अवैध निर्माण पर बुलडोजर एक्शन के लिए सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस, जिसे फॉलो कर तोड़ा जा सकता है मकान
Image 2Image 3Image 4Image 5
#supreme_court_guideline_on_bulldozer_action

* सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्‍शन पर बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि किसी का भी आशियाना तोड़ना अवैध है। अदालत ने कहा है कि अधिकारी न्यायाधीश नहीं बन सकते। आरोपी को दोषी घोषित नहीं कर सकते और उसका घर नहीं गिरा सकते। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्‍शन को लेकर लंबी चौड़ी गाइडलाइन जारी की है, जिनका मकसद सरकारों को इस तरह की कार्रवाई से रोकना है। बुलडोजर एक्शन पर गाइडलाइन जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी आरोपी का घर सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर किसी अपराध का आरोप है, जिसकी सच्चाई का निर्धारण सिर्फ न्यायपालिका ही करेगी। कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसी संपत्तियों को ध्वस्त करता है तो यह सही नहीं होगा। यदि कार्यपालिका संपत्ति को ध्वस्त करता है तो यह कानून के नियमों का उल्लंघन है। किसी को भी बिना ट्रायल के दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन है। ऐसे सरकारी अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। *बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए ये निर्देश* • यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के विरुद्ध अपील करने के लिए समय दिया जाना चाहिए। • बिना अपील के रात भर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना सुखद तस्वीर नहीं है। • सड़क, नदी तट आदि पर अवैध संरचनाओं को प्रभावित न करने के निर्देश। • बिना कारण बताओ नोटिस के ध्वस्तीकरण नहीं। • मालिक को पंजीकृत डाक द्वारा नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा। • नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद है। • तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सूचना भेजी जाएगी। • कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण आदि के प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे। • नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, निजी सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध होगा। • प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई सुनेगा और मिनटों को रिकॉर्ड किया जाएगा और उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा/ इसमें यह उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अनधिकृत संरचना समझौता योग्य है, और यदि केवल एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और यह पता लगाना है कि विध्वंस का चरम कदम ही एकमात्र जवाब क्यों है। • आदेश डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा। • आदेश के 15 दिनों के भीतर मालिक को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस के चरण होंगे। • विध्वंस की कार्यवाही की वीडियोग्राफी की जाएगी वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए। • सभी निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए। • इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा। • सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए। *यूपी की योगी सरकार में शुरू हुआ बुलडोजर एक्‍शन?* उत्‍तर प्रदेश की योगी आदित्‍यनाथ सरकार ने सबसे पहले बुलडोजर एक्‍शन का चलन शुरू किया था, जिसे धीरे धीरे अन्‍य बीजेपी शासित राज्‍यों में भी अपनाया गया. इसके तहत अगर कोई व्‍यक्ति हिंसक घटना या दंगों में शामिल पाया गया जाता है तो उसके घर पर बुलडोजर की कार्रवाई की होती है. आमतौर पर हर किसी के घर पर थोड़ा बहुत अवैध निर्माण तो होता ही है. बस इसी को तोड़ने में पूरा सरकारी तंत्र लग जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर माना क‍ि किसी आरोपी के घर को तोड़ना एक गलत प्रथा है. हालां‍कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भविष्‍य में बुलडोजर एक्‍शन बंद हो जाएगा, ऐसा होना मुश्किल नजर आता है
ट्रंप कैबिनेट का हिस्सा बने भारतवंशी विवेक रामास्वामी, एलन मस्क के साथ मिलकर निभाएंगे ये अहम ज़िम्मेदारी

#elonmuskandvivekramaswamytolead_doge

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सरकार के अहम पदों पर नियुक्तियां शुरू कर दी हैं। इसी क्रम में अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दिग्गज कारोबारी एलन मस्क और उद्यमी विवेक रामास्वामी को बड़ी जिम्मेदारी दी है। वे अब सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) का नेतृत्व करेंगे। इसे लेकर नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने बड़ा ऐलान किया है. ट्रंप ने कहा है कि मस्क और रामास्वामी गैर-जरूरी खर्च पर लगाम लगाने वाले डिपार्टमेंट ऑफ गर्वमेंट इफिशियंसी को लीड करेंगे। ट्रंप ने इसकी घोषणा करते हुए एलन मस्क को 'ग्रेट एलन मस्क' कहा है और विवेक रामास्वामी को 'देशभक्त अमेरिकी' बताया है।

