मोदी रचेंगे इतिहास या चौंकाएगा INDIA गठबंधन? कुछ ही देर में शुरू होगी मतगणना, यहां देखें लाइव

आज पूरे देश की धड़कनें बढ़ी हुई है। सभी को लोकसभा चुनाव के नतीजों का इंतजार है। लोकसभा चुनाव 7 चरणों में संपन्न हुए थे और आज इसके नतीजे आने वाले हैं। सभी की निगाहें बस इसी बात पर टिकी हुई है कि नरेंद्र मोदी एक बार फिर इतिहास रचेंगे या फिर इंडिया गठबंधन पूरे देश को चौंकाएगा? हालांकि एग्जिट पोल के नतीजे की बात की जाए तो एक बार फिर एनडीए की सरकार बनती हुई नजर आ रही है। ज्यादातर एग्जिट पोल के नतीजे में भारतीय जनता पार्टी ज्यादा सीटें जीत रही है। वहीं इंडिया गठबंधन को कम सीटें मिल रही है। हालांकि यह स्पष्ट तो चुनाव के नतीजे आने के बाद ही हो पाएगा। कुछ ही देर में चुनाव की मतगणना शुरू होने वाली है। 8:00 बजे से मतगणना शुरू होगी। इसके बाद धीरे-धीरे यह स्पष्ट हो जाएगा की केंद्र में किसकी सरकार बनेगी और किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेगी। अगर नतीजे एग्जिट पोल की तरह होंगे तो नरेंद्र मोदी, गांधी परिवार से बाहर के ऐसे पहले व्यक्ति होंगे, जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे। इससे पहले ये करने का रिकॉर्ड सिर्फ जवाहरलाल नेहरू के पास है। लोकसभा चुनाव के रिजल्ट की हर एक अपडेट देखने के लिए यहाँ क्लिक करें--- Https://Rashtiyaekta.Com/
लोकसभा चुनाव के परिणाम से पहले पीएम मोदी से मिले नीतिश कुमार, क्या हैं इसके सियासी मायने

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लोकसभा चुनाव के नतीजे कुछ ही घंटों में आने वाले हैं। इससे पहले पूरे देश में सियासी हलचल बढ़ी हुई है। इस बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। नीतीश कुमार ने अपने दिल्ली दौरे के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके आवास पर 7 लोक कल्याण मार्ग पहुंचे। इस मुलाकात के दौरान दोनों वरिष्ठ नेताओं के बीच क्या बात हुई, इस बारे में आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है। हालांकि, मतगणना से ठीक एक दिन पहले इस मुलाकात के मायने निकाले जा रहे हैं।

सीएम नीतीश कुमार की पीएम से मुलाकात के कई मायने हैं। बिहार सीएम नीतीश कुमार और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच नतीजों से पहले ये मुलाकात महत्वपूर्ण मानी जा रही है। माना जा रहा है मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने बिहार समेत देश भर में एनडीए की सीटों का आकलन किया होगा। सरकार बनने के वक्त जेडीयू का रोल क्या होगा कैबिनेट में। आगे दोनों सरकार कैसे मिल कर काम करे। 

वैसे तो सीएम सीएम नीतीश कुमार गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात करने वाले थे, लेकिन जानाकरी के अनुसार अब वो अमित शाह से मुलाकात किए बिना ही बिना ही पटना लौट रहे हैं। उन्होंने अमित शाह से फोन पर ही बातचीत की है। इसके बाद वो आज ही पटना के लिए रवाना हो गए हैं।

बता दें कि बिहार की 40 लोकसभा सीटों के एग्जिट पोल में एनडीए बाजी मारती नजर आ रही है।बिहार में बीजेपी 17 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. एग्जिट पोल में ये सभी सीटें बीजेपी के खाते में आती दिख रही हैं, जबकि जेडीयू को 7 सीट, हम को 1 सीट और एलजेपी के खाते में 4 सीटें आ रही हैं। एग्जिट पोल के मुताबिक, इंडिया गठबंधन में आरजेडी को 6 और कांग्रेस को महज 2 सीटों पर ही जीत मिल रही है।

