आजम खां को 10 साल की सजा
लखनऊ/रामपुर । डूंगरपुर के एक और मामले में सपा नेता आजम खां को कोर्ट ने झटका दिया है। कोर्ट ने गुरुवार को आजम खां को 10 साल की सजा 14 लाख जुमार्ना की सजा सुनाई है। सुनवाई के दौरान सपा नेता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सीतापुर जेल से जुड़े।

सपा नेता आजम खां के खिलाफ 2019 में डूंगरपुर बस्ती में रहने वाले लोगों ने बस्ती को खाली कराने के नाम पर लूटपाट, चोरी, मारपीट समेत अन्य धाराओं में गंज थाने में 12 मुकदमे दर्ज कराए थे। इनमें से तीन मुकदमों में फैसला आ चुका है। दो मामलों में सपा नेता बरी हो चुके हैं, जबकि एक मामले में उन्हें सात साल की कैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

सपा नेता आजम खां फिलहाल सीतापुर जेल में बंद हैं। इस मामले में बुधवार को कोर्ट ने आजम खां व ठेकेदार बरकत अली को दोषी करार दिया था। गुरुवार को दोनों को सजा सुनाई गई।
प्रचंड गर्मी के मौसम को देखते हुए हरे चारे में मौजूद विष से पशुओं को बचाएं पशु पालक

लखनऊ/कानपुर। गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए हरा चारा नितांत आवश्यक है। लेकिन इस तपती गर्मी में इस समय हरे चारे के रूप में ज्वार एवं बाजरे की फसल मौजूद है।जिसमें हाइड्रोसायनिक नामक अम्ल होता है जो पशु को नुकसान करता है। ऐसे में यह चारा बहुत सावधानी से पशुओं को खाने के लिए दें। यह जानकारी गुरुवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने दी।

दम घुटने से पशुओं की हो जाती है मौत

उन्होंने बताया कि इस जहरीले अम्ल का निर्माण हरे चारे में मौजूद साइनोजेनिक ग्लूकोसाइड के कारण होता है, इन ग्लूकोसाइड पर चारे अथवा रूमेन में मौजूद एंजाइम की क्रिया से हाइड्रोसायनिक अमल बनता है जो जहर होता है।पशुपालन वैज्ञानिक ने बताया कि साइनाइड विषाक्त में ऑक्सीजन के वाहक एंजाइम प्रभावित होने के कारण शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे दम घुटने से पशु की मृत्यु हो जाती है। ऐसे कई पौधे एवं चारे हैं जिनके सेवन से साइनाइड विषाक्तता हो सकती है, किंतु इसमें साइनाइड की मात्रा 500 पी पी एम हरे चारे में एवं 200 पी पी एम सूखे चेहरे में सुरक्षित रहता है, परंतु यह मात्रा जब हरे चारे में 600 पी पी एम से ज्यादा हो जाता है तो पशु के लिए खतरनाक साबित होता है।

साइनोजेनिक ग्लूकोसाइड की मात्रा हो जाती है अधिक

साइनाइड की मात्रा विभिन्न मौसमों में पौधों के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न होती है। मुख्यतः ज्वार, बाजरा चारी आदि चारों में कभी-कभी कुछ विशेष परिस्थितियों में साइनोजेनिक ग्लूकोसाइड की अधिक मात्रा होने के कारण इसके सेवन में पशुओं की मृत्यु हो जाती है।डॉ शशिकांत ने बताया कि चारे में विष की मात्रा उसकी अवस्था, मृदा में नाइट्रोजन की उपस्थिति, किसान द्वारा बुवाई के समय चारे की वृद्धि के लिए दी गई यूरिया या अन्य खाद एवं पानी की कमी आदि कारकों पर निर्भर करती है।

चारे में साइनाइड की मात्रा बढ़ जाती है: डॉ. शशिकांत

विशेष रूप से पानी की कमी के कारण जिन पौधों की वृद्धि रुक गई हो, पत्तियां सूख कर मुरझा गई हो वह पीली पड़ गई हो, ऐसे चारे में साइनाइड की मात्रा बढ़ जाती है।

डॉक्टर कांत ने कहा हरे चारे के अभाव में भूखे पशु यह चारा देखते ही लालच बस इसे खा लेते हैं जानकारी के अभाव में पशुपालक भी मुरझाई हुई एवं अविकसित ज्वार, बाजरा एवं चरी को हरे चारे के अभाव में देने लगते हैं, इसके कारण पशु की मृत्यु हो जाती है।

जाने जहरीले युक्त चारा खाने के बाद पशुओं का लक्षण

डॉ. शशिकांत ने जानकारी देते हुए बताया कि साइनाइड युक्त चारे के अचानक अधिक सेवन के 10 से 15 मिनट बाद ही पशु में विषाक्त के कारण प्रकट होने लगते हैं जिसमें - पशु बेचैन होने लगता है, उसके मुंह से लार गिरने लगती है, सांस लेने में कठिनाई होने लगती है तथा पशु मुंह खोलकर सांस लेता है, मांसपेशियों में ऐंठन व दर्द होने लगता है, अत्यंत कमजोरी की वजह से पशु लड़खड़ा कर जमीन पर गिर जाता है, पशु अपने सर को पेट की ओर घूमांकर रखता है, मुंह से कड़वे बादाम जैसी गंध आती है, रक्त का रंग चमकीली लाल हो जाता है, मृत्यु के समय दम घुटने जैसी कराह एवं पीड़ा होती है।

