क्वाड समिट में प्रधानमंत्री मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका: भारत के लिए वैश्विक मंच पर नई दिशा की शुरुआत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक बार फिर से वैश्विक मंच पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहा है. आज यानी 21 सितंबर को अमेरिका के डेलावेयर में हो रहा क्वाड सम्मेलन भारत के लिए न केवल अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने का अवसर है, बल्कि यह एक रणनीतिक कदम भी है जो भारत की सुरक्षा, आर्थिक विकास और वैश्विक स्थिरता में योगदान देगा.

क्वाड (QUAD) चार देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच का एक रणनीतिक गठबंधन है. इसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देना है. यह समूह एक स्वतंत्र, मुक्त और समावेशी इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समर्थन में कार्य करता है, जो आर्थिक विकास और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है.

भारत के लिए क्वाड का महत्व

भारत के लिए, क्वाड कई मायनों में महत्वपूर्ण है. सबसे पहले, यह गठबंधन भारत को एक मजबूत रणनीतिक साझेदारी का हिस्सा बनाता है जो उसे चीन की आक्रामकता के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संतुलन प्रदान करता है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए, क्वाड भारत को इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने का एक सशक्त मंच प्रदान करता है.

दूसरा, क्वाड भारत के आर्थिक विकास में भी योगदान करता है. जलवायु परिवर्तन से लेकर नई उभरती तकनीकों तक, इस मंच के तहत की जा रही पहलें भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर देती हैं. उदाहरण के लिए, क्लीन एनर्जी सप्लाई चेन, 5जी नेटवर्क और ओपन RAN जैसे क्षेत्रों में क्वाड के उठाए हुए कदम भारत के तकनीकी और औद्योगिक विकास के लिए अत्यधिक लाभकारी साबित हो सकती हैं.

डेलावेयर सम्मेलन का विशेष महत्व

21 सितंबर को होने वाला क्वाड शिखर सम्मेलन भारत के लिए एक खास मौका है. यह सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है जब दुनिया कई चुनौतियों का सामना कर रही है. चीन का बढ़ता दबदबा, रूस-यूक्रेन युद्ध, मध्य-पूर्व संकट और वैश्विक अर्थव्यवस्था की अस्थिरता. इस सम्मेलन में भारत के लिहाज से कई प्रमुख मुद्दों पर चर्चा होगी.

1- इंडो-पैसिफिक सुरक्षा: भारत के लिए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा अत्यधिक महत्वपूर्ण है. क्वाड इस क्षेत्र में न केवल समुद्री सुरक्षा को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि आपदा राहत और मानवीय सहायता के लिए एक नया तंत्र भी स्थापित कर रहा है. इससे भारत को इस क्षेत्र में अपनी सैन्य और कूटनीतिक उपस्थिति को मजबूत करने का मौका मिलेगा.

2. आर्थिक सहयोग: क्वाड के तहत विभिन्न आर्थिक उपायों, जैसे कि इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास और डिजिटल कनेक्टिविटी, भारत को ग्लोबल सप्लाई चेन में अपनी स्थिति को बेहतर करने का अवसर प्रदान करती हैं। इसके अलावा, क्वाड की ‘100 STEM छात्रवृति’ जैसी पहल भारत के युवाओं के लिए वैश्विक स्तर पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में योगदान देने का मार्ग प्रशस्त करती हैं.

3. जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्वाड की नई योजनाएं, जैसे कि क्लाइमेट इंफॉर्मेशन सर्विसेज और ग्रीन शिपिंग कॉरिडोर, भारत के लिए अत्यधिक फायदेमंद होंगी. भारत, जो पहले से ही स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में कदम बढ़ा रहा है, इन पहलों के माध्यम से वैश्विक नेतृत्व कर सकता है.

भारत की वैश्विक भूमिका

क्वाड में भारत की भागीदारी केवल रणनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण तक सीमित नहीं है. यह भारत को वैश्विक मंच पर एक जिम्मेदार और समर्पित नेता के रूप में प्रस्तुत करता है. पिछले साल जी-20 के बाद वर्ष 2025 में भारत द्वारा आयोजित किया जाने वाला क्वाड शिखर सम्मेलन इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम होगा, जहां भारत अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन कर सकेगा.