*क्या रूस-यूक्रेन के लिए “शांतिदूत” बन सकेगा भारत? स्विट्जरलैंड में 15-16 जून को शांति शिखर सम्मेलन में मिल रहा मंच

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और स्विस परिसंघ के राष्ट्रपति वियोला एमहर्ड के बीच जनवरी में हुए समझौते के बाद यूक्रेन के लिए पहला शांति शिखर सम्मेलन 15-16 जून को आयोजित किया जाएगा।शिखर सम्मेलन का आयोजन यूक्रेनी और स्विस पक्षों के समन्वित प्रयासों का परिणाम है। इसमें दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष और सरकार प्रमुख भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के मानदंडों के अनुसार यूक्रेन के लिए एक व्यापक, न्यायपूर्ण और स्थायी शांति प्राप्त करने के तरीकों पर बातचीत के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। हमेशा से शांति का पक्षधर रहे भारत के लिए ये शांति शिखर सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय मामलों में इसके महत्व और योगदान को साबित करने का एक बड़ा मौका हो सकता है।

4 जून को संसदीय चुनावों के नतीजे आने के बाद नरेंद्र मोदी को भारत के प्रधान मंत्री के रूप में एक और कार्यकाल मिलने की संभावना है। उस स्थिति में, उनके स्विस शिखर सम्मेलन में भाग लेने की संभावना है। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी ने हमेशा से रूस-यूक्रन संघर्ष के लिए कूटनीतिक समाधान का आह्वान किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था, "आज का युग युद्ध का युग नहीं है।" 

रूस और यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करना भारत के लिए दुनियाभर के देशों के बीच खुद को स्थापित करने में एक बार फिर अहम भूमिका निभा सकता है। एक साक्षात्कार में पीएम मोदी ने कहा था कि भारत इन शिखर सम्मेलनों में वैश्विक संवाद को आकार देने, मानव केंद्रित विकास, समृद्धि और शांतिपूर्ण दुनिया की दृष्टि को आगे बढ़ाने के लिए ग्लोबल साउथ की आवाज बनेगा।

जानकारों का कहना है कि रूस-यूक्रेन संकट को कम करना भारत के रणनीतिक हित में है। अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने यूक्रेन को जो समर्थन दिया है, उसने रूस को चीन (और उत्तरी कोरिया) के करीब ला दिया है। अब रूसी और चीनी सशस्त्र बल नियमित रूप से सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं, सैन्य-तकनीक साझा करते हैं और सुदूर पूर्व और यूरोप में संयुक्त अभ्यास करते हैं। नई दिल्ली को रूस और चीन, दोनों परमाणु शक्तियों के बीच बढ़ते तालमेल से सावधान रहना चाहिए। यह बीजिंग की सैन्य शक्ति को बढ़ाता है। चीन अपनी सैन्य शक्ति में वृद्धि का उपयोग भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा पैदा करने के लिए कर सकता है।

रूस-यूक्रेनी युद्ध पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी रहा है। माना जाता है कि चल रहे युद्ध में सैकड़ों हज़ार रूसी और यूक्रेनी लोगों की जान चली गई है। युद्ध ने यूक्रेन और रूस दोनों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया है। युद्ध के कारण अधिकांश देशों को ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की उच्च कीमतों का सामना करना पड़ा है। यूक्रेनी संकट के मद्देनजर संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध लगभग सभी देशों के लिए बहुत महंगे साबित हुए हैं, जिनमें अमेरिका भी शामिल है। आज, अमेरिकी गैस के लिए अधिक भुगतान कर रहे हैं। तेल और गैसोलीन की कीमतें 2014 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं।

