मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राजभवन में पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से भेंट की ,केरल के राज्यपाल को भेंट किया पुष्प-गुच्छ


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने राजभवन पहुँचे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पुष्प-गुच्छ भेंट कर कोविंद का स्वागत किया। उन्होंने मध्यप्रदेश पधारे केरल के राज्यपाल आरिफ मो. खान का भी पुष्प-गुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया।

इस अवसर पर म.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस सुरेश कुमार कैत, उप मुख्यमंत्री द्वय जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल भी मौजूद थे।

राज्यपाल पटेल ने राजभवन में पूर्व राष्ट्रपति कोविंद का किया आत्मीय स्वागत

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राजभवन आगमन पर पुष्प-गुच्छ भेंट कर आत्मीय स्वागत किया। प्रवास से लौटे राज्यपाल पटेल ने पूर्व राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात की। राज्यपाल पटेल ने मध्यप्रदेश प्रवास पर पधारे केरल के राज्यपाल आरिफ मो. खान का भी राजभवन में पुष्पगुच्छ भेंट कर अभिनंदन किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, म.प्र. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति जस्टिस सुरेश कुमार कैत, उप मुख्यमंत्री द्वय जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल भी मौजूद रहे।

शिक्षा और उर्दू के नाम दो दिन, राजधानी में होगा बड़ा आयोजन, जानें क्या है पूरा प्रोग्राम


खान आशु 

भोपाल। तेजी से बदल रही मान्यताएं, धारणाएं, व्यस्तताएं और दिनचर्या ने इंसान को मशीन बना दिया है। जरूरी कामों में गैर जरूरी बातें शामिल हैं। शिक्षा और उर्दू को लेकर खत्म हो रही गतिविधियों के बीच राजधानी भोपाल में दो दिवसीय एक आयोजन किया जा रहा है। जिसमें इन दोनों क्षेत्रों के कद्दावरों की मौजूदगी में शिक्षा के महत्व को डिस्कस किया जाएगा। साथ ही उर्दू भाषा की हिफाजत की फिक्र भी इस दौरान की जाएगी।

सामाजिक संस्था बेनजीर अंसार एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी इस कार्यक्रम को आयोजित करेगी। संस्था के अध्यक्ष एमडब्ल्यू अंसारी ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस और राष्ट्रीय उर्दू दिवस के तारतम्य में कार्यक्रमों की यह श्रृंखला की जा रही है। इनका मकसद शिक्षा के लिए विशेष फिक्र लोगों में जागृत करना है। लोगों के व्यवहार और समाज में अन्य भाषाओं से पिछड़ती जा रही उर्दू जुबान को प्रोत्साहन देने की मंशा भी है। 

यह होने आयोजन

पहले दिन 9 नवंबर को विश्व उर्दू दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान "उर्दू जुबान का तहफ्फुज और हमारी जिम्मेदारी" विषय पर सेमिनार आयोजित किया जाएगा। कमला पार्क स्थित रजा दुर्रानी हॉल में होने वाले इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ अली अब्बास उम्मीद करेंगे। कार्यक्रम में एडवोकेट हाजी मोहम्मद हारून, इकबाल मसूद, अज़म अली खान, डॉ हस्सान उद्दीन फारूखी, डॉ सैयद इफ्तिखार अली मेहमान ए खास के रूप में मौजूद रहेंगे।

अंसारी ने बताया कि इसी दिन शाम को कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में एक मुशायरा महफिल सजेगी। जिसमें डॉ अली अब्बास उम्मीद, काजी मलिक नवेद, खलील कुरैशी, अभिषेक वर्मा, इकबाल मसूद, हुमा कानपुरी, मुबारक शाहीन, भूषण दिलशाद, आरिफ अली आरिफ, साजिद प्रेमी, अजीम अशर, प्रो गौसिया खान, मकबूल वाजिद, रमेश नंद, एस एम सिराज, नौमान गौरी आदि शायर अपना कलाम पेश करेंगे।

दूसरे दिन शिक्षा पर जोर

कार्यक्रम के दूसरे चरण में 10 नवंबर को शिक्षा को समर्पित आयोजन होंगे। इस दौरान "तालीम तरक्की की जामिन" विषय पर बात होगी। कार्यक्रम के मेहमानों में कौसर सिद्दीकी, पीर अजहर पाशा, रईस सिद्दीकी शामिल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ मोहम्मद नौमान करेंगे। इस कार्यक्रम का संचालन डॉ महताब आलम करेंगे। इस दिन समापन सत्र में भी एक मुशायरा महफिल सजेगी। जिसमें शहर और प्रदेश के कई नामवर शायर अपना कलाम पेश करेंगे।

सम्मान सत्र भी होगा

कार्यक्रम के दूसरे दिन रविवार को एक सम्मान समारोह का आयोजन किया जाएगा। इस दौरान शिक्षा, साहित्य, संस्कृति, पत्रकारिता और विभिन्न क्षेत्रों में अपने काम से विशेष सहयोग देने वाले व्यक्तियों का सम्मान किया जाएगा। कार्यक्रम में मध्य विधायक आरिफ मसूद मुख्य अतिथि होंगे। जबकि सैयद जलाल उद्दीन, सैयद ताहा पाशा, डॉ कमर अली शाह और डॉ नजर मेहमूद कार्यक्रम के मेहमान ए खास के तौर पर मौजूद रहेंगे।

