बीएमसी मुख्यालय सहित मुंबई के 50 अस्पतालों को बम से उड़ाने की धमकी, नागपुर एयरपोर्ट को भी मिली धमकी*
#bomb_threat_to_more_than_50_hospitals_in_mumbai
मुंबई के 50 से ज्यादा अस्पतालों को धमकी भरा मेल मिला है। एक अज्ञात शख्स द्वारा मंगलवार को ई-मेल आईडी पर धमकी भरे मेल भेजे गए। धमकी भरा ई-मेल मिलने के बाद बीएमसी अधिकारियों और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। पुलिस के मुताबिक ईमेल Beeble.com नाम की एक वेबसाइट से भेजे गए हैं। धमकी के बाद पुलिस ने बीएमसी मुख्यालय सहित अस्पतालों में सर्च अभियान चलाया, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। इससे पहले देश के 41 हवाई अड्डों को बम से उड़ाने की धमकी मिली थी, ये फर्जी निकलीं। मुंबई पुलिस ने पुष्टि की कि धमकी भरे ईमेल वीपीएन नेटवर्क का उपयोग करके भेजे गए थे। पुलिस ने बताया ईमेल भेजने वाले ने दावा किया है कि अस्पतालों में बिस्तरों के नीचे और बाथरूम में बम लगाए गए हैं। मेल भेजने वाले की पहचान और धमकी का मकसद अभी तक पता नहीं चल पाया है। पुलिस ने कहा कि भेजने वाले की पहचान और धमकी का मकसद अभी तक पता नहीं चल पाया है। मुंबई पुलिस की इस मामले में आगे की जांच जारी है। इससे पहले नागपुर एयरपोर्ट को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई। इसका ई-मेल नागपुर एयरपोर्ट के अधिकारियों को मिला। इसके बाद तुरंत गहन सुरक्षा जांच की गई, लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला। अधिकारियों ने बताया कि धमकी भरे मेल के मद्देनजर एयरपोर्ट की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस मामले में एक पुलिस अधिकारी ने बताया अगले 24 घंटों के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। उन्होंने ने ये भी बताया कि इस साल अप्रैल में भी नागपुर एयरपोर्ट के अधिकारियों को इसी तरह का बम की धमकी वाला ई-मेल मिला था।
A group of people from the Jain community in Delhi's Chandni Chowk saved more than 100 goats on Bakrid.

They paid Rs 11 lakh from their own pocket ⚡

All goats will be taken to a farm where they will live the rest of their lives in peace.

The emotional video is viral & getting lot of love from social media users.
यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

#european_union_right_wing

अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

यूरोपीय यूनियन चुनाव में राष्ट्रवादी दलों का दबदबा, जिन मुद्दों ने दिलाई जीत, क्या उनसे लोगों को मिलेगा निजात?

#european_union_right_wing

अगर आप यूरोप पर एक नज़र घुमा कर देखें, चाहे वो उत्तर, दक्षिण, पूर्व हो या पश्चिम- आप अलग-अलग किस्म की धुर-दक्षिणपंथी पार्टियां देख सकते हैं। जिनका हाल के सालों में अच्छा ख़ासा उभार हुआ है। हालांकि, सच्चाई यह है कि 1980 के दशक से ही वे कुछ रुकावटों के साथ कमोबेश लगातार बढ़ रहे हैं। वे वास्तव में अब परिदृश्य का हिस्सा बन चुके हैं। हाल के यूरोपीय संसद चुनावों में, दक्षिणपंथी एवं धुर-दक्षिणपंथी पार्टियों को बढ़त मिली, जबकि वामपंथी तथा उदारवादी पार्टियों को नुकसान का सामना करना पड़ा।

