक्रेन पर दागी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, जंग में पहली बार इस हथियार का इस्तेमाल*
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रूस और यूक्रेन के बीच जंग अपने चरम पर पहुंचती दिख रही है। इस युद्ध को शुरू हुए 1000 दिन बीत गए हैं। अब दोनों के देशों के बीच इस लड़ाई में नई तेजी आ गई है। रूस ने यूक्रेन से लड़ने के लिए उत्‍तर कोरिया के हजारों सैनिकों को मैदान में उतार दिया है। वहीं इससे भड़के अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने यूक्रेन को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों का इस्‍तेमाल करने की अनुमति दे दी है। इसके बाद यूक्रेन ने अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों की मदद से रूस पर कई हमले किए हैं। इसके जवाब में रूस की ओर से इस युद्ध में पहली बार इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया गया है। रूस ने गुरुवार को यूक्रेन पर एक बड़ा हमला किया, जिसमें उसने अपने दक्षिण आस्त्रखान क्षेत्र से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल दागी। यह पहली बार है, जब रूस ने इस तरह की शक्तिशाली और लंबी दूरी वाली मिसाइल का इस्तेमाल किया। यूक्रेनी वायुसेना ने यह जानकारी दी। मॉस्को की ओर से इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल से हमला उस समय हुआ है, जब यूक्रेन ने इस हफ्ते अमेरिका और ब्रिटेन की मिसाइलों का उपयोग करके रूस के अंदर कुछ लक्ष्यों को निशाना बनाया, जिसके बारे में मॉस्को ने महीनों पहले चेतावनी दी थी कि यह तनाव को बहुत अधिक बढ़ा सकता है। रूस के आस्त्रखान क्षेत्र से लॉन्च की गई एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल, ताम्बोव क्षेत्र में मिग-31K फाइटर जेट से दागी गई। वायु सेना के एक सूत्र ने एएफपी को बताया कि रूस ने गुरुवार को यूक्रेन में जो इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च की, उसमें परमाणु चार्ज नहीं था। यूक्रेनी वायु सेना के सूत्र ने एएफपी को बताया कि यह स्पष्ट था कि जिस हथियार का पहली बार यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था, उसमें कोई परमाणु हथियार नहीं था। यह पहली बार है जब रूस ने युद्ध के दौरान इतनी शक्तिशाली, लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल किया है। यह हमला यूक्रेन द्वारा युद्ध के बाद पहली बार रूस के अंदर लक्ष्यों पर ब्रिटिश-फ्रांसीसी निर्मित स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को दागने के एक दिन बाद हुआ है। मॉस्को ने महीनों पहले चेतावनी दी थी कि इस तरह के हमले को एक बड़ी वृद्धि के रूप में देखा जाएगा।
रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोपों पर अडानी ग्रुप ने जारी किया बयान, कहा- हरसंभव कानूनी सहारा लेंगे*
#adani_group_issued_a_statement_on_the_allegations_in_america *
अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी और उनकी कंपनी अडानी ग्रीन एनर्जी के डायरेक्टर्स समेत 8 लोगों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग ने रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। अडानी समूह ने अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग की ओर से अडानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। कंपनी के बयान के मुताबिक, सभी आरोप निराधार हैं। साथ ही ग्रुप ने अपना अगला कदम भी स्पष्ट कर दिया है। अडानी ग्रुप ने गुरुवार को अडानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ अमेरिकी न्याय विभाग और अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग की ओर से लगाए गए रिश्वत के आरोपों को निराधार बताते हुए उनका खंडन किया। इस मामले में ग्रुप ने एक स्टेटमेंट जारी किया है। इसमें लिखा है कि अमेरिकी न्याय विभाग ने अभियोग में अभी लगाए हैं। जब तक दोष साबित नहीं हो जाते, तब तक प्रतिवादियों को निर्दोष माना जाता है। इसमें लिखा है कि इस मामले में सभी संभव कानूनी उपाय किए जाएंगे। अडानी ग्रुप ने स्टेटमेंट में अपने शेयरधारकों को भरोसा दिलाया है। इसमें कहा गया है कि अडानी ग्रुप ने सभी सेक्टर में हमेशा पारदर्शिता और रेगुलेटरी नियमों का पालन किया है और करता रहेगा। स्टेटमेंट में लिखा है, हम अपने शेयरहोल्डर्स, पार्टनर और ग्रुप के कर्मचारियों को आश्वस्त करते हैं कि हम एक कानून का पालन करने वाले संगठन हैं, जो सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है। *क्या है पूरा मामला?