बांग्लादेश में बाढ़ की स्थिति पर विदेश मंत्रालय का बयान, कहा- भारतीय बांध से पानी छोड़ना कारण नहीं

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बांग्लादेश को हिंसा के बाद एक नई परेशानी ने घेर लिया है। देश के कई इलाके भयंकर बाढ़ की चपेट में हैं। हालांकि, विनाशकारी बाढ़ को लेकर वहां के कुछ संगठन भारत पर दोष मढ़ रहे हैं।सीमावर्ती जिलों में हाल में आई बाढ़ को लेकर बांग्लादेश ने भारत पर आरोप लगाया था कि त्रिपुरा के डंबूर बांध के खुलने के कारण वहां बाढ़ आई है। इस पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है और बांग्लादेश के आरोपों को गलत बताया है।

भारत सरकार ने बांग्लादेश के पूर्वी सीमावर्ती जिलों में बाढ़ की स्थिति के लिए डुम्बूर बांध से पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार ठहराने वाली खबरों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। डुम्बूर बांध त्रिपुरा की गुमती नदी पर बना है। भारत सरकार ने साफ किया है कि इस क्षेत्र में आई बाढ़ की मुख्य वजह पिछले दिनों में गुमती नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में हुई मूसलाधार बारिश है।

विदेश मंत्रालय ने इसको लेकर एक विज्ञप्ति जारी की है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि डुम्बूर बांध बांग्लादेश की सीमा से करीब 120 किलोमीटर ऊपर की ओर स्थित है और इसकी ऊंचाई केवल 30 मीटर है। इस बांध का उपयोग बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है, जिसमें से 40 मेगावाट बिजली बांग्लादेश को भी दी जाती है। ऐसे में बाढ़ की स्थिति के लिए बांध से पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल गलत है।

विज्ञप्ति में कहा गया है, नदी के लगभग 120 किलोमीटर मार्ग पर अमरपुर, सोनामुरा और सोनामुरा 2 में हमारे पास तीन जल स्तर निगरानी स्थल हैं। 21 अगस्त से पूरे त्रिपुरा और बांग्लादेश के आसपास के जिलों में भारी बारिश जारी है। भारी जल प्रवाह की स्थिति में, पानी का स्वतः रिसाव देखा गया है।

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, अमरपुर स्टेशन एक द्विपक्षीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है जिसके तहत हम बांग्लादेश को वास्तविक समय पर बाढ़ डेटा भेज रहे हैं। 21 अगस्त 2024 को 3 बजे तक बांग्लादेश को डेटा प्रदान किया गया। 6 बजे बाढ़ के कारण बिजली गुल हो गई, जिससे संचार की समस्याएं पैदा हुईं। फिर भी, हमने डेटा के तत्काल हस्तांतरण के लिए बनाए गए अन्य माध्यमों से संचार बनाए रखने का प्रयास किया।

बयान नें आगे कहा गया है कि भारत और बांग्लादेश के बीच साझा नदियों में बाढ़ एक आम समस्या है, जो दोनों देशों के लोगों को प्रभावित करती है। इसके समाधान के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग जरूरी है। भारत और बांग्लादेश के बीच 54 साझा क्रॉस-बॉर्डर नदियों के साथ, नदी जल सहयोग द्विपक्षीय संबंधों का अहम हिस्सा है। भारत सरकार जल संसाधनों और नदी जल प्रबंधन के मुद्दों को द्विपक्षीय विचार-विमर्श और तकनीकी पूर्ण चर्चाओं के माध्यम से सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।

असम में अब काजी नहीं कर सकेंगे मुस्लिमों की शादी का रजिस्ट्रेशन, बदलेगा 90 साल पुराना कानून

#registration_of_muslim_marriages_in_assam_will_be_done_by_govt_not_qazi

असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ के कुछ प्रावधानों को रद्द करने वाली है। दरअसल, असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार गुरुवार को विधानसभा में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 पेश करेगी। एक बार लागू होने के बाद, यह कानून मुस्लिम विवाह और तलाक को दर्ज करने वाले काजियों की भूमिका को खत्म कर देगा। इससे पहले बुधवार को असम कैबिनेट इस बिल को मंजूरी दे चुकी है। अब इसे सदन में पेश किया जाएगा। 

राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- बिल में 2 विशेष प्रावधान हैं। पहला- मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं सरकार करेगी। दूसरा- बाल विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा। सीएम हिमंत ने कहा कि अब तक काजी नाबालिग लड़कियों की शादियां भी रजिस्टर्ड करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की बुराई को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि नया बिल इस्लामिक निकाह सिस्टम में बदलाव नहीं करेगा। केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव होगा। शादी और तलाक रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड होंगे।

