राहुल गांधी को मुख्य विपक्षी के पद के लिए चाहते हैं कांग्रेस के नेता

आम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के मजबूत प्रदर्शन के बीच लोकसभा में 99 सीटें जीतने के बाद कांग्रेस अब संसद में विपक्ष के नेता का पद पाने की हकदार है। नतीजतन, राहुल गांधी को इस प्रतिष्ठित पद पर बिठाने के लिए आवाजें तेज हो रही हैं। इससे पहले दिन में, कांग्रेस के नवनिर्वाचित सांसद मणिकम टैगोर ने एक्स पर एक पोस्ट में पूर्व पार्टी अध्यक्ष से निचले सदन में कांग्रेस का नेता बनने का आग्रह किया। तमिलनाडु के विरुधुनगर से जीतने वाले टैगोर ने कहा, "मैंने अपने नेता राहुल गांधी के नाम पर वोट मांगे। मुझे लगता है कि उन्हें लोकसभा में कांग्रेस का नेता होना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि निर्वाचित कांग्रेस सांसद भी यही सोचेंगे। देखते हैं कि कांग्रेस संसदीय दल क्या फैसला करता है। हम एक लोकतांत्रिक पार्टी हैं।" 

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा ने भी यही भावना दोहराते हुए कहा, "राहुल जी ने अभियान का नेतृत्व किया। वे चेहरा थे। लोकसभा संसदीय दल के नेतृत्व की जिम्मेदारी लेना उनका कर्तव्य है।वे स्वयं अपने बारे में सभी निर्णय नहीं ले सकते। कुछ निर्णय पार्टी नेताओं/सांसदों को लेने होते हैं। निश्चित रूप से सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा।"

कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा, "...मुझे लगता है कि यह पद कांग्रेस के पास आएगा। मेरी निजी राय में, राहुल गांधी को कांग्रेस की ओर से विपक्ष के नेता की भूमिका खुद ही निभानी चाहिए।" राहुल गांधी, जिन्होंने 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था, को पार्टी द्वारा 2024 में शानदार वापसी का श्रेय दिया जा रहा है।

सिर्फ कांग्रेस नेताओं ने ही नहीं, बल्कि शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने भी गांधी की प्रशंसा की। राउत ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर राहुल गांधी नेतृत्व स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, तो हमें आपत्ति क्यों होगी? उन्होंने कई बार खुद को राष्ट्रीय नेता के तौर पर साबित किया है। वह लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। हम सभी उन्हें चाहते हैं और उनसे प्यार करते हैं। गठबंधन में कोई आपत्ति या मतभेद नहीं है।" 2004 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने के बाद से 53 वर्षीय नेता ने किसी भी संवैधानिक पद पर काम नहीं किया है, यहां तक ​​कि जब उनकी पार्टी सत्ता में थी। पिछले साल उन्हें मानहानि के एक मामले के कारण संसद से निष्कासित कर दिया गया था, जब भाजपा ने उन पर प्रधानमंत्री के उपनाम का मजाक उड़ाने का आरोप लगाया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें उनकी सीट पर वापस भेज दिया था।

कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अनुसार, लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाले राहुल गांधी को वे मुख्य विपक्षी के पद के लिए नेतृत्व करने की मांग कर रहे हैं। राहुल गांधी को उनके प्रदर्शन के बाद प्रत्याक्षी मुख्य विपक्षी के रूप में चुना जाना चाहिए, ऐसा कहने पर कांग्रेस के उच्च पदधारी नेता उन्हें समर्थन दे रहे हैं।

पार्टी नेताओ का कहाना कि राहुल गांधी की नेतृत्व में पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। उनके प्रदर्शन ने पार्टी को उम्मीद दिलाई है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी लोकसभा में मजबूत होगी और विपक्षी धारा को जुटा सकेगी।

उनका मानना है की राहुल गांधी की नेतृत्व में पार्टी ने लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ टक्कर दी है। उनके प्रदर्शन ने पार्टी को उम्मीद दिलाई है कि कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में वापसी करने के लिए तैयार है। राहुल गांधी ने इस तरह की मांग को व्यक्त नहीं किया है, लेकिन उन्हें उनके लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन के बाद पार्टी के नेताओं का समर्थन मिल रहा है। यह देखने को मिल रहा है कि क्या कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को प्रमुख विपक्षी के पद के लिए चुनती है या नहीं।

