40 साल पुराना विमान हाईजैक: एस जयशंकर ने बताई अपने पिता की मौजूदगी की कहानी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने करीब 40 साल पहले एक विमान हाईजैक से जुड़े उस वाकये का जिक्र किया जिसमें वह समस्या से निपटने वाली टीम का हिस्सा थे. हालांकि तब उनकी स्थिति ज्यादा विकट हो गई जब उन्हें पता चला कि जिस विमान को हाईजैक किया गया है, उसमें उनके पिता भी सवार हैं. विदेश मंत्री के इस खुलासे के बाद 4 दशक पुराने उस हाईजैक की कहानी फिर से चर्चा में आ गई है.
जयशंकर ने स्विटजरलैंड में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान बताया, “1984 में, बतौर अधिकारी मैं हाईजैक हुए विमान से निपटने वाली टीम का हिस्सा था. फिर कुछ घंटों बाद, जब मैंने अपनी मां को फोन किया कि विमान के हाइजैक होने की वजह से मैं घर नहीं आ सकता, तब मुझे पता चला कि मेरे पिता भी उसी विमान में सवार थे.” विदेश मंत्री के पिता के. सुब्रह्मण्यम, जो अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक मामलों के विश्लेषक और पत्रकार थे. हाइजैकर्स विमान को अमेरिका ले जाना चाहते थे, लेकिन यह लाहौर, कराची और दुबई तक का चक्कर लगाता रहा.
चंडीगढ़ से निकलते ही हाइजैक हुआ प्लेन
बात 24 अगस्त 1984 के तड़के सुबह की है. जब इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC- 421 (बोइंग 737-2A8) में सवार ऑल इंडिया स्टुडेंट्स फेडरेशन (AISSF) से जुड़े कुछ सिख लोगों ने विमान में टाइम बम रखे होने की बात करते हुए उसे हाईजैक कर लिया. विमान में कुल 122 लोग सवार थे. जिसमें से 67 यात्री चंडीगढ़ उतर गए और 31 यात्री श्रीनगर जाने के लिए सवार हुए. ये हाइजैकर्स सिख थे, जिनकी उम्र 20 साल के आसपास थी. वे कॉकपिट में घुस गए और कैप्टन वीके मेहता से विमान का कंट्रोल छीन लिया.
विमान को चंडीगढ़ से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद सुबह 7.30 बजे हाईजैक कर लिया गया. यह विमान दिल्ली के पालम से चंडीगढ़ होते हुए श्रीनगर के लिए रवाना हुआ था. इस विमान में सिविल सर्वेंट के सुब्रह्मण्यम भी सवार थे जो वर्तमान में विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता थे.
अमेरिका ले जाना चाहते थे विमान
हाइजैकर्स ने शुरुआत में विमान को भारत से बहुत दूर संयुक्त राज्य अमेरिका ले जाने की मांग की. बाद में उन्होंने विमान को पाकिस्तान के लाहौर में उतरवाया. लाहौर में विमान करीब 80 मिनट तक आसमान में चक्कर लगाता रहा, लेकिन विमान में फ्यूल कम होने के बाद पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुबह 9:50 बजे लाहौर एयरपोर्ट पर उतरने की अनुमति दी.
इस दौरान हाइजैकर्स ने यह भी दावा किया कि उनके पास विमान को उड़ाने के लिए पर्याप्त विस्फोटक हैं. साथ ही उनकी ओर से विमान में फ्यूल भरे जाने तक हर 15 मिनट में 74 यात्रियों में से एक-एक को मारने की धमकी भी दी गई.
लाहौर में 5 यात्रियों को छोड़ा गया
विमान में सवार 5 यात्रियों को शाम 7 बजे लाहौर में छोड़ दिया गया, फिर पाकिस्तानी अधिकारियों की ओर से विमान में ईंधन भरने और फिर उड़ान भरने की अनुमति दी गई. इसके बाद अपहृत विमान ने लाहौर से कराची के लिए उड़ान भरी, जहां हाईजैक ने ब्रिटिश पासपोर्ट वाली 2 महिलाओं को इसलिए छोड़ दिया क्योंकि वो बीमार हो गई थीं.