* बता दें कि देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है। आरोपों के अनुसार, यह रिश्वत 2020 से 2024 के बीच बड़े सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए दी गई, जिससे अडानी समूह को 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ होने की संभावना थी। 24 अक्टूबर 2024 को यह मामला यूएस कोर्ट में दर्ज किया गया, जिसकी सुनवाई बुधवार को हुई। न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में हुई सुनवाई में गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों की धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोप लगे हैं। अडानी के अलावा शामिल 7 अन्य लोग सागर अडाणी, विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल हैं। सागर और विनीत अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं। सागर, गौतम अडानी के भतीजे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडानी और सागर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है।
कसाब तक को निष्पक्ष सुनवाई दी गई, यासीन मलिक केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
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सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जम्मू कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक के मामले में सुनवाई हुई। कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक की कोर्ट में व्यक्तिगत पेशी के खिलाफ सीबीआई की अपील पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आतंकी अजमल कसाब का जिक्र किया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि इस देश में आतंकी अजमल कसाब को भी निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिया गया था, तो यासीन मलिक को क्यों नहीं। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को एक हफ्ते में संशोधित याचिका दायर करने को कहा और केस से जुड़े सभी आरोपियों को पक्षकार बनाने की इजाजत दी। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सदस्यता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर सत्र अदालत के बीते साल सितंबर में दिए एक आदेश के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे संकेत दिए कि अदालत यासीन मलिक मामले में तिहाड़ जेल के भीतर ही कोर्ट रूम स्थापित करने का निर्देश दे सकती है। सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि यह यासीन मलिक की चालबाजी है इसलिए वह कह रहे हैं कि किसी वकील के बजाय वह खुद कोर्ट में पेश होंगे। एसजी मेहता ने लश्कर-ए-तैयबा के फाउंडर हाफिज सईद के साथ यासीन मलिक की फोटो कोर्ट को दिखाते हुए कहा कि यह सुरक्षा के लिहाज से यह बहुत बड़ा मुद्दा है। साथ ही यह गवाहों के लिए भी खतरे की बात है। तुषार मेहता के तर्क पर जस्टिस अभय एस. ओका ने कहा, लेकिन ऑनलाइन सुनवाई में क्रॉस एग्जामिनशेन कैसे हो पाएगा? जम्मू में तो अच्छी कनेक्टिविटी भी नहीं है।' जज की चिंता पर एसजी तुषार मेहता ने फिर से दोहराया कि यासीन मलिक कोई साधारण अपराधी नहीं है वह कई बार हाफिज सईद से मिलने पाकिस्तान भी जा चुका है। उन्होंने कहा कि गवाहों को भी सिक्योरिटी की जरूरत होगी क्योंकि पहले एक गवाह की हत्या कर दी गई थी। तब जस्टिस ओका ने कहा कि हमारे देश में अजमल कसाब को भी निष्पक्ष ट्रायल दिया गया था। इसके बाद पीठ ने कहा कि वे तिहाड़ जेल में ही यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के लिए सत्र अदालत के जज को दिल्ली बुलाने पर विचार सकते हैं, लेकिन उससे पहले मामले में सभी आरोपियों की सुनवाई होनी चाहिए। इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 28 नवंबर के लिए टाल दी है। क्या है मामला? दरअसल, यह पूरा मामला 1990 में चार वायु सेना कर्मियों की हत्या से जुड़ा है। यासीन मलिक के नेतृत्व में आतंकवादियों के एक समूह ने 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर में भारतीय वायु सेना के जवानों पर गोलीबारी की थी। इस हमले में चार जवान मारे गए थे और 40 अन्य घायल हुए थे। मलिक उस समय आतंकवादी समूह जेकेएलएफ का नेता था। मलिक को 1990 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उसे रिहा कर दिया था। उसके मुकदमे पर रोक लगा दी गई थी। हालांकि, यासीन पिछले 5 साल से जेल में बंद है. यासीन को अभी सिर्फ टेरर फंडिंग के केस में सजा हुई है।
चुनाव की तारीखों का पता नहीं, आप ने पहले ही खोले पत्ते, जारी की उम्मीदवारों की पहली लिस्ट, दलबदलुओं पर दांव