जाने कैसे करें उपचार

डॉ.कान्त ने बताया कि साइनाइड विषाक्तता के लक्षण प्रकट होते ही पशु को सोडियम नाइट्राइट 3 ग्राम एवं सोडियम थायोसल्फेट 15 ग्राम 200 मिलीलीटर पानी में घोलकर नसों द्वारा चिकित्सा से परामर्श के बाद देना चाहिए, सोडियम थायोसल्फेट 30 से 60 ग्राम मुंह से देना चाहिए, साइनाइड ग्रस्त पशु को ज्यादा पानी पिलाना चाहिए, चरागाहों में चरने के लिए ले गए पशुओं को कम बढ़ी हुई ज्वार व चरी की फसल नहीं खाने दें, अच्छी सिंचाई की गई ज्वार व चारी ही पशुओं को हरे चारे के रूप में दें लेकिन ध्यान रहे कि दो से चार बार बारिश होने के बाद ही बड़ी फसल पशुओं को खिलाएं, साइनाइड ग्रस्त चारे को हे के रूप में संरक्षित कर सकते हैं, साइनाइड ग्रस्त चारे को कुछ समय तक सूखने के बाद उसमें शीरा मिलकर साइलेज के रूप में खिलाने से भी विष का प्रभाव कम हो जाता है, छोटे मुरझाए हुए पीले वह सुख कर ऐंठे हुए पौधे को चारे के रूप में उपयोग नहीं करें।

लोकसभा : चंदौली में 40 साल से नहीं खुला कांग्रेस का खाता,बस एक बार चिघाड़ा हाथी

लखनऊ। पूर्वांचल की अहम संसदीय सीट चंदौली पर पिछले दस साल से भाजपा काबिज है। 2024 के चुनाव में भाजपा जीत की हैट्रिक की तैयारी में है। वहीं सपा और बसपा के सामने इतिहास दोहराने की चुनौती है। कांग्रेस पिछले चार दशक से जीत का सूखा झेल रही है। बता दें, 2024 के चुनाव में सपा-कांग्रेस को गठबंधन है। ये सीट सपा के खाते में है। बसपा अकेले मैदान में है। *चंदौली में बसपा ने अब तक 9 चुनाव लड़े* चंदौली में बसपा ने अब तक 9 चुनाव लड़े और उसे सिर्फ 1 बार जीत का स्वाद चखने का अवसर मिला। 1989 के चुनाव में बसपा ने यहां पहली बार किस्मत आजमाई। अपने पहले चुनाव में बसपा के जगन्नाथ कुशवाहा 15.32 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे स्थान पर रहे। 1991 में बसपा के छविनाथ मौर्य 19.51 फीसदी वोट शेयर के साथ तीसरे रहे। 1996 में बसपा के हेमन्त कुमार कुशवाहा और 1998 में शशि कान्त राजभर तीसरे स्थान पर रहे। 1999 के आम चुनाव में कमला राजभर हाथी की टिकट पर मैदान में उतरी। उन्हें 26.03 फीसदी वोट मिले। कमला तीसरे स्थान पर रही। *चंदौली सीट का इतिहास,पहले दो चुनाव में साइकिल हुई पंचर* चंदौली संसदीय सीट पर अब तक 16 चुनाव हो चुके हैं। भाजपा यहां 5 बार, कांग्रेस 4 बार, समाजवादी पार्टी 2 बार और बसपा, संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, भारतीय लोकदल, जनता पार्टी और जनता दल 1-1 बार यहां जीत दर्ज कर चुके हैं। यहां की जनता ने सभी दलों को मौका दिया है। इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने का गौरव भाजपा के खाते में है।चंदौली में सपा ने अपना चुनाव 1996 में लड़ा। इस चुनाव में सपा के कैलाश नाथ सिंह यादव दूसरे स्थान पर रहे। चुनाव भाजपा के आनन्द रत्न मौर्य ने जीता। आनन्द रत्न मौर्य को 189,179 (32.14 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं कैलाश यादव के खाते में 158,028 (26.85 प्रतिशत)वोट आए। 31 हजार से ज्यादा मतों के अंतर से आनन्द ने ये चुनाव जीता। 1998 के चुनाव में सपा के जवाहर लाल जायसवाल को भाजपा के आनन्द रत्न मौर्य के हाथों हार का सामना करना पड़ा। *1999 में साइकिल ने पकड़ी रफ्तार* 13वीं लोकसभा के चुनाव में सपा की साइकिल ने यहां रफ्तार पकड़ी और जवाहर लाल जायसवाल दिल्ली पहुंचे। जवाहर लाल को 265,412 (36.52 प्रतिशत) वोट मिले। दूसरे स्थान पर रहे भाजपा के आनन्द रत्न मौर्य को 191,883 (26.41 प्रतिशत) वोट मिले। चुनाव में 55.07 फीसदी वोटिंग रिकार्ड हुई। 2004 के चुनाव में बसपा के हाथी ने साइकिल को पछाड़कर दिल्ली का टिकट कटा लिया। 2009 में दोबारा दौड़ी साइकिल,2004 में बसपा को मिली जीत* 15वीं लोकसभा के लिए साल 2009 में हुए चुनाव में दूसरी बार यहां सपा की साइकिल दौड़ी। सपा प्रत्याशी राम किशुन यादव ने बसपा के कैलाश नाथ यादव को मात्र 459 वोट से शिकस्त दी। राम किशुन को 180,114 (26.85 प्रतिशत) वोट मिले। वहीं बसपा प्रत्याशी को 179,655 (26.78 प्रतिशत) वोट प्राप्त हुए। इस चुनाव में 18 प्रत्याशी मैदान में थे। कुल 6 लाख 70 हजार 891 वोटरों ने अपना मताधिकार का प्रयोग इस चुनाव में किया। इस जीत के बाद 2014 और 2019 के चुनाव में सपा की साइकिल यहां दौड़ नहीं पाई। दोनों चुनाव भाजपा के डॉ.महेन्द्रनाथ पाण्डेय ने जीते।पहले पांच चुनाव में हार के बाद आखिरकार 2004 के आम चुनाव में बसपा के कैलाश नाथ सिंह यादव को जीत नसीब हुई। कैलाश नाथ ने सपा के आनन्द रत्न मौर्य को 1669 मतों के अंतर से शिकस्त दी। 2004 और 2009 के चुनाव में बसपा प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रहे। 2019 में सपा-बसपा के गठबंधन में ये सीट सपा के खाते में थी। इसलिए बसपा ने यहां अपना प्रत्याशी नहीं उतारा। *40 साल पहले आखिरी बार जीती कांग्रेस* चंदौली सीट पर हुए 16 चुनाव में कांग्रेस 4 बार जीती है। यहां उसे आखिरी जीत 1984 के आम चुनाव में नसीब हुई। तब के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चन्दा त्रिपाठी ने जीत का झंडा गाड़ा था। इसके बाद 1989 के चुनाव में कांग्रेस यहां दूसरे नंबर पर रही। 1991, 96 और 98 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहे। तीनों चुनाव में उसकी जमानत जब्त हुई। 1999 के चुनाव में कांग्रेस चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं कर पाई। 2004 में कांग्रेस ने चुनाव में उतरने की हिम्मत तो दिखाई लेकिन वो चौथे नंबर से ऊपर उठ नहीं पाई। 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी शिवेन्द्र कुमार तीसरे और 2014 में तरूण पटेल चौथे स्थान पर रहे। 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतारा। गौरतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस सपा का गठबंधन है। ये सीट सपा के खाते में है।
राजधानी में बिजली कटौती को लेकर लोगों में आक्रोश , कई स्थानों पर आक्रोशित लोगों ने उपकेंद्रों का किया घेराव

