अब खून के आंसू रोएगा इजराइल”, हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की खुली धमकी, जानें इजराइल ने क्या कहा

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हमास चीफ इस्माइल हानिया और हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर की हत्या के बाद पहली बार हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह का रिएक्शन आया। उन्होंने इजराइल से बदला लेने का वादा किया है। नसरल्ला उसने कहा कि फिलहाल इजराइली बहुत खुश लग रहे हैं, लेकिन आने वाले दिनों में वे खूब रोएंगे। नसरल्लाह ने इजराइल से सभी मोर्चे पर खुली लड़ाई का ऐलान किया।

हिजबुल्लाह कमांडर फउद शुकर के अंतिम संस्कार के दौरान नसरल्ला ने किसी गुप्त जगह से टीवी पर जनता को संबोधित किया। इस दौरान चीफ हसन नसरल्लाह ने इजरायल को धमकाया। हसन नसरल्लाह ने कहा कि हिजबुल्लाह कमांडर फुआद शुक्र और हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या करके इजरायल ने रेड लाइन क्रॉस कर दी है। उसे प्रतिशोध का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि जंग अब नए चरण में प्रवेश कर गई है। आने वाले दिनों में इजराइली बहुत रोएंगे।

हिजबुल्लाह के टॉप कमांडर फउद शुकर के जनाजे पर अपने भाषण में नसरल्लाह ने कहा कि हिजबुल्लाह गाजा और फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन की कीमत चुका रहा है लेकिन उन्होंने कहा कि उनका समूह अब समर्थन के चरण से आगे निकल चुका है और उन्होंने सभी मोर्चों पर खुली लड़ाई का ऐलान कर दिया है।

बता दें कि हिजुबल्लाह ने बदला लेना शुरू भी कर दिया है। फउद शुकर की हत्या के 48 घंटे के भीतर ही हिजबुल्लाह ने लेबनान से इजरायल में रॉकेट दागे और खलबली मचा दी। हिजबुल्लाह ने संकेत दे दिया है कि वह इजरायल पर हमला करके ही मानेगा।

वहीं, नसरल्लाह की चेतावनी के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल अपने खिलाफ किसी भी अटैक के लिए तैयार है। अगर हम पर हमला होता है तो हम देख लेंगे। उन्होंने कहा, इजराइल किसी भी परिदृश्य के लिए पूरी तरह से तैयार है। हम अपनी रक्षा भी कर सकते हैं और आक्रमण भी। हम किसी भी क्षेत्र से हमारे खिलाफ अटैक की बहुत भारी कीमत वसूल करेंगे।

इजरायल ने मगंलवार शाम को लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह के सैन्य प्रमुख फुआद शुकर को हवाई हमले में मार दिया था। ईरान समर्थित चरमपंथी समूह के लिए पिछले दो दशक में ये सबसे बड़ा झटका था। शुकर हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह का बेहद ही करीबी था। इजरायल ने उसे हाल ही में गोलन हाइट्स पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया था, जिसमें 12 द्रूज बच्चों की मौत हो गई थी। शुकर की मौत ने लेबनान सीमा पर हो रहे हमलों के एक युद्ध में बदलने का डर बढ़ा दिया है।

मिडिल ईस्ट में फिर युद्ध की तपिशः हिजबुल्लाह ने इजराइल से लिया इंतकाम, दागे दर्जनों रॉकेट

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मिडिल ईस्ट में एक बार फिर तनाव बढ़ता दिख रहा है। ईरान समर्थक आतंकी संगठन हिजबुल्लाह ने लेबनान से इजराइली क्षेत्र की ओर दर्जनों रॉकेट दागे हैं। हिजबुल्लाह के कमांडर हज मोहसिन उर्फ फुआद शुकर की मौत के 48 घंटे बाद ही हिजबुल्लाह ने इजराइल पर एयर स्ट्राइक कर दी है। हालांकि, इजराइली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि इसमें से केवल पांच रॉकेट ही इजराइल में प्रवेश कर सके। किसी नुकसान या घायल होने की कोई रिपोर्ट नहीं है।