#aamaadmiparty11candidates_list

दिल्ली में अगले साल विधानसभा चुनाव है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बमुश्किल 3 महीने ही बचे हैं। हालांकि, अब तक तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है। उससे पहले आज आम आदमी पार्टी ने अपने कैंडिडेट्स की पहली लिस्ट जारी कर दी है। पहली लिस्ट में 11 उम्मीदवारों के नाम है।

फरवरी में दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों पर चुनाव होना है। जिसको लेकर आम आदमी पार्टी तैयारी में जुटी हुई है। इसी क्रम में गुरूवार को आम आदमी पार्टी ने पीएसी की बैठक बुलाई है। पीएसी की बैठक में दिल्ली विधानसभा 2025 चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा हुई। आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है।

पहली लिस्ट में 11 उम्मीदवारों के नाम

निर्वाचन क्षेत्र उम्मीदवार का नाम

छतरपुर ब्रह्मा सिंह तंवर

किराड़ी अनिल झा

विश्वास नगर दीपक सिंघला

रोहतास नगर सरिता सिंह

लक्ष्मी नगर बीबी त्यागी

बदरपुर राम सिंह नेता

सीलमपुर जुबैर चौधरी

सीमापुरी वीर सिंह धींगान

घोंडा गौरव शर्मा

करावल नगर मनोज त्यागी

मटियाला सोमेश शौकीन

बीजेपी और कांग्रेस से आए लोगों को मौका

आम आदमी पार्टी की पहली लिस्ट में उन्हीं लोगों को मौका दिया गया है जो बीजेपी या कांग्रेस पार्टी छोड़कर आप में शामिल हुए हैं। लिस्ट में 11 में से 6 नाम वो हैं, जो बीजेपी और कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए हैं।

-किराड़ी से ऋतुराज झा का टिकट कट गया है और यहां बीजेपी से आए अनिल झा को आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है।

- लक्ष्मीनगर सीट से आम आदमी पार्टी ने बीबी त्यागी को मैदान में उतारा है। त्यागी पहले बीजेपी में थे, लेकिन 2020 में उनका टिकट कट गया था। यहां से आप के उम्मीदवार रहे नितिन त्यागी बीजेपी में चले गए।

-छत्तरपुर से उम्मीदवार बनाए गए ब्रह्म सिंह तंवर पहले बीजेपी में थे। 2020 के चुनाव में ब्रह्म सिंह आप के करतार सिंह तंवर से चुनाव हार गए थे। लोकसभा चुनाव के बाद करतार ने बीजेपी का दामन थाम लिया था, जिसके बाद आप ने ब्रह्म को अपने पाले में खींच लिया।

-वहीं, मटियाला सीट पर गुलाब सिंह यादव का टिकट काटकर कांग्रेस से आए सोमेश शौकीन को टिकट दिया गया है।

-सीलमपुर विधानसभा से आम आदमी पार्टी के मौजूदा विधायक अब्दुल रहमान का पार्टी ने टिकट काट दिया है। हाल ही में कांग्रेस से आम आदमी पार्टी में शामिल हुए जुबेर चौधरी को अब आम आदमी पार्टी ने सीलमपुर विधानसभा से उम्मीदवार घोषित किया है।

