महाराष्ट्र में महायुति में टकराव, एनसीपी अजित गुट ने नवाब मलिक को दिया टिकट, बीजेपी बोली-दाऊद से लिंक

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए नामांकन की तारीख खत्म हो चुकी है। नामांकन के आखिरी दिन कई उतार चढ़ाव देखने को मिले। इन सबके बीच नवाब मलिक की चर्चा सबसे अधिक हो रही है। अजित पवार की एनसीपी ने बीजेपी के विरोध के बाद भी नवाब मलिक को उम्मीदवार बना दिया। नवाब मलिक ने मुंबई के मानखुर्द के शिवाजीनगर सीट से एनसीपी के टिकट पर पर्चा भरा है। वहीं, पूर्व मंत्री नवाब मलिक की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा और एनसीपी-अजित गुट में टकराव हो गया है।

मंगलवार को नामांकन के आखिरी दिन नवाब मल‍िक ने पहले मुंबई के शिवाजीनगर-मानखुर्द विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय पर्चा भरा लेकिन कुछ ही देर बाद उन्‍हें एनसीपी अज‍ित पवार गुट ने एबी फार्म देकर अपना कैंडिडेट बना दिया। इसके बाद बीजेपी का रुख हमलावर हो गया। मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने बुधवार को कहा- हमारी पार्ट का स्टैंड क्लियर है। हम पहले भी नवाब मलिक की उम्मीदवारी के खिलाफ थे। अब भी उनका समर्थन नहीं करेंगे, क्योंकि उनके दाऊद इब्राहिम से लिंक होने की बात सामने आई थी। यह बात डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही कही है और अब मैं भी यही कह रहा हूं।

मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने कहा कि नवाब मलिक के लिए प्रचार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। हमारा मानना है कि महायुति के सभी सहयोगियों को अपने उम्मीदवार घोषित करने का अधिकार है, लेकिन नवाब मलिक को लेकर भाजपा का रुख साफ है। महायुति की ओर से यह सीट शिवसेना शिंदे गुट को दी गई है और सुरेश पाटिल को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने भी पाटिल का समर्थन करते हुए कहा है कि वे मलिक के लिए कैंपेन नहीं करेंगे।

वहीं, भाजपा नेता किरीट सोमैया ने बुधवार को नवाब मलिक को आतंकी करार दिया। बता दें कि यह सीट पहले बीजेपी नेता किरीट सोमैया के पास थी लेकिन इस बार इसी सीट पर शिवसेना शिंदे गुट के सुरेश कृष्णराव पाटिल को महायुति को 'आधिकारिक' उम्मीदवार बनाया गया है। जिसके बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट किया और कहा कि मानखुर्द शिवाजी नगर सीट के लिए महायुति के आधिकारिक उम्मीदवार सुरेश कृष्ण पाटिल (बुलेट पाटिल) हैं। किरीट सोमैया ने अपने ट्वीट में आगे लिखा, हम वोट जिहाद, आतंकवाद का समर्थन करने वाले उम्मीदवारों को हराने के लिए लड़ेंगे।

नवाब म‍ल‍िक के महायुत‍ि का उम्‍मीदवार बन जाने से उद्धव ठाकरे की पार्टी को बीजेपी पर हमला करने का मौका मिल गया। एनसीपी उद्धव गुट की नेता प्र‍ियंका चतुर्वेदी ने एक्‍स पर ल‍िखा, दाऊद का साथी अब देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार का दोस्‍त होगा. उनकी पार्टी से चुनाव लड़ेगा। पेट्रोट‍िज्‍म का सर्टिफ‍िकेेट बांटने वाले आख‍िर कहा हैं?

प्रियंका ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि हाहाहाहाहा! आशीष शेलार कहते हैं, भाजपा नवाब मलिक के लिए प्रचार नहीं करेगी, लेकिन उनकी उम्मीदवारी का विरोध भी नहीं करेगी। पाखंड और झूठ की पार्टी! फुसकी फटाका!