महाराष्ट्र की राजनीति में होगा बड़ा उलट फेर! सांगली लोकसभा सीट को लेकर उद्धव ठाकरे इंडिया गठबंधन के घटक दलों से हैं नाराज

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और इंडिया गठबंधन के बाकी घटक दलों के बीच मनमुटाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसकी वजह सांगली लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार विशाल पाटिल की जीत है। सांगली लोकसभा सीट पर शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार चंद्रहार पाटिल की हुई हार के बाद उद्धव ठाकरे कांग्रेस से खासे नाराज हैं। सूत्रों के मुताबिक उद्धव ठाकरे की इस नाराजगी की वजह कांग्रेस द्वारा शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार चंद्रहार पाटिल की जगह निर्दलीय विशाल पाटिल को वोटिंग के दौरान सपोर्ट करना है। उद्धव ठाकरे को लगता है कि यहाँ से राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस ने शिवसेना (यूबीटी) के प्रत्याशी चंद्रहर सुभाष पाटिल को धोखा दिया है।

विशाल पाटिल ने इसी साल अप्रैल में कांग्रेस से बगावत कर दिया था। वहीं, इंडिया गठबंधन ने यहाँ से शिवसेना उद्धव गुट के प्रत्याशी को मैदान में उतारा था। विशाल पाटिल कॉन्ग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के पोते हैं। सांगली से निर्दलीय उम्मीदवार विशाल पाटिल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा के संजय पाटिल को 1,00,053 वोटों से हराया था। शिवसेना उद्धव गुट ने सांगली लोकसभा सीट से चंद्रहर सुभाष पाटिल को मैदान में उतारा था। चंद्रहर सुभाष पाटिल तीसरे नंबर पर रहे। उनका विशाल पाटिल से हार का अंतर 5,10,806 वोटों का रहा। 

इंडिया गठबंधन में इस सीट को लेकर चुनाव पूर्व भी खींचतान हुई थी।परंपरागत सीट की वजह से कांग्रेस वहां से विशाल पाटिल को अपना उम्मीदवार बनाना चाहती थी, लेकिन शिवसेना (यूबीटी) ने बिना सहयोगियों से चर्चा किए चंद्रहार पाटिल को अचानक से उम्मीदवार घोषित कर दिया था। इसके बाद दोनों पार्टियों में जमकर विवाद हुआ था, लेकिन उद्धव अपनी जिद पर अड़े रहे. अंत में यह सीट शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से में जाने से विशाल पाटिल ने विद्रोह करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और मंगलवार को आए नतीजों में वह भारी मतों से जीत भी गए।

सांगली लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रहा है। यहाँ सन 1962 से 2014 के 52 वर्षों के अंतराल में कांग्रेस का ही कब्ज़ा रहा है। यह इलाका महाराष्ट्र के तीन बार के मुख्यमंत्री और राज्य के सबसे बड़े कांग्रेस नेताओं में से एक वसंतदादा पाटिल का गढ़ रहा है। साल 1980 से 2014 तक वसंतदादा के परिवार के ही सदस्य इस सीट से जीत कर संसद में जाते रहे हैं। ऐसे में यह भी सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे ये नहीं जान पाए कि कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे के लिए अपने मजबूत गढ़ को इतनी आसानी से क्यों छोड़ दिया। इसके बाद एक कांग्रेस के एक बागी नेता ने उद्धव के प्रत्याशी को पटखनी क्यों दी?

ख़ास बात ये भी है कि सांगली सीट पर जीत हासिल करने के बाद विशाल पाटिल ने बयान दिया था कि उनकी लड़ाई कभी कांग्रेस के खिलाफ थी ही नहीं। उन्होंने कहा कि वो कांग्रेस को बचाने के लिए चुनाव मैदान में उतरे थे।इस बयान के बाद इन आशंकाओं को और बल मिला था कि कांग्रेस ने अंदर ही अंदर विशाल पाटिल की मदद की थी।

पवन कल्याण ने बिना शर्त एनडीए को दिया समर्थन, कहा-मोदी जी के लिए बड़े से बड़ा ऑफर भी ठुकरा सकता हूं