लगभग 25 साल पहले ऑस्ट्रिया में ही जब दक्षिणपंथी दल जीतकर आया, तो पूरा यूरोप नाराज हो उठा था। डिप्लोमेटिक रिश्ते तक तोड़ने की धमकियां दी गई थीं। अब ऑस्ट्रिया समेत फ्रांस और जर्मनी जैसे बड़े देशों में भी राइट विंग की तरफ रुझान बढ़ा है। इस बार यूरोपियन संसद के लिए 27 देशों में हुए चुनाव में दक्षिणपंथी मानी जाती पार्टियों को पहली बार भारी वोट मिले हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की धुर दक्षिणपंथी पार्टी ब्रदर्स ऑफ इटली ईयू चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि यूरोप में पिछले कुछ समय से जैसे-जैसे शरणार्थियों द्वारा वहां के नागरिकों के प्रति अपराध और हिंसा बढ़ी है, वैसे-वैसे राष्ट्रवादी दलों का उभार भी हुआ है। यूरोप की बिगड़ी आर्थिक स्थिति और बढ़ते हुए आप्रवासन के कारण इन पार्टियों के सितारे बुलंद हुए हैं। पेरिस में एक राजनीतिक समीक्षक क्रिस्टोफ गिले कहते हैं, “इन दलों की सफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण ये है कि कुछ साल पहले अमरीका की आर्थिक स्थिति यूरोप से कहीं ज़्यादा बदतर थी। लेकिन अब जहां अमरीका की हालत काफ़ी सुधर गई है, वहीं यूरोप बहुत मुश्किल दौर में हैं और फ्रांस की बेरोज़गारी अब रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गई है।”

ऐसा कई वर्षों से कहा जा रहा था कि यूरोप में कथित उदार राजनीति के दिन लद गए हैं, क्योंकि मानवता के नाम पर बुलाए गए शरणार्थियों ने देश की पहचान के साथ खिलवाड़ करना आरंभ कर दिया था। अस्सी के दशक के दौरान ईरान के धार्मिक नेताओं ने इस्लामिक जागरण की बात शुरू कर दी। वे अपील करते कि यूरोप जाकर खुद को यूरोपियन रंग-रूप में ढालने की बजाए मुसलमान खुद को मुस्लिम बनाए रखें। यहीं से सब बदलने लगा। मुस्लिम अपनी मजहबी पहचान को लेकर कट्टर होने लगे। पहले जो लोग फ्रांस या जर्मनी में आम लोगों के बीच घुलमिल रहे थे, वे एकदम से अलग होने लगे। इसके साथ ही उनकी बढ़ती आबादी भी यूरोप को अचानक दिखी।

प्यू रिसर्च सेंटर की मानें तो यूरोप में जितने भी शरणार्थी हैं, उनमें 86% मुसलमान हैं। यूरोप की कुल आबादी का 5% हिस्सा उनसे है। सबसे ज्यादा 9% लोग फ्रांस में जिसके बाद जर्मनी और स्वीडन का नंबर आता है। यूरोपियन यूनियन के तहत आने वाले साइप्रस में कुल आबादी का करीब 26 फीसदी मुस्लिम ही हैं। प्यू का ही डेटा कहता है कि साल 2050 से पहले ही यूरोप की पॉपुलेशन में 14% लोग शरणार्थी मुस्लिम होंगे। अगर ऐसा हुआ तो स्थानीय लोगों को अपने रिसोर्स बांटने होंगे। घर से लेकर नौकरियां बटेंगी।

यूरोप में फिलहाल सबसे ज्यादा गुस्सा शरणार्थियों को लेकर ही है। लोगों का मानना है कि सरकार अपनी इमेज के लिए मुस्लिम देशों के रिफ्यूजियों को आने दे रही है। इससे उनपर टैक्स का भी बोझ बढ़ा, साथ ही हिंसा की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। फ्रांस में बीते साल हिंसा और जबर्दस्त आगजनी हुई, जिसके पीछे शरणार्थियों का हाथ माना गया। जर्मनी और स्कैंडिनेविया में भी कुछ पार्टियां ऐसे आरोप लगा रही हैं।

