UN में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पर भड़का भारत, जानें किया कहा

#indiaslamspakistanatunforjammu_kashmir

पाकिस्तान हर बार मुंह की खाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। कश्मीर के मुद्दे पर भारत कई बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लताड़ लगा चुका है, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है। भारत ने अब एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर मुद्दे को उठाने पर पाकिस्तान को जमकर खरी-खोटी सुनाई।भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बहस में कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की और कहा कि उसकी यह हरकत गलत सूचना फैलाने और शरारतपूर्ण उकसावे वाली है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वार्षिक बहस के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया। भारत ने पाकिस्तान के इस प्रयास की निंदा करते हुए दो टूक जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, उस देश का यह प्रयास निंदनीय है, लेकिन इसका पूरी तरह से अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने अपनी आजमाई हुई रणनीति के आधार पर शरारती उकसावे में शामिल होने का विकल्प चुना है।

महिलाओं का हालत पर पाकिस्तान को लताड़ा

हरीश ने कहा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों से संबंधित महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है। यह टिप्पणी यूएनएससी बहस के दौरान पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा जम्मू और कश्मीर का संदर्भ दिए जाने के बाद आई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित एक हजार महिलाएं हर साल अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह का शिकार होती हैं। खैर, मैं और भी बातें कर सकता हूं, लेकिन मैं यहीं खत्म करता हूं।

भारत में महिलाओं की भूमिका का जिक्र

पाकिस्तान को आइना दिखाने के अलावा, राजदूत हरीश ने भारत में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत ने महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, विशेष रूप से शांति स्थापना और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस) एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने पहली बार सभी महिला सैनिकों को तैनात किया है।

शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी

शांति सेना में भारतीय महिलाओं की भागीदारी पर प्रकाश डालते हुए हरीश ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूपीएस एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार सभी महिलाओं वाली पुलिस यूनिट तैनात की, जिसने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में एक मिसाल कायम की। उनके काम को लाइबेरिया और संयुक्त राष्ट्र में जबरदस्त सराहना मिली। उन्होंने कहा कि हमने अपने शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। वर्तमान में दुनिया भर में 100 से अधिक भारतीय महिला शांति सैनिक सेवा दे रही हैं, जिनमें तीन महिला महिला संलग्नता दल भी शामिल हैं।

हरीश ने कहा कि 2023 में, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में सेवा देने वाली मेजर राधिका सेन को यूएन मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह अपनी शानदार पूर्ववर्ती मेजर सुमन गवानी के पदचिन्हों पर चलती हैं, जिन्हें दक्षिण सूडान में यूएन मिशन के साथ उनकी सेवा के लिए मान्यता दी गई थी। उन्हें 2019 में यूएन द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया है, जिस पर उन्होंने जोर दिया कि इसने राजनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्त बनाया है।

