शालेय खेल प्रतियोगिता में दुर्ग संभाग रहा ओवरऑल विजेता, पांच संभाग के 945 खिलाड़ी हुए थे शामिल…

राजनांदगांव-  अंतरराष्ट्रीय हॉकी स्टेडियम में 3 अक्टूबर से आयोजित शालेय खेल प्रतियोगिता का रविवार को समापन हुआ. प्रतियोगिता में पांच संभागों के 945 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया. प्रतियोगिता की आयोजन की बागडोर 100 शिक्षकों ने संभाली. प्रतियोगिता में ओवरऑल विजेता दुर्ग संभाग रहा.

समापन समारोह में मुख्य अतिथि राजनांदगांव सांसद संतोष पांडे ने कहा कि गर्व की बात है कि राजनांदगांव में राज्य स्तरीय शालेय खेल प्रतियोगिता हुई. सभी खिलाड़ियों ने अच्छा खेल खेला. प्रधानमंत्री मोदी खेल के प्रति बहुत सजग हैं. लगातार खिलाड़ियों के साथ चर्चा करते रहते हैं, उनकी तकलीफों को सुनते हैं, और प्रोत्साहित करते हैं.

सांसद पांडेय ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी खेलों के विकास को प्रोत्साहित कर रहे हैं. आने वाले समय में छत्तीसगढ़ और देश के बच्चे दुनिया में नाम रोशन करेंगे. जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास बघेल ने बताया कि विजेता खिलाड़ी और विजेता टीम राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगे प्रतियोगिता का आयोजन अच्छा हुआ. पहली बार स्विमिंग की प्रतियोगिता आयोजित की गई.

अवैध रेत उत्खनन का धंधा चरम पर, प्रशासन की सख्ती के बावजूद रेत माफियाओं का बेखौफ खेल जारी

सूरजपुर-  जिले में अवैध रेत उत्खनन का खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है. राजापुर, कुरवा और प्रतापपुर की नदियों में बड़े पैमाने पर रेत का अवैध खनन धड़ल्ले से जारी है. इन क्षेत्रों की नदियों में प्रतिदिन दर्जनों गाड़ियों के जरिए अवैध रूप से रेत का उत्खनन किया जा रहा है. रेत माफिया खुलेआम नियमों की अनदेखी कर रहे हैं, जिससे नदियों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है.

रेत माफियाओं द्वारा प्रतिदिन ट्रैक्टर और टीपर गाड़ियों से अवैध रेत निकालकर बेच रहे हैं. इस खनन से न केवल प्राकृतिक संसाधनों का दोहन हो रहा है, बल्कि पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ रहा है.

वहीं इस मामले में तहसीलदार शमीर शर्मा ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है और अवैध खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अगर कोई व्यक्ति अपने निजी आवास निर्माण के लिए रेत ले जाता है, तो उसे राहत दी जा सकती है, लेकिन जो लोग व्यवसायिक रूप से इस अवैध कारोबार में लिप्त हैं, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

जल जगार महा उत्सव में जल सभा

रायपुर-   लोगों को जल से जोड़ने एवं सामुदायिक सहभागिता के उद्देश्य गंगरेल जहां दो दिवसीय जल जगार महा उत्सव मनाया जा रहा है। वहाँ समुदाय का हर वर्ग इसका अंग बने यह भी कोशिश है। इसी कोशिश का एक हिस्सा है जल सभा। धमतरी शहर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर गंगरेल में स्थित रविशंकर जलाशय गंगरेल में जल(डैम) के निकट जल सभा का भी आयोजन हो रहा है।