पाकिस्तान, सऊदी समेत 25 मुस्लिम देश हो रहे एकजुट, मिलकर बनाएंगे 'मुस्लिम नाटो', भारत पर क्या होगा असर?*
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आपने नाटो का नाम सुना ही होगा। नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन। ये एक ऐसा संगठन है जिसमें यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 32 सदस्य हैं। इनमें ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और तुर्किए शामिल हैं। इनका मकसद एक दूसरे की सामरिक मदद करना है। अब कुछ मुस्लिम देश भी इसी तर्ज पर एकजुट होने की कोशिश में लगे हैं।आतंकवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए 25 से ज्यादा मुस्लिम देश नाटो की तर्ज पर एक संगठन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका नाम इस्लामिक नाटो और मुस्लिम नाटो हो सकता है। करीब 9 साल पहले दिसंबर 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन (IMCTC) नाम की संस्था बनाई गई थी।आतंकवाद के खिलाफ एशिया और अफ्रीका के 42 मुस्लिम देशों ने इसे बनाया।आज भी एक्टिव है ये संस्था। इस बीच दुनिया के 25 ताकतवर मुस्लिम देश मिलकर नाटो जैसा मिलिट्री अलायंस बनाने की कोशिश कर रहे हैं।सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्किए, मिस्त्र, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, बहरीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मलेशिया जैसे 10 बड़े मुस्लिम बहुमत वाले देश नए ‘मुस्लिम नाटो’ के कोर मेंबर यानी मुख्य सदस्य हो सकते हैं। *...दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा* इनके अलावा इंडोनेशिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और लीबिया इन 10 देशों को ‘मुस्लिम नाटो’ का प्रमुख पार्टनर देश बनाया जा सकता है। कोर मेंबर और पार्टनर देशों के अलावा ‘मुस्लिम नाटो’ में 5 और देशों को सदस्य बनाया जा सकता है। अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ब्रुनेई ‘मुस्लिम नाटो’ के एसोसिएट सदस्य हो सकते हैं।ऐसा हुआ तो नाटो के बाद ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा।10 कोर मेंबर, 10 पार्टनर देश और 5 एसोसिएट सदस्य, यानी कुल 25 देशों की सेनाओं के बीच दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन हो सकता है। *क्या है इसके निर्माण के पीछे का मकसद?* नाटो की तरह संगठन बनाने के पीछे का मकसद ये है कि ये मुस्लिम देश मिलकर आतंकवाद रोधी ऑपरेशंस को अंजाम देंगे। अपनी-अपनी सेना को मॉडर्न बनाने के लिए एक-दूसरे की मदद करेंगे। अपने सदस्य देशों की आंतरिक स्थिरता के लिए बाहरी मुश्किलों से लड़ेंगे। हालांकि, कूटनीति के जानकारों को लगता है कि इनका मकसद एक दूसरे से खुफिया जानकारी शेयर करना और इस्लामिक एकजुटता को बढ़ावा देना है। *‘मुस्लिम नाटो’ एर्दोआन के दिमाग की उपज* मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले देशों के बीच नाटो जैसे सैन्य गठबंधन का विचार तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन का है। ऐसा करके एर्दोआन अरब देशों में सबसे शक्तिशाली और मुस्लिम दुनिया का खलीफा बनाना चाहते हैं। कुछ दिन पहले एर्दोआन ने तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल में इस्लामिक स्कूल एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए ‘मुस्लिम नाटो’ की पूरी योजना का खुलासा किया था। एर्दोआन ने कहा था, इजराइली अहंकार, इजराइली डाकुओं और इजराइली सरकार समर्थित आतंकवाद को रोकने वाला इकलौता जवाब इस्लामिक देशों के बीच सैन्य गठबंधन है। हमें ‘मुस्लिम नाटो’ बनाना होगा। ‘मुस्लिम नाटो’ बनाने के लिए एर्दोआन हर उस मुस्लिम देश से संपर्क कर रहे हैं। जिसे लगता है कि इजराइल उनके लिए खतरा बन सकता है। एर्दोआन ने इसी महीने मिस्त्र और सीरिया से संपर्क किया है। पिछले हफ्ते ही एर्दोआन ने अंकारा में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की मेजबानी की। तुर्किए और मिस्त्र के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पिछले 12 साल में ये पहला मौका था, जब कोई मिस्र का राष्ट्रपति तुर्की पहुंचा था। एर्दोआन ने आपसी मतभेद भुलाकर अल सिसी के साथ ‘मुस्लिम नाटो’ को लेकर चर्चा की। *भारत पर क्या होगा असर?* अब सवाल ये है कि अगर 25 मुस्लिम देश अपने तमाम मतभेद भुलाकर मुस्लिम नाटो बनाने में कामयाब रहे, तो ये ग्रुप भारत को कैसे प्रभावित कर सकता है। जाहिर है कि मुस्लिम नाटो अगर वजूद मे आया, तो वहां आतंकवाद के पाकिस्तान जैसे समर्थक देश भारत को आतंकवाद की आग में झोंकने का प्रयास कर सकता है। इस संगठन के अस्तित्व में आने से कश्मीर विवाद को हवा मिल सकती है क्योंकि ये संगठन पाकिस्तान के पक्ष में दबाव बनाने का प्रयास कर सकता है।इसके साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा होगा क्योंकि मुस्लिम नाटो से पाकिस्तान को मजबूती मिल सकती है।
पाकिस्तान, सऊदी समेत 25 मुस्लिम देश हो रहे एकजुट, मिलकर बनाएंगे 'मुस्लिम नाटो', भारत पर क्या होगा असर?

