इस तरह अन्नामलाई के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने तमिलनाडु में डीएमके जीत का मनाया जश्न
पूरे सार्वजनिक दृश्य में एक बकरी का वध करके, जिस पर अन्नामलाई की तस्वीर थी। बर्बरीक. यदि संत-विरोधी I.N.D.I गठबंधन सत्ता में आया तो इसी तरह से वह हिंदुओं का कत्लेआम करेगा। शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि 2024 में 4 में से 3 मुसलमानों ने कांग्रेस गठबंधन को वोट दिया है। 2019 में 2/4 से ऊपर। कांग्रेस अब नई मुस्लिम लीग है। वे तब तक नहीं रुकेंगे, जब तक वे एससी/एसटी/ओबीसी का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को नहीं दे देते. हमें इन्हें हर कीमत पर रोकना होगा. इसके साथ ही, कांग्रेस और उसका गठबंधन हिंदू एकजुटता को कमजोर करने के लिए जाति विभाजन को बढ़ावा देगा, जैसा कि उन्होंने इस बार किया है। यह ब्रेकिंग इंडिया फोर्सेज की एक लंबे समय से प्रशंसित परियोजना है। हिंदुओं को सावधान रहने की जरूरत है.

पूरे सार्वजनिक दृश्य में एक बकरी का वध करके, जिस पर अन्नामलाई की तस्वीर थी। बर्बरीक. यदि संत-विरोधी I.N.D.I गठबंधन सत्ता में आया तो इसी तरह से वह हिंदुओं का कत्लेआम करेगा। शुरुआती आंकड़ों से पता चल

दीदी ममता ने मुझे ₹1000 दिए मैं बहुत खुश हूं मुझे अपने पति से इसके लिए पूछना नहीं है वायरल वीडियो वोटिंग टीएमसी पर बंगाल की एक हिंदू महिला होने
दीदी ममता ने मुझे ₹1000 दिए मैं बहुत खुश हूं मुझे अपने पति से इसके लिए पूछना नहीं है वायरल वीडियो वोटिंग टीएमसी पर बंगाल की एक हिंदू महिला होने का दावा करते हुए

दीदी ममता ने मुझे ₹1000 दिए मैं बहुत खुश हूं मुझे अपने पति से इसके लिए पूछना नहीं है वायरल वीडियो वोटिंग टीएमसी पर बंगाल की एक हिंदू महिला होने का दावा करते हुए

क्या योगी आदित्यनाथ पर बनाया जा रहा इस्तीफे का दबाव? संजय राउत के बयान के क्या हैं मायने

#why_is_the_opposition_repeatedly_targeting_bjp_through_yogi

लोकसभा चुनावों में बीजेपी को सबसे ज्‍यादा नुकसान यूपी में हुआ है। पिछली बार की तुलना में उसकी आधी सीटें घट गईं और 80 में से 33 पर सिमट गई है।इसकी तुलना में समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बेहतरीन प्रदर्शन अखिलेश यादव के नेतृत्‍व में 37 सीटें जीतीं हैं।भाजपा को ये बात टीस रही है कि उत्तर प्रदेश में इतना बड़ा नुकसान कैसे हो गया। जिसके बाद से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर अंगुली उठने लगी है।पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने और अब शिवसेना नेता संजय राउत ने यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के जरिए बीजेपी को घेरने की कोशिश की है।महाराष्ट्र में बीजेपी के खराब परफॉर्मेंस के बाद उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की तो संजय राउत ने इसे योगी से जोड़ दिया है।

दरअसल, देवेंद्र फडणवीस के इस्तीफे की पेशकश पर संजय राउत ने एक सवाल उछाल दिया है।संजय राउत का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस तो बहाना हैं, सीएम योगी असली निशाना हैं।संजय राउत ने कहा, ‘देवेंद्र फडणवीस का इस्तीफा देने का प्रस्ताव योगी आदित्यनाथ पर दबाव बनाने का एक कदम है। अगर महाराष्ट्र में फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा हारी है, तो उत्तर प्रदेश में भी योगी के नेतृत्व में हार होगी। इसीलिए फडणवीस इस्तीफे की बात कर रहे हैं। उन्होंने मांग दोहराई कि प्रधानमंत्री मोदी को भाजपा के परिणामों की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए।’