कल भी जल सभा का आयोजन गंगरेल रेस्ट हाउस के परिसर में किया गया ।इसमें स्कूली बच्चों ने बढ़चढ़कर सहभागिता निभाई थी। जब शाम के वक़्त प्रदेश के मुखिया विष्णु देव साय पहुँचे तब बच्चों ने जीवंत ग्राम सभा का प्रदर्शन किया। बच्चों ने ग्राम सभा में आयोजित होने वाली विभिन्न कार्रवाही के साथ विभिन्न मुद्दों एवं जल संरक्षण के लिए पारित संकल्पों से अवगत कराया। यह भी बताया कि ग्राम सभा में गाँव में पेयजल और स्वच्छता समिति गठित की गई है और जल वाहिनी दीदियाँ नियुक्त की गयी हैं , जो जल और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और सुझावों से अवगत कराती हैं । उनके गाँव में गंदे पानी के उपचार के लिए भी कार्रवाही होती है । फ्लोराइडयुक्त पानी वाले हैंडपंप को लाल और आयरन अधिकता वाले हैंडपंप को काले रंग से चिह्नित किया गया है। ग्राम सभा अध्यक्ष जोकि कक्षा बारहवीं की छात्रा फाल्गुनी साहू बनी थीं , उन्होंने बताया ग्राम सभा में नल मरम्मत का कार्य , स्वच्छता गाड़ी की व्यवस्था, तालाब गहरीकरण एवं वर्षा जल संचयन के लिए संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया गया है। स्कूली बच्चों द्वारा आयोजित ग्राम सभा की कार्रवाही देख मुख्यमंत्री श्री साय ने जल संरक्षण और साफ़ सफ़ाई के प्रति उनकी जागरूकता की सराहना भी की।

आज दूसरे दिन जल सभा में छत्तीसगढ़ के कॉलेज के स्टूडेंट्स ने जल असेंबली में शामिल होकर अपनी-अपनी भूमिका निभाई। जिसमें जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, सदन में मानवीय सभ्यता और संस्कृति में जल की भूमिका, संकट और भविष्य की दिशा पर चर्चा की। पक्ष विपक्ष से चर्चा कर निष्कर्ष निकालने का प्रयास किया गया कि जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता लायी जाये। जल सभा में पचास महाविद्यालयीन विद्यार्थियों ने नेताओं की भूमिका अदा करते हुये जल असेंबली का संचालन किया और अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, सिंचाई एवं जल मंत्री, वन एवं पर्यावरण मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, आदिवासी मामले का मंत्री, खनन एवं उद्योग मंत्री, कृषि मंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री, नेता प्रतिपक्ष, विधानसभा सचिव की भूमिका निभायी। सदन में मानवीय सभ्यता और संस्कृति में जल की भूमिका, संकट और भविष्य की दिशा पर चर्चा कर जल संरक्षण के लिए सामुदायिक सहभागिता पर जोर दिया गया। विपक्ष के सदस्यों से गरमा गरमा बहस के बाद जल संरक्षण के लिए सबकी सहमति भी बनी। यह सदन की सफल कार्रवाही रही भावी पीढ़ी को हरा भरा वन , साफ़ पानी और सुंदर भविष्य देने के लिए।

अध्यापिका की दुष्कर्म की कहानी को हाई कोर्ट ने नहीं माना, शिक्षक को किया बरी, जानिए पूरा वाकया…

बिलासपुर-   अध्यापिका की कहानी को न मानते हुए हाई कोर्ट ने कथित दुष्कर्म के आरोपी शिक्षक को दोष मुक्त करने के खिलाफ पेश अपील को खारिज कर दिया. मामले की सुनवाई में हाई कोर्ट ने पाया कि अपीलकर्ता शिक्षिका ने संबंध बनाने की सहमति दी थी.

बलौदाबाजार जिला के शासकीय प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षिका ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि वह अपने बच्चे के साथ किराए के मकान में रहती है. जुलाई 2018 की दोपहर को जब वह घर में तब पास ही के गांव के मीडिल स्कूल का शिक्षक घर आया, और बच्चे को चॉकलेट खाने 100 रुपए देकर बाहर भेज दिया. इसके बाद आरोपी ने शादी करने की बात कही. शादी की बात न मानने पर बच्चे को मारने की धमकी देकर उसके साथ दुष्कर्म किया.

रिपोर्ट पर पुलिस ने जुर्म दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया. मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपराध सिद्ध नहीं होने पर आरोपी को दोष मुक्त कर दिया. इसके खिलाफ पीड़िता ने हाई कोर्ट में अपील पेश की.