लखनऊ । यूपी की राजधानी में बिजली कटौती कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। जिसकी वजह से राजधानी के कई स्थानों पर बवाल भी बढ़ता जा रहा है। बुधवार रात बिजली गुल होने से नाराज लोगों ने प्रियदर्शिनी और गहरू उपकेंद्रों का घेराव किया। इसके साथ ही सीतापुर रोड जाम कर रात तीन बजे तक प्रदर्शन, हंगामा किया।प्रियदर्शिनी उपकेंद्र के 10 हजार उपभोक्ता पूर्व अफसरों की लापरवाही का खामियाजा भुगत रहे हैं।

यहां अतिरिक्त 33 केवी लाइन बनाई गई होती तो यह स्थिति न आती। बुधवार रात एक बजे फॉल्ट के चलते उपकेंद्र की बिजली गुल हो गई। इससे गर्मी से बेहाल लोग डेढ़ बजे सीधे उपकेंद्र पहुंचे और नारेबाजी, गाली-गलौज और मारपीट पर अमादा हो गए। यह देख एसडीओ, जेई आदि कर्मचारी भाग निकले। पकड़ में आए ऑपरेटर से लोगों ने अभद्रता की।

पुलिस की सुरक्षा में उपकेंद्र पहुंचे मुख्य अभियंता सुनील कपूर, अधीक्षण अभियंता दीपक कुमार को भी लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने पुरनिया फ्लाईओवर से उतरने वाले रास्ते को बंद कर जाम लगा दिया। पुलिस के समझाने पर लोग तीन बजे लौटे। बिजली चालू करने की कसरत बुधवार सुबह सात बजे तक चली। मुख्य अभियंता व अधीक्षण अभियंता देर रात तक उपकेंद्र पर डटे रहे। बिजनौर और सरवननगर गांव में बुधवार रात नौ बजे लो वोल्टेज की समस्या आई। लोगों ने कई बार गहरू उपकेंद्र पर इसकी शिकायत की, पर समस्या दूर नहीं की जा सकी।

इसके बाद रात 11 बजे अचानक पूरी सप्लाई ही ठप हो गई। इससे गुस्साए लोग उपकेंद्र पहुंचे और हंगामा करने के साथ कंट्रोल रूम में घुसकर सारे फीडर बंद कर दिए। इससे चंद्रावल, नटकुर, कासिमखेड़ा, सरैया, शाहपुर मझिगवां, नूरनगर भदरसा, माती व कमलापुर सहित कई गांवों की सप्लाई ठप हो गई। कर्मचारियों ने सरोजनीनगर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने लाठी फटकारकर प्रदर्शनकारियों को भगाया। रात करीब दो बजे सप्लाई चालू हुई।
यूपी में गर्मी का कहर जारी, सभी अस्पतालों का किया अलर्ट, दोपहर एक बजे से चार बजे तक खुले में काम करने पर लगी रोक

लखनऊ । यूपी इन दिनों गर्मी पूरे चरम पर है। जिसके चलते जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित है। गर्मी मार इंसान ही नहीं पशु पक्षियों पर भी जबरदस्त पड़ रही है। ऐसे में लू का खतरा जबरदस्त बढ़ गया है। जिसे देखते हुए अस्पतालों में लू से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किये जा रहे है। प्रदेशभर के सभी चिकित्साधिकारियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिये गये है। जिस वार्ड में मरीज भर्ती है वह कूलिंग की व्यवस्था और लू संबंधी दवाओं को रखने के निर्देश दिये गये है। राजधानी में तेज धूप व गर्मी को देखते हुए दोपहर एक से चार बजे तक खुले में काम पर रोक लगा दी गई है।

हर दिन गर्मी में इजाफा को देखते हुए लू की जारी की गई चेतावनी

जानकारी के लिए बता दें कि यूपी में हर दिन गर्मी में इजाफा हो रहा है।गर्मी का पारा हर दिन चढ़ता ही जा रहा है। जिसके देखते मौसम विभाग ने सप्ताहभर लू का प्रभाव अधिक रहने की चेतावनी दी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी चिकित्साधिकारियों को अलर्ट कर दिया है। मुख्य चिकित्साधिकारियों, चिकित्सा अधीक्षक एवं अन्य अधिकारियों को भेजे निर्देश में कहा कि गर्मी और लू को लेकर पहले से जारी निर्देश का पूरी तरह से पालन किया जाए। इमरजेंसी वार्ड एवं अन्य वार्डों में कूलर, पंखा और एसी को दुरुस्त रखा जाए।