-हाल ही में कांग्रेस छोड़कर आम आदमी पार्टी में शामिल हुए वीर सिंह धींगन को आम आदमी पार्टी ने सीमापुरी विधानसभा से उम्मीदवार घोषित किया।

अडानी जी जेल के बाहर क्यों हैं... अमेरिकी कोर्ट के आरोप पर राहुल गांधी ने उठाया सवाल, पीएम मोदी भी निशाने पर

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भारतीय कारोबारी अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी एक बार फिर विवादों में हैं। मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। अमेरिका में गौतम अडानी के पर 21 अरब रुपये के रिश्वत लेने के आरोप लगे हैं। अमेरिकी अदालत ने इस मामले में अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है। अमेरिका के अभियोजकों द्वारा गौतम अडानी पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गंभीर आरोप लगाए।

आजाद कैसे घूम रहे हैं-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि 'अब ये साफ है कि अडानी ने भारतीय और अमेरिकी कानूनों का उल्लंघन किया है। मुझे हैरानी है कि अडानी अभी तक देश में आजाद कैसे घूम रहे हैं। मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। अडानी ने दो हजार करोड़ का घोटाला किया है, लेकिन वे आराम से आजाद घूम रहे हैं।

हिंदुस्तान में अडानी का कुछ नहीं किया जा सकता-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पीसी में पीएम मोदी और केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा, दुनिया जानती है कि अडानी जी, मोदी जी को फुल सपोर्ट करते हैं। राहुल गांधी ने कहा कि नरेंद्र मोदी ने नारा दिया- एक हैं तो सेफ हैं। भारत में नरेंद्र मोदी और अडानी एक हैं तो सेफ़ हैं। हिंदुस्तान में अडानी का कुछ नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद हम अडानी जी की गिरफ्तारी की मांग करते हैं। युवा छोटा सा गलत काम करता है, तो जेल चला जाता है, वो लोग करोड़ों का खेल कर देते हैं। इन चंद लोगों ने हिंदुस्तान को हाईजैक कर लिया है।

पीएम भी अडानी के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त-राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा कि हम इस मुद्दे को बार-बार उठा रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री अडानी को बचा रहे हैं। प्रधानमंत्री भी अडानी के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। राहुल गांधी ने कहा कि वह और उनकी पार्टी आगामी संसद सत्र में इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। राहुल गांधी ने सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच को हटाने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि माधबी पुरी बुच अडानी को बचा रही हैं और भारत के रिटेल निवेशकों के निवेश को खतरे में डाला जा रहा है।

सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच को भी घेरा

राहुल गांधी ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने न केवल गौतम अडानी पर बल्कि सेबी की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही कहा कि वह इन घोटालों की किंगपीन हैं। माधबी बुच गौतम अडानी की शेयर प्राइस को कंट्रोल करती हैं, उनको वहां से हटाना चाहिए नहीं तो आने वाले समय में केवल बड़े इन्वेस्टर ही बच पाएंगे, रिटेल इन्वेस्टर खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष का नेता होने के नाते मेरा काम आपको बचाने की है और मैं वही करना चाहता हूं।

संसद में उठाएंगे मुद्दा-राहुल गांधी

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी हैं और हम इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे। राहुल ने कहा कि जिस भी राज्य सरकारों में अडानी ग्रुप के साथ समझौता हुआ है, उसकी जांच होनी चाहिए। राहुल गांधी ने कहा कि इस मामले में जेपीसी की जांच होनी चाहिए। राहुल ने कहा कि अडानी के भ्रष्टाचार की बात मैं नहीं कर रहा हूं ये अमेरिकी एजेंसी ने जांच में बातें कही हैं। राहुल ने कहा कि जांच में जो भी शामिल हो उसको सजा मिलनी चाहिए।

रिश्वतखोरी के आरोप के बाद औंधे मुंह गिरे अडानी ग्रुप के शेयर, कुछ ही मिनटों में डूबे लाखों करोड़

