कोलकाता कांड में डॉ के पिता ने इंटरव्यू में बताई दिल दहला देने वाली बातें: 'एक रात में सपने टूट गए'

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में विश्राम के दौरान कथित तौर पर बलात्कार और हत्या की शिकार हुई 31 वर्षीय प्रशिक्षु डॉक्टर के पिता ने चिकित्सा के प्रति अपनी बेटी के प्यार को याद किया।

द गार्जियन के साथ एक दिल दहला देने वाले साक्षात्कार में पिता ने कहा कि वे एक गरीब परिवार से हैं और उनकी बेटी का पालन-पोषण बहुत कठिनाई से हुआ।

डॉक्टर बनने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की। उसने बस पढ़ाई की। हमारे सारे सपने एक ही रात में चकनाचूर हो गए। हमने उसे काम पर भेजा और अस्पताल ने हमें उसका शव दे दिया। हमारे लिए यह सब खत्म हो गया है,'' द गार्जियन ने पिता के हवाले से कहा। उन्होंने कहा, "मेरी बेटी वापस नहीं आ रही है। मैं कभी उसकी आवाज नहीं सुनूंगा या हंसूंगा नहीं। अब मैं बस उसे न्याय दिलाने पर ध्यान केंद्रित कर सकता हूं।"

9 अगस्त को, कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर का शव मिला था। अगले दिन अपराध के सिलसिले में एक नागरिक स्वयंसेवक, संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया था। बाद में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दिया। 9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या और उसके बाद अधिकारियों द्वारा मामले को संभालने के कारण पूरे भारत में डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन और हड़ताल की।

पीड़िता के पिता ने बताया कि चिकित्सा में करियर बनाना उनके इकलौते बच्चे का आजीवन सपना था। द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार, 31 साल की उम्र में, उन्होंने भारत के मेडिकल कॉलेजों में लगभग 107,000 स्थानों में से एक को सुरक्षित करने के लिए बाधाओं का बचाव किया था, जहां हर साल दस लाख से अधिक महत्वाकांक्षी डॉक्टर प्रतिस्पर्धा करते हैं।

उसके माता-पिता ने दर्जी के रूप में अर्जित उसके पिता की अस्थिर आय से उसके सपने को पूरा किया। "उसने कहा: 'पिताजी, डॉक्टर बनना और दूसरों की मदद करना अच्छी बात है। आप क्या सोचते हैं?' मैंने कहा: 'ठीक है, ऐसा करो। हम आपकी मदद करेंगे।' और देखो क्या हुआ,'' पिता ने याद किया।

कोलकाता रेप-हत्याकांड: आरोपी की सास ने क्या कहा?

आरोपी की सास ने अपराध में और लोगों के शामिल होने का सुझाव दिया क्योंकि उन्होंने कहा कि संजय रॉय इसे अकेले नहीं कर सकते थे। सोमवार को समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए संजॉय रॉय के साथ अपनी बेटी के अनुभव को याद करते हुए महिला ने रिश्ते को तनावपूर्ण बताया और कहा कि संजॉय रॉय ने उनकी बेटी की पिटाई की जिसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई थी।

उन्होंने कहा, ''उनके साथ मेरे रिश्ते बहुत तनावपूर्ण थे।'' उन्होंने आगे कहा, ''शुरुआत में 6 महीने तक सब कुछ अच्छा था। जब वह 3 महीने की गर्भवती थी, तो गर्भपात हो गया। उसने उसकी पिटाई की और इसकी पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई गई। इसके बाद, मेरी बेटी लगातार बीमार रहने लगी, मैंने उसकी दवाइयों का सारा खर्च उठाया।'' उन्होंने कहा, "संजय अच्छा नहीं था। उसे फांसी दो या उसके साथ जो चाहो करो। मैं अपराध के बारे में नहीं बोलूंगी। वह इसे अकेले नहीं कर सकता था।"

क्या जाकिर नाइक को भारत को सौंपेगा मलेशिया? जानें मलेशियाई पीएम का जवाब

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भारत यात्रा पर आए मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने जाकिर नाइक के प्रत्यपर्ण को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर सबूत पेश किए जाएं तो हम आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेंगे। बता दें कि विवादास्पद इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाईक कथित धन शोधन मामले और नफरती भाषणों के जरिए चरमपंथ भड़काने के मामले में भारत के लिए वांछित है।जाकिर नाइक 2017 में भारत से भागकर मलेशिया चला गया था। वहां महाथिर मोहम्मद के कार्यकाल में उसे सरकारी संरक्षण प्रदान किया गया। अनवर इब्राहिम को भी जाकिर नाइक का खास बताया जाता है।

