बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: ऑस्ट्रेलिया-तुर्की में बनी पिस्तौल, यूट्यूब पर ट्रेनिंग, एक-एक कर खुल रहे राज

#baba_siddique_murder_case_australian_turkey_made_pistol_used_in_crime

महाराष्ट्र में एनसीपी के वरिष्ठ नेता बाबा सिद्दीकी शूट आउट केस में लगातार चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। इसी क्रम में अब मुंबई पुलिस ने बताया है कि एनसीपी नेता की हत्या में इस्तेमाल की गई पिस्तौल बरामद कर ली गईं हैं। दावा किया गया कि इनमें से एक ऑस्ट्रेलियाई मेड ग्लॉक पिस्‍टल तो दूसरी तुर्की मेड पिस्‍टल है। वहीं तीसरी एक देसी पिस्‍टल है। पुलिस ने तीनों हथियार बरामद कर लिए हैं। इससे पहले, मुंबई पुलिस ने बताया था कि जांच में पता चला है कि हत्या में शामिल शूटर्स ने यूट्यूब पर वीडियो देखकर हथियार चलाना सीखा था।

मुंबई पुलिस पहले ही यह साफ कर चुकी है कि वारदात से चंद दिन पहले ही शूटर्स के पास ये हथियार पहुंचाए गए थे। हमलावरों ने यूट्यूब पर वीडियो देखकर ये पिस्टल चलानी सीखी थी। बाबा सिद्दीकी की 12 अक्टूबर की रात को उनके विधायक बेटे जीशान सिद्दीकी के निर्मल नगर इलाके में मौजूद ऑफिस के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में पुलिस के अनुसार तीन शूटरों ने उनकी हत्या की थी। हालांकि मामले में मुबंई पुलिस ने अब तक चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस पुलिस ने अब तक जिन चार लोगों को अरेस्‍ट किया है, जिनमें दो कथित शूटर हरियाणा के रहने वाले गुरमेल बलजीत सिंह और उत्तर प्रदेश का धर्मराज राजेश कश्यप है। इसके अलावा हरीशकुमार बालकराम निषाद और पुणे का सह-साजिशकर्ता प्रवीण लोनकर भी इस हत्‍याकांड में शामिल हैं। निषाद और कश्यप उसी गांव के हैं, जहां का फरार आरोपी शिवकुमार गौतम है।

इस मामले में अपराध शाखा के एक अधिकारी ने बताया कि हिरासत में लिए गए आरोपियों से पूछताछ में पता चला कि शिवकुमार गौतम ने उत्तर प्रदेश में शादियों में जश्न के दौरान की जाने वाली फायरिंग के दौरान बंदूक चलाना सीखा था। अधिकारी ने गुरमेल सिंह और धर्मराज कश्यप से पूछताछ का हवाला देते हुए बताया कि शिवकुमार गौतम को इस वारदात में 'मुख्य शूटर' के तौर पर रखा गया था, क्योंकि वह बंदूक चलाना जानता था।

उन्होंने बताया कि शिवकुमार गौतम ने ही धर्मराज कश्यप और गुरमेल सिंह को कुर्ला में किराए के घर में हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया था, जहां उन्होंने खुली जगह की कमी के कारण ड्राई प्रैक्टिस (बिना गोली के गोली चलाना) किया था। अधिकारी ने बताया कि उन्होंने करीब चार हफ्ते तक यूट्यूब वीडियो देखकर हथियार लोड करना और उतारना सीखा। इसमें चौंकाने वाली बात यह है कि कथित सह-षड्यंत्रकारियों में से एक शुभम लोनकर से पुलिस ने जून में अभिनेता सलमान खान के बांद्रा में मौजूद घर के बाहर गोलीबारी के सिलसिले में पूछताछ की थी, ये पूरी वारदात कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के नेटवर्क से जुड़ी हुई है।

जस्टिस संजीव खन्ना होंगे देश के अगले मुख्य न्यायाधीश, सीजेआई चंद्रचूड़ ने की सिफारिश

#justice_sanjeev_khanna_will_be_next_chief_justice_of_india 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। 10 नवंबर 2024 को वो रिटायर हो जाएंगे। ऐसे में उन्होंने अपने उत्तराधिकारी की सिफारिश कर दी है। सीजेआई ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर जस्टिस खन्ना के नाम का प्रस्ताव रखा है। मोदी सरकार को भेजी गई सिफारिश में उन्होंने कहा है कि संजीव खन्ना देश के अगले चीफ जस्टिस होंगे।