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अडानी ग्रुप के शेयरों ने 21 नवंबर को भारी गिरावट दर्ज की। ये गिरावट अमेरिकी संघीय अभियोजकों द्वारा गौतम अडानी पर 2,100 करोड़ रुपये (250 मिलियन डॉलर) के रिश्वत घोटाले में शामिल होने का आरोप के बाद देखी गई। न्यूयॉर्क फेडरल कोर्ट ने सोलर कॉन्ट्रैक्ट के लिए करोड़ों की र‍िश्‍वत देने के मामले और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को गुमराह करने के आरोप में गौतम अडानी को दोषी ठहराया है। इन आरोपों के बाद अडानी एंटरप्राइजेज ने बॉन्ड के जरिये 60 करोड़ डॉलर जुटाने की योजना को रद्द कर द‍िया है। इसके अलावा अडानी बॉन्‍ड का दाम भी करीब 20 प्रत‍िशत ग‍िर गया।

धोखाधड़ी-रिश्वत देने के आरोप के बाद गिरावट

न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में हुई सुनवाई में गौतम अडाणी समेत 8 लोगों पर अरबों डॉलर की धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोप लगे हैं। न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में दर्ज किए गए आरोपपत्र में दावा किया गया है कि गौतम अडानी, सागर आर. अडानी और वीनित एस. जैन ने एक जटिल साजिश रची, जिसके तहत अमेरिकी निवेशकों को गुमराह करने और फेडरल कानूनों का उल्लंघन किया गया यूनाइटेड स्टेट्स अटॉर्नी ऑफिस का कहना है कि अडाणी ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (करीब 2110 करोड़ रुपए) की रिश्वत देने का वादा किया था। इस खबर के बाद अडाणी ग्रुप के सभी 20 शेयरों में गिरावट देखने को मिल रही है।

अडानी ग्रुप कंपनियों को हुआ मोटा नुकसान

1. अडानी इंटरप्राइजेज के मार्केट कैप को कारोबारी सत्र के दौरान 48,821.84 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 3,25,502.04 करोड़ रुपए से कम होकर 2,76,680.20 करोड़ रुपए हो गया है।

2. अडानी पोर्ट एंड एसईजेड को कारोबारी सत्र के दौरान 27,844.19 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 2,78,452.71 करोड़ रुपए से कम होकर 2,50,608.52 करोड़ रुपए हो गया है।

3. अडानी पावर को कारोबारी सत्र के दौरान 36,006.08 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 2,02,367.67 करोड़ रुपए से कम होकर 1,66,361.59 करोड़ रुपए हो गया है।

4. अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस को कारोबारी सत्र के दौरान 20,950.36 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 1,04,763.85 करोड़ रुपए से कम होकर 83,813.49 करोड़ रुपए हो गया है।

5. अडानी ग्रीन एनर्जी को कारोबारी सत्र के दौरान 42,865.415 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 2,23,509.64 करोड़ रुपए से कम होकर 1,80,644.23 करोड़ रुपए हो गया है।

6. अडानी टोटल गैस को कारोबारी सत्र के दौरान 13,417.69 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 73,934.73 करोड़ रुपए से कम होकर 60,517.04 करोड़ रुपए हो गया है।

7. अडानी विल्मर को कारोबारी सत्र के दौरान 4,249.94 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 42,512.48 करोड़ रुपए से कम होकर 38,262.54 करोड़ रुपए हो गया है।

8. एसीसी लिमिटेड को कारोबारी सत्र के दौरान 5,969.76 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 41,032.45 करोड़ रुपए से कम होकर 35,062.69 करोड़ रुपए हो गया है।

9. अंबूजा सीमेंट को कारोबारी सत्र के दौरान 23,787.94 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 1,35,200.13 करोड़ रुपए से कम होकर 1,11,412.19 करोड़ रुपए हो गया है।

10. एनडीटीवी को कारोबारी सत्र के दौरान 156.99 करोड़ रुपए तक का नुकसान हुआ। जिसकी वजह से कंपनी का मार्केट कैप 1,091.82 करोड़ रुपए से कम होकर 934.83 करोड़ रुपए हो गया है।

