अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस विशेष: विश्व में क्रिया योग का प्रचार प्रसार करने वाले योगजनक परमहंस योगानंद का जाने इतिहास, कहा हुआ था जन्म
गोरखपुर। 21 जून को पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से बड़े ही हर्सोउल्लास के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष भी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को लेकर विभिन्न प्रकार की तैयारी की गई. दैनिक जीवन में योग क्रिया को अपनाकर हम अपने आप को निरोग रख सकते हैं।
योग के जनक कहे जाने वाले परमहंस योगानंद बीसवी सदी के एक आध्यात्मिक गुरु, योगी और संत के रूप में जाने जाते थे. उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग उपदेश दिया था और पूरे विश्व में उसका प्रचार प्रसार किया. यूरोपीय देशों में योगानंद परमहंस की पूजा भी की जाती है. उनके हजारों लाखों की संख्या में अनुयायी है. उन्होंने अपने जीवन काल में कई ऐसे कार्य किए जिन्हें इतिहास के पन्नों में संजो कर रखा गया है।
परमहंस योगानंद का जन्म मुकुंद लाल घोष के रूप में 5 जनवरी 1893 में गोरखपुर जिले के कोतवाली थाना क्षेत्र के पास स्थित एक मकान में हुआ था. योगानंद के पिता भगवती चरण घोष बंगाल नागपुर रेलवे में उपाध्यक्ष के समकक्ष पद पर कार्यरत थे. योगानंद अपने माता-पिता की चौथी संतान थे. उनके माता-पिता क्रिया योगी लाहिड़ी महाशय के शिष्य बताए जाते हैं. सन 1920 में उन्होंने अमेरिका के लिए प्रस्थान किया उन्होंने अपने अनुयायियों को क्रिया योग उपदेश दिया तथा पूरे विश्व में उसका प्रचार व प्रसार किया।
योगानंद के अनुसार क्रिया योग ईश्वर से साक्षात्कार की एक प्रभावी विधि है. इसके पालन से अपने जीवन को संवारा और ईश्वर की ओर अग्रसर किया जा सकता है. योगानंद प्रथम भारतीय गुरु माने जाते हैं. जिन्होंने अपने जीवन के कार्य को पश्चिम में किया. उन्होंने सम्पूर्ण अमेरिका में अनेक यात्राएं की. अपना जीवन व्याख्यान देने, लेखन तथा निरंतर विश्व व्यापी कार्य को दिशा देने में लगाया. अमेरिका सहित अन्य यूरोपीय देशों में उन्होंने युद्ध स्तर पर योग का प्रचार प्रसार किया. उनकी उत्कृष्ट आध्यात्मिक कृति योगी कथामृत की लाखों प्रतियां बिकीं. वह सर्वाधिक बिकने वाली आध्यात्मिक आत्मकथा रही है।
Jun 20 2024, 11:49