शीर्ष कमांडर फउद शुकर के मारे जाने से गुस्साए हिजबुल्ला ने बृहस्पतिवार देर रात (स्थानीय समय) लेबनान से इजराइल की उत्तरी सीमा के आसपास के कई इलाकों में करीब 60 रॉकेट दागे। हिजबुल्लाह ने कहा कि उन्होंने मेत्जुबा की उत्तरी इलाके से रॉकेट दागे। इजराइल ने 30 जुलाई को लेबनान की राजधानी बेरूत में एयरस्ट्राइक की थी। इसमें हिजबुल्लाह का कमांडर हज मोहसिन उर्फ फउद शुकर मारा गया था। वह हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह का सबसे खास माना जाता था। 

फउद के बारे में इजराइली आर्मी ने दावा किया था कि वह इजराइल में गोलान हाइट्स पर हमले के लिए जिम्मेदार था। इजराइल के गोलान हाइट्स में फुटबॉल मैदान पर हिजबुल्ला द्वारा किए गए हमले में 12 बच्चों की मौत हो गई थी। 27 जुलाई को हिजबुल्लाह ने इजराइल पर पिछले करीब 10 महीने का सबसे बड़ा हमला किया था। उसने लेबनान से गोलन हाइट्स के फुटबॉल ग्राउंड पर रॉकेट दागे थे। इसमें 12 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 30 लोग घायल हुए थे। जिसके बाद इजराइल ने हिजबुल्ला के शीर्ष कमांडर फउद को बेरूत में मार गिराया। फउद की मौत के 48 घंटे बाद हिजबुल्ला ने इस्राइल के पश्चिमी गैलिली पर रॉकेट हमले किए और इसकी जिम्मेदारी भी ली है। हिजबुल्ला ने दावा किया है कि उसने पहले लेबनान के चामा गांव में इजराइली हमले के जवाब में मेत्जुबा के उत्तरी सीमा समुदाय पर दर्जनों रॉकेट दागे हैं। चामा में कथित तौर पर चार सीरियाई मारे गए और कई लेबनानी नागरिक घायल हो गए।

आप सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में रखी बड़ी मांग, चुनाव लड़ने के लिए उम्र कम करने की डिमांग

#aap_mp_raghav_chadha_demand_nake_age_less_for_contesting_elections 

आम आमदी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने चुनाव लड़ने के लिए उम्र कम करने की मांग की है।आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा, जब 18 साल में सरकार चुनने का अधिकार, तो 21 में चुनाव लड़ने का क्यों नहीं।राघव चड्ढा ने कहा, भारत एक युवा देश है लेकिन उतनी संख्या में युवा राजनीति में नहीं हैं। बता दें कि वर्तमान में टुनाव लड़की की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष है।

आम आदम पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने गुरुवार को कहा कि आज जिस मसले पर मैं बोलना चाहता हूं, वो मेरे दिल के करीब है। उन्होंने राजनीति में युवाओं की सहभागिता पर बोलते हुए कहा कि भारत दुनिया में सबसे युवा देश है। देश की औसत उम्र मात्र 29 साल है। 65 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम की है। आधी आबादी 25 साल से कम आयु की है। क्या हमारे नेतागन या प्रतिनधित इतने युवा हैं। आपको यह जानकर अचंभा होगा कि पहली लोकसभा चुनी गई थी तो उस समय लोकसभा में 26 प्रतिशत लोग 40 साल से कम आयु के थे। 17वीं लोकसा में मात्र 12 प्रतिशत नेता 40 साल से कम आयु के थे। 

राघव चड्ढा ने कहा, जैसे-जैसे हमारा देश जवान हो रहा है, उसी अनुपात में चुने हुए प्रतिनिधि जवानी से दूर होते जा रहे हैं। आज हमारा युवा देश बुजुर्ग राजनेताओं से संचालित है। जबकि देश को युवा राजनेताओं की जरूरत है।

आम आदमी पार्टी के सदस्य ने बताया कि राजनीति में युवाओं की संख्या इसीलिए कम हो रही है क्योंकि कोई भी अपने बच्चों को नेता नहीं बनाना चाहता है। उन्होंने कहा, आज, हमें युवाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है ताकि युवा भारत के मुख्यधारा की राजनीति में आए। इस देश में लोकसभा का चुनाव हो या विधानसभा का चुनाव हो, चुनाव लड़ने की उम्र 25 वर्ष है। उन्होंने कहा, इस आयु को 25 से घटाकर 21 वर्ष करें।