इससे पहले लोकसभा चुनाव के प्रचार के बीच में जब केजरीवाल बेल पर बाहर आए थे तो उन्होंने अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अगर फिर से बीजेपी की केंद्र में सरकार बनती है तो सबसे पहले वे यूपी के सीएम योगी आदित्नाथ को बदलेंगे। अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ‘योगी जी दिल्ली आए थे और उन्होंने मुझे बहुत गालियां दीं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि उनके असली दुश्मन तो बीजेपी में ही है।’ उन्होंने कहा था कि बीजेपी सीएम योगी को लोकसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद से हटा देगी। इस बयान को लेकर काफी हलचल भी रही और काफी चर्चा भी। अब संजय राउत ने अरविंद केजरीवाल के बयान को मजबूती दी है।

यह चर्चा बार बार इसलिए जोर पकड़ रही हैं क्योंकि बीजेपी में मोदी के बाद कौन, इसे लेकर कयासबाजी भी और जोर आजमाइश भी दोनों चल रही हैं। अमित शाह के समर्थक उन्हें सबसे बड़े दावेदार के तौर पर देखते हैं तो योगी के समर्थक योगी को प्रबल दावेदार मानते हैं। लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद यह जंग और तेज हुई है, खासकर मोदी और योगी समर्थक सोशल मीडिया पर भी यूपी में हार की जिम्मेदारी एक दूसरे पर डालते दिखाई दे रहे हैं। हालांकि पार्टी के किसी पदाधिकारी ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन राजनीति में बयान से ज्यादा माहौल कहानी कहता है।

अब चुनाव परिणाम आने के बाद सूबे से लेकर राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में हलचल पैदा कर दी है। इसी सिलसिले में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि सीएम योगी आज शाम छह बजे तक दिल्‍ली पहुंच रहे हैं और राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि यूपी में भितरघात के कारण बीजेपी हारी है। इस संबंध में राज्‍य इकाई रिपोर्ट तैयार करेगी और भाजपा आलाकमान इस पर एक्‍शन लेगा। सिर्फ इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश संगठन में बदलाव तय माने जा रहे हैं। सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर पर संगठन में बदलाव होंगे उसके बाद प्रदेश में बदलाव किए जाएंगे। संभावित बदलाव में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न कर पाने वाले क्षेत्रीय अध्यक्ष से लेकर जिला और महानगर अध्यक्ष तक पर गाज गिर सकती है। अगले महीने की 15 तारीख से पहले संगठन में बदलाव हो सकता है।

बता दें कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन ने उत्तर प्रदेश की 80 संसदीय सीटों के चुनाव में भाजपा को स्तब्ध कर दिया है। गठबंधन ने कमाल का प्रदर्शन करते हुए 80 में से 43 सीटें जीत ली हैं जबकि भाजपा को 33 सीटें ही मिल सकी हैं। भाजपा की सहयोगी रालोद ने दो व अपना दल ने एक सीट जीती है। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को भी एक सीट मिली है। वर्ष 2014 की तरह बसपा का इस बार भी खाता नहीं खुला है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाराणसी से लगातार तीसरी बार जीत गए हैं, जबकि राहुल गांधी ने रायबरेली और अखिलेश यादव ने कन्नौज से जीत हासिल की है। केंद्र सरकार के सात मंत्री भी चुनाव हार गए हैं, जिनमें स्मृति इरानी भी शामिल हैं। भाजपा ने अपने 47 सांसदों को फिर से टिकट दिया था, इनमें से 26 चुनाव हार गए हैं। प्रदेश में मतगणना की शुरुआत होने के दो घंटे के भीतर ही यह साफ हो गया कि सपा-कांग्रेस गठबंधन भाजपा को कड़ी टक्कर देने जा रहा है

