स्वाति मालीवाल मारपीट केस में केजरीवाल के पीए बिभव को सुप्रीम कोर्ट की लताड़, 'सीएम आवास में ऐसे गुंडे को जगह क्यों....'




डेस्क: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सहयोगी बिभव कुमार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि क्या इस तरह के गुंडे को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए। बिभव ने इस साल मई में आप की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल पर कथित रूप से हमला किया था। जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बिभव की जमानत याचिका पर सुनवाई अगले बुधवार के लिए सूचीबद्ध की। पीठ ने बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी से कहा कि अदालत दिल्ली हाईकोर्ट की आर से दर्ज की गई घटना के विवरण से हैरान है।


बिभव ने मामले में जमानत देने से इनकार करने के दिल्ली हाईकोर्ट के 12 जुलाई के आदेश को चुनौती दी है। उनका दावा है कि उसके खिलाफ आरोप झूठे हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि जांच पूरी होने के कारण अब उसकी हिरासत की आवश्यकता नहीं है। शीर्ष अदालत ने बिभव कुमार की याचिका पर दिल्ली सरकार को एक नोटिस जारी किया।

पीठ ने सिंघवी से पूछा कि क्या मुख्यमंत्री आवास एक निजी बंगला है? क्या इस तरह के गुंडे को मुख्यमंत्री आवास में काम करना चाहिए? इस पर सिंघवी ने कहा कि चोटें गंभीर नहीं थीं। 13 मई की घटना के तीन दिन बाद एक प्राथमिकी दर्ज की गई और एक बात यह भी है कि मालीवाल का घटना के दौरान पुलिस हेल्पलाइन पर कॉल करना क्या संकेत देता है। इस पर पीठ ने कहा कि हम हर दिन भाड़े के हत्यारों और लुटेरों को जमानत देते हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस तरह की घटना है। जिस तरह से यह घटना हुई, वह परेशान करने वाली है। बिभव ने ऐसा व्यवहार किया कहि जैसे कोई गुंडा मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास में घुस आया हो। पीठ ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट के सामने उसकी पूरी दलील यह थी कि मालीवाल के आरोप मनगढ़ंत हैं।


सिंघवी ने कहा कि घटना के दिन वह पुलिस थाने गई थीं, फिर बिना कुछ कहे वापस आ गईं, लेकिन फिर तीन दिन बाद उन्होंने प्राथमिकी दर्ज कराई। इस पर पीठ ने कहा कि हम हैरान हैं? क्या एक युवती से बात करने का यह कैसा तरीका है? मालीवाल अपनी तबीयत के बारे में बता रही थीं, इसके बाद भी बिभव कुमार ने उनके साथ मारपीट की। सिंघवी ने कहा कि अदालत मालीवाल की प्राथमिकी पर भरोसा कर रही है, लेकिन बिभव की शिकायत मालीवाल की मित्रवत पुलिस और दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा दर्ज नहीं की गई थी। इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि हमें आपकी आंतरिक राजनीति से मतलब नहीं है और अदालत केवल केस रिकॉर्ड और प्राथमिकी पर गौर कर रही है।


मामले के रिकॉर्ड का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि वह इसे खुली अदालत में नहीं पढ़ना चाहती, लेकिन एक बार जब उन्होंने उसे अपनी विशेष शारीरिक स्थितियों के कारण ऐसा करने से मना किया, तो इस व्यक्ति ने उन पर हमला करना जारी रखा। पीठ ने कहा कि वह खुद को क्या समझता है? क्या सत्ता उसके सिर पर चढ़ गई है।

सिंघवी ने कहा कि ये सभी आरोप परीक्षण के मामले हैं और फिलहाल वह केवल जमानत की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मामले को उच्चतम स्तर पर ले जाने और अपराध को देखने के बाद भी वह जमानत का हकदार है, क्योंकि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकता या गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता। पीठ ने कहा कि हां, हम केवल जमानत के मुद्दे पर गौर कर रहे हैं। पीठ ने कहा कि अगर इस तरह का व्यक्ति गवाहों को प्रभावित नहीं कर सकता, तो कौन कर सकता है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि रिकॉर्ड देखिए, क्या मुख्यमंत्री आवास के ड्राइंग रूम में कोई ऐसा व्यक्ति था, जिसने बिभव कुमार खिलाफ बोलने की हिम्मत की? हमें लगता है कि उसे शर्म भी नहीं आई।

इस बीच सिंघवी ने कहा कि मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया जा चुका है। बिभव 75 दिनों से हिरासत में है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि बिभव कुमार को सत्र अदालत की ओर से ही जमानत दे दी जानी चाहिए थी। जस्टिस दत्ता ने सिंघवी से बिभव के पद के बारे में पूछा तो सिंघवी ने जवाब दिया कि बिभव पहले सरकारी कर्मचारी था। अब वह केजरीवाल का राजनीतिक सलाहकार-सह-सचिव है, जो राजनीतिक नियुक्तियों को संभालता है।


आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल की शिकायत पर दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। मालीवाल ने शिकायत में कहा था कि जब वह 13 मई को सीएम आवास मुख्यमंत्री केजरीवाल से मिलने पहुंचीं थी तो बिभव ने उनके साथ मारपीट की। मालीवाल की शिकायत पर पुलिस ने बिभव कुमार को 18 मई को गिरफ्तार किया था। पुलिस का कहना है कि बिभव कुमार जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं।