Image 2Image 3Image 4Image 5

ट्रंप ने एक बयान में कहा, मस्क और रामास्वामी मेरे प्रशासन के लिए सरकारी नौकरशाही को खत्म करने, अतिरिक्त नियमों को कम करने, फिजूल खर्चों में कटौती करने और संघीय एजेंसियों के पुनर्गठन का मार्ग प्रशस्त करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी जिम्मेदारी चार जुलाई 2026 को समाप्त हो जाएगी, जब अमेरिकी आजादी की 250वीं वर्षगांठ होगी। यह कुशल सरकार देश के लिए एक 'तोहफा' होगी।

ट्रंप का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। ट्रंप ने अरबपति एलन मस्क और कंजरवेटिव नेता/बिजनेसमैन विवेक रामास्वामी को मंगलवार सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) का नेतृत्व करने के लिए नामित किया है। यह विभाग सरकार के नौकरशाह पर हो रहे खर्चे को मॉनिटर करने का काम करेगा। मस्क और ट्रंप ने चुनावी प्रचार में सरकारी खर्च में बड़े स्तर में कटौती की वादा किया था। खास बात ये है कि ट्रंप ने इसकी तुलना ‘द मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ से की है। ट्रंप ने कहा है कि यह सरकार में बहुत बड़ा बदलाव लाएगा।

‘मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ क्या है जिससे ट्रंप ने की तुलना?

सरकार के खर्च में कटौती और रिस्ट्रक्चर का काम कैसे किया जाएगा इसे लेकर कोई विस्तृत योजना पेश नहीं की गई है लेकिन डोनाल्ड ट्रंप ने अपने इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट की तुलना ‘द मैनहट्टन प्रोजेक्ट’ से की है। दरअसल मैनहट्टन प्रोजेक्ट के जरिए ही अमेरिका ने दुनिया का पहला परमाणु बम बनाया था। जिसका इस्तेमाल दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापान के हीरोशिमा और नागासाकी पर किया गया था। साल 1942 में न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था। बताया जाता है कि इसमें करीब 1.25 लाख लोग शामिल थे, जो जंगल में छिपकर न्यूक्लियर बम बना रहे

एलन मस्क ने कटौती का किया था दावा

मस्क इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला, सोशल मीडिया मंच एक्स के मालिक हैं। मस्क ने ट्रंप के चुनाव अभियान के लिए लिए लाखों डॉलर का योगदान दिया था और उनके साथ कई सार्वजनिक कार्यक्रमों में भी नजर आए थे। एलन मस्क ने चुनाव प्रचार के दौरान दावा किया था कि वह डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने पर संघीय बजट में 2 ट्रिलियन डॉलर की कटौती करने में मदद करेंगे। लेकिन उन्होंने इसके बारे में विस्तृत जानकारी नहीं दी कि वह यह काम कैसे करेंगे या फिर वह सरकार के किस विभाग या हिस्से में कटौती करेंगे। ट्रंप ने भी कहा था कि दुनिया के सबसे अमीर शख्स मस्क उनके प्रशासन में सरकारी कार्यक्षमता को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाएंगे।

चुनाव में रामास्वामी ने दिया था ट्रंप को समर्थन

वहीं, रामास्वामी एक फार्मास्यूटिकल कंपनी के संस्थापक हैं। रामास्वामी पिछले साल रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों की दौड़ में शामिल थे। हालांकि, बाद में उन्होंने ट्रंप को समर्थन देने का फैसला किया था। ट्रंप की ओर से अहम जिम्मेदारी मिलने पर विवेक रामास्वामी ने लिखा है- हमलोग नरमी से पेश नहीं आने वाले हैं। यानी विवेक रामास्वामी ने संकेत दे दिया है कि जो ज़िम्मेदारी मिली है, उसे आक्रामकता के साथ लागू करेंगे और ट्रंप यही चाहते भी हैं।

विवेक को ट्रंप ने वही ज़िम्मेदारी दी है, जिसकी वो वकालत करते रहे हैं. जैसे कई सरकारी विभागों और एजेंसियों को बंद करने की वकालत विवेक रामास्वामी करते रहे हैं। एलन मस्क के साथ विवेक रामास्वामी सरकार में नौकरशाही, अतिरिक्त नियम-क़ानून और 'अनावश्यक खर्चों' को रोकने के अलावा फेडरल एजेंसियों के पुनर्गठन पर काम करेंगे। ट्रंप ने इसे 'सेव अमेरिका' अभियान के लिए ज़रूरी बताया है

बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, कहा-घर सपना, कभी ना टूटे...