UN में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान पर भड़का भारत, जानें किया कहा*
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पाकिस्तान हर बार मुंह की खाने के बाद भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आता। कश्मीर के मुद्दे पर भारत कई बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान को लताड़ लगा चुका है, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आ रहा है। भारत ने अब एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर मुद्दे को उठाने पर पाकिस्तान को जमकर खरी-खोटी सुनाई।भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बहस में कश्मीर मुद्दा उठाने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की और कहा कि उसकी यह हरकत गलत सूचना फैलाने और शरारतपूर्ण उकसावे वाली है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वार्षिक बहस के दौरान पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर का जिक्र किया। भारत ने पाकिस्तान के इस प्रयास की निंदा करते हुए दो टूक जवाब दिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि और राजदूत पार्वथानेनी हरीश ने जवाब देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल किया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, उस देश का यह प्रयास निंदनीय है, लेकिन इसका पूरी तरह से अनुमान लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक प्रतिनिधिमंडल ने अपनी आजमाई हुई रणनीति के आधार पर शरारती उकसावे में शामिल होने का विकल्प चुना है। *महिलाओं का हालत पर पाकिस्तान को लताड़ा* हरीश ने कहा कि हम अच्छी तरह से जानते हैं कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से हिंदुओं, सिखों और ईसाइयों से संबंधित महिलाओं की स्थिति दयनीय बनी हुई है। यह टिप्पणी यूएनएससी बहस के दौरान पाकिस्तान के प्रतिनिधि द्वारा जम्मू और कश्मीर का संदर्भ दिए जाने के बाद आई है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग के आंकड़ों के अनुसार, इन अल्पसंख्यक समुदायों की अनुमानित एक हजार महिलाएं हर साल अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और जबरन विवाह का शिकार होती हैं। खैर, मैं और भी बातें कर सकता हूं, लेकिन मैं यहीं खत्म करता हूं। *भारत में महिलाओं की भूमिका का जिक्र* पाकिस्तान को आइना दिखाने के अलावा, राजदूत हरीश ने भारत में महिलाओं की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि भारत ने महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण प्रगति की है, विशेष रूप से शांति स्थापना और राजनीतिक प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में। उन्होंने कहा कि भारत ने महिला, शांति और सुरक्षा (डब्ल्यूपीएस) एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना में पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने पहली बार सभी महिला सैनिकों को तैनात किया है। *शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी* शांति सेना में भारतीय महिलाओं की भागीदारी पर प्रकाश डालते हुए हरीश ने कहा कि भारत ने डब्ल्यूपीएस एजेंडे को लागू करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है। पांचवें सबसे बड़े सैन्य योगदानकर्ता के रूप में, भारत ने 2007 में लाइबेरिया में पहली बार सभी महिलाओं वाली पुलिस यूनिट तैनात की, जिसने संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में एक मिसाल कायम की। उनके काम को लाइबेरिया और संयुक्त राष्ट्र में जबरदस्त सराहना मिली। उन्होंने कहा कि हमने अपने शांति सेना दलों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाई है। वर्तमान में दुनिया भर में 100 से अधिक भारतीय महिला शांति सैनिक सेवा दे रही हैं, जिनमें तीन महिला महिला संलग्नता दल भी शामिल हैं। हरीश ने कहा कि 2023 में, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में सेवा देने वाली मेजर राधिका सेन को यूएन मिलिट्री जेंडर एडवोकेट ऑफ द ईयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। वह अपनी शानदार पूर्ववर्ती मेजर सुमन गवानी के पदचिन्हों पर चलती हैं, जिन्हें दक्षिण सूडान में यूएन मिशन के साथ उनकी सेवा के लिए मान्यता दी गई थी। उन्हें 2019 में यूएन द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने 2023 में महिला आरक्षण विधेयक पारित किया है, जिस पर उन्होंने जोर दिया कि इसने राजनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं को सशक्त बनाया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: वोटिंग से 10 दिन पहले हैरिस के लिए बुरी खबर, डोनाल्ड ट्रंप ने सर्वे में बनाई बढ़त

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। राष्ट्रपति चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। इस बीच राष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर जारी एक सर्वेक्षण में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के लिए अच्छी खबर आई है। नए सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस पर राष्ट्रीय स्तर पर मामूली ही सही लेकिन बढ़त हासिल की है। ये दावा वॉल स्ट्रीट जर्नल के एक नए सर्वेक्षण में किया गया है। हालांकि ट्रंप को प्रतिद्वन्द्वी हैरिस पर मिली ये बढ़त बहुत बड़ी नहीं है लेकिन काफी महत्वपूर्ण है। इसकी वजह ये है कि बीते कुछ सर्वेक्षणों में हैरिस को ट्रंप पर बढ़त मिल रही थी। ट्रंप ने इस फासले को पाटते हुए बढ़त हासिल की है।

अमेरिकी अखबार द वॉल स्ट्रीट जर्नल के नेशनल सर्वे के मुताबिक, देश के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कमला हैरिस पर दो अंक की बढ़त है। ट्रंप प्रतिद्वन्द्वी हैरिस से दो अंक यानी 47 प्रतिशत से 45 प्रतिशत आगे हैं। सीएनबीसी ऑल-अमेरिका इकोनॉमिक सर्वे के सर्वे में डोनाल्ड ट्रंप की कमला हैरिस पर 48 प्रतिशत से 46 प्रतिशत की बढ़त हैं। अमेरिका के अहम सात राज्यों में ट्रंप हैरिस से 48 प्रतिशत से 47 प्रतिशत आगे हैं।

