संसद के दूसरे दिन भी सत्तापक्ष और विपक्ष का टकराव जारी, SIR पर फिर बवाल

#parliamentwintersessionsirindiblockprotest

संसद में एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा जारी है। संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। संसद परिसर में विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों ने आज भी एसआईआर के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा। विपक्षी सांसद संसद के मकर द्वार के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और चुनाव आयोग के साथ-साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में मकर द्वार पर एसआईआर के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन संसद परिसर में एसआईआर के खिलाफ विपक्ष के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य विपक्षी नेता प्रदर्शन में मौजूद दिखे।

संसद में व्यवधान पैदा करने की आवश्यकता नहीं- रिजिजू

वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, विपक्ष को ढूंढ-ढूंढकर कर मुद्दे लाने की आवश्यकता नहीं है। शीतकालीन सत्र में बहुत सारे मुद्दे हैं और कई मुद्दे विपक्ष ने भी उठाए हैं, हम उसपर आगे क्या करना है बातचीत करके विचार करेंगे। नए-नए मुद्दे ढूंढकर संसद में व्यवधान पैदा करने की आवश्यकता नहीं है। हर मुद्दा अपनी जगह पर महत्वपूर्ण है लेकिन मुद्दे को हथियार बनाकर संसद में गतिरोध करना ठीक नहीं है। आज हम विपक्ष के प्रमुख नेताओं से बात करेंगे।

संचार साथी एप को लेकर भड़का विपक्ष

इधर, मोबाइल हैंडसेट पर संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने के संचार विभाग के निर्देशों पर भी विपक्ष ने आपत्ती जताई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, यह एक जासूसी ऐप है। नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। हर किसी को परिवार, दोस्तों को मैसेज भेजने की प्राइवेसी का अधिकार होना चाहिए। वे इस देश को हर तरह से तानाशाही में बदल रहे हैं। संसद इसलिए काम नहीं कर रही है क्योंकि सरकार किसी भी चीज पर बात करने से मना कर रही है। विपक्ष पर इल्जाम लगाना बहुत आसान है। वे किसी भी चीज पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं। एक स्वस्थ लोकतंत्र चर्चा की मांग करता है।

नेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़की सत्ता-विरोधी लहर, अब नए संविधान, प्रतिनिधि सभा भंग करने की उठी मांग

#nepalgenzprotestersdemandsnewconstitution

नेपाल में जेनरेशन जेड (जेन-जी) आंदोलन अब बेकाबू होता जा रहा है। सोशल मीडिया बैन से भड़की युवा-नेतृत्व वाली लहर अब सत्ता-विरोधी सुनामी में बदल चुकी है। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंहदरबार सचिवालय और कई नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इस बवाल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अचानक इस्तीफा दे दिया। हालात इतने बिगड़े कि सेना को मंगलवार रात 10 बजे से राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेनी पड़ी। देशभर में कर्फ्यू लागू है और सीमाएं सील कर दी गई हैं। इस बीच जेन जी प्रदर्शनकारियों ने कई राजनीतिक और सामाजिक मांगें रखी हैं।

सेना ने ली देश की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी

नेपाल में हालात बिगड़ने के बाद सेना ने सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है। काठमांडू एयरपोर्ट और सरकार के मुख्य सचिवालय सिंहदरबार जैसे अहम ठिकानों पर सेना का नियंत्रण है. वहीं, देश की सीमाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। कर्फ्यू जारी है, हालांकि एंबुलेंस और शववाहन जैसी जरूरी सेवा से जुड़ी गाड़ियों को छूट दी गई है। सेना ने चेतावनी दी है कि प्रदर्शन, तोड़फोड़, लूट, आगजनी या किसी भी व्यक्ति और संपत्ति पर हमला अब दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सेना ने नागरिकों और मीडिया से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें।

आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर

हालात को शांत करने के लिए नेपाल आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर हैं। उन्होंने देर रात जेन जी आंदोलन के प्रतिनिधियों को सेना मुख्यालय बुलाकर उनसे बातचीत की और उनकी मांगों को सुना। उन्होंने मौतों पर शोक जताते हुए युवाओं से संवाद के जरिए समाधान खोजने की अपील की। साथ ही उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा कठिन परिस्थिति को सामान्य करना, सार्वजनिक और निजी संपत्ति की सुरक्षा करना और आम नागरिकों तथा राजनयिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही सेना की पहली प्राथमिकता है।

देश के संविधान में संशोधन की मांग

इधर नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों ने शासन में व्यापक सुधार और पिछले तीन दशकों में राजनेताओं की लूटी गई संपत्तियों की जांच की मांग की है। आंदोलनकारियों ने घोषणा की है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को आधिकारिक शहीद का दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवारों को राजकीय सम्मान, पहचान और सहायता दी जाएगी। इसकी सबसे प्रमुख मांगों में देश के संविधान में संशोधन या इसे नए तरीके से लिखा जाना शामिल है।

नई राजनीतिक व्यवस्था की बात

आयोजकों ने बेरोजगारी से निपटने, पलायन पर अंकुश लगाने और सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए विशेष कार्यक्रमों का भी वादा किया है। प्रदर्शनकारियों की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, 'यह आंदोलन किसी पार्टी या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी और राष्ट्र के भविष्य के लिए है। शांति आवश्यक है, लेकिन यह एक नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव पर ही संभव है।

नेपाल में प्रदर्शनकारियों का राष्ट्रपति-पीएम के घर में आगजनी, ओली ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

#nepalprotestersburntdownhousesofprimeministerand_president 

नेपाल में आक्रोश की आग भड़कती ही जा रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के आवास को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है। वहीं इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सूचना एवं संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवास में भी आग लगा दी। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के घर के बाहर पुलिस चौकी में भी आग लगा दी गई। 

सड़कें युद्धक्षेत्र बनी

सोमवार को शुरू हुआ छात्रों का ये प्रदर्शन मंगलवार को पूरे देश में फैल गया है। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों की उग्र भीड़ ने बवाल मचा रखा है। शहर की सड़कें युद्धक्षेत्र जैसी नजर आ रही हैं। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने सीपीएन-एमसी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक सहित अन्य के आवास पर पथराव किया और आगजनी की। मकवानपुर में, हेटौडा और पूर्वी मनहारी बाज़ार में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर पूर्व-पश्चिम राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे यातायात बाधित हुआ। पुलिस ने अशांति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं।

राष्ट्रपति- प्रधानमंत्री का घर आग के हवाले

प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के आवास को आग के हवाले दिया है। ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास को जला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने बालकोट स्थित प्रधानमंत्री ओली के आवास में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह परिसर में घुसने और घर के कुछ हिस्सों में आग लगाने से पहले, घर में मौजूद सामानों को बाहर निकाल लिया था। आग फैलने पर आवास से धुएं का घना गुबार उठता देखा गया। वहीं, देश के ऊर्जा मंत्री और राष्ट्रपति के घर को भी प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने "केपी चोर, देश छोड़" , "भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करो" जैसे नारे लगा रहे हैं। 

सेना ने पीएम केपी ओली से इस्तीफा मांगा

नेपाल में दो दिन से चल रहे बवाल के बाद सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। विकट होते हालात को देखते हुए सेना ने पीएम केपी ओली से इस्तीफा मांगा है। नेपाली आर्मी चीफ ने कहा है कि पीएम ओली अब गद्दी छोड़ देंष

नेपाल में कई जगहों पर लगा कर्फ्यू

काठमांडू में गृह मंत्रालय के अधीन तीन जिला प्रशासन कार्यालयों (डीएओ) ने अलग-अलग नोटिस जारी करके कई स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया, जिसमें शहर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट शामिल हैं. काठमांडू डीएओ ने मंगलवार को राजधानी में अनिश्चितकाल तक के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया, जिसमें लोगों को आवाजाही, प्रदर्शन, सभाएं या धरने पर रोक है. कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन, शव वाहन, स्वास्थ्यकर्मियों, पत्रकारों, पर्यटक वाहनों, हवाई यात्रियों और मानवाधिकार व राजनयिक मिशनों के वाहनों की आवाजाही की अनुमति होगी.