#pawan_Kalyan_unconditionally_extends_support_to_pm_modi

लोकसभा चुनाव के परिणाम के साथ ही आंध्र प्रदेश विधान सभा चुनाव के परिणाम भी घोषित हो गए हैं। दोनों ही चुनाव परिणामों में तेलुगू सिनेमा के सुपरस्टार और जनसेना पार्टी के नेता पवन कल्याण ने बड़ी जीत हासिल की।आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी, जनसेना पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के एनडीए गठबंधन को लैंडस्लाइड जीत मिली है।पवन कल्याण की पार्टी आंध्र प्रदेश विधानसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

पवन कल्याण ने साफ कर दिया है आंध्र प्रदेश में एनडीए गठबंधन अटूट है। वो एनडीए से अलग नहीं होंगे। पवन कल्याण ने कहा कि हमारे मन में एनडीए के समर्थन करने और न करने को लेकर दूसरी बार कोई सवाल नहीं आया। हम सिर्फ एनडीए के साथ हैं। पवन कल्याण ने कहा कि वो सत्ता में समुचित हिस्सेदारी लेंगे, लेकिन ये सब कुछ जनता के कल्याण के लिए होगा।

अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण ने कहा कि भले ही कांग्रेस मुझे प्रधानमंत्री पद की पेशकश करे, मैं उनसे हाथ नहीं मिलाऊंगा।मोदी जी के लिए बड़े से बड़ा ऑफर भी ठुकरा सकता हूं।

बता दें कि एनडीए एलायंस का हिस्सा जन सेना पार्टी ने लोकसभा में भी दो सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और दोनों पर ही जीत हासिल की है। विधानसभा की बात करें तो 21 सीटें पार्टी ने हासिल की हैं। इन्होंने 21 सीटों पर ही प्रत्याशी उतारे भी थे। इसके अनुसार पार्टी को 100 प्रतिशत सफलता हासिल हुई है। बात करें, पवन कल्याण की तो वो खुद पीतमपुरा सीट से चुनावी मैदान में थे और उन्होंने 70279 वोटों से जीत हासिल की है। उन्हें 134394 वोट पड़े हैं। 

लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजे 4 जून को सामने आए, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने तीसरी बार बहुमत हासिल कर लिया है। बीजेपी की अगुवाई में एनडीए गठबंधन ने 292 सीटें जीती हैं। हालाँकि, बीजेपी अकेले बहुमत के आँकड़े को नहीं छू पाई और उसे 240 सीटों से ही संतोष करना पड़ा। विपक्षी इंडी गठबंधन ने 234 सीटों पर जीत हासिल की। इंडी गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी 99 सीटों तक ही सीमित रह गई।

अखिलेश ने बताई अयोध्या में बीजेपी के हार की वजह, बोले- भाजपा ने लोगों के साथ नाइंसाफी की

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अयोध्या में बीजेपी की हार से हर कोई हैरान है। लोगों के मन में ये सवाल उठ रहे हैं राम मंदिर बनने के बावजूद आखिर भारतीय जनता पार्टी इस सीट से कैसे हारी। यहां से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी के लल्लू सिंह को 54 हजार वोटों से शिकस्त दी है।इस बीच समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी अयोध्या में बीजेपी की हार वजह बताई है।

दिल्ली में मीडिया को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि आप किसी पुण्य काम के लिए गरीबों को उजाड़ रहे हैं। इसी के खिलाफ अयोध्या के लोगों ने भाजपा के खिलाफ वोट किया है। अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश की जनता ने मुद्दों पर वोट दिया और जनता के मुद्दों पर चुनाव हुआ। जनता ने अपने मुद्दों पर मतदान किया। 

अखिलेश यादव ने कहा- 'सच्चाई तो ये है भाजपा और भी सीटें हारती उत्तर प्रदेश में। अयोध्या की जनता मैं धन्यवाद देता हूं, अयोध्या की जनता का दुख दर्द आपने देखा होगा। उन्हें उनकी ज़मीन का पर्याप्त मुआवज़ा नहीं दिया गया, उनके साथ अन्याय किया गया, उनकी जमीन बाज़ार मूल्य के बराबर नहीं ली गई, आपने उन पर झूठे मुकदमे लगाकर उनकी ज़मीन जबरन छीन ली। आप किसी पुण्य काम के लिए आप गरीबों को उजाड़ रहे हैं इसीलिए, मुझे लगता है कि अयोध्या और आसपास के इलाकों के लोगों ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया।