चड्ढा ने दलील दी कि 21 वर्ष के युवा अगर मुख्यधारा की राजनीति में आना चाहते हैं और चुनाव लड़ना चाहते हैं तो उसे अनुमति मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, जब देश के युवा 18 वर्ष की आयु में वोट डालकर अपनी सरकार चुन सकते हैं और देश का भविष्य चुन सकते हैं तो 21 वर्ष की आयु में वह चुनाव भी जरूर लड़ सकते हैं।

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

#propasal_to_make_north_bengal_a_separate_state_will_benefit_bjp 

केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

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केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।

वायनाड पहुंचे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी, लैंडस्लाइड पीड़ितों से की मुलाकात

#rahul_gandhi_and_priyanka_vadra_visit_wayanad 

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा आज वायनाड पहुंचे। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वायनाड में आते ही सबसे पहले भूस्खलन से प्रभावित परिवारों से मुलाकात किया। पहले दोनों नेता बुधवार को वायनाड आने वाले थे, लेकिन खराब मौसम के कारण उन्हें अपना यह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। बारिश के बीच ब्लू रेनकोट पहने राहुल गांधी ने सेना की जवानों के साथ चूरलमाला का दौरा किया। बता दें कि वायनाड में भूस्खलन से 256 लोगों की मौत हुई है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ उनकी बहन और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने वायनाड के मेप्पाडी सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में राहत शिविर का दौरा कर लोगों से मुलाकात की। मुलाकात के बाद राहुल गांधी ने कहा कि यह वायनाड, केरल और पूरे देश के लिए एक भयानक त्रासदी है। हम यहां स्थिति देखने आए हैं। यह देखना दुखद है कि कितने लोगों ने अपने परिवार के सदस्यों और अपने घरों को खो दिया है। हम मदद करने की कोशिश करेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि बचे हुए लोगों को उनका हक मिले। उन्होंने कहा कि यह त्रासदी मेरे लिए पिता को खोने जैसा है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय आपदा करार दिया।

वहीं, राहुल गांधी ने फेसबुक पोस्ट पर कहा कि त्रासदी के इन दृश्यों को देखकर मेरा दिल बहुत दुखी है। इस मुश्किल समय में, प्रियंका और मैं वायनाड के लोगों के साथ खड़े हैं। हम राहत, बचाव और पुनर्वास प्रयासों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी आवश्यक सहायता प्रदान की जाए। यूडीएफ हर संभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भूस्खलन और प्राकृतिक आपदाओं की बार-बार होने वाली घटनाएं बेहद चिंताजनक हैंय एक व्यापक कार्य योजना की तत्काल आवश्यकता है।

बता दें कि राहुल गांधी ने पिछली लोकसभा में वायनाड का प्रतिनिधित्व किया था। इस बार के लोकसभा चुनाव में भी वह रायबरेली के साथ वायनाड से निर्वाचित हुए थे, लेकिन उन्होंने केरल में आने वाले संसदीय क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया। अब वायनाड से उपचुनाव में उनकी बहन प्रियंका गांधी वाद्रा कांग्रेस की उम्मीदवार होंगी।

वायनाड जिले में मंगलवार (30 जुलाई) की सुबह मूसलाधार बारिश के कारण बड़े पैमाने पर हुए भूस्खलन ने मुंडक्कई, चूरलमाला, अट्टामाला और नूलपुझा बस्तियों को प्रभावित किया, जिसमें अब तक महिलाओं और बच्चों सहित 256 लोगों की मौत हो चुकी है। फिलहाल, सेना ने अब तक 1000 लोगों को रेस्क्यू कर लिया है।

हानिया, फउद शुकर और अब हमास के मिलिट्री कमांडर देइफ का भी खात्मा, इजराइल ने एयरस्ट्राइक में मार गिराया

#israel_says_hamas_top_military_commander_mohammed_deif_killed 

इजरायली सेना एक के बाद एक हमास को 3 बड़े जख्म दिए हैं। हमास के मुखिया इस्माइल हानिया और हिजबुल्ला कमांडर फउद शुकर के खात्मे के बाद इजरायली सेना ने हमास के सैन्य प्रमुख मोहम्मद देइफ को भी मार गिराया है। इजराइल ने खुद इसकी पुष्टि की है। इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि गाजा के ओसामा बिन लादेन कहा जाने वाला मुहम्मद देइफ को 13 जुलाई को खत्म कर दिया गया।मोहम्मद दइफ की मौत एक एयर स्ट्राइक में हुई।