केपी शर्मा ओली ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

देश के बिगड़े हालात के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आज शाम एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मैं स्थिति का आकलन करने और एक सार्थक निष्कर्ष निकालने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बातचीत कर रहा हूं। इसके लिए, मैंने आज शाम 6 बजे एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। मैं सभी भाइयों और बहनों से विनम्र अनुरोध करता हूं कि इस कठिन परिस्थिति में धैर्य बनाए रखें।

20 की मौत के बाद झुकी नेपाल की ओली सरकार, GEN-Z के आक्रोश के बाद सोशल मीडिया से हटा बैन

#nepalliftbanonsocialmediaplatformsoligovernmentannounceafterdeadlygezzprotest

नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से बैन हटा लिया है। यह फैसला सोमवार को देश भर में युवाओं के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए बाद लिया गया। नेपाल में सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन के खिलाफ हजारों Gen-Z युवाओं ने सोमवार को राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शन किया। हिंसक प्रदर्शन के दौरान 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल सरकार ने देर रात सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा लिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बैन हटाने से इनकार किया था।

देर रात बेन हटाने की हुई घोषणा

GEN-Z प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा घायल हुए हैं। नेपाल के संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने देर रात घोषणा की कि सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगान का फैसला वापस ले लिया गया है। एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री ने कहा, सरकार ने GEN-Z की मांग को रखते हुए सोशल मीडिया को खोलने का फैसला पहले ही कर लिया है।

पहले लिए गए फैसले पर सरकार को पछतावा नहीं

हालांकि, मंत्री ने कहा कि सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद करने को लेकर पहले लिए गए फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। गुरुंग ने कहा, 'इस मुद्दे को बहाने के तौर पर इस्तेमाल करके विरोध प्रदर्शन किए जा रहे थे, इसलिए सोशल मीडिया साइटों को फिर से खोलने का फैसला लिया गया है।' गुरुंग ने जेन-जी प्रदर्शनकारियों के विरोध प्रदर्शन वापस लेने की अपील की।

नेपाली गृह मंत्री रमेश लेखक का इस्तीफा

इससे पहले सोमवार को नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ युवाओं न जोरदार प्रदर्शन का। विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो जाने से 20 लोगों की मौत हो गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़पें हुईं। काठमांडो में प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए और तोड़फोड़ की। विरोध प्रदर्शन पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी और दमक तक फैल गया। हालात काबू में करने के लिए काठमांडो समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगाने के साथ सेना को तैनात करना पड़ा। बेकाबू हिंसा के बाद नेपाली गृह मंत्री रमेश लेखक को इस्तीफा दे दिया।

हिंसा की जांच के लिए कमेटी बनेगी

इसके साथ ही कैबिनेट ने हिंसा की जांच के लिए एक जांच समिति का भी गठन किया है। कमेटी को 15 दिनों में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इन मौतों पर दुख जताया, साथ ही आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ असामाजिक तत्व घुस आए थे। सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद सोशल मीडिया को बंद करना नहीं, बल्कि नियंत्रित करना था।

नेपाल में बवाल, सोशल मीडिया पर रोक से भड़के युवा, संसद भवन में भी घुसे

#nepalsocialmediabaneruptsgenzprotest

पड़ोसी देश नेपाल में विरोध की आग भड़क उठी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ नेपाल में युवाओं ने सोमवार को काठमांडू में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जेनरेशन जेड पीढ़ी के युवाओं ने सड़कों पर सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद की। सोशल मीडिया बैन होने के विरोध में प्रदर्शन कर रही भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए। प्रदर्शनकारी गेट पार कर संसद के भीतर प्रवेश कर गए। इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वॉटर कैनन चलाई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग भी की, इस दौरान एक शख्स की मौत हो गई, 70 लोग घायल हैं।

ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं की बगावत

नेपाल में ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं ने बगावत कर दी है। नेपाल में अचानक शुरू हुए इस भीषण प्रदर्शन के पीछे की वजह ओली सरकार का हालिया फैसला है। सरकार ने नियमों का हवाला देकर अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर भी शामिल हैं। इस फैसले के विरोध में राजधानी काठमांडू में हजारों छात्र-युवा, सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ भीषण प्रदर्शन कर रहे हैं। कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने लाठिया भांजी हैं, जिसमें एक छात्र की अभी तक मौत की रिपोर्ट है।

'हामी नेपाल' के बैनर तले प्रदर्शन

बताया गया कि सोमवार सुबह 9 बजे से प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर में एकत्रित होने लगे। हाल के दिनों में 'नेपो किड' और 'नेपो बेबीज' जैसे हैशटैग ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले के बाद इसमें और तेजी आई है। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय के अनुसार, 'हामी नेपाल' ने इस रैली का आयोजन किया था। इसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी।

बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के खिलाफ भी गुस्सा

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की, इसलिए यह कार्रवाई करनी पड़ी। लेकिन छात्रों और युवा वर्ग का आरोप है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। युवाओं का कहना है सरकार अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए उनके आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शनकारी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

चुनाव आयोग तक विपक्षी सांसदों के मार्च को पुलिस ने रोक, हिरासत में राहुल-प्रियंका समेत कई सांसद

#sir_india_alliance_protest

बिहार एसआईआर और ‘वोट चोरी’ पर अब सियासत गरमा चुकी है. विपक्ष और चुनाव आयोग में ठन गई है। एसआईआर और वोट चोरी पर सड़क से संसद तक संग्राम है। बिहार में मतदाता सूची में गड़बड़ी और चुनावों में कथित धांधली के खिलाफ ‘इंडिया’ ब्लॉक आज शक्ति प्रदर्शन कर रहा है।इस बीच सोमवार को संसद से लेकर चुनाव आयोग के भवन तक विपक्ष का मार्च तय था, लेकिन पुलिस ने इजाजत नहीं दी। विपक्षी सांसद के आगे बढ़ रहे मार्च को पुलिस ने रोका और राहुल गांधी समेत कई सांसदों को हिरासत में लिया है।

बिहार में मतदाता सूची संशोधन के विरोध में विपक्षी सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग कार्यालय तक विरोध मार्च शुरू किया। इस दौरान प्रदर्शनकारी विपक्षी सांसदों को रोकने के लिए परिवहन भवन में पुलिस बैरिकेड्स लगा दिए। यहां उन्हें चुनाव आयोग मुख्यालय की ओर आगे बढ़ने से रोक दिया गया। पुलिस का कहना है कि विपक्षी सांसदों की ओर से इस मार्च के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस की ओर से रोके जाने के बाद अखिलेश यादव, महुआ मोइत्रा समेत कई सांसदों ने बैरिकेड्स पर चढ़ने की कोशिश। कुछ सांसद बैरिकेड्स कूदकर बीच सड़क पर धरने पर बैठ गए। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे सांसदों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब सांसदों ने सड़क से हटने से इनकार किया तो राहुल-प्रियंका गांधी समेत तमाम नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

दरअसल, चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश को पत्र लिखकर दोपहर 12.30 बजे मिलने के लिए बुलाया था। चुनाव आयोग ने उनसे 30 सांसदों के साथ आने को कहा था और आनले से पहले उन सांसदों की सूचना देने की बात कही थी। इसी के मद्देनजर पुलिस ने प्रदर्शनकारी सांसदों से कहा कि 30 लोग चुनाव आयोग के दफ्तर तक जा सकते हैं। इसके लिए पैदल या वाहन जैसे विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं हुआ।