मलेशियाई प्रधानमंत्री ने संकेत दिया कि उनकी सरकार विवादास्पद इस्लामी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण के भारत के अनुरोध पर विचार कर सकती है, बशर्ते कि वह उसके खिलाफ सुबूत मुहैया कराए।दिल्ली में ‘इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स’ में एक सत्र के दौरान इब्राहिम ने कहा कि सबसे पहले, यह मुद्दा भारतीय पक्ष द्वारा नहीं उठाया गया। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) ने इसे बहुत पहले उठाया था, कुछ साल पहले... लेकिन, मसला यह है कि मैं एक व्यक्ति के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, मैं उग्रवाद की भावना के बारे में बात कर रहा हूं, एक बाध्यकारी मामले और सबूत के बारे में बात कर रहा हूं। जो किसी व्यक्ति या समूह या गुट या पार्टियों द्वारा किए गए अत्याचारों का संकेत देते हों, जो किसी व्यक्ति या समूह या गुट या पार्टियों द्वारा किए गए महापाप को साबित करे।

मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अगर कोई भी अनुरोध और सबूत दिया जाता है तो उस पर विचार के लिए तैयार है। उन्होंने कहा, हम आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देंगे इसको लेकर हमारा रुख स्पष्ट है और हम आतंकवाद के खिलाफ इनमें से कई मुद्दों पर भारत के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इस एक मामले की वजह से हमें आगे के सहयोग और हमारे द्विपक्षीय संबंध में गतिरोध पैदा करना चाहिए।

कौन है जाकिर नाइक

जाकिर नाइक का पूरा नाम जाकिर अब्दुल करीम नाइक है। जो भारतीय मूल के इस्लामिक प्रचारक है। जाकिर नाईक का जन्म 18 अक्तूबर 1965 को मुंबई में हुआ था। वह खुद को इस्लामी विद्वान बताता है, लेकिन उसके भाषण आतंकवाद, धर्मांधता को बढ़ाते हैं। वह इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन और पीस टीवी का संस्थापक और अध्यक्ष भी है। दुनियाभर के 500 इस्लामी विद्वानों की सूची में भी जाकिर नाइक का नाम शामिल है। वह खुद को इस्लाम की किसी एक विचारधारा से जुड़ा हुआ नहीं बताता है, लेकिन उसे सलाफी विचारधारा का समर्थक माना जाता है।

भारत में जाकिर नाईक के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं और उस पर देशद्रोह और आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसे गंभीर आरोप हैं। भारत सरकार जाकिर नाईक को देश वापस लाने की कोशिश कर रही है।नाइक वर्तमान में भारत में एक वांछित भगोड़ा है। 2016 में नाइक पर मलेशिया में विदेश में रहने के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा। तब से नाइक भारत नहीं लौटा और मलेशिया का स्थायी निवासी बन गया।

अमेरिका राष्ट्रपति की आंखों से छलके आंसू, विदाई भाषण में जो बाइडन हुई इमोशनल

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार को डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन की शुरुआती रात में केंद्र में रहे। अपने समर्थकों से लंबे समय तक खड़े होकर तालियां बटोरीं और उस पार्टी को विदाई भाषण दिया। अमेरिकी चुनाव से पहले शिकागो में चल रहे चार दिनों के डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन के दौरान सोमवार रात राष्ट्रपति जो बाइडेन की आंखें नम हो गईं। 81 साल के बाइडेन को उनकी बेटी ऐशले बाइडेन ने कन्वेंशन के दौरान इंट्रोड्यूज़ किया. इस मौके पर उन्होंने बेटी को गले लगाया तो उनकी आंखें छलक पड़ीं।

शिकागो में डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को मशाल सौंपी। इसके साथ ही कमला हैरिस डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति की औपचारिक उ्म्मीदवार बन गई हैं। शिकागो कन्वेंशन के पहले दिन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अपना विदाई भाषण दिया।

हज़ारों कार्यकर्ताओं और पार्टी के सदस्यों के सामने राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा, “क्या आप कमला हैरिस को यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका का राष्ट्रपति चुनने के लिए तैयार हैं।” बाइडेन इस मौके पर देश के लोगों से गुज़ारिश करते दिखे कि वो कमला हैरिस को वोट करें और अगले चार साल के लिए उन्हें ही चुनें। 