सरकार ने पिछले शुक्रवार को निवर्तमान सीजेआई को पत्र लिखकर मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार अपनी सिफारिश भेजने को कहा था।केंद्र सरकार ने स्थापित नियमों के तहत सीजेआई से पिछले शुक्रवार को अनुरोध किया था कि वह अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाएं। इसी के जवाब में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने संजीव खन्ना की सिफारिश की है।

केंद्र सरकार की ओर से सीजेआई चंद्रचूड़ की सिफारिश को स्वीकार कर लिया जाता है, तो जस्टिस खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। सीजेआई के रूप में जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक करीब 7 महीने का होगा।

जस्टिस संजीव खन्ना भारतीय न्यायपालिका में अपनी निष्पक्षता और कानूनी विद्वता के लिए जाने जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रोन्नत होने से पहले वह दिल्ली हाईकोर्ट के जज रह चुके हैं। उन्हें 18 जनवरी, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था। जस्टिस संजीव खन्ना को जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जब पदोन्नत किया गया तो उनकी नियुक्ति ने विवाद खड़ा कर दिया था। दअरसल, उम्र और अनुभव में उनसे अन्य सीनियर जज लाइन में होने के बावजूद उन्हें सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया था। 

जस्टिस खन्ना सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस हंसराज खन्ना के भतीजे हैं। उनके चाचा ने कई अहम फैसले सुनाए थे। इसके अलावा, जस्टिस संजीव खन्ना के पिता जस्टिस देव राज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे।

भारत-कनाडा संबंधों के नुकसान की जिम्मेदार सिर्फ ट्रूडो', कनाडाई पीएम के कुबूलनामे के बाद बोला भारत

#india_reaction_justin_trudeau_admits_he_had_no_proof_alleged_indian

बीते एक साल से खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या को लेकर भारत को घेर रहे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खुद अपनी पोल खोल दी है। कनाडाई पीएम ट्रूडो ने बुधवार को स्वीकार किया कि उन्हें खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकार के एजेंटों के शामिल होने के बारे में केवल खुफिया जानकारी थी, लेकिन कोई ठोस सबूत नहीं था।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को विदेशी हस्तक्षेप जांच के सामने गवाही दी।ट्रूडो ने कनाडा में हुए चुनावों की जांच के लिए बनी विदेशी हस्तक्षेप समिति के समक्ष कहा कि निज्जर हत्याकांड में भारत पर सार्वजनिक आरोप लगाने से पहले कनाडा की एजेंसियों ने भारत के साथ पर्दे के पीछे से काम करने की कोशिश की थी।उन्होंने कहा कि जब कनाडा की जांच एजेंसियों ने भारत से आरोपों की जांच करने को कहा था, तो उन्होंने सबूत मांगे थे। उन्होंने माना कि उस समय सिर्फ इंटेलिजेंस साझा किए गए थे और कोई ठोस सबूत नहीं था।

अब इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। विदेश मंत्रायल की ओर से कहा गया है कि उसने जो सुना है वह नई दिल्ली के लगातार रुख की पुष्टि करता है। हम लगातार यह कहते आ रहे हैं कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाने के लिए कोई सबूत नहीं दिए हैं।

कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो के बयान से संबंधित मीडिया के सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय ने बृहस्पतिवार तड़के एक बयान जारी किया। प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, आज जो हमने सुना है, वह केवल उस बात की पुष्टि करता है जो हम लगातार कहते आ रहे हैं कि कनाडा ने भारत और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ लगाए गए गंभीर आरोपों के समर्थन में हमें कोई भी सबूत पेश नहीं किया है। मंत्रालय की तरफ से यह भी कहा गया है कि इस व्यवहार व्यवहार से भारत-कनाडा संबंधों को जो नुकसान हुआ है, उसकी जिम्मेदारी अकेले प्रधानमंत्री ट्रूडो की ही है।

भारत ने भारतीय एजेंटों को कनाडा में आपराधिक गिरोहों के साथ जोड़ने के कनाडाई अधिकारियों के प्रयासों को दृढ़ता से खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि ओटावा का यह दावा कि उसने निज्जर मामले में नई दिल्ली के साथ सबूत साझा किए थे, सच नहीं है। इसके अलावा, नई दिल्ली ने ट्रूडो के पिछले आरोपों को भी खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत उनके देश में कनाडाई नागरिकों को निशाना बनाने वाले गुप्त अभियानों को अंजाम देने सहित अन्य गतिविधियों में शामिल था।