इतने बड़े आप्रवासन से यूरोप का सामाजिक संतुलन बिगड़ गया है और इस बात को धुर दक्षिणपंथी पार्टियों ने एक राजनीतिक मुद्दा बनाया है और यूरोपीय नागरिकों में एक तरह से डर पैदा किया है। लंबे समय से आप्रवासन, इस्लाम और यूरोपीय संघ का विरोध ही यूरोप की दक्षिणपंथी पार्टियों को एकजुट करता रहा है। अब नए कारण भी सामने आए हैं: सांस्कृतिक युद्ध, अल्पसंख्यक अधिकार, जलवायु संकट और अनुचित बलिदान, जिनके बारे में सरकारें जोर देती हैं कि इससे निपटने के लिए इनकी आवश्यकता होगी।

सोनाक्षी सिन्हा ने की गर्ल गैंग के साथ धमाकेदार अंदाज में बैचलर पार्टी, जहीर ने भी बॉयज गैंग संग उड़ाया गर्दा

बाॅलीवुड एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा लंबे समय से जहीर इकबाल को डेट कर रही हैं। वहीं अब दोनों एक दूसरे के होने जा रहे हैं। हां, वो बात अलग है कि अब तक इन खबरों पर न तो सोनाक्षी ने कुछ खुलकर कहा है और नहीं सिन्हा परिवार ने। हालांकि शादी का कार्ड वायरल होने के बाद सब साफ हो गया। यही नहीं, पूनम ढिल्लों और हनी सिंह ने भी कार्ड मिलने के बाद खुलकर दोनों को बधाई दी, जिससे ये कन्फर्म हो गया कि दोनों शादी कर रहे हैं। वहीं शादी से पहले बीती रात कपल ने अपनी बैचलर पार्टी का जश्न मनाया। जहां एक तरफ सोनाक्षी अपनी गर्ल गैंग के साथ मस्ती करती नजर आईं तो वहीं दूसरी तरफ जहीर ने भी बॉयज गैंग के साथ खूब धूम मचाया। देखिए उनकी बैचलर पार्टी की झलक।

सोनाक्षी ने दिखाई बैचलर पार्टी की झलक

सोनाक्षी ने इंस्टा स्टोरी पर अपनी क्लोज फ्रेंड और एक्ट्रेस हुमा कुरेशी के साथ पार्टी बैचलर पार्टी की कुछ झलकियां शेयर की हैं, जिसमें वह अपनी गर्ल स्क्वॉड के साथ मस्ती करती हुई नजर आ रही हैं। इस दौरान होने वाली ब्राइड ब्लैक आउटफिट में बेहद खूबसूरत लग रही हैं। अपनी एक सोलो तस्वीर को शेयर करते हुए सोनाक्षी ने कैप्शन में लिखा- '17.06.2024., वहीं एक अन्य तस्वीर में वह अपनी गर्ल गैंग के साथ पोज दे रही हैं। हालांकि ये तस्वीरें सोनाक्षी की बैचलर पार्टी की हैं या किसी और पार्टी कि फिलहाल ये कहना मुश्किल है। लेकिन इन तस्वीरों को देखकर फैंस यही कयास लगा रहे हैं कि ये तस्वीरें उनके बैचलर पार्टी की है। 

बॉयज गैंग संग जहीर 

वहीं सोनाक्षी के अलावा उनके होने वाले दूल्हे मियां जहीर इकबाल ने भी बीती रात अपने दोस्तों संग जमकर पार्टी की है। उन्होंने भी अपने इंस्टा पर बॉयज गैंग संग तस्वीरें शेयर कर पार्टी की झलक फैंस को दिखाई है। इस दौरान जहीर अपने दोस्तों संग जमकर मस्ती भरे अंदाज में नजर आ रहे हैं। वहीं उनके तेहरे की खुशी भी काफी कुछ बया कर रही है। 