जयराम रमेश ने कहा कि सिर्फ 30 नहीं पूरा विपक्ष चुनाव आयोग जाएगा। इस पर अखिलेश ने कहा कि जितने जाने दें हम चलने के लिए तैयार हैं। पुलिस जाने दे तो हम लोग चुनाव आयोग जाने के लिए तैयार हैं। पुलिस जाने नहीं दे रही है।

नहीं सुधरने वाला पाकिस्तान! लंदन में पाक अधिकारी की बेशर्मी, भारतीयों को किया गला काटने का इशारा

#pakistanofficialthroatslittinggestureatindian_protesters

पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में पूरे देश में उबाल है। इस आक्रोश का असर विदेशों में भी दिख रहा है। पहलगाम हमले की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है, लेकिन इससे अगर किसी को फर्क नहीं पड़ता है तो वो है पाकिस्तान। वैश्विक मंच पर हो रही बेइज्जती के बाद भी पाकिस्तान ने बेशर्मी की हदें पार दी है। शुक्रवार को लंदन में बड़ी संख्या में भारतीय और भारतीय मूल के लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी ने भारतीयों की तरफ आपत्तिजनक इशारा किया।

पाक अधिकारी की शर्मनाक हरकत

पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी कर्नल तैमूर राहत ने ऐसी शर्मनाक हरकत की कि हर तरफ इसकी आलोचना हो रही है। पाकिस्तानी अधिकारी ने भारतीयों की तरफ गला काटने का इशारा किया। इतना ही नहीं इस दौरान उसने अभिनंदन वर्धमान की चाय के साथ एक तस्वीर भी हाथ में ली हुई थी, जिसे वह बार-बार दिखा रहा था। उसकी इस बेशर्म हरकत को वहां मौजूद किसी शख्स ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। अब यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

भारतीयों के प्रदर्शन के दौरान तेज संगीत बजाया

एक तरफ पहलगाम में मासूम पर्यटकों की निर्मम हत्या से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में गम का माहौल है। वहीं लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग ने बेशर्मी की हद पार करते हुए भारतीयों के प्रदर्शन के दौरान तेज संगीत बजाया। ऐसा लगा कि पाकिस्तानी उच्चायोग पहलगाम हमले का जश्न मना रहा है। कई प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान की इस हरकत पर नाराजगी भी जताई। भारतीयों के समर्थन में बड़ी संख्या में यहूदी भी प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुआ हमला वैसा ही है, जैसे इस्राइल पर 7 अक्तूबर 2023 को हमला हुआ था। दोनों जगह निर्दोष नागरिकों को मारा गया।

लंदन में पहलगाम हमले के विरोध में प्रदर्शन

बता दें कि पहलगाम हमले के विरोध में ब्रिटिश हिंदुओं ने शुक्रवार को लंदन में पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर और प्लेकार्ड पकड़े हुए थे और प्रदर्शनकारी नारेबाजी कर रहे थे और पहलगाम पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए और पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया।

वक्फ कानून के विरोध में दिल्ली में आज प्रदर्शन, देश भर से जुटे मुस्लिम संगठन


#waqfactprotestmuslimorganisationl

वक्फ संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम संगठन अब पूरी तरह से आर-पार के मूड में हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अगुवाई में मुस्लिम संगठन एकजुट होकर वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसी क्रम में दिल्ली में आज मुस्लिम संगठन वक्फ कानून के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन होने वाला हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अगुवाई में देश के तमाम मुस्लिम संगठन के प्रतिनिधि आज मंगलवार को दिल्ली में वक्फ कानून के विरोध में एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाएंगे।

मुस्लिम संगठन वक्फ कानून में बदलावों का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है। इसी को लेकर आज दिल्ली में 'वक्फ बचाव अभियान' का आयोजन किया जा रहा है। 'वक्फ बचाव अभियान' के तहत दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 'तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां' (वक्फ की हिफाजत) नाम से आयोजन हो रहा है। इसमें जमात-ए-इस्लामी हिंद जैसे कई बड़े मुस्लिम संगठनों के अध्यक्ष और प्रतिनिधि जुटेंगे।

कांग्रेस-सपा समेत कई पार्टियां होंगी शामिल

तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले विरोध प्रदर्शन में देशभर के मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों के शामिल होने के साथ-साथ सियासी और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग शिरकत करेंगे। दिल्ली में वक्फ कानून के विरोध में मुस्लिमों का सबसे बड़ा जुटाव है, जिसमें मुसलमानों की सबसे बड़ी मिल्ली तंजीम एकजुट हो रही है। सोमवार को जमात-ए-इस्लामी हिंद ने नए वक्फ कानून को तत्काल निरस्त करने का आह्वान किया और लोगों से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में कानून के खिलाफ अभियान को सपोर्ट करने की गुजारिश की है। वहीं, विपक्ष के नेता असदुद्दीन ओवैसी, आरजेडी सांसद मनोज झा, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी भी शामिल हो सकते हैं।

शाह बानो मामले जैसा जन आंदोलन बनाया जाएगा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के 'वक्फ बचाव अभियान' का पहला फेज 11 अप्रैल से शुरू हुआ, जो 7 जुलाई यानी 87 दिन तक चलेगा। इसमें वक्फ कानून के विरोध में 1 करोड़ हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जो पीएम मोदी को भेजे जाएंगे। इसके बाद अगले फेज की रणनीति तय की जाएगी। वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और दूसरे अन्य मु्स्लिम संगठन ने उसी तरह का तेवर अपना रखा है, जैसे शाहबानो के मामले में किया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे शाह बानो मामले (1985) की तरह व्यापक जन आंदोलन बनाने की बात कही है, जो शहरों से लेकर गांवों तक फैलेगा।

नेपाल में ऐसा क्या हुआ भड़क गई हिंसा? सड़कों पर उतर आए लोग, काठमांडू में सेना तैनात

#nepal_monarchy_protests_becomes_violent

नेपाल में शुक्रवार को राजशाही समर्थकों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया था। इस दौरान काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं।झड़प के बाद हालात खराब हो गए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में सेना को बुलाया गया है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है।

नेपाल में साल 2008 में खत्म हुई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग करते हुए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने आयोजित किया था जिसे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन प्राप्त है और यह पार्टी देश में राजशाही स्थापित करने की मांग कर रही है। राजशाही की वापसी की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन का नेतृत्व नवराज सुवेदी कर रहे हैं। वे राज संस्था पुनर्स्थापना आंदोलन से जुड़े हैं। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। हिंसा के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को 17 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें राजशाही समर्थक राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रबिंद्र मिश्रा, महासचिव धवल शमशेर राना, राजशाही समर्थक कार्यकर्ता स्वागत नेपाल और संतोष तमांग आदि शामिल हैं। इन लोगों पर हिंसा भड़काने का आरोप है। कई नेताओं को नजरबंद किया गया है। अब तक हिंसा के मामले में कुल 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम ने ज्ञानेंद्र शाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने शनिवार की सुबह हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान वे सोशलिस्ट फ्रंट के कार्यालय भी पहुंचे, जिसे हिंसा के दौरान नुकसान पहुंचाया गया।

पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि 'अब ये पूरी तरह से साफ हो गया है कि इस सब के पीछे ज्ञानेंद्र शाह हैं। ज्ञानेंद्र शाह की नीयत सही नहीं है। ये पहले भी देखा गया और अब भी देखा जा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार कड़ी कार्रवाई करे। घटना की पूरी जांच हो और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। ज्ञानेंद्र शाह को अब पूरी आजादी नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और नेपाल सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर होने की जरूरत है।