INDIA गठबंधन की बैठक खत्म, खरगे ने कहा- मोदीजी के लिये ये सिर्फ राजनैतिक शिकस्त नहीं, बल्कि नैतिक हार*
#india_alliance_meeting एक तरफ नई सरकार के गठन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक हुई, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर INDIA गठबंधन के नेताओं की बैठक भी शुरू हो गई है। इस बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी (राकांपा-एसपी), शिवसेना-यूबीटी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी , झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य घटक दलों के नेता खरगे के आवास पर जुटे। बैठक में INDI गठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक करीब 1 घंटे तक चली। बैठक में कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा क‍ि मैं सभी साथियों का स्वागत करता हूं। हम एक साथ लड़े, तालमेल से लड़े और पूरी ताकत से लड़े। आप सबको बधाई। 18वीं लोक सभा चुनाव का जनमत सीधे तौर से प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी के खि‍लाफ है। चुनाव उनके नाम और चेहरे पर लड़ा गया था और जनता ने भाजपा को बहुमत ना देकर उनके नेतृत्व के प्रति साफ़ संदेश दिया है। उन्‍होंने आगे कहा क‍ि व्यक्तिगत रूप से मोदीजी के लिये यह ना सिर्फ राजनैतिक शिकस्त है, बल्कि नैतिक हार भी है। परन्तु हम सब उनकी आदतों से वाक़िफ़ हैं। वो इस जनमत को नकारने की हर संभव कोशिश करेंगे। खरगे ने कहा क‍ि हम यहां से यह भी संदेश देते हैं कि इंड‍िया गठबंधन उन सभी राजनीतिक दलों का स्वागत करता है जो भारत के संविधान के प्रस्तावना में अटूट विश्वास रखते है और इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के उद्देश्यों से प्रतिबद्ध है। चुनाव नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नैतिक हार और राजनीतिक शिकस्त है। बैठक में खरगे के अलावा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत और कई अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए।
INDIA गठबंधन की बैठक खत्म, खरगे ने कहा- मोदीजी के लिये ये सिर्फ राजनैतिक शिकस्त नहीं, बल्कि नैतिक हार*
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एक तरफ नई सरकार के गठन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आवास पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की बैठक हुई, तो दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर INDIA गठबंधन के नेताओं की बैठक भी शुरू हो गई है। इस बैठक में शामिल होने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-एसपी (राकांपा-एसपी), शिवसेना-यूबीटी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी , झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य घटक दलों के नेता खरगे के आवास पर जुटे। बैठक में INDI गठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक करीब 1 घंटे तक चली। बैठक में कांग्रेस अध्‍यक्ष ने कहा क‍ि मैं सभी साथियों का स्वागत करता हूं। हम एक साथ लड़े, तालमेल से लड़े और पूरी ताकत से लड़े। आप सबको बधाई। 18वीं लोक सभा चुनाव का जनमत सीधे तौर से प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी के खि‍लाफ है। चुनाव उनके नाम और चेहरे पर लड़ा गया था और जनता ने भाजपा को बहुमत ना देकर उनके नेतृत्व के प्रति साफ़ संदेश दिया है। उन्‍होंने आगे कहा क‍ि व्यक्तिगत रूप से मोदीजी के लिये यह ना सिर्फ राजनैतिक शिकस्त है, बल्कि नैतिक हार भी है। परन्तु हम सब उनकी आदतों से वाक़िफ़ हैं। वो इस जनमत को नकारने की हर संभव कोशिश करेंगे। खरगे ने कहा क‍ि हम यहां से यह भी संदेश देते हैं कि इंड‍िया गठबंधन उन सभी राजनीतिक दलों का स्वागत करता है जो भारत के संविधान के प्रस्तावना में अटूट विश्वास रखते है और इसके आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के उद्देश्यों से प्रतिबद्ध है। चुनाव नतीजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नैतिक हार और राजनीतिक शिकस्त है। बैठक में खरगे के अलावा कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, तृणमूल कांग्रेस के महासचिव अभिषेक बनर्जी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन, आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत और कई अन्य नेता इस बैठक में शामिल हुए।
नरेन्द्र मोदी चुने गए NDA गठबंधन के नेता, 7 जून को राष्ट्रपति से मुलाकात कर पेश करेंगे सरकार बनाने का दावा*
#narendra_modi_nda_leader
लोकसभा चुनाव परिणामों की तस्वीर साफ होने के बाद अब राजधानी दिल्ली में बैठकों का दौर चल रहा है। चुनाव परिणाम की तस्वीर साफ हुई तो बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने लायक नहीं रही। हालांकि, एनडीए के कुनबे ने साथ दे दिया और वादा निभाया कि साथ में सरकार बनाएंगे। एनडीए के सभी साथी दलों ने एक बार फिर नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है। बुधवार को पीएम आवास पर हुई बैठक में इसका प्रस्ताव पास किया गया। इसमें 20 नेताओं के हस्ताक्षर हैं। खास बात ये है कि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार ने भी इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं। एनडीए की बैठक में सभी दलों ने सर्वसम्मति से नरेंद्र मोदी को अपना नेता चुन लिया है। पीएम आवास, 7 लोक कल्याण मार्ग पर हुई बैठक में एनडीए नेताओं ने प्रस्ताव पारित कर बयान साझा किया। इसमें कहा गया कि भारत के 140 करोड़ देशवासियों ने पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों से देश को हर क्षेत्र में विकसित होते देखा है। बहुत लंबे अंतराल, लगभग 6 दशक के बाद भारत की जनता ने लगातार तीसरी बार पूर्ण बहुमत से सशक्त नेतृत्व को चुना है। प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि हम सभी को गर्व है कि 2024 का लोकसभा चुनाव एनडीए ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एकजुटता से लड़ा और जीता। हम सभी एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी को सर्वसम्मति से अपना नेता चुनते हैं। मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार भारत के गरीब-महिला-युवा-किसान और शोषित, वंचित व पीड़ित नागरिकों की सेवा करने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत की विरासत को संरक्षित कर देश के सर्वांगीण विकास हेतु एनडीए सरकार भारत के जन-जन के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए कार्य करती रहेगी। एनडीए का नेता पीएम मोदी को माने जाने के प्रस्ताव पर जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, अमित शाह, चंद्रबाबू नायडू, जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे, जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी, चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, पवन कल्याण, सुनील टटकरे, अनुप्रिया पटेल, जयंत चौधरी, प्रफुल्ल पटेल, प्रमोद बोरो, अतुल बोरा, इंदिरा हंग सुबका, सुदेश महतो, राजीव रंजन सिंह, संजय झा ने हस्ताक्षर किए। राष्ट्रपति ने एनडीए के सांसदों को मिलने का समय दे दिया है, माना जा रहा है कि राष्ट्रपति से मुलाकात के बाद ही पीएम मोदी तीसरी बार सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे। 7 जून को राष्ट्रपति शाम 5 से 7 बजे तक सांसदों से मुलाकात करेंगी, इस दौरान एनडीए के सभी सहयोगी दलों के सांसद मौजूद रहेंगे।
बॉलीवुड की क्वीन से कैसे मात खा गया सियासत के “राजा”?
#kangana_ranaut_won_from_vikramaditya_singh

