नवादा :- अस्पताल है या कबाड़खाना... मंगल पांडेय जी कभी नवादा सदर अस्पताल आइए, यहां कैसे त्राहिमाम करते हैं मरीज।
नवादा जिले का सदर अस्पताल बदहाल है। यहां मरीजों के लिए सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। ना बेड है, ना दवाई, गंदगी तो इतनी कि इसे केवल वहां जाकर ही समझा जा सकता है। उमस भरी गर्मी में मरीजों के लिए ठीक ठाक पंखा तक नहीं है। मरीज त्राहिमाम कर रहे हैं।
सदर अस्पताल कुव्यवस्था को लेकर सुर्खियों में है। आलम यह है कि जिले के प्रभारी मंत्री से लेकर विधायक तक अस्पताल का दौरा किया । दौरे के दौरान मंत्री के पसीने तक छूट गए। लेकिन सुधार के बजाय अस्पताल की व्यवस्था और चौपट होती जा रही है। बिजली की बेहतर व्यवस्था नहीं रहने से मरीज गर्मी से त्राहिमाम कर रहे है।
पंखा चलता है लेकिन हवा नहीं है। मरीजों के परिजनों को अपने घर से हाथ पंखा लेकर आना पड़ रहा है। सदर अस्पताल लूट का अड्डा बन गया है। विकास के नाम पर लूट हो रही हैं, जांच करने वाला कोई नहीं है। सवाल तो स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर भी खड़ा होता है कि इस अस्पताल की व्यवस्था कब दुरुस्त की जाएगी। सदर अस्पताल जिले का सबसे बड़ा स्वास्थ्य केंद्र है।
यहां की व्यवस्था पूरी तरह चौपट है। स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने की बात की जाती है, लेकिन वास्तविकता कोसों दूर है। यहां कोई किसी का सुनने वाला नहीं हैं। पानी की समस्या, बेड पर गंदी चादरें, अस्पताल की टूटी बेड, बेकार हो चुके पंखे ऐसे तमाम समस्याओं से लोग परेशान हैं। व्यवस्था पूरी तरह लचर हो चुकी है। इमरजेंसी वार्ड को पूरी तरह दवाई के खाली डिब्बों से भर दिया गया है।
ऐसा लगता है कि इसे कबाड़खाना बना दिया गया है। सर्जिकल वार्ड टूटे फूटे सामानों से भरा पड़ा है। इमरजेंसी वार्ड का बेड टूट चुका है। टूटे बेड पर मरीज का इलाज हो रहा है। आलम यह कि अस्पताल में 20 मिनट भी सर्जिकल वार्ड में मंत्री खड़े भी नहीं हो सके और पसीना छूटने लगा। अस्पताल के कोने-कोने में समस्या ही समस्या है, लेकिन इसका हल नहीं हो पा रहा है।
नवादा से राकेश कुमार चंदन की रिपोर्ट!
Jul 20 2024, 12:39