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आपने नाटो का नाम सुना ही होगा। नाटो यानी नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन। ये एक ऐसा संगठन है जिसमें यूरोप और उत्तरी अमेरिका के 32 सदस्य हैं। इनमें ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन और तुर्किए शामिल हैं। इनका मकसद एक दूसरे की सामरिक मदद करना है। अब कुछ मुस्लिम देश भी इसी तर्ज पर एकजुट होने की कोशिश में लगे हैं।आतंकवाद और अन्य चुनौतियों से निपटने के लिए 25 से ज्यादा मुस्लिम देश नाटो की तर्ज पर एक संगठन बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसका नाम इस्लामिक नाटो और मुस्लिम नाटो हो सकता है।

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करीब 9 साल पहले दिसंबर 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन (IMCTC) नाम की संस्था बनाई गई थी।आतंकवाद के खिलाफ एशिया और अफ्रीका के 42 मुस्लिम देशों ने इसे बनाया।आज भी एक्टिव है ये संस्था। इस बीच दुनिया के 25 ताकतवर मुस्लिम देश मिलकर नाटो जैसा मिलिट्री अलायंस बनाने की कोशिश कर रहे हैं।सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्किए, मिस्त्र, संयुक्त अरब अमीरात, जॉर्डन, बहरीन, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और मलेशिया जैसे 10 बड़े मुस्लिम बहुमत वाले देश नए ‘मुस्लिम नाटो’ के कोर मेंबर यानी मुख्य सदस्य हो सकते हैं।

...दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा

इनके अलावा इंडोनेशिया, ईरान, इराक, ओमान, कतर, कुवैत, मोरक्को, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया और लीबिया इन 10 देशों को ‘मुस्लिम नाटो’ का प्रमुख पार्टनर देश बनाया जा सकता है। कोर मेंबर और पार्टनर देशों के अलावा ‘मुस्लिम नाटो’ में 5 और देशों को सदस्य बनाया जा सकता है। अजरबैजान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और ब्रुनेई ‘मुस्लिम नाटो’ के एसोसिएट सदस्य हो सकते हैं।ऐसा हुआ तो नाटो के बाद ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन होगा।10 कोर मेंबर, 10 पार्टनर देश और 5 एसोसिएट सदस्य, यानी कुल 25 देशों की सेनाओं के बीच दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य गठबंधन हो सकता है।

क्या है इसके निर्माण के पीछे का मकसद?

नाटो की तरह संगठन बनाने के पीछे का मकसद ये है कि ये मुस्लिम देश मिलकर आतंकवाद रोधी ऑपरेशंस को अंजाम देंगे। अपनी-अपनी सेना को मॉडर्न बनाने के लिए एक-दूसरे की मदद करेंगे। अपने सदस्य देशों की आंतरिक स्थिरता के लिए बाहरी मुश्किलों से लड़ेंगे। हालांकि, कूटनीति के जानकारों को लगता है कि इनका मकसद एक दूसरे से खुफिया जानकारी शेयर करना और इस्लामिक एकजुटता को बढ़ावा देना है।

‘मुस्लिम नाटो’ एर्दोआन के दिमाग की उपज

मुस्लिम बहुल जनसंख्या वाले देशों के बीच नाटो जैसे सैन्य गठबंधन का विचार तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन का है। ऐसा करके एर्दोआन अरब देशों में सबसे शक्तिशाली और मुस्लिम दुनिया का खलीफा बनाना चाहते हैं। कुछ दिन पहले एर्दोआन ने तुर्किए की राजधानी इस्तांबुल में इस्लामिक स्कूल एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए ‘मुस्लिम नाटो’ की पूरी योजना का खुलासा किया था। एर्दोआन ने कहा था, इजराइली अहंकार, इजराइली डाकुओं और इजराइली सरकार समर्थित आतंकवाद को रोकने वाला इकलौता जवाब इस्लामिक देशों के बीच सैन्य गठबंधन है। हमें ‘मुस्लिम नाटो’ बनाना होगा।

‘मुस्लिम नाटो’ बनाने के लिए एर्दोआन हर उस मुस्लिम देश से संपर्क कर रहे हैं। जिसे लगता है कि इजराइल उनके लिए खतरा बन सकता है। एर्दोआन ने इसी महीने मिस्त्र और सीरिया से संपर्क किया है। पिछले हफ्ते ही एर्दोआन ने अंकारा में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की मेजबानी की। तुर्किए और मिस्त्र के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं। पिछले 12 साल में ये पहला मौका था, जब कोई मिस्र का राष्ट्रपति तुर्की पहुंचा था। एर्दोआन ने आपसी मतभेद भुलाकर अल सिसी के साथ ‘मुस्लिम नाटो’ को लेकर चर्चा की।

भारत पर क्या होगा असर?