#bulldozeractionsupremecourtverdict

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन पर अहम फैसला सुनाया है। अपराधियों और अवैध निर्माण को लेकर ‘बुलडोजर’ एक्शन काफी पॉपुलर है। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के बाद देश की कई राज्यों ने क्रिमिनल्स के खिलाफ नकेल कसने के लिए ‘बुलडोजर’ एक्शन को अपनाया है। अब सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है। बुलडोजर एक्शन पर रोक लगाने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कानून का शासन यह सुनिश्चित करता है कि लोगों को यह पता हो कि उनकी संपत्ति को बिना किसी उचित कारण के नहीं छीना जा सकता।. जस्टिस बी.आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया।

Image 2Image 3Image 4Image 5

सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए

कोर्ट ने कहा है कि किसी का घर सिर्फ इस आधार पर नहीं तोड़ा जा सकता कि वह किसी आपराधिक मामले में दोषी या आरोपी है। हमारा आदेश है कि ऐसे में प्राधिकार कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर एक्शन जैसी कार्रवाई नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा है कि मौलिक अधिकारों को आगे बढ़ाने और वैधानिक अधिकारों को साकार करने के लिए कार्यपालिका को निर्देश जारी किए जा सकते हैं। फैसला पढ़ते हुए जस्टिस गवई ने कहा कि कार्यपालिका न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है।सरकारी शक्तियों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए।

सिर्फ आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो सकता है

जस्टिस बीआर गवई बुलडोजर एक्शन पर फैसला पढ़ते हुए कहा कि, घर होना एक ऐसी लालसा है जो कभी खत्म नहीं होती। हर परिवार का सपना होता है कि उसका अपना एक घर हो। एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या कार्यपालिका को दंड के रूप में आश्रय छीनने की अनुमति दी जानी चाहिए? हमें विधि के शासन के सिद्धांत पर विचार करने की आवश्यकता है जो भारतीय संविधान का आधार है।सिर्फ आरोप लगाने से कोई दोषी नहीं हो सकता है।

अवैध तरीके से घर तोड़ा तो मुआवजा दें

बिना मुकदमे के घर तोड़कर सजा नहीं दी जा सकती है। हमारे पास आए मामलों में यह स्पष्ट है कि प्राधिकारों ने कानून को ताक पर रखकर बुलडोजर एक्शन किया। गाइडलाइन्स पर हमने विचार किया है। अवैध तरीके से घर तोड़ा तो मुआवजा दें। मनमानी करने वाले अधिकारियों पर एक्शन की सख्त जरूरी है।

सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया था अंतरिम आदेश

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था, जिसमें अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि जब तक कोर्ट से अगला आदेश न मिले, तब तक वे किसी भी तरह के विध्वंस अभियान को रोंके। हालांकि, यह आदेश अवैध निर्माणों खासतौर पर सड़क और फुटपाथ पर बने धार्मिक ढांचों पर लागू नहीं था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी धार्मिक संरचना को सड़कों के बीच में नहीं बनना चाहिए, क्योंकि यह सार्वजनिक मार्गों में रुकावट डालता है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर गौर किया था कि किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगने या उसे दोषी ठहराए जाने के आधार पर उसके घरों और दुकानों को बुलडोजर से तोड़ने का कोई आधार नहीं है। जस्टिस बी.आर. गवाई ने कहा था, हम एक धर्म निरपेक्ष देश हैं, जो भी हम तय करते हैं, वह सभी नागरिकों के लिए करते हैं। किसी एक धर्म के लिए अलग कानून नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी कहा था कि किसी भी समुदाय के सदस्य के अवैध निर्माण को हटाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी धर्म या विश्वास का हो।