इन अहम सात राज्यों में ट्रंप आगे

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के बीच राष्ट्रीय स्तर पर कांटे की टक्कर है। हालांकि स्विंग राज्यों में जो उम्मीदवार बढ़त हासिल करेगा वही जीत भी हासिल करेगा। देश के अहम सात राज्यों में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप 0.9 प्रतिशत अंकों से आगे हैं। ये अहम सात राज्य एरिजोना, नेवादा, विस्कॉन्सिन, मिशिगन, पेंसिल्वेनिया, उत्तरी कैरोलाइना और जॉर्जिया हैं। इन राज्यों के बारे में माना जाता है कि यहां के मतदाताओं का रुझान बदलता रहता है।

पहले भी सर्वे में ट्रंप ने बढ़त हासिल की

इससे पहले हाल ही में आए डिसिजन डेस्क हिल के ताजा सर्वेक्षण में भी ट्रंप ने बढ़त हासिल की थी। इस सर्वे में जीत के मामले में डोनाल्ड ट्रंप अब कमला हैरिस से 4 प्रतिशत आगे निकल गए थे। डोनाल्ड ट्रंप के जीत का अनुमान अब 52 प्रतिशत था, वहीं कमला हैरिस के जीतने की संभावना अब केवल 48 फीसदी ही थी।

कमला ने किया जीत का दावा

इस बीच, कमला हैरिस ने एक बार फिर अपनी जीत का दावा किया है। जॉर्जिया में चुनाव प्रचार के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि वह सभी अमेरिकियों की नेता बनने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि वे लोकतंत्र के भविष्य के प्रति सबकी चिंताओं को देख रही हैं। कमला हैरिस ने कहा कि अमेरिकी ऐसा राष्ट्रपति चाहते हैं जो आशावाद के साथ देश का नेतृत्व करे और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करे। इस दौरान उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप पर लोगों की मौलिक स्वतंत्रता छीनने का आरोप लगाया।

अप्रवासियों की संख्या में कटौती करने जा रहा है कनाडा, ट्रूडो के फैसले से कैसे प्रभावित होंगे भारतीय?

#canadajustintrudeaugovtcuttingimmigrationby_20-percent

पिछले कुछ समय से भारत और कनाडा के बीच के संबंधों में खटास आई है। इस बीच कनाडाई प्रधानमंत्री का जस्टिन ट्रूडो ने एक नई घोषणा कर दी है। जो कनाडा में रह रहे अप्रवासी भारतीय लोगों की खासी परेशानी का सबब बन गया है। दरअसल, कनाडा ने अपनी इमिग्रेशन पॉलिसी में अहम बदलाव का ऐलान किया है। कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार के फैसले से अगले तीन वर्षों में (2027 तक) स्थायी और अस्थायी निवासियों की संख्या कम हो जाएगी। इसका भारतीयों पर खासतौर से असर होने जा रहा है, जो कनाडा की अप्रवासी और छात्र आबादी का बड़ा हिस्सा हैं।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर पोस्ट करके कहा कि हम कनाडा में विदेशी कामगारों की संख्या में कमी करने वाले हैं। जिसने भारतीय अप्रवासियों के सामने एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। ट्रूडो ने पोस्ट में आगे लिखा कि, “हम कंपनियों के लिए सख्त नियम लेकर आ रहे हैं, जिससे कि वो यह साबित कर सकें कि वे पहले क्यों पहले कनाडा के कर्मचारियों को नियुक्त नहीं कर सकते।”

कई वर्षों में पहली बार अप्रवासियों में की जा रही भारी कमी

प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की लिबरल सरकार ने कई वर्षों के बाद पहली बार देश में आने वाले अप्रवासियों की संख्या में भारी घटाव करने जा रही है। सीबीसी न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिन ट्रूडो ने 2025 में नए स्थायी निवासियों को घटाकर 3,95,000 करने का फैसला लिया है। वहीं, 2025 में अस्थायी प्रवासियों की संख्या 30,000 घटकर करीब तीन लाख रह जाएगी।