अब सवाल ये है कि अगर 25 मुस्लिम देश अपने तमाम मतभेद भुलाकर मुस्लिम नाटो बनाने में कामयाब रहे, तो ये ग्रुप भारत को कैसे प्रभावित कर सकता है। जाहिर है कि मुस्लिम नाटो अगर वजूद मे आया, तो वहां आतंकवाद के पाकिस्तान जैसे समर्थक देश भारत को आतंकवाद की आग में झोंकने का प्रयास कर सकता है। इस संगठन के अस्तित्व में आने से कश्मीर विवाद को हवा मिल सकती है क्योंकि ये संगठन पाकिस्तान के पक्ष में दबाव बनाने का प्रयास कर सकता है।इसके साथ ही क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा होगा क्योंकि मुस्लिम नाटो से पाकिस्तान को मजबूती मिल सकती है।

पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने की बकरी ईद बंद करने की मांग, कहा- जो दिवाली पर ज्ञान देगा, उसके मुंह में…

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बाबा बागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते है. एक बार फिर उन्होंने कुछ ऐसा बयान दिया है, जिससे वो चर्चा में हैं. दिवाली पर पटाखों बैन करने को लेकर उन्होंने बड़ा बयान दिया है. दिवाली पर पटाखों और दिवाली के दिन जलाए जाने वाले दीयों पर आपत्ति जताने वालों को उन्होंने जयचंद और मूर्ख कहा. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि दिवाली पर जयचंद और मूर्ख चंद ज्ञान देते हैं कि दिवाली पर पटाखे जलाने से प्रदूषण होगा, दीपक जलाने पर तेल, घी जलेगा. जो तुम ज्ञान दिवाली पर देते हो वो ज्ञान बकरी ईद पर देना चाहिए.

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जो लोग दिवाली पर ज्ञान देते हैं, पटाखे जलाने से प्रदूषण हो जाएगा, दीपक जलाए जायेंगे तेल, घी जलाया जाएगा. इतना गरीबों में बांट दो तो भारत का भला हो जाएगा, जो ज्ञान तुम दीपावली पर दे रहे हो वो ज्ञान तुम्हें बकरी ईद पर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि बकरी ईद के दिन इतने बकरे काटे जाते हैं, लाखों की संख्या में जीव हत्या होती है. उसके लिए एक कानून बनना चाहिए की बकरी ईद बंद हो. बकरी ईद पर खर्च होने वाले रूपयों को गरीबों में बांटा जाए, जिस दिन ऐसा होगा तो हम सुधर जाएंगे.

धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि सिर्फ हिंदुओं के त्योहारों पर ही क्यों बयान आता है. जब भी कोई हिंदु त्योहार आता है कोई न कोई स्टेटमेंट जरूर आता है. होली आती है तो कहा जाता है पानी की बर्बादी मत करो, वहां वो सीधे बकरा काट रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, हम पानी बर्बाद कर रहे हैं तो दिक्कत है. धन्य है दोगलों, वो कहते हैं पटाखों से प्रदूषण होता है, और जब एक जनवरी को पूरी दुनिया में करोड़ों लोग पटाखे जलाते हैं तब किसी कोई दिक्कत नहीं होती है. उन्होंने कहा कि पहले ईद बंद करवाओ और एक जनवरी को पटाखा बंद करवाओ. उन्होंने कहा कि हमने सुतली बम खरीद लिया है, जो भी कोई दिवाली पर ज्ञान देगा या दोबारा मुंह चलाएगा तो उसके मुंह में पटाखा रखकर फोड़ देंगे.

पटाखों पर शिवाजी महाराज की तस्वीर देख आगबबूला हुआ मराठा समुदाय, कारोबारियों और प्रशासन को दिया अल्टीमेटम

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देशभर में दीपावली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है, जिसमें पटाखों का भी खास स्थान है। इस बीच, मध्य प्रदेश के इंदौर में कुछ हिंदू संगठनों ने पटाखों के पैकेटों पर छपे देवी-देवताओं और महापुरुषों के चित्रों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। खासकर, जब पटाखों के पैकेट पर शिवाजी महाराज का चित्र देखा गया, तो मराठा समाज के लोग आक्रोशित हो उठे और उन्होंने पटाखा बाजार में जोरदार विरोध किया।

बजरंग दल के पदाधिकारियों का कहना है कि इस तरह के चित्रों के कारण भगवान और महापुरुषों का अपमान होता है। उन्होंने पटाखा कारोबारियों को ऐसे पटाखों की बिक्री न करने की सलाह दी थी, लेकिन इसके बावजूद ऐसे पटाखे बाजार में बिकते रहे। बुधवार रात, मराठा समाज ने शिवाजी महाराज का चित्र देख कर हंगामा किया और पुलिस को शिकायत पत्र भी सौंपा।

इंदौर में शिवराय श्री मराठा समाज के सदस्य पटाखा बाजार पहुंचे और जब उन्होंने देखा कि कुछ पैकेट्स पर श्री छत्रपति शिवाजी का चित्र लगा हुआ है, तो उन्होंने विरोध दर्ज कराया। उन्होंने सभी पटाखा कारोबारियों को चेतावनी दी कि यदि वे इस तरह के पटाखे बेचते रहे, तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इस दौरान, उन्होंने जमकर नारेबाजी की और राजेंद्र नगर पुलिस को एक आवेदन भी दिया।

