2000 करोड़ रुपये की कोकीन जब्त,दिल्ली पुलिस का इंटरनेशनल ड्रग रैकेट पर बड़ा हमला


नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस ने पश्चिमी दिल्ली से 2,000 करोड़ रुपये की 200 किलोग्राम कोकीन जब्त की. यह एक सप्ताह में दूसरी बड़ी खेप है. गुरुवार शाम एक अधिकारी ने बताया कि इस जब्ती का संबंध दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के महिपालपुर से 5,000 करोड़ रुपये से अधिक कीमत की 562 किलोग्राम ड्रग्स की बरामदगी से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि पश्चिमी दिल्ली के रमेश नगर इलाके में छापेमारी चल रही है. बताया जा रहा है कि ड्रग नमकीन के पैकेट में रखी गई थी.

दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के सूत्रों के अनुसार, गोदाम में ड्रग्स रखने वाला व्यक्ति यूके का नागरिक है और कोकीन को वहां रखने के बाद फरार हो गया. पुलिस को इस यूके नागरिक के बारे में जानकारी अखलाक (5,000 करोड़ रुपये के ड्रग मामले में गिरफ्तार) से पूछताछ के बाद ही मिली थी. 

बता दें, इससे पहले हुई छापेमारी में पुलिस ने अमृतसर से जितेंद्र प्रीत गिल को भी गिरफ्तार किया था. गिल ब्रिटेन का निवासी है, लेकिन भारतीय नागरिक है.

5000 करोड़ रुपये ड्रग्स केस में सातवां आरोपी गिरफ्तारः दिल्ली पुलिस ने बताया कि 5000 करोड़ रुपये ड्रग्स केस में इस सिंडिकेट से जुड़े सातवें आरोपी अखलाख को गिरफ्तार किया गया है. 

वह उत्तर प्रदेश के हापुड़ का रहने वाला है. स्पेशल सेल इस पूरे सिंडिकेट से जुड़े सभी एंगल की जांच कर रही है. कार्गो रूट से लेकर सड़क तक की जांच की जा रही है. 

ड्रग सिंडिकेट में अखलाख की भूमिका ट्रांसपोर्टेशन को लेकर है. ड्रग्स रैकेट से बनी आरोपी तुषार गोयल की संपत्ति की भी जांच की जा रही है ताकि उस संपत्ति पर कार्रवाई की जा सके.

बीते दिनों हुआ था इंटरनेशनल ड्रग रैकेट का भंडाफोड़ः कुछ दिन पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इंटरनेशनल ड्रग रैकेट गिरोह का पर्दाफाश किया था. तस्करी से जुड़े चार आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था, जिनके नाम तुषार गोयल, भारत कुमार जैन, औरंगजेब सिद्दीकी और हिमांशु कुमार था.

भारतीय नौसेना को मिलेंगी दो परमाणु पनडुब्बियां, अमेरिका से खरीदे जाएंगे 31 प्रीडेटर ड्रोन

नई दिल्ली:- भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने स्वदेशी रूप से दो परमाणु पनडुब्बियों के निर्माण और अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए प्रमुख सौदों को बुधवार को मंजूरी दे दी। रक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने कुल 80,000 करोड़ के सोदों को मंजूरी दी।

भारतीय नौसेना को दो परमाणु ऊर्जा से चलने वाली हमलावर पनडुब्बियां मिलेंगी जोकि हिंद महासागर क्षेत्र में इसकी क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने में मदद करेंगी। 

सूत्रों के अनुसार विशाखापत्तनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में दो पनडुब्बियों के निर्माण का सौदा लगभग 45,000 करोड़ रुपये का है और इसमें लार्सन एंड टूब्रो जैसी निजी क्षेत्र की फर्मों की प्रमुख भागीदारी होगी।