वहीं रूस-यूक्रन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से ही भारत ने तटस्थता की नीति अपनाई है। युद्ध शुरू होने के बाद से, नई दिल्ली ने कीव को लगभग 117 टन मानवीय सहायता भेजी है, जिसमें "दवाएँ, चिकित्सा उपकरण, कंबल, टेंट, तिरपाल, सौर लैंप, गरिमा किट, स्लीपिंग मैट और डीजल जनरेटर सेट" शामिल हैं। साथ ही, नई दिल्ली ने यह भी सुनिश्चित किया है कि वह ऐसा कुछ न करे जिससे मास्को को नुकसान हो। लेकिन नई दिल्ली ने रूस की आलोचना करने वाले अमेरिका के नेतृत्व वाले संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों पर मतदान से परहेज किया है। भारत ने रूस से अपनी तेल खरीद भी बढ़ा दी है।

मालदीव ने इजराइली नागरिकों के एंट्री पर लगाया बैन, मुइज्जू के फैसले पर तेल अवीव ने कर दी भारत की तारीफ
#israeli_citizens_not_allowed_in_maldives चीन के इशारों पर काम करने वाले मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने बड़ा फैसला लिया। मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने देश में इजरायली नागरिकों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। गाजा में इजरायली हमले को लेकर मुस्लिम देश में बढ़ते विरोध के बीच इजरायली पासपोर्ट धारकों के प्रवेश को रोकने के लिए कानूनी संशोधन करने का फैसला लिया गया है। एशिया के छोटे से देश मालदीव ने ऐलान किया है कि वो अपनी सरहद में इजराइली नागरिकों के प्रवेश पर बैन लगाएगा। जिसके बाद इजराइल के विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को हिदायत दी है कि वे मालदीव की यात्रा करने से परहेज करें। राष्ट्रपति कार्यालय में एक आपातकाली प्रेस वार्ता में गृह मंत्री अल इहसुन ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने इजरायली पासपोर्ट पर मालदीव में प्रवेश पर प्रतिबंध के लिए कानून में बदलाव का फैसला किया है। इसकी निगरानी के लिए मंत्रियों की एक विशेष समिति गठित की गई है। मालदीव के राष्ट्रपति कार्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, राष्ट्रपति डॉ. मोहम्मद मुइज्जू ने कैबिनेट की सिफारिश के बाद इजरायली पासपोर्ट पर प्रतिबंध लगाने का संकल्प लिया है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है, कैबिनेट के फैसले में इजरायली पासपोर्ट धारकों को मालदीव में प्रवेश करने से रोकने के लिए आवश्यक कानूनों में संशोधन करना और इन प्रयासों की निगरानी के लिए एक कैबिनेट सब-कमिटी की स्थापना करना शामिल है। इजराइल पर यात्रा प्रतिबंध लगाने को लेकर पिछले साल इजराइल और फिलीस्तीन में जंग छिड़ने के बाद नवंबर में मालदीव के एक एमपी नशीद अब्दुल्ला ने प्रस्ताव पेश किया था।इस प्रस्ताव में सरकार से इजराइली पासपोर्ट रखने वाले नागरिकों के देश में प्रवेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। अब मालदीव की सरकार ने इजराइलियों के ट्रैवल पर पाबंदी लगी दी है। मालदीव ने ये फैसला जनता में इजराइल के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बाद लिया है। बता दें कि इजराइल की बढ़ती आक्रामकता के बाद मालदीव में कई फिलिस्तीनी समर्थित प्रदर्शन देखने मिले हैं। बता दें कि मालदीव की आबादी 5 लाख से ज्यादा है और पूरी दुनिया से हर साल करीब 17 लाख टूरिस्ट मालदीव घूमने आते हैं। इसमें इजराइल से लगभग 15,000 पर्यटक शामिल हैं। पिछले साल करीब 11 हजार इजराइली नागरिकों ने मालदीव की यात्रा की थी। मुइज्जू के प्रतिबंध के फैसले पर सोशल मीडिया पर एक बार फिर मालदीव ट्रेंड करने लगा है। इजरायली मालदीव की जमकर आलोचना कर रहे हैं। इसके साथ ही इजरायली भारत की चर्चा करने लगे हैं। सोशल मीडिया पर भारत में मौजूद शानदार बीच डेस्टिनेशन की तस्वीरें शेयर की जाने लगी हैं। पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर पांच हजार रॉकेट दागे थे। इसके साथ ही हमास के लड़ाके दक्षिणी इजरायल में घुस आए थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था। हमास के इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे। इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग शुरू कर दी। कुछ महीनों पहले इजरायल और हमास के बीच हुई सीजफायर डील में कई बंधकों को छोड़ दिया गया था, लेकिन अब भी दर्जनों बंधक हमास के कब्जे में हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का कहना है कि जब तक हमास का खात्मा नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी। वहीं, इजरायल गाजा युद्ध का दुनियाभर के देश विरोध कर रहे हैं। कोई इजरायल का साथ दे रहा है तो कोई गाजा का समर्थन कर रहा है। इस युद्ध की वजह से इजरायल को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय से भी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं।
3 जून वो तारीख जिस दिन देश में खींच गई थी लकीर, लॉर्ड माउंटबेटन ने किया था बंटवारे का ऐलान