समाज के सदस्य भूपेंद्र अरसुले ने कहा कि यह बहुत गलत है कि मराठा समाज के आराध्य शिवाजी महाराज का चित्र लगाकर पटाखे बेचे जा रहे हैं। उनका कहना था कि जब लोग पटाखे को घर ले जाएंगे, तो वे उस पर लगे शिवाजी महाराज के चित्र को फाड़ देंगे, जिससे उनका अपमान होगा। इसलिए, उन्होंने इस मुद्दे पर विरोध जताया और कहा कि यदि पटाखा कारोबारियों ने ऐसा करना जारी रखा, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कदम उठाए जाएंगे।

आध्यात्मिक कंटेंट क्रिएटर अभिनव अरोड़ा को लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने दी धमकी, परिवार का सनसनीखेज दावा, मां ने कहा-क्या भक्ति करना उसकी गलती है

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बाल संत के रूप में सोशल मीडिया पर वायरल अभिनव अरोड़ा को लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने जान से मारने की धमकी दी है। अभिनव के परिवार ने सोमवार को इस बात का दावा किया। अभिनव अरोड़ा की मां, ज्योति अरोड़ा ने कहा कि उनके बेटे ने भगवान की भक्ति के अलावा कुछ भी नहीं किया है। फिर उसे इस तरह की धमकियां क्यों दी जा रही हैं। ज्योति ने कहा कि पहले हमारे पास एक कॉल आई थी, जिसे मैंने मिस कर दिया। इसके बाद लॉरेंस बिश्नोई गैंग से वॉट्सऐप एक मैसेज आया, जिसमें कहा गया है कि वह लोग अभिनव को जान से मार देंगे। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के जरिए भी हमारे परिवार के ऊपर काफी ज्यादा दबाव बनाया जा रहा है। बता दें कि अभिनव अरोड़ा एक आध्यात्मिक कंटेंट क्रिएटर है। दिल्ली के रहने वाले अभिनव की उम्र दस साल है। उनका दावा है कि वह तीन साल की उम्र से ही भक्ति के रास्ते पर चल रहे हैं।

हाल ही में स्वामी रामभद्राचार्य ने अभिनव अरोड़ा को अपने मंच से उतार दिया था। अभिनव वहां पर भक्ति गीत पर नृत्य कर रहे थे। इसके बाद अभिनव को सोशल मीडिया पर काफी ज्यादा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। इस घटना के बाद अभिनव की भक्ति और आध्यात्म पर भी लोग सवाल उठा रहे हैं। कुछ लोग उनकी भक्ति प्रदर्शन के पीछे के मकसद पर भी सवाल उठा रहे हैं। बता दें कि बाद में रामभद्राचार्य ने वजह भी बताई थी कि उन्होंने अभिनव को मंच से नीचे क्यों उतारा था।

बता दें कि अभिनव ने यह भी कहा था कि वह सात यूट्यूबर्स के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का केस करेंगे। कुछ समय पहले ही एक यूट्यूबर ने दो वीडियो पब्लिश किए थे, जिसमें उसने बाल संत को लेकर कई सवाल उठाए थे। उसने दावा किया था कि असल में अभिनव के पिता उससे यह सब करवा रहे हैं। अभिनव अरोड़ा के इंस्टाग्राम पर 9.5 लाख फॉलोवर्स हैं। अपने अकाउंट पर वह हिंदू त्योहारों पर खास वीडियोज शेयर करता है। उसका गणेश विसर्जन का वीडियो भी काफी वायरल हुआ था। इसके अलावा वह मथुरा-वृंदावन और अन्य धार्मिक स्थलों पर भी वीडियो बनाता है।

अभिनव अरोड़ा बिजनेसमैन और टेडएक्स स्पीकर तरुण राज अरोड़ा का बेटा है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी अभिनव को भारत का सबसे युवा आध्यात्मिक वक्ता बता चुके हैं। इसके अलावा बहुत से लोग उसे प्यार से बाल संत कहते हैं और बलराम का रूप बताते हैं। अभिनव का कहना है कि वह श्रीकृष्ण को अपने छोटे भाई के रूप में पूजते हैं। कुछ इंटरव्यूज में अभिनव ने दावा किया उनका रूटीन काफी अनुशासित है। वह सुबह 3.30 बजे उठ जाते हैं और फिर अपने धार्मिक कार्यकलापों में व्यस्त हो जाते हैं।