बॉलीवुड क्वीन और बीजेपी उम्मीदवार कंगना रनौत ने मंडी लोकसभा सीट से जीत हासिल कर ली है।इसी के साथ कंगना का राजनीतिक सफर का भी आगाज हो गया है।मंडी लोकसभा सीट के लिए कंगना रनौत की सीधी टक्कर कांग्रेस टिकट से चुनाव लड़ रहे विक्रमादित्य सिंह से थी। लेकिन मंडी की जनता ने कंगना रनौत पर भरोसा दिखाया।लोकसभा 2024 नतीजों की बात करें तो कंगना रनौत को 5 लाख 37 हजार 022 वोट मिले तो वहीं विक्रमादित्य सिंह को 4 लाख 62 हजार 267 वोटों से संतुष्ट होना पड़ा। अब सावल उठ रहे हैं कि बॉलीबुड की “क्वीन” सियासत के “राजा” को शिकस्त देने में कैसे कामयाब हो गई?

राजनीति की दुनिया के लिए नई कंगना के लिए पहली ही बार में लोकसभा चुनाव जीतना इतना आसान नहीं था।  उन्हें जयराम जैसे अनुभवी का साथ मिला तो जीत पक्की हो गई। हिमाचल में छह सीटों पर उपचुनाव भी हुए, लेकिन जयराम ठाकुर कुछ एक हलकों में जाने के अलावा, मंडी लोकसभा क्षेत्र में पूरी तरह डटे रहे। उनके विधानसभा क्षेत्र सराज से कंगना रनौत को 14698 वोटों की लीड मिली। वह हर कदम पर कंगना रनौत के साथ रहे। कंगना की जहां भी रैली और जनसभा होती थी, जयराम ठाकुर उनके साथ साए ही तरह चले। जयराम ठाकुर ने मंडी सीट पर जो मेहनत की, उसका परिणाम सभी के सामने है।