सेंसेक्स और निफ्टी भी गिरे

गुरुवार सुबह शेयर मार्केट में भी गिरावट आई। सेंसेक्स करीब 700 अंक गिर गया। वहीं निफ्टी में भी 200 अंकों से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। मार्केट खुलने के करीब आधे घंटे बाद सेंसेक्स 743.66 अंक गिरकर 76,834.72 पर कारोबार कर रहा था। वहीं निफ्टी में 243.30 अंकों की गिरावट आई और यह 23,275.20 रुपये पर था।

कहां थमेगा कनाडा? अब पीएम मोदी का नाम लेकर लेकर चली चाल, रिपोर्ट को भारत सरकार ने किया खारिज*
#nijjar_murder_case_india_strongly_rejects_new_canadian_media_report *
निज्जर हत्याकांड को लेकर भारत और कनाडा के रिश्तों में तल्खी बढ़ती ही जा रही है। वैसे कनाडा शायद यही चाहता भी है। तभी तो जस्टिन ट्रूडो आए दिन कोई ना कोई ऐसा धमाका कर रहें हैं, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में दरार और गहती होती जाए। जस्टिन ट्रूडो और उनकी सरकार लगातार भारत को बदनाम करने में लगी है।इस बीच कनाडा ने भारत के खिलाफ एक और जहर उगला है। एक कनाडाई अखबार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की साजिश के बारे में पता था। अखबार ने आरोप लगाया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के प्लान के बारे में पहले से जानकारी थी। हालांकि, भारत सरकार ने कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल की उस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडाई मीडिया का यह रिपोर्ट भारत को बदनाम करने वाला है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम इस तरह के बयान को खारिज करते हैं। यह एक तरह का हास्यास्पद बयान है। रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस तरह का दुष्प्रचार अभियान पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों के लिए और नुकसान देह साबित होगा। बता दें कि द ग्लोब एंड मेल नाम के कनाडा के अखबार ने मीडिया रिपोर्ट्स में इस बात का जिक्र था कि निज्जर की हत्या से जुड़े कथित प्लॉट के बारे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोवाल को जानकारी थी। और सेक्योरिटी एजेंसियों को लगता है कि इसकी जानकारी पीएम मोदी को भी हो सकती है। रिपोर्ट में ये दावे बिना नाम दिए कनाडा के नेशनल सिक्योरिटी ऑफिसर के हवाले से किए गए हैं। निज्जर की हत्या के मामले में यह पहली बार है जब सीधे पीएम मोदी पर आरोप लगाए गए हैं। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि इसे लेकर कानाडा सरकार के पास कोई ठोस सबूत नहीं है। इससे पहले कनाडा की संसदीय समिति के सामने वहां के उप विदेशमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर भी ऐसी ही टिप्पणी कर चुके हैं। भारत ने इन पर भी कड़ी आपत्ति जताते हुए इन्हें बेतुका और निराधार बताया था। बीते दिनों विदेश मंत्रालय ने इन आरोपों को निराधार करार देते हुए कनाडा सरकार के समक्ष आधिकारिक तौर पर विरोध भी दर्ज करवाया था। 18 जून, 2023 की शाम को सरे शहर के एक गुरुद्वारे से निकलते समय निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत सरकार पर निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया था, जिसे भारत ने खारिज किया था। इसके बाद कनाडा की ओर से लगातार इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। जिसके बाद से दोनों देशों के आपसी रिश्तों में तल्खी काफी ज्यादा बढ़ गई है।
गौतम अडानी पर लगा रिश्वत देने और धोखाधड़ी करने का आरोप, क्या होगी गिरफ्तारी?*
#gautam_adani_accused_of_bribery_and_fraud_case