जुमला ही साबित हुआ "अतिथि देवो भव" - हकीकत में - "ठेकेदार मस्त, व्यवस्था ध्वस्त, खिलाडी त्रस्त

38 राज्यों के लगभग 1428 खिलाड़ियों के सामने जिले और प्रदेश की साख डुबोते जिम्मेदार अफसर

विदिशा। अपने पुराने नाम "भेलसा" में पुरातन गौरव और संस्कृति को सहेज कर रखने वाले विदिशा की साख कुछ भ्रष्ट और कामचोर अधिकारियों की वजह से दांव पर लग चुकी है। गौरतलब है कि शहर में शुक्रवार से 68वीं राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ है, जिले के जिम्मेदार अधिकारियों के लचर रवैये के चलते पहले ही दिन से ये प्रतियोगिता अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गई है। आलम यह है कि जिन कंधों पर इस राष्ट्रीय प्रतियोगिता को सफल बनाने की जिम्मेदारी है वे अब सवालों से बचते और मीडिया की नज़र से छिपते फिर रहे हैं। बता दें कि इस प्रतियोगिता में 38 राज्यों के 1400 से ज्यादा खिलाड़ी भाग ले रहे हैं उनके साथ लगभग 200 प्रोफेशनल भी आये हैं। खिलाड़ियों के रुकने से लेकर खाने तक कि तमाम व्यवस्थाएं पहले दिन से ही चरमराई नज़र आ रही हैं जिसके चलते उनमें रोष व्याप्त हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि जिला शिक्षा अधिकारी आर.के. ठाकुर के "अतिथि देवो भव" को सार्थक करने समेत सभी दावे महज़ जुमले ही साबित हो रहे हैं। जबकि उन्होंने स्पष्ट कहा था कि इस प्रतियोगिता के प्रत्येक मेहमान की सुविधा का प्रबंध किया जा चुका है। हालांकि खेल मैदान में पसरी समस्याओं से मीडिया ने जिम्मेदार अधिकारियों, जिला कलेक्टर और स्थानीय विधायक को अवगत करा दिया है लेकिन अव्यवस्थाएं अब पहाड़ का रूप ले चुकी हैं। बड़ा सवाल यह है कि मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस के एक सप्ताह बाद ही सरकारी अमला शासन प्रशासन की किरकिरी कराने पर आखिर क्यों तुला हुआ है...? आखिर क्यों उन छोटी-छोटी समस्याओं को दूर नहीं किया जा रहा जिनका तत्काल निराकरण मौके पर ही संभव है...?

सूत्रों की मानें तो विदिशा कलेक्टर की सख्त और तेजतर्रार कार्यशैली कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को अखर रही है, जिसका बदला लेने के लिए प्रतियोगिता के प्रबंधन को जानबूझकर सम्हाला नहीं जा रहा...। वजह जो भी हो इतना तय है कि राष्ट्रीय प्रतियोगिता की मेजबानी में कुछ अधिकारियों की हीलाहवाली से उपजे दाग इतने गहरे रंग के होंगे जो बरसों बरस "भेलसा" के चेहरे पर बने रहेंगे।

नाश्ते का इंतज़ार करते रहे खिलाड़ी

68 वीं राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता में शामिल होने वाले खिलाड़ियों को उनके रुकने वाले स्थान पर ही नाश्ता देना सुनिश्चित किया जाना था। लेकिन भोजन व्यवस्था के जिम्मेदार बालाजी केटर्स ने ऐन मौके पर खेल मैदान में ही नाश्ता देने का फरमान सुना दिया। नतीज़तन कुछ खिलाड़ियों ने देर सबेर मैदान पहुंचकर नाश्ता किया तो कुछ ने होटलों में अपनी भूख मिटाई। बता दें कि खिलाड़ियों को जो नाश्ता कराया गया वह भी मेनू के अनुसार न होकर अधूरा ही था जो बालाजी केटर्स की मनमानी को दर्शाता है।

स्वच्छता के दावे हुए हवा, असुरक्षित तरीकों से बनाया और परोसा गया भोजन

नाश्ते पर बवाल खड़ा होने के बाद भी बालाजी केटर्स की यही करतूत दोपहर के भोजन में भी दिखाई दी। भोजन में भी मेनू के अनुसार सामग्री न होकर अधूरा ही रहा। वहीं भोजन बनाने और परोसने वाले कर्मचारी बिना ग्लब्स, मास्क, हेयर कैप आदि के ही काम करते रहे। स्पष्ट है कि बालाजी केटर्स को मेहमानों से ज्यादा अपना मुनाफ़ा बनाने की चिंता थी। 

जिम्मेदारों की लापरवाही हुई उजागर

प्रतियोगिता स्थल पर पसरी अव्यवस्थाओं को लेकर तत्काल जिला शिक्षा अधिकारी, खाद्य सुरक्षा अधिकारी, नगर पालिका सीएमओ, कलेक्टर और विधायक तक को अवगत कराया गया । जिसके बाद व्यवस्था में आंशिक परिवर्तन तो देखने को मिला लेकिन खिलाड़ियों के रुकने की व्यवस्था पर जिला प्रशासन ने कोई काम नहीं किया।

महंगे होटलों में रुकने को मजबूर खिलाड़ी

रुकने की व्यवस्था सही न होने के कारण खिन्न हुए कई खिलाड़ियों को मजबूरन होटलों में रुकना पड़ रहा है। जिन स्थानों पर खिलाड़ियों को रोका जा रहा था उनमें से कई जगह बेहद गंदगी से भरी हुई थी तो कहीं सीसीटीवी कैमरे या अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं।

68वी राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता विदिशा में , शामिल होंगे लगभग 1428 छात्र छात्राऐं !