दिल्ली की नई सरकार: आतिशी के मंत्रिमंडल में पांच विधायक शामिल, चार पुराने चेहरे और एक नए चेहरे को मिली कैबिनेट में जगह

दिल्ली को आतिशी के रूप में नया मुख्यमंत्री मिल गया है. आतिशी ने शनिवार को दिल्ली की 17वीं मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने उन्हें सीएम पद की शपथ दिलाई. उनके साथ आम आदमी पार्टी के पांच विधायकों ने भी कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. इसमें चार पुराने चेहरे हैं जबकि मुकेश अहलावत के रूप में एक नए चेहरे को शामिल किया गया है. आतिशी सरकार में एक मुस्लिम चेहरे को भी शामिल किया गया है.

आतिशी दिल्ली की कालकाजी सीट से विधायक हैं. पहली बार 2020 में उन्होंने चुनाव जीता और विधायक निर्वाचित हुईं. दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया और मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद 2023 में आतिशी को पहली बार मंत्री बनाया गया. शिक्षा के साथ-साथ कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाल रही थीं. पार्टी से जुड़े सियासी मुद्दों पर काफी मुखर भी रहीं केजरीवाल की अनुपस्थिति में पार्टी संगठन को एकजुट करके रखने में अहम भूमिका निभाई है.

1:आतिशी: एक साल पहले मंत्री बनीं, अब CM- दिल्ली में आतिशी की गिनती अरविंद केजरीवाल की करीबी के साथ-साथ मनीष सिसोदिया के भरोसेमंद के रूप में होती है. सिसोदिया जब शिक्षा मंत्री थे तब भी आतिशी ने उनके साथ काम किया था. हर छोटे-बड़े मुद्दों पर मुखर रही हैं. पार्टी नेताओं के जेल में रहते हुए सरकार में काफी एक्टिव रहीं और एक साथ कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी लेकर चलीं. बड़े नेताओं की अनुपस्थिति में पार्टी संगठन और नेताओं को एकजुट बनाने में अहम भूमिका रही है.

2- सौरभ भारद्वाज: सरकार से जुड़े मुद्दों पर मुखर- 2013 में जब पहली बार केजरीवाल की सरकार बनी थी तब से मंत्री हैं. सरकार से जुड़े मुद्दों पर खुलकर अपनी और पार्टी की बात रखते हैं. मौजूदा समय में आतिशी के बाद नंबर दो माना जाता है. आईटी कंपनी की नौकरी छोड़कर 2013 में पहली बार आम आदमी पार्टी से जुड़े और ग्रेटर कैलाश सीट से चुनाव लड़ा. इस सीट से लगातार तीसरी बार विधायक हैं.

3- गोपाल राय: केजरीवाल के सहयोगी और भरोसेमंद- केजरीवाल सरकार में पर्यावरण मंत्री रहे. अन्ना आंदोलन के समय से ही केजरीवाल के साथ खड़े रहे. लोकपाल बिल को लेकर आवाज बुलंद की. आंदोलन से लेकर पार्टी के गठन तक अहम भूमिका निभाई. कई बार ऐसे समय आए जब पार्टी और केजरीवाल के लिए संकट मोचन बनकर उभरे. पार्टी के लिए कई कैंपेन की अगुवाई की.

4- कैलाश गहलोत: जाट नेता और LG से मधुर संबंध- 2017 में कपिल मिश्रा के इस्तीफे के बाद केजरीवाल सरकार में शामिल हुए. पार्टी के बड़े जाट नेता हैं. उपराज्यपाल से मधुर संबंध की भी चर्चा रहती है. इस साल 15 अगस्त को उपराज्यपाल ने कैलाश गहलोत को ही झंडा फहराने के लिए चुना था जबकि केजरीवाल ने आतिशी का नाम आगे बढ़ाया था. दिल्ली की नजफगढ़ सीट से दो बार के विधायक हैं.

5- इमरान हुसैन: इकलौते मुस्लिम चेहरा- केजरीवाल की सरकार में भी मंत्री रहे. पार्टी में इकलौता मुस्लिम चेहरा माने जाते हैं. यही वजह है कि पार्टी ने आतिशी सरकार में भी उन्हें रिटेन किया है. दिल्ली के मुस्लिम वोटरों के बीच अच्छी पकड़ रखते हैं. पहले आरएलडी में थे, 2015 में आम आदमी पार्टी की सदस्यता ज्वॉइन की. केजरीवाल सरकार में खाद्य मंत्री रहे. दिल्ली की बल्लीमारान सीट से विधायक हैं.

6- मुकेश अहलावत: पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल- आतिशी सरकार में पहली बार मौका दिया गया है. पार्टी में दलित चेहरा हैं. दिल्ली की सुल्तानपुर सीट से विधायक हैं. आगामी चुनाव में अहलावत के जरिए आप नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली को साधने की कोशिश में लगी हुई है. पहले बीएसपी में रहे, 2020 में आम आदमी पार्टी का दामन थामा.

आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री हैं. इससे पहले सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इसके अलावा आतिशी दिल्ली की सबसे युवा सीएम भी हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड अरविंद केजरीवाल के नाम था.

दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद केजरीवाल के पैर छूकर लिया आशीर्वाद, नई सरकार की शुरुआत

दिल्ली की कमान अब आतिशी के हाथ में आ गई है. आतिशी ने दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. वह राष्ट्रीय राजधानी में सीएम पद संभालने वाली तीनों महिला मुख्यमंत्रियों में से सबसे कम उम्र की महिला सीएम बन गई हैं. आतिशी को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिल्ली के आठवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई.

आतिशी नीली साड़ी पहनकर सीएम पद की शपथ लेने राजनिवास पहुंची थीं. वहीं, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संजोयक अरविंद केजरीवाल भी उनके साथ राजभवन आए थे. केजरीवाल भी अक्सर नीली शर्ट में नजर आते हैं. आतिशी ने शपथ ग्रहण करने के बाद केजरीवाल के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. इस कार्यक्रम से पहले आतिशी केजरीवाल से मुलाकात करने सीएम आवास पर गईं थीं.

आतिशी की नई मंत्रिपरिषद में सबसे पहले सौरभ भारद्वाज ने शपथ ली, उसके बाद गोपाल राय, कैलाश गहलोत, इमरान हुसैन और दिल्ली कैबिनेट में नए सदस्य मुकेश अहलावत ने शपथ ली. हालांकि, आतिशी का कार्यकाल संक्षिप्त होगा, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में फरवरी में विधानसभा चुनाव होने हैं.

बता दें कि कथित शराब घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के 2 दिन बाद यानी 15 सितंबर को केजरीवाल आम आदमी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे थे. तब केजरीवाल ने दो दिन बाद इस्तीफे का ऐलान किया था. उन्होंने कहा था कि मैं तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा, जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती कि केजरीवाल ईमानदार हैं. मैं हर घर और गली में जाऊंगा और जब तक जनता का फैसला नहीं मिल जाता, तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा. इसके बाद सीएम पद के लिए आतिशी के नाम का ऐलान हुआ था. पार्टी की विधायक दल की मीटिंग में आतिशी को सीएम बनाने का फैसला लिया गया था.

राज निवास में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में अरविंद केजरीवाल, पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पार्टी के अन्य नेता और विधायक शामिल हुए. साथ ही दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल, विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता, केंद्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा ​​समेत भाजपा सांसद और दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा भी समारोह में शामिल हुए

आम आदमी पार्टी की नई कमान: आतिशी ने ली मुख्यमंत्री पद की शपथ, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिलाई शपथ

आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने शनिवार शाम को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.

राज निवास में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आतिशी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई.इसके साथ ही कांग्रेस नेता शीला दीक्षित और भाजपा नेता सुषमा स्वाराज को बाद वह दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री बन गयी हैं.

शराब नीति मामले में जेल से रिहा होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सीएम पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था. शुक्रवार की रात को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया. इसके साथ ही आतिशी को सीएम पद पर नियुक्त किया गया था. बता दें कि आतिशी पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की काफी विश्वासी मानी जाती हैं

इसके पहले आप की बैठक में आतिशी को विधायक दल की नेता निर्वाचित किया गया था. विधायक दल की नेता निर्वाचित होने के बाद आतिशी ने उपराज्यपाल से सीएम पद की शपथ दिलाने का दिन तय करने का आग्रह किया था.

साल 2023 में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के शराब नीति मामले में जेल जाने के बाद आतिशी ने शिक्षा मंत्री का पद संभाला था. वह दिल्ली कैबिनेट में मंत्री के रूप में वित्त, राजस्व, पीडब्ल्यूडी, बिजली, सेवा, महिला और बाल विकास विभाग भी संभाल चुकी हैं.

दिल्ली में पली-बढ़ी और हासिल की शिक्षा

8 जून 1981 को आतिशी का जन्म हुआ है. उनका जन्म दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर विजय सिंह एवं त्रिप्ता वाही के घर में हुआ. वह दिल्ली में जन्मी और यही उनका लालन-पालन हुआ.

द स्प्रिंगडेल्स स्कूल से स्कूली शिक्षा और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद और इतिहास में ऑक्सफोर्ड से मास्टर डिग्री हासिल की. उनके माता-पिता मार्क्स से प्रभावित थे. इस कारण उनका मध्य मध्य नाम ‘मार्लेना’ रखा गया था. यह मार्क्स एवं लेनिन का संयोजन है, लेकिन आतिशी ने साल 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले ‘मार्लेना’ अपने नाम से हटा दिया.