मामले की सुनवाई के दौरान गवाहों के बयान में पाया कि पीड़िता जहाँ किराए में रहती है, वहाँ और भी किरायदार है. उसने घटना की किसी को भी जानकारी नहीं दी. आरोपी की ओर से गवाहों ने कहा कि महिला को समाज की प्रथा के अनुसार, चूड़ी पहना कर अपने गांव ले गया था, जहां दोनों तीन-चार दिन रुके थे. इस पर हाई कोर्ट ने पीड़िता की सहमति से संबंध बनने की बात कहते हुए शिक्षिका की अपील को खारिज कर निचली अदालत के आदेश को यथावत रखा.

छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर कंपनीज के नवनियुक्त अध्यक्ष डाॅ. रोहित यादव पहुंचे स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर…

रायपुर-  छत्तीसगढ़ स्टेट पाॅवर कंपनीज के नवनियुक्त अध्यक्ष डाॅ. रोहित यादव ने कार्यभार संभालने के दूसरे दिन 5 अक्टूबर को स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर का अवलोकन किया. इसके साथ तीनों कंपनियों – उत्पादन, पारेषण, वितरण की पृथक-पृथक परिचयात्मक बैठक ली. 

इसके पहले केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति से लौटे आईएएस डॉ रोहित यादव ने छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज़ के अध्यक्ष के तौर पर शुक्रवार को विद्युत सेवा भवन में अपना कार्यभार ग्रहण किया था. 2002 बैच के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ रोहित यादव को ऊर्जा विभाग के सचिव के साथ अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है.

पद संभालने के बाद उन्होंने कहा कि उनका लक्ष्य छत्तीसगढ़ को ऊर्जा के क्षेत्र में देश में अग्रणी राज्य बनाना है. इस अवसर पर छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी के प्रबंध निदेशक एसके कटियार, राजेश कुमार शुक्ला, भीमसिंह कंवर, अभियंता संघ के सचिव मनोज वर्मा और समस्त अधिकारी उपस्थित रहे.

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने ई बाल तकनीक को सराहा

रायपुर-      धमतरी में जल-जगार महा उत्सव के दौरान आयोजित अंतरास्ट्रीय जल सम्मेलन में छत्तीसगढ़ में बने जल शुद्धिकरण की जैविक तकनीक ई-बाल को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने सराहा। उन्होंने जल शुद्धिकरण की इस अभिनव तकनीक को आज की आवश्यकता बताया। साथ अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आये विदेशी जल विशेषज्ञों को खूब पसंद आया, उन्होंने इस तकनीक को बारीकी से समझा और इस पर काम करने में दिलचस्पी दिखाई। जल जगार महोत्सव में पानी शुद्धिकरण की इस तकनीक का जीवंत प्रदर्शन महोत्सव स्थल पर किया गया था जहां पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय एवं अतिथियों ने भी इस तकनीक को समझा और सराहा।

क्या है ई-बाल तकनीक

ई-बाल बैक्टीरिया और फंगस का मिश्रण है जिसे लाभदायक सूक्ष्मजीवों के द्वारा कैलिशयम कार्बोनेट के कैरियर के माध्यम से जैव-प्रौद्योगिकी वैज्ञानिक डॉ प्रशान्त कुमार शर्मा के द्वारा 13 वर्षो के अनुसंधान के बाद बनाया गया है। ई-बाल 4.0 से 9.5 पीएच और 10 से 45 डिग्री सेल्शियस तापमान पर सक्रिय होकर काम करता है। ई-बाल में मौजूद लाभदायक सूक्ष्मजीव नाली या तालाब के प्रदूषित पानी में जाते ही वहां उपलब्ध ऑर्गेनिक अवशिष्ट से पोषण लेना चालू कर अपनी संख्या में तेजी से वृद्धि करते है तथा पानी को साफ करने लगते है। एक ई-बाल करीब 100 से 150 मीटर लंबी नाली को साफ कर देती है औसतन एक एकड़ तालाब के जल सुधार के लिए 800 ई-बाल की आवश्यकता होती है। खास बात यह है कि ई-बाल के प्रयोग से पानी मे रह रहे जलीय जीवों पर इसका कोई भी साइड इफ़ेक्ट नही होता है, इसके प्रयोग से पानी के पीएच मान, टीडीएस और बीओडी स्तर में तेजी से सुधार होता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ समेत मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश, झारखंड, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के कई तालाबों में इसका सफल प्रयोग चल रहा है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय को रास गरबा में शामिल होने मिला निमंत्रण
रायपुर-      मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज यहाँ नवा रायपुर सेक्टर 24 स्थित निवास में रायपुर रास 2024 के आयोजकों ने सौजन्य मुलाकात की। उन्होंने मुख्यमंत्री को 08 एवं 09 अक्टूबर को बलबीर सिंह जुनेजा इंडोर स्टेडियम में आयोजित दो दिवसीय रास गरबा के लिए आमंत्रित किया। मुख्यमंत्री श्री साय ने आयोजकों को आमंत्रण के लिए धन्यवाद दिया एवं आयोजन के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर सार्थक शर्मा, भावेश शर्मा एवं आयोजकगण भी उपस्थित रहे।
मां बमलेश्वरी के दर्शन करने डोंगरगढ़ के लिए नि:शुल्क बस सेवा, रमन सिंह ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना

रायपुर-   मां बमलेश्वरी के दर्शन करने रायपुर से डोंगरगढ़ के लिए नि:शुल्क बस सेवा आज से शुरू की गई. आकाश वाणी स्थित काली मंदिर से डॉ. रमन सिंह ने हरी झंडी दिखाकर बसों को रवाना किया. प्रतिदिन 4 नि:शुल्क बसों के माध्यम से लगभग 250 दर्शनार्थी डोंगरगढ़ जा पाएंगे. रायपुर जिले के विभिन्न क्षेत्रों के भक्तों को मां बमलेश्वरी का दर्शन कराया जा रहा है. 

इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने मीडिया से चर्चा में बस्तर में 31 नक्सलियों को मार गिराए जाने पर सुरक्षाबल के जवानों को बधाई देते हुए कहा इच्छा शक्ति हो तो सब हो सकता है. अमित शाह और मुख्यमंत्री की इच्छा शक्ति है. छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद समाप्त होगा. लगातार इस तरीके की कार्रवाई से पुलिस का मनोबल बढ़ा है.

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर पलटवार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि उन्होंने 5 साल तक कुछ किया नहीं है. आज तक नक्सलियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. जवानों के खून-पसीने से यह पुल बना है. जवानों की शहादत से सड़क बनी है.

मुख्यमंत्री ने स्वामी आत्मानंद की जयंती पर उन्हें किया नमन
रायपुर-    मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्वामी आत्मानंद की 6 अक्टूबर को जयंती पर उन्हें नमन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि स्वामी आत्मानंद जी का समाज सुधारक और शिक्षाविद् के रूप में छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण योगदान हैं। उन्होंने स्वामी रामकृष्ण परमहंस की भावधारा को छत्तीसगढ़ की धरा पर साकार किया और मानव सेवा एवं शिक्षा की अलख जगाई। उन्होंने अपना पूरा जीवन दीन-दुखियों की सेवा में बिता दिया। उन्होंने पीड़ित मानवता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म बताया। स्वामी विवेकानंद के विचारों का उन पर गहरा असर रहा। उन्होंने मठ और आश्रम स्थापित करने के लिए एकत्र की गई राशि को अकाल पीड़ितों की सेवा और राहत कार्य के लिए खर्च कर दी। आदिवासियों के सम्मान एवं उनकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए अबूझमाड़ प्रकल्प की स्थापना की। वनवासियों की दशा और दिशा सुधारने के लिए नारायणपुर में वनवासी सेवा केन्द्र प्रारंभ किया। आत्मानंद जी के द्वारा मानव सेवा के क्षेत्र में किए गए कार्य अनुकरणीय और प्रेरणादायक हैं।
जल जगार में जल संचय और जल संरक्षण के लिए किया गया मंथन