इजराइल की सेना ने गुरुवार को एक बयान जारी कर बताया कि हमास का सैन्य कमांडर मोहम्मद दइफ जुलाई में ही एक एयर स्ट्राइक हमले में मारा गया था। यह एयर स्ट्राइक गाजा के दक्षिणी इलाके खान यूनिस में की गई थी। इजराइली सेना का यह बयान हमास की राजनीतिक शाखा के प्रमुख इस्माइल हानिया की मौत के एक दिन बाद ही आया है। हानिया का बुधवार को ईरान की राजधानी तेहरान में हत्या कर दी गई थी। 

जानकारी के मुताबिक गाजा के खान यूनिस में 13 जुलाई को स्ट्राइक किया था, जिसमें देइफ की मौत आज आधिकारिक पुष्टि की गई है। इस हमले में खान यूनिस ब्रिगेड के कमांडर राफा सलामेह और उनके साथ अन्य लड़ाके भी मारे गए थे।इजरायल का आरोप है कि देइफ ही 7 अक्टूबर के हमास के हमले का मास्टरमाइंड था। उस हमले में 1200 लोगों की मौत हुई थी और ढाई से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया गया था। 

इजरायली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने बताया है कि पिछले महीने दक्षिणी गाजा पट्टी में एक इजरायली हवाई हमले में देइफ मारा गया था।58 साल का देइफ करीब दो दशक से अधिक समय से अलदीन अल-कसम ब्रिगेड में था और इजरायल के लिए मोस्ट वॉन्टेड था। देइफ पर कई हमले हुए और इनमें उसकी एक आंख भी कुछ साल पहले खराब हो गई थी।

पीएम मोदी के साथ वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में की बैठक, कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके वियतनामी समकक्ष फाम मिन्ह चीन्ह ने आज गुरुवार (1 अगस्त) को दिल्ली के हैदराबाद हाउस में बैठक की। दोनों नेता भारत-वियतनाम संबंधों को और अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए चर्चा करेंगे, जिसमें व्यापक रणनीतिक साझेदारी भी शामिल है। एक्स पर एक पोस्ट में, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, "भारत-वियतनाम साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाना! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद हाउस में वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह का गर्मजोशी से स्वागत किया। एजेंडे में भारत-वियतनाम व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए ठोस चर्चाएँ शामिल हैं।"

उल्लेखनीय है कि, इससे पहले, फाम मिन्ह चीन्ह ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने उस स्मारक स्थल पर पुष्पांजलि दी, जहाँ महात्मा गांधी को दफनाया गया था। एक्स पर एक पोस्ट में, विदेश मंत्रालय (MeA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि, "बापू और उनके शाश्वत आदर्शों को याद करते हुए। वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी।" भारत की तीन दिवसीय राजकीय यात्रा पर आए फाम मिन्ह चीन्ह का राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में औपचारिक स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति भवन में अपने वियतनामी समकक्ष का स्वागत किया। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे का अभिवादन करते हुए गर्मजोशी से गले मिले। 

इसके बाद उन्होंने संयुक्त रक्षा सेवाओं द्वारा दिए गए गार्ड ऑफ ऑनर का निरीक्षण किया। इस अवसर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर, केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल और केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी और फाम मिन्ह चीन्ह ने एक-दूसरे के देशों के प्रतिनिधियों और मंत्रियों से मुलाकात की। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को भारत पहुंचे वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चीन्ह से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान वियतनामी प्रधानमंत्री ने गर्मजोशी से स्वागत के लिए भारत का आभार जताया और धन्यवाद दिया।

फाम मिन्ह चीन्ह ने कहा, "मैं आज दोपहर मुझसे मिलने के लिए आपका धन्यवाद करना चाहता हूँ। मैं इतने कम समय में और बहुत ही व्यस्त कार्यक्रम के साथ भारत की मेरी यात्रा की व्यवस्था करने के आपके प्रयासों के लिए आपका धन्यवाद करना चाहता हूँ। मैं इस यात्रा के लिए बेहतरीन तैयारी करने के लिए दोनों विदेश मंत्रालयों को धन्यवाद देना चाहता हूँ।" इसके अलावा, फाम मिन्ह चीन्ह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार जीत के लिए बधाई दी और इसे 'ऐतिहासिक जीत' बताया। उन्होंने कहा कि, "मैं भारत में अपने प्रवास के दौरान मुझे दिए गए गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए भारत को धन्यवाद देना चाहता हूँ। यह इस बात का ज्वलंत प्रमाण है कि भारत वियतनाम के साथ अपने संबंधों को कितना महत्व देता है। मैं प्रधानमंत्री मोदी को लगातार तीसरी बार फिर से चुने जाने के लिए बधाई देना चाहता हूँ। यह एक ऐतिहासिक जीत है।" 