भारत ने इससे पहले सोमवार को छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था और निज्जर की हत्या की जांच से दूत को जोड़ने के ओटावा के आरोपों को खारिज करने के बाद कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाने की भी घोषणा की थी।

हरियाणा में नायब सिंह सैनी की ताजपोशी आज, जानें कौन-कौन बन रहा मंत्री*
#nayab_singh_saini_oath_taking_ceremony
हरियाणा में आज नायब सिंह सैनी दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।पंचकूला में सैनी की ताजपोशी में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के बड़े नेता और मुख्यमंत्री शामिल होंगे। इसके लिए पंचकूला में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सैनी के साथ 12 से 13 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। नायब कैबिनेट में शामिल होने के लिए मंत्रियों को फोन जाने शुरू हो गए हैं। सैनी राज्य के 25वें सीएम के रूप में शपथ लेंगे।हालांकि इस पद को संभालने वाले वह 11वें शख्स होंगे। सुबह 11 बजे पंचकूला के शालीमार ग्राउंड में नायब सिंह सैनी का शपथ ग्रहण होगा। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत 37 नेता मौजूद रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, श्रुति चौधरी का मंत्री बनना तय है। गौरव गौतम भी नायब कैबिनेट में मंत्री होंगे. महिपाल ढांडा भी मंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा अनिल विज और कृष्ण लाल पंवार को भी शपथ के लिए फोन गया है। विपुल गोयल, राव नरबीर, आरती राव, कृष्ण बेदी, और रणबीर गंगवा भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में कई राज्यों के सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे। इससे पहले विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में बुधवार कोे विधायक कृष्णकुमार बेदी ने सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ नेता व विधायक अनिल विज ने इसका अनुमोदन किया। सभी विधायकों ने ध्वनिमत से सैनी के नाम पर मुहर लगा दी। इसके बाद सैनी ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया। सैनी ने उन्हें 48 विधायकों की सूची सौंपी। तीन निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल, राजेश जून व देवेंद्र कादियान ने भी राज्यपाल को भाजपा सरकार को समर्थन देने का पत्र सौंप दिया।
हरियाणा में नायब सिंह सैनी की ताजपोशी आज, जानें कौन-कौन बन रहा मंत्री

#nayab_singh_saini_oath_taking_ceremony

हरियाणा में आज नायब सिंह सैनी दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।पंचकूला में सैनी की ताजपोशी में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी के बड़े नेता और मुख्यमंत्री शामिल होंगे। इसके लिए पंचकूला में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। सैनी के साथ 12 से 13 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। नायब कैबिनेट में शामिल होने के लिए मंत्रियों को फोन जाने शुरू हो गए हैं।

सैनी राज्य के 25वें सीएम के रूप में शपथ लेंगे।हालांकि इस पद को संभालने वाले वह 11वें शख्स होंगे। सुबह 11 बजे पंचकूला के शालीमार ग्राउंड में नायब सिंह सैनी का शपथ ग्रहण होगा। इसमें पीएम नरेंद्र मोदी समेत बीजेपी और एनडीए के सहयोगी दलों के शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों समेत 37 नेता मौजूद रहेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, श्रुति चौधरी का मंत्री बनना तय है। गौरव गौतम भी नायब कैबिनेट में मंत्री होंगे. महिपाल ढांडा भी मंत्री बन सकते हैं। इसके अलावा अनिल विज और कृष्ण लाल पंवार को भी शपथ के लिए फोन गया है। विपुल गोयल, राव नरबीर, आरती राव, कृष्ण बेदी, और रणबीर गंगवा भी मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। सैनी के शपथ ग्रहण समारोह में कई राज्यों के सीएम और पार्टी के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे।

इससे पहले विधायक दल की बैठक में केंद्रीय पर्यवेक्षक गृह मंत्री अमित शाह और मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में बुधवार कोे विधायक कृष्णकुमार बेदी ने सैनी के नाम का प्रस्ताव रखा। वरिष्ठ नेता व विधायक अनिल विज ने इसका अनुमोदन किया। सभी विधायकों ने ध्वनिमत से सैनी के नाम पर मुहर लगा दी। इसके बाद सैनी ने राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया। सैनी ने उन्हें 48 विधायकों की सूची सौंपी। तीन निर्दलीय विधायक सावित्री जिंदल, राजेश जून व देवेंद्र कादियान ने भी राज्यपाल को भाजपा सरकार को समर्थन देने का पत्र सौंप दिया।

योगी समेत इन 9 नेताओं की सुरक्षा से हटेंगे एनएसजी कमांडो, जानें सरकार का क्या है प्लान?