नए बिल के पास होकर कानून बनने के बाद जिला आयुक्तों और रजिस्ट्रारों को मौजूदा वक्त में 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड को अपने कब्जे में लेने का अधिकार होगा। जिन्हें 1935 के ब्रिटिश युग के कानून द्वारा वैध बनाया गया था। 90 साल पहले अंग्रेजों के दौर में 1935 के कानून में निकाह और तलाक के लिए रजिस्ट्रेशन का जिक्र किया गया था। इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक बनाया गया था। यह अधिनियम मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित करता था। साल 2010 में इसमें बदलाव किया गया और रजिस्ट्रेशन को ऐच्छिक न रखकर, अनिवार्य किया गया। 1935 के कानून में विशेष स्थिति में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती।

असम कैबिनेट ने जुलाई की शुरुआत में प्रस्तावित अनिवार्य पंजीकरण कानून के लिए रास्ता साफ करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी।1935 के कानून के तहत स्पेशल कंडीशन में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी। जुलाई में जारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट ने बाल विवाह से निपटने के लिए असम सरकार के प्रयासों की सराहना की। रिपोर्ट में कहा गया कि कानूनी कार्रवाई के जरिए असम में बाल विवाह के मामलों को कम किया है।

असम में अब काजी नहीं कर सकेंगे मुस्लिमों की शादी का रजिस्ट्रेशन, बदलेगा 90 साल पुराना कानून

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असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार मुस्लिम पर्सनल लॉ के कुछ प्रावधानों को रद्द करने वाली है। दरअसल, असम की हिमंत बिस्वा सरमा सरकार गुरुवार को विधानसभा में मुस्लिम मैरिज एंड डिवोर्स रजिस्ट्रेशन बिल 2024 पेश करेगी। एक बार लागू होने के बाद, यह कानून मुस्लिम विवाह और तलाक को दर्ज करने वाले काजियों की भूमिका को खत्म कर देगा। इससे पहले बुधवार को असम कैबिनेट इस बिल को मंजूरी दे चुकी है। अब इसे सदन में पेश किया जाएगा। 

राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा- बिल में 2 विशेष प्रावधान हैं। पहला- मुस्लिम शादी का रजिस्ट्रेशन अब काजी नहीं सरकार करेगी। दूसरा- बाल विवाह के पंजीकरण को अवैध माना जाएगा। सीएम हिमंत ने कहा कि अब तक काजी नाबालिग लड़कियों की शादियां भी रजिस्टर्ड करते थे। अब ऐसा नहीं होगा। अब बाल विवाह रजिस्ट्रेशन बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की बुराई को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि नया बिल इस्लामिक निकाह सिस्टम में बदलाव नहीं करेगा। केवल रजिस्ट्रेशन पार्ट में ही बदलाव होगा। शादी और तलाक रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्टर्ड होंगे।

नए बिल के पास होकर कानून बनने के बाद जिला आयुक्तों और रजिस्ट्रारों को मौजूदा वक्त में 94 काजियों के पास मौजूद रजिस्ट्रेशन के रिकॉर्ड को अपने कब्जे में लेने का अधिकार होगा। जिन्हें 1935 के ब्रिटिश युग के कानून द्वारा वैध बनाया गया था। 90 साल पहले अंग्रेजों के दौर में 1935 के कानून में निकाह और तलाक के लिए रजिस्ट्रेशन का जिक्र किया गया था। इसे मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक बनाया गया था। यह अधिनियम मुस्लिम विवाह और तलाक के पंजीकरण की प्रक्रिया निर्धारित करता था। साल 2010 में इसमें बदलाव किया गया और रजिस्ट्रेशन को ऐच्छिक न रखकर, अनिवार्य किया गया। 1935 के कानून में विशेष स्थिति में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती।

असम कैबिनेट ने जुलाई की शुरुआत में प्रस्तावित अनिवार्य पंजीकरण कानून के लिए रास्ता साफ करने के लिए असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 को निरस्त करने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दी थी।1935 के कानून के तहत स्पेशल कंडीशन में कम उम्र में निकाह करने की अनुमति दी जाती थी। जुलाई में जारी इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन रिपोर्ट ने बाल विवाह से निपटने के लिए असम सरकार के प्रयासों की सराहना की। रिपोर्ट में कहा गया कि कानूनी कार्रवाई के जरिए असम में बाल विवाह के मामलों को कम किया है।