सपा सुप्रीमों ने कहा कि जहां सवाल सरकार बनने का और न बनने का है तो सरकारें बना करती हैं और सरकारें गिरा करती हैं। सरकार में बहुमत न हो तो बहुत लोगों को खुश कर बनाई जाती हैं। मुझे लगता है जो खुश करने के लिए कदम चल रहे हैं, खुश करने के लिए फैसले हो रहे हैं, सब गिनती का सवाल होता है। सरकारें जब खुश करके बनाई जाती हैं, ऐसे में कोई और खुश कर देते हैं तो लोग उधर चले जाते हैं। मुझे खुशी है जनता ने जो फैसला लिया है उससे संविधान, आरक्षण और लोकतंत्र मजबूत होगा।

बता दें कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों के चुनाव में भाजपा को करारी शिकस्त दी है। गठबंधन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 80 में से 43 सीटें जीत ली हैं जबकि भाजपा को 33 सीटें ही मिल सकी हैं।

जल संकट पर दिल्लीवासियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा सरकार को दिया निर्देश

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सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में जल संकट से जूझ रहे लोगों को बड़ी राहत दी है।दिल्ली में पीने के पानी के बढ़ते संकट को लेकर अतिरिक्त पानी की मांग वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई है। इस दौरान दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने दिल्ली को अतिरिक्त पानी देने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी छोड़ने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की ओर से छोड़े गए अतिरिक्त जल के प्रवाह को हरियाणा सुगम बनाए। कोर्ट ने दिल्ली से कहा कि आप किसी भी तरह से पानी की बर्बादी नहीं होना चाहिए।

इस मालमे पर जस्टिस प्रशांत मिश्रा और जस्टिस के वी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ सुनवाई कर रही है।सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को 137 क्यूसेक पानी रिलीज करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही साथ कहा है कि हरियाणा दिल्ली को पानी रिलीज करने की सुविधा देगा। हिमाचल सरकार शुक्रवार को पानी रिलीज करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश को कल 137 क्यूसेक पानी हिमाचल को जारी करने का आदेश देते है।

कोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार पानी के प्रवाह को जो हिमाचल से मिल रहा है उसे बिना किसी रोक टोक के दिल्ली के वजीराबाद तक आने दे, ताकि दिल्ली के लोगों को पीने का पानी मिल सके। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से यह भी कहा है कि वह अपने क्षेत्र में पड़ने वाली नहर से पानी दिल्ली तक पहुंचने में सहयोग करे। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी। अदालत ने सभी पक्षों से स्टेटस रिपोर्ट दायर करने को कहा है।

दरअसल, दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि हरियाणा सरकार उनके हिस्से का पानी नहीं छोड़ रहा है। याचिका में मांग की गईृ है कि हरियाणा हिमाचल प्रदेश के उपलब्ध कराए गए पानी को छोड़े।हाल ही में जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखकर एक महीने के लिए दिल्ली को अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है।

सरकार गठन से पहले एनडीए की माथापच्ची, नड्डा के घर पहुंचे अमित शाह और राजनाथ सिंह

#jp_nadda_meeting_with_amit_shah_and_rajnath_singh

लोकसभा चुनाव के नतीजों में 10 साल बाद बीजेपी इस स्थिति में है कि उसे सरकार बनाने से पहले माथापच्ची करनी पड़ रही है। दरअसल बीजेपी अपने अकेले के बल पर बहुमत बनाने में कामयाब नहीं रही। हां बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन को जरूर बहुमत मिला है। जिसके बाद टीडीपी और जेडीयू दोनों ही पार्टियां किंगमेकर बनकर उभरी हैं।बीजेपी के सहयोगी दलों ने अपनी अपनी मांगें रखी है और हर कोई कम से कम एक अहम मंत्रालय चाहता है। यही वजह है कि अब दोनों ही पार्टियों की तरफ से प्रमुख मंत्रालयों की मांग की जा रही है।जिसके बाद अबएनडीए सरकार में किस पार्टी के पास कौन साथ मंत्रालय रहेगा साथ ही बीजेपी से भी कौन कौन मंत्री बनेंगे इसे लेकर मंथन शुरू हो गया है। 

नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में अपने तीसरे कार्यकाल के लिए 8 या 9 जून को शपथ ले सकते हैं। इससे पहले सारी चीजों पर सहमति बनाने के लिए लगातार मीटिंग हो रही है। कुछ देर पहले ही बीजेपी के सीनियर नेताओं की मीटिंग शुरू हुई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर अमित शाह, राजनाथ सिंह, बीएल संतोष सहित पार्टी के सीनियर नेता मीटिंग कर रहे हैं। पार्टी ने नड्डा, शाह और राजनाथ सिंह को सहयोगियों से बात करने की जिम्मेदारी दी है। माना जा रहा है कि पहले बीजेपी की यह टीम मंत्रिमंडल की एक रूप रेखा तय करेगी, जिसमें होगा कि कौन सा मंत्रालय किस पार्टी के पास जा सकता है और फिर इस संभावित लिस्ट पर सभी सहयोगी दलों की सहमति लेने की कोशिश होगी।

दरअसल, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि नायडू ने साफ कर दिया है कि वह मोदी 3.0 सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना चाहते हैं। बताया गया है कि वह बीजेपी नेतृत्व को अपनी मांगों की एक लिस्ट दे चुके हैं। टीडीपी स्पीकर का पोस्ट इसलिए चाहती है, क्योंकि लोकसभा में सबसे ज्यादा ताकतवर पद उसके पास होगा।टीडीपी के एक सांसद ने कहा कि पार्टी ग्रामीण विकास, आवास एवं शहरी मामले, बंदरगाह एवं शिपिंग, सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और जल शक्ति मंत्रालय चाहती है। वह वित्त मंत्रालय में एक जूनियर मंत्री रखने को भी इच्छुक है, क्योंकि आंध्र प्रदेश अभी धन की सख्त जरूरत है. आंध्र प्रदेश में भी टीडीपी को बहुमत मिला है।

सूत्रों के हवाले से बताया है कि नीतीश कुमार की जेडीयू ने भी तीन मंत्रालयों की मांग एनडीए के सामने रख दी है। साथ ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की गई है। जेडीयू ने चार सांसद पर एक मंत्रालय का फॉर्मूला सरकार के सामने रखा है। जेडीयू के 12 सांसद हैं, इसलिए वह 3 मंत्रालय चाहती है। नीतीश कुमार चाहते हैं कि उनके खाते में रेल, कृषि और वित्त मंत्रालय आए। रेल मंत्रालय को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जा रही है।

राहुल गांधी ने किया था ‘खटाखट’ वाला वादा, पैसा लेने कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गईं महिलाएं

#women_reached_congress_office_demanding_guarantee_cards

देश में लोकसभा का चुनाव खत्म हो चुका है। हालांकि चुनावी असर तो अभी शुरू हुआ है। यूपी के चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक को एकजुट करने का प्रयास किया। पीडीए पॉलिटिक्स ने अल्पसंख्यकों को एकजुट रखा। वहीं, ओबीसी और दलित समुदाय को इंडिया गठबंधन के साथ जोड़ा। इसमें उन्हें बड़े स्तर पर सफलता मिली। हालांकि अब इंडिया गठबंधन की यही सफलता उसके गले की फांस बनती दिख रही है। 

दरअसल, यूपी की 80 में से 43 सीटों पर विपक्षी गठबंधन को जीत मिली है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गारंटी कार्ड जारी कर महिलाओं को एक लाख रुपये देने की घोषणा की थी।‌ राहुल गांधी ने चुनावी रैलियों में महिलाओं को जीत के बाद खटाखट-खटाखट 8500 रुपये 5 जून को मिलने का दावा किया था।इसके लिए कांग्रेस ने चुनाव के समय महिलाओं के बीच अपने फार्म बांटे भी थे और उनसे वह फार्म भरवाए भी थे पर जब मंगलवार 4 तारीख को नतीजे आ गए उसके बाद आज 5 तारीख को कई महिलाएं कांग्रेस पार्टी के लखनऊ स्थित प्रदेश मुख्यालय पहुंचकर अपने एक लाख रूपये लेने। 