सौदा लंबे समय से लटका हुआ था

यह सौदा लंबे समय से लटका हुआ था और भारतीय नौसेना इस पर जोर दे रही थी क्योंकि यह पानी के नीचे की क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता थी। भारत की स्वदेशी पनडुब्बी शामिल करने की योजना के तहत दीर्घावधि में ऐसी छह पनडुब्बियां अपने बेड़े में शामिल करने की योजना है।

अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदे

महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल परियोजना के तहत बनने जा रही ये पनडुब्बी उसी स्थान पर अरिहंत श्रेणी के तहत बनाई जा रही पांच परमाणु पनडुब्बियों से अलग हैं। सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा मंजूर किया गया दूसरा बड़ा सौदा अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने का है।यह सौदा भारत-अमेरिका के बीच विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत है। इस सौदे को 31 अक्टूबर से पहले मंजूरी मिलनी थी क्योंकि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता तभी तक थी। अब इस पर अगले कुछ दिनों में ही हस्ताक्षर होंगे।

वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे

उन्होंने बताया कि अनुबंध के अनुसार, रक्षा बलों को सौदे पर हस्ताक्षर करने के चार साल बाद ड्रोन मिलने शुरू हो जाएंगे। भारतीय नौसेना को 31 में से 15 ड्रोन मिलेंगे। थल सेना और वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।

राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा.-आयुर्वेद के खिलाफ भ्रामक दावे करनेवालों पर कड़ी कार्रवाई की जरूरत

दिल्ली एनसीआर डेस्क

नई दिल्ली :राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पारम्परिक चिकित्सा पद्धति में लोगों की अटूट आस्था का फायदा उठा कर आयुर्वेद के नाम पर झूठे और भ्रामक दावे करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत पर बल दिया है। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के आठवें स्थापना दिवस समारोह में बुधवार को राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए अनुसंधान में निवेश, दवाओं की गुणवत्ता में निरंतर सुधार और आयुर्वेद के अध्ययन से सम्बन्धित शैक्षणिक संस्थानों के सशक्तीकरण पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक

राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। यह दुनिया को भारत का अमूल्य उपहार है। आयुर्वेद मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन बनाये रखते हुए समग्र स्वास्थ्य प्रबंधन पर जोर देता है। राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम हमेशा से अपने आसपास के पेड़-पौधों के औषधीय महत्त्व के प्रति जागरूक रहे हैं और उनका उपयोग करते रहे हैं। 

आदिवासी समाज में जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों के ज्ञान की परम्परा और भी समृद्ध रही है। लेकिन, जैसे-जैसे समाज आधुनिकता को अपनाता गया और प्रकृति से दूर होता गया, हमने उस पारम्परिक ज्ञान का उपयोग करना बंद कर दिया। घरेलू उपचार अपनाने की तुलना में डॉक्टर से दवा लेना आसान हो गया। अब लोगों में 

जागरूकता बढ़ रही है।

 आज पूरी दुनिया में इंटीग्रेटिव सिस्टम आॅफ मेडिसिन का विचार लोकप्रिय हो रहा है। विभिन्न चिकित्सा प्रणालियां एक-दूसरे की पूरक प्रणालियों के रूप में लोगों को स्वास्थ्य प्रदान करने में मदद कर रही हैं।

आयुर्वेद के प्रति हमारा पीढ़ी दर पीढ़ी का अटूट विश्वास

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद के प्रति हमारा पीढ़ी दर पीढ़ी का अटूट विश्वास है। इसी विश्वास का लाभ उठा कर कुछ लोग भोली-भाली जनता का नुकसान करते हैं। भ्रामक प्रचार और झूठे दावे करते हैं। ये लोग न केवल जनता के पैसे और स्वास्थ्य का नुकसान करते हैं, बल्कि आयुर्वेद को भी बदनाम करते हैं। ऐसे लोगों के प्रति कठोर कदम उठाये जाने की आवश्यकता है। 