तालिबान ने मुंबई में नियुक्त किया अपना “राजदूत”, मान्यता नहीं...फिर कैसे हो रही नियुक्ति?
Image 2Image 3Image 4Image 5
#taliban_appointment_of_afghan_citizen_in_mumbai_consulate
* तालिबान सरकार ने इकरामुद्दीन कामिल को मुंबई में अफगान मिशन में कार्यवाहक काउंसल के रूप में नियुक्त किया है। अफगान मीडिया के अनुसार, यह भारत में किसी अफगान मिशन के लिए तालिबान द्वारा की गई पहली ऐसी नियुक्ति है।तालिबान के कंट्रोल वाली अफगान न्यूज एजेंसी बख्तर न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इकरामुद्दीन कामिल नाम के एक शख्स की मुंबई काउंसुलेट में नियुक्ति की है। इस नियुक्ति की खबर तब आ रही है जब बीते हफ्ते काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब से भारतीय अधिकारियों की मुलाकात की थी। रिपोर्ट के अनुसार, कामिल वर्तमान में मुंबई में हैं और इस्लामी अमीरात का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कामिल का अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय में महत्वपूर्ण अनुभव रहा है, जहां उन्होंने सुरक्षा सहयोग और सीमा मामलों के विभाग में उप निदेशक के रूप में कार्य किया है। अंतरराष्ट्रीय कानून में पीएचडी धारक कामिल से अब मुंबई में अफगान नागरिकों के लिए काउंसलर सेवाएं सुगम बनाने और भारत में अफगानिस्तान के हितों का प्रतिनिधित्व करने की अपेक्षा की जा रही है। भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि विदेश मंत्रालय (एमईए) की स्‍कॉलरशिप पर भारत में सात साल तक अध्ययन करने वाले कामिल ने वाणिज्य दूतावास में “राजनयिक” के रूप में काम करने पर सहमति जताई है। हालांकि उनका स्‍टेटस फिलहाल भारत में अफगानों के लिए काम करने वाले एक अफगान नागरिक का ही है। कामिल की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब भारत और तालिबान सरकार के बीच संवाद का दौर जारी है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्रालय के अफगानिस्तान मामलों के प्रमुख ने काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की थी। तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भी कामिल की नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, जिससे दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्क की झलक मिलती है। काबुल का यह कदम भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को मजबूत करने और अपनी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है। इकरामुद्दीन कामिल की नियुक्ति भारत और तालिबान के बीच एक नया संपर्क स्थापित करने का प्रयास हो सकती है। तालिबान सरकार के साथ भारत की यह बढ़ती निकटता भारत की विदेश नीति में एक बदलाव का संकेत देती है। तालिबान के इस फैसले से भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को मिर्ची लग सकती है, क्योंकि उसके तालिबानी सरकार और भारत के साथ रिश्ते सामान्य नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तान हमेशा तालिबान पर आतंक फैलाने का आरोप लगाता रहता है।
तालिबान ने मुंबई में नियुक्त किया अपना “राजदूत”, मान्यता नहीं...फिर कैसे हो रही नियुक्ति?

#taliban_appointment_of_afghan_citizen_in_mumbai_consulate

Image 2Image 3Image 4Image 5

तालिबान सरकार ने इकरामुद्दीन कामिल को मुंबई में अफगान मिशन में कार्यवाहक काउंसल के रूप में नियुक्त किया है। अफगान मीडिया के अनुसार, यह भारत में किसी अफगान मिशन के लिए तालिबान द्वारा की गई पहली ऐसी नियुक्ति है।तालिबान के कंट्रोल वाली अफगान न्यूज एजेंसी बख्तर न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इकरामुद्दीन कामिल नाम के एक शख्स की मुंबई काउंसुलेट में नियुक्ति की है। इस नियुक्ति की खबर तब आ रही है जब बीते हफ्ते काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मुहम्मद याकूब से भारतीय अधिकारियों की मुलाकात की थी।

रिपोर्ट के अनुसार, कामिल वर्तमान में मुंबई में हैं और इस्लामी अमीरात का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। कामिल का अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय में महत्वपूर्ण अनुभव रहा है, जहां उन्होंने सुरक्षा सहयोग और सीमा मामलों के विभाग में उप निदेशक के रूप में कार्य किया है। अंतरराष्ट्रीय कानून में पीएचडी धारक कामिल से अब मुंबई में अफगान नागरिकों के लिए काउंसलर सेवाएं सुगम बनाने और भारत में अफगानिस्तान के हितों का प्रतिनिधित्व करने की अपेक्षा की जा रही है।