बता दें कि जहीर इकबाल एक बिजनेसमैन फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता इकबाल रतांसी एक जाने-माने ज्वेलर और बिजनेसमैन हैं। जहीर के फिल्मी करियर की बात करे तो उन्होंने साल 2019 में फिल्म 'नोटबुक' से डेब्यू किया था। पहली बार सोनाक्षी ने जहीर के साथ फिल्म 'डबल एक्सल' में काम किया था। हालांकि दोनों की पहली मुलाकात सलमान खान की एक पार्टी में हुई थी। जिसके बाद पहले दोनों के बीच दोस्ती हुई और फिर इन्हें एक दूसरे से प्यार हो गया। हालांकि इस कपल ने हमेशा अपने रिश्ते को काफी प्राइवेट रखा है लेकिन इनकी पब्लिक अपीयरेंस और सोशल मीडिया पोस्ट इनकी लव स्टोरी बयां करती रही हैं। वहीं लंबे समय तक डेटिंग करने के बाद फाइनली ये कपल अब शादी के बंधन में बंधने के लिए तैयार है।

जहीर इकबाल और बहन सोनाक्षी सिन्हा ने की बैचलर पार्टी, उधर वायरल हुआ भाई लव सिन्हा का क्रिप्टिक पोस्ट

हाल ही में जहीर की बेचलर पार्टी से भी तस्वीरें सामने आई थीं। सोनाक्षी ने भी अपनी गर्ल गैंग के साथ जबरदस्त पार्टी की, जिसकी फोटोज एक्ट्रेस ने अपनी इंस्टाग्राम पर भी शेयर कीं।

अभिनेता-राजनेता शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी और बॉलीवुड अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा इन दिनों अपनी शादी को लेकर खबरों में बनी हुई हैं। सोनाक्षी जल्दी ही अपने लॉन्ग टाइम बॉयफ्रेंड जहीर इकबाल के साथ शादी के बंधन में बंधने वाली हैं। चर्चा है कि अभिनेत्री 23 जून को जहीर इकबाल से शादी करेंगी, वह भी पूरे सात साल की डेटिंग के बाद। जी हां, सोनाक्षी और जहीर एक-दूसरे को सात सालों से डेट कर रहे हैं और अब दोनों शादी के बंधन में बंधने के लिए तैयार हैं। हाल ही में जहीर की बेचलर पार्टी से भी तस्वीरें सामने आई थीं। यही नहीं सोनाक्षी ने भी अपनी गर्ल गैंग के साथ जबरदस्त पार्टी की, जिसकी फोटोज एक्ट्रेस ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर भी शेयर कीं। इन तस्वीरों में सोनाक्षी के साथ उनकी फ्रेंड और अभिनेत्री हुमा कुरैशी भी दिखाई दे रही हैं।

सोनाक्षी सिन्हा को इंस्टाग्राम पर फॉलो नहीं करते भाई लव सिन्हा

सोनाक्षी के भाई लव सिन्हा ने अपने ऑफिशियल इंस्टाग्राम हैंडल पर बाकू की अपनी वेकेशन की एक पुरानी तस्वीर साझा की है। जिसके साथ कुछ ऐसा लिखा है, जिसे लेकर लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि लव इस शादी को लेकर शायद खुश नहीं हैं। हैरान करे वाली बात तो ये है कि इस आर्टिकल को लिखे जाने तक लव सोनाक्षी को इंस्टाग्राम पर अपनी बहन फॉलो भी नहीं कर रहे थे।

लव सिन्हा ने इंस्टाग्राम पर अपनी बाकू वेकेशन की तस्वीर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा- 'समय के साथ समस्या यह है कि हमारे पास यह कभी भी पर्याप्त नहीं होता।' इसके साथ लव ने मेमोरीज, थ्रोबैक और बाकू जैसे हैशटैग इस्तेमाल किए हैं। इस बीच सोनाक्षी की बेचलर पार्टी की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं। सोनाक्षी सिन्हा ने खुद अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर कुछ तस्वीरें शेयर की हैं, जिनमें वह अपनी गर्ल गैंग के साथ दिखाई दे रही हैं। तस्वीरों में सोनाक्षी और उनका गर्ल स्क्वाड ब्लैक लुक में दिखाई दे रहा है।