#nsg_commandos_withdrawal_from_vip_security_crpf_will_replace 

केंद्र सरकार ने देश के प्रमुख नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बड़ा फैसला किया है।केंद्र सरकार ने बुधवार को नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) को वीआईपी सिक्योरिटी से हटाने का फैसला लिया है। इनकी जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान लेंगे। अगले महीने से आदेश लागू हो जाएगा।आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। 

देश के 9 अति महत्वपूर्ण लोगों को वीआईपी सुरक्षा दी गई है। उनकी सुरक्षा में एनएसजी के कमांडो तैनात है। केंद्र सरकार ने इन वीआईपी सुरक्षा से एनएसजी को पूरी तरह हटाने का निर्णय लिया है।वीआईपी की सुरक्षा अगले महीने तक सीआरपीएफ को सौंपने का आदेश दिया है।गृह मंत्रालय ने विशेष रूप से प्रशिक्षित जवानों की एक नई बटालियन को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वीआईपी सुरक्षा प्रकोष्ठ के साथ जोड़ने की स्वीकृति भी दी है। इस बटालियन को हाल में संसद सुरक्षा से हटाया गया था।

न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) के ‘ब्लैक कैट’ कमांडो द्वारा संरक्षित ‘जेड प्लस’ श्रेणी के नौ वीआईपी लोगों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा अध्यक्ष मायावती, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, केंद्रीय जहाजरानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल, भाजपा नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू हैं।अब इन्हें सीआरपीएफ का सुरक्षा घेरा प्रदान किया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार, इन नौ वीआईपी में से दो को सीआरपीएफ द्वारा दिया जाने वाला उन्नत सुरक्षा संपर्क (एएसएल) प्रोटोकॉल भी प्रदान किया जाएगा। इनमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ हैं।एएसएल में वीआईपी के आगामी दौरे वाले स्थान की पहले से जांच की जाती है। सीआरपीएफ देश में पांच वीआईपी के लिए इस तरह का प्रोटोकॉल अपनाता है, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गांधी परिवार के तीन कांग्रेस नेता शामिल हैं।

केंद्र सरकार ने एनएसजी को पुनर्गठित करने और अयोध्या में राम मंदिर के पास और देश के दक्षिणी हिस्से में स्थित कुछ महत्वपूर्ण संपत्तियों के आसपास कुछ उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कमांडो की स्ट्राइक टीम को बढ़ाने और तैनात करने के लिए अपनी श्रमशक्ति का उपयोग करने का फैसला किया है। ब्लैक कैट कमांडो को दो दशक से अधिक समय पहले इस काम में लगाया गया था।

एस जयशंकर का पाकिस्तान दौरा, क्या बोली पाकिस्तानी मीडिया?

#sco_summit_pakistani_media_saying_about_jaishankar_visit 

भारत के विदेश मंत्री मंगलवार को एससीओ समिट में शामिल होने के लिए इस्लामाबाद पहुंचे थे। बैठक में हिस्सा लेने और पाकिस्तान में करीब 24 घंटे गुजारने के बाद वह बुधवार को वापस लौट आए। इस दौरान जयशंकर की पाक नेताओं से द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई लेकिन पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ और दूसरे नेताओं से उनकी अनौपचारिक बातचीत जरूर हुई। जयशंकर ने इस्लामाबाद से दिल्ली लौटते हुए मेहमाननवाजी के लिए शहबाज शरीफ और पाक सरकार का शुक्रिया भी अदा किया।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के पाकिस्तान दौरे की खूब चर्चा है।पाकिस्तान के मीडिया में जयंशकर को लेकर काफी कुछ कहा जा रहा है। पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एस जयशंकर और शहबाज शरीफ की मुलाकात पर प्रकाशित अपनी खबर को शीर्षक दिया है- एक दशक की चुप्पी के बाद, एससीओ शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान और भारत ने 20 सेकंड का संक्षिप्त मुलाकात की है।अखबार ने डिनर से पहले दोनों नेताओं के हाथ मिलाने के संदर्भ में लिखा, 'दोनों नेताओं ने 20 सेकंड से भी कम समय तक चली संक्षिप्त मुलाकात में हाथ मिलाया और एक-दूसरे का अभिवादन किया।'