दरअसल, राजनीतिक अस्थिरता के बीच नेपाल में राजशाही को बहाल किए जाने को लेकर कुछ समय से सरगर्मी तेज़ हुई है। बीते कुछ दिनों में कई ऐसी रैलियां और प्रदर्शन हुए जिसमें राजशाही को फिर से स्थापित किए जाने की मांग की गई। हाल ही में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सक्रियता भी देखी गई है।

इस महीने 5 मार्च को काठमांडू में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने एक बाइक रैली की थी, जिनमें नेपाल के राष्ट्रध्वज के साथ लोग शामिल हुए। छह मार्च को पोखरा में ज्ञानेंद्र ने पूर्व राजा वीरेंद्र की मूर्ति का अनावरण किया गया और इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोगों ने राजशाही व्यवस्था वाला राष्ट्रगान गाया। ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद से इस तरह सार्वजनिक रूप से न के बराबर दिखते थे। कुछ खास मौकों पर बहुत ही औपचारिक बयान जारी करते थे।

वहीं, नौ मार्च को वह पोखरा से काठमांडू पहुंचे, जहां हजारों लोगों की भीड़ उनके स्वागत में इकट्ठा हुई थी। इसी भीड़ में एक व्यक्ति, ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था।

वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रदर्शन, किस-किस ने दिया समर्थन, जानें कौन क्या बोला?*

#waqfbillprotestjantarmantar

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आज मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शन कारियों ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने की कोशिश कर रही है। साथ ही जेपीसी पर विपक्ष के विचारों पर भी विचार नहीं करने का भी आरोप लगाया। इस विरोध प्रदर्शन में सांसद असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत विपक्ष के तमाम नेता शामिल हुए।

अबू तालिब का पीएम मोदी पर तंज

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अबू तालिब रहमानी ने कहा कि हम यहां लड़ने, धमकाने, या समुदाय को ललकारने नहीं बल्कि अपने हकों के लिए आए हैं। अगर शाकाहारी पत्नी मांसाहारी पति के साथ रह सकती है तो देश में हिंदू मुसलमान साथ क्यों नहीं रह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीएम कहते हैं बचपन में ईद पर खाना नहीं बनता है। हम आज भी शाकाहारी खाना भेज सकते हैं। आपकी मोहब्बत का दरवाजा बंद हो गया है।

उन्होंने आगे कहा कि जेपीसी ने बड़ी नाइंसाफी से काम लिया है। स्टेकहोल्डर को छोड़कर जो स्टेकहोल्डर नहीं हैं, उनसे बात कर रहे हैं। कहीं आप श्रीलंका ना चले जाए। आपको बांग्लादेश की हसीना अच्छी लगती है देश का हुसैन अच्छा नहीं लगता है।

महमूद मदनी के गंभीर आरोप

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने भी इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, यह सिर्फ मुसलमानों का मामला नहीं है, बल्कि संविधान का मामला है। हमारे घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, मस्जिदों और मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है। वक्फ के जरिए संविधान पर भी बुलडोजर चलाने की कोशिश हो रही है।

मदनी ने आगे कहा, हमें हर हाल में इसकी मुखालफत करनी होगी। यह सिर्फ मुसलमानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी समुदायों को एकजुट होना होगा। बहुसंख्यक राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है, हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हर लड़ाई के लिए कुर्बानी की जरूरत होती है और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। केवल सड़कों पर प्रदर्शन से काम नहीं चलेगा, इसके लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी।

ओवैसी का सरकार पर तीखा हमला

वहीं, प्रदर्शन में सामिल असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि फसाद कराने के लिए लाया गया है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि ‘मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने और देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। ओवैसी ने यह भी कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस विधेयक पर आगे की रणनीति तय करेगा और संसद में इसका विरोध किया जाएगा।

महुआ मोइत्रा ने क् कहा

जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, जब अयोध्या के राम मंदिर बोर्ड में किसी मुस्लिम को शामिल नहीं किया जा सकता। तो वक्फ बोर्ड में हिंदू को कैसे शामिल किया जा सकता है? ये मुस्लिमों की संपत्ति को छिनने के लिए है। उन्होंने आगे कहा, जो बातें 30 साल पहले बंद कमरों में होती थीं, वे अब खुले मंचों से कही जा रही हैं। देश में जो हालात बनाए जा रहे हैं, वैसा ही जर्मनी में भी हुआ था।

वक्फ की जमीनों को उद्योगपति को देना चाहती सरकार -इमरान प्रतापगढ़ी

जंतर-मंतर पर वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सरकार को समझना होगा कि बहुत विरोध हो रहा है, यह अच्छी बात है कि संगठन लोकतांत्रिक तरीके से उस तानाशाही का विरोध कर रहे हैं, जिसे सरकार थोपने की कोशिश कर रही है। क्या वे वक्फ की जमीनों को लूटकर अपने उद्योगपति दोस्तों को देना चाहते हैं? अगर वे जेपीसी सदस्यों की राय नहीं सुनने वाले थे तो उन्होंने जेपीसी क्यों बनाई।

संसद के दूसरे दिन भी सत्तापक्ष और विपक्ष का टकराव जारी, SIR पर फिर बवाल

#parliamentwintersessionsirindiblockprotest

संसद में एसआईआर के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा जारी है। संसद के शीतकालीन सत्र का आज दूसरा दिन है। संसद परिसर में विपक्षी इंडिया गठबंधन के सांसदों ने आज भी एसआईआर के खिलाफ अपना विरोध जारी रखा। विपक्षी सांसद संसद के मकर द्वार के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और चुनाव आयोग के साथ-साथ सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन विपक्षी नेताओं ने संसद परिसर में मकर द्वार पर एसआईआर के खिलाफ प्रदर्शन किया। लोकसभा नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन संसद परिसर में एसआईआर के खिलाफ विपक्ष के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए। इस दौरान कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा और अन्य विपक्षी नेता प्रदर्शन में मौजूद दिखे।

संसद में व्यवधान पैदा करने की आवश्यकता नहीं- रिजिजू

वहीं, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, विपक्ष को ढूंढ-ढूंढकर कर मुद्दे लाने की आवश्यकता नहीं है। शीतकालीन सत्र में बहुत सारे मुद्दे हैं और कई मुद्दे विपक्ष ने भी उठाए हैं, हम उसपर आगे क्या करना है बातचीत करके विचार करेंगे। नए-नए मुद्दे ढूंढकर संसद में व्यवधान पैदा करने की आवश्यकता नहीं है। हर मुद्दा अपनी जगह पर महत्वपूर्ण है लेकिन मुद्दे को हथियार बनाकर संसद में गतिरोध करना ठीक नहीं है। आज हम विपक्ष के प्रमुख नेताओं से बात करेंगे।

संचार साथी एप को लेकर भड़का विपक्ष

इधर, मोबाइल हैंडसेट पर संचार साथी ऐप प्री-इंस्टॉल करने के संचार विभाग के निर्देशों पर भी विपक्ष ने आपत्ती जताई है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, यह एक जासूसी ऐप है। नागरिकों को प्राइवेसी का अधिकार है। हर किसी को परिवार, दोस्तों को मैसेज भेजने की प्राइवेसी का अधिकार होना चाहिए। वे इस देश को हर तरह से तानाशाही में बदल रहे हैं। संसद इसलिए काम नहीं कर रही है क्योंकि सरकार किसी भी चीज पर बात करने से मना कर रही है। विपक्ष पर इल्जाम लगाना बहुत आसान है। वे किसी भी चीज पर चर्चा नहीं होने दे रहे हैं। एक स्वस्थ लोकतंत्र चर्चा की मांग करता है।

नेपाल में सोशल मीडिया बैन से भड़की सत्ता-विरोधी लहर, अब नए संविधान, प्रतिनिधि सभा भंग करने की उठी मांग

