भदोही में हरतालिका तीज पर विवाहित महिलाओं ने निराहार रहकर की भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा
नितेश श्रीवास्तव
भदोही। सनातन धर्म में भगवान भोलेनाथ शिव शंकर और आदिशक्ति जगजननी मां पार्वती को सृजित का महानतम युगल माना जाता है। वैदिक कहता है शिव और शक्ति एक- दूसरे से पृथक नहीं, अपितु एक ही है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को रखा जाने वाला हरतालिका तीज का युग प्राचीन व्रत पर्व भगवान शिव शंकर और आदिशक्ति मां पार्वती के पुनर्मिलन की स्मृति का पावन प्रतीक है। शिवमहापुराण की कथा के अनुसार, आदिकाल में पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में पति महादेव के अपमान से आहत होकर जब माता सती ने हवन कुंड में कूदकर प्राण त्याग त्याग दिए थे तो दक्ष यज्ञ के विध्वंस के बाद क्रुद्ध एवं क्षुब्ध महादेव उनकी निर्जीव देह को कंधे पर लादकर पूरी धरती पर इधर - उधर डोलने लगे। उस दौरान जहां - जहां मां सती के अंग गिरे, वहां - वहां शक्तिपीठ बन गए।
उधर मां सती कई जन्म लेकर महादेव को पुनः पति के रूप में पाने के लिए सतत तपस्या करती रहीं। अंततः 107 वें जन्म में पार्वती के रुप में उनकी तपस्या फलीभूत हुई। शास्त्रीय मान्यता के अनुसार महादेव से पुनर्मिलन के लिए मां पार्वती ने अपने कठोर व्रत अनुष्ठान का शुभारंभ श्रावण मास के पक्ष की तृतीया (हरियाली तीज) से किया था और भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष तृतीया को महादेव साक्षात दर्शन देकर उन्हें अर्धांगिनी के रुप में स्वीकार करने का वचन दिया था। ऐसा कहा जाता है कि पर्वतराज हिमालय और महारानी मैनावती अपनी पुत्री पार्वती को इतने कठोर व्रत में संलग्न देख बहुत दुखी होते थे। कहीं माता-पिता पार्वती का व्रत बीच में ही न तुड़वा दें। इस आशंका और भय से मां पार्वती की सखियां जया और विजया वेश बदलकर उनका हरण कर उन्हें घने वन में ले गई ताकि पार्वती अपना अनुष्ठान पूर्ण कर सके। हरितालिका दो शब्दों से मिलकर बना है हरत और आलिका हरत का अर्थ हरण करना और आलिका का अर्थ है सखी।
इस कारण यह पर्व हरतालिका तीज के नाम से विख्यात है। कई लोग हरतालिका तीज और हरियाली तीज को एक ही समझ लेते हैं लेकिन इन दिनों पर्वों में अंतर है। हरियाली तीज को छोटी तीज और हरतालिका तीज को बड़ी तीज कहा जाता है। मान्यता है कि शिव जी को पति रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने हरियाली तीज से कठोर व्रत की शुरुआत की थी, जो हरितालिका तीज पर संपूर्ण हुआ था।शुक्रवार को विवाहित स्त्रियों के द्वारा हरतालिका तीज के मौके पर अपने पति के सुखी जीवन हेतु भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा कर बिना जल ग्रहण किये बिना व्रत किया गया। जिले के शिवालयो पर सुबह से व्रती महिलाओ द्वारा पूजन किया गया।
Sep 07 2024, 17:29