हालांकि, कनाडा के आव्रजन मंत्रालय ने पहले 2025 और 2026 में 500,000 नए स्थायी निवासियों को देश में बसने देने की योजना बनाई थी, लेकिन बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए इसमें संशोधन किया गया है। अब अगले साल के लिए ये संख्या 395,000 और 2026 के लिए 380,000 कर दिया गया है। वहीं, 2027 के लिए यह संख्या 365,000 निर्धारित की गई है।

पहले ही लिया स्टडी परमिट सीमित करने का फैसला

कनाडा के सीएम का यह एलान ऐसे समय में हुआ है जब वहां पहले से ही स्टडी वीजा पर आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को सीमित कर दिया गया है। सरकार इस साल 35 फीसदी कम इंटरनेशनल स्टूडेंट परमिट देगी और उन्होंने आव्रजन प्रणाली का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर नकेल कसने की भी बात कही है। ट्रूडो ने यह भी कहा कि 2025 में इंटरनेशनल स्टडी परमिट की तादाद में अतिरिक्त 10 फीसदी की कमी की जाएगी।सरकार के मुताबिक, कनाडा 2025 में 437,000 स्टजी परमिट जारी करने का प्लान बना रहा है, जो 2024 में जारी किए गए 485,000 परमिट से 10 फीसदी कम है।

इस फैसले के पीछे वजह क्या है?

आप्रवासन में कटौती करने का कनाडा का निर्णय बुनियादी ढांचे के दबाव के चलते लिया गया है। कनाडाई जनता की राय उच्च आप्रवासन स्तर के खिलाफ बदल रही है क्योंकि घरों की कमी बड़ा मुद्दा बन गया है। सरकार के अनुसार, आप्रवासन में कटौती से 2027 तक कनाडा के आवास आपूर्ति अंतर को 6,70,000 यूनिट तक कम किया जा सकता है।बैंक ऑफ मॉन्ट्रियल में अर्थशास्त्र के निदेशक रॉबर्ट कैवसिक ने एक रिपोर्ट में कहा है कि नई आप्रवासन योजना अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे से तनाव कम करेगी जो हाल के वर्षों में कमजोर हो गई है। उन्होंने कहा कि आप्रवासन श्रम अंतराल को भरने के लिए जरूरी है लेकिन इसकी मौजूदा रफ्तार कनाडा के बुनियादी ढांचे से आगे निकल सकती है।

भारतीयों पर क्या होगा असर?

भारत के लोग कनाडा की आप्रवासी और अंतरराष्ट्रीय छात्र आबादी का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ऐसे में इमिग्रेशन में कटौती के नतीजे के तौर पर भारतीयों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। इस बदलाव का कनाडा में पढ़ाई और नौकरी के इच्छुक भारतीय छात्रों पर सबसे ज्यादा होगा। कनाडा के अस्थायी विदेशी कामगार कार्यक्रम (टीएफडब्ल्यूपी) के तहत वर्क परमिट में भारी कटौती और स्टडी परमिट पर सीमा तय होने से नौकरी और नागरिकता की उम्मीद कर रहे भारतीयों के लिए अवसर सीमित हो जाएंगे। ये कटौती आईटी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में भी भारतीयों को प्रभावित करेगी।