#nepalgenzprotestersdemandsnewconstitution

नेपाल में जेनरेशन जेड (जेन-जी) आंदोलन अब बेकाबू होता जा रहा है। सोशल मीडिया बैन से भड़की युवा-नेतृत्व वाली लहर अब सत्ता-विरोधी सुनामी में बदल चुकी है। संसद भवन, सुप्रीम कोर्ट, सिंहदरबार सचिवालय और कई नेताओं के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। इस बवाल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अचानक इस्तीफा दे दिया। हालात इतने बिगड़े कि सेना को मंगलवार रात 10 बजे से राष्ट्रीय सुरक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेनी पड़ी। देशभर में कर्फ्यू लागू है और सीमाएं सील कर दी गई हैं। इस बीच जेन जी प्रदर्शनकारियों ने कई राजनीतिक और सामाजिक मांगें रखी हैं।

सेना ने ली देश की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी

नेपाल में हालात बिगड़ने के बाद सेना ने सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी अपने हाथ में ले ली है। काठमांडू एयरपोर्ट और सरकार के मुख्य सचिवालय सिंहदरबार जैसे अहम ठिकानों पर सेना का नियंत्रण है. वहीं, देश की सीमाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं। कर्फ्यू जारी है, हालांकि एंबुलेंस और शववाहन जैसी जरूरी सेवा से जुड़ी गाड़ियों को छूट दी गई है। सेना ने चेतावनी दी है कि प्रदर्शन, तोड़फोड़, लूट, आगजनी या किसी भी व्यक्ति और संपत्ति पर हमला अब दंडनीय अपराध माना जाएगा और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सेना ने नागरिकों और मीडिया से अपील की है कि वे केवल आधिकारिक जानकारी पर भरोसा करें और किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दें।

आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर

हालात को शांत करने के लिए नेपाल आर्मी चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल खुद मोर्चे पर हैं। उन्होंने देर रात जेन जी आंदोलन के प्रतिनिधियों को सेना मुख्यालय बुलाकर उनसे बातचीत की और उनकी मांगों को सुना। उन्होंने मौतों पर शोक जताते हुए युवाओं से संवाद के जरिए समाधान खोजने की अपील की। साथ ही उन्होंने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा कठिन परिस्थिति को सामान्य करना, सार्वजनिक और निजी संपत्ति की सुरक्षा करना और आम नागरिकों तथा राजनयिक मिशनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना ही सेना की पहली प्राथमिकता है।

देश के संविधान में संशोधन की मांग

इधर नेपाल में केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों ने शासन में व्यापक सुधार और पिछले तीन दशकों में राजनेताओं की लूटी गई संपत्तियों की जांच की मांग की है। आंदोलनकारियों ने घोषणा की है कि विरोध प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले सभी लोगों को आधिकारिक शहीद का दर्जा दिया जाएगा। उनके परिवारों को राजकीय सम्मान, पहचान और सहायता दी जाएगी। इसकी सबसे प्रमुख मांगों में देश के संविधान में संशोधन या इसे नए तरीके से लिखा जाना शामिल है।

नई राजनीतिक व्यवस्था की बात

आयोजकों ने बेरोजगारी से निपटने, पलायन पर अंकुश लगाने और सामाजिक अन्याय को दूर करने के लिए विशेष कार्यक्रमों का भी वादा किया है। प्रदर्शनकारियों की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया, 'यह आंदोलन किसी पार्टी या व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी और राष्ट्र के भविष्य के लिए है। शांति आवश्यक है, लेकिन यह एक नई राजनीतिक व्यवस्था की नींव पर ही संभव है।

नेपाल में प्रदर्शनकारियों का राष्ट्रपति-पीएम के घर में आगजनी, ओली ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

#nepalprotestersburntdownhousesofprimeministerand_president 

नेपाल में आक्रोश की आग भड़कती ही जा रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के आवास को प्रदर्शनकारियों ने आग के हवाले कर दिया है। वहीं इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने सूचना एवं संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवास में भी आग लगा दी। पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड के घर के बाहर पुलिस चौकी में भी आग लगा दी गई। 

सड़कें युद्धक्षेत्र बनी

सोमवार को शुरू हुआ छात्रों का ये प्रदर्शन मंगलवार को पूरे देश में फैल गया है। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों की उग्र भीड़ ने बवाल मचा रखा है। शहर की सड़कें युद्धक्षेत्र जैसी नजर आ रही हैं। काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने सीपीएन-एमसी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल, संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग, पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक सहित अन्य के आवास पर पथराव किया और आगजनी की। मकवानपुर में, हेटौडा और पूर्वी मनहारी बाज़ार में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर पूर्व-पश्चिम राजमार्ग को अवरुद्ध कर दिया, जिससे यातायात बाधित हुआ। पुलिस ने अशांति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं।

राष्ट्रपति- प्रधानमंत्री का घर आग के हवाले

प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल के आवास को आग के हवाले दिया है। ओली के इस्तीफे की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास को जला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने बालकोट स्थित प्रधानमंत्री ओली के आवास में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह परिसर में घुसने और घर के कुछ हिस्सों में आग लगाने से पहले, घर में मौजूद सामानों को बाहर निकाल लिया था। आग फैलने पर आवास से धुएं का घना गुबार उठता देखा गया। वहीं, देश के ऊर्जा मंत्री और राष्ट्रपति के घर को भी प्रदर्शनकारियों ने जला दिया है। प्रदर्शनकारियों ने "केपी चोर, देश छोड़" , "भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करो" जैसे नारे लगा रहे हैं। 

सेना ने पीएम केपी ओली से इस्तीफा मांगा

नेपाल में दो दिन से चल रहे बवाल के बाद सेना ने मोर्चा संभाल लिया है। विकट होते हालात को देखते हुए सेना ने पीएम केपी ओली से इस्तीफा मांगा है। नेपाली आर्मी चीफ ने कहा है कि पीएम ओली अब गद्दी छोड़ देंष

नेपाल में कई जगहों पर लगा कर्फ्यू

काठमांडू में गृह मंत्रालय के अधीन तीन जिला प्रशासन कार्यालयों (डीएओ) ने अलग-अलग नोटिस जारी करके कई स्थानों पर कर्फ्यू लगा दिया, जिसमें शहर के प्रमुख एंट्री प्वाइंट शामिल हैं. काठमांडू डीएओ ने मंगलवार को राजधानी में अनिश्चितकाल तक के लिए कर्फ्यू लागू कर दिया, जिसमें लोगों को आवाजाही, प्रदर्शन, सभाएं या धरने पर रोक है. कर्फ्यू के दौरान जरूरी सेवाओं जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन, शव वाहन, स्वास्थ्यकर्मियों, पत्रकारों, पर्यटक वाहनों, हवाई यात्रियों और मानवाधिकार व राजनयिक मिशनों के वाहनों की आवाजाही की अनुमति होगी.

