तामपत्र से सम्मानित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगदीश नारायण सक्सेना के परिजनों ने बताएं आजादी की लड़ाई के दौरान के उनके अनुभव
सम्भल। देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने वाले व तामपत्र से सम्मानित स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जगदीश नारायण सक्सेना के परिजनों ने बताएं आजादी की लड़ाई के दौरान के उनके अनुभव।
आपको बता दें कि देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए उस समय की युवाओं में एक अलग ही जज्बा था ऐसे ही एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जनपद संभल के चंदौसी में हुए जिनका नाम जगदीश नारायण सक्सेना था आजादी की लड़ाई में वह अपनी शिक्षा के दौरान ही कूद पड़े।
इस दौरान उन्हें अंग्रेजों ने तीन बार जेल भी भेजा लेकिन इसके बाद भी आजादी के प्रति उनका जज्बा कम नहीं हुआ और वह लगातार आजाद के आंदोलन में शामिल होते रहे। आजादी की लड़ाई के दौरान के उनके अनुभव के विषय में बताते हुए उनके पुत्र आलोक सक्सेना ने बताया कि हमारे पिताजी की पीठ पर गांठे थी जब हमने उनसे पूछा कि पिताजी यह गांठे किस वजह से पड़ गई तो पिताजी ने बताया कि अंग्रेजों ने हमें कोड़े मारने की सजा दी थी ।
जिसके बाद वहां पर खून निकलता था लेकिन अंग्रेज लगाने के लिए दवाई नहीं देते थे जिसकी वजह से मांस के लोथड़े की यह गांठे बन गई। वहीं उनकी पुत्रवधू सीमा सक्सेना ने उनको याद करते हुए बताया कि जब स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर वह शॉल से सम्मानित होकर घर पर आते थे तो हम सब लोग बड़े उत्साहित होते थे कि पापा जी आज सम्मानित होकर आ रहे हैं और हम उनके आने का इंतजार करते थे उनके परिवार में तीन बेटे व एक बेटी है।
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Aug 15 2024, 12:36
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