लू से बचने के अस्पताल में हो दवाओं का पर्याप्त स्टाक

गर्मी और लू लगने पर उपचार में प्रयोग होने वाली दवाओं का पर्याप्त स्टाक रखें। जहां दवाएं कम हों, उन्हें तत्काल मंगवा लिया जाए। उन्होंने जिलाधिकारियों को भीड़भाड़ वाले स्थानों पर शुद्ध एवं ठंडा पानी की व्यवस्था कराने, गर्मी से बचाव के लिए शेलटर्स की व्यवस्था करने के भी निर्देश दिए हैं। ताकि अस्पताल आने वाले मरीजों व उनके परिजनों को किसी प्रकार से परेशानी का सामना न करना पड़े। इस निर्देश का सभी चिकित्साधिकारियों द्वारा कड़ाई से पालन किया जाए। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।

व्यस्त चौराहों पर दो मिनत ज्यादा ट्रैफिक का न रोका जाए

राजधानी में गर्मी के तीखे तेवर से लोग बेहाल हैं। ऐसे में हीट वेव से बचाव के लिए उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और नगर निगम के बीच बुधवार को स्मार्ट सिटी के ऑफिस में हुई विशेष बैठक में अहम फैसले लिए गए। इसके तहत अब शहर में दोपहर एक से चार बजे तक निर्माण इकाइयों पर खुले में काम नहीं किया जाएगा। साथ ही किसी भी व्यस्त चौराहे पर दो मिनट से ज्यादा देर तक ट्रैफिक नहीं रोका जाएगा। जिन चौराहों पर ट्रैफिक हल्का है, वहां सिग्नल ब्लिंक मोड पर रहेंगे, यानी ट्रैफिक नहीं रुकेगा। नगर निगम के सभी जोनल ऑफिसों और कूलिंग सेंटर पर लोगों के लिए ओआरएस के पैकेट भी उपलब्ध कराए जाएंगे।

नगर आयुक्त की तरफ से मंगाए गए ओआरएस के पांच हजार पैकेट

नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह की तरफ से चौराहों पर सिग्नल की व्यवस्था को लेकर यातायात पुलिस को पत्र भेजा जा रहा है। ओआरएस के पांच हजार पैकेट मंगवाए गए हैं। लोगों से अपील की है कि धूप में निकलने से बचें। अगर निकलें तो छाता लेकर जाएं। बैठक में बनी कार्ययोजना को फिलहाल 15 के लिए लागू किया जाएगा। बैठक में आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की निदेशक डॉ. कनीज फातिमा, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ (आईआईपीएच) गांधीनगर के प्रो. डॉ. महावीर प्रसाद सहित नगर निगम के अन्य अधिकारी भी थे।नगर निगम के सभी जोनल ऑफिसों में कूलिंग जोन बनाए हैं। यहां पीने के पानी की व्यवस्था के साथ कूलर भी लगाए गए हैं। लालबाग स्थित नगर निगम मुख्यालय सहित सभी जोनों में इनके इंतजाम को लेकर सभी जोनल अफसरों और जोनल सिनेटरी अधिकारियों को जिम्मेदारी दे दी गई है।

प्रयागराज का अधिकतम तापमान 48.8 डिग्री पहुंचा

उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से बुधवार को भीषण लू की चपेट में रहे। जिन इलाकों में लू नहीं रही, वहां चल रही गर्म हवा लू का एहसास करा रही थी। बुधवार को प्रयागराज का अधिकतम तापमान 48.8 डिग्री पहुंच गया, जबकि कानपुर 48.4 डिग्री के साथ दूसरा सबसे गर्म शहर रहा। आंचलिक मौसम विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, बुधवार को भीषण गर्मी के बीच अधिकतम तापमान सामान्य से 7 डिग्री तक अधिक रहा। जबिक रात का पारा भी 6 डिग्री से अधिक दर्ज हुआ।

जानलेवा हुई गर्मी, 51 की ली जान

बुंदेलखंड में प्रचंड गर्मी और लू की चपेट में आने से बुधवार को 31 लोगों की जान चली गई। इसमें महोबा में आठ, हमीरपुर में सात, चित्रकूट में छह, फतेहपुर में पांच, बांदा में तीन और जालौन में दो व्यक्ति की मौत हो गई। इनमें से ज्यादातर लोग किसी काम से बाहर निकले थे और रास्ते में ही अचेत होकर गिर गए। अस्पताल पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई। बहराइच में लू की चपेट में आने नानपारा व कैसरगंज तहसील क्षेत्र में दो लोगों की मौत हो गई। इसी तरह प्रयागराज में एक दरोगा समेत चार लोगों की जान चली गई। ग्रेटर नोएडा में मेरठ निवासी एक बुजुर्ग की लू लगने से मौत हो गई। बलिया में एक महिला की मौत हो गई। इसके अलावा वाराणसी में छह, मिर्जापुर में तीन, आजमगढ़, जौनपुर और सोनभद्र में एक-एक की मौत हुई है। हालांकि पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल सकेगा की मौत की असल वजह क्या है।
मोहिनी दुबे हत्याकांड : जो चाहिए ले लीजिए, पर बक्श दो जान, हमने आप लोगों को खिलाया पिलाया है, फिर भी नहीं पसीजा आरोपियों का दिल 
लखनऊ । राजधानी में सेवानिवृत्त आईएएस देवेंद्र दुबे की पत्नी मोहिनी दुबे के हत्याकांड का खुलासा होने के बाद अब पकड़े गए तीनों आरोपी एक-एक करके अपना सारा राज खोल रहे है। पूछताछ में अब पता चला कि हत्या करने के बाद दौरान जब आरोपी अभिषेक और रंजीत ने मोहिनी देवी पर हमला बोला और गला दबाया तो वह उन दोनों से यही विनती करती रही कि हमने आप लोगों को खिलाया पिलाया है। घर में जो भी रखा है ले लीजिए, पर जान बक्स दीजिए। मोहिनी दुबे के मुंह से यह बात सुनने के बाद भी दोनों आरोपियों का दिल नहीं पसीजा और मौत होने तक वार करते रहे।

