मनीष सिसोदिया का अब सरकार और पार्टी में क्या होगी उनकी भूमिका?
सिसोदिया जेल से रिहा होने के बाद जेल में बंद मुख्यमंत्री और पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल के परिवार से भी मिलने पहुंचे.
अगले दिन आम आदमी पार्टी कार्यालय में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मनीष सिसोदिया ने कहा, "केजरीवाल को ज़्यादा दिन जेल में नहीं रखा जा सकेगा. हम रथ के घोड़े हैं, हमारा असली सारथी अभी जेल में बंद हैं, वो भी बाहर आ जाएगा. हमारा सारथी हमें जहां हांकेगा, हम चलेंगे."
मनीष सिसोदिया जिस मंच से भाषण दे रहे थे उसके पीछे अरविंद केजरीवाल का बड़ा-सा पोस्टर लगा था सिसोदिया ने अपने भाषण में बार-बार ये भी ज़ाहिर किया कि वो दिल्ली के एक-एक बच्चे के लिए शानदार स्कूल बनाकर रहेंगे सिसोदिया ने कहा, "ख़ून पसीना बहाने के लिए बाहर आया हूं, छुट्टियां मनाने के लिए नहीं. आज से और अभी से हम जुट रहे हैं, आज से ही हम अभियान में लग जाएंगे."
17 महीने बाद जेल से रिहा हुए मनीष सिसोदिया के मंत्रालय जाने पर रोक नहीं हैं, लेकिन अभी सरकार में उनके पास कोई पद नहीं हैं कथित शराब घोटाले की जांच में घिरे मनीष सिसोदिया की आम आदमी पार्टी में अहमियत नंबर दो की है.
अब मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद ये सवाल भी उठ रहा है कि दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी में उनकी भूमिका क्या रहेगी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल में बंद हैं और उन्होंने अपने पद से इस्तीफ़ा नहीं दिया है सिसोदिया जेल से बाहर आ गए हैं और उनके पद संभालने पर कोई क़ानूनी अड़चन नहीं है हालांकि आम आदमी पार्टी ने अभी ये साफ़ नहीं किया है कि सिसोदिया अपने पद पर कब लौटेंगे.
रविवार शाम छह बजे मनीष सिसोदिया के घर पर आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं की बैठक हो रही है पार्टी के मुताबिक़ इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनावों की रणनीति को लेकर चर्चा की जाएगी आम आदमी पार्टी प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ कहती हैं, "मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद पार्टी जोश में हैं. पार्टी को नई ताक़त मिली है."
लेकिन मनीष की भूमिका आगे पार्टी और सरकार में क्या होगी, इस पर सीधा जवाब न देते हुए वो कहती हैं, "बैठक में इसे लेकर भी निर्णय होगा हालांकि, आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्र ये संकेत देते हैं कि केजरीवाल के जेल से बाहर आने तक पार्टी के चुनाव अभियान और दिल्ली सरकार की कमान सिसोदिया के ही हाथ में होगी मनीष सिसोदिया ने जेल से बाहर आकर दिए अपने भाषण में बार-बार अरविंद केजरीवाल का नाम लिया. उन्होंने उन्हें रथ का सारथी बताकर, स्वयं को रथ का घोड़ा कहा.
इसमें कोई संदेह नहीं है कि मनीष सिसोदिया, केजरीवाल के सबसे क़रीबी सहयोगी और विश्वासपात्र साथी हैं राजनीति में आने से पहले केजरीवाल जब गैर सरकारी संस्था चला रहे थे तब मनीष सिसोदिया ही उनके क़रीबी सहयोगी थे. भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन में वो शुरूआत से केजरीवाल के बराबर में खड़े रहे विश्लेषक मानते हैं कि केजरीवाल के बाद मनीष सिसोदिया ही पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं और अब केजरीवाल की ग़ैर मौजूदगी में पार्टी की कमान भी उन्हीं के हाथ में होगी,.
अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के बीच जिस तरह का तालमेल रहा है और दोनों जितने क़रीब रहे हैं, मनीष के जेल से बाहर होने और केजरीवाल जेल में होने से इस बात की संभावना अधिक है कि पार्टी और सरकार के अधिकतर काम सिसोदिया के निर्देशन में ही हों इसकी वजह बताते हुए मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "सिसोदिया और केजरीवाल का साथ बहुत पुराना है. भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से लेकर सरकार चलाने तक, दोनों ने साथ मिलकर काम किया है."
"ऐसा कभी कोई मौक़ा नहीं आया है जब केजरीवाल या मनीष के बीच कोई मतभेद रहा हो. मनीष को सर्वमान्य रूप से पार्टी में नंबर दो माना जाता है और उनकी स्वीकार्यता भी है. ऐसे में केजरीवाल की गै़र मौजूदगी में अगर वो कमान संभालते हैं तो इसे लेकर शायद ही कोई असहज हो." आम आदमी पार्टी ने मनीष सिसोदिया को दिल्ली सरकार में अपनी शिक्षा नीति का चेहरा भी बनाया है. केजरीवाल खुलकर मनीष की तारीफ़ करते रहे हैं.