*कंगना को कहां कहां लीड मिली?*
पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के इलाके सराज से कंगना को 14698 वोटों की बढ़त मिली। कंगना को सबसे अधिक लीड जोगिंद्र नगर से मिली। यहां से भाजपा विधायक प्रकाश राणा ने उन्हें 19, 402 मतों की लीड दिलवाई। इसके बाद, दूसरे नंबर पर मंडी सदर रहा। यहां से अनिल शर्मा कंगना को 15515 वोटों की लीड दिलाने में कामयाब रहे। पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के इलाके सराज से कंगना को 14, 698 वोटों की बढ़त मिली. कंगना रनौत को अपने गृहक्षेत्र सरकाघाट से 13647 वोटों की बढ़त हासिल हुई। अहम बात  यह है कि सरकाघाट से भाजपा विधायक दिलीप ठाकुर प्रचार के दौरान साए की तरह साथ रहे। यहां से लीड दिलाने में उनकी भूमिका ज्यादा है। कंगना को केवल रामपुर, किन्नौर  और लाहौल स्पीति से लीड नहीं मिली। इन तीनों इलाकों पर कांग्रेस का कब्जा था।रामपुर से विक्रमादित्य सिंह को 21437 वोटों की लीड मिली।

*कहां चूके विक्रमादित्य?*
सुक्खू सरकार में विक्रमादित्य लोकनिर्माण मंत्री हैं। ऐसे में सासंदी की अपेक्षा एक हार का कारण हो सकता है। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत द्वारा कंगना पर आपत्तिजनक टिप्पणी विवाद ने भी  कहीं न कहीं कंगना को ही सपोर्ट किया। क्योंकि इसके बाद कंगना व बीजेपी ने कांग्रेस को महिला सम्मान को लेकर जमकर घेरा था।
कौन है गेनीबेन ठकोर? जिसने गुजरात में बीजेपी को क्लीन स्वीप की हैट्रिक से रोका, 10 साल बाद कांग्रेस की पहली जीत
#banaskantha_gujarat_lok_sabha_election_results_2024_congress_opens_account

लोकसभा चुनाव 2024 कई मायनों में खास रहा है। 10 साल के बाद बीजेपी बहुमत का आंकड़े से चूक गई। 1962 के बाद पहली बार कोई सरकार अपने दो कार्यकाल पूरे करने के बाद तीसरी बार आई है।राज्यों में जहां भी विधानसभा चुनाव हुए वहां एनडीए को भव्य विजय मिली है। चाहे अरुणाचल प्रदेश हो, ओडिशा हो, आंध्र प्रदेश हो या फिर सिक्किम, इन राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। यही नहीं,बीजेपी ने नवीन पटनायक के 25 साल पुराने किले को ध्वस्त कर दिया है। इसके साथ ही गुजरात में भी एक कारनामा हुआ है। कांग्रेस ने गुजरात में बीजेपी को तीसरी बार क्लीन स्वीप करने से रोक दिया है।

कांग्रेस उम्मीदवार गेनीबेन ठाकोर ने बनासकांठा सीट पर अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी उम्मीदवार डॉ. रेखाबेन चौधरी के खिलाफ 31,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की है।एक दशक बाद कांग्रेस इस सीट पर अपना खाता खोला है।बनासकांठा राज्य की इकलौती सीट थी, जहां पर प्रियंका गांधी ने सभा की थी। इसमें उन्हाेंने गेनीबेन ठाकोर को जिताने की अपील की थी।

2022 गुजरात विधानसभा चुनावों में गेनीबेन ठाकोर ने बनासकांठा जिले की वाव सीट जीत हासिल की थी। तब वे दूसरी बार विधायक बनीं। ऐसे वक्त पर जब राज्य में लोकसभा चुनावों से पहले कांग्रेस के विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में जा रहे थे, तब गेनीबेन ठाकोर ने लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था, हालांकि गेनीबेन के लिए बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव लड़ना आसान नहीं था। पार्टी से टिकट मिलने के बाद गेनीबेन लोगों से नोट के साथ वोट देने की अपील करते चुनाव प्रचार को आगे बढ़ाया था। गेनीबेन को चुनावों 6,71883 वोट मिले तो वहीं एक अनुमान के तौर चुनाव खर्च के करीब 25 लाख रुपये भी मिले।