अडानी समूह की कंपनियों से जुड़ा एक नया विवाद सामने आया है। देश के मशहूर उद्योगपति गौतम अडानी पर अमेरिका में रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोप लगे हैं। अमेरिकी अदालत ने इस मामले में अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी जारी किया है। यह पूरा मामला अडाणी ग्रुप की कंपनी अडाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा हुआ है।आरोपों के अनुसार, यह रिश्वत 2020 से 2024 के बीच बड़े सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए दी गई, जिससे अडानी समूह को 2 बिलियन डॉलर से अधिक का लाभ होने की संभावना थी। 24 अक्टूबर 2024 को यह मामला यूएस कोर्ट में दर्ज किया गया, जिसकी सुनवाई बुधवार को हुई। न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में हुई सुनवाई में गौतम अडानी समेत 8 लोगों पर अरबों की धोखाधड़ी और रिश्वत के आरोप लगे हैं। अडानी के अलावा शामिल 7 अन्य लोग सागर अडाणी, विनीत एस जैन, रंजीत गुप्ता, साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल, दीपक मल्होत्रा और रूपेश अग्रवाल हैं। सागर और विनीत अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड के अधिकारी हैं। सागर, गौतम अडानी के भतीजे हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, गौतम अडानी और सागर के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। अडानी पर आरोप है कि रिश्वत के इन पैसों को जुटाने के लिए अमेरिकी, विदेशी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोला। अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ, क्योंकि प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स का पैसा लगा था और अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है। अमेरिकी कानून विदेशी भ्रष्टाचार के आरोपों पर कार्रवाई करने की अनुमति देता है, यदि उनका संबंध अमेरिकी निवेशकों या बाजारों से हो। *कांग्रेस को मिला मौका* वहीं, कांग्रेस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पूरे मामले को लेकर पीएम मोदी को घेरा। कांग्रेस ने ट्वीट में लिखा, आरोप है कि अमेरिका में कॉन्ट्रैक्ट पाने के लिए अडानी ने 2,200 करोड़ रुपए की घूस दी। कांग्रेस ने कहा कि जब इस मामले की जांच होने लगी तो जांच रोकने की साजिश भी रची गई। पार्टी ने कहा कि अब अमेरिका में अडानी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है। कांग्रेस ने एक्स पर ट्वीट में लिखा, अजीब बात है... कांग्रेस लगातार अडानी और इससे जुड़े घपलों की जांच की बात कह रही है, लेकिन नरेंद्र मोदी पूरी ताकत से अडानी को बचाने में लगे हैं। वजह साफ है- अडानी की जांच होगी तो हर कड़ी नरेंद्र मोदी से जुड़ेगी। अडानी के खिलाफ वारंट का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने भी ट्वीट किया है। उन्होंने संयुक्त संसदीय समिति की जांच की बात कही है। *क्या है पूरा मामला?* अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से कथित तौर पर इस भ्रष्टाचार को छुपाया गया था, जो परियोजनाओं के लिए अरबों डॉलर का निवेश कर रहे थे। अमेरिकी कानून विदेशी भ्रष्टाचार के मामलों को आगे बढ़ाने की अनुमति देता है, यदि वे अमेरिकी निवेशकों या बाजारों से संबंधित हों। न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी ब्रायन पीस ने इस मामले को विस्तृत रिश्वत योजना बताया। अडानी, उनके भतीजे और अडानी ग्रीन एनर्जी के पूर्व सीईओ विनीत जैन पर प्रतिभूति धोखाधड़ी, वायर फ्रॉड और साजिश का आरोप लगाया गया है। इस मामले में कनाडाई पेंशन फंड सीडीपीक्यू के तीन पूर्व कर्मचारियों पर भी रिश्वत जांच में बाधा डालने का आरोप लगाया गया। सीडीपीक्यू अडानी समूह की कंपनियों में शेयरधारक है। यह मामला अडानी समूह के लिए एक और बड़ी चुनौती बन सकता है। इससे पहले जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने समूह पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे, जिसके कारण अडानी समूह के बाजार मूल्य में 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था। हालांकि, समूह ने सभी आरोपों का खंडन किया है और अधिकांश नुकसान की भरपाई की है।
पुतिन की परमाणु हमले की चेतावनी बेअसरःयूक्रेन ने पहले अमेरिकी और अब ब्रिटिश मिसाइल से बोला हमला