लोगों ने हाथ में बैनर लिए हुए थे जिस पर लिखा था 'हम बाइडेन को दिल से चाहते हैं। इस मौके पर जो बाइडेन इमोशनल नज़र आए। उन्होंने कहा, “मैं आपसे प्यार करता हूं', मैं अपने काम से प्यार करता हूं। मैं अपने देश से तो और भी ज्यादा प्यार करता हूं। हमें अपने लोकतंत्र को बचाना होगा। डोनाल्ड ट्रंप को हराने और कमला हैरिस और टिम वॉल्ट्स को अमेरिका के राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति के तौर पर चुनने के लिए हमें आपकी ज़रूरत है।”

राष्ट्रपति बाइडेन ने अपने विदाई भाषण में अपने कार्यकाल की उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये काम कमला हैरिस के साथ किया। उन्होंने कोरोना के दौर में अमेरिका को पूरी दुनिया में सबसे मजबूत इकोनॉमी बनाने की बात कही। बाइडेन ने ट्रंप पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अमेरिका में राजनीतिक हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। ट्रंप जब अमेरिका के बारे में बात करते हैं कि तो लगता है कि अमेरिका कोई बिखरता हुआ देश है। वो दुनिया में अमेरिका की छवि को खराब करते हैं।

रूस की राजधानी मॉस्को पर यूक्रेन का बड़ा ड्रोन हमला, पीएम मोदी के दौरे से पहले और तेज हुआ युद्ध

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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21 और 22 अगस्त को पोलैंड से होते हुए 23 अगस्त को यूक्रेन पहुंच रहे हैं। इससे पहले रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध अपने चरम सीमा पर पहुंच चुका है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यूक्रेन दौरे को दोनों देशों के बीच युद्ध विराम की उम्मीद के तौर पर देखा जा रहा है। इस बीच यूक्रेन ने मॉस्को पर अब तक के सबसे बड़े ड्रोन हमला किया है।हालांकि, रूस की सेना ने उन्हें मार गिराया। रूसी सेना ने बताया कि यूक्रेन के 11 ड्रोन सेना ने मार गिराए।जबकि पूरे देश में रातभर में 45 ड्रोन को मार गिराया गया। 

अधिकारियों के मुताबिक रूसी क्षेत्र में नष्ट किए गए 45 ड्रोन में 11 मॉस्को, ब्रायंस्क के सीमावर्ती इलाके में 23, बेलगोरोद क्षेत्र में छह, कलुगा में तीन और कुर्स्क क्षेत्र में दो ड्रोन नष्ट किए गए। वहीं रूसी मीडिया ने मॉस्को क्षेत्र में सुबह-सुबह ड्रोन उड़ने और रूसी रक्षा बल द्वारा उनको नष्ट करने के बाद आग के गोले बनने का फुटेज भी दिखाया। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ड्रोन हमलों के चलते मॉस्को के वानुकोवा, डोमोडेडोवा और झुकोवस्की हवाई अड्डे से चार घंटे तक उड़ानें प्रभावित रहीं। 

मॉस्को के मेयर सर्गेई सोब्यानिन ने बताया कि कुछ ड्रोन पोडोल्स्क शहर के ऊपर नष्ट कर दिए गए। मॉस्को क्षेत्र का यह शहर क्रेमलिन से लगभग 38 किलोमीटर दक्षिण में है। सोबयानिन ने बुधवार तड़के टेलीग्राम पर कहा कि यह ड्रोन का उपयोग करके मॉस्को पर हमला करने का अब तक का सबसे बड़ा प्रयास है। सोब्यानिन ने कहा कि प्रारंभिक जानकारी के अनुसार हमलों के बाद किसी के घायल होने या नुकसान की सूचना नहीं है। रूस के दक्षिण-पश्चिम में ब्रायंस्क पर हुए हमले के बाद भी किसी के हताहत होने या नुकसान की सूचना नहीं है।

बता दें कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन के दौरे पर जाने वाले हैं। वहां वो 23 अगस्त को रहेंगे। 45 साल बाद भारत के कोई प्रधानमंत्री यूक्रेन के दौरे पर होंगे। 45 साल बाद भारत के कोई प्रधानमंत्री यूक्रेन के दौरे पर होंगे।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई महीने में रूस का दौरा किया था। राष्ट्रपति पुतिन के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर यूक्रेन के राष्ट्रपति ने सवाल खड़े किए थे।ज़ेलेंस्की ने कहा था कि उन्हें इससे 'भारी निराशा' हुई है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा था, "इससे बहुत ज़्यादा निराशा हुई। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को एक ऐसे दिन पर मॉस्को में दुनिया के सबसे ख़ूनी अपराधी को गले लगाते देखना शांति प्रयासों के लिए बहुत बड़ा झटका है।"