भारत ने अभी तक इस मुद्दे पर आधिकारिक रूप से कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी है। मामले की जानकारी रखने वालों ने बताया कि विदेश मंत्रालय (एमईए) की स्‍कॉलरशिप पर भारत में सात साल तक अध्ययन करने वाले कामिल ने वाणिज्य दूतावास में “राजनयिक” के रूप में काम करने पर सहमति जताई है। हालांकि उनका स्‍टेटस फिलहाल भारत में अफगानों के लिए काम करने वाले एक अफगान नागरिक का ही है।

कामिल की नियुक्ति ऐसे समय पर हुई है जब भारत और तालिबान सरकार के बीच संवाद का दौर जारी है। हाल ही में भारत के विदेश मंत्रालय के अफगानिस्तान मामलों के प्रमुख ने काबुल में तालिबान के कार्यवाहक रक्षा मंत्री मुल्ला मोहम्मद याकूब से मुलाकात की थी। तालिबान के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्तानिकजई ने भी कामिल की नियुक्ति को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, जिससे दोनों देशों के बीच बढ़ते संपर्क की झलक मिलती है।

काबुल का यह कदम भारत के साथ अपने राजनयिक संबंधों को मजबूत करने और अपनी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है। इकरामुद्दीन कामिल की नियुक्ति भारत और तालिबान के बीच एक नया संपर्क स्थापित करने का प्रयास हो सकती है। तालिबान सरकार के साथ भारत की यह बढ़ती निकटता भारत की विदेश नीति में एक बदलाव का संकेत देती है। तालिबान के इस फैसले से भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को मिर्ची लग सकती है, क्योंकि उसके तालिबानी सरकार और भारत के साथ रिश्ते सामान्य नहीं है। इसके अलावा पाकिस्तान हमेशा तालिबान पर आतंक फैलाने का आरोप लगाता रहता है।

कश्मीर में बर्फबारी से बदला दिल्ली-एनसीआर का मौसम, हर तरफ छाया कोहरा, जल्द होगी कंपकपाती की ठंड की शुरुआत*
Image 2Image 3Image 4Image 5
#weather_today_fresh_snowfall_in_jk_winter_arriving_in_delhi_ncr

मॉनसून की विदाई के बाद से लोगों को ठंड का इंतजार है। आधा नवंबर बीतने को है पर लोगों के घरों में पंखे चल रहे हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर की घाटी में सफेद चादर ने मैदानी इलाकों के लोगों के चहरे की खुशी बिखेर दी है। ऊपरी इलाकों, गुलमर्ग और सोनमर्ग में इस मौसम की बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश ने मौसम बदल दिया है।दिल्ली एनसीआर समेत देश के ज्यादातर राज्यों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है। कश्मीर में हुई बर्फबारी की वजह से वादियों ने सफेद चादर ओढ़ ली है। जानकारी के मुताबिक बर्फबारी की वजह से तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के मैदानी इलाकों में सुबह और शाम के वक्त हल्का कोहरा छाया रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 नवंबर से 16 नवंबर के बीच कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है। इधर मौसम विभाग (आईएमडी) ने मैदानी इलाकों के लिए भी भविष्यवाणी कर दी है। मैदानी इलाकों में जल्द भी जल्द ही मौसम बदलने वाला है। आईएमडी ने बताया कि इस महीने के 15 तारीख के बाद से ठंड की शुरुआत हो जाएगी। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित दिल्ली-एनसीआर में सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होने लगी है। वहीं, दक्षिण भारत में चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और गोवा में बारिश का दौर जारी है। वहीं, उत्तर प्रदेश-बिहार सहित कई राज्यों में घने कोहरे छाए रहने की संभावना है। वहीं, मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में तापमान अभी बढ़ा हुआ है। दिन का तापमान 30 °C बना हुआ है। वहीं, रात का तापमान 16 से 18 °C बना हुआ है। अधिकतम तापमान 4 से 5 °C और न्यूनतम तापमान 2 से 3 °C अधिक बना हुआ है। वहीं, रात में हवा 10 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है। इसके अलावा सुबह धुंध बने रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार 13 नवंबर को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। हालांकि दिल्ली अभी भी गैस चैंबर बनी हुई है। हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से काम चल रही है, जिस वजह से दिल्ली का औसत एकक्यूआई बुधवार की सुबह 6:00 बजे 349 दर्ज किया गया।
कश्मीर में बर्फबारी से बदला दिल्ली-एनसीआर का मौसम, हर तरफ छाया कोहरा, जल्द होगी कंपकपाती की ठंड की शुरुआत*
Image 2Image 3Image 4Image 5
#weather_today_fresh_snowfall_in_jk_winter_arriving_in_delhi_ncr