केपी शर्मा ओली ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

देश के बिगड़े हालात के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने आज शाम एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है। मैं स्थिति का आकलन करने और एक सार्थक निष्कर्ष निकालने के लिए संबंधित पक्षों के साथ बातचीत कर रहा हूं। इसके लिए, मैंने आज शाम 6 बजे एक सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है। मैं सभी भाइयों और बहनों से विनम्र अनुरोध करता हूं कि इस कठिन परिस्थिति में धैर्य बनाए रखें।

20 की मौत के बाद झुकी नेपाल की ओली सरकार, GEN-Z के आक्रोश के बाद सोशल मीडिया से हटा बैन

#nepalliftbanonsocialmediaplatformsoligovernmentannounceafterdeadlygezzprotest

नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से बैन हटा लिया है। यह फैसला सोमवार को देश भर में युवाओं के नेतृत्व में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के लिए बाद लिया गया। नेपाल में सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन के खिलाफ हजारों Gen-Z युवाओं ने सोमवार को राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शन किया। हिंसक प्रदर्शन के दौरान 20 लोगों की मौत हो गई, जबकि 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए। हिंसक प्रदर्शन के बाद नेपाल सरकार ने देर रात सोशल मीडिया से प्रतिबंध हटा लिया है। इससे पहले प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने बैन हटाने से इनकार किया था।

देर रात बेन हटाने की हुई घोषणा

GEN-Z प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा घायल हुए हैं। नेपाल के संचार, सूचना एवं प्रसारण मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग ने देर रात घोषणा की कि सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगान का फैसला वापस ले लिया गया है। एक आपातकालीन कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री ने कहा, सरकार ने GEN-Z की मांग को रखते हुए सोशल मीडिया को खोलने का फैसला पहले ही कर लिया है।

पहले लिए गए फैसले पर सरकार को पछतावा नहीं

हालांकि, मंत्री ने कहा कि सरकार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म बंद करने को लेकर पहले लिए गए फैसले पर कोई पछतावा नहीं है। गुरुंग ने कहा, 'इस मुद्दे को बहाने के तौर पर इस्तेमाल करके विरोध प्रदर्शन किए जा रहे थे, इसलिए सोशल मीडिया साइटों को फिर से खोलने का फैसला लिया गया है।' गुरुंग ने जेन-जी प्रदर्शनकारियों के विरोध प्रदर्शन वापस लेने की अपील की।

नेपाली गृह मंत्री रमेश लेखक का इस्तीफा

इससे पहले सोमवार को नेपाल में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ युवाओं न जोरदार प्रदर्शन का। विरोध प्रदर्शन के हिंसक हो जाने से 20 लोगों की मौत हो गई। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई जगह झड़पें हुईं। काठमांडो में प्रदर्शनकारी संसद भवन परिसर में घुस गए और तोड़फोड़ की। विरोध प्रदर्शन पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहारी और दमक तक फैल गया। हालात काबू में करने के लिए काठमांडो समेत कई शहरों में कर्फ्यू लगाने के साथ सेना को तैनात करना पड़ा। बेकाबू हिंसा के बाद नेपाली गृह मंत्री रमेश लेखक को इस्तीफा दे दिया।

हिंसा की जांच के लिए कमेटी बनेगी

इसके साथ ही कैबिनेट ने हिंसा की जांच के लिए एक जांच समिति का भी गठन किया है। कमेटी को 15 दिनों में रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इन मौतों पर दुख जताया, साथ ही आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ असामाजिक तत्व घुस आए थे। सरकारी संपत्ति को बचाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार का मकसद सोशल मीडिया को बंद करना नहीं, बल्कि नियंत्रित करना था।

नेपाल में बवाल, सोशल मीडिया पर रोक से भड़के युवा, संसद भवन में भी घुसे

#nepalsocialmediabaneruptsgenzprotest

पड़ोसी देश नेपाल में विरोध की आग भड़क उठी है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के खिलाफ नेपाल में युवाओं ने सोमवार को काठमांडू में जमकर विरोध प्रदर्शन किया। जेनरेशन जेड पीढ़ी के युवाओं ने सड़कों पर सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद की। सोशल मीडिया बैन होने के विरोध में प्रदर्शन कर रही भीड़ उग्र हो गई और उन्होंने पुलिस बैरिकेड तोड़ दिए। प्रदर्शनकारी गेट पार कर संसद के भीतर प्रवेश कर गए। इन्हें रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और वॉटर कैनन चलाई. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग भी की, इस दौरान एक शख्स की मौत हो गई, 70 लोग घायल हैं।

ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं की बगावत

नेपाल में ओेली सरकार के खिलाफ अगली पीढ़ी के युवाओं ने बगावत कर दी है। नेपाल में अचानक शुरू हुए इस भीषण प्रदर्शन के पीछे की वजह ओली सरकार का हालिया फैसला है। सरकार ने नियमों का हवाला देकर अचानक 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन लगा दिए, जिनमें यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर भी शामिल हैं। इस फैसले के विरोध में राजधानी काठमांडू में हजारों छात्र-युवा, सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ भीषण प्रदर्शन कर रहे हैं। कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने लाठिया भांजी हैं, जिसमें एक छात्र की अभी तक मौत की रिपोर्ट है।

'हामी नेपाल' के बैनर तले प्रदर्शन

बताया गया कि सोमवार सुबह 9 बजे से प्रदर्शनकारी काठमांडू के मैतीघर में एकत्रित होने लगे। हाल के दिनों में 'नेपो किड' और 'नेपो बेबीज' जैसे हैशटैग ऑनलाइन ट्रेंड कर रहे हैं। सरकार की ओर से अपंजीकृत प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक करने के फैसले के बाद इसमें और तेजी आई है। काठमांडू जिला प्रशासन कार्यालय के अनुसार, 'हामी नेपाल' ने इस रैली का आयोजन किया था। इसके लिए पूर्व अनुमति ली गई थी।

बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के खिलाफ भी गुस्सा

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार का कहना है कि इन कंपनियों ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं की, इसलिए यह कार्रवाई करनी पड़ी। लेकिन छात्रों और युवा वर्ग का आरोप है कि यह फैसला उनकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। युवाओं का कहना है सरकार अपने भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए उनके आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। प्रदर्शनकारी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार और आर्थिक मंदी के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।

चुनाव आयोग तक विपक्षी सांसदों के मार्च को पुलिस ने रोक, हिरासत में राहुल-प्रियंका समेत कई सांसद

#sir_india_alliance_protest

बिहार एसआईआर और ‘वोट चोरी’ पर अब सियासत गरमा चुकी है. विपक्ष और चुनाव आयोग में ठन गई है। एसआईआर और वोट चोरी पर सड़क से संसद तक संग्राम है। बिहार में मतदाता सूची में गड़बड़ी और चुनावों में कथित धांधली के खिलाफ ‘इंडिया’ ब्लॉक आज शक्ति प्रदर्शन कर रहा है।इस बीच सोमवार को संसद से लेकर चुनाव आयोग के भवन तक विपक्ष का मार्च तय था, लेकिन पुलिस ने इजाजत नहीं दी। विपक्षी सांसद के आगे बढ़ रहे मार्च को पुलिस ने रोका और राहुल गांधी समेत कई सांसदों को हिरासत में लिया है।

बिहार में मतदाता सूची संशोधन के विरोध में विपक्षी सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग कार्यालय तक विरोध मार्च शुरू किया। इस दौरान प्रदर्शनकारी विपक्षी सांसदों को रोकने के लिए परिवहन भवन में पुलिस बैरिकेड्स लगा दिए। यहां उन्हें चुनाव आयोग मुख्यालय की ओर आगे बढ़ने से रोक दिया गया। पुलिस का कहना है कि विपक्षी सांसदों की ओर से इस मार्च के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। पुलिस की ओर से रोके जाने के बाद अखिलेश यादव, महुआ मोइत्रा समेत कई सांसदों ने बैरिकेड्स पर चढ़ने की कोशिश। कुछ सांसद बैरिकेड्स कूदकर बीच सड़क पर धरने पर बैठ गए। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे सांसदों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब सांसदों ने सड़क से हटने से इनकार किया तो राहुल-प्रियंका गांधी समेत तमाम नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

दरअसल, चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश को पत्र लिखकर दोपहर 12.30 बजे मिलने के लिए बुलाया था। चुनाव आयोग ने उनसे 30 सांसदों के साथ आने को कहा था और आनले से पहले उन सांसदों की सूचना देने की बात कही थी। इसी के मद्देनजर पुलिस ने प्रदर्शनकारी सांसदों से कहा कि 30 लोग चुनाव आयोग के दफ्तर तक जा सकते हैं। इसके लिए पैदल या वाहन जैसे विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि, विपक्ष इसके लिए तैयार नहीं हुआ।