कलेक्टर बोले सुरक्षा के होंगे पुख्ता इंतजाम, विदिशा में भाग लेंगे 38 राज्यों के खिलाड़ी, 

भोपाल। विदिशा में आयोजित होने वाले 68 वे राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। प्रतियोगिता में भारत के 38 राज्यों के 14 व 17 वर्षीय लगभग 1428 छात्र-छात्रायें सम्मिलित होंगे, जिनके साथ कोच, मैनेजर, जनरल मैनेजर के रूप में लगभग 200 अन्य व्यक्ति शामिल होंगे। यह प्रतियोगिता जिला खेल स्टेडियम में सम्पन्न होगी, शामिल होने वाली टीमों का विदिशा पहुंचना शुरू हो चुका है। पांच दिवसीय प्रतियोगिता के प्रथम दिन खेल एवं युवक कल्याण मंत्री विश्वास सारंग सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि शामिल होंगे।

खेल के प्रति बढ़ रही रुचि

प्राप्त जानकारी के अनुसार 2018 में विदिशा में सम्पन्न हुए 65वे राष्ट्रीय ताइक्वांडो प्रतियोगिता (अंडर 19) में लगभग 588 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया था। वहीं 2019 में आयोजित 66वे प्रतियोगिता (अंडर 17) में लगभग 546 प्रतियोगियों ने अपने खेल कौशल का उत्कृष्ट प्रदर्शन प्रस्तुत किया था। 68वे आयोजन में लगभग 1428 विद्यार्थियों का सम्मिलित होने यह सिद्ध करता है कि शासन प्रशासन के प्रयासों से खेलों में लोगों की रुचि बढ़ रही है।

दावा बेहतरीन सुविधाओं का, सुरक्षा व्यवस्था पर नहीं ध्यान

प्रतियोगिता में शामिल होने विदिशा पहुंच रहे खेल दलों को सारी आवश्यक सुविधायें देने के दावे किये जा रहे हैं लेकिन जिम्मेदार अधिकारी बाल खिलाड़ियों की सुरक्षा पर सवालों को टालते नज़र आ रहे हैं। दरअसल इस कार्यक्रम के नोडल अधिकारी आशीष सक्सेना से जब संवाददाता ने खिलाड़ियों को ठहराए जाने वाले स्थानों के सीसीटीवी कैमरों और अग्निशमन यंत्रों की जांच पर बात की तो उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता के लिए अभी तक कोई जांच नहीं की गई है। चौंकाने वाली बात ये है कि इस प्रतियोगिता में 14 व 17 वर्षीय छात्र-छात्राओं को शामिल होना है, इसके बाद भी सीसीटीवी कैमरों की जांच न करना अधिकारियों की लापरवाही को उजागर कर रहा है।

कलेक्टर बोले- खिलाड़ियों की सुरक्षा से नहीं होगा समझौता

खिलाड़ियों के रुकने वाली जगहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों और अग्निशमन यंत्रों की जांच पर विदिशा कलेक्टर रोशन कुमार सिंह से जब हमारे संवाददाता ने बातचीत की तो कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि किसी भी खिलाड़ी की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी जगहों की सीसीटीवी और फायर सेफ़्टी उपकरणों की जांच हेतु तत्काल करने के निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि ऐसे आयोजन न सिर्फ जिला वासियों के लिए गौरव का अवसर देते हैं बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को खेलों की ओर अग्रसर होने हेतु प्रेरित भी करते हैं।

5 दिनों में अतिथि देवो भव को करेंगे साकार - डीईओ आर.के. ठाकुर 

राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता को लेकर बेहद उत्साहित नज़र आ रहे जिला शिक्षा अधिकारी आर.के. ठाकुर ने कहा कि सभी की सुविधाओं को प्राथमिकता देते हुए सभी का ध्यान रखा जाएगा। प्रतियोगिता के पांच दिनों में अतिथि देवो भव को हम साकार करने का प्रयास करेंगे वहीं विभिन्न राज्यों से आने वाली प्रत्येक टीम के साथ जिले के शिक्षक रहेंगे जिससे खिलाड़ियों को कोई असुविधा न हो।

याद ए अर्जुन : सतलज ने मंच से पढ़ा, जितने अपने थे मर गए हैं मेरे.... तो मंजर ने टोका, अभी हम जिंदा हैं, जानें कैसी सजी महफिल ए मुशायरा

भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री स्व अर्जुन सिंह की जयंती पर राजधानी भोपाल में मुशायरा महफिल की बरसों पुरानी रिवायत निभाई गई। लंबे समय तक शहर के इकबाल मैदान को आबाद करने वाली यह महफिल इस बार सेंट्रल लाइब्रेरी ग्राउंड पर सजी थी। बाहरी मुल्कों से आए शायरों, देश को गौरव दिलाने वाले फनकारों, दुनिया में अपने प्रदेश का परचम ऊंचा रखने वाले अदबी लोगों के अलावा शहर को अपने कलाम से पहचान देने वाले चेहरे इस महफिल की रौनक थे। देर रात तक चले मुशायरे के वातावरण को गुलाबी ठंड भी रंगत देती रही। शेर ओ गजल का सुरूर रात की गहराई पर भारी पड़ती दिखाई देती रही।