2006 में आतिशी की हुई शादी

साल 2006 में आतिशी की पंजाबी राजपूत परिवार के प्रवीण सिंह से शादी हुई. प्रवीण संभावना इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी एंड पॉलिटिक्स में शोधकर्ता और शिक्षक के कार्य से जुड़े हैं.

उन्होंने आईआईटी दिल्ली के सााथ आईआईएम अहमदाबाद से डिग्री हासिल कर करीब आठ सालों तक कॉरपोरेट सेक्टर में भारत और अमेरिका में कंसल्टेंसी फर्मों में काम किया है. वह समाज सेवा के काम से भी जुड़े हुए हैं. हालांकि सार्वजनिक जीवन में उन्हें बहुत ही कम देखा जाता है.

साल 2013 में आप में शामिल होकर राजनीति में रखा कदम

आतिशी साल 2013 में आम आदमी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा और मेनिफेस्टो ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य बनाई गईं. साल 2015-2018 तक दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की सलाहकार रूप में पहले काम किया. फिर सक्रिय राजनीति में कदम रखा. मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में जल सत्याग्रह आंदोलन में हिस्सा लिया था.

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में आतिशी ने पूर्वी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा लेकिन पूर्व भाजपा नेता गौतम गंभीर से पराजित हो गईं. साल 2020 के चुनावों के बाद आतिशी को आप की गोवा इकाई का प्रभारी का दायित्व दिया गया. साल 2020 के दिल्ली के कालकाजी विधानसभा केंद्र से जीत हासिल की. उन्होंने भाजपा नेता धर्मबीर सिंह को हराया और यही से उनका दिल्ली की राजनीति में उनका उदय हुआ.

मनीष सिसोदिया के इस्तीफे के बाद बनीं मंत्री

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के इस्तीफे के बाद अरविंद केजरीवाल ने उन्हें कैबिनेट में शामिल किया.दिल्ली कैबिनेट में मंत्री के रूप में उन्होंने वित्त, पीडब्ल्यूडी, बिजली, सेवा, राजस्व, महिला और बाल विकास और शिक्षा सहित विभिन्न विभागों को संभाला.

2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान आतिशी ने अपनी संपत्ति का हलफनामा पेश किया था. इसके अनुसार उनके पास 1 करोड़ 41 लाख रुपये की चल और अचल संपत्ति है. हालांकि आतिशी के पास अपनी कोई कार और आभूषण जैसी कोई संपत्ति नहीं है.

रेलवे में सरकारी नौकरी का मौका: 3,445 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू, जानें कैसे करें अप्लाई?

अगर आप सरकारी नौकरी करना चाहते हैं और वो भी रेलवे में, तो आपके लिए एक सुनहरा मौका है. रेलवे में 3 हजार से भी अधिक पदों पर भर्तियां निकली हैं, जिसके लिए आवेदन प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. रेलवे भर्ती बोर्ड ने 21 सितंबर यानी आज से ही आरआरबी एनटीपीसी यूजी भर्ती 2024 के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की है.

जो भी उम्मीदवार कमर्शियल सह टिकट क्लर्क, जूनियर क्लर्क और ट्रेन क्लर्क आदि के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन करना चाहते हैं, वो आरआरबी की ऑफिशियल वेबसाइट rrbapply.gov.in पर इसका सीधा लिंक पा सकते हैं.

इस भर्ती अभियान के तहत रेलवे में कुल 3,445 पदों को भरा जाएगा. आवेदन करने की लास्ट डेट 20 अक्टूबर 2024 है और आवेदन शुल्क का भुगतान 22 अक्टूबर 2024 तक किया जा सकता है.

किन-किन पदों पर कितनी भर्तियां?

कमर्शियल सह टिकट क्लर्क- 2022 पद

अकाउंट क्लर्क कम टाइपिस्ट- 361 पद

जूनियर क्लर्क सह टाइपिस्ट- 990 पद

ट्रेन क्लर्क- 72 पद

कैसे करें अप्लाई?

सबसे पहले आरआरबी की आधिकारिक वेबसाइट rrbapply.gov.in पर जाएं. फिर होम पेज पर उपलब्ध आरआरबी एनटीपीसी यूजी भर्ती 2024 लिंक पर क्लिक करें.