मॉनसून की विदाई के बाद से लोगों को ठंड का इंतजार है। आधा नवंबर बीतने को है पर लोगों के घरों में पंखे चल रहे हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर की घाटी में सफेद चादर ने मैदानी इलाकों के लोगों के चहरे की खुशी बिखेर दी है। ऊपरी इलाकों, गुलमर्ग और सोनमर्ग में इस मौसम की बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश ने मौसम बदल दिया है।दिल्ली एनसीआर समेत देश के ज्यादातर राज्यों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है। कश्मीर में हुई बर्फबारी की वजह से वादियों ने सफेद चादर ओढ़ ली है। जानकारी के मुताबिक बर्फबारी की वजह से तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के मैदानी इलाकों में सुबह और शाम के वक्त हल्का कोहरा छाया रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 नवंबर से 16 नवंबर के बीच कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है। इधर मौसम विभाग (आईएमडी) ने मैदानी इलाकों के लिए भी भविष्यवाणी कर दी है। मैदानी इलाकों में जल्द भी जल्द ही मौसम बदलने वाला है। आईएमडी ने बताया कि इस महीने के 15 तारीख के बाद से ठंड की शुरुआत हो जाएगी। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित दिल्ली-एनसीआर में सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होने लगी है। वहीं, दक्षिण भारत में चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और गोवा में बारिश का दौर जारी है। वहीं, उत्तर प्रदेश-बिहार सहित कई राज्यों में घने कोहरे छाए रहने की संभावना है। वहीं, मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में तापमान अभी बढ़ा हुआ है। दिन का तापमान 30 °C बना हुआ है। वहीं, रात का तापमान 16 से 18 °C बना हुआ है। अधिकतम तापमान 4 से 5 °C और न्यूनतम तापमान 2 से 3 °C अधिक बना हुआ है। वहीं, रात में हवा 10 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है। इसके अलावा सुबह धुंध बने रहने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार 13 नवंबर को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। हालांकि दिल्ली अभी भी गैस चैंबर बनी हुई है। हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से काम चल रही है, जिस वजह से दिल्ली का औसत एकक्यूआई बुधवार की सुबह 6:00 बजे 349 दर्ज किया गया।
कश्मीर में बर्फबारी से बदला दिल्ली-एनसीआर का मौसम, हर तरफ छाया कोहरा, जल्द होगी कंपकपाती की ठंड की शुरुआत

#weather_today_fresh_snowfall_in_jk_winter_arriving_in_delhi_ncr

Image 2Image 3Image 4Image 5

मॉनसून की विदाई के बाद से लोगों को ठंड का इंतजार है। आधा नवंबर बीतने को है पर लोगों के घरों में पंखे चल रहे हैं। इसी बीच जम्मू-कश्मीर की घाटी में सफेद चादर ने मैदानी इलाकों के लोगों के चहरे की खुशी बिखेर दी है। ऊपरी इलाकों, गुलमर्ग और सोनमर्ग में इस मौसम की बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश ने मौसम बदल दिया है।दिल्ली एनसीआर समेत देश के ज्यादातर राज्यों में गुलाबी सर्दी ने दस्तक दे दी है।

कश्मीर में हुई बर्फबारी की वजह से वादियों ने सफेद चादर ओढ़ ली है। जानकारी के मुताबिक बर्फबारी की वजह से तापमान 5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला गया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर के मैदानी इलाकों में सुबह और शाम के वक्त हल्का कोहरा छाया रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर के पूर्वानुमान के मुताबिक 13 नवंबर से 16 नवंबर के बीच कश्मीर के ज्यादातर हिस्सों में बारिश और बर्फबारी हो सकती है।