कोलकाता केस पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा बयान, कहा-30 साल में ऐसी लापरवाही नहीं देखी; पुलिस की भूमिका पर भी संदेह

#kolkata_rape_murder_case_supreme_court_hearing

कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी लेडी डॉक्टर से रेप और मर्डर मामले में सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोलकाता डॉक्टर रेप मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस केस में लीपापोती करने की कोशिश की गई। जांच के नियमों की अनदेखी की गई। वारदात पर पर्दा डालने की कोशिश की गई। अस्पताल प्रशासन ने इस मामले में एक्शन नहीं लिया। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखा।

कोलकाता में ट्रेनी डटक्टर के साथ रेप के बाद क्रूरता से की गई हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बीती 20 अगस्त को स्वतः संज्ञान लिया था। मामला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के पास है। इसमें जस्टिस जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता कांड पर जस्टिस पारदीवाला ने पोस्टमॉर्टम और एफआईआर की टाइमिंग पर सवाल उठाए। 

कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि लेडी डॉक्टर की डेडबॉडी का पोस्टमॉर्टम 9 अगस्त की शाम 6:10-7:10 बजे हुआ। इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, ‘जब आप पोस्टमार्टम करना शुरू करते हैं, तो इसका मतलब है कि यह अप्राकृतिक मौत का मामला है। रात को 23:20 बजे अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था। 9 अगस्त को जीडी (जनरल डायरी) एंट्री और एफआईआर 11:45 बजे दर्ज की गई थी।क्या यह सच है?

जस्टिस पारदीवाला वाला ने कहा कि यह बहुत चौंकाने वाला है कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने से पहले ही पोस्टमॉर्टम शुरू कर दिया गया? जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि जब पोस्टमॉर्टम 6 बजकर 10 मिनट में शुरू हो गया और 7 बजकर 10 मिनट में खत्म तो फिर रात को 11 बजकर 30 मिनट पर यूडी यानी अननेचुरल डेथ रजिस्टर्ड करने की क्या जरूरत थी?

इस पर सिब्बल कहते हैं कि सर यह एफआईआर है, यूडी नहीं। टाइमलाइन देखिए, हमने सबकुछ बताया है। यूडी 1 बजकर 45 मिनट पर रजिसिटर्ड हुआ था। वहीं, चीफ जस्टिस ने कहा कि अपराध की GD एंट्री सुबह 10:10 पर हुई, जब फोन के जरिए यह खबर मिली कि थर्ड फ्लोर पर PG डॉक्टर बेहोशी की हालत में मिली है। चीफ जस्टिस ने कहा कि पीड़ित के शव को देखकर बोर्ड ने शुरुआती राय दी थी कि मौत का कारण गला घोटने के कारण हो सकता है और सेक्सुअल एसॉल्ट से भी इनकार नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद पोस्टमार्टम शाम 6-7 के बीच हुआ और उसके बाद जांच शुरू की गई।

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें। हमें अभी तक यह जवाब नहीं मिला है कि यूडी केस कब दर्ज हुआ। जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि हमें बताएं कि जांच पंचनामा कब हुआ? सिब्बल ने जवाब दिया कि शाम 4:20 से 4:40 बजे। कोर्ट ने कहा कि हमारे पास जो रिपोर्ट है, उससे पता चलता है कि जांच पंचनामा और पोस्टमार्टम के बाद यूडी केस दर्ज हुआ। सिब्बल ने इससे इनकार किया। इसके बाद जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि राज्य सरकार ने इस केस में इस तरह से काम किया, जो मैंने अपने 30 साल के करियर में नहीं देखा।