पाकिस्तान ने न्यूज नेटवर्क जिओ टीवी ने अपनी जयशंकर के पाकिस्तान दौरे को दुर्लभ दौरा बताया है। जिओ टीवी ने लिखा है, 'जयशंकर मंगलवार दोपहर इस्लामाबाद के नजदीक एक एयरबेस पर पहुंचे, जहां उनका स्वागत एक निम्न स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने किया, जबकि बाकी नेताओं का स्वागत वरिष्ठ मंत्रियों ने किया था। उनके आने के कुछ घंटे बाद उनका स्वागत पीएम शहबाज शरीफ ने किया जिस दौरान दोनों नेताओं ने हाथ मिलाए। इस दौरान दोनों के चेहरों पर गंभीर भाव थे।

जिओ न्यूज ने शिखर सम्मेलन में भारत की भागीदारी पर पूर्व राजदूत मलीहा लोधी के हवाले से लिखा, 'मेरा मानना है कि भारतीय विदेश मंत्री के बहुपक्षीय दौरे से भारत और पाकिस्तान के बीच बर्फ नहीं पिघलेगी। हमारा गतिरोध बहुत गहरा है और इस तरह की बैठक से स्थिति में कोई सुधार नहीं हो सकता। 

बता दें कि विदेश मंत्री जयशंकर 8 साल 10 महीने बाद पाकिस्तान जाने वाले भारत के पहले नेता हैं। इसलिए भी ये दौरा खास है। उनसे पहले 25 दिसंबर 2015 को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। तब मोदी एक सरप्राइज विजिट पर लाहौर पहुंचे थे। उन्होंने पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात की थी। उनके इस दौरे के बाद से भारत के किसी भी प्रधानमंत्री या मंत्री ने पाकिस्तान की यात्रा नहीं की है।

मोदी के दौरे के एक साल बाद ही 2016 में 4 आतंकी उरी में भारतीय सेना के ब्रिगेड हेडक्वार्टर में घुस गए थे। इस हमले में भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे। तब से दोनों देशों के रिश्तों में तनाव बढ़ गया था। 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और खराब हो गए। हालांकि इन सब के बावजूद पिछले साल गोवा में एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आए थे।

भारत-कनाडा विवादःजानें क्या है कनाडा के इन दोस्तों का रूख

#canada_india_row_five_eyes_allies_reaction 

भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। कनाडा ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत के अधिकारियों का हाथ है। इन आरोपों के बाद कनाडा और भारत के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया है। दोनों देशों ने एकदूसरे के कई टॉप राजनयिकों को निकाल दिया है। 

भारत के साथ बढ़ते विवाद के बीच ट्रूडो ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की जिसमें कहा कि निज्जर हत्याकांड में भारतीय एजेंट्स की संलिप्तता को लेकर कनाडा ने अपने फाइव आईज के सभी सहयोगियों के साथ जानकारी साझा की है।फाइव आईज अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड का खुफिया संगठन है।

अमेरिका ने क्या कहा?

इस बीच,अमेरिका ने भारत और कनाडा के बीच विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।अमेरिका ने कहा है कि भारत को निज्जर हत्याकांड के मामले में कनाडा की ओर से लगाए जा रहे आरोपों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मंगलवार को कहा कि भारत पर लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं।मिलर ने कहा, हम चाहते हैं कि भारत सरकार कनाडा के साथ जांच में मदद करे। निश्चित तौर पर उन्होंने ऐसा नहीं किया है। उन्होंने वैकल्पिक रास्ता चुना है।

भारत और कनाडा दोनों अमेरिका के अहम सहयोगी देश हैं। लेकिन इस मामले में फिलहाल अमेरिका कनाडा का साथ देता नज़र आ रहा है। पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिस ट्रूडो ने अपने देश की संसद में भारत के 'एजेंटों' पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे। उस समय भी अमेरिका ने भारत से इसकी जांच में सहयोग करने की अपील की थी।