बिभव ने जमानत के लिए 27 मई को ट्रायल कोर्ट का रुख किया था, लेकिन वहां से जमानत खारिज होने के बाद सत्र न्यायालय में अपील की। वहां से भी निराशा के बाद बिभव ने हाईकोर्ट का रुख किया, लेकिन हाईकोर्ट ने भी बिभव को राहत देने से इनकार कर दिया। अब हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ बिभव ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
‘हम उनमें से नहीं जो रील्स बनाते हैं’, लोकसभा में रेल हादसों पर विपक्ष ने केंद्र को घेरा तो भड़के रेल मंत्री




डेस्क: रेल हादसों को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दी है। 30 जुलाई को झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में मुंबई-हावड़ा मेल के 18 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। इस हादसे के बाद विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर निशाना साध रही है। इसपर अब लोकसभा ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि हम उन लोगों में से नहीं जो रील्स बनाते हैं।


अश्विनी वैष्णव ने कहा, "मैं पीएम मोदी को धन्यवाद करना चाहूंगा कि मेरे जैसे साधारण कार्यकर्ता को देश की सेवा करने का मौका दिया। मैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को भी धन्यवाद देता हूं कि रेलवे की सबसे बड़ी जो समस्या थी कि निवेश की कमी है वो उन्होंने पीएम मोदी के निर्देश पर बजट में एक रिकॉर्ड आवंटन करके लगातार कई वर्षों तक बजट आवंटन बढ़ा कर जो सबसे बड़ी समस्या थी उसे दूर किया। मैं रेलवे के उन 12 लाख कर्मचारियों, उस रेल परिवार को भी धन्यवाद देता हूं जो हर दिन 20 हजार से ज्यादा ट्रेनें चलाते हैं और देश की सेवा करते हैं।"


विपक्ष पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, "जो यहां चिल्ला रहे हैं, उनसे यह पूछा जाना चाहिए कि सत्ता में रहने के 58 वर्षों में भी वे ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (एटीपी) को क्यों नहीं ला पाए? आज वे यहां सवाल करने की हिम्मत कर रहे हैं। जब ममता बनर्जी रेल मंत्री थीं, तह वह दुर्घटना के आंकड़े देती थी, जो 0.24 से घटकर 0.19 हो गए। ये लोग तब सदन में ताली बजा रहे थे। आज जब यह आंकड़ा 0.19 से घटकर 0.03 हो गया, तो ये दोष लगा रहे हैं। क्या यह देश ऐसे ही चलेगा? कांग्रेस सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी की मदद से झूठी बातें उछालती है। क्या वे उन दो करोड़ लोगों के दिलों में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमेशा रेल से यात्रा करते हैं?" विपक्ष पर तंज कसते हुए वैष्णव ने कहा, "हम उन लोगों में से नहीं, जो रील्स बनाते हैं। हम मेहनत करते हैं, न की आप लोगों की तरह जो दिखावा के लिए रील्स बनाते हैं।"

अश्विनी वैष्णव ने बताया कि लोको पायलटों के औसत कामकाज और आराम करने का समय 2005 में बनाए गए नियम के तहत तय किया जाता है। 2016 में इन नियम में कई सुधार किए गए और लोको पायलटों को अधिक सुविधाएं दी गईं। रेल मंत्री ने आगे बताया कि जनरल कोचों की मांग बढ़ गई है। यह सुविधाएं उन लोगों के समय शून्य थी, जो आज रील्स बनाकर सहानुभूति दिखाते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए लगभग 2,500 जनरल कोचों का उत्पादन जल्द पूरा हो जाएगा। प्रत्येक मेल और एक्सप्रेस ट्रेन में न्यूनतम चार जनरल कोच होंगे।
कमला हैरिस को लेकर डोनाल्ड ट्रंप ने दिया विवादित बयान, कहा – 'वह भारतीय हैं या अश्वेत.....’




डेस्क: अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है. दोनों ही एक दूसरे पर हमले बोल रहे हैं. इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने कमला हैरिस को लेकर कुछ ऐसा कह दिया है जिसकी काफी आलोचना हो रही है.


दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने अश्वेत पत्रकारों के वार्षिक सम्मेलन में कमला हैरिस को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वह 'अश्वेत' हैं. ट्रंप ने आगे कहा कि वह भारतीय हैं या अश्वेत? वह शुरू से भारतीय मूल की थीं और अचानक अब वह टर्न लेते हुए खुद को अश्वेत बता रही हैं.


वहीं दूसरी ओर डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान की व्हाइट हाउस ने निंदा करते हुए इसे अपमानजनक बताया है. व्हाइट हाउस ने इस पर कहा है कि इस मामले पर केवल उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ही खुद बोल सकती हैं. व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरिन जीन-पियरे ने बुधवार को ब्रीफिंग में कहा, "किसी को यह बताने का अधिकार नहीं है कि वे कौन हैं और उसे कैसे पहचानते हैं. यह किसी का अपना निर्णय है... ट्रंप की टिप्पणी अपमानजनक है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह पूर्व नेता या राष्ट्रपति हैं. कमला हैरिस संयुक्त राज्य अमेरिका की उपराष्ट्रपति हैं, और हमें उनके नाम का सम्मान रखना होगा.