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रूस के राष्ट्रपति पुतिन की परमाणु चेतावनी भी बेअसर नज़र आ रही है। यूक्रेन ने अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइलों से पहली बार रूस के अंदर हमला किया। इस हमले को लेकर रूस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और अंजाम भुगतने की चेतावनी भी दी। हालांकि, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की पर इसका असर होता तो नहीं दिख रहा है। पहले यूक्रेन ने मंगलवार को जहां रूस पर अमेरिकी ATCAMS मिसाइल से हमला किया था तो वहीं बुधवार को कीव ने रूस के खिलाफ ब्रिटिश निर्मित स्टॉर्म शैडो मिसाइल दागी है।यूक्रेन द्वारा यूके की लंबी दूरी की मिसाइल का इस्तेमाल ऐसे समय हुआ है, जब इसे लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पहले ही भड़के हुए हैं और उन्होंने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी हुई है।

अमेरिकी मिसाइलों के यूज पर बाइडन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद जेलेंस्की और फायर हो चुके हैं। यूक्रेन अब रूस पर ताबड़तोड़ अटैक कर रहा है। अमेरिकी लॉन्ग रेंज मिसाइलों से हमला करने के बाद अब यूक्रेन ने ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइल से रूस पर हमला किया है।यूक्रेन ने लंबी दूरी वाली अमेरिकी मिसाइलें दागने के एक दिन बाद रूसी इलाकों में सैन्य ठिकानों पर ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलें दागीं।

रूस के कुर्स्क क्षेत्र में पाया गया शैडो मिसाइल का मलबा

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रूस द्वारा यूक्रेन युद्ध के मोर्चे पर उत्तर कोरियाई सैनिकों को तैनात करने के जवाब में यूके ने भी अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने की मंजूरी यूक्रेन को दे दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, स्टॉर्म शैडो मिसाइल का मलबा रूस के कुर्स्क क्षेत्र में पाया गया है, जो यूक्रेन के उत्तर में स्थित है। वहीं यिस्क और दक्षिणी क्रसनोदर इलाके में एक बंदरगाह पर भी दो स्टॉर्म शैडो मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया गया है।

ब्रिटिश मिसाइलों के इस्तेमाल को लेकर गोल-मोल जवाब

हालांकि, यूक्रेन के रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने ब्रिटिश मिसाइलों के इस्तेमाल की पुष्टि या खंडन करने से इनकार कर दिया। जब उमेरोव से पूछा गया कि क्या यूक्रेन ने रूस के अंदर किसी लक्ष्य को निशाना बनाने के लिए ‘स्टॉर्म शैडो’ मिसाइलों का इस्तेमाल किया है, तो उन्होंने जवाब दिया, ‘हम अपने देश की रक्षा के लिए सभी साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इसलिए हम विस्तार में नहीं जाएंगे। लेकिन हम सिर्फ यही बता रहे हैं कि हम जवाब देने में सक्षम हैं।’ उमेरोव ने आगे कहा, ‘हम अपना बचाव करेंगे और हमारे पास मौजूद तमाम साधनों से मुंहतोड़ जवाब देंगे।

रूस-यूक्रेन युद्ध के और भीषण होने की आशंका

बता दें कि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस सप्ताह अपनी नीति में बदलाव करते हुए यूक्रेन को रूस में अंदर तक हमला करने के लिए अमेरिकी निर्मित हथियारों का इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी। बाइडेन प्रशासन के इस फैसले के बाद रूस ने अपने न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन में बदलाव करते हुए साफ कर दिया है कि अगर किसी परमाणु संपन्न देश के सहयोग से कोई देश रूस पर हमला करता है तो ऐसी स्थिति में वह परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर विचार कर सकता है। यही नहीं नए परमाणु सिद्धांतों के अनुसार, रूस पर अगर किसी सैन्य गठबंधन का देश हमला करता है तो रूस उसे पूरे ब्लॉक का हमला मानेगा। पुतिन के इस फैसले के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के और भीषण होने की आशंका बढ़ गई है।