न्यूजीलैंड ने बरती सतर्कता

फाइव आईज सहयोगी न्यूजीलैंड ने भारत-कनाडा राजनयिक तनाव के बीच कनाडा का समर्थन किया है लेकिन भारत के खिलाफ टिप्पणी नहीं की है। न्यूजीलैंड के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर कहा है कि अगर आरोप सिद्ध हो जाए तो बहुत चिंताजनक होगा।हालांकि, मंत्री ने अपने बयान में भारत का नाम नहीं लिया है और बड़ी ही सतर्कता से न्यूजीलैंड का पक्ष रखा है।

विंस्टन पीटर्स ने एक्स पर लिखा, 'कनाडा ने न्यूजीलैंड को अपने दक्षिण एशियाई समुदाय के लोगों के खिलाफ हिंसा और उन्हें मिल रही धमकियों के संबंध में चल रही आपराधिक जांच के बारे में हमें जानकारी दी है। कनाडा के आरोप अगर सिद्ध होते हैं बहुत चिंताजनक होगा।साथ ही, हम न्यूजीलैंड या विदेश में चल रही आपराधिक जांच पर टिप्पणी नहीं करते हैं, लेकिन हम कहना चाहेंगे कि यह महत्वपूर्ण है कि कानून के शासन और न्यायिक प्रक्रियाओं का सम्मान किया जाए और उनका पालन किया जाए।

ब्रिटेन ने क्या कहा?

जस्टिन ट्रूडो ने इस मुद्दे पर समर्थन जुटाने के लिए सोमवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर को फोन किया था। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक़ इस बातचीत के दौरान स्टार्मर ने 'रूल ऑफ लॉ’ को अहमियत देने की बात की। हालांकि ब्रिटेन की ओर से जारी इस बयान में भारत का सीधा संदर्भ नहीं दिया गया था लेकिन इसमें भारत पर लगाए गए आरोपों की कनाडा में चल रही जांच का ज़िक्र है। दोनों ने निज्जर हत्याकांड की जांच का निष्कर्ष सामने आने तक एक दूसरे के संपर्क में रहने का वादा किया।

ऑस्ट्रेलिया ने साफ किया अपना रुख़

ऑस्ट्रेलिया ने भी इस मामले में अपना रुख़ साफ कर दिया है। फाइव आइज़ अलायंस के सदस्य देशों में शामिल ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने हालांकि मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग के दौरान भारत-कनाडा के बीच विवाद सवालों के जवाब नहीं दिए। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के विदेश मामले और व्यापार मंत्रालय ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया कनाडा में चल रही जांच से जुड़े आरोपों की जांच और वहां की न्यायिक प्रक्रिया पर अपना नजरिया बता दिया है। मंत्रालय ने एक्स पर लिखा, "हमारा सिद्धांत ये है कि सभी देशों की संप्रभुता कानून के नियमों का सम्मान होना चाहिए।''

पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, पूछा-मुकदमा चलाने से क्यों कतरा रहे?

#supreme_court_angry_on_aqi_and_parali_issue 

देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस-पास रहने वालों पर फिर प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने वालों के खिलाफ सख्ती न बरतने पर पंजाब और हरियाणा सरकार पर नाराजगी जाहिर की है।सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने के दोषी पाए गए अधिकारियों पर मुकदमा नहीं चलाने पर बुधवार को हरियाणा और पंजाब सरकारों को फटकार लगाई। साथ ही राज्य के मुख्य सचिवों को 23 अक्तूबर को पेश होने और स्पष्टीकरण देने को कहा।

जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं के खिलाफ एक भी मुकदमा नहीं चलाया गया है, जबकि अदालत ने पहले भी ऐसी चूक के लिए पंजाब और हरियाणा को फटकार लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर हरियाणा और पंजाब सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को निर्देश दिया। पीठ ने कहा, यह कोई राजनीतिक मामला नहीं है। अगर मुख्य सचिव किसी के इशारे पर काम कर रहे हैं तो हम उनके खिलाफ भी समन जारी करेंगे। अगले बुधवार को हम मुख्य सचिव को बुलाकर सारी बातें पूछेंगे। कुछ नहीं किया गया है, पंजाब सरकार ने भी ऐसा ही किया। यह रवैया पूरी तरह से अवहेलना करने का है।