*हत्या करने के बाद अखिलेश ने खुद पुलिस चौकी जाकर दी सूचना*

इस पूरी वारदात सबसे चौकाने वाली बात यह रही कि हत्या करने बाद से वह पुलिस के सामने ही रहे। यहां तक कि मास्टरमाइंड और मोहिनी का गला कसने वाले अखिलेश ने खुद चौकी में जाकर पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस ने कदम-कदम के सीसीटीवी फुटेज जुटाकर और नीले रंग (एक ही कंपनी की) की एक हजार स्कूटी की पड़ताल कर कातिलों को बेनकाब कर दिया। हालांकि पुलिस सुराग न लगा सके। इसके लिए इन हत्यारोपियों से जितना हो सका उतना किया लेकिन उसमें नाकाम रहे।

*वारदात के दौरान मोबाइल का नहीं किया गया इस्तेमाल*

डीसीपी नॉर्थ अभिजीत आर शंकर के अनुसार आरोपियों ने वारदात के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल नहीं किया। अखिलेश ने अपना मोबाइल घर पर छोड़ दिया था। रंजीत का मोबाइल उसकी पत्नी इस्तेमाल कर रही थी। जिससे जब उनकी लोकेशन देखी जाए तो पुलिस को संदेह न हो। वारदात को अंजाम देने के बाद अखिलेश और रंजीत सीधे अपने घर पहुंचे थे। इधर रवि ने जब अखिलेश को सूचना दी तो वह ऊपर वाली सफेद टी-शर्ट निकालकर मौके पर पहुंचा था। इसलिए घटनास्थल पर वह नीली टी-शर्ट में था। इससे अगर वह कहीं फुटेज में कैद हो तो पहचान न हो सके। तीनों में से कोई भी घर छोड़कर नहीं भागा। घटना की सूचना पर अखिलेश तुरंत मौके पर पहुंचा था।

*पोस्टमार्टम से लेकर अस्थि विसर्जन तक रहा साथ*

देवेंद्र गोल्फ खेलने के बाद ड्राइवर रवि के साथ घर पहुंचे थे। मोहिनी को मृत पड़ा देखकर रवि ने सबसे पहले भाई अखिलेश को फोन कर बुलाया था। अखिलेश ने मौके पर पहुंचकर 112 डायल किया। जब कॉल नहीं लगी तब रिंग रोड पुलिस चौकी पर पहुंचकर सूचना दी थी। यही नहीं, पोस्टमार्टम कराने से लेकर अस्थि विसर्जन तक में अखिलेश व रवि शामिल रहे। इतना ही नहीं हत्या के बाद घर पहुंचने पर खूब फूट फूटकर राेया। ताकि देवेंद्र और पुलिस को शक न हो।

*पहचान को छिपाने के लिए मोड़ दिया था स्कूटी का नंबर प्लेट*

वारदात के लिए जब दोनों आ रहे थे तब रास्ते में स्कूटी की नंबर प्लेट मोड़ दी थी। इससे फुटेज में वह न दिखे। नंबर प्लेट मोड़ते हुए फुटेज पुलिस को मिला है।जब पुलिस ने फुटेज देखी तो सबसे पहले स्कूटी पर दो युवक दिखे। दोनों हेलमेट लगाए थे। नीले रंग की स्कूटी की कंपनी का नाम साफ दिखा। उस कंपनी से हाल में बेची गई नीले रंग की स्कूटी की संख्या व विवरण मांगा। कंपनी ने एक हजार स्कूटी की डिटेल दी। इधर पुलिस ने फुटेज से आधा अधूरा नंबर चिह्नित किया। एक-एक कर आखिर में तीन स्कूटी चिह्नित की। इसमें एक कैंट घोसियाना के पते पर थी। जो रंजीत के नाम पर थी।पुलिस रंजीत नाम के शख्स के बारे में जानकारी जुटा ही रही थी कि तभी एक और फुटेज सामने आया जिसमें स्कूटी पर बैठे पीछे वाले बदमाश ने हेलमेट उतार रखा था। पुलिस ने इस फुटेज की तस्दीक रंजीत नाम के शख्स से कराई। जो पुख्ता निकली।

*रंजीत के भाई को उठाकर कड़ाई से पूछा तो उगल दिया सारा राज*

पुलिस को जब साफ हो गया कि स्कूटी रंजीत की थी और फुटेज में वही था। तब कॉल डिटेल निकाली। पता चला कि घटना के वक्त उसका मोबाइल घर पर ही था। इससे कुछ शक हुआ। जानकारी मिली कि रंजीत का भाई चोरी में जेल जा चुका है। तब पुलिस ने उसको उठाया। उसने कहा कि घटना में वह नहीं रंजीत है। तब पुलिस ने रंजीत को उठा लिया। उसने पूरी वारदात कुबूल ली। आखिर में अखिलेश व रवि को भी गिरफ्तार किया।जब सुबह सात बजे रवि कार से देवेंद्र को लेकर गोल्फ खेलने के लिए ले जा रहा था तो सोसाइटी के बाहर ही अखिलेश व रंजीत खड़े थे। फुटेज में देखा तो कार को देखकर अचानक से वह दोनों सक्रिय हो गए। तुरंत सोसाइटी की तरफ चले गए। ऐसा लगा कि उनको कुछ इशारा किया गया है। इससे बेहद अहम सुराग लगा था।

*पिछले शनिवार की सुबह बदमाशों ने हत्या के बाद की थी लूटपाट*

जानकारी के लिए आपको बता दें कि लखनऊ के इंदिरानगर के सेक्टर-20 में शनिवार सुबह बदमाशों ने दिनदहाड़े घर में घुसकर सेवानिवृत्त आईएएस देवेंद्र दुबे की पत्नी मोहिनी दुबे की हत्या कर लूटपाट की थी। देवेंद्र गोल्फ खेलकर घर पहुंचे तो पहली मंजिल पर पत्नी का शव पड़ा देखा। दुपट्टे से गला कसा था और सिर पर भारी चीज से वार किया गया था।पुलिस, डॉग स्क्वायड और फोरेंसिक टीम ने छानबीन की। वारदात के खुलासे के लिए पांच टीमों को लगाया गया था। सेवानिवृत्त आईएएस देवेंद्र दुबे की पहली पत्नी मीना का निधन हो चुका है।