चुनाव प्रक्रिया समाप्त होने के बाद मुस्लिम महिलाओं का समूह अब लखनऊ स्थित कांग्रेस कार्यालय पर पहुंच रहा है। इसको लेकर कांग्रेस दफ्तर के बाहर कई महिलाओं की भीड़ जमा हो गई और महिलाओं ने कहा कि वो राहुल गांधी ने जो वादा किया है। वह इस वादे के अनुरूप अपने साढे आठ हजार महीना और 1 लाख सालाना वाली स्कीम का फॉर्म भरने आई हैं, जिससे समय से उनका उनका पैसा मिल जाए। 

कुछ महिलाएं ऐसी थी जो अपना फार्म जमा करने आईं थी। तो कुछ महिलाएं ऐसी थी जो नया फार्म लेने आई थी। नए फार्म लेने वाली महिलाओं को जितने फॉर्म कार्यालय में मौजूद थे उतने कार्यालय के कर्मचारियों ने तो बांट दिए, लेकिन उसके बाद फार्म खत्म हो जाने के बाद भी महिलाओं के आने का सिलसिला लगातार जारी रहा। शुरुआत में कुछ महिलाओं को तो यह समझाया गया कि अभी कांग्रेस पार्टी की सरकार नहीं बनी है, लेकिन लगातार महिलाओं की बढ़ती संख्या से कांग्रेस पार्टी के लोगों के सामने भी उनको समझाने की एक मुश्किल खड़ी हुई।

इस तरह अन्नामलाई के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने तमिलनाडु में डीएमके जीत का मनाया जश्न
पूरे सार्वजनिक दृश्य में एक बकरी का वध करके, जिस पर अन्नामलाई की तस्वीर थी। बर्बरीक. यदि संत-विरोधी I.N.D.I गठबंधन सत्ता में आया तो इसी तरह से वह हिंदुओं का कत्लेआम करेगा। शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में 4 में से 3 मुसलमानों ने कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया है। 2019 में 2/4 से ऊपर। कांग्रेस अब नई मुस्लिम लीग है। वे तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक वे एससी/एसटी/ओबीसी का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को नहीं दे देते. हमें इन्हें हर कीमत पर रोकना होगा. इसके साथ ही, कांग्रेस और उसका गठबंधन हिंदू एकजुटता को कमजोर करने के लिए जाति विभाजन को बढ़ावा देगा, जैसा कि उन्होंने इस बार किया है। यह ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेज की एक लंबे समय से प्रशंसित परियोजना है। हिंदुओं को सावधान रहने की जरूरत है.

पूरे सार्वजनिक दृश्य में एक बकरी का वध करके, जिस पर अन्नामलाई की तस्वीर थी। बर्बरीक. यदि संत-विरोधी I.N.D.I गठबंधन सत्ता में आया तो इसी तरह से वह हिंदुओं का कत्लेआम करेगा। शुरुआती आंकड़ों से पता चल

दीदी ममता ने मुझे ₹1000 दिए मैं बहुत खुश हूं मुझे अपने पति से इसके लिए पूछना नहीं है वायरल वीडियो वोटिंग टीएमसी पर बंगाल की एक हिंदू महिला होने
दीदी ममता ने मुझे ₹1000 दिए मैं बहुत खुश हूं मुझे अपने पति से इसके लिए पूछना नहीं है वायरल वीडियो वोटिंग टीएमसी पर बंगाल की एक हिंदू महिला होने का दावा करते हुए

दीदी ममता ने मुझे ₹1000 दिए मैं बहुत खुश हूं मुझे अपने पति से इसके लिए पूछना नहीं है वायरल वीडियो वोटिंग टीएमसी पर बंगाल की एक हिंदू महिला होने का दावा करते हुए

क्या योगी आदित्यनाथ पर बनाया जा रहा इस्तीफे का दबाव? संजय राउत के बयान के क्या हैं मायने

#why_is_the_opposition_repeatedly_targeting_bjp_through_yogi

लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे ज्‍यादा नुकसान यूपी में हुआ है। पिछली बार की तुलना में उसकी आधी सीटें घट गईं और 80 में से 33 पर सिमट गई है।इसकी तुलना में समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन अखिलेश यादव के नेतृत्‍व में 37 सीटें जीतीं हैं।भाजपा को ये बात टीस रही है कि उत्तर प्रदेश में इतना बड़ा नुकसान कैसे हो गया। जिसके बाद से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अंगुली उठने लगी है।पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने और अब शिवसेना नेता संजय राउत ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के जरिए बीजेपी को घेरने की कोशिश की है।महाराष्ट्र में बीजेपी के खराब परफॉर्मेंस के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की तो संजय राउत ने इसे योगी से जोड़ दिया है।