जर्मनी ने भारत के लिए खोल दिया पिटारा, रोजगार और तकनीकी के क्षेत्र में किए समझौते*
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जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज भारत दौरे पर हैं, वह 7वें 'इंटरगवर्नमेंटल कंसल्टेशंस' में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार की शाम नई दिल्ली पहुंचे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ से दिल्ली में मुलाकात की।इस दौरान दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का आदान प्रदान किया। इनमें नवाचार व प्रौद्योगिकी पर रोडमैड, रोजगार और श्रम क्षेत्र के एमओयू शामिल हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जर्मन चांसलर से कहा, 'मैं जर्मनी और भारत के सातवें अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) में आपका और आपके प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करता हूं। यह आपका तीसरा भारत दौरा है। सौभाग्य से यह मेरे तीसरे कार्यकाल की पहली आईजीसी है। एक तरह से यह हमारी दोस्ती का ट्रिपल सेलिब्रेशन है। हमने 2022 में बर्लिन में आखिरी आईजीसी में अपने द्विपक्षीय सहयोग पर महत्वपूर्ण फैसले लिए। दो वर्षों में हमारे रणनीतिक संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में उत्साहजनक प्रगति हुई है। रक्षा, प्रौद्योगिकी, उर्जा, हरित और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में बढ़ता सहयोगी आप आपसी भरोसा सहयोग का प्रतीक बन गया है।' प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया तनाव, संघर्ष और अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कानून के शासन और नौवहन की स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। ऐसे समय में भारत और जर्मनी की रणनीतिक साझेदारी एक मजबूत आधार बनकर उभरी है। यह लेन-देन के संबंध नहीं हैं, बल्कि यह दो सक्षम और सशक्त लोकतंत्रों की परिवर्तनकारी साझेदारी है। इस संबंध में, हम आपकी ओर से जारी 'फोकस ऑन इंडिया' रणनीति का स्वागत करते हैं। मुझे खुशी है कि अपनी साझेदारी को विस्तार देने और उसे आगे बढ़ाने के लिए हम कई नई और महत्वपूर्ण पहलें कर रहे हैं। इसके अलावा पीएम मोदी ने जर्मनी के निवेशकों को भारत में निवेश करने का न्योता दिया। उन्होंने कहा, 'निवेश के लिए भारत से बेहतर कोई जगह नहीं है और देश की विकास गाथा का हिस्सा बनने का यह सही समय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनना, ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल में शामिल होने का यह ‘सही’ समय है। यह दौरा जर्मनी के लिए एक नाजुक समय पर हो रहा है। जर्मनी की अर्थव्यवस्था निर्यात पर बहुत अधिक निर्भर है। वह लगातार दूसरे साल गिरावट का सामना कर रही है। यूरोपीय संघ (ईयू) और चीन के बीच व्यापार विवाद जर्मन कंपनियों के लिए एक और चिंता का विषय है।2022 में यूक्रेन युद्ध से पहले सस्ती रूसी गैस पर अपनी निर्भरता के कारण जर्मनी को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद से जर्मनी चीन पर अपनी निर्भरता कम करने की रणनीति पर काम कर रहा है।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और सरकार को फटकारा

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सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने सीबीआई की उस अपील को खारिज कर दिया है, जिसमें बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। दरअसल, हाई कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती, उनके पिता और भाई के खिलाफ जारी किए गए लुक-आउट सर्कुलर को रद्द कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सीबीआई और महाराष्ट्र राज्य पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सिर्फ इसलिए चुनौती देने का आरोप लगाया क्योंकि वो हाई-प्रोफाइल बैकग्राउंड से हैं।इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई पर बड़ी टिप्पणी की है। जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि हम चेतावनी दे रहे हैं। आप सिर्फ इसलिए इतनी ये तुच्छ याचिका दायर कर रहे हैं क्योंकि आरोपियों में से एक हाई-प्रोफाइल व्यक्ति है। इस पर यकीनन बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। इनकी समाज में गहरी जड़ें है। सीबीआई अगर जुर्माना और कुछ कड़ी टिप्पणियां लेना चाहती है तो मामले में बहस करें।

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में साल 2020 में सीबीआई ने रिया चक्रवर्ती उनके भाई और पिता पर लुक आउट सर्कुलर जारी किया था। इसे बॉम्बे हाईकोर्ट ने यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि इसे जारी करने के पीछे कोई खास वजह नहीं है। साथ ही यह भी कहा गया था कि एक्ट्रेस और उनके परिवार ने जांच एजेंसियों के साथ पूरा-पूरा सहयोग किया है।

बता दें, एक्टर सुशांत सिंह राजपूत 14 जून 2020 को बांद्रा के फ्लैट में मृत पाए गए थे। इस मामले में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार पर सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगा, जिसकी जांच मुंबई पुलिस कर रही थी। हालांकि, बाद में यह केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद 2020 में ही सीबीआई ने रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर जारी किया था।बॉम्बे हाई कोर्ट ने फरवरी में रिया चक्रवर्ती और उनके परिवार के खिलाफ जारी सीबीआई का लुक-आउट सर्कुलर को रद्द कर दिया था। इसके बाद सीबीआई ने सर्कुलर लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

कनाडा से लौटे भारत के राजदूत ने खोला ट्रूडो के करतूतों का पिटारा, बताया भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं खालिस्तानी आतंकी?