बता दें, पिछले दिनों सोनाक्षी का एक ऑडियो इनवाइट भी चर्चा में था, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा था। इस ऑडियो इनवाइट में सोनाक्षी और जहीर को अपनी शादी के लिए गेस्ट को इनवाइट करते हुए सुना जा सकता है। दूसरी तरफ पिछले दिनों ही शत्रुघ्न सिन्हा ने बेटी की शादी पर रिएक्शन दिया था और कहा था कि 'मेरे आस-पास के लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि मुझे इसकी जानकारी क्यों नहीं है, जबकि मीडिया को है। मैं बस इतना कहना चाहता हूं कि आज-कल के बच्चे मां-बाप का कंसेंट नहीं लेते, सिर्फ उन्हें जानकारी देते हैं और हम भी बताए जाने का इंतजार कर रहे हैं।' शत्रुघ्न सिन्हा के इस बयान की हर तरफ खूब चर्चा थी।

अलका याग्निक को न्यूरो डिजीज, सुनाई देना बन्द हुआ: सोशल मीडिया पर जानकारी दी, फैंस से बोलीं- तेज म्यूजिक से दूर रहें

 प्लेबैक सिंगर अलका याग्निक को रेयर न्यूरो डिसीज हो जाने से सुन नहीं पा रही हैं। सिंगर ने हाल ही में एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इसका जिक्र किया। बताया कि वो बीते काफी वक्त से इनएक्टिव क्यों हैं। अलका ने अपनी समस्या के बारे में जानकारी देते हुए फैंस और साथी कलाकारों को तेज (लाउड) म्यूजिक से दूर रहने की सलाह दी है।

17 जून काे अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट शेयर करते हुए अलका ने लिखा, ‘मेरे सभी फैंस, दोस्तों, फॉलोअर्स और शुभचिंतकों के लिए। कुछ हफ्ते पहले मैं एक फ्लाइट से उतरी तो मुझे महसूस हुआ कि मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा है। इस घटना के कई हफ्तों बाद थोड़ी हिम्मत जुटाकर अब मैं अपने दोस्तों और शुभचिंतकों को इस बारे में बता रही हूं, जो मुझसे लगातार पूछ रहे हैं कि मैं कहां गायब हूं।'

सिंगर ने लिखा, ‘मेरे डॉक्टर्स ने एक रेयर सेंसरी नर्व हियरिंग लॉस डायग्नोज किया है, जो मुझे एक वायरल अटैक की वजह से हुआ है। अचानक से हुई इस घटना ने मुझे शॉक कर दिया है। मैं खुद इसे स्वीकार करने की कोशिश कर रही हूं और चाहती हूं कि इस बीच आप सभी मुझे अपनी दुआओं में याद रखें।’

‘उम्मीद है जीवन फिर से पटरी पर आएगा’

पोस्ट के अंत में अलका ने लाेगों को लाउड म्यूजिक ना सुनने की और हेडफोन्स का कम इस्तेमाल करने की सलाह दी है।

सिंगर ने लिखा, ‘किसी दिन मैं अपनी प्रोफेशनल लाइफ से, हेल्थ को होने वाले नुकसान पर बात जरूर करूंगी। आप सबके प्यार और सपोर्ट से, मैं फिर से अपना जीवन पटरी पर लाने की उम्मीद करती हूं।

जल्द ही फिर आपके सामने आने की कामना करती हूं। इस नाजुक मौके पर आपका सपोर्ट और अंडरस्टैंडिंग मेरे लिए बहुत मायने रखती है।’ अलका की पोस्ट पर सोनू निगम, इला अरुण और एक्ट्रेस पूनम ढिल्लन ने कमेंट किए हैं। अलका की पोस्ट पर सोनू निगम, इला अरुण और एक्ट्रेस पूनम ढिल्लन ने कमेंट किए हैं।

कई मशहूर सिंगर्स ने की जल्द ठीक होने की कामना

अलका की इस पोस्ट मशहूर प्लेबैक सिंगर सोनू निगम ने कमेंट किया। उन्होंने लिखा, 'मुझे पता था कि कुछ गलत हुआ। मैं जल्द ही वापस आकर आपसे मिलूंगा। आपके जल्द रिकवर होने की कामना करता हूं।'

