महाराष्ट्र में एक तो झारखंड में दो चरणों में मतदान, 23 नवंबर को आएंगे नतीजे

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चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। महाराष्ट्र में 20 नवंबर को चुनाव होंगे और 23 नवंबर को वोटों की गिनती होगी। महाराष्ट्र में एक ही चरण में चुनाव होगा। वहीं झारखंड में 13 और 20 नवंबर को वोटिंग होगी और नतीजे 23 नवंबर को ही आएंगे। झारखंड में 2 चरणों में चुनाव होंगे।

महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो रहा है। महाराष्ट्र में 9.63 करोड़ मतदाता होंगे। 4.97 करोड़ पुरुष और 4.66 करोड़ महिला मतदाता होंगी। 1.85 करोड़ युवा मतदाता होंगे। पहली बार मतदान करने वाली संख्या 20.93 लाख होगी। राज्य में इस बार 1,00,186 मतदान केंद्र होंगे।

झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को खत्म हो रहा है। यहां 2.6 करोड़ मतदाता होंगे। इनमें 1.29 करोड़ महिलाएं और 1.31 करोड़ पुरुष मतदाता होंगे। यहां युवा मतदाताओं की संख्या 66.84 लाख और पहली बार मतदान करने वालों की संख्या 11.84 लाख होगी। झारखंड में 29,562 मतदान केंद्र होंगे। कतारों के बीच में थोड़ी कुर्सियां या बेंच लगाई जाएंगी ताकि अपनी बारी का इंतजार कर रहे मतदाता थोड़ी-थोड़ी देर में बैठ सकें। ये व्यवस्था हर मतदान केंद्र पर मिलेगी।

सीईसी ने ईवीएम को लेकर कही ये बात

चुनाव आयोग ने मतगणना के दौरान नतीजों के रुझानों पर रिपोर्टिंग को लेकर नाराजगी जाहिर की। ईवीएम को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि पांच छह महीने पहले ईवीएम की पहले लेवल की चेकिंग होती है। हमारे पास ईवीएम को लेकर 20 शिकायतें आई हैं और हम हर शिकायत का जवाब देंगे, पूरे तथ्यों के साथ। ये हमारा कर्तव्य है। हम उन जवाबों को प्रकाशित भी करेंगे ताकि सभी को पता चल सके। पहली चेकिंग, स्टोरेज रखना फिर उसे बूथ पर ले जाना, फिर स्टोरेज रखना और फिर मतगणना, हर समय पर राजनीतिक पार्टियों के एजेंट्स मौजूद रहते हैं।

एग्जिट पोल को लेकर क्या कहा

चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल के अनुमानों पर कहा कि इसके सैंपल साइज और अन्य चीजों को देखने की जरूरत है। एग्जिट पोल का कोई साइंटिफिक आधार नहीं है, लेकिन एक सोच बन जाती है कि ऐसा हो सकता है। हमारी काउंटिंग तो 8.30 बजे के बाद ही शुरू होती है। वास्तविक रूप से जब एक्चुअल रिजल्ट आने शुरू होते हैं तो उससे मिसलिड होती है।

आज एशिया का सबसे बड़ा डिजिटल सम्मेलन, हर चार साल में डिजिटल मानकीकरण में यह आयोजन निभाता है अहम भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में वर्ल्ड टेलीकम्युनिकेशन स्टैंडर्डाइजेशन असेंबली (WTSA) 2024 और आठवीं इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 का उद्घाटन करेंगे। दरअसल यह आयोजन अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) द्वारा आयोजित किया गया है, जो वैश्विक स्तर पर डिजिटल प्रौद्योगिकी के मानकीकरण में अहम भूमिका निभाता आ रहा है।

वहीं भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पहली बार WTSA का आयोजन हो रहा है, जो भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है। WTSA ITU का एक प्रमुख वैश्विक आयोजन माना जाता है, जो हर चार साल में एक बार आयोजित होता है।

190 से अधिक देशों से 3,000 से अधिक उद्यमी होंगे शामिल

दरअसल इस आयोजन में दूरसंचार और डिजिटल प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में मानकों का निर्धारण और दिशा तय की जाती है। वहीं इस बार के सम्मेलन में 190 से अधिक देशों से 3,000 से अधिक उद्यमी, नीति निर्माता और तकनीकी विशेषज्ञ शामिल होने जा रहे हैं। 6जी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), साइबर सुरक्षा और बिग डेटा जैसे भविष्य की तकनीकों पर चर्चा का केंद्र यह आयोजन रहने वाला है।

एशिया का सबसे बड़ा डिजिटल तकनीकी मंच

इसके साथ ही आपको बता दें कि इंडिया मोबाइल कांग्रेस 2024 को एशिया का सबसे बड़ा डिजिटल तकनीकी मंच माना जाता है। इस आयोजन में विश्वभर के उद्योग, सरकार, स्टार्टअप्स और शैक्षणिक संस्थान भी एकत्रित होने वाले हैं। वहीं इस साल आयोजन में 400 से अधिक प्रदर्शक, 900 स्टार्टअप्स और 120 से अधिक देशों की भागीदारी होने की उम्मीद जताई जा रही है। 100 से अधिक सत्रों में 600 से अधिक विशेषज्ञ भी इस आयोजन में शामिल होंगे और 900 से अधिक तकनीकी उपयोग मामलों का प्रदर्शन भी इसमें किया जाएगा।

पक्षपाती नहीं बल्कि कानूनवादी होनी चाहिए सरकार की नीति, यूपी के बहराइच बवाल पर मायावती ने योगी सरकार को घेरा, जानिए, उन्होंने क्या कहा

उत्तरप्रदेश के बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान बवाल में एक युवक की मौत और उसके बाद हुई हिंसा पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रतिक्रिया दी है। उन्‍होंने कहा है कि सरकार और प्रशासन की नीति पक्षपाती नहीं बल्कि पूरी तरह से कानूनवादी होनी चाहिए। उन्‍होंने बहराइच में कानून-व्‍यवस्‍था की स्थिति के नियंत्रण से बाहर जाने पर चिंता जताई और कहा कि शांति व्‍यवस्‍था सरकार की पहली जिम्‍मेदारी है। यदि यह जिम्‍मेदारी निभाई गई होती तो ऐसी घटना कभी भी नहीं होती।

मंगलवार को सोशल मीडिया अकाउंट 'एक्‍स' पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक के बाद एक दो ट्वीट में अपनी प्रतिक्रिया दी। मायावती ने लिखा- ' यूपी के बहराइच जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति का खराब होकर काबू से बाहर हो जाना चिन्ताजनक। ऐसे हालात के लिए शासन-प्रशासन की नीयत व नीति पक्षपाती नहीं बल्कि पूरी तरह से कानूनवादी होना चाहिए ताकि सम्बंधित मामला गंभीर न होकर यहां शान्ति व्यवस्था की स्थिति बनी रहे।'

मायावती ने लिखा, ' साथ ही, त्योहार कोई भी व किसी मजहब का हो, शान्ति व्यवस्था सरकार की पहली जिम्मेदारी है। ऐसे अवसर पर विशेष प्रबंध जरूरी। यदि ऐसी जिम्मेदारी निभाई गयी होती तो बहराइच की घटना कभी भी घटित नहीं होती। सरकार हर हाल में अमन-चैन व लोगों के जान-माल व मजहब की सुरक्षा सुनिश्चित करे।'

बता दें कि बहराइच में माहौल सामान्‍य हो रहा है। आज सीएम योगी ने लखनऊ में बहराइच बवाल में मारे गए युवक के परिजनों से मुलाकात कर न्याय का भरोसा दिया। बहराइच में फिलहाल बड़ी तादाद में पुलिस बल तैनात है और इंटरनेट सेवाओं को एहतियातन बंद रखा गया है।

उत्तरप्रदेश में फिर आई योगी आदित्यनाथ और अखिलेश की परीक्षा की घड़ी; यूपी में 10 असेंबली सीटों पर उपचुनाव की घोषणा आज

सीएम योगी और अखिलेश की परीक्षा की घड़ी फिर आ गई है। यूपी चुनाव की तारीखों का ऐलान आज हो सकता है। चुनाव आयोग ने 15 अक्टूबर को महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के लिए प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है। माना जा रहा है कि इसके साथ ही अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का ऐलान भी हो सकता है। इससे पहले भी हरियाणा और जम्मू कश्मीर चुनाव के साथ ही उपचुनाव करने की बात सामने आई थी।

यूपी में मिल्कीपुर विधानसभा, कटेहरी विधानसभा, सीसामऊ विधानसभा, कुंदरकी विधानसभा, करहल, गाजियाबाद, मीरापुर, फूलपुर, मझवा और खैर विधानसभा की दस सीटों पर उपचुनाव होना है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी में होने वाले उपचुनाव के लिए 6 सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर चुके हैं। वहीं भाजपा ने 9 सीटों को अपने पास रखा है और एक सीट रालोद को दी है। बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं पर नाम की घोषणा अभी नहीं की है। वहीं मायावती ने भी उपचुनाव लड़ने का ऐलान किया है पर बसपा से अभी कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं आया है।

करहल विधानसभा उपचुनाव

करहल विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के असेंबली से इस्तीफा देने के कारण उपचुनाव हो रहा है। कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सपा अध्यक्ष ने संसद लौटने का फैसला लिया था। अखिलेश ने इस सीट पर रिश्ते में अपने भतीजे और लालू यादव के दामाद तेज प्रताप सिंह यादव को एसपी का उम्मीदवार बनाया है।

मझवां विधानसभा उपचुनाव

मिर्जापुर की मझवा विधानसभा सीट बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर लड़े निषाद पार्टी के विनोद बिंद के इस्तीफा की वजह से रिक्त हुई है। सपा ने पूर्व सांसद रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने अभी इस सीट पर पत्ता नहीं खोला है।

फूलपुर उपचुनाव

प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट 2009 में आस्तित्व में आई। फूलपुर विधानसभा सीट पर प्रवीण पटेल 2022 में जीते थे। फूलपुर से सपा के सिंबल पर मुस्तफा सिद्दीकी मैदान में हैं। बीजेपी ने अभी प्रत्याशी नहीं उतारा है। यहां 2 बार कुर्मी और एक बार मुस्लिम विधायक चुने गए हैं।

कटेहरी उपचुनाव

अंबेडकरनगर की कटेहरी सीट से लालजी वर्मा विधायक थे, जो अब अंबेडकरनगर के सांसद बन गए हैं। सपा ने कटेहरी से शोभावती वर्मा को यहां से टिकट दिया है। बीजेपी ने अभी ऐलान नहीं किया है।

मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव

मिल्कीपुर (अयोध्या) यह सबसे चर्चित सीटों में से एक है जहां से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने 47.99% वोटों के साथ जीत हासिल की थी। अवधेश प्रसाद अब सांसद हो गए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद मिल्कीपुर सेट काफी चर्चा में है। सपा ने मिल्कीपुर से अजीत प्रसाद को प्रत्याशी बनाया है। मिल्कीपुर सीट पर समाजवादी पार्टी चार बार तो बीजेपी दो बार चुनाव जीती है। वहीं कांग्रेस ने तीन बार जीत दर्ज की है। यहां पासी यादव ब्राह्मण तीन जातियां चुनाव में अहम भूमिका निभाती हैं।

गाजियाबाद विधानसभा उपचुनाव

गाजियाबाद विधानसभा सीट पर भाजपा के अतुल गर्ग विधायक थे। वह अब सांसद हो गए हैं। इसके बाद यह सीट खाली हो गई। 2012 में यहां बसपा जीती थी और 2017 में भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

मीरापुर विधानसभा उपचुनाव

मुरादाबाद की मीरापुर विधानसभा सीट पर रालोद तो कब्जा था। यहां चंदन चौहान विधायक थे। उनके सांसद चुने जाने के बाद यह सीट खाली हुई है। 2012 में बसपा तो 2017 में बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की थी। यहां जाट और मुसलमानों का प्रभाव ज्यादा है।

सीसाामऊ विधानसभा उपचुनाव

कानपुर नगर की सीसाामऊ विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार हाजी इरफान सोलंकी ने जीत हासिल की थी। यहां से सपा ने इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है। सीसामऊ सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है।

खैर विधानसभा उपचुनाव

अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट भाजपा के विधायक अनूप प्रधान विधायक थे। अनूप सिंह लोकसभा चुनाव जीतकर संसद बन गए हैं। 2012 में या सेट रालोद ने और 2017 ने बीजेपी में जीती थी। इस सीट पर जातीय समीकरण की बात करें तो जाट, ब्राह्मण ,दलित और मुसलमान का अच्छा प्रभाव दिखता है।

कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव

संभल की कुंदरकी विधानसभा सीट पर जियाउल रहमान बर्क विधायक थे। वह संभल लोकसभा सीट से सांसद हो गए हैं। इसके बाद यह सीट खाली हो गई है। सपा इस सीट पर 2012-17 और 2022 में चुनाव में जीत दर्ज कर चुकी है। यह सीट बीजेपी के लिए चुनौती बनी हुई है।

6 सीटाें पर सपा के ये उम्मीदवार

सपा ने छह सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर चुकी है। करहल से तेज प्रताप सिंह यादव, सीसामऊ से नसीम सोलंकी, फूलपुर से मुफ्तफा सिद्दीकी, मिल्कीपुर से अजीत प्रसाद, कटेहरी से शोभावती वर्मा और मझंवा से ज्योति बिंद को उम्मीदवार बनाया गया है।

भाजपा का इन सीटों पर फोकस

भाजपा का खासतौर से कुंदरकी, सीसामऊ, मिल्कीपुर और कटेहरी पर फोकस है। गाजियाबाद और खैर पहले से पार्टी के पास थीं। वहीं मझवां और फूलपुर सीटों पर भी एनडीए का कब्जा था। जहां तक उपचुनाव वाली सीटों का सवाल है तो भाजपा ने यहां चुनावी तैयारी तो काफी पहले ही शुरू कर दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह सभी सीटों पर एक राउंड का दौरा कर चुके हैं। इसके लिए संगठन और सरकार के चेहरों को भी सीटवार जिम्मेदारी दी गई है। पार्टी की ओर से 30 मंत्रियों को 10 सीटों पर लगाया गया है।

पैंगोंग त्सो झील के पास क्या बना रहा चीन? सैटेलाइट तस्वीरें खोल रही ड्रैगन के मंसूबों की पोल

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एक तरफ सीमा पर भारत और चीन तनाव कम करने की कोशिश में लगे हे हैं, वहीं दूसरी तरफ ड्रैगन अपनी हरकतों से बाज आता नहीं दिख रहा है। भारत के साथ जारी बातचीत की आड़ में चीन इन दिनों पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट के पास बड़े पैमाने पर एक बस्ती का निर्माण कर रहा है। चीन की इस चाल का खुलासा सैटेलाइट तस्वीरों से हुआ है, जिसमें बस्ती को आकार लेते देखा जा सकता है। 

पूर्वी लद्दाख में गतिरोध को हल करने के लिए पिछले कई सालों से भारत और चीन के बीच बातचीत चल रही है। इस बीच सैटेलाइट से ली गईं कई इमेज सामने आई हैं। इंडिया टुडे की रिपोर्ट की मानें तो भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने पेंगांग झील के उत्तरी किनारे पर नए चीनी बेस की सैटेलाइट इमेज का विश्लेषण किया है। जिसमें देखा गया है कि पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी तट के पास चीन एक बड़ी बस्ती का निर्माण कार्य कर रहा है।

यह नया बेस एलएसी से 36 किलोमीटर पूर्व में है और चीन द्वारा पेंगांग झील के पास बनाए गए नए पुल से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। इस चीनी बेस पर निर्माण गतिविधियां चीन की एक रणनीति का हिस्सा हो सकती है, जिसमें वह उन क्षेत्रों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है जो पहले से ही खाली थे।

इस नए चीनी बेस में 70 से अधिक स्थायी संरचनाएं बताई जा रही हैं। ये संरचनाएं एक बड़े क्षेत्र में फैली हुई हैं। इन संरचनाओं को इस तरह से तैयार किया गया है कि यहां से मिसाइल हमलों के प्रभाव को कम किया जा सके। रिपोर्ट्स की मानें तो यहां पर काम कर रहे सैनिकों और पोर्टर्स के लिए आवास तैयार किया गया है। हर संरचना में 6-8 सैनिक या 10 टन तक की सामग्री रखी जा सकती है, जिसमें गोला-बारूद भी शामिल हो सकता है।

जानकारों की मानें तो इस गांव में भारी मशीनरी का इस्तेमाल किया जा रहा है। जैसे क्रेन और अन्य उपकरण, जो निर्माण गतिविधियों को दर्शाते हैं। यहां कई दो मंजिला इमारतें, प्रशासनिक कार्यालय और सांस्कृतिक केंद्र भी बन रहे हैं। इसके अलावा, बिजली की आपूर्ति के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं और एक पंपिंग स्टेशन का निर्माण भी किया जा रहा है। जो आसपास की नदी से पानी की व्यवस्था करेगा।

अमेरिकी कंपनी मैक्सार टेक्नोलॉजीज की ओर से 9 अक्टूबर को कैप्चर की गई सैटेलाइट तस्वीरों में लगभग 17 हेक्टेयर क्षेत्र में तेजी से निर्माण कार्य दिखाया गया है। 4,347 मीटर की ऊंचाई पर येमागौ रोड के पास स्थित यह स्थल निर्माण और मिट्टी हटाने वाली मशीनरी से भरा हुआ है। तक्षशिला संस्थान में जियो पॉलिटिकल रिसर्च प्रोग्राम के प्रोफेसर और प्रमुख वाई निथ्यानंदम के अनुसार, "आवासीय संरचनाओं और बड़ी प्रशासनिक इमारतों सहित 100 से अधिक इमारतें बनाई जा रही हैं। खुली जगहें और समतल भूमि पार्कों या खेल सुविधाओं के लिए संभावित भविष्य के उपयोग का सुझाव देती हैं। 

उन्होंने दक्षिण-पूर्व कोने में 150 मीटर लंबी आयताकार पट्टी की ओर भी इशारा किया, यह अनुमान लगाते हुए कि इसे हेलीकॉप्टर संचालन के लिए तैयार किया जा सकता है। सैटेलाइट इमेज से ये भी पता चलता है कि झील की ओर ढलान वाली नदी के किनारे अप्रैल 2024 की शुरुआत में निर्माण शुरू हुआ था।

अब भारत में दो ही जातियां होनी चाहिए…धीरेंद्र शास्त्री ने सरकार से कर दी बड़ी मांग, हिंदू राष्ट्र पर भी कही बड़ी बात

बागेश्वर धाम के प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने नवरात्रि में मौन व्रत रखा था। नवरात्रि के बाद अब उन्होंने अपना मौन व्रत खोलते हुए बागेश्वर धाम में दिव्य दरबार लगाया। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके भक्त बागेश्वर धाम पहुंचे। इस दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने सरकार से नई मांग की है। उन्होंने कहा कि अब भारत में दो ही जातियां होनी चाहिए। सरनेम तो सबके रहेंगे। लेकिन अब सरकार को दो ही जातियां बनानी चाहिए। क्योंकि भारत के विकास के लिए यह बहुत जरूरी है।

बागेश्वर धाम में लगे दिव्य दरबार के दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा ‘अब भारत की गली गली में केवल बजरंग बली की चलेगी, अगर तुम राम के नहीं तो किसी काम के नहीं। उन्होंने कहा की हमने 9 दिनों तैयारी कर ली है की अब भारत में जात पात, ऊंच नीच, छुआ छूत, भेद भाव को मिटाना है, सर नेम तो सबके रहेंगे लेकिन अब सरकार को दो जातीय बनानी चाहिए अमीर की और गरीब की। ताकि भारत का विकास हो सके, ताकि गरीबों के साथ अन्याय और अत्याचार न हो। गरीबों का स्तर उठाना है।

इस दौरान पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने एक बार फिर हिंदू राष्ट्र पर भी बड़ी बात कही। उन्होंने कहा ‘भारत में वर्तमान में हो रहे अंधविश्वास को इसी बल पर रोका जा सकता है, कोई भी सरकार काम नहीं करेगी अब तुम्हे खुद सरकार बनना पड़ेगा, केवल बागेश्वर बाबा हिन्दू राष्ट्र नहीं बना पाएंगे अब भारत के प्रत्येक युवा भाई बहन को बागेश्वर बाबा बनना पड़ेगा तभी हिंदूराष्ट्र बनेगा। बता दें कि यह कोई पहला मौका नहीं है जब पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदू राष्ट्र पर बयान दिया हो। इससे पहले भी वह कई बार इस मुद्दे पर बयान देते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यात्रा भी नहीं की थी। बागेश्वर धाम में ही साधना की थी। लेकिन नवरात्रि का उत्सव पूरा होने के बाद उन्होंने अपना मौन व्रत खोला और दिव्य दरबार लगाना शुरू किया। पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं।

हम लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन…भारत ने लिया सख्त एक्शन, बिलबिलाए PM जस्टिन ट्रूडो, फिर आमने-सामने दोनों देश, जानिए, पूरा विवाद

खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा के बयान पर भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है. इनमें कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर, उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट, सचिव मैरी कैथरीन जोली, सचिव लैन रॉस डेविड ट्राइट्स, सचिव एडम जेम्स चुइपका और सचिव पाउला ओर जुएला को 19 अक्टूबर की रात या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा गया है. इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का बयान सामने आया है.

उन्होंने कहा, ‘एक ऐसा रास्ता था जहां हम जवाबदेही और बदलाव सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम कर सकते थे और ऐसे कदम उठा सकते थे जिससे कनाडाई सुरक्षित रहें, क्योंकि यह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है. भारत, भारतीय सरकार ने उन प्रयासों को अस्वीकार कर दिया. इस समस्या से निपटने के हमारे प्रयासों को अस्वीकार कर दिया और इसने हमें इस बिंदु पर ला खड़ा किया कि हमें कनाडा में भारतीय राजनयिकों से लेकर आपराधिक संगठनों तक की गतिविधियों की चैन को बाधित करना पड़ा, जो पूरे देश में कनाडाई लोगों पर सीधे हिंसक प्रभाव डालती हैं.’

ट्रूडो का आरोप

उन्होंने कहा, ‘हम यह लड़ाई नहीं चाहते, लेकिन जाहिर है कि कनाडा की धरती पर एक कनाडाई की हत्या ऐसी चीज नहीं है जिसे हम एक देश के रूप में नजरअंदाज कर सकें.’

ट्रूडो ने कहा, ‘जैसा कि रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) कमिश्नर ने पहले कहा था, उनके पास साफ और ठोस सबूत है. भारत सरकार के एजेंट सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं. इसमें खुफिया जानकारी इकट्ठा करना, दक्षिण एशियाई कनाडाई लोगों को टारगेट कर हत्या सहित धमकी देने जैसे मामले शामिल हैं. ये अस्वीकार्य है. RCMP ने सबूत साझा करने के लिए भारतीय अधिकारियों से मुलाकात की, जिसमें ये निष्कर्ष निकाला गया कि भारत सरकार के 6 एजेंट आपराधिक गतिविधियों में शामिल हैं. भारत सरकार से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद उन्होंने सहयोग नहीं किया.

भारत ने कनाडा से उच्चायुक्त को वापस बुलाया

इससे पहले भारत ने कनाडा से उच्चायुक्त को वापस बुला लिया. भारत कनाडा से अपने और कई अफसरों को वापस बुलाएगा. विदेश मंत्रालय ने आरोपों के पीछे ट्रूडो सरकार का पॉलिटिकल एजेंडा करार दिया और कहा कि ये भारत को बदनाम करने की एक सोची-समझी रणनीति है. ये कोई संयोग नहीं है कि ये सब ऐसे समय में हो रहा है. जब ट्रूडो को विदेशी दखल मामले पर पर एक आयोग के सामने पेश होना है.

वहीं विदेश मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे ट्रूडो सरकार की वोट बैंक की राजनीति और चीन की साजिश दिख रही है. कनाडा ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी, उसके दो मुख्य कारण दिख रहे हैं, पहला, कनाडा में ट्रूडो सरकार की वोट बैंक की राजनीति, और दूसरा, वो चीन के चेकर्स का खेल में हैं.

ट्रूडो की सरकार की भारत विरोधी अभियान

ट्रूडो के भारत विरोधी अभियान की एक बड़ी वजह बताई जा रही है. दरअसल, कनाडा की कुल जनसंख्या करीब 4 करोड़ है. यहां भारतीय मूल के 14 लाख लोग रहते हैं, जिसमें सिखों की आबादी 8 लाख है, जिनका राजनीति में अच्छा खासा दखल है. कनाडा की संसद में सांसद की संख्या 338 है, जिसमें से सिख सांसद 18 हैं. हाल में हुए चुनाव में ट्रूडो की पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से उनकी पार्टी अल्पमत में आ गई है. ट्रूडो ने न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी से समर्थन लिया है, जिसके सहारे उनकी सरकार चल रही है. न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष जगमीत सिंह सिख हैं. ये खालिस्तान समर्थक है. इस पार्टी को लुभाने के लिए ट्रूडो ने ऐसा कदम उठाया है.

एक नजर में भारत-कनाडा विवाद

18 जून 2023: हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या

18 सितंबर 2023: ट्रूडो ने निज्जर की मौत के पीछे भारतीय एजेंट्स का हाथ बताया. भारत ने कनाडा सरकार के आरोपों को खारिज कर दिया.

19 सितंबर 2023: भारत ने कनाडा के एक सीनियर डिप्लोमैट को निकाला

20 सितंबर 2023: कनाडा में रहने वाले लोगों के लिए एडवाइजरी जारी, भारत विरोधी कार्यों के देखते हुए सतर्क रहने को कहा.

21 सितंबर 2023: भारत ने कनाडा के लोगों के लिए वीजा सेवाएं सस्पेंड कीं.

23 सितंबर 2023: PM टूड्रो ने कहा कि भारत से सबूत शेयर किए गए.

13 अक्टूबर 2024: कनाडा ने भारत को एक चिट्ठी भेजी, हाई कमिश्नर संजय वर्मा, अधिकारियों को एक मामले में संदिग्ध बताया.

14 अक्टूबर 2024: भारत ने हाई कमिश्नर और डिप्लोमैट्स को भारत बुलाने का फैसला किया.

14 अक्टूबर 2024: भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को 19 अक्टूबर तक वापस लौटने का आदेश दिया.

कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बैन करने की उठी मांग, जानें क्या है वजह

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भारत और कनाडा के बीच तनाव फिर से बढ़ गया है। खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में कनाडा सरकार ने भारत के उच्चायुक्त के शामिल होने का आरोप लगाया है। भारत सरकार ने इसके बाद अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य राजनयिकों को वापस बुला लिया है। दोनों देशों में बढ़ते तनाव के बीच कनाडा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेटवर्क पर बैन लगाने की मांग उठी है।

न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (एनडीपी) के नेता जगमीत सिंह ने कनाडा में आरएसएस के नेटवर्क पर बैन लगाने की मांग की है। सिंह ने यह बयान भारतीय राजनयिकों के निष्कासन और आपराधिक जांच के संदर्भ में जारी किया।

जगमीत सिंह ने कहा, "आरसीएमपी कमिश्नर द्वारा जारी की गई जानकारी को लेकर न्यू डेमोक्रेट्स चिंतित है। सिंह का आरोप है कि भारतीय अधिकारियों के हाथों कनाडाई, विशेष रूप से कनाडा के सिख समुदाय, डर, धमकी, उत्पीड़न और हिंसा का शिकार हो रहे हैं। उनके मुताबिक सिखों संग जबरन वसूली की जा रही है।

बयान में मारे गए आतंकवादी निज्जर का भी जिक्र है। दावा किया गया है कि कनाडा के पास भारत के खिलाफ कनाडाई हरदीप सिंह निज्जर (भारत द्वारा घोषित आतंकवादी) के मर्डर से संबंधित पुख्ता सबूत हैं। उन्होंने आगे कहा, सितंबर 2023 में ही आरसीएमपी ने 13 लोगों को जान का खतरा बताते हुए चेतावनी जारी की थी। सिंह के मुताबिक, खतरे की चेतावनी के बावजूद कनाडाई नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की। हमारी प्राथमिकता कनाडाई नागरिकों के लिए सुरक्षित माहौल मुहैया कराने की है ताकि वो जबरन वसूली, हिंसा और चुनावी हस्तक्षेप से मुक्त रहें। कनाडा और हमारे नागरिकों की सुरक्षा के हित में मैं सभी नेताओं से आग्रह करता हूं कि वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करें और भारत सरकार की जवाबदेही तय करें।

जगमीत सिंह ने कनाडाई सरकार से भारतीय राजनयिकों के निष्कासन के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि हम एक बार फिर से कनाडा सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि वह भारत के खिलाफ राजनयिक प्रतिबंध लगाए। आरएसएस पर कनाडा में बैन लगाएं और किसी भी ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई का वचन दें जो कनाडाई मिट्टी पर संगठित आपराधिक गतिविधियों में शामिल पाया जाए।

एनडीपी नेता जगमीत सिंह ने ये मांग उस वक्त उठाई है जब भारत और कनाडा के रिश्तों में एक बार फिर तल्खी देखी जा रही है। दरअसल, खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर मामले में कनाडा ने एक बार फिर भारत विरोधी बयान दिया है। जिसके बाद भारत ने सख्त एक्शन लेते हुए कनाडा के 6 राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। वहीं, कनाडा से अपने उच्चायुक्त और अन्य राजनायिकों को वापस बुला लिया है।

भारत ने 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए अमेरिका के साथ किया समझौता

अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि भारत सरकार-से-सरकार ढांचे के तहत अमेरिकी रक्षा प्रमुख जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदेगा। दोनों देशों ने आज बहुप्रतीक्षित सौदे पर हस्ताक्षर किए।

भारतीय नौसेना को 15 सी गार्जियन ड्रोन मिलेंगे, जबकि भारतीय वायु सेना और सेना को आठ-आठ स्काई गार्जियन ड्रोन मिलेंगे। 32000 करोड़ रुपये के इस सौदे के तहत भारत में रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधा भी शुरू की जाएगी। वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में दोनों पक्षों ने इस सौदे पर हस्ताक्षर किए। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) ने पिछले सप्ताह 31 प्रीडेटर ड्रोन के अधिग्रहण को मंजूरी दी।

इन अनुबंधों पर हस्ताक्षर करने के लिए सैन्य और कॉर्पोरेट अधिकारियों की अमेरिकी टीम भारत में है। नौसेना प्रणालियों के लिए संयुक्त सचिव और अधिग्रहण प्रबंधक सहित शीर्ष भारतीय रक्षा अधिकारी हस्ताक्षर समारोह के दौरान मौजूद रहने वाले थे। भारत कई वर्षों से अमेरिका के साथ इस सौदे पर चर्चा कर रहा था, लेकिन कुछ सप्ताह पहले रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में अंतिम बाधाएं दूर हो गईं।

प्रिडेटर ड्रोन क्या हैं?

MQ-9B 'हंटर-किलर' ड्रोन सशस्त्र बलों के निगरानी तंत्र को मजबूत करेंगे, खासकर चीन के साथ विवादित सीमा पर। पिछले साल जून में, रक्षा मंत्रालय ने सरकार-से-सरकार ढांचे के तहत अमेरिका से MQ-9B प्रीडेटर सशस्त्र ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी थी। MQ-9B ड्रोन MQ-9 "रीपर" का एक प्रकार है, जिसका उपयोग हेलफायर मिसाइल के संशोधित संस्करण को लॉन्च करने के लिए किया गया था, जिसने जुलाई 2022 में काबुल के मध्य में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी को मार गिराया था। उच्च ऊंचाई वाले लंबे समय तक चलने वाले ड्रोन 35 घंटे से अधिक समय तक हवा में रहने में सक्षम हैं और चार हेलफायर मिसाइल और लगभग 450 किलोग्राम बम ले जा सकते हैं।

इस डील से ये साबित होता है कि भारत लगातार अपनी सेना को और मजबूत कर रहा है साथ ही अपनी सीमाएँ सुरक्षित करने में अग्रसर रूप से काम कर रहा है। अमेरिका के साथ इस खरीद से भारत को बहुत लाभ होगा साथ ही रिश्ते मज़बूत होंगे।

क्या सलमान खान से बदला ही है लॉरेंस बिश्नोई गैंग का इरादा, कहीं नया दाऊद बनने का तो नहीं है इरादा?

#lawrence_bishnoi_gang_operate_like_underworld_don_dawood_ibrahim

बाबा सिद्दीकी हत्याकांड की पूरे देश में चर्चा है। इस हत्याकांड की जिम्मेदारी लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है। 8 साल से जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का खौफ चरम पर है। लॉरेंस बिश्नोई जिस तरह की चालें चल रहा है, उससे ये सवाल उठने लगे हैं कि क्या वो अंडरवर्ल्‍ड डॉन दाऊद इब्राह‍िम बनन चाहता है? दरअसल, जो काम डी गैंग नहीं कर सका, वह काम लॉरेंस बिश्नोई गैंग कर रहा है। उत्तर भारत खासतौर पर हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राजस्थान में खौफ का राज कायम करने के बाद मायानगरी परप कब्जे की फिराक में है।

बाबा सिद्दकी का अंडरवर्ल्ड कनेक्शन था, इंटेलिजेंस एजेंसियों को इसकी जानकारी थी। कुछ सूत्रों का कहना है कि कभी देश में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का दबदबा हुआ करता था। दाऊद के करीबी बाबा सिद्दीकी को मारकर लॉरेंस बिश्नोई देश में वही दबदबा खुद का बनाना चाहता है।

दरअसल, लॉरेंस बिश्नोई जब महज पांच साल का था उस समय बॉलीवुड एक्टर सलमान खान से जुड़ा काला हिरण शिकार का मामला 1998 में राजस्थान में फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं’ की शूटिंग के दौरान सामने आया था। इस घटना के कारण बिश्नोई समाज काफी नाराज हो गया। आलम यह रहा कि छब्बीस साल बाद जेल में रहते हुए भी कुख्यात गैंगस्टर का सलमान के प्रति गहरा आक्रोश सुर्खियों में बना हुआ है।

सलमान खान के साथ 26 साल पुरानी दुश्मनी को अब लॉरेंस हर हाल में मुकाम तक पहुंचाना चाह रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए सबसे पहले उसे बॉलीवुड से डी कंपनी को बेदखल करना होगा। बाबा सिद्दीकी की हत्या इसी दिशा में बढ़ाया गया बड़ा कदम माना जा रहा है। अंडरवर्ल्ड डॉन और आतंकवादी दाऊद इब्राहिम की 'डी कंपनी' से बाबा सिद्दीकी की संबंध थे। यह जग जाहिर है।

रॉ के पूर्व अधिकारी एनके सूद की मानें तो बाबा सिद्दीकी बॉलिवुड और अंडरवर्ल्ड के बीच ब्रिज का काम करता था। कुछ सूत्रों का कहना है कि अंडरवर्ल्ड डॉन के करीबी सिद्दीकी को मारने के बाद लॉरेंस का नाम और ज्यादा चर्चा में आ गया है। वह धीरे-धीरे देश में सबसे बड़ा गैंगस्टर बनकर उभर रहा है। बाबा सिद्दीकी को मारकर उसने सीधे दाऊद इब्राहिम को टारगेट किया है और अब इस घटना के बाद लॉरेंस बिश्नोई और चर्चित हो गया है। ऐसे में बाबा सिद्दीकी की हत्या दो अलग-अलग समूहों डी कंपनी और लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के बीच बढ़ते सत्ता संघर्ष को भी उजागर करती है, जिनके दोनों प्रमुख मुंबई शहर से बहुत दूर बैठे हैं।

लॉरेंस बिश्नोई पहले से ही हफ्ता वसूली के लिए दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के रियल एस्टेट कारोबारियों को टारगेट करता रहा है। यहां तो किसी कारोबारी ने कभी लॉरेंस से टकराने की हिम्मत नहीं दिखाई, लेकिन मुंबई में टकराव होने की संभावना है. ऐसे में चुनौतियों का सामना करने के आदी हो चुके लॉरेंस ने मुंबई में पांव पसारने की योजना तैयार की है। इसके लिए हरियाणा और पंजाब से कई विश्वासपात्रों को मुंबई में स्थापित भी कर दिया है।

माना जा रहा है कि लॉरेंस के लक्ष्य में उसका खास गुर्गा संपत नेहरा भी साथ दे रहा है। यह बदमाश भी पंजाब की जेल में है, लेकिन अपने नेटवर्क के जरिए इसने मुंबई में बदमाशों की फौज खड़ी कर ली है। एनआईए ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़ के खिलाफ गैंगस्टर टेरर केस में एक चार्जशीट दाख‍िल की है। इसमें साफ-साफ बताया है क‍ि ज‍िस तरह दाऊद इब्राह‍िम ने 90 के दशक में गैंग खड़ा क‍िया था, ठीक उसी तरह लॉरेंस बिश्नोई भी टारगेट किलिंग, वसूली रैकेट के जर‍िये साम्राज्‍य खड़ा कर रहा है। उसके पास 700 से ज्‍यादा शूटर हैं। इनमें तमाम नाबाल‍िग हैं। लॉरेंस का गैंस 11 राज्‍यों और 6 देशों में फैला हुआ है। पंजाब में इसके सबसे ज्‍यादा शूटर होने की बात कही जा रही है।