उसके बाद एक नया पेज खुलेगा, जहां उम्मीदवारों को एक अकाउंट बनाना होगा.

एक बार जब ये हो जाए तो लॉगिन करें.

एप्लिकेशन फॉर्म भरें और आवेदन शुल्क का भुगतान करें.

सबमिट बटन पर क्लिक करें और पेज को डाउनलोड कर लें

आगे की जरूरत के लिए इसकी एक हार्ड कॉपी अपने पास जरूर रख लें.

आवेदन शुल्क कितना है?

आरआरबी एनटीपीसी भर्ती के लिए आवेदन शुल्क एससी, एसटी, भूतपूर्व सैनिक, महिला, पीडब्ल्यूबीडी, ट्रांसजेंडर, अल्पसंख्यक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग यानी ईबीसी कैटेगरी के उम्मीदवारों के लिए 250 रुपये है, जबकि अन्य सभी उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क 500 रुपये है. अगर उम्मीदवार कंप्यूटर आधारित टेस्ट (सीबीटी) में शामिल होते हैं तो वो आवेदन शुल्क में आंशिक वापसी पा सकते हैं.

एक्टिव रखें मोबाइल नंबर और ईमेल

अभ्यर्थियों के लिए ये जरूरी है कि वो अपने मोबाइल नंबर और वैलिड ई-मेल आईडी को पूरी भर्ती प्रक्रिया के दौरान एक्टिव रखें, क्योंकि आरआरबी भर्ती पूरी तरह खत्म होने तक सभी भर्ती संबंधी सूचनाएं सिर्फ एसएमएस और ई-मेल के माध्यम से ही भेजी जाएंगी.

अधिक जानकारी के लिए आप रेलवे की ऑफिशियल वेबसाइट rrbapply.gov.in देख सकते हैं.

बिहार में बाढ़ की स्थिति का जायजा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया निरीक्षण, दिए आवश्यक निर्देश

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना में बाढ़ के निरीक्षण के दौरान जेपी गंगा पथ के कंगन घाट, गांधी घाट एवं कृष्णा घाट पर रुक कर गंगा नदी के आसपास के इलाकों की स्थिति को देखा और अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली. अशोक राजपथ को जेपी गंगा पथ से मिलाने वाले कृष्णा घाट पर निर्माणाधीन पहुंच पथ की भी मुख्यमंत्री ने जानकारी ली और तेजी से निर्माण पूर्ण करने का निर्देश दिया. गंगा नदी के बढ़ते जलस्तर के निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने पटना के जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि गंगा नदी के किनारे वाले क्षेत्रों में बढ़ते जलस्तर को ध्यान में रखते हुये पूरी तरह अलर्ट रहें और सारी तैयारी पूर्ण रखें. स्थिति की लगातार समीक्षा करते रहें और आवश्यक कार्रवाई त्वरित करें.

गांधी सेतु होते हुए हाजीपुर भी पहुंचे

निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री गांधी सेतु होते हुए हाजीपुर पहुंचे. हाजीपुर में बनाये गये बाढ़ राहत शिविर का जायजा लिया. मुख्यमंत्री ने बाढ़ राहत शिविर में रह रहे लोगों से बातचीत कर वहां की व्यवस्थाओं की विस्तृत जानकारी ली. बाढ़ राहत शिविर में मुख्यमंत्री ने वैशाली जिला के जिलाधिकारी को निर्देश देते हुए कहा कि सभी राहत शिविरों में रह रहे लोगों की सुविधाओं का ख्याल रखें. स्थिति की निरंतर मॉनिटरिंग करते रहें.

मुख्यमंत्री ने निरीक्षण के क्रम में अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि जल संसाधन विभाग पूरी तरह मुस्तैद रहे और लगातार मॉनिटरिंग करते रहे. निचले इलाकों में जहां पानी बढ़ रहा है, संभावित परिस्थितियों पर पूरी नजर रखें. जिलाधिकारी सतत् निगरानी करते रहें. उन्होंने कहा कि अभियंतागण पूरी तरह अलर्ट रहें और वरीय पदाधिकारी स्थल पर कैंप करते रहें. आपदा प्रबंधन विभाग सतत् अनुश्रवण करते रहें कि और क्या-क्या करने की जरूरत है ताकि लोगों को कोई दिक्कत नहीं हो. बाढ़ की स्थिति में प्रभावितों को एसओपी के अनुसार पूरी सहायता उपलब्ध करायी जाय. सरकार के खजाने पर पहला अधिकार आपदा पीड़ितों का होता है.

दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन हो-सीएम

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के अनुसार सभी जिलों एवं संबद्ध विभागों को विस्तृत दिशा-निर्देश दिये गये हैं जिसका अक्षरशः अनुपालन सुनिश्चित किया जाये. उन्होंने कहा कि नाव संचालन, पॉलिथिन शीट्स, राहत सामग्री की उपलब्धता, दवा, पशुचारा, बाढ़ आश्रय स्थल, सामुदायिक रसोई, ड्राई राशन पैकेट्स / फूड पैकेट्स, जिला आपातकालीन संचालन केंद्र आदि के संबंध में पूरी व्यवस्था रखें ताकि लोगों को तुरंत राहत पहुँचाया जा सके.

सीएम के साथ उपस्थित थे कई दिग्गज

निरीक्षण के दौरान विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव कुमार रवि, मुख्यमंत्री के विशेष पदाधिकारी गोपाल सिंह, पटना के जिलाधिकारी डॉ चन्द्रशेखर सिंह, वैशाली के जिलाधिकारी यशपाल मीणा, पटना के एसएसपी राजीव मिश्रा, वैशाली जिले के एसपी हरकिशोर राय सहित अन्य अधिकारीगण एवं जल संसाधन विभाग के अभियंतागण उपस्थित थे.

एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह होंगे नए वायुसेना प्रमुख: 30 सितंबर को संभालेंगे कमान, वीआर चौधरी की जगह लेंगे

भारतीय वायुसेना की कमान अब एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह संभालेंगे. सरकार ने अमरप्रीत सिंह को वायुसेना प्रमुख नियुक्त किया है, वो वीआर चौधरी की जगह लेंगे. वर्तमान में अमरप्रीत सिंह वायु सेना के उप प्रमुख की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.

अमरप्रीत सिंह 30 सितंबर को एयर चीफ मार्शल का पद ग्रहण करेंगे. वह एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी की जगह लेंगे जो उसी दिन अपना कार्यकाल पूरा करके रिटायर होंगे.

कौन हैं अमरप्रीत सिंह

एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह का जन्म 27 अक्टूबर को साल 1964 में हुआ था. उन्हें 1 फरवरी साल 2023 में वायु सेना के 47 वें उप प्रमुख नियुक्त किए गए थे. एयर मार्शल ने वायु सेना में अपने करियर की शुरुआत साल 1984 में की थी, जिसके बाद वो एक के बाद एक कामयाबी हासिल करते रहे.

दिसंबर साल 1984 में शामिल किया गया था. उन्होंने पूर्वी वायु कमान में वरिष्ठ एयर स्टाफ ऑफिसर के रूप में काम किया, जिसके बाद उन्होंने सेंट्रल एयर कमांड की भी कमान संभाली.

कई अहम जिम्मेदारी संभाली

एयर मार्शल ने अपने करियर में कई अहम जिम्मेदारियां बखूबी निभाई वो फ्लाइट कमांडर, मिग-27 स्क्वाड्रन के कमांडिंग ऑफिसर साथ ही एक एयर बेस के एयर ऑफिसर कमांडिंग भी रहे हैं. वह राष्ट्रीय उड़ान परीक्षण केंद्र में परोजेक्ट डायरेक्टर (फ्लाइट टेस्ट) भी थे और उन्हें हल्के लड़ाकू विमान, तेजस के फ्लाइट टेस्ट का काम सौंपा गया था. एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह ने नेशनल डिफेंस अकेडमी, वेलिंगटन में रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा कॉलेज से पढ़ाई की.

किन पदक से किया गया सम्मानित

एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह को उनके करियर के दौरान कई पदक से सम्मानित किया गया. उन्हें अति विशिष्ट सेवा मेडल से साल 2019 में सम्मानित किया गया, जिसके बाद उन्हें साल 2023 में परम विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया.

सूरत में रेलवे ट्रैक से छेड़छाड़: समय रहते शिकायत के बाद टाला गया बड़ा हादसा

गुजरात के सूरत में रेलवे ट्रैक से ट्रेन को पलटाने की साजिश रची गई. इसके लिए ट्रैक पर लगाई गई फिश प्लेट को रख दिया. साथ ही चाबियों को खोलकर फेंक दिया गया. रेलवे ट्रैक से की गई ये छेड़छाड़ किसी बड़े हादसे की वजह बन सकती थी, वडोदरा पश्चिम रेलवे डिविजन में ट्रेन के पलटने से पहले ही कुछ अज्ञात लोगों की तरफ से इसकी शिकायत की गई, जिसके बाद ट्रेन के आने से पहले रेलवे ट्रैक की जांच की गई, जिसमें शिकायत की गई बात सच निकली.