100 लड़कियों की नग्न तस्वीरें खींच किया ब्लैकमेल, फिर दुष्कर्म... 32 साल बाद 6 दोषियों को उम्रकैद की सजा, पढ़ें दिल दहलाने वाली पूरी कहानी,

 देश के बहुचर्चित अजमेर ब्लैकमेल कांड पर मंगलवार को विशेष न्यायालय कोर्ट संख्या-2 ने अपना फैसला सुनाया है। आज से करीब 32 साल पहले 1992 में हुए इस मामले से राजस्थान के साथ देश भी कांप उठा था और तत्कालीन सरकार हिल गई थी। कोर्ट ने इस मामले के बचे हुए छह आरोपियों को लेकर आज अपना फैसला सुनाया, जिसमें छह आरोपियों को दोषी मानते हुए धारा- 376, 376 डी और 120 बी के तहत 208 पेज के फैसले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। इसमें एक आरोपी की तबियत खराब होने के चलते उसे एंबुलेंस में लाया गया था। वहीं, इससे पूर्व कोर्ट में बड़ी संख्या में पुलिस का जाब्ता मौजूद रहा और आरोपियों के दोषी साबित होते ही पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। हालांकि, कोर्ट ने अपना फैसला दो बजे के बाद सुनाया।

राजस्थान के अजमेर जिले में साल 1992 में स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की नग्न तस्वीरें खींचकर उनको ब्लैकमेल करने के मामले में पूरे राजस्थान के साथ देश शर्मसार हुआ था। मामले में लड़कियों की अश्लील फोटो खींचकर उनको ब्लैकमेल कर दुष्कर्म करने के इस केस ने तत्कालीन सरकार में हड़कंप मचा दिया था। अपनी बदनामी के डर से कई लड़कियों ने आत्महत्या करके मौत को गले लगा लिया था। इस केस के चार अभियुक्तों को पूर्व में सजा हो चुकी है, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उनको बरी कर दिया था। आज बचे हुए छह अन्य आरोपियों को लेकर आजीवन कारावास की सजा का फैसला सुनाया गया। इसके साथ ही न्यायालय ने प्रत्येक आरोपियों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।

अजमेर ब्लैकमेल कांड की पॉक्सो कोर्ट संख्या-2 में सुनवाई चल रही थी। इस केस के आरोपी नफीस चिश्ती, नसीम उर्फ टार्जन, सलीम चिश्ती, इकबाल भाटी, सोहेल गनी और सैयद जमीर हुसैन का ट्रायल पूरा हो गया था। पॉक्सो कोर्ट-2 के न्यायाधीश रंजन सिंह ने इन आरोपियों को दोषी मानते हुए अपना फैसला सुनाया। इस मामले में पूर्व में नौ आरोपियों को सजा सुनाई जा चुकी है। एक ने सुसाइड कर लिया था। मामले में आरोपी ईशरत अली, अनवर चिश्ती, मोइजुल्हा उर्फ पूतन इलाहाबाद, शमसू उर्फ मरदाना को 10 साल की भुगती सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने 2003 में छोड़ दिया था। वहीं, साल 2001 में हाईकोर्ट ने चार आरोपी महेश लुधानी, परवेज, हरीश, कैलाश सोनी को बरी कर दिया था। इन चारों को साल 1998 में सेशन कोर्ट ने उम्रकैद सुनाई थी, केस में कुल 18 आरोपी थे।

सहायक निदेशक अभियोजन वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि मामले में 18 आरोपी थे, जिनमें हरीश दोलानी (लैब मैनेजर), फारुख चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस अध्यक्ष), नफीस चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस उपाध्यक्ष), अनवर चिश्ती (तत्कालीन यूथ कांग्रेस जॉइंट सेक्रेट्री), पुरुषोत्तम उर्फ बबली (लैब डेवलपर), इकबाल भाटी, कैलाश सोनी, सलीम चिश्ती, सोहैल गनी, जमीर हुसैन, अलमास महाराज, इशरत अली, मोइजुल्लाह उर्फ पूतन इलाहाबादी, परवेज अंसारी, नसीम उर्फ टारजन, महेश लोदानी (कलर लैब का मालिक), शम्सू उर्फ माराडोना (ड्राइवर), जऊर चिश्ती (लोकल पॉलिटिशियन) के नाम शामिल थे। पहली चार्जशीट आठ आरोपियों के खिलाफ और इसके बाद चार अलग-अलग चार्जशीट चार आरोपियों के खिलाफ थी। इसके बाद भी पुलिस ने छह अन्य आरोपियों के खिलाफ चार और चार्जशीट पेश की, जिस वजह से 32 साल बाद केस में पीड़िताओं का न्याय मिला।