रायपुर-  धमतरी में रविशंकर जलाशय (गंगरेल बांध) के किनारे आयोजित जल जगार में देश-विदेश के नीति निर्माता, पर्यावरणविद, विशेषज्ञ और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि जल संचय और जल संरक्षण पर संवाद कर रहे हैं। वे यहां आयोजित अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में जल संचय और जल संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए अपने-अपने क्षेत्रों के सफल कार्यों की कहानी साझा कर रहे हैं। वे इनके प्रभावी उपायों पर गहनता से विचार-विमर्श करने के साथ ही धरातल पर उतारने की कार्ययोजना भी तय कर रहे हैं।

जल जगार में आयोजित विभिन्न गतिविधियों के बीच आज अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन के पहले दिन केन्द्रीय कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय की अपर सचिव डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी, केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की अपर सचिव अर्चना वर्मा, पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध पर्यावरणविद पोपटलाल पवार, श्यामसुंदर पालीवाल और उमाशंकर पाण्डेय तथा अर्थशास्त्री एवं शहरी विकास विशेषज्ञ प्रो. अमिताभ कुंडु ने सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में कलेक्टर नम्रता गांधी ने जल जगार के उद्देश्यों और धमतरी जिले में जल संचय व जल संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी।

अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन को संबोधित करते हुए केन्द्रीय कृषि तथा किसान कल्याण की अपर सचिव डॉ. मनिंदर कौर द्विवेदी ने कहा कि धमतरी में जल संरक्षण की पहल पुरानी है। यहां की 'ओजस्वी' एफपीओ (कृषक उत्पाद संगठन) ने कम पानी में होने वाले धान की खेती प्रारंभ की थी। उन्होंने बताया कि धान की ऐसी बहुत सी प्रजाति है जो कम पानी में होती है और जल्दी पकती है। उन्होंने इस तरह की और भी प्रजातियों को विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने नए बीजों और अन्य फसलों की खेती पर भी ध्यान देने को कहा।

केन्द्रीय जलशक्ति मंत्रालय की अपर सचिव अर्चना वर्मा ने अंतरराष्ट्रीय जल सम्मेलन में कहा कि हमारे पूर्वजों के पास जल संचय और जल संरक्षण के बहुत से तरीके थे। वे पानी की एक-एक बूंद का सम्मान करते थे। हमारी जलशक्ति अभियान का भी मूल उद्देश्य पानी की धरोहरों के प्रति सम्मान को वापस लाना है। जल संचय और जल संरक्षण के काम में जन भागीदारी बहुत जरूरी है। उन्होंने जल जगार के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यह जल संरक्षण से लोगों को जोड़ने की बहुत अच्छी पहल है। इससे संस्कृति, समुदाय और युवाओं की भागीदारी बढ़ रही है।

पद्मश्री से सम्मानित प्रसिद्ध पर्यावरणविदों और जल संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाले सर्वश्री पोपटलाल पवार, श्यामसुंदर पालीवाल और उमाशंकर पाण्डेय ने सम्मेलन में जल संचय और जल संरक्षण की सफल कहानियां साझा की। श्री पवार ने कहा कि जलस्रोतों में कम से कम 20 प्रतिशत पानी रिचार्ज के लिए छोड़ना चाहिए। इसका 80 प्रतिशत ही उपयोग किया जाना चाहिए। हमारे हिमालय को बचाने के लिए पश्चिमी घाट का संरक्षण जरूरी है।

सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणविद श्यामसुंदर पालीवाल ने बताया कि उन्होंने अपने क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए बेटी, पानी और पेड़ों को जोड़कर काम किया। इसे रोजगार से भी जोड़ा। पर्यावरणविद उमाशंकर पाण्डेय ने कहा कि पानी सरकार का विषय नहीं है। यह समाज का विषय है। पानी के बारे में स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाना चाहिए। हम पानी बना नहीं सकते, लेकिन पानी को बचा सकते हैं। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं शहरी विकास विशेषज्ञ प्रो. अमिताभ कुंडु ने सम्मेलन में कहा कि जल की चिंता को लेकर जिला स्तर पर इस तरह का वृहद आयोजन पहली बार देख रहा हूं। यहां नीति निर्धारक, पर्यावरणविद, जल संरक्षक, विशेषज्ञ और नागरिक पानी के बारे में चर्चा कर रहे हैं। उसे बचाने की रणनीति बना रहे हैं। यह बहुत ही उपयोगी पहल है।