कौन हैं कमला हैरिस?


कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं. उनकी मां भारतीय थीं और उनके पिता जमैका के थे.  दोनों संयुक्त राज्य अमेरिका में आकर बसे थे. कमला हैरिस का जन्म ऑकलैंड, कैलिफ़ोर्निया में हुआ था और उन्होंने वॉशिंगटन में अश्वेत विश्वविद्यालय, हॉवर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई की है. वह अमेरिका की पहली अश्वेत महिला उपराष्ट्रपति होने के साथ-साथ पहली एशियाई अमेरिकी उपराष्ट्रपति भी हैं. अगर वह आगामी चुनाव जीत जाती हैं, तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति होंगी. पिछले हफ्ते राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर होने के बाद  कमला हैरिस को इस दौड़ के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में नामित किया था.
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग में कश्मीरी पंडितों के 3 घर जलकर राख, जांच में जुटी पुलिस


डेस्क: जम्मू-कश्मीर में रविवार देर रात लगी आग में प्रवासी कश्मीरी पंडितों के तीन घर जलकर राख हो गए. यह घटना दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के मट्टन में हुई. हालांकि, इस घर में लगी आग में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है. क्योंकि, ये तीनों घर कश्मीरी पंडितों के विस्थापन के कारण कई सालों से खाली पड़े थे.


वहीं, स्थानीय लोगों की मदद से दमकल विभाग के कर्मियों ने आग पर काबू पाया. इस घटना के बाद अनंतनाग के कलेक्टर सैयद फखरुद्दीन और एसएसपी जीवी संदीप चक्रवर्ती भी मौके पर पहुंचे और घटना का जायजा लिया. साथ ही उन्होंने घरों में आग लगने के कारणों का जल्द पता लगाने के आदेश दिए हैं.


कश्मीरी पंडितों के घर में आग लगने की घटना पर राजनीतिक पार्टी जेके नेशनल कॉन्फ्रेंस की ओर से भी प्रतिक्रिया आई है. पार्टी ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट से ट्वीट कर आगजनी की घटना पर खेद जताया है. पार्टी ने कहा कि वह अनंतनाग में कश्मीरी पंडित भाइयों के साथ एकजुट है.

आगे कहा गया कि संपत्ति का यह नुकसान बेहद भावनात्मक है. प्रभावित घरों में से एक का भावनात्मक महत्व बहुत अधिक है. क्योंकि यह हमारे अतिरिक्त प्रवक्ता उमेश तलाशी का मायका था. ट्वीट में कहा गया, ‘हम अधिकारियों से दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए त्वरित और गहन जांच करने का आह्वान करते हैं. हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं प्रभावित परिवारों के साथ हैं.’


हाल ही में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कश्मीरी पंडितों के लावारिस धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को लेकर अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों के लावारिस धार्मिक स्थलों की सुरक्षा करेगी. कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार को उन सभी संपत्तियों को वापस लेने का भी निर्देश दिया है, जिन्हें बेचा गया है, अतिक्रमण किया गया है या अवैध रूप से कब्जा किया गया है. वहीं, कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने जम्मू-कश्मीर में लावारिस कश्मीरी पंडित मंदिरों/धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले ली है.
2 दशकों के बाद गृह मंत्रालय ने ऑपरेशनल क्षेत्रों के वित्तीय सीमा में किया संशोधन, मुखबिरों के लिए पुरस्कार ₹50 से बढ़ाकर ₹3,000 किया गया


डेस्क: दो दशक से अधिक समय के बाद, गृह मंत्रालय ने ऑपरेशनल क्षेत्रों में मुखबिरों को पुरस्कृत करने के लिए अर्धसैनिक बलों और अन्य खुफिया एजेंसियों के महानिदेशकों की वित्तीय शक्तियों में संशोधन किया है।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ), असम राइफल्स, राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी), खुफिया ब्यूरो (आईबी), राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (एनपीए) के महानिदेशकों की वित्तीय शक्ति को विभिन्न श्रेणियों के तहत बढ़ाया गया है।

जून में जारी एक आदेश में, जिसे एएनआई ने एक्सेस किया है, आदेश में कहा गया है कि महानिदेशकों के पास ऑपरेशनल क्षेत्रों में गाइड, दुभाषियों और मुखबिरों को पुरस्कृत करने के लिए एक बार में 50 रुपये की वित्तीय शक्ति है, जो प्रति वर्ष 500 रुपये की कुल सीमा के अधीन है।

यह सीमा बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दी गई है। प्रति व्यक्ति एक बार में 3,000 रुपये, प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष 30,000 रुपये की समग्र सीमा के अधीन। आदेश की प्रति के अनुसार, इसे अंतिम बार 2002 में संशोधित किया गया था।

आदेश में, पाकिस्तान और बांग्लादेश के नागरिकों के भरण-पोषण पर व्यय को भी 15 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति दिन से संशोधित कर 51.43 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति दिन (नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना) तक बढ़ाया गया है।

विदेशी या भारतीय विशिष्ट आगंतुकों के मनोरंजन के लिए, जिनके साथ महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा के लिए संपर्क स्थापित करना है, वित्तीय सीमा को 2000 रुपये से बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति वर्ष कर दिया गया है, जो समय-समय पर सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के अधीन है। इसी तरह, मुद्रण और बाइंडिंग के लिए, वित्तीय सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया है।

राहुल गांधी के शिव बारात वाले बयान पर बोलीं कंगना रनौत, 'ड्रग्स लेते हैं राहुल गांधी’




डेस्क: हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना रनौत ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर अटपटा दावा किया है. उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि राहुल गांधी ड्रग्स का कंजम्प्शन करते हैं, उनका टेस्ट होना चाहिए. कंगना ने ये प्रतिक्रिया राहुल गांधी द्वारा संसद में दिए गए शिव बारात वाले बयान पर दी.


