वक्फ विधेयक के खिलाफ आज प्रदर्शन, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मिला कांग्रेस समेत कई दलों का साथ

#protestwaqfamendment_bill

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज जंतर मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का धरना प्रदर्शन है। वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ धरने में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही विपक्ष के कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है। इस धरने में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी समेत कई दल शामिल हो रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव स्वायत्तता के लिए खतरा है। वक्फ बिल बोर्ड की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर असर डालेगा। इसलिए पूरे देश में विरोध किया जा रहा है।

नायडू-नीतीश को भी निमंत्रण

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर होने वाला प्रदर्शन में सभी दलों, संगठनों और समुदाय के लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने जनवरी और फरवरी में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा था, लेकिन ये दोनों दल फिलहाल इस विषय पर सरकार के साथ नजर आ रहे हैं। आयोजकों ने साफ किया कि विरोध प्रदर्शन का मकसद किसी सरकार या पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि समुदाय के हक की रक्षा करना है।

सदन में भी हंगामे के आसार

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन को लेकर भी सदन में हंगामा हो सकता है। विपक्षी दल इसको लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है। वहीं, सरकार हर हाल में इस बिल को पास कराना चाहती है। हाल ही में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सरकार वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना चाहती है। क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय के कई मुद्दे सुलझेंगे। संसद की संयुक्त समिति ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच इस बिल पर अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की थी। इसलिए सरकार के लिए वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना प्राथमिकता है।

पहले 13 मार्च को होना था प्रदर्शन

पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था, लेकिन उस दिन संसद के संभावित अवकाश के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असर्मथता जताई, जिसके बाद उसने कार्यक्रम में बदलाव किया। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ संशोधन बिल अवकाफ को हड़पने की एक सोची समझी साजिश है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। मिल्लत-ए-इस्लामिया वक्फ संशोधन बिल को खारिज करता है।

नेपाल की छात्रा की आत्महत्या को लेकर भुवनेश्वर के KIIT में विरोध प्रदर्शन, संदिग्ध को हिरासत में लिया गया

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KIIT Bhubneshwar

नेपाल की 20 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रा का शव रविवार शाम को उसके छात्रावास के कमरे में पंखे से लटका हुआ पाए जाने के बाद सोमवार को भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हुआ।

KIIT विश्वविद्यालय (मान्य) के सैकड़ों छात्रों ने सोमवार सुबह कॉलेज के सामने मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और आरोप लगाया कि अधिकारियों ने एक महीने पहले मृतक छात्रा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। भुवनेश्वर के डीसीपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने में भूमिका निभाने वाले आरोपी लड़के अदविक श्रीवास्तव को हिरासत में लिया गया है। छात्रों ने आरोप लगाया कि पीड़िता को अदविक श्रीवास्तव कई महीनों से परेशान कर रहा था और विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग को मामले की सूचना देने के बावजूद कोई मदद नहीं मिली।

घटना के बाद विश्वविद्यालय के नेपाली छात्रों ने गहन जांच की मांग की और आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की। तनाव बढ़ने पर केआईआईटी विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी कर सभी नेपाली छात्रों को परिसर खाली करने को कहा। बयान में कहा गया, "नेपाल के सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विश्वविद्यालय बंद है। 

उन्हें आज यानी 17 फरवरी को विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का निर्देश दिया जाता है।" 

मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए केआईआईटी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ज्ञान रंजन मोहंती ने कहा कि पीड़िता आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। मोहंती ने कहा, "वह हॉस्टल में रह रही थी और अपने पार्टनर के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण उसने यह कदम उठाया। उसके कमरे को सील कर दिया गया है और परिवार के सदस्यों को सूचित कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।" पुलिस ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने की शिकायत दर्ज होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। 

दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आरोपी और पीड़िता के बीच बातचीत की एक ऑडियो क्लिप सामने आई है। क्लिप में एक युवक को एक लड़की को गाली देते और परेशान करते हुए सुना जा सकता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय ने नेपाली छात्रों से तुरंत हॉस्टल खाली करने और घर लौटने को कहा। विश्वविद्यालय ने कहा, "स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेपाली छात्रों को उनके संबंधित घरों को भेज दिया गया है। फिलहाल स्थिति शांत है।" नेपाली छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी यात्रा व्यवस्था के अपने घरों की ओर जाने के लिए मजबूर किया गया। 