साथ ही, बड़ी संख्या में चिकित्सकों की आवश्यकता है, जिससे सामान्य लोगों को अशिक्षित चिकित्सकों के पास न जाना पड़े। इस संदर्भ में ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ एक महत्त्वपूर्ण पहल है। पिछले कुछ वर्षों में देश में आयुर्वेद कॉलेजों और उनमें पढ़नेवाले विद्यार्थियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले समय में योग्य आयुर्वेदिक डॉक्टरों की उपलब्धता और बढ़ेगी। 

उन्होंने कहा कि आयुर्वेद का विकास न केवल मनुष्यों के लिए, बल्कि पशुओं और पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होगा। बहुत से पेड़-पौधे इसलिए विलुप्त हो रहे हैं, क्योंकि हमें उनकी उपयोगिता के बारे में पता नहीं है। जब हम उनका महत्त्व जानेंगे, तो उनका संरक्षण करेंगे।

आपस में स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा होना अच्छी बात

राष्ट्रपति ने कहा कि अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े लोग अक्सर दावा करते हैं कि उनकी पद्धति सबसे अच्छी है। आपस में स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा होना अच्छी बात है, लेकिन एक-दूसरे की आलोचना करने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। 

अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों से जुड़े लोगों के बीच सहयोग की भावना होनी चाहिए। सभी का उद्देश्य रोगियों को ठीक करके मानवता का भला करना है। हम सभी ‘सर्वे सन्तु निरामया:’ की प्रार्थना करते हैं – सभी को रोग मुक्त होना चाहिए।

गुणवत्ता में निरंतर सुधार पर ध्यान केन्द्रित करना होगा

राष्ट्रपति ने कहा कि आयुर्वेद की प्रासंगिकता सुनिश्चित करने के लिए हमें अनुसंधान और औषधियों की गुणवत्ता में निरंतर सुधार पर ध्यान केन्द्रित करना होगा। हमें आयुर्वेद शिक्षण संस्थानों को भी सशक्त बनाने की आवश्यकता है। उन्हें यह जान कर खुशी हुई कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान ने पारम्परिक शिक्षा को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ कर कम समय में ही आयुर्वेदिक चिकित्सा, शिक्षा, अनुसंधान और समग्र स्वास्थ्य सेवा में अपना महत्त्वपूर्ण स्थान बना लिया है।

रतन टाटा का राजकीय सम्मान के साथ होगी विदाई, सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होंगे अंतिम दर्शन

 टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार देर रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।

निधन की जानकारी उद्योगपति हर्ष गोयनका ने सबसे पहले दी। 

उन्होंने रात 11:24 बजे सोशल मीडिया पर लिखा, ‘घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे।'

रात करीब 2 बजे उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से उनके घर ले जाया गया। टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के हॉल में रखा जाएगा। यहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा 2 दिन पहले 17 अक्टूबर को भी टाटा को ICU में भर्ती किए जाने की खबर थी। हालांकि, उन्होंने ही इसका खंडन करते हुए कहा था कि वे ठीक हैं, रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंचे हैं।

देर रात करीब 2 बजे टाटा के पार्थिव शरीर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल से कोलाबा ले जाया गया। निधन की खबर मिलने के बाद अस्पताल में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी। 

देर रात करीब 2 बजे टाटा के पार्थिव शरीर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल से कोलाबा ले जाया गया। निधन की खबर मिलने के बाद अस्पताल में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी।

रतन टाटा की राजकीय सम्मान के साथ होगी विदाई, सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक होंगे अंतिम दर्शन

टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने बुधवार देर रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे।निधन की जानकारी उद्योगपति हर्ष गोयनका ने सबसे पहले दी। 

उन्होंने रात 11:24 बजे सोशल मीडिया पर लिखा, ‘घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई। टाइटन नहीं रहे। रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे।'

रात करीब 2 बजे उनका पार्थिव शरीर अस्पताल से उनके घर ले जाया गया। टाटा का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। उनका पार्थिव शरीर गुरुवार सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक साउथ मुंबई के नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के हॉल में रखा जाएगा। यहां लोग उनका अंतिम दर्शन कर सकेंगे।

पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा 2 दिन पहले 17 अक्टूबर को भी टाटा को ICU में भर्ती किए जाने की खबर थी। हालांकि, उन्होंने ही इसका खंडन करते हुए कहा था कि वे ठीक हैं, रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल पहुंचे हैं।

देर रात करीब 2 बजे टाटा के पार्थिव शरीर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल से कोलाबा ले जाया गया। निधन की खबर मिलने के बाद अस्पताल में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी। 

देर रात करीब 2 बजे टाटा के पार्थिव शरीर को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल से कोलाबा ले जाया गया। निधन की खबर मिलने के बाद अस्पताल में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी।

देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल के उम्र में निधन, अंतिम सांस ब्रीच कैंडी अस्पताल में ली, देश भर में शोक की लहर

दिल्ली डेस्क 

नई दिल्ली : देश के बड़े उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांसे ली। बढ़ती उम्र से जुड़ी तकलीफों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह की अगुवाई की। टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। 

उन्होंने टाटा ग्रुप को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी बनाया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया। टाटा समूह आज देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है।

 

अस्पताल में भर्ती के बाद कहा sb ठीक है, अफवाह नहीं फैलायें 

दो दिन पहले ही रतन टाटा ने अपनी सेहत को लेकर चल रही अटकलों को खारिज किया था। सोमवार को खबरें आई थीं कि टाटा को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

टाटा ने बताया था कि वह अपनी उम्र संबंधी परेशानियों के इलाज के लिए अस्पताल गए हैं। उन्होंने लोगों से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है। टाटा ने एक बयान में कहा था, 'मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण नियमित मेडिकल जांच करवा रहा हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। मेरा मनोबल ऊंचा है।' उन्होंने लोगों और मीडिया से अपील की थी कि वे अफवाहें न फैलाएं।

1937 में हुआ था जन्‍म

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। 1962 में टाटा समूह में शामिल होने से पहले रतन टाटा ने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया। 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया। 1991 में जेआरडी टाटा के रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला।

कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण

रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को एक नई पहचान दी। उन्होंने कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिसमें टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियां शामिल हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन गया।

रतन टाटा को उनके सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता था। वह टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करता है। रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का 86 साल के उम्र में निधन, अंतिम सांस ब्रीच कैंडी अस्पताल में ली, देश भ्र ने शोक की लहर


दिल्ली डेस्क 

नई दिल्ली : देश के बड़े उद्योगपति और टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया है। वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में आखिरी सांसे ली। बढ़ती उम्र से जुड़ी तकलीफों के चलते उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। रतन टाटा ने मार्च 1991 से दिसंबर 2012 तक टाटा समूह की अगुवाई की। टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। 

उन्होंने टाटा ग्रुप को नमक से लेकर सॉफ्टवेयर तक बनाने वाली कंपनी बनाया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया। टाटा समूह आज देश के सबसे बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है।

 

उन्होंने अस्पताल में भर्ती के बाद कहा सब कुछ ठीक है, अफवाह नहीं फैलायें 


दो दिन पहले ही रतन टाटा ने अपनी सेहत को लेकर चल रही अटकलों को खारिज किया था। सोमवार को खबरें आई थीं कि टाटा को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

टाटा ने बताया था कि वह अपनी उम्र संबंधी परेशानियों के इलाज के लिए अस्पताल गए हैं। उन्होंने लोगों से कहा था कि चिंता की कोई बात नहीं है। टाटा ने एक बयान में कहा था, 'मैं अपनी उम्र और उससे जुड़ी बीमारियों के कारण नियमित मेडिकल जांच करवा रहा हूं। चिंता की कोई बात नहीं है। मेरा मनोबल ऊंचा है।' उन्होंने लोगों और मीडिया से अपील की थी कि वे अफवाहें न फैलाएं।