कंगना ने कहा, देश में लोकतंत्र है. इसमें प्रधानमंत्री लोकतांत्रिक तरीके से चुना जाता है. उन्होंने पूछा, क्या लिंग, उम्र, जाति और वर्ग देखकर पीएम को चुना जाता है? कंगना ने कहा, राहुल इस तरह की बातें करके हर रोज संविधान को ठोस पहुंचाते हैं.


बीजेपी सांसद कंगना ने राहुल गांधी पर लोकतंत्र का अपमान करने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, क्या अब उम्र और लिंग देखकर पीएम चुना जाएगा? कल वो बोलेंगे कि स्किन कलर से प्रधानमंत्री चुना जाएगा. क्या उनको लोकतंत्र की रिस्पेक्ट नहीं है?


कंगना ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, कल भी संसद में कॉमेडी शो किया गया, उनमें कोई गरिमा नहीं है. कल वो वहां कह रहे थे कि शिव जी की बारात है और ये चक्रव्यूह है. मुझे लगता है कि उनका टेस्ट होना चाहिए कि वो ड्रग्स लेते हैं.


कंगना ने कहा, जिस हालत में वे संसद पहुंचकर बदहवास बातें करते हैं, मैं कल देखकर आश्चर्यचकित हो गई. संसद में उन्होंने कहा कि ये जो कॉम्पटीशन है, ये शिवजी की बारात और चक्रव्यूह में है. क्या इस बात से नहीं लगता कि किसी आदमी का ड्रग्स टेस्ट होना चाहिए? मुझे लगता है कि उनका टेस्ट होना चाहिए, या तो वो शराब के नशे में या ड्रग्स के नशे में थे.


दरअसल, राहुल गांधी ने संसद में बजट पर चर्चा के दौरान महाभारत का जिक्र किया था. राहुल गांधी ने कहा था, हजारों साल पहले अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाकर मारा गया था. वैसा ही चक्रव्यूह अब तैयार किया गया है. इसमें किसानों और युवाओं को फंसाया जा रहा है.
क्या अब प्राइवेट कंपनियों में 14-14 घंटे तक करना होगा काम! ये राज्य सरकार बना रही ऐसी योजना


डेस्क: प्राइवेट सेक्टर में स्थानीय लोगों को नौकरी का रिजर्वेशन देने के फैसले पर आलोचनाओं का सामना करने के बाद कर्नाटक सरकार अब आईटी कर्मचारियों के वर्किंग ऑवर्स यानी काम करने के घंटे को बढ़ाकर 14 घंटे प्रतिदिन करने की योजना बना रही है, जिसका आईटी क्षेत्र की यूनियनों ने विरोध किया है। बता दें कि अभी कंपनियों में 9-10 घंटे तक काम कराया जाता है।

14 घंटे काम करने का प्रस्ताव

प्रस्तावित नए दुकान और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान (संशोधन) विधेयक 2024, में 14 घंटे के कार्य दिवस को सामान्य बनाने का प्रावधान है। मौजूदा अधिनियम में ओवरटाइम सहित प्रतिदिन अधिकतम 9-10 घंटे काम करने की परमिशन है, जिसे वर्तमान संशोधन में पूरी तरह से हटा देने का प्रस्ताव रखा गया है। मौजूदा अधिनियम में इस संशोधन का प्रस्ताव लेबर डिपार्टमेंट और उद्योग में विभिन्न हितधारकों के बीच हाल ही में बुलाई गई बैठक में पेश किया गया। इस बैठक में कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीइएस कर्मचारी संघ (केआइटीयू) के प्रतिनिधि भी शामिल हुए और श्रम मंत्री संतोष लाड ने सरकार के इस कदम पर अपनी चिंताएं व्यक्त की।


यूनियन ने जताया विरोध

आईटी सेक्टर की यूनियन ने इस कदम के खिलाफ सार्वजनिक रूप से विरोध जताया है और इसे अमानवीय बताया है, जिसका राज्य में 20 लाख कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। केआईटीयू के महासचिव सुहास अडिगा के मुताबिक, इससे आईटी और आइटीइएस कंपनियों को काम के दैनिक घंटे अनिश्चित काल तक बढ़ाने में कंपनी मालिकों को सुविधा हो जाएगी, यह संशोधन कंपनियों को वर्तमान में मौजूद तीन शिफ्ट सिस्टम के बजाय दो शिफ्ट सिस्टम अपनाने की अनुमति देगा, जिसके चलते एक तिहाई कर्मचारियों को उनके रोजगार से बाहर करने का मौका मिल जाएगा। IT कर्मचारी यूनियन ने ये भी कहा कि बढ़े हुए वर्किंग हॉवर्स के चलते IT कर्मचारियों की सेहत पर भी बुरा असर पड़ेगा। KITU ने प्रेस रिलीज भी इसके लिए जारी किया।