दिल्ली में घुंट रहा दम, कौन घोल रहा हवा में “जहर”, कहां चूक रहीं केंद्र और दिल्ली सरकार?
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दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट बरकरार है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में है। राजधानी के कई इलाकों का एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी हो रही है। ये हाल दिवाली से पहले के हैं। सवाल है दिवाली से पहले दिल्ली का ये हाल है तो सोचिए दिवाली के अगले दिन राजधानी में क्या होगा? सर्दियों के शुरू होते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली और इसके आसपास के लोग क़रीब तीन महीने तक एक तरह के गैस चैंबर में ज़हरीली हवा के बीच सांस लेने को मजबूर होते हैं। पिछले कुछ सालों की तरह इस बार भी दिल्ली में धुंध की परत ने आसमान को इस कदर घेर लिया है कि सांस लेना दूभर होता जा रहा है। दिल्ली लगातार प्रदूषण के टॉप -10 शहरों में बना हुआ है। दिल्ली इसमें खराब हवा के साथ तीसरे नंबर पर है। प्रदूषण के मामले में दिल्ली का आनंद विहार आज भी टॉप पर बना हुआ है। सुबह 5.30 बजे आनंद विहार का AQI 352 दर्ज किया गया, जबकि सुबह 6 बजे ये 351 रहा, जो कि बहुत ही खराब है। दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट कई बार नाराज़गी जता चुका है। केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली और आसपास की राज्य सरकारें अलग-अलग दावे करती रही हैं। एक बार फिर राजधानी की जहरीली होती हवा को लेकर अब सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। बीजेपी ने इसके लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार बताया है जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा है कि बीजेपी शासित राज्यों की वजह से ऐसा हो रहा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर काम करने वाले सीएक्यूएम यानी 'द कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट' के मुताबिक दिल्ली में पूरे साल प्रदूषण होता है, लेकिन यह सर्दियों में ज़्यादा नज़र आता है। सर्दियों में कम तापमान, हवा नहीं चलने और बारिश नहीं होने से प्रदूषण करने वाले कण ज़मीन की सतह के क़रीब काफ़ी कम इलाक़े में जमा हो जाते हैं। क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया के निदेशक संजय वशिष्ठ के मुताबाकि देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की कई वजहें हैं जिनमें निजी वाहनों की बड़ी तादाद, दिल्ली में निर्माण कार्य की बड़ी भूमिका है, इसमें पराली (खेतों में फसलों के अवशेष) जलाना भी शामिल है। डीपीसीसी यानी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की वेबसाइट के मुताबिक़ दिल्ली में सर्दियों के दौरान पीएम-2.5 को बढ़ाने में बायोमास को जलाने का सबसे बड़ा योगदान रहा जो 25 फ़ीसदी के बराबर है। इसमें पराली जलाना भी शामिल है। सीएक्यूएम के मुताबिक़ सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए जो कदम उठाए हैं उसका असर हुआ है और प्रदूषण का औसत स्तर 2016 के मुक़ाबले कम हुआ है। हालाँकि अक्तूबर महीने के आसपास दिवाली और पराली की वजह से कुछ दिनों के लिए यह ज़रूर बढ़ जाता है। बता दें कि मशीनों से खेती की लागत कम होती है और मज़दूरों की ज़रूरत भी कम हो जाती है। इससे खेती में पशुओं की ज़रूरत ख़त्म हो गई और अब उन्हें खिलाने के लिए पराली की ज़रूरत नहीं पड़ती है।वहीं, एक फसल के बाद दूसरी फसल के लिए खेतों को जल्दी तैयार करना पड़ता है, इसलिए पराली को जला दिया जाता है। दिल्ली की इस हालत और प्रदूषण के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार तीखी टिप्पणी कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है। कोर्ट ने प्रदूषण को संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीने के अधिकार के ख़िलाफ़ माना है, तो ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ एक्शन ज़रूरी है। उनका मानना है पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या में अचानक बढ़ोतरी होती है और ऐसा करना अपराध है तो इस तरह के अपराध करने वालों को कोई सरकारी लाभ नहीं मिलना चाहिए। डीपीसीसी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण के पीछे दूसरे नंबर पर वाहनों का योगदान होता है और यह क़रीब 25 फ़ीसदी है। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में आने वाली डीज़ल बसों की वजह से दिल्ली में प्रदूषण पर असर पड़ता है। उनका कहना है, दिल्ली में अब सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में डीज़ल बसें अभी भी आनंद विहार और कौशांबी डिपो पर चल रही हैं।
