*चोपन रेलवे स्टेशन की जर्जर स्थिति पर धनबाद मंडल के रेलवे बोर्ड के सदस्य विकास चौबे ने उठाई आवाज*
सोनभद्र - चोपन केंद्र सरकार के सबसे बड़े विभागों में से एक रेलवे विभाग मॉडर्न और सुरक्षित रेल सेवा के लिए प्रतिबद्ध है। लेकिन कर्मचारियों की उदासीनता की वजह से सोनभद्र के सबसे बड़े रेलवे स्टेशनों में से एक चोपन रेलवे अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। आम जनमानस और रेल यात्रियों को होने वाली असुविधा से मुखर होकर धनबाद मंडल के रेलवे बोर्ड के सदस्य विकास चौबे ने यात्रियों व कर्मचारियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के संबंध में सहायक मंडल अभियंता पूर्व मध्य रेल चोपन को ज्ञापन देकर जल्द से जल्द समस्याओं को हल करने का आग्रह किया है।
चोपन रेलवे सबसे बड़ा और व्यस्त रेलवे स्टेशन है और रेलवे की एक अच्छी आय का जरिया है। लेकिन मूलभूत सुविधाओं की ओर विभाग ध्यान देने में कोताही बरत रहा है। चोपन स्टेशन पर आने वाले यात्रियों हेतु बने हुए वेटिंग रूम, जो काफी जर्जर अवस्था में है, को अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कराने की मांग विकास चौबे ने की। रेलवे कॉलोनियों की सड़कें जर्जर हो चुकी हैं, जिससे यात्रियों एवं कर्मचारियों को आने-जाने में असुविधा होती है। जनहित के मुद्दे पर विकास चौबे ने कहा कि रेलवे स्टेशन के एक नंबर प्लेटफार्म पर जाने के लिए बस स्टैंड से जाने वाली सड़क पर रेलवे क्रॉसिंग पर अंडरपास की आवश्यकता है। अमृत स्टेशन में शामिल स्टेशन बिल्डिंग को अत्याधुनिक बनाए जाने की प्रक्रिया प्रारंभ कराई जाए। रेलवे स्टेशन के आसपास जो भी कार्य कराए जा रहे हैं वे गुणवत्ता विहीन और मानक के विपरीत हैं, जिसपर रेलवे को ध्यान देने की आवश्यकता है।
रेलवे कॉलोनियों के सभी आवास जर्जर हो चुके हैं। वर्ष 1960-62 के बने आवास किसी भी दशा में कर्मचारियों के रहने योग्य नहीं हैं और भविष्य में कोई बड़ी घटना घटित होने की आशंका बनी रहती है। मात्र एक मनोरंजन क्लब था जो भी स्थानीय रेलवे प्रशासन की उदासीनता की वजह से जर्जर स्थिति में है। रेलवे बोर्ड सदस्य विकास चौबे ने कहा कि रेलवे अस्पताल को उच्चकृत किया जाए एवं स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए और रेलवे कॉलोनी में सफाई की सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। रेलवे विस्तारीकरण को लेकर जब तक प्रीतनगर की जनता को नोटिस दिया जाता है, जिससे जनता डर के साये में जी रही है। प्रीतनगर के स्थानीय लोगों से संपर्क बनाकर उनकी समस्या का समाधान किया जाए। रेलवे द्वारा कोरोना काल में बंद पड़ी पैसेंजर ट्रेनों को चलाया जाए, जिससे यहां के आदिवासी जनजातियों को यात्रा करने की सुविधा उपलब्ध हो।
Aug 03 2024, 16:13