1937 में हुआ था जन्‍म


रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा मुंबई के कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की। 1962 में टाटा समूह में शामिल होने से पहले रतन टाटा ने अमेरिका में कुछ समय तक काम किया। 1981 में उन्हें टाटा इंडस्ट्रीज का चेयरमैन बनाया गया। 1991 में जेआरडी टाटा के रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने टाटा संस के चेयरमैन का पद संभाला।

उन्होंने टाटा समूह का बढ़ाया सम्राज्य


रतन टाटा ने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को एक नई पहचान दी। उन्होंने कई बड़ी विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिसमें टेटली, जगुआर लैंड रोवर और कोरस जैसी कंपनियां शामिल हैं। उनके नेतृत्व में टाटा समूह दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन गया।

रतन टाटा को उनके सामाजिक कार्यों के लिए भी जाना जाता था। वह टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन थे, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और गरीबी उन्मूलन जैसे क्षेत्रों में काम करता है। रतन टाटा को उनके योगदान के लिए भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।

भारतीय एविएशन सर्विसेज ने हवाई अड्डों के लिए 3 हजार पदों पर निकाली भर्ती, 12th पास कर सकते हैं अप्लाई

नई दिल्ली:- सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए खुशखबरी है। भारतीय एविएशन सर्विसेज की ओर से हवाई अड्डों के लिए ग्राहक सेवा एजेंट और लोडर/ हाउसकीपिंग के 3 हजार से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती निकाली गई है।

इस भर्ती के लिए BAS की ओर से आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है जो निर्धारित अंतिम तिथि 31 अक्टूबर 2024 तक जारी रहेगी। ऐसे में जो भी अभ्यर्थी इस भर्ती के लिए पात्रता रखते हैं वे ऑनलाइन माध्यम से तय तिथियों के आवेदन कर सकते हैं। फॉर्म भरने से पहले उम्मीदवार पात्रता की जांच अवश्य कर लें।

योग्यता एवं मापदंड

इस भर्ती में आवेदन के लिए अभ्यर्थी का मान्यता प्राप्त बोर्ड/ संस्थान से इंटरमीडिएट या सीनियर सेकेंडरी (10+2) उत्तीर्ण किया हो। इसके साथ ही 1 जुलाई 2024 के अनुसार अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से कम और अधिकतम आयु 28 वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ऊपरी आयु में ओबीसी को 3 वर्ष एवं एससी/ एसटी वर्ग को 5 वर्ष की छूट दी गई है।

कैसे करें आवेदन

इस भर्ती में आवेदन के लिए अभ्यर्थी सबसे पहले ऑफिशियल वेबसाइट bhartiyaaviation.in पर जाकर आवेदन के लिंक पर क्लिक करें।

इसके बाद अभ्यर्थी पहले रजिस्ट्रेशन लिंक पर क्लिक करके मांगी गई जानकारी भरकर पंजीकरण कर लें।

अब रजिस्ट्रेशन नंबर एवं पासवर्ड की सहायता से अभ्यर्थी अन्य डिटेल भरें और फॉर्म को पूर्ण कर लें।

अंत में निर्धारित शुल्क जमा करके फॉर्म को सबमिट कर दें और इसका एक प्रिंटआउट निकालकर सुरक्षित रख लें।

आवेदन शुल्क

ग्राहक सेवा एजेंट (CSA) के पदों पर आवेदन करने वाले सभी वर्ग के उम्मीदवारों को शुल्क के रूप में GST सहित 380 रुपये जमा करना होगा वहीं लोडर/ हाउसकीपिंग के रिक्त पदों पर आवेदन के लिए 340 रुपये GST सहित भुगतान करना होगा।

जूनियर एग्जीक्यूटिव के पदों पर निकली भर्ती, 16 अक्टूबर तक करें आवेदन

नई दिल्ली:- इंडियन इंस्ट्टीयूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस ने जूनियर एग्जीक्यूटिव के पदों पर भर्ती निकाली है। इस वैकेंसी के माध्यम से कुल 11 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। आवेदन करने के इच्छुक और योग्य उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे 16 अक्टूबर, 2024 तक आवेदन कर सकते हैं। अप्लाई करने के लिए अभ्यर्थियों को आधिकारिक वेबसाइट https://www.iibf.org.in पर जाकर लॉगइन करना होगा। 