हालांकि, अरविंद केजरीवाल के जेल जाने के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल भी अब राजनीतिक भूमिका में हैं और अवरिंद की गै़र मौजूदगी में वो पार्टी की प्रचार गतिविधियों में शामिल हैं. रविवार को ही, सुनीता केजरीवाल हरियाणा में पार्टी की बदलाव रैली में शामिल हुईं और प्रचार किया. सुनीता केजरीवाल ने बार-बार लोगों को अरविंद केजरीवाल सरकार के काम याद दिलाए.
ऐसे में ये सवाल उठ सकता है कि केजरीवाल की गै़र मौजूदगी में सुनीता पार्टी का चेहरा होंगी या मनीष सिसोदिया हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि सिसोदिया के बाहर आ जाने के बाद अब वही पार्टी और सरकार का प्रमुख चेहरा होंगे सुनीता केजरीवाल आज सक्रिय हैं, लेकिन उन्हें मजबूरी में बाहर आना पड़ा है. केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जेल में थे. पार्टी को चेहरा चाहिए था. सुनीता के पास भावनात्मक अपील थीं, इसलिए उन्हें पार्टी का चेहरा बनाया गया लेकिन अब सिसोदिया बाहर आ गए हैं. आगे वही चेहरा होंगे."
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास कोई मंत्रालय नहीं था. लेकिन दिल्ली सरकार के अधिकतर अहम मंत्रालय मनीष सिसोदिया के पास थे विश्लेषक मानते हैं कि सिसोदिया केजरीवाल के सबसे क़रीबी ही नहीं बल्कि सबसे भरोसेमंद व्यक्ति हैं, ऐसे में अब केजरीवाल की गै़र मौजूदगी में अगर पार्टी और सरकार की कमान वो संभालते हैं तो इसे लेकर कहीं कोई असहजता नहीं होगी हेमंत अत्री कहते हैं, "केजरीवाल और सिसोदिया के बीच कभी कोई मतभेद नहीं रहा है और न ही सिसोदिया ने कभी केजरीवाल से आगे बढ़ने की कोशिश की है. वो स्वयं को केजरीवाल के साये में ही रखते हैं, ऐसे में अगले कुछ दिनों में केजरीवाल के जेल में रहने के दौरान वही पार्टी की कमान संभालेंगे."
हरियाणा और दिल्ली में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं और हरियाणा में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं आम आदमी पार्टी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है चुनावी कामयाबी हासिल करना. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में, आम आदमी पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ने के बावजूद, दिल्ली की सभी सीटें बीजेपी ने जीत लीं.
अब तक पार्टी दिल्ली में आसानी से सरकार बनाती रही है. लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं.
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.
पार्टी के कई नेता लंबे समय जेल में रहे. केजरीवाल अभी भी जेल में बंद हैं. ऐसे में विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के लिए अब स्थिति करो या मरो की होगी.
हेमंत अत्री कहते हैं, "इस समय दिल्ली में सरकार के अलावा नगर निगम भी आम आदमी पार्टी के पास ही है. दिल्ली में जो कुछ भी अव्यवस्था है, उसे लेकर आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह मतदाताओं को ये समझा पाए कि इसके लिए बीजेपी ज़िम्मेदार है और दिल्ली में ताक़त का असली केंद्र एलजी कार्यालय ही है."
वहीं मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "आगामी चुनाव पार्टी के लिए करो या मरो की स्थिति होंगे. पार्टी को दिल्ली में अपनी कामयाबी को दोहराना ही होगा. ऐसे में मनीष सिसोदिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती, पार्टी को राजनीतिक कामयाबी की तरफ़ ले जाने की होगी."
हरियाणा और दिल्ली में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने हैं और हरियाणा में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई हैं.
आम आदमी पार्टी के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती है चुनावी कामयाबी हासिल करना. हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में, आम आदमी पार्टी के कांग्रेस के साथ गठबंधन में लड़ने के बावजूद, दिल्ली की सभी सीटें बीजेपी ने जीत लीं.
अब तक पार्टी दिल्ली में आसानी से सरकार बनाती रही है. लेकिन विश्लेषक मानते हैं कि अब परिस्थितियां बदल गई हैं.
भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ आंदोलन से पैदा हुई आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं.
पार्टी के कई नेता लंबे समय जेल में रहे. केजरीवाल अभी भी जेल में बंद हैं. ऐसे में विश्लेषक मानते हैं कि आम आदमी पार्टी के लिए अब स्थिति करो या मरो की होगी.
हेमंत अत्री कहते हैं, "इस समय दिल्ली में सरकार के अलावा नगर निगम भी आम आदमी पार्टी के पास ही है. दिल्ली में जो कुछ भी अव्यवस्था है, उसे लेकर आम आदमी पार्टी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही होगी कि वह मतदाताओं को ये समझा पाए कि इसके लिए बीजेपी ज़िम्मेदार है और दिल्ली में ताक़त का असली केंद्र एलजी कार्यालय ही है."
वहीं मुकेश केजरीवाल कहते हैं, "आगामी चुनाव पार्टी के लिए करो या मरो की स्थिति होंगे. पार्टी को दिल्ली में अपनी कामयाबी को दोहराना ही होगा. ऐसे में मनीष सिसोदिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती, पार्टी को राजनीतिक कामयाबी की तरफ़ ले जाने की होगी."
Aug 13 2024, 17:14