देश दुनिया से आए बड़े, नामवर और स्थापित शायरों की इस महफिल में मंच के नए चेहरे सतलज राहत ने खासा रंग जमाया। उन्हें "जितने अपने थे मर गए हैं मेरे, सारे हमदर्द डर गए हैं मेरे, आपसे दिल की बात कहना है, आप दिल से उतर गए हैं मेरे..." जैसे शेर से महफिल में रंगत भरना शुरू की, और धीरे धीरे कई मजबूत और यादगार शेर मंच की नजर करते गए। सतलज के "कपड़े फट जाते हैं और बाल बिगड़ जाते हैं, अच्छे अच्छों के यहां हाल बिगड़ जाते हैं...." "नफ़रत का है दौर कहा जा सकता है, 

झूठ का है ये शोर कहा जा सकता है..." भी खूब पसंद किए गए।

नवाजे गए मंजर

अर्जुन सिंह सद्भावना मंच के इस आयोजन में शहर भोपाल को दुनिया में खास पहचान देने वाले व्यक्तित्व नागरिक सम्मान से नवाजे गए। इस दौरान अंतर्राष्ट्रीय शायर मंजर भोपाली को भी सम्मान दिया गया। मुशायरा महफिल के जरिए दुनिया नाप चुके मंजर इस दौर में मुशायरों की सफलता की गारंटी कहे जाने लगे हैं। इनके अलावा ढाई लाख से ज्यादा हार्ट सर्जरी कर रिकॉर्ड स्थापित कर चुके डॉ वायके मिश्रा, एवरेस्ट विजेता मेघा परमार, कन्हैया कुमार आदि भी मंच से सम्मानित किए गए।

शबीना की शुरुआत को विजय ने दी रवानी

रसिक श्रोताओं की गीत, गजल, शेर पिपासा पूरी करने के लिए मुशायरा महफिल में देश के नामवर शायर जुटाए गए थे। महफिल का आगाज कानपुर से आईं शहरा शबीना अदीब के कौमी तराने से हुई। इसके बाद मुशायरे को सूत्र में बांधने की जिम्मेदारी शायर ए शहर विजय तिवारी ने संभाली। उनके सफल संचालन में प्रो वसीम बरेलवी, अरुण जैमिनी, डॉ नवाज देवबंदी, मंजर भोपाली, चरण सिंह बशर जैसे दिग्गज शायरों ने अपने कलाम से महफिल को बांध रखा। कार्यक्रम में बाहरी मुल्कों से आए अनवर कमाल (बहरीन) और डॉ वला जमाल (मिस्र) की खास मौजूदगी से भी महफिल रौशन हुई।

जरूरी खर्च से शिक्षा की जरूरत के लिए करें मदद, यह दान लंबे समय तक याद रखा जाएगा... मीकैप्स के आयोजन में बोले मेहमान, जानें क्या है प्रोग्राम

खान आशु 

भोपाल। दुनिया में हर चीज आने जाने जैसी है। पद, पैसा, रसूख की स्थिति कभी भी बदल सकती है। शिक्षा एकमात्र ऐसी है, जिसमें हर दिन बढ़ोतरी हो सकती है, नए मुकाम तक पहुंच पाने की स्थिति बन सकती है। मौजूदा दौर में शिक्षा का महत्व पहले की तुलना में बहुत अधिक कहा जा सकता है। आर्थिक अक्षमताओं और मुश्किलों की वजह से कोई शिक्षा से वंचित रह जाए, यह हर उस व्यक्ति के लिए लानत जैसा है, जिसके पास आर्थिक स्थितियां मजबूत हैं। समाज को बेहतर हालात में खड़ा रखने के लिए हमें सहयोग का रवैया अपनाना ही चाहिए। इससे समाज की बेहतरी के साथ हम ईश्वर अल्लाह को खुश और राजी रखने के पुण्य कमा सकते हैं।

मुस्लिम एजुकेशन एंड कैरियर प्रमोशन सोसायटी (मीकैप्स) के सालाना आयोजन के दौरान मेहमानों ने यह बात कही। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रिटायर्ड डीजीपी अरुण गुट्टरु ने मौजूद स्टूडेंट्स को शिक्षा की महत्ता समझाते हुए उन्हें भविष्य में एक बेहतर नागरिक और नया समाज गढ़ने वाला बनने की ताकीद की। उन्होंने सबके लिए सरल, सहयोगी और सहज मदद के लिए तैयार रहने वाला बनने की सलाह दी। इस मौके पर मौजूद मप्र वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ सनव्वर पटेल ने कहा कि मदद का जज्बा हर इंसान में होना चाहिए। शिक्षा की सहजता और सुलभता के लिए मप्र वक्फ बोर्ड ने प्रदेश की सभी वक्फ संपत्तियों से होने वाली आमदनी का 50 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की योजना पर अमल शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि हाल ही में जबलपुर में इसी तरह का बड़ा आयोजन कर जरूरतमंद बच्चों को स्कॉलरशिप के चैक वितरित किए गए हैं। डॉ पटेल ने कहा कि मप्र वक्फ बोर्ड यह सिलसिला अनवरत जारी रखेगा।