दिल्ली में घुंट रहा दम, कौन घोल रहा हवा में “जहर”, कहां चूक रहीं केंद्र और दिल्ली सरकार?
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दिल्लीवासियों की सांसों पर संकट बरकरार है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में एक्यूआई बहुत खराब श्रेणी में है। राजधानी के कई इलाकों का एक्यूआई 300 के पार दर्ज किया गया है। प्रदूषण का स्तर बढ़ने से लोगों को आंखों में जलन व सांस लेने में परेशानी हो रही है। ये हाल दिवाली से पहले के हैं। सवाल है दिवाली से पहले दिल्ली का ये हाल है तो सोचिए दिवाली के अगले दिन राजधानी में क्या होगा? सर्दियों के शुरू होते ही दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। सर्दियों की दस्तक के साथ ही दिल्ली और इसके आसपास के लोग क़रीब तीन महीने तक एक तरह के गैस चैंबर में ज़हरीली हवा के बीच सांस लेने को मजबूर होते हैं। पिछले कुछ सालों की तरह इस बार भी दिल्ली में धुंध की परत ने आसमान को इस कदर घेर लिया है कि सांस लेना दूभर होता जा रहा है। दिल्ली लगातार प्रदूषण के टॉप -10 शहरों में बना हुआ है। दिल्ली इसमें खराब हवा के साथ तीसरे नंबर पर है। प्रदूषण के मामले में दिल्ली का आनंद विहार आज भी टॉप पर बना हुआ है। सुबह 5.30 बजे आनंद विहार का AQI 352 दर्ज किया गया, जबकि सुबह 6 बजे ये 351 रहा, जो कि बहुत ही खराब है। दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट कई बार नाराज़गी जता चुका है। केंद्र सरकार से लेकर दिल्ली और आसपास की राज्य सरकारें अलग-अलग दावे करती रही हैं। एक बार फिर राजधानी की जहरीली होती हवा को लेकर अब सत्ताधारी आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया है। बीजेपी ने इसके लिए मौजूदा सरकार को जिम्मेदार बताया है जिसके बाद आम आदमी पार्टी ने कहा है कि बीजेपी शासित राज्यों की वजह से ऐसा हो रहा है। दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुद्दे पर काम करने वाले सीएक्यूएम यानी 'द कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट' के मुताबिक दिल्ली में पूरे साल प्रदूषण होता है, लेकिन यह सर्दियों में ज़्यादा नज़र आता है। सर्दियों में कम तापमान, हवा नहीं चलने और बारिश नहीं होने से प्रदूषण करने वाले कण ज़मीन की सतह के क़रीब काफ़ी कम इलाक़े में जमा हो जाते हैं। क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया के निदेशक संजय वशिष्ठ के मुताबाकि देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण की कई वजहें हैं जिनमें निजी वाहनों की बड़ी तादाद, दिल्ली में निर्माण कार्य की बड़ी भूमिका है, इसमें पराली (खेतों में फसलों के अवशेष) जलाना भी शामिल है। डीपीसीसी यानी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी की वेबसाइट के मुताबिक़ दिल्ली में सर्दियों के दौरान पीएम-2.5 को बढ़ाने में बायोमास को जलाने का सबसे बड़ा योगदान रहा जो 25 फ़ीसदी के बराबर है। इसमें पराली जलाना भी शामिल है। सीएक्यूएम के मुताबिक़ सरकार ने दिल्ली में प्रदूषण को कम करने के लिए जो कदम उठाए हैं उसका असर हुआ है और प्रदूषण का औसत स्तर 2016 के मुक़ाबले कम हुआ है। हालाँकि अक्तूबर महीने के आसपास दिवाली और पराली की वजह से कुछ दिनों के लिए यह ज़रूर बढ़ जाता है। बता दें कि मशीनों से खेती की लागत कम होती है और मज़दूरों की ज़रूरत भी कम हो जाती है। इससे खेती में पशुओं की ज़रूरत ख़त्म हो गई और अब उन्हें खिलाने के लिए पराली की ज़रूरत नहीं पड़ती है।वहीं, एक फसल के बाद दूसरी फसल के लिए खेतों को जल्दी तैयार करना पड़ता है, इसलिए पराली को जला दिया जाता है। दिल्ली की इस हालत और प्रदूषण के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट पहले भी कई बार तीखी टिप्पणी कर चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पराली जलाने पर जुर्माने से संबंधित प्रावधानों को लागू नहीं किया गया है। कोर्ट ने प्रदूषण को संविधान के अनुच्छेद 21 यानी जीने के अधिकार के ख़िलाफ़ माना है, तो ऐसा करने वालों के ख़िलाफ़ एक्शन ज़रूरी है। उनका मानना है पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या में अचानक बढ़ोतरी होती है और ऐसा करना अपराध है तो इस तरह के अपराध करने वालों को कोई सरकारी लाभ नहीं मिलना चाहिए। डीपीसीसी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में प्रदूषण के पीछे दूसरे नंबर पर वाहनों का योगदान होता है और यह क़रीब 25 फ़ीसदी है। दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में आने वाली डीज़ल बसों की वजह से दिल्ली में प्रदूषण पर असर पड़ता है। उनका कहना है, दिल्ली में अब सीएनजी और इलेक्ट्रिक बसें चल रही हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में डीज़ल बसें अभी भी आनंद विहार और कौशांबी डिपो पर चल रही हैं।