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करीब 300 साल तक अंग्रेजों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी का सपना साकार हुआ था। हालांकि भारत को ये आजादी अपना एक हिस्सा गंवाने की शर्त पर मिली थी। उस शर्त ने भारत का इतिहास और भूगोल दोनों बदल दिया। वर्ष 1947 में आज ही के दिन ब्रिटिश राज में भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने देश के बंटवारे का ऐलान किया था। भारत के बंटवारे की इस घटना को ‘तीन जून योजना’ या ‘माउंटबेटन योजना’ के तौर पर जाना जाता है।देश में दंगे हो रहे थे और केंद्र में कांग्रेस की अंतरिम सरकार हालात को काबू में नहीं कर पा रही थी, क्योंकि कानून एवं व्यवस्था का मामला प्रांतों के पास था। लिहाजा, राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिरोध को खत्म करने के लिए ‘तीन जून योजना’ आई जिसमें भारत के विभाजन और भारत तथा पाकिस्तान को सत्ता के हस्तांतरण का विवरण था।

3 जून 1947 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन था। इस दिन ब्रिटिश भारत के विभाजन और आजादी की घोषणा की गई। यह योजना भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा तैयार की गई थी। इस दिन ही लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 तय की थी।इस दिन फैसला लिया गया कि भारत को दो आजाद देश भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जाएगा। सिख बहुल क्षेत्रों का भविष्य जनमत संग्रह द्वारा तय किया जाएगा। पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल का विभाजन धार्मिक आधार पर होगा। सिंध को पाकिस्तान में शामिल किया जाएगा।

3 जून की योजना में कहा गया कि भारत को देशों के बंटवारे को ब्रिटेन की संसद मानेगी और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी देगी। दोनों देशों की सरकारों को डोमिनियन दर्जे के साथ ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने के फैसला का अधिकार भी दिया जाएगा। प्लान में तय किया गया कि हिंदु बहुल इलाके भारत को और मुस्लिम बहुत इलाके पाकिस्तान को दे दिए जाएगे। जबकि देशके 565 रियासतों को यह आजादी दी गई कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी में भी शामिल हो सकते हैं।

इसी प्लान का एक सबसे अहम हिस्सा सेना का बंटवारा था। साथ ही विभाजन के इलाकों को भी मोटे तौर पर तय किया गया। इसके साथ ही दोनों देशों के विधायी अधिकार, गवर्नर जनरल की शक्तियों को भी परिभाषित किया गया था।ऐलान के बाद जुलाई के शुरू में भारतीय सेना के हर अधिकारी को एक फार्म दिया गया। उसमें हर अधिकारी से यह बताने को कहा गया था कि वह भारतीय सेना में काम करेगा या पाकिस्तानी सेना में जाना चाहेगा। इसी तरह बंटवारे के वक्त तय हुआ कि भारत की चल संपत्ति का 80 प्रतिशत भारत को मिलेगा और 20 प्रतिशत पाकिस्तान के हिस्से में जाएगा।