इस साल 36 लाख

कार्यक्रम के दौरान मीकैप्स के डॉ जफर हसन ने बताया कि पिछले कई सालों से मीकैप्स गरीब और जरूरतमंद बच्चों की तालीम के लिए स्कॉलरशिप मुहैया करवा रहा है। आमजन के सहयोग से जुटाई जाने वाली राशि से यह मदद की जाती है। डॉ जफर ने बताया कि इस साल विभिन्न क्लासों के करीब 741 स्टूडेंट्स को 36 लाख रुपए की स्कॉलरशिप वितरित की गई है। उन्होंने बताया कि मीकैप्स की ही कोशिशों का असर है कि विद्यार्थियों को सरकारी योजना का फायदा मिल पा रहा है। जबकि प्रदेश में हालात यह थे कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आने वाली सरकारी स्कॉलरशिप की राशि हर साल लेप्स हो जाया करती थी। मीकैप्स ने इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया और आवेदन की आसानियां भी मुहैया कराई। डॉ जफर ने बताया कि मीकैप्स सगीर बेदार टेलेंट सर्च, अंग्रेजी क्लासेज, काउंसलिंग, बुक बैंक, फ्री मेडिकल कैंप जैसे सामाजिक सरोकार के प्रोग्राम भी चला रही है।

क्विज से जीते पुरस्कार

कार्यक्रम की शुरुआत में क्विज मास्टर आमिर महबूब ने विद्यार्थियों के साथ क्विज गेम खेला। इस दौरान सही और तात्कालिक उत्तर देने वाले स्टूडेंट्स को पुरस्कारों से नवाजा गया। कार्यक्रम में मेहमानों ने जरूरतमंद बच्चों को स्कॉलरशिप के चैक भी वितरित किए।

MP News : फिर उम्मीदों के पंख, मिलेंगे निगम मंडल में पद, प्राथमिकता बीजेपी और संघ समर्थकों को, जानिए कब मिलेंगे पद


खान आशु 

भोपाल। करीब आधा साल से ज्यादा समय से खाली पड़े प्रदेश के विभिन्न निगम मंडलों को इनके अगुआ मिलने के रास्ते प्रशस्त होने लगे हैं। उम्मीद की जा रही है कि अगले महीने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की ताजपोशी होने के बाद इस प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। इसके लिए शुरुआती रूपरेखा बना ली गई है। तय किए गए प्रारूप में निगम मंडल की कमान भाजपा से जुड़े मूल पदाधिकारियों और नेताओं के साथ संघ से संबंधित लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कुछ चिन्हित लोगों को भी इसमें समायोजित किए जाने की योजना है।

सूत्रों का कहना है कि डॉ मोहन यादव के हाथों में प्रदेश सरकार की बागडोर आने के बाद से कई कद्दावर भाजपा नेता निगम मंडल में एडजस्ट होने की जुगत लगाए बैठे हैं। लेकिन लगातार चुनाव, उप चुनाव और उसके बाद संगठन के बदलाव की व्यस्तता ने इस काम को रोक रखा है। इसी बीच सदस्यता अभियान ने भी इस कवायद की चाल धीमी कर दी थी। सूत्रों का कहना है कि इस माह अंत में प्रदेश की उप चुनाव वाली सीटों के परिणाम आ जाएंगे। इसके बाद अगले महीने की शुरुआत में प्रदेश भाजपा संगठन का चेहरा भी स्पष्ट हो जाएगा। कहा जा रहा है कि इसके बाद संभवतः निगम मंडल की नियुक्ति का मामला निपटाया जाएगा। नया साल आने से पहले इन्हें नए पदाधिकारी मिल जाने की उम्मीद की जा रही है।

कतार में हैं कई

विधानसभा, लोकसभा चुनाव से लेकर छोटे चुनावों तक में टिकट से वंचित रहे भाजपा नेताओं की अपेक्षा निगम मंडल के लिए बनी हुई है। कई स्तर पर आश्वासन पाए यह भाजपा नेता अपनी ताजपोशी के निश्चित दिखाई दे रहे हैं। इधर RSS से जुड़े नेताओं और पदाधिकारियों को भी निगम मंडल में बेहतर समायोजन की उम्मीद बंधी हुई है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव से पहले अपनी पार्टी को अलविदा कहकर भाजपा खेमे में आए दिग्गज नेताओं ने अपनी कुर्बानी का बदला निगम मंडल में समायोजन से ही मांगा है। सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में होने वाली इस घोषणा में कांग्रेस से आयातित नेताओं की झोलियां भरी दिखाई दे सकती हैं।

मुस्लिम इदारों को लंबे समय से दरकार 

मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग जैसी संवैधानिक संस्था लंबे अरसे से खाली पड़ी है। जिससे अल्पसंख्यक समुदाय और सरकार के बीच सेतु की भूमिका अधूरी पड़ी हुई है। मप्र अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग वित्त विकास निगम, मप्र मदरसा बोर्ड जैसी संस्थाएं भी लंबे समय से ओहदेदारों की राह तक रही हैं। इधर मप्र उर्दू अकादमी को संस्कृति विभाग में और जिला मुतावल्ली कमेटी को मप्र वक्फ बोर्ड में समाहित कर यहां की नियुक्तियों के रास्ते बंद कर दिए गए हैं। भोपाल समेत तीन जिलों की व्यवस्था सम्हालने वाली मसाजिद कमेटी में भी कई वर्षों से पदाधिकारी नहीं बनाए गए हैं।