सलमान खान को फिर मिली मारने की धमकी, मैसेज कर कहा-दो करोड़ भेज दो, पैसे नहीं मिले तो.
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..* बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। धमकी देने ने दो करोड़ रुपये की मांग की है और पैसे नहीं मिलने पर सलमान को मारने के लिए धमकाया है। बताया जा रहा है कि मंगलवार (29 अकटूबर) को ट्रैफिक कंट्रोल को एक मैसेज आया जिसमें, अज्ञात शख्स ने सलमान खान का जिक्र कर धमकी दी। बता दें कि सलमान खान को बार-बार जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। पिछले कई सालों से ये सिलसिला चल रहा है, लेकिन कुछ महीने पहले जब सलमान के गैलेक्सी अपार्टमेंट पर गोलियां चलाई गईं, तब से ये मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। यह धमकी भरा मैसेज मिलने के बाद मुंबई के वर्ली पुलिस स्टेशन में अज्ञात शख्स के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और पुलिस मामले की जांच में जुट गई है।एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि मैसेज करने वाले ने यह भी कहा कि अगर उसे पैसे नहीं मिले, तो सलमान खान को जान से मार देगा। इससे पहले भी सलमान खान को लगातार जान से मारने की धमकी भरे कॉल और मैसेज आ रहे हैं। हाल ही में मिली एक धमकी के आरोपी को उत्तर प्रदेश के नोएडा से गिरफ्तार किया गया। मुंबई पुलिस आरोपी को पकड़ने के लिए ब्रांदा से नोएडा पहुंची थी। आरोपी युवक की पहचान 20 वर्षीय मोहम्मद तैयब अंसारी के तौर पर हुई थी। जांच में पाया गया कि मोहम्मद तैयब दिल्ली का निवासी है। उसने फोन कर जीशान सिद्दीकी और सलमान खान को मारने की धमकी दी थी। फिलहाल, पुलिस ने उनके फोन को भी सीज कर लिया है। जिसकी जांच जारी है। पुलिस अब उस फोन के जरिए सारी कॉल डिटेल निकाल रही है ताकि आरोपी के बारे में और जानकारी मिल सके। लगातार मिल रही धमकियों और सलमान खान के करीबी और नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद उनकी सुरक्षा में इजाफा कर दिया गया है। सुपरस्टार जहां भी जाते हैं अब अपने काफीले के साथ ही जाते हैं। सलमान और उनके पिता सलीम खान को कई बार धमकियां मिल चुकी हैं। एक के बाद एक धमकियों और हमलों की जिम्मेदारी फेसबुक पोस्ट के जरिए लॉरेंस बिश्नोई के साथी लेते हुए नजर भी आ रहे हैं।
अमित शाह ने लॉन्च किया CRS ऐप, जानें कैसे आएगा आपके काम
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* देश में अगले साल जनगणना होने जा रही है। सरकार ने इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी है।गृहमंत्री अमित शाह ने इसी क्रम में नागरिक पंजीकरण प्रणाली यानि की CRS (Civil Registration System) ऐप लॉन्च किया।इसके जरिए कोई भी व्यक्ति कहीं भी बैठ कर जन्म और मृत्यु का रजिस्ट्रेशन कर सकता है।यह ऐप जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के साथ प्रमाण पत्रों की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी की सम्पूर्ण प्रक्रिया को सहज, तेज और सरल बनाएगा। इस ऐप के लॉन्च होने से किसी भी व्यक्ति को बार बार दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। सेंसेज इंडिया 2021 ने अपने एक्स हैंडल से वीडियो जारी कर सकी जानकारी दी है। इसमें बताया गया है कि कैसे इस ऐप में रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं। इस पोर्टल के जरिए लोगों को जन्म और मृत्यु के प्रमाण पत्र लेना और भी ज्यादा आसान हो जाएगा।सेंसस इंडिया के आधिकारिक हैंडल से बताया गया है कि इस ऐप के जरिए जन्म मृत्यु का रजिस्ट्रेशन आसानी से हो जाएगा। प्रक्रिया के मुताबिक, किसी भी व्यक्ति को जन्म या मृत्यु संबंधी जानकारी और रजिस्ट्रेशन बर्थ या डेथ के 21 दिन के अंदर ऐप पर करना होगा। ऐप के मुताबिक, अगर आप 21 दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन नहीं कर पाते हैं तो फिर अतिरिक्त शुल्क देना होगा। इसके लिए देश के किसी भी आम आदमी को 22 से 30 दिनों के अंदर 2 रुपये शुल्क देना होगा और 31 दिन से एक साल तक 5 रुपये की लेट फीस जमा करानी होगी। इसी के साथ-साथ ज्यादा पुराने प्रमाण पत्रों के लिए 10 रुपये का शुल्क तय किया गया है यानि अधिकतम विलंब शुल्क 10 रुपये होगा।