माउंटबेटन की इस घोषणा के बाद लाखों लोगों का विस्थापन और सांप्रदायिक हिंसा हुई। पूरा देश साम्प्रदायिक दंगों में उलझ गया। पहले से जारी राजनैतिक और तेज हो गईं। झगड़ा इसको मानने को लेकर था। बंटवारे में करीब सवा करोड़ लोग इधर से उधर हुए। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बंटवारे के बाद जो हिंसा हुई, उसमें करीब 10 लाख लोग मारे गए। हजारों महिलाओं को अगवा कर लिया गया। उनके साथ रेप और जोर जबरदस्ती हुई।

पाक आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास, जानिए पूरा मामला

नागपुर की एक अदालत ने सोमवार को पाकिस्तान की आईएसआई के लिए जासूसी करने के आरोप में ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व इंजीनियर निशांत अग्रवाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। निशांत अग्रवाल को 2018 में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई को ब्रह्मोस मिसाइल के बारे में जानकारी लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। अग्रवाल ब्रह्मोस एयरोस्पेस में एक वरिष्ठ सिस्टम इंजीनियर थे, जो डीआरडीओ और रूस के सैन्य औद्योगिक संघ (एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया) के बीच एक संयुक्त उद्यम है, जो भारत की सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पर काम करता था, जिसे जमीन, हवा, समुद्र और पानी के नीचे से लॉन्च किया जा सकता है।

अग्रवाल को 14 साल के कठोर कारावास (आरआई) की सजा भी भुगतनी होगी और उन पर 3,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अतिरिक्त सत्र न्यायालय के न्यायाधीश एमवी देशपांडे ने आदेश में कहा कि अग्रवाल को आईटी अधिनियम की धारा 66 (एफ) और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (ओएसए) की विभिन्न धाराओं के तहत दंडनीय अपराध के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 235 के तहत दोषी ठहराया गया था। 

विशेष लोक अभियोजक ज्योति वजानी ने कहा, "अदालत ने अग्रवाल को आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत आजीवन कारावास और 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई और उन पर 3,000 रुपये का जुर्माना लगाया।" अग्रवाल को पिछले अप्रैल में बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने जमानत दी थी।

2018 में इस मामले ने हलचल मचा दी थी क्योंकि यह ब्रह्मोस एयरोस्पेस से जुड़ा पहला जासूसी घोटाला था। अग्रवाल दो फेसबुक अकाउंट - नेहा शर्मा और पूजा रंजन के माध्यम से संदिग्ध पाकिस्तानी खुफिया गुर्गों के संपर्क में थे। इस्लामाबाद से संचालित इन अकाउंट्स के बारे में माना जाता है कि वे पाकिस्तान के खुफिया गुर्गों द्वारा चलाए जा रहे थे।

निशांत अग्रवाल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार के विजेता थे और इसलिए इस तरह की गतिविधि में उनकी भागीदारी ने उनके सहकर्मियों को चौंका दिया। उन्हें एक प्रतिभाशाली इंजीनियर के रूप में जाना जाता था, उन्होंने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र से पढ़ाई की थी।

मामले की जांच करने वाले पुलिस ने कहा कि निशांत ने इंटरनेट पर अपने लापरवाह रवैये से खुद को आसान लक्ष्य बना लिया, हालांकि वह बेहद संवेदनशील काम में लगे हुए थे।