इस केस का एक आरोपी अलमाश महाराज अभी भी फरार है। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो रखा है। वहीं, एक आरोपी ने आत्महत्या कर ली थी। शेष छह आरोपी की 2002 के बाद गिरफ्तारी हुई थी। उनकी कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और आज उन्हें सजा सुनाई गई। सहायक निदेशक अभियोजन वीरेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सुनवाई के दौरान 104 गवाह और 245 दस्तावेज पेश किए गए थे। कोर्ट के फैसले पर आज सभी की नजरें टिकी हुई थी। क्योंकि इस मामले में कई लड़कियों ने ब्लैकमेल और बदनामी के डर से आत्महत्या कर ली थी तो कई लड़कियों की शादी तक नहीं हुई थी।

इस ब्लैकमेल कांड की शुरुआत 1992 में हुई थी। अजमेर में लोग उस समय सन्न रह गए थे, जब यहां की प्रतिष्ठित स्कूल कॉलेज की लड़कियों के अश्लील फोटो सबके सामने आए। इन फोटो के जरिए खादिम समुदाय और तत्कालीन यूथ कांग्रेस अध्यक्ष सहित दरगाह के खादिमों के युवकों ने मासूम लड़कियों को ब्लैकमेल कर एक के बाद 100 से अधिक लड़कियों को अपना शिकार बनाया। घटना के बाद मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन सरकार ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंप दी थी।

कोलकाता रेप-मर्डर केस पर सुनवाई में कपिल सिब्बल पर फूटा CJI का गुस्सा, चंद्रचूड़ बोले, इतनी बड़ी घटना पर कैसे हुई लापरवाही

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई एक ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त 2024 को सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को लेकर गंभीर चिंता जताई और राज्य सरकार व पुलिस की लापरवाही पर कड़ी टिप्पणियां कीं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 अगस्त की रात को आरजी कर मेडिकल कॉलेज में एक बड़ी घटना हुई, जब ट्रेनी महिला डॉक्टर के रेप और हत्या के विरोध में प्रदर्शन चल रहा था। इस दौरान करीब सात हजार लोगों ने अस्पताल पर हमला कर दिया। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने पूछा कि इतनी बड़ी घटना के बावजूद राज्य सरकार और पुलिस इस पर बेखबर कैसे रह सकती हैं?

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई की। ममता बनर्जी सरकार की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं। सिब्बल ने बताया कि घटना के वक्त अस्पताल के बाहर 150 पुलिसकर्मी तैनात थे, लेकिन जब सात हजार से ज्यादा लोग हमला करने लगे, तो अधिक फोर्स की जरूरत पड़ी। हालांकि, जब तक और फोर्स पहुंचती, तब तक घटना हो चुकी थी।

कपिल सिब्बल की इस दलील पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, "यह बहुत गंभीर मामला है। 37 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनकी पहचान सीसीटीवी फुटेज से हुई है।" उन्होंने सवाल उठाया कि राज्य सरकार इस बात से कैसे बेखबर हो सकती है कि जब इतना बड़ा प्रदर्शन हो रहा है, तो उसका दूसरा पक्ष भी हो सकता है जो आकर इसे रोकने की कोशिश करेगा?