ये जीत हासिल करके गेनीबेन ठकोर ने जहां बीजेपी को तीसरी बार क्लीन स्वीप करने से रोक दिया है, तो वहीं दूसरी उन्होंने इस सीट से जीत दर्ज करके बीजेपी के दिग्गज नेता और वर्तमान में गुजरात विधानसभा के अध्यक्ष शंकर चौधरी को दूसरी शिकस्त दी है। शंकर चौधरी विधानसभा अध्यक्ष होने के साथ बनास डेयरी के चेयरमैन हैं। ऐसे में इस सीट पर उनकी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी।

बता दें कि बनासकांठा बीजेपी का गढ़ रहा है। 2019 में बीजेपी के परबतभाई पटेल ने कांग्रेस के पार्थी भटोल को 368000 वोटों से हराकर यह सीट जीती थी। 2014 के चुनाव में भी बीजेपी ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ किया था। अब 2024 में जमीनी स्तर पर मजबूत पकड़ और ठाकोर समुदाय के समर्थन से गेनीबेन को यह जीत हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात में 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस कोई भी सीट जीतने में विफल रही। 2009 में कांग्रेस ने गुजरात में 26 में से 11 और भाजपा ने 14 सीटें जीती थीं।
बिना अनुभव के गठबंधन सरकार चलना नरेन्द्र मोदी के लिए होगा कितना मुश्किल, नीतीश और नायडू बन सकते हैं बड़ी चुनौती
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दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नतीजे मंगलवार को सामने आ गए। हालांकि ये नतीजे चौंकाने वाले रहे। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने 2014 और 2019 दोनों में आसानी से बहुमत हासिल कर लिया था। लेकिन, एक दशक में पहली बार है, जब बीजेपी ने बहुमत का आंकड़ा पार नहीं कर पाई है। हालांकि, एनडीए 292 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब हो गई। वहीं, आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू और बिहार में नीतीश कुमार ने अपने-अपने राज्यों में शानदार जीत हासिल की। इसके बाद दोनों किंगमेकर बनकर उभरे हैं। अब बीजेपी 10 साल बाद अपने सहयोगियों, खासकर टीडीपी और जेडी(यू) पर निर्भर होगी। केन्द्र में भाजपा नीत एनडीए की सरकार के लिए दो सहयोगी दलों की सबसे बड़ी भूमिका होगी। इनमें एक हैं भाजपा के पुराने साथी हैं बिहार के सीएम नीतीश कुनार के नेतृत्व वाली जेडीयू और दूसरी है आंध्र प्रदेश में सरकार बनाने जा रही टीडीपी।इनकी सहमति और सहयोग के बिना भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए की सरकार की कल्पना ही संभव नहीं है। फिलहाल दोनों ओर से किसी तरह के तिकड़म की सुगबुहाट तो नहीं दिखती, लेकिन नरेन्द्र मोदी के प्रति अतीत में दोनों की जैसी मंशा रही है, उसके बीज अब भी उनमें कहीं दबे-छिपे हैं तो किसी भी वक्त वह प्रस्फुटित हो सकते हैं। भाजपा के नेतृत्व में सरकार बन जाएगी, इसमें शक नहीं है। पर, सरकार कितने दबाव में चलेगी, यह सभी को पता है। नरेंद्र मोदी के दिल्ली आने के बाद नीतीश कुमार और नायडू के संबंध बीजेपी से बहुत कड़वाहट भरे भी रहे हैं। नायडू और नीतीश 2014 में नरेंद्र मोदी के पहली बार प्रधानमंत्री बनने पर बीजेपी के विरोधी खेमे में रह चुके हैं और इस लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में वापसी की है। *नरेन्द्र मोदी और चंद्रबाबू नायडू में कैसे रहे संबंध?* साल 2002 में गुजरात में हुए दंगे के बाद चंद्रबाबू नायडू एनडीए के पहले ऐसे नेता थे, जिन्होंने बतौर मुख्यामंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफ़े की मांग की थी। अप्रैल 2002 में टीडीपी ने मोदी के ख़िलाफ़ हिंसा को रोकने और सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों को राहत देने में में बुरी तरह फेल होने को लेकर एक प्रस्ताव भी पारित किया था। यही नहीं, साल 2018 में चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर एनडीए का साथ छोड़ दिया था और केंद्र में अपने दो मंत्रियों को भी हटा दिया। नायडू उस समय मोदी सरकार के