प्रदेश में कितने निगम/मंडल- 

1. तीर्थ स्थान एवं मेला प्राधिकरण

2. भंडार गृह निगम

3. जन अभियान परिषद

4. महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान

5. गौपालन एवं पशु संवर्धन बोर्ड

6. सामान्य वर्ग कल्याण आयोग

7. पाठ्य पुस्तक निगम

8. खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड

9. ऊर्जा विकास निगम

10. संत रविदास हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम

11. पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम

12. बीज एवं फार्म विकास निगम

13. हाउसिंग बोर्ड

14. पर्यटन विकास निगम

15. इंदौर विकास प्राधिकरण

16. महिला एवं वित्त विकास निगम

17. पाठ्य पुस्तक निगम

18. बीज एवं फार्म विकास निगम

19. पर्यटन विकास निगम

20. खनिज विकास निगम

21. नागरिक आपूर्ति निगम

22. राज्य कर्मचारी कल्याण समिति

23. जन अभियान परिषद

24. क्रिस्प

25. भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण

26. श्रम कल्याण मंडल

27. माटी कला बोर्ड

28. वन विकास निगम

29. इलेक्ट्रानिक्स विकास निगम

30. भोपाल विकास प्राधिकरण

31. योग आयोग

32. भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल

33. शहरी एवं ग्रामीण असंगिठत कर्मकार मंडल (संबल)

34. राज्य प्रवासी श्रमिक आयोग

35. रतलाम विकास प्राधिकरण

36. युवा आयोग

37. उज्जैन विकास प्राधिकरण

38. कटनी विकास प्राधिकरण

39. देवास विकास प्राधिकरण

40. विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण पचमढ़ी

41. माध्यमिक शिक्षा मंडल

फरवरी में हुए थे भंग

फरवरी माह में डॉ. मोहन यादव सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए प्रदेश में संचालित 46 निगम, मंडल, बोर्ड और आयोग के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। इन सभी भाजपा नेताओं की नियुक्तियां शिवराज सिंह चौहान सरकार के समय की गई थी और इनमें अध्यक्षों को कैबिनेट और उपाध्यक्षों को राज्यमंत्रियों का दर्जा प्राप्त था।

Iztima News : छुट्टी का सदुपयोग, श्रमदान के लिए पहुंच रहे युवा, आकार लेने लगा इज्तिमागाह, जानें कैसी चल रही तैयारी


खान आशु 

भोपाल। इसी माह के अंत में राजधानी में होने वाले मजहबी समागम आलमी तबलीगी इज्तिमा की तैयारियां तेज हो गई हैं। दिवाली और अन्य सरकारी छुट्टियों में इज्तिमागाह पर जमावड़ा लग रहा है। यहां जारी कामों में हाथ बंटाते हुए युवा और बुजुर्गों ने कई बड़े काम पूरे कर दिए हैं। रविवार को भी यहां बड़ी संख्या में खिदमतगारों के पहुंचने की उम्मीद है।

करीब 300 एकड़ में बनने वाले शामियाना और जमातियों के बैठने एवं आराम करने की जगह का प्रारंभिक स्ट्रक्चर लगभग तैयार कर दिया गया है। सुबह से शाम तक उत्साह से काम में जुटे वालेंटियर्स ने जमीन के समतलीकरण और पंडाल के स्ट्रक्चर के अलावा पार्किंग के जोन तैयार करने पर भी मेहनत करना शुरू दिया है। इज्तिमगाह के आसपास करीब 300 एकड़ में पार्किंग तैयार किए जा रहे हैं। छोटे, मध्यम और बड़े वाहनों के पार्क करने के लिए यहां अलग अलग पार्किंग तैयार किए जा रहे हैं। 

जोश से जुट रहे वालेंटियर

आलमी तबलीगी इज्तिमा के जनसंपर्क अधिकारी डॉ उमर हफीज खान ने बताया कि पंडाल का स्ट्रक्चर लगभग तैयार हो चुका है। वजूखाने भी तैयार हो गए हैं। अब टॉयलेट और बॉथरूम बनाने का काम शुरू कर दिया गया है। डॉ उमर ने बताया कि इज्तिमागाह की सफाई का काम भी तेजी से चल रहा है। उन्होंने बताया कि वालेंटियर्स के साथ विभिन्न सरकारी एजेंसियां भी जरूरी कामों को अंजाम दे रही हैं। उन्होंने कहा कि छुट्टियों में यहां बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं। इसके अलावा भी श्रमदान करने वालों का मजमा लगा हुआ है।

इस बार बैन रहेगा सिंगल यूस प्लास्टिक

डॉ उमर ने बताया कि आलमी तबलीगी इज्तिमा के दौरान स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का खास ख्याल रखने की कोशिश की जाती है। इसके चलते हर साल एक नया प्रयोग किया जाता है। इस कड़ी में इस बार इज्तिमागाह पर सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर पाबंदी रहेगी। महज पानी की बॉटल के लिए रियायत दी जाएगी। डॉ उमर ने बताया कि इससे पहले गीला और सुखा कचरा अलग अलग रखने, बचे खाने से खाद बनाने, वाटर ट्रीटमेंट आदि के सफल प्रयोग किए जा चुके हैं, जो इस बार भी निरंतर रहेंगे। 

29 से समागम, 2 को दुआ 

आलमी तबलीगी इज्तिमा का आगाज 29 नवंबर से से होगा। इस 4 दिन के आयोजन का समापन 2 दिसंबर को दुआ ए खास के साथ होगा। पिछले सालों की जमातों की आमद को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि इस बार इज्तिमा में 10 लाख से ज्यादा लोग जुटेंगे। इज्तिमा में शामिल होने के लिए जमातों की आमद का सिलसिला अगले हफ्ते से होने की संभावना है। फिलहाल यह जमाते शहर की विभिन्न मस्जिदों में रहेंगी।