कोलकाता डॉक्टर रेपः साइकोएनालिसिस टेस्ट में सीबीआई को संजय रॉय के अंदर नजर आया 'जानवर',*
#kolkata_doctor_rape_cbi_shocked_sanjay_roy_as_a_sexual_pervert_with_animal कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या का मुख्य आरोपी संजय रॉय पाश्विक प्रवृति का शख्स है, ये बात सीबीआई साइको एनालिटिक प्रोफाइल से पता चलती है।साइकोएनालिट पूछताछ के दौरान 31 साल के संजय रॉय के माथे पर कोई शिकन न थी, ना ही कोई पछतावा। उसने बिना कोई भावना जाहिर किए क्राइम सीन पर क्या हुआ, उस पर अपना पक्ष रखा। संजय रॉय से पूछताछ करने के लिए मनोविश्लेषकों की टीम आई। टीम ने जब उससे पूछताछ की तो वे एक ऐसे शख्स से परिचित हुए जो उसके अंदर छिपा हुआ था। उसने बिना किसी डर या पश्चाताप के घटना के दिन के बारे में बताया। रविवार को सीबीआई जांच में शामिल हुए विशेषज्ञों ने एजेंसी को दिए गए उसके बयानों को भी स्कैन किया ताकि उन्हें पोस्टमॉर्टम और फोरेंसिक निष्कर्षों से जोड़ा जा सके। सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि अपराध स्थल पर संजय रॉय की मौजूदगी की पुष्टि तकनीकी और वैज्ञानिक साक्ष्यों से हुई है, लेकिन वे डीएनए परीक्षणों के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। वहीं, कोलकाता पुलिस के मुताबिक, अस्पताल में सिविल वालंटियर के रूप में तैनात संजय रॉय अपराध वाली रात को दो वेश्यालयों में भी गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस सूत्रों ने बताया कि संजय रॉय 8 अगस्त की रात को रेड लाइट एरिया सोनागाछी गया था। यहां उसने शराब पी और एक के बाद एक दो वेश्यालयों का दौरा किया। इसके बाद वह आधी रात के बाद अस्पताल गया।सीसीटीवी फुटेज में रॉय को सुबह 4 बजे अस्पताल परिसर में फिर से प्रवेश करते हुए देखा गया है। जांचकर्ताओं का मानना है कि वह फिर तीसरी मंजिल के सेमिनार हॉल में पहुंचा, जहां पीड़िता सो रही थी।
जम्मू-कश्मीर चुनाव: राहुल ने श्रीनगर में डाला डेरा, नेशनल कांफ्रेंस से सीट बंटवारे पर नहीं बन पा रही बात!*
#jammu_kashmir_poll_national_conference_congress_alliance
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस चुनाव में राजनीति की बिसात पर अपनी मजूबत मौजूदगी दर्ज कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। जम्मू में कांग्रेस के साथ नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का गठबंधन एक दिलचस्प मुद्दा बना हुआ है। वक्त की नजाकत भांपते हुए खुद विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जम्मू-कश्मीर में डार डाला हुआ है। जानकारों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में कोई भी पार्टी बहुमत से चुनाव जीतने के काबिल नहीं है। यहां तक कि भाजपा भी खुद से जम्मू-कश्मीर में बहुमत नहीं हासिल कर सकती है। किसी पार्टी का कश्मीर संभाग में अच्छा होल्ड है तो किसी का जम्मू में और इसके मद्देनजर गठबंधन करना सभी पार्टियों की मजबूरी बनती जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी श्रीनगर में डेरा जमा लिया है। वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे सकते हैं। सूत्रों की मानें तो, 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 50-50 के फार्मूले के तहत सीट शेयरिंग चाहती है। यानी कांग्रेस 90 में से 45 सीटों पर अपना दावा ठोंक रही है। जबकि फारुख अब्दुल्ला की पार्टी एनसी ज्यादा से ज्यादा 20 से 25 सीट कांग्रेस को देने को तैयार है। बता दें कि इससे पहले भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच गठबंधन रह चुका है। दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार भी चला चुकी हैं। अगर नेकां-कांग्रेस में बात बन जाती है तो जम्मू संभाग के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को मजबूत चुनौती मिलेगी। लोकसभा चुनाव में जम्मू संसदीय सीट पर कांग्रेस को आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण, सुचेतगढ़, गुलाबगढ़ में बढ़त मिली थी। उधमपुर संसदीय सीट पर भी कांग्रेस को बनिहाल, डोडा, भद्रवाह, इंद्रबल विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी।
जम्मू-कश्मीर चुनाव: राहुल ने श्रीनगर में डाला डेरा, नेशनल कांफ्रेंस से सीट बंटवारे पर नहीं बन पा रही बात!