इसके जवाब में, जयशंकर ने खुशी जताई और कहा कि चीन्ह चुनावों के बाद सबसे पहले आने वाले आगंतुकों में से एक हैं। उन्होंने कहा, "उनका स्वागत करना बहुत ही विशेष सम्मान है।" जयशंकर ने महासचिव नीरेन फू-चांग के निधन पर अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा कि फाम मिन्ह चीन्ह की यात्रा से द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा करने और क्षेत्र में रणनीतिक रुझानों पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा।

पहाड़ से मैदान तक बारिश का कहर, बादल फटने से हिमाचल प्रदेश में मची तबाही, कई लोगों की मौत, पार्वती नदी में समा गई 4 मंजिला इमारत

 देशभर में तेज बारिश का दौर जारी है. इस बिच हिमाचल प्रदेश के कई जिलों में इन दिनों भारी बारिश का प्रकोप देखने को मिल रहा है. लगातार हो रही बारिश से कई पुल ढह रहे हैं, पहाड़ दरक रहे हैं. कई हाईवे तक क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिस कारण न जाने कितने की शहरों के रूट आपस में कट भी गए हैं. यही नहीं, बारिश का कहर रोजाना बढ़ता ही जा रहा है. भारी बारिश के कारण हिमाचल की बड़ी नदियों समेत न जाने कितनी ही छोटी-मोटी अन्य नदियां भी ऊफान पर हैं. इस बीच कुल्लू जिले से बड़ी खबर सामने आई है. यहां बादल फटने से तबाही मच गई. इसका एक वीडियो सामने आया है, जिसे देख आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे.

वीडियो कुल्लू के मलाणा इलाके का है. यहां देर रात भारी बारिश से पार्वती नदी इतने ऊफान पर आ गई कि न जाने कितने ही घर और गाड़ियां इसमें समा गईं. ताजा वीडियो जो सामने आया है उसमें दिखा कैसे एक चार मंजिला इमारत महज 7 सेकंड के अंदर पार्वती नदी में समा गई. बिल्डिंग कहां गई पता ही नहीं चला. इसी तरह न जाने कितने ही वीडियो रोजाना सामने आ रहे हैं. अकेले कुल्लू जिले की बात करें तो यहां ब्यास और पार्वती नदियां डेंजर मार्क से भी ऊपर हैं. मलाणा गांव में बना पॉवर प्रोजेक्ट का डैम भी ओवर फ्लो हुआ है.

सबसे अधिक नुकसान निरमंड उपमंडल के बागीपुल में बताया गया है. यहां पर कुर्पन खड्ड में बाढ़ आने से बागीपुल में नौ मकान चपेट में आ गए. इसमें एक मकान में रह रहा एक पूरा परिवार बाढ़ में बह गया. शिमला जिले के रामपुर में भारी बारिश के कारण मची तबाही के बाद 36 लोग लापता हैं. यहां भी बादल फटा है. लापता 19 लोगों का अभी तक कुछ भी पता नहीं लग पाया है. शिमला डिप्टी कमिश्नर अनुपम कश्यप ने यह जानकारी दी. 

तबाही का मंजर इतना भयानक था कि रात के अंधेरे में आसपास रहने वाले सैंकड़ों लोगों को भागकर अपनी जान बचानी पड़ी. घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम रात को ही मौके पर पहुंची है. उनकी तलाश की जा रही है. उधर प्रशासन ने कुल्लू जिले के जिया और भुंतर सहित नदी तट पर लगते तमाम क्षेत्रों से लोगों को अपने घर खाली कर सुरक्षित जगह में आने की अपील की है. इसके साथ-साथ तीर्थन नदी में भी जलस्तर बढ़ा हुआ है. सभी से नदी नालों से सुरक्षित स्थानों पर रहने के लिए अपील की गई है.