सीजेआई ने कहा कि भीड़ ने योजनाबद्ध तरीके से महिला और पुरुष डॉक्टरों पर हमला किया। उन्होंने बताया कि महिला डॉक्टरों की ओर से पेश वकील अपराजिता सिंह ने एक ईमेल का जिक्र करते हुए पूरी घटना को अदालत के सामने रखा। इस ईमेल में बताया गया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में लगभग 700 डॉक्टर रहते थे, लेकिन इस घटना के बाद अब केवल 100 डॉक्टर ही वहां बचे हैं, बाकी डॉक्टरों ने सुरक्षा कारणों से कॉलेज छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए तत्काल उपाय करे और सुनिश्चित करे कि इस तरह की घटनाएं दोबारा न हों। कोर्ट ने इस मामले को बेहद संवेदनशील और गंभीर मानते हुए राज्य सरकार से इस पर सख्त कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

कांग्रेस के मंच पर उद्धव ठाकरे ने किया ED-CBI का जिक्र, कहा- केवल विपक्ष पर हो रही छापेमारी

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक माहौल गर्म है। विपक्षी दलों का गठबंधन, जिसे इंडिया गठबंधन के नाम से जाना जाता है, राज्य की महायुति सरकार पर जमकर निशाना साध रहा है। इसी बीच, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों की कार्यवाही पर सवाल उठाए हैं।

उद्धव ठाकरे ने हाल ही में देश में हो रही ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) की छापेमारियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये छापेमारियां केवल विपक्ष के नेताओं पर की जा रही हैं। ठाकरे ने उदाहरण देते हुए कहा कि उनके पिता, बालासाहेब ठाकरे, ने राजीव गांधी की कड़ी आलोचना की थी, लेकिन तब किसी भी शिवसैनिक के घर ईडी, सीबीआई, या इनकम टैक्स विभाग की रेड नहीं हुई थी। उन्होंने कहा कि नेताओं ने कभी भी एक-दूसरे के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं की।

उद्धव ठाकरे ने ये बयान राजीव गांधी की 80वीं जयंती के अवसर पर आयोजित 'सद्भावना दिवस' कार्यक्रम में दिया। इस कार्यक्रम में ठाकरे ने बालासाहेब ठाकरे और राजीव गांधी के रिश्तों का जिक्र कर बीजेपी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब बाल ठाकरे ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आलोचना की थी, तब भी शिवसेना नेताओं को किसी भी केंद्रीय एजेंसी द्वारा परेशान नहीं किया गया था। यह टिप्पणी वर्तमान में चल रही राजनीतिक स्थिति पर एक कड़ा प्रहार था, जहां विपक्षी नेताओं पर केंद्रीय एजेंसियों की लगातार छापेमारी हो रही है।

इस कार्यक्रम में उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस का पट्टा भी पहना, जो कि साल 2019 में बीजेपी छोड़कर कांग्रेस से हाथ मिलाने के बाद एक महत्वपूर्ण संकेत है। यह पहली बार था जब ठाकरे ने कांग्रेस के किसी कार्यक्रम में हिस्सा लिया और कांग्रेस के प्रतीक चिन्ह को धारण किया। इस अवसर पर एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे।

शरद पवार का बीजेपी पर हमला

सद्भावना दिवस कार्यक्रम में शरद पवार ने भी बीजेपी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नेहरू-गांधी परिवार के प्रति बदले की भावना रखना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जवाहरलाल नेहरू और उनके परिवार ने देश के लिए जो योगदान दिया है, उसे इतिहास से मिटाया नहीं जा सकता। शरद पवार ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस परिवार की चार पीढ़ियों ने देश के लिए कठिन मेहनत की है, और इस योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। इस पूरे घटनाक्रम से स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में राजनीतिक तापमान बढ़ता जा रहा है, और आने वाले विधानसभा चुनावों में ये मुद्दे प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बयान बीजेपी के खिलाफ एकजुट विपक्ष की रणनीति को दर्शाते हैं, जो चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।

भारत बंद में शामिल है कौन कौन से संगठन और क्या है इनकी प्रमुख मांग, डिटेल में जानिए...

सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ दलित और आदिवासी संगठनों ने 14 घंटे के भारत बंद का आह्वान किया है। यह बंद बुधवार, 21 अगस्त 2024 को किया गया है। नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस (NACDAOR) नामक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को दलित और आदिवासी समुदायों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह फैसला आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला 

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और जनजाति (SC/ST) आरक्षण में 'कोटा के भीतर कोटा' बनाने का फैसला दिया है। इसका मतलब है कि राज्य सरकारें SC/ST श्रेणियों के भीतर उप-श्रेणियां बना सकती हैं, ताकि सबसे जरूरतमंद को आरक्षण में प्राथमिकता मिल सके। इस फैसले के अनुसार, राज्यों को यह अधिकार दिया गया है कि वे आरक्षण के लिए अपनी विधानसभाओं में कानून बना सकें। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया, जो कि 2004 के एक पुराने फैसले को पलटता है।