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कनाडा और भारत में बढ़ते तनाव के बीच वहां से लौटे हाई कमिश्नर संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो का कच्चा चिट्ठा खोला है। संजय वर्मा ने जस्टिन ट्रूडो सरकार पर खालिस्तानियों को पनाह देने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी भारतीय छात्रों को कैसे बरगलाते हैं। वर्मा ने छात्रों और उनके परिवारों को आगाह करते हुए कहा कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी तत्व भारतीय छात्रों को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत-कनाडा के कूटनीतिक संबंध बहुत ही खराब हो चले हैं। हाल ही में कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय हाई कमिश्नर और कुछ दूसरे डिप्लोमैट्स को कनाडाई नागरिक की हत्या में संदिग्ध बताया था। कनाडा के पीएम के इस आरोप के बाद भारत सरकार ने संजय वर्मा को वापस बुला लिया है। कनाडा से वापस लौटे संजय वर्मा ने एक मीडिया संस्थान को इंटरव्यू देते हुए उन्होंने खुलकर बात की कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी कैसे काम करते हैं और भारतीय छात्रों को भर्ती करते हैं।

कनाडा में भारतीय छात्रों को खतरा

संजय वर्मा ने कहा कि इस समय कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादियों और उग्रवादियों से भारतीय समुदाय के 319,000 छात्रों को खतरा है। उन्होंने बताया कि खालिस्तानी आतंकवादी और उग्रवादी भारतीय छात्रों को नौकरी का झांसा देकर अपने नापाक इरादों को पूरा करवाते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ छात्रों को भारतीय कूटनीतिक इमारतों के बाहर विरोध करने, भारत विरोधी नारे लगाने या ध्वज का अपमान करने वाली तस्वीरें और वीडियो बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है, फिर उन्हें शरण लेने के लिए कहा जाता है क्योंकि उनका कहना होगा, अगर वे भारत वापस गए, तो उन्हें दंडित किया जाएगा। ऐसे कई छात्रों को शरण दिए जाने के मामले सामने आए हैं। आगे उन्होंने बताया कि कनाडा में भारतीय छात्रों पर कई प्रकार के नकारात्मक प्रभाव डाले जा रहे हैं, जो उन्हें गलत दिशा की ओर धकेल रहे हैं।

छात्रों के माता-पिता को दी ये सलाह

संजय वर्मा ने आगे कहा कि कनाडा में भारतीय छात्रों को अपने आसपास के बारे में जागरूक होना चाहिए। साथ ही खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों द्वारा कट्टरपंथ के प्रयासों का विरोध करना चाहिए। उन्होंने कनाडा में रहने वाले छात्रों के माता-पिता को सलाह देते हुए अपील कि वे अपने बच्चों से नियमित रूप से बात करें और उनको समझने का प्रयास करें।

मुट्ठीभर खालिस्तानी अच्छे समाज को कर रहे खत्म

वर्मा ने आगे कहा, हमें ये समझने की जरूरत है कि खालिस्तानियों ने वहां गए भारतीयों के लिए ऐसी परिस्थिति पैदा कर दी है, जो दुखदायी है। जिसकी हमें चिंता होनी चाहिए। कुछ मुट्ठीभर खालिस्तानी वहां के एक अच्छे समाज को खत्म कर रहे ।

ये अरबपतियों की रेस है या राष्ट्रपति चुनाव ? अमेरिका में एलन मस्क vs बिल गेट्स हुआ

#us_presidential_election_2024_elon_musk_and_bill_gates 

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में अब सिर्फ दो सप्ताह का ही वक्त रह गया है। साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भी पिछले दो चुनाव की तरह की कांटे की टक्कर दिखाई दे रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस आमने सामने हैं। चुनावी मैदान में पूर्व राष्‍ट्रपति डोनल्‍ड ट्रंप रिब्लिकन पार्टी की ओर से ताल ठोक रहे हैं तो उप-राष्‍ट्रपति कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्‍ट्रपति चुने जाने की रेस में हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव में इस बार राजनीतिक पार्टियों के साथ ही उद्योगपतियों में भी जबरदस्‍त मुकाबला देखने को मिल रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में जहां एक तरफ डोनाल्ड ट्रंप को दिग्गज अरबपति एलन मस्क समर्थन कर रहे हैं। वहीं, अब माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स ने कमला हैरिस को अपना समर्थन और वित्तीय ताकत दी है। 