खास खास 

=आलमी तबलीगी इज्तिमा 29 नवंबर से 2 दिसंबर तक

=300 एकड़ में पंडाल

=पार्किंग के लिए 300 एकड़ में जोन

=सिंगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी रहेगी

=वाटर ट्रीटमेंट और बचे हुए खाने से खाद 

=जिला प्रशासन के नेतृत्व में कई सरकारी एजेंसियां जुटी काम में

=छुट्टी के दिन पहुंच रहे वालेंटियर, कर रहे श्रमदान

आजादी की उम्र का हुआ इज्तिमा 

भोपाल में आलमी तबलीगी इज्तिमा की शुरुआत वर्ष 1947 में हुई थी। पहला इज्तिमा मस्जिद शकूर खान में हुआ, जिसमें महज 13 लोग शामिल हुए थे। इसके अगले बरस से यह आयोजन ताजुल मसाजिद में आयोजित किया जाने लगा। वर्ष 2005 में जमातों की बड़ी तादाद को देखते हुए इज्तिमा ईंटखेड़ी शिफ्ट कर दिया गया। तबसे यह आयोजन लगातार यहीं पर हो रहा है।

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भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट

MP News : जुगत नहीं आई काम, पहुंचाया वक्फ को नुकसान, बरसों बाद आएंगे कानून के घेरे में, जानें क्या है पूरा मामला


खान आशु 

भोपाल। अध्यक्ष तय है... अधिकारी, कर्मचारी और यहां तक कि चपरासी या चौकीदार भी तयशुदा आदेश के तहत काम कर रहे हैं। लेकिन मप्र वक्फ बोर्ड में हर कार्यालयीन दिवस(कई बार छुट्टियों में भी) पाबंदी से दिखाई देने वाले एक रिटायर्ड सीईओ की मौजूदगी लोगों के लिए जिज्ञासा का विषय बनी हुई है। सेवानिवृत्ति के बरसों बाद भी उनकी दफ्तर आवाजाही को लेकर अब लोगों को जवाब मिलने लगे हैं। दरअसल सेवाकाल में उनके हाथों हुए एक बड़े करोड़ी घोटाले की फाइलें ठिकाने लगाना उनकी वक्फ बोर्ड कार्यालय में पहुंच का कारण बताया जा रहा है। हालांकि उनके इन प्रयासों को अब ठेस लगती नजर आ रही है, जब इस वक्फ नुकसान को लेकर अदालत जाने की तैयारी कर ली गई है।

सूत्रों का कहना है कि मप्र वक़्फ़ बोर्ड क़ी सम्पति पंजीयन क्रमांक-165/192 पर रजिस्टर्ड होकर मध्यप्रदेश असाधारण राजपत्र दिनांक 25/8/1989 में प्रकाशित एवं अधिसूचित 40 खसरो वाली वक़्फ़ सम्पति रकबा 16.235 हेक्टयर वक़्फ़ इस्लामिया मदरसा व स्कूल कुरवाई ज़िला विदिशा क़ी सम्पति सर्वे नंबर कुल 19 किता रकबा 4.633 हैक्टेयर 7 करोड़, 77 लाख, 92 हजार 400 क़ी लागत क़ी वक़्फ़ क़ी ज़रखेज़, सिंचित, उपजाऊ ज़मीन को देकर उसके बदले में बंजर बेकार ऊबड़ खाबड़, असिंचित ज़मीन वक़्फ़ के खाते में डाल दी गई।मुतवल्ली ज़फर अली खान को दिनांक 26/06/2010 को विनिमय का आदेश करते मध्यप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी दाऊद अहमद खान

ने अपने कार्यकाल में यह कारनामा किया था। 

 

अधिनियम के खिलाफ फैसला

सूत्रों का कहना है कि दाऊद अहमद खान द्वारा वक़्फ़ अधिनियम 1995 संशोधित अधिनियम 2013 क़ी धारा 51 के अनुसार बोर्ड क़ी अनुज्ञा के बिना वक़्फ़ सम्पति का अन्य संक्रांमण (Alienation) शून्य होगा। धारा-51 के अनुसार वक़्फ़ विलेख में अंतर निहित किसी बात के होते हुए भी किसी अचल सम्पति का हिबा, विक्रय, विनिमय अथवा बंधक जो वक़्फ़ सम्पति है शून्य होगा, जब तक कि ऎसी हिबा, विक्रय, विनिमय अथवा बंधक वक़्फ़ बोर्ड क़ी पूर्व अनुज्ञा के बिना प्रभावी नहीं किया जा सकता। वक़्फ़ अधिनियम क़ी धारा 51 व 32 में विनिमय के सम्बन्ध में स्पष्ट प्रावधान है, जिसके अनुसार ऐसे निर्णय दो तिहाई बहुमत से पारित होना चाहिये व बिना बोर्ड क़ी अनुमति के विनिमय नहीं किया जाना चाहिये। परन्तु इस प्रकरण में प्रथम विनिमय बिना बोर्ड के अनुमति के पद का दुरूपयोग करते और अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर अवैध रूप से कर दिया गया।