जयराम रमेश ने कहा कि सिर्फ 30 नहीं पूरा विपक्ष चुनाव आयोग जाएगा। इस पर अखिलेश ने कहा कि जितने जाने दें हम चलने के लिए तैयार हैं। पुलिस जाने दे तो हम लोग चुनाव आयोग जाने के लिए तैयार हैं। पुलिस जाने नहीं दे रही है।

नहीं सुधरने वाला पाकिस्तान! लंदन में पाक अधिकारी की बेशर्मी, भारतीयों को किया गला काटने का इशारा

#pakistanofficialthroatslittinggestureatindian_protesters

पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में पूरे देश में उबाल है। इस आक्रोश का असर विदेशों में भी दिख रहा है। पहलगाम हमले की पूरी दुनिया में निंदा हो रही है, लेकिन इससे अगर किसी को फर्क नहीं पड़ता है तो वो है पाकिस्तान। वैश्विक मंच पर हो रही बेइज्जती के बाद भी पाकिस्तान ने बेशर्मी की हदें पार दी है। शुक्रवार को लंदन में बड़ी संख्या में भारतीय और भारतीय मूल के लोग इकट्ठा हुए और उन्होंने पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी ने भारतीयों की तरफ आपत्तिजनक इशारा किया।

पाक अधिकारी की शर्मनाक हरकत

पाकिस्तान उच्चायोग के अधिकारी कर्नल तैमूर राहत ने ऐसी शर्मनाक हरकत की कि हर तरफ इसकी आलोचना हो रही है। पाकिस्तानी अधिकारी ने भारतीयों की तरफ गला काटने का इशारा किया। इतना ही नहीं इस दौरान उसने अभिनंदन वर्धमान की चाय के साथ एक तस्वीर भी हाथ में ली हुई थी, जिसे वह बार-बार दिखा रहा था। उसकी इस बेशर्म हरकत को वहां मौजूद किसी शख्स ने अपने कैमरे में कैद कर लिया। अब यह सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

भारतीयों के प्रदर्शन के दौरान तेज संगीत बजाया

एक तरफ पहलगाम में मासूम पर्यटकों की निर्मम हत्या से न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया में गम का माहौल है। वहीं लंदन स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग ने बेशर्मी की हद पार करते हुए भारतीयों के प्रदर्शन के दौरान तेज संगीत बजाया। ऐसा लगा कि पाकिस्तानी उच्चायोग पहलगाम हमले का जश्न मना रहा है। कई प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तान की इस हरकत पर नाराजगी भी जताई। भारतीयों के समर्थन में बड़ी संख्या में यहूदी भी प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि पहलगाम में हुआ हमला वैसा ही है, जैसे इस्राइल पर 7 अक्तूबर 2023 को हमला हुआ था। दोनों जगह निर्दोष नागरिकों को मारा गया।

लंदन में पहलगाम हमले के विरोध में प्रदर्शन

बता दें कि पहलगाम हमले के विरोध में ब्रिटिश हिंदुओं ने शुक्रवार को लंदन में पाकिस्तानी उच्चायोग के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में बैनर और प्लेकार्ड पकड़े हुए थे और प्रदर्शनकारी नारेबाजी कर रहे थे और पहलगाम पीड़ितों के लिए न्याय की मांग कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए और पाकिस्तान पर आतंकवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया।

वक्फ कानून के विरोध में दिल्ली में आज प्रदर्शन, देश भर से जुटे मुस्लिम संगठन


#waqfactprotestmuslimorganisationl

वक्फ संशोधन कानून को लेकर मुस्लिम संगठन अब पूरी तरह से आर-पार के मूड में हैं। देश के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अगुवाई में मुस्लिम संगठन एकजुट होकर वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं। इसी क्रम में दिल्ली में आज मुस्लिम संगठन वक्फ कानून के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन होने वाला हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की अगुवाई में देश के तमाम मुस्लिम संगठन के प्रतिनिधि आज मंगलवार को दिल्ली में वक्फ कानून के विरोध में एकजुट होकर अपनी ताकत दिखाएंगे।

मुस्लिम संगठन वक्फ कानून में बदलावों का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ है। इसी को लेकर आज दिल्ली में 'वक्फ बचाव अभियान' का आयोजन किया जा रहा है। 'वक्फ बचाव अभियान' के तहत दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में 'तहफ्फुज-ए-औकाफ कारवां' (वक्फ की हिफाजत) नाम से आयोजन हो रहा है। इसमें जमात-ए-इस्लामी हिंद जैसे कई बड़े मुस्लिम संगठनों के अध्यक्ष और प्रतिनिधि जुटेंगे।

कांग्रेस-सपा समेत कई पार्टियां होंगी शामिल

तालकटोरा स्टेडियम में होने वाले विरोध प्रदर्शन में देशभर के मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों के शामिल होने के साथ-साथ सियासी और सामाजिक क्षेत्र से जुड़े लोग शिरकत करेंगे। दिल्ली में वक्फ कानून के विरोध में मुस्लिमों का सबसे बड़ा जुटाव है, जिसमें मुसलमानों की सबसे बड़ी मिल्ली तंजीम एकजुट हो रही है। सोमवार को जमात-ए-इस्लामी हिंद ने नए वक्फ कानून को तत्काल निरस्त करने का आह्वान किया और लोगों से मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के नेतृत्व में कानून के खिलाफ अभियान को सपोर्ट करने की गुजारिश की है। वहीं, विपक्ष के नेता असदुद्दीन ओवैसी, आरजेडी सांसद मनोज झा, कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, सपा सांसद मोहिबुल्लाह नदवी भी शामिल हो सकते हैं।

शाह बानो मामले जैसा जन आंदोलन बनाया जाएगा

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के 'वक्फ बचाव अभियान' का पहला फेज 11 अप्रैल से शुरू हुआ, जो 7 जुलाई यानी 87 दिन तक चलेगा। इसमें वक्फ कानून के विरोध में 1 करोड़ हस्ताक्षर कराए जाएंगे, जो पीएम मोदी को भेजे जाएंगे। इसके बाद अगले फेज की रणनीति तय की जाएगी। वक्फ कानून को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और दूसरे अन्य मु्स्लिम संगठन ने उसी तरह का तेवर अपना रखा है, जैसे शाहबानो के मामले में किया था। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इसे शाह बानो मामले (1985) की तरह व्यापक जन आंदोलन बनाने की बात कही है, जो शहरों से लेकर गांवों तक फैलेगा।

नेपाल में ऐसा क्या हुआ भड़क गई हिंसा? सड़कों पर उतर आए लोग, काठमांडू में सेना तैनात

#nepal_monarchy_protests_becomes_violent

नेपाल में शुक्रवार को राजशाही समर्थकों ने एक बड़ा प्रदर्शन किया था। इस दौरान काठमांडू में प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी की। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई और कई लोग घायल हुए हैं।झड़प के बाद हालात खराब हो गए हैं। नेपाल की राजधानी काठमांडू में सेना को बुलाया गया है और कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है।

नेपाल में साल 2008 में खत्म हुई राजशाही को फिर से बहाल करने की मांग करते हुए पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र के समर्थक सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह प्रदर्शन राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) ने आयोजित किया था जिसे नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह का समर्थन प्राप्त है और यह पार्टी देश में राजशाही स्थापित करने की मांग कर रही है। राजशाही की वापसी की मांग को लेकर किए जा रहे आंदोलन का नेतृत्व नवराज सुवेदी कर रहे हैं। वे राज संस्था पुनर्स्थापना आंदोलन से जुड़े हैं। आंदोलनकारियों का दावा है कि संवैधानिक राजशाही हिंदू राष्ट्र की बहाली ही देश की समस्याओं का समाधान है।