इधर मौसम विभाग (आईएमडी) ने मैदानी इलाकों के लिए भी भविष्यवाणी कर दी है। मैदानी इलाकों में जल्द भी जल्द ही मौसम बदलने वाला है। आईएमडी ने बताया कि इस महीने के 15 तारीख के बाद से ठंड की शुरुआत हो जाएगी। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान सहित दिल्ली-एनसीआर में सुबह-शाम हल्की ठंड महसूस होने लगी है। वहीं, दक्षिण भारत में चेन्नई, तिरुवनंतपुरम और गोवा में बारिश का दौर जारी है। वहीं, उत्तर प्रदेश-बिहार सहित कई राज्यों में घने कोहरे छाए रहने की संभावना है।

वहीं, मौसम विभाग ने बताया कि दिल्ली-एनसीआर में तापमान अभी बढ़ा हुआ है। दिन का तापमान 30 °C बना हुआ है। वहीं, रात का तापमान 16 से 18 °C बना हुआ है। अधिकतम तापमान 4 से 5 °C और न्यूनतम तापमान 2 से 3 °C अधिक बना हुआ है। वहीं, रात में हवा 10 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है। इसके अलावा सुबह धुंध बने रहने की संभावना है।

मौसम विभाग के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी में बुधवार 13 नवंबर को अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। हालांकि दिल्ली अभी भी गैस चैंबर बनी हुई है। हवा की गति 10 किलोमीटर प्रति घंटे से काम चल रही है, जिस वजह से दिल्ली का औसत एकक्यूआई बुधवार की सुबह 6:00 बजे 349 दर्ज किया गया।

सीआईएसएफ को मिलेगी ऑल वुमेन बटालियन, केंद्र सरकार ने दी मंजूरी
Image 2Image 3Image 4Image 5
#cisf_gets_its_first_women_battalion


केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) में महिला सैनिकों की भागीदारी बढ़ेगी। सीआईएसएफ में पहली बार महिला बटालियन बनाई जा रही है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा में महिलाओं की भूमिका को बढ़ावा मिलेगा। सरकार ने एक हजार से अधिक कर्मियों वाली पहली पूर्ण महिला रिजर्व बटालियन तैयार करने को मंजूरी दी है। सीनियर कमांडेंट रैंक के अफसर इस फोर्स का नेतृत्व करेंगे।इस बटालियन की तैनाती देशभर के एयरपोर्ट्स पर की जाएगी।

*बटालियन में 1025 महिला जवान*
गृह मंत्रालय ने 1 हजार से अधिक कर्मियों वाली पहली ऑल वुमेन बटालियन तैयार करने को मंजूरी दी है। यह फैसला एयरपोर्ट और अन्य अहम संस्थानों में सीआईएसएफ जवानों की ड्यूटी की बढ़ती जरूरत के मद्देनजर लिया गया है। जानकारी के मुताबिक, इस बटालियन को पहले से स्वीकृत 2 लाख कर्मियों के बल से तैयार किया जाएगा। रिजर्व बटालियन में 1025 महिला जवान होंगी। इस बटालियन का नेतृत्व वरिष्ठ कमांडेंट लेवल का अधिकारी करेगा।

*हो चुकी हैं तैयारियां शुरू*
सीआईएसएफ मुख्यालय ने नई बटालियन के मुख्यालय के लिए जल्द भर्ती, ट्रेनिंग और स्थान के चयन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रशिक्षण विशेष रूप से एक उत्कृष्ट बटालियन बनाने के लिए डिज़ाइन किया जा रहा है जो वीआईपी सुरक्षा में कमांडो के रूप में बहुविध भूमिका निभाने में सक्षम हो और साथ ही हवाई अड्डों, दिल्ली मेट्रो रेल ड्यूटी की सुरक्षा भी कर सके। 53वें सीआईएसएफ दिवस के अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री के निर्देश के अनुसरण में बल में सभी महिला बटालियनों के निर्माण का प्रस्ताव शुरू किया गया था।