वहीं सिंगर इला अरुण ने लिखा, 'यह सुनकर बहुत बुरा लग रहा है। प्यारी अलका मैंने पहले सिर्फ फोटो देखकर 'ब्यूटीफुल' कमेंट कर दिया था पर फिर मैंने कैप्शन पढ़ा तो बहुत दुख हुआ। दुआ करती हूं कि आप जल्द ठीक हो जाएं।'

दो बार जीता बेस्ट सिंगर का नेशनल अवाॅर्ड

58 वर्षीय अलका याग्निक बॉलीवुड की मशहूर प्लेबैक सिंगर्स में से एक हैं। 25 से ज्यादा भाषाओं में 21 हजार से ज्यादा गाने रिकॉर्ड कर चुकीं अलका ने 2 नेशनल अवॉर्ड और 7 फिल्मफेयर अवॉर्ड अपने नाम किए हैं। 2022 में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने उन्हें दुनिया भर में सबसे ज्यादा स्ट्रीम किया जाने वाला आर्टिस्ट माना था।

अलका ने 1980 में रिलीज हुई फिल्म ‘पायल की झंकार’ से बतौर प्लेबैक सिंगर डेब्यू किया था। उन्होंने 2024 में रिलीज हुई ‘क्रू’ और ‘अमर सिंह चमकीला’ जैसी फिल्मों के लिए भी गाने गाए हैं।

सिक्किम में आसमान से बरस रही “आफत”, बारिश और लैंडस्लाइड से बुरा हाल, 2000 टूरिस्ट्स फंसे*
#heavy_rain_in_sikkim_2000_tourist_stuck
एक तरफ दिल्ली-एनसीआर समेत उत्‍तर और पूर्वी भारत के कई राज्यों में लोग गर्मी से बेहाल हो रहे हैं। पारा है की कम होने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में लोग बादल के बरसने की दा कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर, सिक्किम में लगातार बारिश और लैंडस्लाइड हो रही है जिससे हालात राज्य के हालात बिगड़े हुए हैं। उत्तरी सिक्किम में तबाही मची है यहां पर अब भी 2000 पर्यटक फंसे हुए हैं। बता दें कि दक्षिण भारत और पूर्वोत्‍तर में एक साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून एक्टिव हुआ था। सालों के बाद ऐसा हुआ है, जब देश के दो अलग-अलग हिस्‍सों में मानसून साथ में सक्रिय हुआ है। मानसून के एक्टिव होने के बाद से पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों में लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने फिलहाल वेदर में किसी तरह का बदलाव न आने का पूर्वानुमान जारी किया है। लगातार तेज बारिश की वजह से सिक्किम में कई जगहों पर सड़कें पानी के तेज बहाव या फिर लैंडस्‍लाइड में तबाह हो चुकी हैं।मूसलाधार बारिश की वजह से मंगन से लाचुंग तर कई जगहों पर लैंडस्लाइड हुआ है जिससे सड़क परिवाहन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।फिलहाल सिक्किम प्रशासन की तरफ से पर्यटकों को निकालने की कोशिश चल रही है। यही नहीं पर्यटकों को निकालने के लिए हेलिकॉप्टर भी तैयार है परंतु खराब मौसम के वजह से एयरलिफ्ट करना संभव नहीं हो पा रहा।बीते दिन करीब 50 पर्यटकों को किसी तरह से अस्थायी मार्गों से रेस्क्यू किया गया और गंगटोक ले जाया गया था। मूसलाधार बारिश का ये सिला है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 10 फिर से ध्वस्त हो गया तो जिससे सिक्किम का पश्चिम बंगाल से संपर्क टूट गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर वलुखोला और लिखुवीर इलाकों में बड़ी चट्टानें गिर गईं हैं, जिससे सड़क यातायात के लिए पूरी तरह से ठप हो गया है। लेकिन जिला प्रशासन तेजी से सड़क को सामान्य करने में जुट गया है।ऐसे हालात बने हुए हैं कि उत्तरी सिक्किम में प्रभावित इलाकों में राहत सामाग्री भी ठीक से नहीं पहुंच पा रही। मौसम इस हद तक खराब है कि हवाई सेवाएं भी ठप पड़ गई हैं। ऐसे में फंसे हुए पर्यटकों को निकालाने के लिए एयर फोर्स की मदद मांगी गई है। हालांकि, खराब मौसम को देखते हुए एयर फोर्स भी रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन चलाने में असमर्थ है। वायुसेना को भी मौसम में सुधार आने का इंतजार है।
राष्ट्रपति बिडेन करेंगे 'रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट' पर हस्ताक्षर: धर्मशाला में अमेरिकी प्रतिनिधि मैककॉल