रेलवे ट्रैक पर फिश प्लेट से छेड़छाड़ की गई थी, वहां चाबियों को फेंक दिया गया था. इस घटना के बाद ट्रैक पर काम शुरू कर दिया गया है, जिससे वहां जल्द ही सुधार किया जा सके और ट्रेनों की आवाजाही को शुरू किया जा सके. रेलवे ट्रैक से छेड़छाड़ की ये पहली घटना नहीं है, इसके कुछ दिनों पहले यूपी में भी इस तरह की घटना सामने आई थी. फिलहाल किसी तरह की बड़ी अनहोनी को समय रहते रोक लिया गया.

यूपी में भी की गई थी ट्रेन पलटाने की साजिश

सूरत में ट्रेन पलटाने की साजिश के पहले भी कई बार दूसरे राज्यों में भी इस तरह की कोशिश की गई थी. हालांकि, यह पहली बार नहीं है इससे पहले भी ऐसा हो चुका है. इस तरह की साजिश के पीछे है ये अपने आप में एक बड़ा सवाल है.

सूरत ट्रैक पर इस घटना की सूचना मिलने के बाद जांच अधिकारी मौके पर पहुंचे और इस रास्ते से जाने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया. इस घटना के पहले यूपी के रामपुर में ट्रैक पर एक लोहे का खंभा मिला था, लेकिन समय सिग्नल से पहले ही इसकी जानकारी मिल जाने से हादसा टल गया. एकबार फिर से इसी तरह की कोशिश की गई है जो कि परेशान करने वाली है.

ऋषभ पंत की शानदार वापसी: बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में शतक, एमएस धोनी के रिकॉर्ड की बराबरी

ऋषभ पंत ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी वापसी का जश्न शानदार शतक के साथ मनाया है. स्टार भारतीय विकेटकीपर-बल्लेबाज ने बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई टेस्ट के तीसरे दिन शतक पूरा कर दिया. इसके साथ ही उन्होंने एमएस धोनी की भी बराबरी कर दी. बांग्लादेश के खिलाफ ही पिछला टेस्ट खेलने वाले पंत दिसंबर 2022 में रोड एक्सीडेंट का शिकार हो गए थे, जिसमें वो बुरी तरह घायल हुए थे. उस हादले के डेढ़ साल से भी ज्यादा वक्त के बाद पंत ने टेस्ट क्रिकेट में वापसी की और पहले ही मैच में शानदार शतक जमा दिया. उन्होंने बतौर भारतीय विकेटकीपर, एमएस धोनी के सबसे ज्यादा शतक के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर ली.

चेपॉक के मैदान में पहली पारी में जहां लोकल हीरो रविचंद्रन अश्विन ने एक बेहतरीन सेंचुरी जमाई, तो दूसरी पारी में फैन फेवरेट बन चुके ऋषभ पंत ने शतक जड़ा. मैच के दूसरे दिन 12 रन बनाकर नॉट आउट लौटे पंत ने तीसरे दिन के पहले सेशन में कुछ देर तक आराम से बैटिंग की और अपना अर्धशतक जमाया. फिफ्टी पूरी करने के बाद उन्होंने बाउंड्री की बारिश कर दी. लंच तक वो 82 रन बना चुके थे. इस दौरान बांग्लादेश के कप्तान नजमुल होसैन शांतो ने 72 रन के स्कोर पर पंत का आसान कैच भी ड्रॉप कर दिया था.

नाइंटीज में नर्वस नहीं हुए पंत, जड़ दिया शतक

दूसरे सेशन में हर किसी को पंत के शतक पूरा करने का इंतजार था और उन्होंने इसमें ज्यादा वक्त भी नहीं लिया. अपने टेस्ट करियर में पहले ही 7 बार ‘नर्वस नाइंटीज’ (90 से 99 के बीच आउट) का शिकार होने के बावजूद पंत ने यहां 90 का आंकड़ा पार करने के बाद भी हमला जारी रखा. फिर शाकिब अल हसन की गेंद पर 2 रन लेकर पंत ने अपना छठा टेस्ट शतक पूरा किया. उन्होंने सिर्फ 124 गेंदों में ये सेंचुरी पूरी की, जिसमें 11 चौके और 4 छक्के शामिल थे.