शुक्रवार को नेपाल में हुई हिंसा में दो लोगों की मौत हुई है, जिनमें से एक प्रदर्शनकारी और एक पत्रकार शामिल है। हिंसा इस कदर नियंत्रण से बाहर हो गई थी कि हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी। हिंसा के मामले में पुलिस ने शुक्रवार को 17 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें राजशाही समर्थक राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के उपाध्यक्ष रबिंद्र मिश्रा, महासचिव धवल शमशेर राना, राजशाही समर्थक कार्यकर्ता स्वागत नेपाल और संतोष तमांग आदि शामिल हैं। इन लोगों पर हिंसा भड़काने का आरोप है। कई नेताओं को नजरबंद किया गया है। अब तक हिंसा के मामले में कुल 51 लोगों की गिरफ्तारी हुई है।

नेपाल के पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया है। पूर्व पीएम ने ज्ञानेंद्र शाह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। पुष्प कमल दहल प्रचंड ने शनिवार की सुबह हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा किया। इस दौरान वे सोशलिस्ट फ्रंट के कार्यालय भी पहुंचे, जिसे हिंसा के दौरान नुकसान पहुंचाया गया।

पूर्व पीएम पुष्प कमल दहल प्रचंड ने कहा कि 'अब ये पूरी तरह से साफ हो गया है कि इस सब के पीछे ज्ञानेंद्र शाह हैं। ज्ञानेंद्र शाह की नीयत सही नहीं है। ये पहले भी देखा गया और अब भी देखा जा रहा है, लेकिन अब समय आ गया है कि सरकार कड़ी कार्रवाई करे। घटना की पूरी जांच हो और दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए। ज्ञानेंद्र शाह को अब पूरी आजादी नहीं दी जा सकती। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और नेपाल सरकार को इस मुद्दे पर गंभीर होने की जरूरत है।

दरअसल, राजनीतिक अस्थिरता के बीच नेपाल में राजशाही को बहाल किए जाने को लेकर कुछ समय से सरगर्मी तेज़ हुई है। बीते कुछ दिनों में कई ऐसी रैलियां और प्रदर्शन हुए जिसमें राजशाही को फिर से स्थापित किए जाने की मांग की गई। हाल ही में नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र की सक्रियता भी देखी गई है।

इस महीने 5 मार्च को काठमांडू में राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने एक बाइक रैली की थी, जिनमें नेपाल के राष्ट्रध्वज के साथ लोग शामिल हुए। छह मार्च को पोखरा में ज्ञानेंद्र ने पूर्व राजा वीरेंद्र की मूर्ति का अनावरण किया गया और इस दौरान सैकड़ों की संख्या में मौजूद लोगों ने राजशाही व्यवस्था वाला राष्ट्रगान गाया। ज्ञानेंद्र बीर बिक्रम शाह नेपाल में लोकतंत्र आने के बाद से इस तरह सार्वजनिक रूप से न के बराबर दिखते थे। कुछ खास मौकों पर बहुत ही औपचारिक बयान जारी करते थे।

वहीं, नौ मार्च को वह पोखरा से काठमांडू पहुंचे, जहां हजारों लोगों की भीड़ उनके स्वागत में इकट्ठा हुई थी। इसी भीड़ में एक व्यक्ति, ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था।

वक्फ बिल के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड प्रदर्शन, किस-किस ने दिया समर्थन, जानें कौन क्या बोला?*

#waqfbillprotestjantarmantar

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ आज मंगलवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस बिल को वापस लेने की मांग की है। प्रदर्शन कारियों ने आरोप लगाया कि सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने की कोशिश कर रही है। साथ ही जेपीसी पर विपक्ष के विचारों पर भी विचार नहीं करने का भी आरोप लगाया। इस विरोध प्रदर्शन में सांसद असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत विपक्ष के तमाम नेता शामिल हुए।

अबू तालिब का पीएम मोदी पर तंज

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अबू तालिब रहमानी ने कहा कि हम यहां लड़ने, धमकाने, या समुदाय को ललकारने नहीं बल्कि अपने हकों के लिए आए हैं। अगर शाकाहारी पत्नी मांसाहारी पति के साथ रह सकती है तो देश में हिंदू मुसलमान साथ क्यों नहीं रह सकते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीएम कहते हैं बचपन में ईद पर खाना नहीं बनता है। हम आज भी शाकाहारी खाना भेज सकते हैं। आपकी मोहब्बत का दरवाजा बंद हो गया है।

उन्होंने आगे कहा कि जेपीसी ने बड़ी नाइंसाफी से काम लिया है। स्टेकहोल्डर को छोड़कर जो स्टेकहोल्डर नहीं हैं, उनसे बात कर रहे हैं। कहीं आप श्रीलंका ना चले जाए। आपको बांग्लादेश की हसीना अच्छी लगती है देश का हुसैन अच्छा नहीं लगता है।

महमूद मदनी के गंभीर आरोप

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख महमूद मदनी ने भी इस विधेयक को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा, यह सिर्फ मुसलमानों का मामला नहीं है, बल्कि संविधान का मामला है। हमारे घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं, मस्जिदों और मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है। वक्फ के जरिए संविधान पर भी बुलडोजर चलाने की कोशिश हो रही है।

मदनी ने आगे कहा, हमें हर हाल में इसकी मुखालफत करनी होगी। यह सिर्फ मुसलमानों की लड़ाई नहीं है, बल्कि सभी समुदायों को एकजुट होना होगा। बहुसंख्यक राज्य बनाने की कोशिश की जा रही है, हमें इसके खिलाफ खड़ा होना होगा। उन्होंने आगे कहा कि हर लड़ाई के लिए कुर्बानी की जरूरत होती है और हमें इसके लिए तैयार रहना होगा। केवल सड़कों पर प्रदर्शन से काम नहीं चलेगा, इसके लिए हर स्तर पर लड़ाई लड़नी होगी।

ओवैसी का सरकार पर तीखा हमला

वहीं, प्रदर्शन में सामिल असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों को मजबूत करने के लिए नहीं, बल्कि फसाद कराने के लिए लाया गया है। ओवैसी ने आरोप लगाया कि ‘मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों को लूटने और देश का माहौल खराब करने की कोशिश कर रही है। ओवैसी ने यह भी कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस विधेयक पर आगे की रणनीति तय करेगा और संसद में इसका विरोध किया जाएगा।

महुआ मोइत्रा ने क् कहा

जंतर मंतर पर प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए महुआ मोइत्रा ने कहा, जब अयोध्या के राम मंदिर बोर्ड में किसी मुस्लिम को शामिल नहीं किया जा सकता। तो वक्फ बोर्ड में हिंदू को कैसे शामिल किया जा सकता है? ये मुस्लिमों की संपत्ति को छिनने के लिए है। उन्होंने आगे कहा, जो बातें 30 साल पहले बंद कमरों में होती थीं, वे अब खुले मंचों से कही जा रही हैं। देश में जो हालात बनाए जा रहे हैं, वैसा ही जर्मनी में भी हुआ था।

वक्फ की जमीनों को उद्योगपति को देना चाहती सरकार -इमरान प्रतापगढ़ी

जंतर-मंतर पर वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन पर कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा कि सरकार को समझना होगा कि बहुत विरोध हो रहा है, यह अच्छी बात है कि संगठन लोकतांत्रिक तरीके से उस तानाशाही का विरोध कर रहे हैं, जिसे सरकार थोपने की कोशिश कर रही है। क्या वे वक्फ की जमीनों को लूटकर अपने उद्योगपति दोस्तों को देना चाहते हैं? अगर वे जेपीसी सदस्यों की राय नहीं सुनने वाले थे तो उन्होंने जेपीसी क्यों बनाई।