यूपी में विभिन्न जिलों में बिजली की कटौती जारी, उपभोक्ता परेशान
लखनऊ । यूपी में मंगलवार को 29261 मेगावाट बिजली आपूर्ति के साथ नया रिकॉर्ड बन गया है, लेकिन विभिन्न जिलों में कटौती का दौर जारी है। इसे लेकर कई जगह विवाद की नौबत तक आ रही है। शहरी इलाके में रात्रिकालीन स्थानीय फॉल्ट से उपभोक्ता परेशान हैं। बिजली कर्मियों का कहना है कि अधिक लोड होने की वजह से यह समस्या आ रही है।

प्रदेश में 24 मई को 29147 मेगावाट आपूर्ति का रिकॉर्ड बना था, लेकिन मंगलवार को पीक ऑवर में मांग 29261 मेगावाट पर पहुंच गई। इसके निरंतर बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में पावर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष डाॅ. आशीष कुमार गोयल नें प्रदेश के सभी प्रबंध निदेशकों एवं मुख्य अभियंताओं को निर्देशित किया कि गर्मी से परेशान जनता को उनकी मांग के अनुसार बिजली उपलब्ध कराएं। उन्होंने मध्यांचल, पश्चिमांचल, दक्षिणांचल, पूर्वांचल एवं केस्को के अधिकारियों से क्षेत्रवार जानकारी ली। निर्देश दिया कि ओवरलोडिग, क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मरों को लेकर अलर्ट रहें।

राजधानी लखनऊ में रात्रिकालीन कटौती की वजह से लगातार बवाल हो रहा है। विभागीय अधिकारी इसे लोकल फाॅल्ट का नाम दे रहे हैं। इसी तरह जौनपुर, रायबरेली, देवरिया, औरैया, इटावा, बांदा, बुलंदशहर सहित अन्य जिलों में भी उपभोक्ताओं के सड़क पर उतरने की सूचना है। उपभोक्ताओं का तर्क है कि वे भार के अनुसार बिजली बिल भुगतान कर रहे हैं। इसके बाद भी उमसभरी गर्मी में बिजली न मिलने से बेहाल हैं।

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आरोप लगाया कि यूपीएसएलडीसी के कागजों में शहरी एवं ग्रामीण इलाके में 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा किया गया है, जबकि हकीकत है कि ज्यादातर जिलों में बिजली गुल है। इसकी प्रमुख वजह पिछले दो साल में 89596 किलोमीटर में लगे घटिया किस्म के बंच कंडक्टर हैं। इनकी गुणवत्ता अच्छी हो तो बिजली चोरी और विद्युत दुर्घटना पर अंकुश लग सकता है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि हर दिन स्थानीय फाल्ट के मामले में 20 से 25 प्रतिशत केस बंच कंडक्टर के हैं। दूसरी तरफ जिन स्थानों पर पुराने बंच कंडक्टर लगे हैं, वहां इस तरह की घटनाएं नहीं हो रही हैं। परिषद अध्यक्ष ने अंडरग्राउंड केबिल की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाया है।
कम राजस्व प्राप्त करने वाले 13 आरटीओ और एआरटीओ को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि
लखनऊ । परिवहन विभाग के आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने कम राजस्व प्राप्त करने वाले 13 आरटीओ और एआरटीओ को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दी है। राजस्व को लेकर हुई समीक्षा बैठक में यह पाया गया कि कई अफसर लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे हैं। परिवहन आयुक्त ने राजस्व कम वसूलने वाले ऐसे अफसरों पर कार्रवाई की है, जिससे अन्य अफसर सकते में आ गए हैं। जिन अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है।

उसमें चित्रकूट धाम बांदा के आरटीओ संत देव सिंह, कानपुर परिक्षेत्र के उप परिवहन आयुक्त डॉ विजय कुमार, आजमगढ़ के आरटीओ राधेश्याम, प्रयागराज के आरटीओ राजेश कुमार मौर्य, एआरटीओ प्रशासन प्रवर्तन कौशांबी तारकेश्वर मल्ल, आरटीओ प्रशासन प्रवर्तन उन्नाव अरविंद कुमार सिंह, एआरटीओ प्रशासन फतेहपुर पुष्पांजलि मित्रा गौतम, एआरटीओ प्रशासन फर्रुखाबाद बृजेंद्र नाथ चौधरी, एआरटीओ प्रशासन सीतापुर माला बाजपेई, एआरटीओ प्रवर्तन सीतापुर संजय कुमार गुप्ता, एआरटीओ प्रवर्तन अयोध्या प्रवीण कुमार सिंह, एआरटीओ प्रवर्तन फिरोजाबाद सुरेश चंद्र यादव, एआरटीओ प्रशासन प्रवर्तन कन्नौज इज्या तिवारी शामिल हैं।

परिवहन आयुक्त ने बीती 14 मई को आयोजित विभागीय राजस्व समीक्षा बैठक में अधिकारियों को चेतावनी दी गई थी कि राजस्व प्राप्ति सुधारी जाए लेकिन अफसरों ने ऐसा नहीं किया। शिथिलता बरतते रहे। यही वजह है कि राजस्व लक्ष्यों की प्राप्ति में शिथिलता बरतते रहने के कारण विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि जारी की गई।
संजीवनी पहल के तहत सौ से अधिक यातायात पुलिस के जवानों को दिया गया प्रशिक्षण