इस वैकेंसी के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे वेबसाइट पर उपलब्ध आधिकारिक नोटिफिकेशन में एजुकेशन क्वालिफिकेशन को अच्छी तरह से पढ़ लें और अप्लाई करें, क्योंकि निर्धारित पात्रता को पूरी नहीं करने वाले उम्मीदवारों के फॉर्म मान्य नहीं किए जाएंगे।

ये देनी होगी फीस

इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों की आयु 1 अक्टूबर 2024 तक 28 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। निर्धारित पद के लिए उम्मीदवारों को बतौर आवेदन शुल्क र 700 रुपये (केवल सात सौ रुपये) फीस देनी होगी।

ऐसे करें आवेदन

 

उम्मीदवार सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट https://www.iibf.org.in/ पर जाएं। 'नए पंजीकरण के लिए यहां क्लिक करें' टैब चुनें। फोटोग्राफ और हस्ताक्षर की स्कैन की गई इमेज अपलोड करें। व्यक्तिगत विवरण, कार्य अनुभव, शैक्षणिक योग्यता आदि दर्ज करें। आवेदन पत्र को क्रॉस चेक करें और डिटेल्स जमा करें। इसके बाद आवेदन पत्र का प्रिंटआउट लेकर रख लें।

ऐसे होगा उम्मीदवारों का चयन

उम्मीदवारों का चयन ऑनलाइन चयन प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा। यह परीक्षा रविवार, 17 नवंबर 2024 को चेन्नई, कोलकाता, मुंबई और नई दिल्ली में आयोजित की जाएगी। केवल शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को ऑनलाइन परीक्षा के साथ-साथ व्यक्तिगत साक्षात्कार के लिए भी बुलाया जाएगा।

चुनाव से पहले धन की कमी का रोना रो रही थी कांग्रेस,फिर भी चुनाव प्रचार में 585 करोड़ रुपये किए खर्च,खुद निर्वाचन आयोग को सौंपा ब्योरा


नई दिल्ली:- इस साल लोकसभा चुनाव से पहले धन की कमी का रोना रो रही कांग्रेस ने चुनाव आयोग को बताया है कि इस बार के लोकसभा चुनाव और चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में उसने चुनाव प्रचार पर करीब 585 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

कांग्रेस का कहना है कि आम चुनाव और आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम के विधानसभा चुनावों में उसने विज्ञापनों और मीडिया कैंपेन पर 410 करोड़ रुपये और इंटरनेट मीडिया में मोबाइल ऐप व अन्य माध्यमों से 45 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

हवाई यात्रा पर 105 करोड़ खर्च

इसके अलावा, पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों की हवाई यात्राओं पर 105 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान यह खर्च पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य बड़े नेताओं की यात्राओं पर किया गया है। इसके अलावा कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी समेत कुछ प्रमुख उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने के लिए करीब 11.20 करोड़ रुपये की रकम दी थी।

लोकसभा चुनाव के दौरान थे 170 करोड़

पार्टी ने 68.62 करोड़ रुपये के पोस्टर, बैनर, होर्डिंग और अन्य प्रचार सामग्री भी छपवाई। कांग्रेस की चुनाव आयोग को दी जानकारी के अनुसार जब लोकसभा चुनाव की घोषणा हुई थी, उस समय कांग्रेस के पास कुल 170 करोड़ रुपये ही थे, लेकिन उसके बाद चंदे और विभिन्न रसीदों के रूप में उन्हें 539.37 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई। 13.76 करोड़ रुपये बतौर नकद मिले थे।उल्लेखनीय है कि आयकर विभाग ने प्रमुख विपक्षी दल के बैंक खाते फ्रीज कर दिए थे, जिसे काफी शोरशराबे के बाद मामला अदालत में जाने पर डीफ्रीज किया गया था।