अमित शाह के खिलाफ जयराम रमेश के आरोपों पर सीईसी राजीव कुमार के कड़े शब्द*

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने सोमवार, 3 जून को कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा यह आरोप लगाए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के लिए मतदान पूरा होने के बाद देश भर के 150 जिलाधिकारियों को फोन किया था। उन्होंने कहा, "अफवाह फैलाना और सभी पर संदेह करना सही नहीं है।" ...क्या कोई उन सभी (जिलाधिकारियों/रिटर्निंग अधिकारियों) को प्रभावित कर सकता है? हमें बताएं कि यह किसने किया। हम उस व्यक्ति को दंडित करेंगे जिसने ऐसा किया...यह सही नहीं है कि आप अफवाह फैलाएं और सभी पर संदेह करें," राजीव कुमार ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मतगणना से एक दिन पहले एक प्रेस वार्ता में कहा। राजीव कुमार ने मतगणना से पहले बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाई गई मांगों को भी स्वीकार कर लिया। "बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार किया गया है। उन्होंने मांग की है कि नियंत्रण इकाइयों की गतिविधियों की सीसीटीवी कैमरे से निगरानी होनी चाहिए। ऐसा किया जाएगा," सीईसी कुमार ने कहा। विपक्ष के भारत ब्लॉक के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को चुनाव आयोग की पूर्ण पीठ से मुलाकात की और यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि 4 जून को सभी दिशानिर्देशों का पालन किया जाए। इससे पहले, भारत के चुनाव आयोग ने जयराम रमेश से उनके सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट के माध्यम से उनके सार्वजनिक बयान के लिए तथ्यात्मक जानकारी और विवरण मांगा था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अमित शाह ने निर्धारित मतगणना (4 जून) से कुछ दिन पहले 150 डीएम को कॉल किए हैं। चुनाव निकाय ने आगे की आवश्यक कार्रवाई के लिए 2 जून की शाम तक जयराम रमेश से जवाब मांगा था। कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश को लिखे एक पत्र में, चुनाव आयोग ने उल्लेख किया कि "वोटों की गिनती की प्रक्रिया प्रत्येक आरओ पर डाला गया एक पवित्र कर्तव्य है, और एक वरिष्ठ, जिम्मेदार और अनुभवी नेता द्वारा इस तरह के सार्वजनिक बयान संदेह का तत्व पैदा करते हैं और इसलिए, व्यापक जनहित में संबोधित किए जाने योग्य हैं।" "हालांकि, किसी भी डीएम ने किसी भी अनुचित प्रभाव की सूचना नहीं दी है, लेकिन चुनाव आयोग ने जयराम रमेश से 150 डीएम के विवरण और जानकारी मांगी थी, जिन्हें अमित शाह ने फोन किया था। पत्र में आगे कहा गया है कि शाह ने श्री रमेश द्वारा लगाए गए आरोपों को प्रभावित किया है और उन्हें लगता है कि यह सच है, और इस तरह उन्होंने ये आरोप लगाए हैं। इससे पहले शनिवार को जयराम रमेश ने आरोप लगाया था कि "निवर्तमान गृह मंत्री डीएम/कलेक्टरों को फोन कर रहे हैं।" उन्होंने इसे "भाजपा की हताशा" बताया और कहा कि अधिकारियों को इस तरह की धमकी से दबाव में नहीं आना चाहिए। "अब तक उन्होंने 150 लोगों से बात की है। यह स्पष्ट और बेशर्मी से दी गई धमकी है, जो दिखाती है कि भाजपा कितनी हताश है। यह बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए: लोगों की इच्छा प्रबल होगी और 4 जून को श्री मोदी, श्री शाह और भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएंगे और भारत जनबंधन विजयी होगा। अधिकारियों को किसी भी दबाव में नहीं आना चाहिए और उन्हें संविधान का पालन करना चाहिए। उन पर नजर रखी जा रही है," जयराम रमेश ने कहा। अगर एग्जिट पोल के नतीजों पर विश्वास किया जाए तो 4 जून को भाजपा सत्ता में वापस आ रही है, जबकि नरेंद्र मोदी जवाहरलाल नेहरू के बाद लगातार तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले एकमात्र प्रधानमंत्री बन जाएंगे। एग्जिट पोल में 'मोदी 3.0' की भविष्यवाणी की गई थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी देश के विभिन्न हिस्सों में रैलियों और रोड शो के माध्यम से भाजपा के चुनावी प्रयासों का नेतृत्व कर रहे थे।
दिल्ली आबकारी नीति घोटाला मामले में के. कविता की न्यायिक हिरासत फिर बढ़ी, अब इस तारीख तक जेल में रहेंगी बीआरएस नेता


दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े ईडी मामले में बीआरएस नेता के. कविता की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। ताजा मामले में आज सोमवार को उनकी न्यायिक हिरासत की अवधि खत्म होने पर बीआरएस नेता को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, अदालत से के. कविता को 3 जुलाई तक न्यायिक हिरासत पर भेज दिया गया। मालूम हो कि आबकारी नीति घोटाला मामले में कविता को ईडी ने 15 मार्च और सीबीआई ने 11 अप्रैल को गिरफ्तार किया था, जब वह ईडी के मामले में न्यायिक हिरासत के तहत तिहाड़ जेल में बंद थीं। उल्लेखनीय है कि अदालत ने 29 मई को मामले में बीआरएस नेता के खिलाफ आरोप पत्र पर संज्ञान लेने के बाद वारंट जारी किया था। इससे पहले 6 मई को अदालत ने ईडी द्वारा दर्ज मामले में बीआरएस नेता की जमानत खारिज कर दी थी।जांच एजेंसी ने अदालत में कहा था कि अगर कविता को जमानत मिलती है तो वह गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं।
लोकसभा चुनाव ख़त्म होते ही, महंगाई शुरू ! 2 रुपए बढ़े अमूल दूध के दाम, टोल टैक्स की दरों में भी इजाफा