बेंच ने सख्त लहजे में कहा, इसरो आपको पराली जलाए जाने की रियल टाइम जानकारी देता है लेकिन आपके अधिकारी यह लिख देते हैं कि उन्हें उस जगह पर ऐसा कुछ नहीं दिखा। सिर्फ दिखावे के लिए कुछ लोगों पर थोड़ा सा जुर्माना लगा दिया जाता है। इससे साफ नजर आता है कि आप लोग कार्रवाई करना ही नहीं चाहते।

कोर्ट ने आगे कहा कि हर साल अक्टूबर-नवंबर में पराली जलाना दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की बड़ी वजह बनता है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) एक्ट की धारा 14 में प्रदूषण करने वालों की गिरफ्तारी, सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन पंजाब और हरियाणा ने आज तक किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं की है। पिछले तीन वर्षों में आपने एक भी व्यक्ति पर मुकदमा नहीं चलाया है। CAQM का कहना है कि 2021 में अपने गठन के बाद से उसने दोनों राज्यों को कई बार निर्देश जारी किए, पर उन्होंने उसकी उपेक्षा कर दी।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देशों को लागू करने के लिए कोई प्रयास नहीं करने पर CAQM की खिंचाई की। सुप्रीम कोर्ट ने CAQM के सदस्यों की पर्यावरण से जुड़े मामलों में विशेषज्ञता पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने जानकारी मांगी है कि क्या विशेषज्ञ संस्थाओं के प्रतिनिधि भी बैठक में शामिल हो सकते हैं। कोर्ट ने पिछली बैठक में 7 सदस्यों के उपस्थित न रहने पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि ऐसे सदस्यों को कमीशन से हटा देना बेहतर होगा।

इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में वायु प्रदूषण के खतरे से निपटने के लिए CAQM को अधिक सक्रिय होने की जरूरत है।

'साउथ चाइना सी' को लेकर मुखर भारत, जानें चीन को क्यों गुजरेगी नागवार

#pm_modi_clear_messages_to_expansionist_china_on_south_china_sea

पश्चिमी प्रशांत सागर का साउथ चाइना सी यानी दक्षिण चीन सागर बीते कई सालों से चर्चा में है। इस इलाक़े को चीन अपना कहता है। साउथ चाइना सी एक ऐसा इलाका जहां विस्तारवादी चीन अपनी धौंस दिखाता रहता है। आस-पास के देशों को आए दिन परेशान करता रहता है। एक बेहद महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत वो यहां कृत्रिम द्वीप बना रहा है। कम से कम तीन द्वीपों का सैन्यीकरण कर चुका है। यहां, मामला केवल चीन का होता तो विवाद नहीं था लेकिन साउथ चाइना सी के आसपास के देश भी इसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा जताते हैं। 

इस बीच अभी हाल ही में संपन्न आसियान-भारत सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र के देशों के भौगोलिक संप्रभुता को समर्थन दिया। ईस्ट एशिया सम्मेलन में पीएम मोदी ने हिंद प्रशांत क्षेत्र और साउथ चाईना सी को लेकर वह सारी बातें कहीं, जो इस क्षेत्र में आक्रामक रवैया अपना रहे चीन को नागवार गुजर सकती है।

साउथ चाइना सी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन का नाम लिए बिना बड़ी नसीहत दी। मोदी ने समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र को कानून सम्मत बनाते हुए यहां की समुद्री गतिविधियों को संयुक्त राष्ट्र के संबंधित कानून (अनक्लोस) से तय होने की मांग की और साउथ चाईना सी के संदर्भ में एक ठोस व प्रभावी आचार संहिता बनाने की भी बात कही। आसियान के सभी दस सदस्य देश भी इसकी मांग कर रहे हैं।

पहले भारत और आसियान ने चीन को साउथ चाइना सी में खुराफातों से बाज आने का संदेश दिया तो वह तिलमिला उठा। भारत और आसियान की तरफ से जारी संयुक्त बयान में कहा गया कि दक्षिण चीन सागर में जो भी विवाद हैं, उनका अंतरराष्ट्रीय कानूनों के हिसा से समाधान होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का सम्मान करने की नसीहत के बाद चीन तिलमिला गया। 

आसियान बैठक के दूसरे ही दिन पीएम मोदी ने दूसरी बार उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19वें ईस्ट एशिया समिट में अपने संबोधन में पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए दक्षिण चीन सागर की स्थिरता के महत्व पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा, एक स्वतंत्र, खुला, समावेशी, समृद्ध और नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक पूरे क्षेत्र की शांति और प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। दक्षिण चीन सागर की शांति, सुरक्षा और स्थिरता पूरे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के हित में है।