किया दोबार विचार करने का आग्रह

KITU ने प्रेस रिलीज में यह भी कहा गया कि कर्नाटक सरकार अपने कॉर्पोरेट मालिकों को खुश करने की अपनी भूख में, किसी भी व्यक्ति के मौलिक अधिकार, जीने के अधिकार की पूरी तरह से उपेक्षा कर रही है। यह संशोधन दिखा रहा है कि कर्नाटक सरकार कामगारों को मनुष्य मानने के लिए तैयार नहीं है, सरकार का यह प्रयास उनके सोशल और पर्सनल लाइफ से समझौता करने जैसा है। कर्नाटक राज्य आईटी, आईटीइएस कर्मचारी संघ ने सरकार से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि संशोधन के साथ जाने का कोई भी प्रयास कर्नाटक में आईटी, आईटीइएस क्षेत्र में काम करने वाले 2 मिलियन कर्मचारियों के लिए एक खुली चुनौती होगी।

कर्मचारियों से की एकजुट होने की अपील

आगे कहा गया है कि, केआइटीयू सभी आईटी/आईटीइएस क्षेत्र के कर्मचारियों से एकजुट होने और हम पर गुलामी थोपने के इस अमानवीय प्रयास का विरोध करने के लिए आगे आने का आह्वान करता है।साथ ही श्रम मंत्री ने कोई भी निर्णय लेने से पहले एक और दौर की चर्चा करने पर सहमति जताई, लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने कहा कि ये सरकार की पहल नहीं है बल्कि IT और ITES कंपनी के मालिकों के दबाव के चलते ही सरकार को इस बारे में सोचना पड़ रहा है। उन्होंने आग्रह किया कि यूनियन के विरोध की हालत में IT कंपनियों से जुड़ी हस्तियों और उनके मालिकों को यूनियन से बात करने की पहल करनी चाहिए।

डिप्टी सीएम ने कही ये बात

इस पर सरकार की ओर से डिप्टी सीएम डी.के.शिवकुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय प्रावधानों के हिसाब से फैसले लिए जाएंगे और अंतिम फैसले से पहले सभी पक्षों से बात की जाएगी। वहीं, BJP के प्रदेश अध्यक्ष B.Y. विजेन्द्र ने आरोप लगाया कि सरकार सभी पक्षों की राय लिए बिना, एक तरफा फैसला कर रही है जिसके चलते लोगों में नाराजगी है, सरकार को ऐसा कोई फैसला लेने से पहले सभी को विश्वास में लेना होगा।
नंदयाल बलात्कार: चौंकाने वाली बातें आई सामने, तीन बच्चों ने YouTube वीडियो देखकर किया बलात्कार, नाबालिग लड़की को पत्थर से बांधकर नदी में फेंका 

डेस्क: आंध्र प्रदेश के नांदयाल जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई। यहां के पगिडयाला मंडल के मुचुमरी गांव में तीन स्कूली नाबालिग लड़कों ने आठ साल की बच्ची के साथ गैंग रेप किया। इतना ही नहीं बच्ची के साथ गैंगरेप के बाद उसकी निर्मम हत्या भी कर दी गई। घटना रविवार को हुई, लेकिन बुधवार को मामले का खुलासा तब हुआ, जब पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लिया। लड़की तीसरी कक्षा की छात्रा थी, जबकि दो आरोपी (12 साल) छठी कक्षा के छात्र हैं और एक छात्र (13 साल) सातवीं कक्षा का छात्र है। लड़की और आरोपी एक ही स्कूल के थे।

नांदीकोटकुर पुलिस के अनुसार, नाबालिग लड़की के पिता ने रविवार को गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी पास के मुचुमरी पार्क में खेल रही थी लेकिन अचानक लापता हो गई। उन्होंने उसके हर जगह ढूंढा लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। शिकायत के बाद पुलिस ने मुचुमरी में हर जगह तलाश की और स्थानीय लोगों से जानकारी के लिए पूछताछ की, लेकिन लड़की नहीं मिली।

ऐसे आरोपियों तक पहुंची पुलिस

पुलिस ने मौके पर डॉग स्क्वायड को भी कार्रवाई के लिए बुलाया। खोजी कुत्तों के दिए गए सुरागों के जरिए पुलिस को तीन नाबालिग लड़कों तक पहुंचने में मदद मिली। कुत्ता न केवल पुलिस को अपराध स्थल तक ले गया, बल्कि आरोपियों के घरों पर भी रुका।

इस तरह बच्ची को ले गए साथ

शुरुआती जांच के बाद नाबालिग लड़कों को हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ करने पर लड़कों ने कथित तौर पर बच्ची के साथ बलात्कार और हत्या करने की बात कबूल की। आरोपियों ने पुलिस को बताया कि बच्ची की हत्या करने के बाद उन्होंने अपना अपराध छिपाने के लिए शव को सिंचाई नहर में फेंक दिया। तीनों लड़कों ने पुलिस को बताया कि उन्होंने बच्ची को मुचुमरी पार्क के पास खेलते हुए देखा था। 