लखनऊ । मंगलवार  को अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल तथा यातायात पुलिस लखनऊ के सहयोग से ‘‘संजीवनी’’ पहल के अंतर्गत सीपीआर वर्कशॉप में 100 से अधिक यातायात पुलिस के जवानों को प्रशिक्षण दिया गया। इस पहल का उद्देश्य सड़क दुर्घटनाओं या अन्य आपातकालीन स्थितियों में पीड़ितों की जान बचाने के लिए पुलिसकर्मियों को जीवनरक्षक कौशल से लैस करना है। इस अवसर पर  कमलेश कुमार दीक्षित पुलिस उपायुक्त, यातायात, अजय कुमार अपर पुलिस उपायुक्त यातायात,  इंद्रपाल सिंह सहायक पुलिस आयुक्त, शिवाजी सिंह सहायक पुलिस आयुक्त यातायात, सुबोध कुमार जायसवाल सहायक पुलिस आयुक्त यातायात और जेएन अस्थाना सहायक पुलिस आयुक्त यातायात मौजूद रहे।

सीपीआर कब दिया जाना चाहिए, इसका समझाया महत्व

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीईओ एवं एमडी डॉ मयंक सोमानी ने कहा, सड़क दुर्घटना और आपात स्थिति में यदि तुरंत सीपीआर प्रदान किया जाता है, तो यह किसी की जान बचा सकता है। सीपीआर एक सरल तकनीक है जिसे कोई भी सीख सकता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि आपातकालीन स्थिति में इसका उपयोग कैसे किया जाए।’’ वर्कशॉप में डा. अजय कुमार,  एमडी, इन्टर्नल मेडिसीन द्वारा यातायात पुलिस के जवानों को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) की बुनियादी बातें सिखाईं।  जिसमें छाती संपीड़न और बचाव के लिए सांसें देना भी शामिल है।

यातायात पुलिस के जवानों को फिट रहनें के लिए  जरूरी व्यायाम की दी गई जानकारी

सीपीआर एक जीवन रक्षक तकनीक है जिसका उपयोग हृदय गति रुकने पर किसी व्यक्ति की जान बचाने के लिए किया जाता है। चूंकि यातायात पुलिस के जवान अक्सर मेडिकल इमरजेंसी के पहले उत्तरदाता होते हैं, इसलिए उनके लिए सीपीआर प्रशिक्षण प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। इससे यह भी सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों को समय पर और प्रभावी ढंग से प्राथमिक चिकित्सा मिल सके। वर्कशॉप के अन्त में डा. यगोश द्वारा यातायात पुलिस के जवानों को फिट रहनें के लिए  जरूरी व्यायाम के बारे में जानकारी दी गयी। पुलिस उपायुक्त, यातायात  द्वारा वर्कशॉप में यातायात पुलिस के जवानों को सीखायी गई तकनीकों के लिए अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल का आभार व्यक्त किया।

पूर्व कमिश्नर की पत्नी की हत्या का पर्दाफाश, उन्हीं के ड्राइवर ने भाई और दोस्त के साथ मिलकर रची थी साजिश, तीनों गिरफ्तार
लखनऊ। राजधानी के गाजीपुर थाना क्षेत्र सेवानिवृत्त कमिश्नर अधिकारी देवेंद्र नाथ दुबे की पत्नी मोहिनी दुबे की हत्या का खुलासा पुलिस ने मंगलवार को कर दिया है। हत्या की साजिश रचने में ड्राइवर, उसका भाई और एक साथी पकड़ा गया है। एनकाउंटर में मुख्य आरोपित को गोली लगी है, जबकि एक सिपाही घायल हुआ है। पुलिस ने इनके कब्जे से लूटा हुआ करीब एक करोड़ रुपये के जेवरात और स्कूटी भी बरामद कर लिया है। पुलिस ने गिरफ्तार अभियक्तों से पूछताछ की तो पता चला कि हत्या व लूट की साजिश रचने वाला कोई और नहीं बल्कि सेवानिवृत्त कमिश्रर का 13 साल पुराना उनका ही ड्राइवर निकला।


*मास्टरमाइंड उनका ड्राइवर अखिलेश था, भाई व साथी के साथ मिलकर की वारदात*


घटना का खुलासा करते हुए पुलिस कमिश्नर एस बी शिरडकर, जेसीपी क्राइम आकाश कुलहरि ने बताया कि थाना गाजीपुर क्षेत्र के इंदिरानगर सेक्टर 20 में शनिवार सुबह पूर्व आईएएस व प्रयागराज के पूर्व कमिश्नर देवेंद्र दुबे के घर में घुसकर बदमाशों ने उनकी पत्नी मोहिनी की हत्या कर दी थी और घर से नगदी सहित कीमती जेवरात लूटकर मौके से फरार हो गए थे। इस पूरे मामले की जांच  में जुटी पुलिस टीमों ने सीसीटीवी कैमरे  की सहायता से आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया और वारदात का मास्टर माइंड अखिलेश ने ड्राइवर रवि  और एक साथी की मदद से घटना को अंजाम दिया था।


*लूट का सारा सामान कुकरैल बंधे के पास झाड़ियों में छुपा रखा था*


गिरफ्तार मुख्य आरोपी अखिलेश से जब पूछताछ की तो उसने बताया की लूट का सारा सामान उसने कुकरैल बंधे के पास झाड़ियों में छुपा रखा है। जब पुलिस ने उसकी निशानदेही पर लूट का माल बरामद करने के लिए उसे साथ ले गई तो उसने एक बैग में लूट के माल के साथ एक अवैध तमचा छुपा रखा था और जब पुलिस ने उससे  बैग खोलने को कहा तो उसने भागने की नियत से बैग में रखे असलहे से पुलिस टीम पर फायरिंग कर दी। जब पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की तो अखिलेश के  पैर में गोली लग गई। इस दौरान थाना गाजीपुर में तैनात एक सिपाही को भी  चोटें आई हैं। दोनों को  इलाज के लिए अस्पताल में भेज दिया गया है और लूट के माल सहित तीनों आरोपियों को गिरफ्तार करने में पुलिस ने सफलता प्राप्त की है।