चीन को पहले भी दिए कड़े संदेश

ये पहला मौका था जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साउथ चाइना सी को लेकर अंतरराष्ट्रीय पटल पर अपनी बात रखी है। हालांकि, इसी साल मई में दक्षिण चीन सागर में भारतीय युद्धपोतों को तैनात कर भारत ने चीन को कड़ा संदेश देने की कोशिश की। भारतीय नौसेना ने चीन पर नकेल कसने के लिए दक्षिण चीन सागर में पूर्वी बेड़े को तैनात किया हुआ है। 

भारत साल 2021 के बाद हुआ ज्यादा सक्रिय

भारत ने वर्ष 2021 के बाद से साउथ चाइना सी के करीबी देशों के साथ नौसैनिक संबंधों को लेकर ज्यादा सक्रियता दिखाना शुरू किया है। इसको गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के घुसपैठ और भारत व चीन के सैनिकों के बीच जून, 2020 में हुए हिंसक झड़पों से जोड़ कर भी देखा जाता है। मार्च, 2024 में विदेश मंत्री एस जयशंकर की फिलीपींस, दक्षिण कोरिया और जापान यात्रा को भी साउथ चाइना सी को लेकर भारत के नये रूख के तौर पर देखा जाता है।

चीन के क्यों अहम है साउथ चाइना सी?

अब सवाल ये है कि साउथ चाइना सी चीन के लिए इतना अहम क्यों है? दरअसल, साउथ चाइना सी में क़रीब 250 छोटे-बड़े द्वीप हैं। लगभग सभी द्वीप निर्जन हैं। इनमें से कुछ ज्वार भाटे के कारण कई महीने पानी में डूब रहते, तो कुछ अब पूरी तरह डूब चुके हैं। ये इलाक़ा हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच है और चीन, ताइवान, वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रूनेई और फ़िलीपीन्स से घिरा है। इंडोनेशिया के अलावा अन्य सभी देश इसके किसी न किसी हिस्से को अपना कहते हैं।

चीन दावा करता है कि दो हज़ार साल पहले चीनी नाविकों और मछुआरों ने इस इलाक़े को सबसे पहले ढ़ूंढा, इसे नाम दिया और यहां काम शुरू किया।दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान 1939 से लेकर 1945 तक साउथ चाइनी सी के पूरे इलाक़े पर जापान का कब्ज़ा था। जापान की हार के बाद चीन ने इस पर फिर से कब्ज़ा करने के लिए अपने नौसेनिक युद्धपोत यहां भेजे। युद्ध के बाद चीनी सरकार ने आधिकारिक तौर पर एक मानचित्र जारी किया। जिसमें एक लकीर के जरिए तीस लाख वर्ग किलोमीटर के साउथ चाइना सी के एक बड़े हिस्से और लगभग सभी द्वीपों को अपने हिस्से में दिखाया। इस लकीर को नाइन डैश लाइन कहा जाता है। हालांकि चीन ने इस लकीर को लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया।

साउथ चाइना सी को लेकर मौजूदा चीनी सरकार के दावे के केंद्र में अब भी वही मानचित्र और अनसुलझा विवाद है। हालांकि, चीन के लिए समुद्र का ये टुकड़ा सिर्फ़ इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि उसने ऐतिहासिक तौर पर इसे अपना कहा है। दरअसल इसके पीछे ठोस आर्थिक कारण है। चीन कहता है कि साउथ चाइना सी में मुल्कों की दिलचस्पी तब हुई जब वहां उसने तेल की खोज शुरू की।कई देशों की दिलचस्पी इस इलाक़े में बढी है क्योंकि उनका मानना है कि इस जगह पर उन्हें कच्चे तेल की खजाना मिल सकता है। इस इलाके में असल में कितना तेल मिल सकता है इसे लेकर कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। 

इसके अलावा यहां एक अलग तरह की संपदा है जो चीन के लिए महत्वपूर्ण है। यहां तीस हज़ार प्रकार की मछलियां हैं। और मत्स्य उत्पादन के मामले में वैश्विक स्तर पर करीब 15 फीसदी मछली उत्पादन करता है और ये काम होता है साउथ चाइना सी से।इस कारण इस इलाक़े में तनाव बढ़ा है और इससे निपटने के लिए चीन यहां अपनी स्थिति और मज़बूत करना चाहता है।