पंत का ये शतक सिर्फ उनके लिए ही नहीं, बल्कि पूरी टीम के लिए खास था, इसलिए सेंचुरी पूरी करते ही जो जहां था, वहीं अपनी जगह में खड़े होकर तालियां बजाने लगा. स्टेडियम में मौजूद दर्शक भी पंत के सम्मान में खड़े हो गए. उन्होंने एमएस धोनी के 6 टेस्ट शतक के रिकॉर्ड की भी बराबरी की, जो किसी भी भारतीय विकेटकीपर के लिए सबसे ज्यादा है. धोनी ने 90 टेस्ट में ये 6 शतक लगाए थे, जबकि पंत ने 34वें टेस्ट में ही इसकी बराबरी कर ली.

बांग्लादेश से पुराना हिसाब बराबर

शतक के बाद भी पंत आक्रामक अंदाज दिखा रहे थे और उन्होंने 2 चौके भी लगा दिए थे. इसी अंदाज को जारी रखने की कोशिश में वो आउट हो गए. उनके एक तेज शॉट पर मेहदी हसन मिराज ने अपनी ही गेंद पर कैच लिया और पंत की 109 रनों की बेहतरीन पारी का अंत हुआ. अपनी पारी में पंत ने 128 गेंदों का सामना किया, 13 चौके जमाए और 4 छक्के भी जड़े. पंत का भारत में ये सिर्फ दूसरा ही शतक है, जबकि बांग्लादेश के खिलाफ पहली बार सेंचुरी जमाई है. दिसंबर 2022 में खेले अपने पिछले टेस्ट में उन्होंने बांग्लादेश के खिलाफ 93 रन बनाए थे. इस तरह पंत ने उस शतक से चूकने की कसर भी पूरी कर ली.

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म: ममता बनर्जी के आश्वासन के बाद जूनियर डॉक्टर्स ने काम पर लौटे

कोलकाता डॉक्टर रेप मर्डर केस में इंसाफ की मांग कर रहे जूनियर डॉक्टरों ने आज से काम करना शुरू कर दिया है. 42 दिन बाद आज वे अपने-अपने काम पर लौट गए हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ कई दौर की बातचीत के बाद डॉक्टर्स ने शुक्रवार को हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया था और कहा था कि शनिवार से वे अपने काम पर लौट जाएंगे.

इसके बाद आज से डॉक्टरों ने सभी अस्पतालों के आवश्यक और इमरजेंसी सर्विस में काम करना शुरू कर दिया लेकिन वे ओपीडी में काम नहीं कर रहे हैं. इसको लेकर डॉक्टर्स का कहना है कि वे आंशिक रूप से काम पर लौटे हैं इसलिए वो OPD में काम नहीं करेंगे केवल आवश्यक और इमरजेंसी सेवाओं के लिए ही काम करेंगे.

अभी खत्म नहीं हुई लड़ाई, 1 हफ्ते का करेंगे इंतजार

डॉक्टरों का कहना है कि ममता बनर्जी ने आश्वासन दिया है कि उनकी हर मांग पूरी होगी और जब तक केस के आरोपी को सजा नहीं मिल जाती तब हड़ताल पूरी तरह से खत्म नहीं होगा. आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हैवानियत के खिलाफ जूनियर डॉक्टरों ने काम करना बंद कर दिया था.

पीड़िता को इंसाफ मिले, इसके लिए पिछले 41 दिनों से ये हड़ताल पर बैठे थे. डॉक्टरों का कहना है कि उनकी इंसाफ की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. वह बंगाल सरकार द्वारा किए गए वादों को लागू करने के लिए एक हफ्ते का इंतजार करेंगे और अगर वह पूरे नहीं किए गए तो दोबारा हड़ताल पर लौटेंगे. डॉक्टरों की मांग है कि इस घटना में जांन गंवाने वाली पीड़िता को न्याय मिले.

अगले 7 दिन तक इंतजार करेंगे, नहीं तो…

जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि हमारी मांग पर कोलकाता पुलिस कमिश्नर, मेडिकल एजुकेशन के डायरेक्टर और स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर को हटाया गया है. राज्य के हेल्थ सेक्रेटरी एनएस निगम को हटाने और अस्पतालों में थ्रेट कल्चर खत्म करने की हमारी मांग अभी भी जारी है. स्वास्थ्य सचिव को हटाए जाने की अपनी मांगों को पूरा करने के लिए अगले 7 दिन तक इंतजार करेंगे, नहीं तो फिर से काम बंद कर देंगे.

बता दें कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त को महिला डॉक्टर का शव मिला था. तभी से जूनियर डॉक्टर्स विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. सीबीआई इस पूरे मामले की जांच कर रही है. जांच एजेंसी ने इस पूरे मामले में अब तक आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया है.