आज सोमवार (3 जून) से भारत में टोल टैक्स दरों और अमूल दूध की कीमतों में वृद्धि देखी गई है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने टोल शुल्क में 3-5 प्रतिशत की वृद्धि की घोषणा की है, जिसे आमतौर पर थोक मूल्य सूचकांक में बदलाव को दर्शाने के लिए सालाना संशोधित किया जाता है। NHAI की तरफ से कहा गया है कि, इस साल टोल दरों के समायोजन में लोकसभा चुनावों के कारण देरी हुई थी, लेकिन अब इसे लागू कर दिया गया है। बढ़े हुए टोल शुल्क और ईंधन उत्पादों पर करों से मिलने वाले अतिरिक्त राजस्व से राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार को वित्तपोषित करने में मदद मिलेगी। इसके समानांतर, अमूल दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है, जो अधिकतम खुदरा मूल्य में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। अमूल दूध की कीमत में यह वृद्धि फरवरी 2023 के बाद पहली है। गुजरात सहकारी दूध विपणन संघ (GCMMF) ने बताया कि कीमतों में बढ़ोतरी परिचालन और उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण हुई है। महासंघ के प्रबंध निदेशक जयेन मेहता ने कहा कि किसानों को उनके उच्च उत्पादन व्यय के लिए उचित मुआवजा सुनिश्चित करने के लिए यह वृद्धि आवश्यक है। कीमतों में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप, विभिन्न अमूल दूध उत्पादों के 500 मिलीलीटर की कीमत में भी वृद्धि हुई है। विशेष रूप से, 500 मिलीलीटर अमूल भैंस दूध की कीमत अब 36 रुपये, 500 मिलीलीटर अमूल गोल्ड दूध की कीमत 33 रुपये और 500 मिलीलीटर अमूल शक्ति संस्करण की कीमत 30 रुपये है। वृद्धि के बावजूद, GCMMF ने इस बात पर प्रकाश डाला कि प्रतिशत वृद्धि अभी भी औसत मुद्रास्फीति दर से कम है।
3 जून वो तारीख जिस दिन देश में खींच गई थी लकीर, लॉर्ड माउंटबेटन ने किया था बंटवारे का ऐलान*
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करीब 300 साल तक अंग्रेजों की गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी का सपना साकार हुआ था। हालांकि भारत को ये आजादी अपना एक हिस्सा गंवाने की शर्त पर मिली थी। उस शर्त ने भारत का इतिहास और भूगोल दोनों बदल दिया। वर्ष 1947 में आज ही के दिन ब्रिटिश राज में भारत के अंतिम वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने देश के बंटवारे का ऐलान किया था। भारत के बंटवारे की इस घटना को ‘तीन जून योजना’ या ‘माउंटबेटन योजना’ के तौर पर जाना जाता है।देश में दंगे हो रहे थे और केंद्र में कांग्रेस की अंतरिम सरकार हालात को काबू में नहीं कर पा रही थी, क्योंकि कानून एवं व्यवस्था का मामला प्रांतों के पास था। लिहाजा, राजनीतिक और सांप्रदायिक गतिरोध को खत्म करने के लिए ‘तीन जून योजना’ आई जिसमें भारत के विभाजन और भारत तथा पाकिस्तान को सत्ता के हस्तांतरण का विवरण था। 3 जून 1947 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण दिन था। इस दिन ब्रिटिश भारत के विभाजन और आजादी की घोषणा की गई। यह योजना भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा तैयार की गई थी। इस दिन ही लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की आजादी की तारीख 15 अगस्त 1947 तय की थी।इस दिन फैसला लिया गया कि भारत को दो आजाद देश भारत और पाकिस्तान में विभाजित किया जाएगा। सिख बहुल क्षेत्रों का भविष्य जनमत संग्रह द्वारा तय किया जाएगा। पूर्वी बंगाल और पश्चिमी बंगाल का विभाजन धार्मिक आधार पर होगा। सिंध को पाकिस्तान में शामिल किया जाएगा। 3 जून की योजना में कहा गया कि भारत को देशों के बंटवारे को ब्रिटेन की संसद मानेगी और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता भी देगी। दोनों देशों की सरकारों को डोमिनियन दर्जे के साथ ब्रिटिश राष्ट्रमंडल का सदस्य बनने के फैसला का अधिकार भी दिया जाएगा। प्लान में तय किया गया कि हिंदु बहुल इलाके भारत को और मुस्लिम बहुत इलाके पाकिस्तान को दे दिए जाएगे। जबकि देशके 565 रियासतों को यह आजादी दी गई कि वे भारत या पाकिस्तान में से किसी में भी शामिल हो सकते हैं। इसी प्लान का एक सबसे अहम हिस्सा सेना का बंटवारा था। साथ ही विभाजन के इलाकों को भी मोटे तौर पर तय किया गया। इसके साथ ही दोनों देशों के विधायी अधिकार, गवर्नर जनरल की शक्तियों को भी परिभाषित किया गया था।ऐलान के बाद जुलाई के शुरू में भारतीय सेना के हर अधिकारी को एक फार्म दिया गया। उसमें हर अधिकारी से यह बताने को कहा गया था कि वह भारतीय सेना में काम करेगा या पाकिस्तानी सेना में जाना चाहेगा। इसी तरह बंटवारे के वक्त तय हुआ कि भारत की चल संपत्ति का 80 प्रतिशत भारत को मिलेगा और 20 प्रतिशत पाकिस्तान के हिस्से में जाएगा। माउंटबेटन की इस घोषणा के बाद लाखों लोगों का विस्थापन और सांप्रदायिक हिंसा हुई। पूरा देश साम्प्रदायिक दंगों में उलझ गया। पहले से जारी राजनैतिक और तेज हो गईं। झगड़ा इसको मानने को लेकर था। बंटवारे में करीब सवा करोड़ लोग इधर से उधर हुए। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक बंटवारे के बाद जो हिंसा हुई, उसमें करीब 10 लाख लोग मारे गए। हजारों महिलाओं को अगवा कर लिया गया। उनके साथ रेप और जोर जबरदस्ती हुई।