चूंकि वह उनके स्कूल में पढ़ती थी इसलिए उन्हें चेहरे से पहचानती थी। लड़कों ने उसे अपने साथ खेलने के लिए राजी किया। लुकाछिपी के खेल के बहाने तीनों बच्ची को मुचुमरी सिंचाई परियोजना के पास एक सुनसान जगह पर ले गए। जानकारी के अनुसर यौन अपराध एक मंदिर में हुआ। तीन बच्चों ने YouTube वीडियो देखकर बलात्कार किया। 

रेप के बाद डरे और फिर रची हत्या की साजिश

इस दौरान बच्ची बेसुध हो गई। तीनों डर गए कि अगर बच्ची ने अपने माता-पिता से बलात्कार के बारे में शिकायत की तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है क्योंकि वह उन्हें पहचानती है। अपराध को छुपाने के लिए आरोपी के माता-पिता ने नाबालिग लड़की को पत्थर से बांधकर नदी में फेंक दिया.

तीन दिन तक तलाशती रही पुलिस

घटनास्थल पर कोई मौजूद नहीं था, लेकिन पुलिस ने कहा कि उन्होंने खोजी कुत्ते के दिए गए सुरागों के आधार पर मामले को सुलझा लिया। पिछले तीन दिनों से पुलिस और बच्ची के माता-पिता बच्ची की तलाश कर रहे थे, लेकिन आरोपी अपने नियमित कार्यक्रम में लगे रहे, जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। 

नहर में तलाशी जा रही लाश

पुलिस अभी तक लड़की के शव का पता नहीं लगा पाई है। नहर में पानी का स्तर बहुत गहरा है और यह स्पष्ट नहीं है कि मॉनसून की बारिश के कारण शव बहकर दूर चला गया या नहीं। शव को बाहर निकालने के लिए नहर के किनारे-किनारे तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है।

ट्रेनी IAS पूजा खेडकर की ट्रेनिंग रद्द: ऑफिसर पर नाम बदलने, दिव्यांगता और OBC आरक्षण कोटे का दुरुपयोग और मेडिकल टेस्ट न देने के सहित कई आरोप




डेस्क: विवादों में फंसी महाराष्ट्र कैडर की IAS ऑफिसर पूजा खेडकर की ट्रेनिंग को मंगलवार (16 जुलाई) को रद्द किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें कार्यमुक्त किया है। पूजा खेडकर को वापस उत्तराखंड के मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन एकेडमी बुलाया गया है। उन्हें 23 जुलाई तक रिपोर्ट करने का कहा गया है। जांच पूरा होने तक वे एकेडमी में ही रहेंगी।


इससे पहले पूजा खेडकर की ट्रेनिंग को एक हफ्ते के लिए रोका गया था। पूजा को 15 से 19 जुलाई तक अकोला में आदिवासी विकास परियोजना में प्रशिक्षु के रूप में शामिल होना था, लेकिन वाशिम जिला अधिकारी ने इस पर रोक लगाई थी। पूजा के दिव्यांग और OBC सर्टिफिकेट की पुलिस जांच हो रही है। सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर से भी पूछताछ हुई है।

पूजा की UPSC में गड़बड़ी के मामले और भी खुलासे हुए हैं। सामने आया है कि पूजा ने UPSC के अटेम्प्ट बढ़ाने के लिए अपने नाम और उम्र में बदलाव किया था। सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (CAT) में पूजा की तरफ से लगाए गए 2020 और 2023 के दो आवेदनों में पूजा के अलग-अलग नाम हैं।

पूजा ने 2020 के आवेदन में अपना नाम 'खेडकर पूजा दिलीपराव' और उम्र 30 साल बताई थी। वहीं, 2023 में CAT के आवेदन में उन्होंने अपना नाम 'पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर' और उम्र 31 साल बताई। सवाल उठाया जा रहा है कि तीन साल के अंतराल में उनकी उम्र एक ही साल कैसे बढ़ सकती है।

जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट को 6 बार परीक्षा देने की अनुमति

दरअसल, UPSC में जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट को 32 साल की उम्र तक 6 बार परीक्षा देने की अनुमति होती है। वहीं OBC कैटेगरी का अभ्यर्थी 35 साल तक 9 बार परीक्षा दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक, पूजा ने कुल 11 बार सिविल सर्विसेस की परीक्षा दी हैं।

पूजा पर दिव्यांगता और OBC आरक्षण कोटे का दुरुपयोग करके भारतीय प्रशासनिक सेवा (UPSC) में सिलेक्शन पाने का आरोप है। विवाद बढ़ने के बाद उन्हें पुणे से वाशिम ट्रांसफर कर दिया गया था।

पूजा ने देर रात पुलिस को बुलाया


वाशिम पुलिस ने बताया कि 3 महिला कॉन्स्टेबल सोमवार देर रात पूजा के घर गई थीं। पूजा ने ही पुलिस को फोन कर कहा था कि वह कुछ जानकारी शेयर करना चाहती है। महिला कॉन्स्टेबल रात 11 बजे पूजा के केबिन में गई थीं, वे यहां से 1 बजे लौटीं। हालांकि अभी यह खुलासा नहीं हुआ है कि पूजा और पुलिस के बीच 3 घंटे तक क्या चर्चा हुई।