मंगलवार को अमेरिकी सदन की विदेश मामलों की समिति के रिपब्लिकन अध्यक्ष माइकल मैककॉल धर्मशाला की महत्वपूर्ण यात्रा की शुरुआत की, वे अमेरिका से एक द्विदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, उन्होंने राष्ट्रपति बिडेन के रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट पर हस्ताक्षर करने के इरादे की पुष्टि की, जिसे पिछले सप्ताह कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था।

पूर्व सदन अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी सहित अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल आज धर्मशाला में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मिलने के लिए कांगड़ा हवाई अड्डे पर पहुंचा। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के अधिकारियों ने अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। रिज़ॉल्व तिब्बत एक्ट बीजिंग से चीन के साथ अपने शासन विवाद के शांतिपूर्ण समाधान के लिए तिब्बती नेताओं के साथ फिर से जुड़ने का आग्रह करता है।

मैककॉल ने बुधवार को दलाई लामा के साथ बैठक के बारे में उत्साह व्यक्त किया, और कांग्रेस द्वारा पारित विधेयक के महत्व पर जोर दिया। मैककॉल ने कहा, "हम कल परम पावन को कई चीजों के बारे में बात करते हुए देखने के लिए बहुत उत्साहित हैं, जिसमें कांग्रेस से पारित विधेयक भी शामिल है, जो मूल रूप से कहता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका तिब्बत के लोगों के साथ खड़ा है।" यह पूछे जाने पर कि क्या राष्ट्रपति बिडेन विधेयक पर हस्ताक्षर करेंगे, मैककॉल ने पुष्टि की, "हां, वे करेंगे।

पेलोसी ने कहा, "यहां आना बहुत रोमांचक है," उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए कहा कि वे तिब्बत अधिनियम का समर्थन करेंगे और दलाई लामा से मिलेंगे। अमेरिकी प्रतिनिधि मैरिएनेट मिलर-मीक्स ने प्रतिनिधिमंडल की भावना को दोहराया, संकल्प को मजबूत करने और दलाई लामा से मिलने के उनके उद्देश्य पर जोर दिया। मीक्स ने कहा, "मैं परम पावन से मिलने के लिए बहुत उत्साहित हूं, यह दिखाने के लिए कि अमेरिका उनके साथ है।"

इस बीच, कांग्रेसी ग्रेगरी मीक्स ने भी परम पावन से मिलने की अपनी प्रत्याशा व्यक्त की, और उनके साथ अमेरिका की एकजुटता पर जोर दिया। रेडियो फ्री एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, इस सप्ताह की शुरुआत में, अमेरिकी कांग्रेस ने एक विधेयक पारित किया, जिसमें बीजिंग से तिब्बत की स्थिति और शासन पर अपने विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने के लिए दलाई लामा और अन्य तिब्बती नेताओं के साथ फिर से जुड़ने का आग्रह किया गया।

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा ने तिब्बत-चीन विवाद अधिनियम के समाधान को बढ़ावा देने वाले विधेयक को पारित कर दिया है, जिसे रिज़ॉल्व तिब्बत अधिनियम के रूप में भी जाना जाता है, और अब यह कानून बनने के लिए राष्ट्रपति बिडेन के हस्ताक्षर के लिए भेजा जाएगा। यह विधेयक बीजिंग के इस रुख को खारिज करता है कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का हिस्सा रहा है और चीन से “तिब्बत के इतिहास, तिब्बती लोगों और दलाई लामा सहित तिब्बती संस्थानों के बारे में गलत सूचना का प्रचार बंद करने” का आग्रह करता है।

