दुआ के साथ उर्से अजमली का समापन
सम्भल मरकज़ी मदरसा अहले सुन्नत अजमल उल उलूम के संस्थापक हज़रत मुफ़्ती अजमल शाह क़ादरी का 63 वां उर्स पूरी शान से मनाया गया।
आज क़ुल शरीफ़ की तक़रीब में हज़ारों अकीदतमंदों की भीड़ जमा हुई। प्रोग्राम का आग़ाज़ क़ुरआने पाक की तिलावत से क़ारी सरताज ने किया। दिलकश अजमली ने हम्द और वासिफ़ अजमली महमूद अजमली ने नाते पाक पेश की। सैफ़ुल्लाह सुल्तानी व असद अशरफ़ी ने मनक़बत का नज़राना पेश किया। मुरादाबाद से आए हज़रत सय्यद बख्तियारूद्दीन नईमी ने कहा मुफ़्ती अजमल शाह क़ादरी शहर सम्भल में नहीं बल्कि अपने वक़्त में पूरे हिन्दुस्तान के बहुत बड़े आलिम थे बड़े मुफ़्ती थे। सदरुल अफाज़िल हज़रत सय्यद नईमुद्दीन मुरादाबादी के शागिर्द हैं आपको अपने उस्ताद से बहुत लगाव था और उस्ताद भी अपने इस ख़ुसूसी शागिर्द को ख़ूब नवाज़ते थे। एक बार मुफ़्ती अजमल शाह ने मदीना शरीफ़ में एक ग़ैर मुक़ललिद से मुनाज़िरा किया और उसको वहीं की भाषा अरबी भाषा में ही उसको हराया।
मुफ़्ती आलम नूरी ने कहा कि मरकज़ी मदरसा अहले सुन्नत अजमल उल उलूम कल भी मरकज़ था आज भी भी मरकज़ है और इंशाअल्लाह कल भी मरकज़ ही रहेगा। कुछ लोग मरकज़ को ख़त्म करना चाह रहे हैं मरकज़ पर उंगली उठा रहे हैं, याद रहे हम अगर ख़ामोश हैं इसका मतलब यह नहीं कि हम जवाब नहीं दे सकते।
ईदगाह की इमामत का चयन ग़लत तरीके से किया गया है, जो अहल नहीं है उसको इमाम बना दिया गया है। याद रहे मरकज़ से ही सभी चीज़ों का एलान किया जाता है मरकज़ से ही पूरे ज़िले का निज़ाम चलता है इसीलिए आज मरकज़ ईदगाह की इमामत के लिए बहुत ही क़ाबिल शख़्स जो हाफ़िज़ क़ारी आलिम है यानी मौलाना क़ारी राशिद साहब को हम उलमा और आले रसूल की मौजूदगी में ईदगाह का इमाम बना रहे हैं। शहर मुफ़्ती और आले रसूल व सामाजिक और राजनीतिक लोगों ने पगड़ी बांधकर ईदगाह की इमामत पर मुहर लगाई।
क़ारी वसी अशरफ़ ने कहा कि हम पिछले साल से मरकज़ में हज कैम्प लगा रहे हैं जिसमें सभी काम बिल्कुल निःशुल्क किये जा रहे हैं लेकिन कुछ लोग बाहर बैठकर शहर में झूठ फैला रहे हैं कि यहाँ पैसे खाए जाते हैं। शहर में कोई भी हाजी यह नहीं बता सकता कि उससे यहाँ पर किसी ने पैसे माँगे हों बल्कि हाजी ख़ुद अपनी मर्ज़ी से मदरसे को जो चाहे दे जाता है।
बनारस से आए दूसरे मुख्य वक्ता मुफ़्ती आसिफ़ मिस्बाही ने कहा कि मुफ़्ती अजमल शाह बहुत बड़े विद्वान थे, मैं मॉरीशस में रहा वहाँ भी किसी को अगर कोई मसला पेश आता है तो लोग हज़रत मुफ़्ती अजमल शाह साहब के फ़तावा अजमलिया से मसले का हल तलाश करते हैं। मुफ़्ती अजमल शाह को कभी दुनियावी माल का लालच नहीं रहा आज से सौ साल पहले एक बार निज़ाम हैदराबाद ने शाह साहब को ख़त भेजा और हैदराबाद आने को कहा जिसके बदले 500 रुपये तनख़्वाह और चारमीनार पर सौ दुकानें देने का वादा किया। लेकिन शाह साहब ने सम्भल नहीं छोड़ा अपने लोगों के लिए यहाँ ही रहे और लोगों को इल्म के लिए मरकज़ बनाया।
उर्स में मुफ़्ती अजमल शाह की लिखी अजमली निज़ामे शरीयत का रस्मे इजरा आले रसूल के हाथों हुआ।मौलाना ज़ीशान अजमली मौलाना गुल अजमली ने भी तक़रीर की। सलातो सलाम के बाद क़ारी तनज़ीम अशरफ़ अजमली ने मुल्क व क़ौम की सलामती के लिए दुआ करायी।
पूरे प्रोग्राम की व्यवस्था तक़ी अशरफ़ एडवोकेट गुलवेज़ क़मर अशरफ़ रज़ा ने संभाली।
मोहल्ला खग्गू सराय के सरफ़राज़ अजमली और सुब्हान अजमली और बाक़ी लोगों की जानिब से उर्स में आए तमाम लोगों को लंगर खिलाया गया। क़ादरी नौशाही टीम और सरताज साहब की जानिब से चादर पेश की गयी।
प्रोग्राम में साँसद सम्भल ज़ियाउर रहमान बर्क़ चेयरपर्सन पति चौधरी मुशीर मुफ़्ती शाहिद अजमली मुफ़्ती निसार रिज़वी मुफ़्ती इरशाद सय्यद शामी मियाँ सय्यद आमिर मियाँ सय्यद कमाल मियाँ सय्यद माजिद मियाँ मौलाना महबूब मौलाना ज़हीरुल इस्लाम मौलाना नूर आलम क़ारी ग़ुलाम मुदस्सिर, क़ारी मुज्तबा हसन मौलाना शमशाद मौलाना अहमद रज़ा क़ारी हनीफ़ क़ारी मुअज़्ज़म क़ारी बदरे आलम मुरादाबाद मण्डल तथा राजस्थान बिहार बंगाल से बहुत से लोग मौजूद रहे। मदरसा कमेटी से हाजी ज़फ़ीर अहमद सय्यद अब्दुल क़दीर फ़रीद एडवोकेट हाजी नदीम ने आने वाले लोगों का शुक्रिया अदा किया।
Nov 03 2024, 13:46