*पिछले 13 साल से सेवानिवृत्त कमिश्नर के घर रह रहे थे दोनों भाई*


पूछताछ में वारदात के मुख्य आरोपी अखिलेश यादव ने बताया  कि वह और उसका भाई रवि पिछले 13 वर्षो  से देवेन्द्र नाथ दुबे निवासी इन्दिरानगर थाना गाजीपुर लखनऊ रिटायर्ड आईएएस के यहां गाड़ी चलाने व घर का काम करते थे। जो अपनी पत्नी ललित मोहनी दुबे के साथ अकेले  रहते थे। पुराने  होने के कारण हम लोग विश्वसनीय थे एक दिन वह स्टोर रूम में सफाई कर रहा था तभी ललित मोहनी दुबे  ने वहां पर रखी अलमारी में से गहने निकाले और कहीं जाने के लिए उनमें से कुछ गहने छांट कर बेड पर रख दिये। जिनको उसने देखा तब मुझे पता चला कि मैडम की इस आलमारी में गहने रखे हैं तभी उसके मन में जल्दी अमीर बनने का लालच आ गया।


*दोनों भाई और उसके दोस्त ने लूट का बनाया प्लान*


यह बात उसने घर जाकर अपने भाई रवि यादव को बताई तो उसने मुझे सलाह दी कि देवेन्द्र नाथ दुबे  सुबह 7 बजे प्रतिदिन गोल्फ खेलने कालिदास मार्ग गोल्फ क्लब लखनऊ जाते हैं। जब वह देवेंद्र नाथ दुबे को गोल्फ खिलाने ले जाऊंगा तब तुम किसी के साथ आकर गहने लूट लेना और यदि मैडम को पता चल जाए तो उनको जान से मार देना। इसी षडयंत्र के चलते उसने यह बात अपने पुराने मित्र रंजीत से बतायी जिसने घटना में शामिल होने के लिए एक तिहाई हिस्सा तय कर सहायता करने में हां कर दी। घटना वाले दिन रंजीत उपरोक्त अपनी स्कूटी लेकर आया था जिसे वह चला रहा था। देवेन्द्र नाथ दुबे  के घर निकलने से पहले करीब 7 बजे वह और रंजीत आगे वाले चौराहे पर इन्तजार करने लगे जब रवि, दुबे को गोल्फ खिलाने घर से बाहर निकले तो रास्ते में हमें इशारा करते हुए चला गया । इसके बाद हम दोनों देवेंद्र नाथ दुबे के घर पहुंचकर बेल बजाई तो मैडम बाहर आयी।


*एक ने मोहिनी का पैर छुआ तो दूसरे ने पकड़ा गला*


उन्होंने मुझे देखकर विश्वास में आाकर गेट खोल दिया, वह अन्दर चला गया और मैडम मोहिनी को बताया कि मेरे साथ मेरा एक मित्र आया है जो मेरे काम काज में हाथ बंटा देगा। इस पर उन्होंने उस मित्र को अन्दर बुलाने के लिए कहा तो वह रंजीत को अन्दर बुलाया, रंजीत ने अन्दर आकर जैसे ही मैडम के पैर छुए उसी समय वह मैडम का पीछे से गला दबा दिया और रंजीत ने मैडम को पकड़ लिया। जैसे ही मैडम नीचे गिरी हम लोगों ने पास में रखे मैडम के दुपट्टे से गला कस दिया । मैडम द्वारा छटपटाने पर साथ लाये पेचकस से मैडम के ऊपर कई वार किये कुछ समय पश्चात मैडम की सांस रूक गयी और हम लोग अलमारी में रखे जेवरात लूट कर वहां से भाग गये।


*सीसीटीवी फुटेज से अखिलेश व रंजीत की हुई पहचान*


वारदात के दौरान जांच में कैंट इलाके में पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज में उसी स्कूटी पर अखिलेश और रंजीत को देखा, जिससे वारदात को अंजाम दिया गया था। पुलिस ने शक के आधार पर अखिलेश और रवि को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो दोनों ने अपना गुनाह स्वीकारा। मंगलवार को पुलिस मुख्य आरोपित अखिलेश को लेकर माल बरामदगी के लिए कुकरैल नदी के पास पहुंची। यहां पर बैग में छिपाकर रखा गया तमंचा निकालकर अखिलेश ने पुलिस टीम पर फायर झोंक दिया, जिसमें मुख्य आरक्षी बाल कृष्ण घायल हो गये। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में गोली चलायी तो अखिलेश को जा लगी। दोनों घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है।


*हत्यारोपी मोहिनी के अंतिम संस्कार में भी हिस्सा लिया और खूब रोये*


इस पूरे वारदात में मजे की बात यह है कि हत्या करने के बाद अखिलेश और रवि ने मोहिनी दुबे की अंतिम संस्कार में भी हिस्सा लिया। साथ ही फूट-फूटकर खूब रोए भी थे। ताकि किसी को उनके ऊपर शक न हो। इसलिए शुरूआम में पुलिस को इन पर शक भी नहीं हुआ। साथ ही पूर्व कमिश्नर के ड्राइवर होने के कारण पुलिस की निगाह भी नहीं गई लेकिन जैसे-जैसे पुलिस की जांच बढ़ती गई और यह घेरे में आते गए तो रवि से पूछताछ करना शुरू कर दिया। डीसीपी उत्तरी अभिजीत आर शंकर ने बताया कि गहने और रुपये की लालच में हत्या की गई है।


*आरोपियों ने पुलिस को यह भी बताई कहानी*


मुख्य साजिशकर्ता अखिलेश पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि उसे टीबी की बीमारी थी। जिसका इलाज कराते-कराते काफी कर्जदार हो गया था। जिसे चुका नहीं पा रहा था। इसलिए अपने भाई रवि और दोस्त रंजीत के साथ मिलकर लूट का प्लान बनाया। अभी हाल में रंजीत की शादी हुई थी। जिसमें वह काफी कर्जदार हो गया था। पूर्व कमिश्नर ने रंजीत को आश्वासन दिया था कि उनकी शादी में मदद करेंगे लेकिन मदद के नाम पर केवल 21 हजार रुपये दिये। जिसकी वजह से उसके मन में यह खुन्नस थी। इसीलिए वह भी लूट में शामिल हो गया।