अमेरिका में अगले महीने की शुरुआत में यानी 5 नवंबर को राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होना है। अंतिम दिनों में दो अरबपतियों की एंट्री होने से चुनाव दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। डोनाल्ड ट्रंप को दिग्गज अरबपति एलन मस्क का साथ मिला है। दुनिया के अरबपतियों की सूची में 243.4 बिलियन डॉलर की संपत्ति के साथ शीर्ष पर बैठे एलन मस्क राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के कट्टर समर्थक बनकर उभरे हैं। पूर्व राष्ट्रपति को व्हाइट हाउस में वापस लाने के लिए उनकी राजनीतिक कार्रवाई समिति को 7.5 करोड़ डॉलर का दान दिया। इस दान ने मस्क को 2024 चक्र के सबसे बड़े खर्च करने वालों में से एक बना दिया।

मस्क पानी की तरह बहा रहे पैसा

एक गैर लाभकारी ट्रैकर संस्था ओपन सीक्रेट्स के अनुसार, ट्रंप का समर्थन करने वाली मस्क की पॉलिटिकल एक्शन कमेटी- अमेरिका पीएसी- ने इसी चुनाव में अबतक 11.9 करोड़ डॉलर खर्च कर दिया है। इसके अलावा मस्क का व्यक्तिगत चंदा उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में सबसे बड़ा निजी डोनर बना दिया है और महत्वपूर्ण स्विंग स्टेट में ट्रंप के चुनावी अभियान में कथित रूप से वो सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। स्टीव डेविस मस्क के प्रमुख क़रीबियों में से एक हैं जो स्पेस एक्स, एक्स और बोरिंग कंपनी समेत उनकी कई कंपनियों के लिए काम कर चुके हैं। उन्हें कथित रूप से इस चुनाव के लिए विशेष तौर पर नियुक्त किया गया है। एलन मस्‍क न केवल डोनाल्‍ड ट्रंप को भारी-भरकम चंदा दे रहे हैं, बल्कि वे खुलकर उनके समर्थन में धुआंधार चुनाव प्रचार भी कर रहे हैं।

गेट्स ने 50 मिलियन डॉलर का दान दिया

एक तरफ सुपर रईस एलन मस्क हैं, जो डोनाल्ड ट्रम्प के चुनावी अभियान में सक्रिय हैं। दूसरी ओर, बिल गेट्स भी मैदान में उतर गए हैं, जिन्होंने कमला हैरिस का समर्थन किया है। राजनीति से दूर रहने के दशकों बाद बिल गेट्स ने कुछ निजी बातचीत में घोषणा की कि उन्होंने हाल ही में "फ्यूचर फॉरवर्ड्स एक्शन" को लगभग 50 मिलियन डॉलर का दान दिया है।

एक बयान में, गेट्स ने हैरिस का समर्थन करने और ट्रंप का मुकाबला करने के अपने फैसले को स्पष्ट करते हुए कहा, 'मेरे पास राजनीतिक स्पेक्ट्रम के नेताओं के साथ काम करने का एक लंबा इतिहास है, लेकिन यह चुनाव अलग है, जिसका अमेरिकियों और दुनिया के सबसे कमजोर लोगों के लिए असाधारण महत्व है।'

पूरी गेट्स फैमिली कर रही है कमला का समर्थन

बिल गेट्स की पूर्व पत्नी मेलिंडा फ्रेंच गेट्स ने भी हैरिस के अभियान में योगदान दिया है। हैरिस के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने के बाद से 1 बिलियन डॉलर की राशि मेलिंडा ने जुटाई है। गेट्स के दोनों बच्‍चे, रोरी और फोबे गेट्स भी कमला हैरिस के कट्टर समर्थक हैं। बिल और मिलिंडा गेट्स के अलावा स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स, स्टीवन स्पीलबर्ग, रीड हेस्टिंग्स, और माइकल मोरिट्ज़ भी कमला हैरिस की जमकर आर्थिक मदद कर रहे हैं।

महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान

#maharashtra_election_milind_deora_may_worli_against_aditya_thackeray

महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है।

मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है।

दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है।

बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी।

हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है।

अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।

महाराष्ट्र चुनाव: वर्ली में जोरदार होगा “वॉर”, आदित्य ठाकरे को घेरने का है जोरदार प्लान
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* महाराष्ट्र में एक चरण यानी 20 नवंबर को विधानसभा के चुनाव हैं। यहां वोटों की गिनती 23 नवंबर को की जाएगी। इस दिन तय हो जाएगा की आखिर महाराष्ट्र के सत्ता की कुर्सी कौन संभालेगा? महाराष्ट्र में मुख्य लड़ाई दो गठबंधन के बीच है। ये गठबधंन महायुति और महाविकास अघाड़ी हैं। महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) हैं। इसके साथ ही महाविकास अघाड़ी गठबंधन में शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट) और कांग्रेस पार्टी शामिल है। महाराष्ट्र की वीआईपी सीटों की बात करें वर्ली विधानसभा सीट उनमें से एक है। मुंबई की हाई प्रोफाइल सीटों में एक सीट है वर्ली विधानसभा सीट से शिवसेना (UBT) ने आदित्य ठाकरे को मैदान में उतारा है। शिवसेना (एकनाथ शिंदे) भी कड़ी चुनौती देने की तैयारी में जुटी है।उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे आदित्य ठाकरे को वर्ली सीट से घेरने को शिंदे वाली शिवसेना राज्यसभा सांसद मिलिंद देवड़ा को मैदान में उतार सकती है। दरअसल, वर्ली सीट पर एकनाथ शिंदे आदित्यनाथ को वॉकओवर नहीं देना चाहते हैं। पार्टी में इस संबंध में गंभीर मंथन भी हुआ है। इसी सिलसिले में मिलिंद देवड़ा से भी सीएम शिंदे सहित तमाम बड़े नेताओं ने बातचीत की है और विचार किया जा रहा है आदित्य के सामने मजबूत युवा चेहरे के तौर पर मिलिंद देवड़ा को ही उतारा जाए। हालांकि इस पर अभी तक अंतिम फैसला नहीं लिया जा सका है। बता दें कि मिलिंद देवड़ा को राजनीति विरासत में मिली है और उनके पिता मुरली देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे और कांग्रेस सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे। मिलिंद देवड़ा इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और दक्षिण मुंबई से तीन बार सांसद रह चुके हैं। मिलिंद देवड़ा ने जनवरी में ही कांग्रेस छोड़कर एकनाथ शिंदे की शिवसेना का दामन थामा था। लोकसभा चुनाव के दौरान मिलिंद देवड़ा को ही वर्ली की कमान दी गई थी। वर्ली सीट शिवसेना यूबीटी के प्रभाव वाली मानी जाती है और इसके बावजूद वर्ली से शिवसेना यूबीटी को महज 6500 वोट की ही बढ़त हासिल हुई थी। हालांकि वर्ली सीट महायुति में बीजेपी, शिवसेना (शिंदे गुट) एनसीपी (अजित गुट) में से किसके कोटे में जाएगी, ये स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन कयास यही लगाए जा रहे हैं कि महायुति गठबंधन में शिंदे गुट को कोटे के तहत यह सीट मिल जाए। ऐसे में उनके पास मजबूत चेहरे के रूप में मिलिंद देवड़ा हैं लेकिन वर्ली सीट पर बहुतायत में मराठी वोटर्स जीत तय करते हैं, ऐसे में पार्टियों के लिए इसका भी ध्यान रखना अनिवार्य है। अगर मिलिंद देवड़ा चुनाव नहीं लड़ते हैं तो बीजेपी शायना एनसी को शिंदे गुट ज्वाइन कराकर मैदान में उतार सकती है। इससे पहले बीजेपी अपने 2 पूर्व सांसदों समेत कुल 3 नेताओं को एनसीपी (अजीत पवार गुट) ज्वाइन कराकर वहां से टिकट दिला दिया है।