पूजा ने विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए 2 आवेदन दिए, 1 खारिज हुआ

ट्रेनी IAS ऑफिसर पूजा खेडकर ने दो बार विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। पुणे के औंध अस्पताल ने उनका आवेदन खारिज कर दिया था। औंध अस्पताल ने पूजा के आवेदन के जवाब में कहा, 'आपने 23 अगस्त 2022 को विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। आपकी ओर से बताई गई बीमारी लोकोमोटर विकलांगता की मेडिकल टीम ने 11 अक्टूबर 2022 को जांच की थी।

टीम ने रिपोर्ट के आधार पर आपके दावे को उचित नहीं माना। आपके पक्ष में विकलांगता सर्टिफिकेट जारी करना संभव नहीं है। लोकोमीटर विकलांगता हड्डियों या मांसपेशियों को प्रभावित करती है, जिसके कारण हाथ-पैर के मूवमेंट में परेशानी हो सकती है।' इसके बाद उन्होंने पिंपरी-चिंचवड के गवर्नमेंट अस्पताल में विकलांगता सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया था।

2 हफ्ते में कमेटी रिपोर्ट पेश करेगी


केंद्र ने 11 जुलाई को विवादों में घिरी ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर की उम्मीदवारी को वेरिफाई करने के लिए सिंगल मेंबर कमेटी का गठन किया है। केंद्र ने एक बयान में कहा कि यह जांच एडिशनल सेक्रेटरी रैंक के अफसर कर रहे हैं। इसका मकसद 2023 बैच की अधिकारी खेडकर की उम्मीदवारी के दावों और अन्य डिटेल को वेरिफाई करना होगा। समिति अपनी रिपोर्ट दो हफ्तों में पेश करेगी।

पूजा से जब उनकी जांच के लिए गठित कमेटी के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। पूजा ने कहा, 'मुझे इस पर कुछ भी बोलने का अधिकार नहीं है। मैं कमेटी के सामने अपना पक्ष रखूंगी।'

पूजा ने UPSC को बताया- मानसिक रूप से अक्षम हूं

पूजा ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) को दिए एक हलफनामे में दावा किया है कि वह मानसिक रूप से अक्षम हैं और उन्हें देखने में भी दिक्कत होती है। पूजा ने मेडिकल टेस्ट देने से 6 बार मना किया था, जबकि मेडिकल टेस्ट देना जरूरी होता है।

कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा का पहला मेडिकल टेस्ट दिल्ली AIIMS में अप्रैल 2022 में शेड्यूल हुआ था। उन्होंने कोविड पॉजिटिव होने का हवाला देकर इसमें शामिल होने से मना कर दिया था। हालांकि यह साफ नहीं हुआ है कि जब पूजा ने एग्जाम में शामिल होने से मना कर दिया था तो फिर सिलेक्शन क्यों और कैसे हुआ?


करोड़ों की संपत्ति की मालकिन हैं पूजा


पूजा ने साल 2023 में जॉइनिंग से पहले सरकार को दिए अपनी अचल संपत्ति के ब्योरे में बताया कि उन्होंने 2015 में पुणे के म्हालुंगे में 2 प्लॉट खरीदे। इसमें उन्होंने एक प्लॉट 42 लाख 25 हजार रुपए और दूसरा प्लॉट 43 लाख 50 हजार रुपए में खरीदा। अभी दोनों प्लॉट की मार्केट वैल्यू 6 से 8 करोड़ रुपए के बीच है।

पूजा ने 2018 में पुणे के धनेरी इलाके में 20 लाख 79 हजार रुपए में 4.74 हेक्टेयर जमीन खरीदी। इसकी मौजूदा कीमत 3 से 4 करोड़ रुपए है। पूजा ने 2020 में 44 लाख 90 हजार रुपए में केंधवा में 724 स्क्वायर फीट का एक फ्लैट खरीदा, जिसकी कीमत अभी 75 लाख रुपए है।

जिस ऑडी में घूमती हैं, उस पर 26 हजार का चालान बकाया

पूजा खेडकर की VIP नंबर वाली सफेद रंग की ऑडी कार की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूजा खेडकर अपनी पोस्टिंग के दौरान जिस ऑडी कार पर लाल-नीली बत्ती और महाराष्ट्र सरकार का स्टिकर लगाकर घूमती थीं, उस पर 26 हजार रुपए का जुर्माना बकाया है।

2022 से अब तक तेज गति से गाड़ी चलाने, सिग्नल तोड़ने और पुलिस के पूछने पर रुकने से इनकार करने जैसे ट्रैफिक रूल्स तोड़ने को लेकर ऑडी के 21 चालान पेंडिंग हैं। ऑडी कार एक प्राइवेट इंजीनियरिंग कंपनी के नाम पर रजिस्टर्ड है।

RTO ने इंजीनियरिंग कंपनी को नोटिस जारी किया है। RTO के एक अधिकारी ने 12 जुलाई को बताया कि पुणे RTO ने पुणे स्थित एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को नोटिस जारी किया है, जिसके नाम पर MH-12/AR-7000 नंबर वाली ऑडी रजिस्टर्ड है। नोटिस में कंपनी को जांच के लिए ऑडी कार को तुरंत RTO में पेश करने के लिए कहा गया है।