हालांकि हाइजैकर्स कराची की जगह बहरीन जाना चाहते थे लेकिन मौसम की वजह से विमान को कराची ले जाना पड़ा. कराची पहुंचे विमान में पाकिस्तानी अधिकारियों ने हाइजैकर्स की मांग पर और फ्यूल भरा. फिर हाइजैकर्स इस विमान को दुबई ले गए.
बातचीत को एयरपोर्ट पहुंचे UAE के रक्षा मंत्री
एयर इंडिया का यह विमान अब दुबई में था. अगले दिन सुबह 8 बजे संयुक्त अरब अमीरात के रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम दुबई एयरपोर्ट पहुंचे. उन्होंने यात्रियों की सकुशल रिहाई और सभी हाइजैकर्स को यूएई अधिकारियों के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए बातचीत की. दोपहर 1:45 बजे, रक्षा मंत्री शेख रशीद के बार-बार अनुरोध के बाद, हाइजैकर्स ने अंततः बंधकों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था करने की अनुमति दी. इससे पहले हाइजैकर्स ने खाना और पानी लौटा दिया था.
यूएई अधिकारियों के साथ बातचीत के दौरान, हाइजैकर्स ने सुरक्षित अमेरिका पहुंचने और उन्हें राजनीतिक शरण दिए जाने की मांग की. लेकिन दुबई स्थित अमेरिकी दूतावास की ओर से कहा गया कि अगर वे अमेरिका जाते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा. इस बीच दुबई के अधिकारी भारतीय अधिकारियों के साथ हाइजैकर्स से बातचीत में लगे हुए थे. इस बीच हाइजैकर्स ने सुब्रह्मण्यम के जरिए यह बताने को मजबूर किया कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं तो वे हर आधे घंटे में एक बंधक को मारना शुरू कर देंगे.
इंसुलिन के प्लेन से बाहर निकले सुब्रह्मण्यम
हाइजैकर्स के साथ बातचीत के दौरान दोपहर साढ़े 12 बजे विमान में 2 एंबुलेंस भी भेजी गई क्योंकि दिल्ली स्थित रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान (Institute for Defence Studies and Analysis) के निदेशक के. सुब्रह्मण्यम ने शिकायत की कि उन्हें डायबटीज के लिए इंसुलिन इंजेक्शन की जरुरत है. एंबुलेंस में इंसुलिन की खुराक दिए जाने के बाद सुब्रह्मण्यम और उनके साथ मौजूद हाइजैकर विमान में लौट आए.
विमान के हाईजैक हुए 36 घंटे बीत चुके थे. हाइजैकर्स और भारतीय अधिकारियों के बीच यात्रियों को सुरक्षित छोड़े जाने को लेकर लगातार बातचीत हो रही थी. कई दौर की बातचीत के बाद देर शाम 6.50 दुबई पुलिस के चीफ ने घोषणा की कि हाइजैकर्स ने बिना शर्त आत्मसमर्पण कर दिया. उन्हें हिरासत में ले लिया गया. अपहरण के करीब 36 घंटे बाद दुबई में सभी शेष यात्रियों और चालक दल को सुरक्षित रिहा कर दिया गया.
हाइजैकर्स को अमेरिका भेजने का वादा
वहीं बातचीत के दौरान दुबई के अधिकारियों ने हाइजैकर्स को संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए भेजे जाने से पहले सात दिन की शरण देने का वादा किया था. लेकिन बाद में उनके सामने 2 विकल्प रखे गए. पहला, भारत प्रत्यर्पित किया जाना. दूसरा यूएई कानून के तहत हवाई चोरी के लिए मुकदमा चलाना. बाद में हाइजैकर्स को भारत भेज दिया गया.
इन सिख आतंकवादियों को 3 सितंबर, 1984 को नई दिल्ली लाया गया. मामले की सुनवाई राजस्थान के अजमेर शहर में हुई और यह 9 साल तक चली. अजमेर की एक जेल के अंदर बनाए गए स्पेशल कोर्ट में अप्रैल, 1993 में सातों आरोपियों को सजा सुनाई गई. इन्हें दोषी ठहराए जाने के एक महीने के अंदर ही आजीवन कारावास की सजा भी सुना दी गई.
आजीवन कारावास की सजा पाने वालों में हाइजैकर्स कमलजीत सिंह संधू, देवेंद्र सिंह, अमरेंद्र सिंह, अवतार सिंह, तजिंदर सिंह, मान सिंह और सुरेंद्र सिंह थे.
Sep 14 2024, 11:48