*68 एयरपोर्ट और स्मारकों के लिए महिला जवानों की जरूरत*
अधिकारियों के मुताबिक सीआईएसएफ के पास देश के 68 एयरपोर्ट समेत दिल्ली मेट्रो, लाल किला और ताजमहल की सुरक्षा का जिम्मा है। यहां पर बड़ी संख्या में महिला जवानों की जरूरत है। इसके लिए सरकार को पूर्ण महिला रिजर्व बटालियन के गठन का प्रस्ताव दिया गया था। इसके अलावा सीआईएसएफ परमाणु और एयरोस्पेस से जुड़े संस्थानों समेत निजी क्षेत्र के संस्थानों को आतंकवाद विरोधी सुरक्षा देता है। इसमें इन्फोसिस का बंगलूरू और पुणे कार्यालय, जामनगर में रिलायंस की रिफाइनरी शामिल है।
महाराष्ट्र चुनाव से पहले अजित पवार ने बदली “पटरी”, बीजेपी और शिवसेना पर कितना होगा असर?
Image 2Image 3Image 4Image 5
#mahayuti_politics_in_maharashtra_what_impact_ajit_pawar_statements
महाराष्ट्र चुनाव में सत्ताधारी गठबंधन महायुति की दो प्रमुख पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना हिंदुत्व की पिच पर खुलकर बैटिंग कर रही हैं। महाराष्ट्र और झारखंड का चुनाव इस बार पहला ऐसा चुनाव है जिस चुनाव में बीजेपी और उसके फायरब्रैंड ने खुलकर हिंदुत्व का कार्ड खेल रही हैं। इसकी शुरुआत योगी आदित्यनाथ की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 'बंटेंगे तो कटेंगे' का नारा दिया। बीजेपी के साथ ही शिवसेना ने भी इस नारे का समर्थन किया है। वहीं महायुति के ही एक घटक अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी इसके विरोध में खुलकर उतर आई है। अजित पवार ने साफ कह दिया है कि इसका समर्थन नहीं करता हूं। ये यूपी या झारखंड में चलता होगा, महाराष्ट्र में नहीं चलता।

योगी ने यूपी में दिए अपने नारे को महाराष्ट्र में भी आजमाया जिसके बाद सियासी तूफान खड़ा हो गया। बयान को लेकर इस कदर सियासत हुई कि महायुति में शामिल एनसीपी के मुखिया अजित पवार ने अपना गियर बदल दिया। अजीत पवार ने यहां तक कहा डाला कि मैं शिवाजी से प्रेरणा लेकर बार-बार कहता हूं कि जब-जब बंटेंगे, तब-तब कटेंगे। अगर एक रहेंगे तो नेक और सेफ रहेंगे।

यही नहीं, अजित पवार ने साफ कर दिया है कि जहां जहां महायुति की ओर से उनकी पार्टी चुनाव लड़ रही है वहां पर उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की जरूरत नहीं है। उन्होंने साफ कर दिया है कि वे इस प्रकार के हिंदुत्व वाले विचारों के समर्थक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास पर चलते हैं।

सवाल यह उठ रहा है कि बीजेपी के सहयोगी दल एनसीपी को इससे क्या दिक्कत हो रही है? माना जा रहा है कि अजित पवार को अपने वोटबैंक और उम्मीदवारों की चिंता है इसलिए उन्होंने सीएम योगी के नारे से खुद को किनारा कर लिया।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित पवार ने इसलिए सीएम योगी के बयान का समर्थन नहीं किया क्योंकि इससे मुस्लिम वोटरों के खिसकने का डर है। इसके साथ-साथ एनसीपी अजित पवार गुट ने नवाब मलिक को चुनाव मैदान में उतारा है जो मुस्लिम समुदाय से हैं। ऐसे में अगर अजित पवार योगी के नारे का समर्थन करते हैं तो पार्टी में भी मतभेद की भी स्थिति पैदा हो सकती है। इसलिए अजित पवार को कहना पड़ा कि महाराष्ट्र में ये सब नहीं चलेगा।

वहीं, अजित के स्टैंड के बाद कयास महायुति में दरार के भी लगाए जा रहे हैं। चर्चा है कि अजित पवार ने इन बातों से चुनाव बाद बदलते समीकरण की ओर इशारा किया है।जानकारों का मानना है कि चुनाव बाद परिणामों पर नजर के बाद अजित पवार आगे की रणनीति पर काम कर सकते हैं। यह अलग बात है कि इस बार उनके चाचा शरद पवार किसी भी हालत में उनकी वापसी को मंजूर करने के मूड में दिख नहीं रहे हैं।