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अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। इस चुनाव में राजनीति की बिसात पर अपनी मजूबत मौजूदगी दर्ज कराने के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। जम्मू में कांग्रेस के साथ नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी का गठबंधन एक दिलचस्प मुद्दा बना हुआ है। वक्त की नजाकत भांपते हुए खुद विपक्ष के नेता राहुल गांधी और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने जम्मू-कश्मीर में डार डाला हुआ है। 

जानकारों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में कोई भी पार्टी बहुमत से चुनाव जीतने के काबिल नहीं है। यहां तक कि भाजपा भी खुद से जम्मू-कश्मीर में बहुमत नहीं हासिल कर सकती है। किसी पार्टी का कश्मीर संभाग में अच्छा होल्ड है तो किसी का जम्मू में और इसके मद्देनजर गठबंधन करना सभी पार्टियों की मजबूरी बनती जा रही है। ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के साथ लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने भी श्रीनगर में डेरा जमा लिया है। वह नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन को अंतिम रूप दे सकते हैं। 

सूत्रों की मानें तो, 90 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस 50-50 के फार्मूले के तहत सीट शेयरिंग चाहती है। यानी कांग्रेस 90 में से 45 सीटों पर अपना दावा ठोंक रही है। जबकि फारुख अब्दुल्ला की पार्टी एनसी ज्यादा से ज्यादा 20 से 25 सीट कांग्रेस को देने को तैयार है।

बता दें कि इससे पहले भी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के बीच गठबंधन रह चुका है। दोनों पार्टियां इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस मिलकर जम्मू-कश्मीर में सरकार भी चला चुकी हैं। 

अगर नेकां-कांग्रेस में बात बन जाती है तो जम्मू संभाग के कई विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा को मजबूत चुनौती मिलेगी। लोकसभा चुनाव में जम्मू संसदीय सीट पर कांग्रेस को आरएस पुरा-जम्मू दक्षिण, सुचेतगढ़, गुलाबगढ़ में बढ़त मिली थी। उधमपुर संसदीय सीट पर भी कांग्रेस को बनिहाल, डोडा, भद्रवाह, इंद्रबल विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी।

आंध्र प्रदेश में फार्मा कंपनी हादसे में 17 की मौत, पीएम मोदी ने जताया दुख, 2 लाख के मुआवजे का ऐलान

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आंध्र प्रदेश के अचुतापुरम में बुधवार को एक फार्मा कंपनी के कारखाने में आग लग गई। हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई और 33 अन्य घायल हो गए। कारखाने में फंसे 13 लोगों को बचा लिया गया है। इस बीच मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने लोगों की मौत पर दुख जताया है। वो आज घटनास्थल का दौरा करेंगे। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों के लिए दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने का एलान किया है। साथ ही हादसे में घायल लोगों को भी 50 -50 हजार रुपये की मदद दी जाएगी।पीएम मोदी ने सोसल मीडिया प्लेटफऑर्म एक्स पर लिखा "अनकापल्ले में एक फैक्ट्री में हुए हादसे में लोगों की मौत से दुखी हूं। अपने प्रियजनों को खोने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को 2 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी जाएगी। घायलों को 50,000 रुपये दिए जाएंगे।"

कैसे हुआ हादसा?

अनकापल्ली जिला कलेक्टर विजय कृष्णन ने बताया कि एस्सेन्टिया कंपनी में दिन के 2:15 बजे आग लग गई। उन्होंने आगे बताया कि कारखाने में दो शिफ्टों में 381 कर्मचारी काम करते हैं। विस्फोट दोपहर के भोजन के समय हुआ। इसलिए कर्मचारियों की उपस्थिति कम थी। फार्मा कंपनी के अधिकारियों ने बताया कि पहली मंजिल से दूसरी मंजिल पर सॉल्वेंट ऑयल पंप किया जा रहा था। तभी लीकेज हुआ और आग लग गई। इससे 500 किलोलीटर के कैपेसिटर रिएक्टर में ब्लास्ट हुआ।

घटनास्थल का दौरा करेंगे नायडू

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू गुरुवार को घटनास्थल का दौरा करेंगे। उन्होंने घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने पीड़ितों को आश्वासन दिया है कि अगर प्रबंधन की लापरवाही से यह दुखद घटना हुई तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इससे पहले सरकार के आधिकारिक बयान में कहा गया कि सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो तो घायल व्यक्तियों को स्थानांतरित करने के लिए एयर एम्बुलेंस सेवाओं का उपयोग करें। उन्होंने स्वास्थ्य सचिव को तुरंत दुर्घटना स्थल का दौरा करने का भी निर्देश दिया।

सीबीआई ने आरजी कर कॉलेज मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, ममता सरकार ने भी दी जानकारी