ख़िलाफ़ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। ये अविश्वास प्रस्ताव तो पास नहीं हो पाया लेकिन अपने 16 सांसदों के साथ एनडीए से निकल गए थे। साल 2019 में गठबंधन से निकलने के बाद चंद्रबाबू नायडू ने एक ट्वीट कर कहा था, "मोदी ने योजनाबद्ध तरीक़े से भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों को नष्ट कर दिया है। बीजेपी सरकार के शासन में संस्थागत स्वायत्तता और लोकतंत्र पर हमला हुआ है। अब, जब से आंध्र में टीडीपी की 16 सीटें आई हैं और अब जब नायडू किंगमेकर की भूमिका में दिख रह हैं तो सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी का साल 2019 में आंध्र प्रदेश में दिया गया भाषण ख़ूब शेयर किया जा रहा है। इस भाषण में नरेंद्र मोदी ने चंद्रबाबू नायडू को “अपने ससुर के पीठ में छूरा भोंकने वाला बताया था।” उन्होंने राज्य में एक चुनावी रैली में कहा था, “वो (चंद्रबाबू नायडू) ख़ुद को मुझसे सीनियर मानते हैं, अच्छी बात है आप सीनियर हैं. लेकिन आप सीनियर हैं, पार्टी बदलने में, अपने ससुर की पीठ में छूरा भोंकने में और आप सीनियर हैं एक के बाद एक चुनाव हारने में...उसमें तो मैं सीनियर नहीं हूँ। *नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार के रिश्ते जगजाहिर* नरेंद्र मोदी से नीतीश कुमार के बीच के रिश्ते जगजाहिर है। दोनों के एक साथ एक मंठ पर दिख जाना सिवाय राजनैतिक मजबूरी के और कुछ नहीं है।भाजपा ने 2013 में जब नरेंद्र मोदी को पीएम बनाने की घोषणा की तो नीतीश कुमार ने भाजपा से रिश्ते तोड़ लिए थे। हालांकि 2017 में वे भाजपा के साथ आ गए, लेकिन नरेंद्र मोदी के प्रति उनके मन की नफरत नहीं गई। यही वजह रही कि 2022 में नीतीश ने आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन से हाथ मिला लिया और नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए चंद्रबाबू नायडू की तरह विपक्षी एकता का अभियान शुरू कर दिया। भाजपा के खिलाफ आज जो इंडी अलायंस वजूद में हैं, उसकी बुनियाद रखने का श्रेय नीतीश कुमार को ही जाता है। हालांकि अपनी मजबूरियों के कारण नीतीश फिर पलट गए और भाजपा से हाथ मिला कर बिहार में सीएम की अपनी कुर्सी सुरक्षित कर ली। नरेन्द्र मोदी के साथ कड़वाहट भरे रिश्ते रिश्ते रख चुके दो दिग्गज आज तीसरी बार बीजेपी के नेतृत्व में सरकार बनाने को राजी तो हो रहे हैं। ऐसे में चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार को अपने साथ लेकर चलना नरेन्द्र मोदी के सामने सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी और चुनौती होगी।खासकर तब जब नरेंद्र मोदी के पास गठबंधन सरकार चलाने का अनुभव नहीं है। गुजरात में जब वह मुख्यमंत्री थे, तब भी प्रचंड बहुमत वाली सरकार थी। हक़ीक़त यह है कि बीजेपी की कमान मोदी के पास आने के बाद से एनडीए का कुनबा छोटा होता गया। अकाली दल और शिव सेना बीजेपी के दशकों पुराने सहयोगी रहे थे लेकिन दोनों कब का अलग हो चुके हैं। इस बार जब नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे तो उन्हें सरकार चलाने के लिए सबको साथ लेकर चलना होगा। जो किसी चुनौती से कम नहीं है।
भारत में चुनावी परिणाम पर दुनियाभर के मीडिया की रही नजर, जानें चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने क्या कहा
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2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। हालांकि, भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल नहीं कर पाई। जबकि, की अगुआई वाली एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार करने में सफल रही।दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नतीजों को न सिर्फ देश के लोग बल्कि पूरी दुनिया टकटकी लगाकर देख रही थी। भारत में आए नतीजों के बाद अब विदेशी मीडिया में खूब चर्चा हो रही है।भाजपा और इंडिया ब्लॉक के प्रदर्शन को विदेशी अखबारों ने अच्छी खासी जगह दी है।

लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए गठबंधन की जीत पर चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने प्रतिक्रिया दी है। ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर तीसरी बार जीत का दावा किया। चीनी विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि मोदी की चीनी विनिर्माण के साथ प्रतिस्पर्धा करने और भारत के कारोबारी माहौल को बेहतर बनाने की महत्वाकांक्षा को पूरा करना मुश्किल होगा।

ग्लोबल टाइम्स ने आगे लिखा, चूंकि मोदी की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने गठबंधन के बावजूद पूर्ण बहुमत हासिल करने में विफल रही, इसलिए प्रधानमंत्री के लिए आर्थिक सुधार को आगे बढ़ाना मुश्किल होगा, लेकिन राष्ट्रवाद का कार्ड खेलना संभव है, विशेषज्ञों ने कहा, उन्होंने उम्मीद जताई कि चीन-भारत संबंधों में भी बहुत सुधार होने की संभावना नहीं है। मीडिया ने बताया कि मंगलवार रात को मतगणना पूरी होने के करीब थी, जिसमें मोदी के गठबंधन को आश्चर्यजनक रूप से मामूली अंतर से जीत मिली।

चीनी अखबार में विश्लेषकों ने कहा कि बाजार की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि व्यापार और वित्तीय हलकों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय पूंजीपति भी भारत की अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं हैं।

फुडन विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई अध्ययन केंद्र के उप निदेशक लिन मिनवांग ने मंगलवार को ग्लोबल टाइम्स को बताया कि मोदी प्रशासन अपनी आंतरिक और बाहरी नीतियों को जारी रखेगा और निश्चित रूप से मोदी आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना और विकास को साकार करना चाहते हैं, लेकिन यह उनके लिए एक कठिन मिशन होगा। उन्होंने कहा, "चूंकि उनकी पार्टी बहुमत हासिल करने में विफल रही है, इसलिए उनके लिए जटिल आर्थिक सुधार के लिए एजेंडा निर्धारित करना मुश्किल होगा और इस तरह की स्थिति में, भाजपा देश में हिंदू राष्ट्रवाद को प्रोत्साहित करने के उपायों को और मजबूत कर सकती है।

अमेरिकी मीडिया वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा कि भारत के चुनाव के नतीजों के मुताबिक, वोटर्स ने उम्मीद के परे पीएम मोदी की लीडरशिप को नकार दिया है। उनकी हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी को संसद में बहुमत नहीं मिल पाया। चुनाव से पहले मोदी प्रशासन ने विपक्ष के बैंक खातों को फ्रीज कर दिया, उनके नेताओं को भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल में डाला। वहीं मोदी के सहयोगियों के कंट्रोल वाले मीडिया ने भी पूरे कैंपेन के दौरान भाजपा की जमकर प्रशंसा की। ये सब बातें इस बात की चेतावनी हैं कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में सही मायने में प्रतिस्पर्धा वाले चुनाव गायब हो रहे हैं

वहीं, पाकिस्तान के अखबार ‘डॉन’ की बेवसाइट पर भारत के चुनाव को बड़ी कवरेज दी गई है। उसके एक लेख में कहा गया कि भारत में वोटों की गिनती में पीएम मोदी का गठबंधन आश्चर्यजनक रूप से मामूली अंतर से जीता है। भाजपा की अयोध्या में ही हार हो गई, जहां राम मंदिर का उद्घाटन किया गया था। वहीं राहुल गांधी के बयान को प्रमुखता दी गई है कि मतदाताओं ने भाजपा को दंड दिया है। डॉन ने यह भी कहा कि मोदी के हिंदू राष्ट्रवादियों की तीसरी बार जीत से भारत के मुसलमानों में डर फिर बढ़ेगा। वहीं एक लेख में विस्तार से बताया गया कि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल का दुनिया के लिए क्या मतलब है।