इस फैसले के बाद देशभर में विरोध की लहर दौड़ गई है। विरोध करने वाले संगठनों का मानना है कि यह फैसला आरक्षण व्यवस्था के मौलिक सिद्धांतों के खिलाफ है। वे कहते हैं कि इससे सामाजिक न्याय की धारणा कमजोर होगी और आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। विरोधियों का तर्क है कि अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ ऐतिहासिक अन्याय को ठीक करने के लिए आरक्षण दिया गया था, और इसे समाप्त करने की कोशिशें सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।

भारत बंद का आह्वान इसलिए किया गया है ताकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी जा सके और इसे वापस लेने के लिए सरकार पर दबाव डाला जा सके। NACDAOR ने सभी दलित, आदिवासी और OBC समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे इस शांतिपूर्ण आंदोलन में हिस्सा लें और अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करें।

भारत बंद के दौरान संगठनों की प्रमुख मांगें 

सरकारी नौकरियों में SC/ST/OBC कर्मचारियों का जातिगत डेटा जारी किया जाए।

न्यायिक अधिकारियों और जजों की नियुक्ति के लिए भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना की जाए, ताकि इन वर्गों का हायर ज्यूडिशियरी में 50% प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सके।

केंद्र और राज्य सरकार के विभागों में बैकलॉग रिक्तियों को भरा जाए।

निजी क्षेत्र में भी सकारात्मक कार्रवाई की नीतियां लागू की जाएं।

संसद में एक नया अधिनियम पारित कर इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए ताकि आरक्षण प्रावधानों को न्यायिक हस्तक्षेप से सुरक्षा मिल सके।

भारत बंद को विभिन्न दलित और आदिवासी संगठनों के साथ ही कई क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों का समर्थन भी मिल रहा है। इनमें बहुजन समाज पार्टी (BSP), भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी (काशीराम), भारत आदिवासी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल (RJD), और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) जैसे संगठन शामिल हैं। कांग्रेस ने भी इस बंद का समर्थन किया है।

बंद के दौरान आवश्यक सेवाएं जैसे हॉस्पिटल, एंबुलेंस और इमरजेंसी सेवाएं सामान्य रूप से चालू रहेंगी। सरकारी दफ्तर, स्कूल-कॉलेज, पेट्रोल पंप और बैंक भी खुले रह सकते हैं। हालांकि, मांस और शराब की दुकानों पर बंद का असर पड़ सकता है।

बंद के दौरान राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में व्यापक असर देखने को मिल सकता है। कई जगहों पर स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी गई है और पुलिस-प्रशासन को अलर्ट पर रखा गया है। भारत बंद के जरिए दलित और आदिवासी संगठन अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज उठा रहे हैं। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आरक्षण के मूल सिद्धांतों को कमजोर करता है और इसे तत्काल वापस लिया जाना चाहिए।

कोलकाता रेप-मर्डर केस में देश भर में उबाल, परत दर परत जानिए, ममता सरकार से कहां हुई गलती

आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के बाद से पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार और कोलकाता पुलिस निशाने पर हैं। इस मामले को लेकर जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा है और सरकार की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं।

मामले को दबाने की कोशिश

घटना वाले दिन पुलिस और सरकार ने इस मामले को आत्महत्या का मामला बताया, जबकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि डॉक्टर की रेप के बाद हत्या की गई थी। डॉक्टर के माता-पिता को अपनी बेटी का शव देखने के लिए तीन घंटे से ज्यादा इंतजार करना पड़ा, और पुलिस ने जल्दबाजी में अंतिम संस्कार करने का दबाव भी बनाया।

जांच में लापरवाही और मुआवजे पर सवाल

शुरू से ही इस मामले की जांच में कई खामियां दिखीं। पीड़िता की डायरी का एक पन्ना गायब था, जिससे यह शक होता है कि इसमें कोई महत्वपूर्ण जानकारी हो सकती थी। ममता बनर्जी ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की, जिसे पीड़िता के पिता ने अपमानजनक बताया।

वारदात की जगह पर निर्माण कार्य

सेमिनार हॉल, जहां ट्रेनी डॉक्टर के साथ वारदात हुई थी, वहां घटना के तुरंत बाद चिनाई का काम शुरू करा दिया गया। बाथरूम की दीवार का एक हिस्सा भी तोड़ दिया गया, जिससे सबूत नष्ट करने की कोशिश की आशंका जताई जा रही है।

 प्रिंसिपल पर कार्रवाई की बजाय प्रमोशन

घटना के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल संदीप घोष ने अपना पद छोड़ दिया, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बजाय उन्हें कोलकाता के नेशनल मेडिकल कॉलेज में सीनियर पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया। घोष ने ही सबसे पहले इस घटना को आत्महत्या का मामला बताया था।

 मेडिकल कॉलेज में तोड़फोड़

14 अगस्त की रात, जब डॉक्टर और अन्य लोग इस घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे, तब आरजी कर मेडिकल कॉलेज में भीड़ ने तोड़फोड़ की। पुलिस ने इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और चुपचाप तमाशा देखती रही।

आलोचकों पर कार्रवाई

ममता बनर्जी सरकार ने इस मामले में आलोचना करने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई की। मीडिया और सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों को दबाने की कोशिश की गई। रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से कुल 280 लोगों को नोटिस जारी किए गए और कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है। इस घटना ने ममता बनर्जी की सरकार और पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है और सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में सरकार को फटकार लगाई है। आगे की जांच और कार्रवाई पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं।

बदलापुर में बवाल के बाद इंटरनेट बंद, 300 लोगों के खिलाफ एफआईआर, जानें आखिर क्या हुआ जिससे फूटा लोगों गा गुस्सा?

#badlapurgirlssexual_exploitation

कोलकाता में डॉक्टर संग रेप-मर्डर केस से देश में आक्रोश है। अब मुंबई के ठाणे में दो बच्चियों से छेड़छाड़ के बाद हालात तनावपूर्ण हैं। ठाणे के बदलापुर स्थित प्रतिष्ठित स्कूल में दो मासूम छात्राओं के साथ हैवानियत की गई। दो स्कूली छात्राओं के यौन शोषण का आरोप स्कूल के सफाईकर्मी पर हैं। पूरे मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई। पुलिस पर मामले को दबाने में का आरोप है। जिसके बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। दोपहर में प्रदर्शनकारी स्कूल पहुंचे और तोड़फोड़ की। लोगों ने जमकर पथराव किया।

स्कूल में बच्चियों से छेड़छाड़ की घटना से गुस्साए पैरेंट्स ने पूरे जिले में मंगलवार को जबरदस्त प्रदर्शन किया। बवाल इतना बढ़ा कि लोगों ने स्कूल में तोड़फोड़ कर दी और रेलवे ट्रैक को जाम कर दिया है और हटने के ल‍िए तैयार नहीं थे। लोगों ने अपने साथ फांसी का फंदा लेकर आए और कहा-दोष‍ियों को फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं। पहले तो पुल‍िस ने प्रदर्शनकार‍ियों को समझाने की कोश‍िश की। लेकिन जब वे नहीं माने और पुल‍िस पर ही पत्‍थर फेंकने लगे तो पुल‍िस को लाठीचार्ज करना पड़ा।

10 घंटे तक रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन

यौन उत्पीड़न के विरोध में लोगों ने करीब 10 घंटे तक रेलवे स्टेशन की पटरियों पर प्रदर्शन किया।पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को हटाने के 10 घंटे बाद रेल सेवाएं बहाल की गईं। मध्य रेलवे के डीसीपी जीआरपी मनोज पाटिल ने बताया कि अब स्थिति सामान्य है। ट्रेनों की आवाजाही भी हो रही है।

300 लोगों के खिलाफ एफआईआर

पुलिस ने अफवाहों पर लगाम लगाने के लिए कुछ दिन के लिए इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। वहीं विरोध प्रदर्शन और बवाल करने पर पुलिस ने 300 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जबकि 40 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा।  

क्या है मामला?

बदलापुर पूर्व के एक नामी स्कूल में दो बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न की घटना ने पूरे इलाके में रोष व्याप्त कर दिया है। बच्चियों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप स्कूल टॉयलेट साफ करने वाले व्यक्ति अक्षय शिंदे पर लगा है। रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों में से एक चार साल की है और दूसरी छह साल की है। यह घटना 12 और 13 अगस्त को घटी थी। आरोपी अक्षय शिंदे को 1 अगस्त, 2024 को टॉयलेट साफ करने के लिए अनुबंध के आधार पर स्कूल में भर्ती किया गया था। स्कूल ने लड़कियों के शौचालयों की सफाई के लिए कोई महिला कर्मचारी नियुक्त नहीं की थी। इसका फायदा उठाते हुए आरोपी ने 12 और 13 अगस्त की कक्षाओं के दौरान बच्चों के साथ बदसलूकी की।