#kolkata_rape_and_murder_case_cbi_status_report_in_supreme_court

कोलकाता के आरजी कार अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर केस मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खुद संज्ञान में लिया है। पिछली सुनवाई में अदालत ने सीबीआई से जांच की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। साथ ही पश्चिम बंगाल पुलिस से अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की जांच पर भी रिपोर्ट मांगी गई है। सीबीआई ने आरजी कर डॉक्टर रेप और हत्या मामले में केस की प्रोग्रेस स्टेट्स गुरुवार 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट सबमिट कर दी है। वहीं, ममता सरकार की ओर से कोलकाता पुलिस ने भी 14 अगस्त की रात को अस्पताल में तोड़फोड़ मामले में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कोलकाता पुलिस की ओर से गई लापरवाही का जिक्र किया है। संदेह के आधार पर जिन लोगों से पूछताछ की गई है उनका भी ब्यौरा स्टेटस रिपोर्ट में दिया गया है। इसके साथ ही जांच एजेंसी ने घटनास्थल को सुरक्षित नहीं किए जाने की बात भी रिपोर्ट में दाखिल की है।

कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले को 13 अगस्त से टेकओवर किया था। तब से अभी तक सीबीआई ने इस मामले में क्या तफ्तीश की। इसकी पूरी डिटेल रिपोर्ट सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की।

पिछली सुनवाई में, अदालत ने मामले को संभालने और 14 अगस्त को विरोध मार्च के दौरान अस्पताल में हुई तोड़फोड़ से निपटने में कई खामियों को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस से सवाल किए थे। अदालत ने CISF को आरजी कार मेडिकल कॉलेज अस्पताल और हॉस्टल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही, अदालत ने मेडिकल पेशेवरों के लिए काम करने की सुरक्षित परिस्थितियों की कमी से संबंधित प्रणालीगत मुद्दों से निपटने के लिए नेशनल टास्क फोर्स का भी गठन किया।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की उस ट्रेनी डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश दिया था, जिसकी दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता की पहचान का खुलासा करना निपुण सक्सेना मामले में पारित उसके आदेश का उल्लंघन है। इसके बाद आईटी मंत्रालय ने बुधवार को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहा कि वे कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन करें।

सीबीआई ने आरजी कर कॉलेज मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की स्टेटस रिपोर्ट, ममता सरकार ने भी दी जानकारी

#kolkata_rape_and_murder_case_cbi_status_report_in_supreme_court

कोलकाता के आरजी कार अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप-मर्डर केस मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को खुद संज्ञान में लिया है। पिछली सुनवाई में अदालत ने सीबीआई से जांच की स्थिति रिपोर्ट मांगी है। साथ ही पश्चिम बंगाल पुलिस से अस्पताल में हुई तोड़फोड़ की जांच पर भी रिपोर्ट मांगी गई है। सीबीआई ने आरजी कर डॉक्टर रेप और हत्या मामले में केस की प्रोग्रेस स्टेट्स गुरुवार 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट सबमिट कर दी है। वहीं, ममता सरकार की ओर से कोलकाता पुलिस ने भी 14 अगस्त की रात को अस्पताल में तोड़फोड़ मामले में अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कोलकाता पुलिस की ओर से गई लापरवाही का जिक्र किया है। संदेह के आधार पर जिन लोगों से पूछताछ की गई है उनका भी ब्यौरा स्टेटस रिपोर्ट में दिया गया है। इसके साथ ही जांच एजेंसी ने घटनास्थल को सुरक्षित नहीं किए जाने की बात भी रिपोर्ट में दाखिल की है।

कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले को 13 अगस्त से टेकओवर किया था। तब से अभी तक सीबीआई ने इस मामले में क्या तफ्तीश की। इसकी पूरी डिटेल रिपोर्ट सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की।

पिछली सुनवाई में, अदालत ने मामले को संभालने और 14 अगस्त को विरोध मार्च के दौरान अस्पताल में हुई तोड़फोड़ से निपटने में कई खामियों को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस से सवाल किए थे। अदालत ने CISF को आरजी कार मेडिकल कॉलेज अस्पताल और हॉस्टल को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही, अदालत ने मेडिकल पेशेवरों के लिए काम करने की सुरक्षित परिस्थितियों की कमी से संबंधित प्रणालीगत मुद्दों से निपटने के लिए नेशनल टास्क फोर्स का भी गठन किया।

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की उस ट्रेनी डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाने का आदेश दिया था, जिसकी दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यौन उत्पीड़न की पीड़िता की पहचान का खुलासा करना निपुण सक्सेना मामले में पारित उसके आदेश का उल्लंघन है। इसके बाद आईटी मंत्रालय ने बुधवार को विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से कहा कि वे कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज की ट्रेनी डॉक्टर का नाम, फोटो और वीडियो हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का तत्काल पालन करें।