हिमाचल प्रदेश में अगले 36 घंटे के दौरान 10 जिलों में भारी से भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है. मौसम विभाग केंद्र शिमला ने ताजा बुलेटिन जारी कर बिलासपुर, चंबा, हमीरपुर, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सिरमौर, सोलन और ऊना में आज रात और कल दिनभर भारी बारिश को लेकर चेतावनी जारी की है. इस दौरान इन जिलों में भारी बारिश के हो सकती है. इससे कई क्षेत्रों में भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाएं हो सकती हैं. इसे देखते हुए प्रदेश के लोगों के साथ-साथ पहाड़ों पर आने वाले पर्यटकों को एहतियात बरतने की सलाह दी गई है.

दिल्ली समेत देश के कई शहरों से बारिश से बर्बादी की खबरें आ रही हैं. देश के बड़े इलाकों में मॉनसूनी आफत बरस रही है. दिल्ली में कल (31 जुलाई) रिकार्डतोड़ बारिश हुई है, आज भी भारी बारिश का अनुमान है. हिमाचल में कुल्लू और शिमला जिले के करीब बादल फटा है, इसमें करीब 44 लोग लापता बताए जा रहे हैं और 9 लोगों की मौत हो गई है. उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल और केरल के वायनाड में भी बादल फटने की घटना हुई है. यानी मैदान से पहाड़ों तक बारिश का कहर जारी है.

हमास के प्रमुख नेता इस्माइल हनियेह की तेहरान में हत्या के 24 घंटे बाद अब ईरानी सेना के जनरल की भी हत्या का दावा

हमास के प्रमुख नेता इस्माइल हनियेह की तेहरान में हत्या किए जाने के बाद अब ईरानी सेना के जनरल को भी ढेर कर दिए जाने का समाचार है। विदेशी मीडिया के अनुसार इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए की संयुक्त कार्रवाई में ईरानी सेना का ब्रिगेडियर अमीर अली हाजीजादेह भी मारा गया है। दावा किया जा रहा है कि  मोसाद और सीआईए के संयुक्त बलों ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में एक हवाई हमले के दौरान ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीज़ादेह को मौत के घाट उतार दिया है। इसके बाद माना जा रहा है कि दुनिया में तीसरी जंग इजरायल और ईरान के बीच शुरू हो गई है। 

सूत्रों के अनुसार, ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एयरोस्पेस फोर्सेस के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अमीर अली हाजीजादेह की सीरिया के दमिश्क के पास हत्या कर दी गई है। यह जानकारी अभी पुष्टि नहीं हुई है। हाजीजादेह को अप्रैल में इज़राइल पर मिसाइल हमले की योजना बनाने का श्रेय दिया जाता है। हाजीजादेह की हत्या के कारण और इसकी सत्यता की जांच अभी भी चल रही है। अधिकारियों द्वारा घटना की पूरी जानकारी जुटाई जा रही है। जनरल हाजीजादेह IRGC के एयरोस्पेस फोर्सेस के कमांडर हैं। इस पद पर रहते हुए, वे ईरान के मिसाइल कार्यक्रम और वायु रक्षा प्रणाली के विकास और संचालन की जिम्मेदारी संभालते हैं। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मिसाइल परीक्षणों और अभियानों का नेतृत्व किया है, जिससे ईरान की सैन्य क्षमता को बढ़ावा मिला है।

 

हाजीजादेह ने ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके नेतृत्व में, ईरान ने कई लंबी दूरी और मध्यम दूरी की मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। अप्रैल 2020 में इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले के दौरान, हाजीजादेह के नेतृत्व में कई मिसाइलें दागी गई थीं। हाजीजादेह को पश्चिमी देशों द्वारा कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है, खासकर इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा। उन्हें कई बार प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।

उन्होंने इज़राइल और अमेरिका के खिलाफ कई तीखे बयान दिए हैं और ईरान की सैन्य शक्ति को मजबूत करने की वकालत की है। हाजीजादेह ने कुर्दिस्तान में PKK और अन्य विद्रोही समूहों के खिलाफ कई अभियानों का नेतृत्व किया है। उन्होंने आतंकवादी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का समर्थन किया है। हाजीजादेह के व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है, क्योंकि वे अपनी निजी जानकारी को सार्वजनिक रूप से साझा नहीं करते। जनरल अमीर अली हाजीजादेह ईरान की सैन्य रणनीति और सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी हत्या की खबरें अगर सच साबित होती हैं, तो यह ईरान और क्षेत्रीय राजनीति के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।