पूजा की मां फरार, किसानों को पिस्तौल लहराकर धमकाया था

पूजा खेडकर के माता-पिता फरार हैं। पुलिस ने सोमवार (15 जुलाई) को कहा- उनसे संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपना फोन बंद कर दिया है। पुलिस ने कहा- हम बानेर रोड पर स्थित उनके बंगले पर कल और आज दो बार गए थे, वे दोनों बार हमें नहीं मिले। एक बार जब हम उन्हें ढूंढ लेंगे, तो जांच बैठा दी जाएगी और कानूनी कार्रवाई आगे बढ़ाई जाएगी।

दरअसल, पूजा की मां मनोरमा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वे पिस्तौल से किसानों को धमकाती हुई नजर आ रही थीं। घटना पुणे के मुलशी तालुका के धडावली गांव की है, जहां पूजा के पिता दिलीप खेडकर ने जमीन खरीदी थी। पूजा की मां और पिता पर इसी मामले में केस दर्ज है।

दावा- पूजा की मां ने जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की थी

मनोरमा खेडकर के साथ सिक्योरिटी गार्ड्स भी थे। मनोरमा किसानों को डराती-धमकाती नजर आईं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि खेडकर परिवार ने बाउंसर की मदद से पड़ोसी किसानों की जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की और उनको धमकाया। किसान कुलदीप पासलकर ने दावा किया कि मनोरमा जबरदस्ती उनकी जमीन हड़पने की कोशिश कर रही हैं।

वीडियो के वायरल होने के बाद 13 जुलाई को पूजा की मां मनोरमा और पिता दिलीप समेत 7 लोगों के खिलाफ पौड पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था। पुलिस ने बताया कि FIR में आर्म्स एक्ट के चार्ज भी शामिल किए गए हैं।

हालांकि पुणे पुलिस के सुपरिंटेंडेंट पंकज देशमुख ने 12 जुलाई को बताया था कि यह घटना पिछले साल 5 जून धडावली गांव में हुई थी। तब किसानों की तरफ से शिकायत दर्ज कराई गई थी, लेकिन शिकायत में पिस्तौल का जिक्र नहीं था। पुणे पुलिस ने कहा- हम जांच कर रहे हैं कि मनोरमा के पास पिस्तौल का लाइसेंस है या नहीं।

‘हिंदुस्तान में रहना है, या हुसैन कहना है...' यूपी के अमेठी में मुहर्रम के जुलूस में लगे विवादित नारे
डेस्क : उत्तर प्रदेश के अमेठी में मुहर्रम के जुलूस के दौरान आपत्तिजनक नारेबाजी करने का मामला सामने आया है. जिसके बाद विवाद हो गया है. जनपद के मुसाफिरखाना कोतवाली के ठीक सामने रविवार की शाम मोहर्रम के जुलूस में शामिल कुछ युवकों ने आपत्तिजनक नारेबाजी की, जिसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 302 और 35(2) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस मामले की जांच में जुट गई है. इस मामले में अब तक छह को गिरफ्तार किया गया है.इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. वायरल वीडियो में कई युवकों में मुहर्रम के जुलूस में काले कुर्ते में देखा जा सकता है. जिसमें ये युवक विवादित नारेबाजी करते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस घटना के बाद इलाके में तनाव हैं. वहीं पुलिस ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस का कहना है कि वीडियो की जांच की जा रही है. मुहर्रम के जुलूस से पहले विवादित नारेबाजी बताया जा रहा है कि मुहर्रम से पूर्व अमेठी में रविवार की शाम को मुसाफिरखाना तहसील एवं कस्बे में मुस्लिम समुदाय के युवकों द्वारा जुलूस निकाला गया था. इस जुलूस में अमेठी पुलिस के जवान भी मौजूद थे. जैसे ही मुसाफिरखाना कोतवाली के सामने जुलूस पहुंचा जुलूस में मौजूद युवकों के द्वारा आपत्तिजनक नारेबाजी की जाने लगी.पुलिस ने विवादित नारेबाजी करने के आरोप में अब तक 6 लड़कों को गिरफ्तार भी किया गया है. पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है. पुलिस के अनुसार वीडियो में दिख रहे और गिरफ्तार किए गए ज्यादातर बच्चे नाबालिग हैं. उनसे पूछताछ की जा रही हैं. इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसके बाद हंगामा मच गया है. मौनी जी महाराज ने की कार्रवाई की मांग वहीं स्वामी परमहंस आश्रम सगरा बाबूगंज के पीठाधीश्वर मौनी जी महाराज ने इस मामले को सज्ञान में लेने और कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि कोतवाली मुसाफिरखाना के सामने मुख्य मार्ग पर धमकीदार नारे लगाए जाते रहे. ऐसी स्थिति में पूरे समाज में अत्यंत भय उत्पन्न हो रहा है. मैं माननीय मुख्यमंत्री जी और जिला प्रशासन से तत्काल कार्यवाही की मांग करता हूं. इस तरह से आतंकवादी सोच के लोगों का संगठन हिंदुस्तान के लोगों पर अपनी छाप डालता जा रहा है. इनकी जड़ें पाकिस्तान तक फैली है, यह हिंदुस्तान में रहकर इस तरह की सांप्रदायिक दंगे की शुरुआत करना चाहते हैं.