किया पद का दुरुपयोग

तत्कालीन वक़्फ़ बोर्ड सीईओ दाऊद अहमद खान द्वारा पत्र क्रमांक 10/4777-78 भोपाल दिनांक 22/6/2010 को उपरोक्त वक़्फ़ इस्लामिया मदरसा स्कूल कुरवाई के मुतवल्ली ज़फर अली खान वल्द नवाब सरदार अली खान को अच्छी और घटिया दोनों किस्म क़ी भूमियों क़ी अदला-बदली क़ी स्वीकृति प्रदान करते हुए अपने पदीय हैसियत का दुरूपयोग किया। उन्होंने क्षेत्रधिकार से बाहर जाते वक़्फ़ अधिनियम क़ी धारा 51-(1) एवं धारा 32 (जे) के सुसंगत प्रावधानो का उल्लंघन करते हुए वक़्फ़ सम्पति को खुर्द -बुर्द करते वक़्फ़ बोर्ड को 8 करोड़ क़ी राजस्व हानि पंहुचाई है।

  

जारी हुई विभागीय जांच

इसी श्रृंखला में पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, मंत्रालय वल्लभ भवन पत्र क्रमांक-एफ- 4-3/2014/54-1 भोपाल दिनांक 09 जून 2014 को अपर सचिव मध्यप्रदेश शासन द्वारा दाऊद अहमद खान को वक़्फ़ बोर्ड को 8 करोड़ रुपये क़ी भारी भरकम राशि का नुकसान पहुँचाने पर विभागीय जाँच का आरोप पत्र जारी करते हुए जहां पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम, 1966 के नियम 12 (2) एवं 13 (1) के अधीन अनुशासनिक प्राधिकारी यथा राज्य शासन उक्त नियमों के नियम 14 (3) के अन्तर्गत आरोप अधिरोपित करने के साथ साथ पत्र में निर्देशित किया गया है। दाऊद अहमद खान के उपरोक्त अवैध एवं क्षेत्रधिकार विहीन कृत्य से मध्यप्रदेश वक़्फ़ बोर्ड को गंभीर आर्थिक हानि पहुंची, जिसके लिये आपने अपने आप को मध्यप्रदेश सिविल सेवा (आचरण नियम) 1965 के नियम -3 के विपरीत कदाचरण करते हुए मध्यप्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 के नियम 14 के अंतर्गत अनुशासनात्मक कार्यवाही का भागी बना लिया है।

   

मामला EOW में लंबित

वक़्फ़ भूमि क़ी अदला-बदली कर वक़्फ़ बोर्ड को 8 करोड़ का नुक्सान पहुँचाने के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ द्वारा जाँच उपरांत यह प्रकरण मध्यप्रदेश शासन क़ी मंज़ूरी न मिलने से अभी प्रतीक्षारत है। 22 दिसम्बर 2014 को अपर मुख्य सचिव मध्यप्रदेश शासन पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने सामान्य प्रशासन विभाग से अभियोजन चलाने की स्वीकृति हेतु पत्र लिखा था। इसकी अभियोजन क़ी मंज़ूरी में रूकावट इसलिए भी आ रही है कि दाऊद अहमद के साथ इस प्रकरण में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी और तत्कालीन विदिशा कलेक्टर योगेंद्र शर्मा के साथ साथ मरहूम गुफरान ए आज़म पूर्व वक़्फ़ बोर्ड अध्यक्ष एवं मोईन खान सहित तत्कालीन वक़्फ़ बोर्ड संचालक मंडल पर आरोप कारित किये गये है। अभियोजन क़ी स्वीकृति 10 साल से प्रतीक्षारत है।  

दाखिल हुई पिटिशन

वक़्फ़ के जानकार 10 साल से रुके इस प्रकरण में अभियोजन क़ी स्वीकृति करवाने माननीय मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के समक्ष पिटीशन दायर करते वक़्फ़ को 8 करोड़ का नुकसान पहुँचाने वाले आरोपियों क़ी जल्द से जल्द सलाखो के पीछे जेल भेजनें योजना क़ी अमली जामा पहनाते इसी माह में अमल में लाते पिटीशन दायर करने क़ी तैयारी में जुट गए हैं।

लगे हैं बचने की जुगत में 

कई वर्षों पहले सेवानिवृत्त हो चुके पूर्व सीईओ दाऊद अहमद मप्र वक्फ बोर्ड गठन में अहम भूमिका निभा चुके हैं। शुरुआती दौर में उन्हें इस चुनाव के लिए रिटर्निंग अफसर भी बनाया गया था, लेकिन इस पर उठी आपत्ति के बाद अदालत ने उन्हें इस जिम्मेदारी से हटा दिया था। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड गठन के बाद से ही दाऊद अहमद लगातार बोर्ड दफ्तर में सेवाएं दे रहे हैं। बिना किसी अधिकृत आदेश या स्वीकृत पद के वे बोर्ड के जरूरी फैसलों में दखल रखने के अलावा कई विशेष फाइलों की ड्राफ्टिंग में भी भूमिका निभा रहे हैं। सूत्रों का यह भी कहना है कि वे बिना अधिकार कई फाइलों पर मौजूदा सीईओ के फर्जी हस्ताक्षर करने से भी नहीं चूक रहे हैं। सेवानिवृत्त अधिकारी के बोर्ड में बैठने और कामों में दखल रखने को लेकर बोर्ड जिम्मेदारों के पास भी कोई माकूल जवाब मौजूद नहीं है। हालांकि उनकी मौजूदगी को उनके कार्यकाल में हुए घोटालों की फाइलों को ठिकाने लगाने की जुगत माना जा रहा है।

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भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट