आज विजयदशमी !जानिये क्यों विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है.

आज विजयादशमी मनायी जा रही है. आश्विन शुक्ल दशमी तिथि 12 अक्टूबर को भोर 05:47 मिनट से लग चुकी है जो 13 अक्टूबर की भोर 04:19 तक रहेगी. वहीं, 12 अक्टूबर को ही नवरात्र व्रत की पारना एवं सायंकाल दुर्गा प्रतिमाओं का विजर्सन होगा. 

वैसे तो विजयादशमी बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है. लेकिन, इस दिन कुछ कार्य से होते हैं जो करने अनिवार्य होते हैं. जिसमें शमी का पूजन भी करना जरूरी माना गया है, 

विजयादशमी विजय मुहूर्त:

 इस बारे में देखा जाये, तो आश्विन शुक्ल दशमी को श्रवण नक्षत्र के संयोग होने से विजयादशमी होती है. इस बार श्रवण नक्षत्र 11/12 की रात्रि 01:34 मिनट पर लगा है. जो 12/13 की मध्यरात्रि 12:52 तक रहेगी. प्राचीन समय में इस दिन राज्य वृद्धि की कामना और विजय प्राप्ति की कामना वाले राजा विजयकाल में प्रस्थान करने से आश्विन शुक्ल दशमी की सायंकाल विजयतारा. उदय होने के समय विजयकाल रहता है. 

रावण का नाश होकर भगवान श्रीराम की विजय:

विजय मुहूर्त में जिस भी कार्य को प्रारंभ किया जाये उसमें विजय अवश्य प्राप्त होती है. इसलिए, इस मुहूर्त को अपुच्छ मुहूर्त भी कहा जाता है. मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने पम्पासुर के जंगल की समस्त वानरी सेना को साथ लेकर आश्विन सुदी दशमी की श्रवण नक्षत्र वाले रात्रि में प्रस्थान कर लंकापुरी पर चढ़ाई की थी. जिसका परिणाम यह हुआ, कि राक्षसराज रावण का नाश होकर भगवान श्रीराम की विजय हुई. इसलिए यह दिवस अतिपवित्र माना गया.

 विजयादशमी को शमी पूजन का अत्यधिक महत्व शास्त्रों में कहा गया है.

 शमी शमयते पापं शमी शत्रु विनाशनी. अर्जुनाय धनुर्धारी रामाय प्रियवादिनी. अर्थात हे शमी! पापों का नाश करने वाली है. शत्रुओं को नष्ट कर देने वाली है. तुम्हें अर्जुन को धनुष को धारण किया और रामचंद्र के प्रिय हैं. देखा जाये तो शमी वृक्ष का महत्व त्रेतायुग में श्रीरामचंद्र जी के समय तो था ही, महाभारत के द्वापरकाल में भी भगवान श्रीकृष्ण के समय में भी था.दुर्योधन से निर्वासित होकर वीर पांडव वन में अनेक कष्ट सहकर जब राजा विराट की नगरी में भेष बदलकर गए, तब अपने अस्त्रों को शमी वृक्ष के ऊपर रख गए थे.

 विपत्ति काल में राजा विराट के यहां बिताया था. जिस समय शत्रुओं की रक्षा करने के लिए विराट के उत्तर कुमार ने अर्जुन को अपने साथ लिया और अर्जुन ने भी उसी शमी वृक्ष पर रखे धनुष-बाण को उठाया था. उस समय देवता के तरह इसी शमी वृक्ष ने पांडवों के अस्त्रों की रक्षा की थी.

विजयदशमी को शमी वृक्ष पूजन का महत्व:इसी प्रकार भगवान राम ने लंका विजय के प्रस्थान के समय भी शमी वृक्ष ने भगवान राम से कहा था, कि भगवान राम की ही विजय होगी. इसी निमित्त प्रत्येक विजयदशमी को शमी वृक्ष पूजन का महत्व होता है. 

विजया दशमी तिथि विशेष पर अपराजिता पूजन करने से व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में सफलता अर्जित करता है. इसी दिन नीलकंठ दर्शन का भी अत्यधिक महत्व है. नीलकंठ को साक्षात भगवान शिव माना जाता है. विजयादशमी को नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति के साथ ही चारों पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है.

आज का पंचांग- 11 अक्टूबर 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- आश्विन

तिथि

शुक्ल पक्ष अष्टमी- अक्टूबर 10 12:32 PM- अक्टूबर 11 12:07 PM

नक्षत्र

उत्तराषाढ़ा- अक्टूबर 11 05:41 AM- अक्टूबर 12 05:25 AM

योग

सुकर्मा- अक्टूबर 11 04:36 AM- अक्टूबर 12 02:46 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:25 AM

सूर्यास्त- 6:01 PM

चन्द्रोदय- अक्टूबर 10 12:55 PM

चन्द्रास्त- अक्टूबर 10 11:34 PM

अशुभ काल

राहू- 1:40 PM- 3:07 PM

यम गण्ड- 6:25 AM- 7:52 AM

कुलिक- 9:19 AM- 10:46 AM

दुर्मुहूर्त- 10:17 AM- 11:04 AM, 02:56 PM- 03:42 PM

वर्ज्यम्- 03:01 PM- 04:39 PM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:50 AM- 12:37 PM

अमृत काल- 12:47 AM- 02:24 AM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:49 AM- 05:37 AM

आज का राशिफल, 11 अक्टूबर 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा...?

ग्रहों की स्थिति- गुरु वृषभ राशि में। मंगल मिथुन राशि में। सूर्य और केतु कन्या राशि में। शुक्र और बुध तुला राशि में। चंद्रमा अभी भी धनु राशि में बने हुए हैं। वक्री शनि कुंभ राशि में। राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं।

राशिफल-

मेष राशि- यात्रा का योग बनेगा। धर्म-कर्म में हिस्सा लेंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान अभी भी मध्यम रहेगा। व्यापार बहुत अच्छा है। हरी वस्तु का दान करें।

वृषभ राशि- बच्चों की सेहत में सुधार हो चुका है, प्रेम-संतान का भरपूर सहयोग। स्वास्थ्य भी अच्छा। थोड़ी सी चोट-चपेट न लगने पाए। स्थिति आपकी रिस्क लेने लायक नहीं है। पीली पीली वस्तु का दान करें।

मिथुन राशि- जीवनसाथी का भरपूर सहयोग मिलेगा। प्रेम-संतान का साथ है। व्यापार बहुत अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

कर्क राशि- गुण-ज्ञान की प्राप्ति होगी। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार मध्यम। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- पढ़ने-लिखने में समय व्यतीत करें। विद्यार्थियों के लिए अच्छा। स्वास्थ्य अभी मध्यम बना हुआ है। प्रेम-संतान व्यापार बहुत अच्छा है। प्रेम में तूतू-मैंमैं से बचना चाहिए। पीली वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- गृहकलह के संकेत हैं लेकिन भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य में सुधार हो चुका है। प्रेम, संतान भी अच्छा। व्यापार भी अच्छा। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

तुला राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान अच्छा। व्यापार अच्छा है। भगवान विष्णु को प्रणाम करते रहें।

वृश्चिक राशि- धन का आवक बढ़ेगा। कुटुंबों में वृद्धि होगी। स्वास्थ्य में सुधार होगा, प्रेम-संतान का साथ होगा। व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

धनु राशि- सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम-संतान का भरपूर सहयोग मिलेगा। व्यापार भी अच्छा है। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- मन चिंतित रहेगा। अज्ञात भय सताएगा। स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा। प्रेम-संतान, व्यापार बहुत अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- यात्रा का योग बनेगा। किसी बहुत अच्छे समाचार की प्राप्ति होगी। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी। प्रेम-संतान व व्यापार बहुत अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

मीन राशि- राजनीतिक लाभ मिलेगा। उच्चाधिकारियों का आशीर्वाद मिलेगा। व्यावसायिक सफलता मिलेगी। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम-संतान, व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नवम स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है,मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती है

नवरात्रि की समाप्ति मां दुर्गा के नवमं स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा से होती है। नव दुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां सिद्धिदात्री भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं और उन्हें यश, बल और धन भी प्रदान करती हैं। 

शास्त्रों में मां सिद्धिदात्री को सिद्धि और मोक्ष की देवी माना जाता है। मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व यह 8 सिद्धियां हैं। 

मां सिद्धिदात्री महालक्ष्मी के समान कमल पर विराजमान हैं। मां के चार हाथ हैं। मां ने हाथों में शंख, गदा, कमल का फूल और च्रक धारण किया है। 

मां सिद्धिदात्री को माता सरस्वती का रूप भी मानते हैं। मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं। देवीपुराण के अनुसार, भगवान शंकर ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। 

इनकी कृपा से भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वह लोक में अर्द्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए। सिद्धिदात्री मां के भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष नहीं करती है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे।

मां सिद्धिदात्री पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं।

मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है।

मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें।

मां को रोली कुमकुम लगाएं।

मां को मिष्ठान, पंच मेवा, फल अर्पित करें।

माता सिद्धिदात्री को प्रसाद, नवरस युक्त भोजन, नौ प्रकार के पुष्प और नौ प्रकार के ही फल अर्पित करने चाहिए।

मां सिद्धिदात्री को मौसमी फल, चना, पूड़ी, खीर, नारियल और हलवा अतिप्रिय है। कहते हैं कि मां को इन चीजों का भोग लगाने से वह प्रसन्न होती हैं।

माता सिद्धिदात्री का अधिक से अधिक ध्यान करें।

मां की आरती भी करें।

नवमी के दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन कन्या पूजन भी करें।

पूजा मंत्र-

 सिद्धगन्‍धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,

सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

ओम देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।

अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा, कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।

मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले; भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।

मां सिद्धिदात्री बीज मंत्र

ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।

मां सिद्धिदात्री प्रार्थना मंत्र

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।

मां सिद्धिदात्री स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।

आज का राशिफल, 10 अक्टूबर 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज कैसा रहेगा आप का दिन..?

मेष राशि- अच्छे दिनों की ओर आप जा रहे हैं। स्वास्थ्य थोड़ा मध्यम। ऊर्जा का स्तर घटा हुआ रहेगा। प्रेम, संतान मध्यम रहेगा। व्यापार बहुत अच्छा रहेगा। यात्रा का योग बनेगा। धर्म-कर्म में हिस्सा लेंगे। हरी वस्तु का दान करें।

वृषभ राशि- बचकर पार करें। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान मध्यम है। व्यापार लगभग सही रहेगा। पीली वस्तु का दान करें।

मिथुन राशि- आनंददायक दिन रहेगा। प्रेमी-प्रेमिका की मुलाकात हो सकती है। जो लोग विवाहित हैं उन्हें जीवनसाथी का सानिध्य मिलेगा। प्रेम-संतान बहुत अच्छा है। व्यापार बहुत अच्छा है। भगवान विष्णु को प्रणाम करते रहें।

कर्क राशि- शत्रुओं पर विजय पाएंगे। गुण-ज्ञान की प्राप्ति होगी। स्वास्थ्य थोड़ा मध्यम रहेगा। प्रेम, संतान में दूरी रहेगी। व्यापार सही चलता रहेगा। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- भावनाओं में बहकर कोई निर्णय न लें। स्वास्थ्य ठीक है। प्रेम, संतान भी अच्छा है। व्यापार भी अच्छा है। पीली वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- भूमि, भवन व वाहन की खरीदारी संभव है लेकिन थोड़ा गृहकलह भी संभव है। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार सही है। शनिदेव को प्रणाम करते रहें।

तुला राशि- नाक, कान व गला की थोड़ी सी परेशानी हो सकती है। व्यापारिक स्थिति आपकी अच्छी है। स्वास्थ्य मजबूत है इसलिए कोई बड़ी परेशानी नहीं होगी, चाहे नाक, कान व गला कुछ भी हो। परेशानी महसूस हो सकती है। प्रेम, संतान थोड़ा मध्यम। व्यापार बहुत अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

वृश्चिक राशि- धन का आवक बढ़ेगा। कुटुंबों में वृद्धि होगी। जुबान अनियंत्रित न होने दें। पूंजी का निवेश अभी दबा कर रखें। निवेश न करें। बाकी स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

धनु राशि- सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम-संतान का साथ होगा। व्यापार बहुत अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- चिंताकारी सृष्टि का सृजन हो रहा है। मन खिन्न रहेगा। खर्च की अधिकता रहेगी। प्रेम-संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- आय के नवीन सोर्स बनेंगे। यात्रा का योग बनेगा। पुराने सोर्स से भी पैसे आएंगे। स्वास्थ्य, प्रेम व व्यापार बहुत अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

मीन राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम-संतान अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

पंचांग- 10 अक्टूबर 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रहयोग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- आश्विन

तिथि

शुक्ल पक्ष सप्तमी- अक्टूबर 09 12:14 PM- अक्टूबर 10 12:32 PM

शुक्ल पक्ष अष्टमी- अक्टूबर 10 12:32 PM- अक्टूबर 11 12:07 PM

नक्षत्र

पूर्वाषाढ़ा- अक्टूबर 10 05:15 AM- अक्टूबर 11 05:41 AM

उत्तराषाढ़ा- अक्टूबर 11 05:41 AM- अक्टूबर 12 05:25 AM

योग

अतिगण्ड- अक्टूबर 10 05:53 AM- अक्टूबर 11 04:36 AM

सुकर्मा- अक्टूबर 11 04:36 AM- अक्टूबर 12 02:46 आम

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:25 AM

सूर्यास्त- 6:01 PM

चन्द्रोदय- अक्टूबर 10 12:55 PM

चन्द्रास्त- अक्टूबर 10 11:34 PM

अशुभ काल

राहू- 1:40 PM- 3:07 PM

यम गण्ड- 6:25 AM- 7:52 AM

कुलिक- 9:19 AM- 10:46 AM

दुर्मुहूर्त- 10:17 AM- 11:04 AM, 02:56 PM- 03:42 PM

वर्ज्यम्- 03:01 PM- 04:39 PM

शुभ काल

अभिजीत मुहूर्त- 11:50 AM- 12:37 PM

अमृत काल- 12:47 AM- 02:24 AM

ब्रह्म मुहूर्त- 04:49 AM- 05:37 AM

शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की होती है पूजा,जानिए पूजा विधि और मंत्र

शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अष्टमी पर होने वाली पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही आज के दिन लोग व्रत भी रखते हैं। मान्यता है कि आज के दिन ही मां महागौरी ने चंड-मुंड राक्षस का संहार किया था। 

आइए जानते हैं, देवी दुर्गा के अष्टम रूप मां महागौरी की कथा क्या है? साथ ही जानते हैं, उनकी पूजा विधि, मंत्र और आरती...

लेकिन इससे पहले ये जान लेते हैं कि अष्टमी तिथि कब है और मां महागौरी की पूजा किस दिन होगी?

 

अष्टमी और नवमी तिथि 2024 कब है?

सनातन पंचांग के अनुसार, आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 06 पर समाप्त होगी। 

 इसके बाद नवमी तिथि आरंभ हो रही है, जो 12 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

 ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी और नवमी का व्रत 11 अक्टूबर 2024 को ही रखा जाएगा। कन्या पूजन के लिए भी यही दिन उत्तम माना गया है।

मां महागौरी की कथा

मां महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं, जिससे देवी का मन दुखी हो जाता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं। 

इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब मां पार्वती नहीं आती हैं, तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुंचते हैं। वहां वे पहुंचते हैं, तो वहां मां पार्वती के रूप को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं।

एक कथा के अनुसार भगवान 

शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तभी से इनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं। देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं- ‘सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।’

 

अष्टमी तिथि की पूजा-विधि

अष्टमी के दिन प्रातकाल उठकर स्नान करें और घर के मंदिर को भी अच्छे से साफ करें।

इसके बाद मां दुर्गा को गंगाजल से अभिषेक करें और अक्षत , लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।

बाद में प्रसाद के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें। इसके साथ ही धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं।

मंदिर में दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। साथ ही पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर माता रानी की आरती करें।

पूजा खत्म होने के बाद अंत में क्षमा याचना करें।

मां महागौरी मंत्र

1. या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

2. बीज मंत्र: श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

3. प्रार्थना मंत्र:- श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥

आरती

जय महागौरी जगत की माया। जया उमा भवानी जय महामाया॥

हरिद्वार कनखल के पासा। 

महागौरी तेरा वहां निवासा॥

चंद्रकली और ममता अंबे। जय शक्ति जय जय मां जगदंबे॥

भीमा देवी विमला माता। 

कौशिकी देवी जग विख्याता॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। 

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥

सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता। मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो॥

मां को ये भोग लगाएं

मां शक्ति के अष्टम स्वरूप मां महागौरी की पूजा में नारियल, हलवा, पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है।

 देवी की आठवीं पूजा के दिन काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। देवी की पूजा के बाद परिवार के सदस्यों के साथ प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। यदि कन्या पूजन की मनौती है, तो उसे विधि-विधान से निष्ठा पूर्वक संपन्न करना चाहिए।

आज का राशिफल, 9अक्टूबर 2024:जानिये राशिफल के अनुसार आज आप का दिन कैसा रहेगा....?

ग्रहों की स्थिति- गुरु वृषभ राशि में। मंगल मिथुन राशि में। सूर्य, बुध, केतु कन्या राशि में। शुक्र तुला राशि में। चंद्रमा वृश्चिक राशि में। वक्री शनि कुंभ राशि में। राहु मीन राशि के गोचर में चल रहे हैं।

राशिफल

मेष राशि- मार्ग अवरोध अब खत्म हो जाएंगे। मार्ग अवरोध अब नहीं रहेगा। भाग्य साथ देगा। यात्रा का योग बनेगा। धर्म-कर्म में हिस्सा लेंगे। स्वास्थ्य में सुधार होगा। प्रेम, संतान की अभी भी मध्यम है। व्यापार अच्छा है। हरी वस्तु का दान करें।

वृषभ राशि- परिस्थितियां प्रतिकूल हैं। चोट-चपेट लग सकती है। किसी परेशानी में पड़ सकते हैं। बचकर पार करें। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान मध्यम है। व्यापार लगभग ठीक है। हरी वस्तु पास रखें।

मिथुन राशि- शत्रुओं पर काबू पा लेंगे लेकिन परेशानी बनी रहेगी। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। प्रेम-संतान अच्छा है। व्यापार अच्छा है। लाल वस्तु का दान करें।

कर्क राशि- कर्क राशि की स्थिति ठीक ठाक कही जाएगी। गुण-ज्ञान की प्राप्ति होगी। बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलेगा। स्वास्थ्य थोड़ा सा मध्यम रहेगा। प्रेम, संतान में दूरी। व्यापार ठीक ठाक रहेगा। लाल वस्तु पास रखें।

सिंह राशि- भावनाओं में बहकर कोई निर्णय न लें। महत्वपूर्ण निर्णय अभी रोक कर रखें। लिखने-पढ़ने में समय व्यतीत करें। स्वास्थ्य ठीक ठाक। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार ठीक ठाक रहेगा। पीली वस्तु पास रखें।

कन्या राशि- भूमि, भवन व वाहन की खरीदारी संभव है लेकिन गृहकलह भी संभव है। स्वास्थ्य मध्यम। प्रेम, संतान मध्यम। व्यापार अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

तुला राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। अपनों का साथ होगा। स्वास्थ्य बहुत अच्छा। प्रेम, संतान पहले से बेहतर। व्यापार बहुत अच्छा है। पीली वस्तु का दान करें।

वृश्चिक राशि- जुबान पर नियंत्रण रखें और निवेश पर नियंत्रण रखें, बाकी स्वास्थ्य अच्छा है। प्रेम- संतान का भरपूर सहयोग। व्यापार भी अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

धनु राशि- सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। स्वास्थ्य पहले से बेहतर। प्रेम-संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। लाल वस्तु पास रखें।

मकर राशि- चिंताकारी सृष्टि का सृजन होगा। मन व्यथित रहेगा। खर्च की अधिकता रहेगी। स्वास्थ्य मध्यम, प्रेम-संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। काली जी को प्रणाम करते रहें।

कुंभ राशि- आय के नवीन सोर्स बनेंगे, पुराने सोर्स से भी पैसे आएंगे। स्वास्थ्य अच्छा। प्रेम, संतान का भरपूर सहयोग। व्यापार बहुत अच्छा। हरी वस्तु पास रखें।

मीन राशि- व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। कोर्ट-कचहरी में विजय मिलेगी। स्वास्थ्य नरम-गरम। प्रेम-संतान बहुत अच्छा। व्यापार बहुत अच्छा। पीली वस्तु पास रखें।

आज का पंचांग- 9 अक्टूबर 2024:जानिये पंचांग के अनुसार आज का मुहूर्त और ग्रह योग

विक्रम संवत- 2081, पिंगल

शक सम्वत- 1946, क्रोधी

पूर्णिमांत- आश्विन

अमांत- आश्विन

तिथि

शुक्ल पक्ष षष्ठी- अक्टूबर 08 11:18 AM- अक्टूबर 09 12:14 PM

शुक्ल पक्ष सप्तमी- अक्टूबर 09 12:14 PM- अक्टूबर 10 12:32 PM

नक्षत्र

मूल- अक्टूबर 09 04:08 AM- अक्टूबर 10 05:15 AM

पूर्वाषाढ़ा- अक्टूबर 10 05:15 AM- अक्टूबर 11 05:41 AM

योग

सौभाग्य- अक्टूबर 08 06:50 AM- अक्टूबर 09 06:36 AM

शोभन- अक्टूबर 09 06:36 AM- अक्टूबर 10 05:53 AM

अतिगण्ड- अक्टूबर 10 05:53 AM- अक्टूबर 11 04:36 AM

सूर्य और चंद्रमा का समय

सूर्योदय- 6:25 AM

सूर्यास्त- 6:02 PM

चन्द्रोदय- अक्टूबर 09 12:00 PM

चन्द्रास्त- अक्टूबर 09 10:35 PM

अशुभ काल

राहू- 12:14 PM- 1:41 PM

यम गण्ड- 7:52 AM- 9:19 AM

कुलिक- 10:46 AM- 12:14 PM

दुर्मुहूर्त- 11:50 AM- 12:37 PM

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शुभ काल

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ब्रह्म मुहूर्त- 04:49 AM- 05:37 AM

आज शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा होती है,जानिए इस स्वरूप में क्यों पूजी जाती है मां

आज शारदीय नवरात्र का सातवां दिन है यानी आज मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि दुर्गा के नौ रूपों में सातवें स्वरूप में मानी जाती है। मां कालरात्रि की उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है व दुश्मनों का नाश होता है।

मां कालरात्रि का स्वरूप


मां कालरात्रि का स्वरूप दुष्टों का नाश करने वाला है। मां कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला है। मां कालरात्रि के चार हाथ तीन नेत्र हैं। मां के बाल बड़े और बिखरे हुए हैं। मां के एक हाथ में खड्ग (तलवार), दूसरे में लौह शस्त्र, तीसरे में वरमुद्रा व चौथे में अभयमुद्रा है।  

मां कालरात्रि


पौराणिक कथा के अनुसार मां पार्वती ने दुष्टों के नाश के लिए मां काली का रूप धारण किया था। एक बार शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज नाम के राक्षसों ने तीनों लोकों में आतंक मचा रखा था। इनके अत्याचार से सभी देवी-देवता परेशान हो गए थे। ऐसे में देवी-देवताओं ने भगवान शिव से इस समस्या से मुक्ति का उपाय मांगा। तब महादेव ने मां पार्वती को राक्षसों का वध करने का आदेश दिया, मां पार्वती ने मां काली का रूप धारण कर शुंभ-निशुंभ का वध किया। 

इसके बाद मां दुर्गा का सामना रक्तबीज से हुआ जिसके शरीर के रक्त से अधिक संख्या में रक्तबीज दैत्य उत्पन्न हो गए, क्योंकि उसे वरदान मिला था कि यदि उसके रक्त की बूंद धरती पर गिरती है, तो उसके जैसा एक और दानव उत्पन्न हो जाएगा। ऐसे में दुर्गा ने अपने प्रकाश से मां कालरात्रि को प्रकट किया। इसके पश्चात मां दुर्गा ने दैत्य रक्तबीज का वध किया, तो मां कालरात्रि ने उसके शरीर से निकलने वाले रक्त को जमीन पर गिरने से पहले ही अपने मुख में भर लिया। इस तरह रक्तबीज का अंत हुआ। मां कालरात्रि का स्वरूप दुष्टों का नाश करने वाली है। 

कैसे करें मां की पूजा


मां कालरात्रि को लाल रंग प्रिय है, इसलिए पूजा में लाल रंग के वस्त्र धारण करें और माता की चौकी लगाते हुए लाल रंग का कपड़ा व फूलों का प्रयोग करें। पूजा में गुड़हल व गुलाब के फूलों का इस्तेमाल करें। मां को गुड़ से बनी चीजों का प्रसाद लगाए। आरती और मंत्रों का जाप करें।