इसने चीन से दलाई लामा और अन्य तिब्बती नेताओं के साथ तिब्बत पर शासन करने के तरीके के बारे में बातचीत शुरू करने का भी आग्रह किया। 2010 के बाद से दोनों पक्षों के बीच कोई औपचारिक वार्ता नहीं हुई है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल में प्रतिनिधि मैककॉल, प्रतिनिधि पेलोसी, स्पीकर एमेरिटा, प्रतिनिधि मैरिएनेट मिलर-मीक्स, प्रतिनिधि ग्रेगरी मीक्स, सदन की विदेश मामलों की समिति के रैंकिंग सदस्य, प्रतिनिधि निकोल मैलियोटाकिस, प्रतिनिधि जिम मैकगवर्न और प्रतिनिधि अमी बेरा शामिल हैं।

दलाई लामा के कार्यालय ने 3 जून को एक बयान में कहा कि उनका चिकित्सा उपचार के लिए अमेरिका जाने का भी कार्यक्रम है। बयान के अनुसार, 20 जून के बाद से अगली सूचना तक कोई कार्यक्रम निर्धारित नहीं किया जाएगा।

बांदीपुरा मुठभेड़: कश्मीर में मारा गया आतंकवादी 2018 से था सक्रिय

जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा जिले में सोमवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए आतंकवादी की पहचान लश्कर-ए-तैयबा के ए श्रेणी के आतंकवादी उमर लोन के रूप में हुई है, जो 2018 से सक्रिय था। सेना की 3 सेक्टर राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) के मानसबल स्थित मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कमांडेंट ब्रिगेडियर विपुल त्यागी ने मंगलवार को कहा कि उत्तरी कश्मीर जिले के अरागाम इलाके में आतंकवादियों की गतिविधि की खुफिया जानकारी मिलने के बाद सुरक्षा बल इलाके की निगरानी कर रहे थे।

उन्होंने कहा, "विशिष्ट खुफिया सूचनाओं के आधार पर 16 जून की रात को सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ द्वारा एक संयुक्त अभियान शुरू किया गया था। बलों की एक टीम ने संदिग्ध गतिविधि देखी और आतंकवादियों की मौजूदगी की पुष्टि के बाद घात लगाकर किए गए हमले में प्रभावी गोलीबारी हुई और इसके बाद हुई गोलीबारी में एक कट्टर आतंकवादी को मार गिराया गया।"

ब्रिगेडियर त्यागी ने बताया कि मारा गया आतंकवादी बारामुल्ला जिले के वुसनखुई इलाके का रहने वाला था और लोन ए श्रेणी का आतंकवादी था, जो अप्रैल 2018 से सक्रिय था और लश्कर/द रेजिस्टेंस फ्रंट से जुड़ा था। टीआरएफ लश्कर का ही एक अंग है। जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को आतंकवादी गतिविधियों में उनकी संलिप्तता के आधार पर ए, बी या सी श्रेणी में रखा जाता है। सेना अधिकारी ने बताया कि लोन भर्ती, अवैध हत्याएं और ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) नेटवर्क के विस्तार जैसी कई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल था। उन्होंने कहा, "उसका मारा जाना सुरक्षा बलों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। पिछले कुछ हफ्तों में भारतीय सेना ने अन्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के साथ मिलकर उच्च परिचालन गति बनाए रखी है, जिसने व्यवस्थित तरीके से आतंकी पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट कर दिया है।"

गृह मंत्री ने हाल ही में एक बैठक की जिसमे उन्होंने जम्मू- कश्मीर की सुरक्षा से सम्बंधित काफी चर्चायें हुई है। सोशल मीडिया पर लोगों ने काफी पोस्ट किये है जिसमें उन्होंने सरकार से इस मामले में सक्रिय होने की मांग की है और कठोर और ज़रूरी निर्णय लेने का अनुरोध किया है।