दरअसल, देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश पर संजय राउत ने एक सवाल उछाल दिया है।संजय राउत का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस तो बहाना हैं, सीएम योगी असली निशाना हैं।संजय राउत ने कहा, ‘देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा देने का प्रस्ताव योगी आदित्यनाथ पर दबाव बनाने का एक कदम है। अगर महाराष्ट्र में फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा हारी है, तो उत्तर प्रदेश में भी योगी के नेतृत्व में हार होगी। इसीलिए फडणवीस इस्तीफे की बात कर रहे हैं। उन्होंने मांग दोहराई कि प्रधानमंत्री मोदी को भाजपा के परिणामों की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।’

इससे पहले लोकसभा चुनाव के प्रचार के बीच में जब केजरीवाल बेल पर बाहर आए थे तो उन्होंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अगर फिर से बीजेपी की केंद्र में सरकार बनती है तो सबसे पहले वे यूपी के सीएम योगी आदित्नाथ को बदलेंगे। अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘योगी जी दिल्ली आए थे और उन्होंने मुझे बहुत गालियां दीं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि उनके असली दुश्मन तो बीजेपी में ही है।’ उन्होंने कहा था कि बीजेपी सीएम योगी को लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद से हटा देगी। इस बयान को लेकर काफी हलचल भी रही और काफी चर्चा भी। अब संजय राउत ने अरविंद केजरीवाल के बयान को मजबूती दी है।

यह चर्चा बार बार इसलिए जोर पकड़ रही हैं क्योंकि बीजेपी में मोदी के बाद कौन, इसे लेकर कयासबाजी भी और जोर आजमाइश भी दोनों चल रही हैं। अमित शाह के समर्थक उन्हें सबसे बड़े दावेदार के तौर पर देखते हैं तो योगी के समर्थक योगी को प्रबल दावेदार मानते हैं। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद यह जंग और तेज हुई है, खासकर मोदी और योगी समर्थक सोशल मीडिया पर भी यूपी में हार की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि पार्टी के किसी पदाधिकारी ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन राजनीति में बयान से ज्यादा माहौल कहानी कहता है।

अब चुनाव परिणाम आने के बाद सूबे से लेकर राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में हलचल पैदा कर दी है। इसी सिलसिले में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि सीएम योगी आज शाम छह बजे तक दिल्‍ली पहुंच रहे हैं और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यूपी में भितरघात के कारण बीजेपी हारी है। इस संबंध में राज्‍य इकाई रिपोर्ट तैयार करेगी और भाजपा आलाकमान इस पर एक्‍शन लेगा। सिर्फ इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव तय माने जा रहे हैं। सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बदलाव होंगे उसके बाद प्रदेश में बदलाव किए जाएंगे। संभावित बदलाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्ष तक पर गाज गिर सकती है। अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव हो सकता है।

बता दें कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों के चुनाव में भाजपा को स्तब्ध कर दिया है। गठबंधन ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 80 में से 43 सीटें जीत ली हैं जबकि भाजपा को 33 सीटें ही मिल सकी हैं। भाजपा की सहयोगी रालोद ने दो व अपना दल ने एक सीट जीती है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को भी एक सीट मिली है। वर्ष 2014 की तरह बसपा का इस बार भी खाता नहीं खुला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से लगातार तीसरी बार जीत गए हैं, जबकि राहुल गांधी ने रायबरेली और अखिलेश यादव ने कन्नौज से जीत हासिल की है। केंद्र सरकार के सात मंत्री भी चुनाव हार गए हैं, जिनमें स्मृति इरानी भी शामिल हैं। भाजपा ने अपने 47 सांसदों को फिर से टिकट दिया था, इनमें से 26 चुनाव हार गए हैं। प्रदेश में मतगणना की शुरुआत होने के दो घंटे के भीतर ही यह साफ हो गया कि सपा-कांग्रेस गठबंधन भाजपा को कड़ी टक्कर देने जा रहा है