नेपाल के एक छात्र ने दावा किया, "हमें कोई ट्रेन टिकट या कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए। हमें बस हॉस्टल की बसों में भर दिया गया, कटक रेलवे स्टेशन भेज दिया गया और जल्द से जल्द अपने घरों के लिए निकल जाने का आदेश दिया गया। स्टाफ के सदस्य हॉस्टल में घुस गए, हमें खाली करने के लिए मजबूर किया और जो लोग जल्दी से खाली नहीं कर रहे थे, उन्हें पीटा भी।"

श्रीलंका की नौसेना ने भारतीय मछुआरों पर बरसाईं गोलियां, भारत ने जताई नाराजगी
0#india_strongly_protests_sri_lankan_navy_firing_on_fishermen श्रीलंकाई नौसेना ने डेल्फ्ट द्वीप के पास से गुजर रहे भारतीय मछुआरों को पकड़ने के लिए गोलियां चलाई। इस दौरान श्रीलंकाई नौसेना ने 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ा है। भारत ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भारत ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है। भारत में श्रीलंका के कार्यवाहक उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया और कड़ा विरोध दर्ज कराया गया।

विदेश मंत्रालय ने इस मामले में बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, आज सुबह डेल्फ्ट द्वीप के नजदीक 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ने के दौरान श्रीलंकाई नौसेना की ओर से गोलीबारी की घटना की सूचना मिली। मछली पकड़ने वाली नाव पर सवार 13 मछुआरों में से दो गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और उनका इलाज जाफना टीचिंग अस्पताल में चल रहा है। तीन अन्य मछुआरों को मामूली चोटें आईं हैं। उनका भी इलाज किया जा रहा है। जाफना में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने घायल मछुआरों से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। उन्होंने मछुआरों और उनके परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की है।

बयान में आगे कहा गया, नई दिल्ली में श्रीलंका के कार्यवाहक उच्चायुक्त को आज सुबह विदेश मंत्रालय में बुलाया गया और इस घटना पर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। कोलंबो में हमारे उच्चायोग ने भी इस मामले को श्रीलंका सरकार के विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है। भारत सरकार ने हमेशा मछुआरों से जुड़े मुद्दों को मानवीय और मानवीय तरीके से निपटाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसमें आजीविका संबंधी चिंताओं को भी ध्यान में रखा गया है। किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है। इस संबंध में दोनों सरकारों के बीच मौजूदा सहमति का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

वहीं, पुदुचेरी सरकार के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सरकार 13 गिरफ्तार मछुआरों और उनकी मशीनीकृत नौका को छुड़वाने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग करेगी। गिरफ्तार किए गए मछुआरों के नामों का पता लगाया जा रहा हैं। पुडुचेरी के मत्स्य पालन मंत्री के. लक्ष्मीनारायणन ने दावा किया कि नौका सहित मछुआरों की रिहाई के लिए सरकार विदेश मंत्री से संपर्क में है। ये मछुआरे कुछ दिन पहले मछली पकड़ने निकले थे।
संसद में प्रदर्शन के दौरान धक्का-मुक्की, बीजेपी के 2 सांसद घायल, राहुल ने मारा धक्का?

#parliament_opposition_protest_bjp_mp_injured

संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामा हो रहा है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। इस दौरान दोनों दलों के सांसदों के बीच मकर द्वार पर धक्कामुक्की की खबर आई। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी के सिर में चोट देखी गई। इस दौरान भाजपा सांसद मुकेश राजपूत भी घायल हो गए। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें आरएमएल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। सारंगी का इलाज भी इसी अस्पताल में चल रहा है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-एनडीए सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था, राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है। राहुल गांधी ने भाजपा के 2 सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को जोर से धक्का दिया। राहुल गांधी ने जो धक्का-मुक्की की है, मैं उसका खंडन करता हूं। मैं राहुल गांधी से सवाल करना चाहता हूं कि अगर सब लोग अपनी ताकत दिखाकर मारपीट करने लग जाएंगे, तो संसद कैसे चलेगा? यह लोकतंत्र का मंदिर है, हमारे दोनों सांसद गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उनका इलाज चल रहा है।

इन आरोपों पर अब राहुल गांधी की भी प्रतिक्रिया आ गई है।लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैं संसद के प्रवेश द्वार से अंदर जाने की कोशिश कर रहा था तो भाजपा सासंद मुझे रोकने की कोशिश कर रहे थे। मुझे धमका रहे थे, तो यह हुआ है। यह संसद का प्रवेश द्वार है और हमारा अंदर जाने का अधिकार है। मुख्य मुद्दा यह है कि वे संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं।

दरअसल, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को लेकर कांग्रेस ने संसद भवन परिसर में मार्च निकाला। जवाब में भाजपा ने कांग्रेस पर झूठ की राजनीति का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान संसद भवन के मकर द्वार पर दोनों दलों के सांसद आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच धक्का-मुक्की की भी नौबत आई

अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल
#amit_shah_ambedkar_remarks_congress_protest_opposition
* संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है। गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं। अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..." वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।
अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल

#amit_shah_ambedkar_remarks_congress_protest_opposition

संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है।

गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं।

अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..."

वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।

दिल्ली आने पर अड़े किसान, रोकने के लिए पुलिस ने छोड़ा वाटर कैनन

#farmers_protest_shambhu_border_delhi_march

पंजाब के किसान फरवरी से अपनी मांगों को लेकर शंभू बाॅर्डर पर बैठे हैं। किसान दो बार दिल्ली कूच का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। आज फिर किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। किसानों के आगे बढ़ते ही पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। पुलिस की कार्रवाई से किसानों में भगदड़ मच गई है। कई किसानों के घायल होने की सूचना है।

शंभू बॉर्डर से आज 101 किसानों का जत्था दिल्ली की ओर दोपहर 12 बजे रवाना हुआ था। किसान इसके पहले भी दो बार दिल्ली कूच की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों से कहा-जब तक आप शांतिपूर्वक हो, हम आपसे दोगुना शांतिपूर्वक हैं। अगर आपको दिल्ली जाकर धरना देना है तो आप परमिशन के लिए अप्लाई कर दें और अगर परमिशन मिलती है तो हम आपको खुद वहाँ पर छोड़कर आएंगे।

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने किसानों के दिल्ली कूच करने पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसानों की चर्चा सुप्रीम कोर्ट से चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसानों के साथ जो चर्चा चल रही है वह ठीक ट्रैक पर है। उसके लिए हमें थोड़ा समय चाहिए और किसानों को थोड़े समय के लिए अपना आंदोलन स्थगित कर देना चाहिए। विज ने कहा कि मुझे भी लगता है कि किसानों को सुप्रीम कोर्ट की राय मान लेनी चाहिए।

शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए कांग्रेस नेता और पहलवान बजरंग पूनिया सुबह 10 बजे करनाल पहुंचे। उन्होंने किसान को समर्थन देने का एक दिन पहले ही ऐलान कर दिया था। करनाल पहुंचे बजरंग पूनिया ने कहा कि हमें जात-पात से ऊपर उठ कर किसानों का साथ देना चाहिए। क्योंकि किसान देश का अन्नदाता है और हम लोग जो अनाज खाते है। उस अनाज को किसान खेतों में कड़ी मेहनत कर के उगाता है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों का न्यूनतम दाम मांग रहे है। हरियाणा के किसानों को लेकर उन्होंने कहा कि नोएडा व गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर बैठे है। हरियाणा सरकार को लेकर कहा कि हर साल 12000 किसान आत्महत्या करते है । क्योंकि कि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा। जितनी उनकी लागत होती है वो भी उनको नहीं मिल रहा है। सरकार को यह आंकड़े देख कर किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए ताकि किसान आज के समय में आत्महत्या करने पर मजबूर न हो।

शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को राहत, प्रदर्शन की वजह से बाधित राजमार्ग खोलने की मांग वाली याचिका खारिज

#sc_refuses_to_hear_petition_filed_on_farmers_protest

सुप्रीम कोर्ट से शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में पंजाब में उन राजमार्गों से अवरोधकों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य प्राधिकारों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इन राजमार्गों पर किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों दाखिल हो रही है? इस सिलसिल में पहले ही से मामला लंबित है, फिर क्यों ऐसी याचिका दाखिल हो रही है?

जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि मामला पहले ही अदालत में विचाराधीन है। वह एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकती। पीठ ने पंजाब में याचिकाकर्ता गौरव लूथरा से कहा कि हम पहले ही व्यापक मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। केवल आपको ही समाज की फिक्र नहीं है। बार-बार याचिकाएं दायर मत कीजिए। कुछ लोग प्रचार के लिए याचिका दाखिल करते हैं और कुछ लोगों की सहानुभूति पाने के लिए ऐसा करते हैं। अदालत ने याचिका को लंबित मामले के साथ जोड़ने के लूथरा के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रदर्शनकारी किसानों को हाइवे से हटाने के निर्देश दे। साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों को भी निर्देश दिया जाए कि वो कानून- व्यवस्था बनाए रखें। ये याचिका वकील अमित कुमार चावला के माध्यम से गौरव लूथरा ने दाखिल की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां पहले से याचिका लंबित है तो ऐसे में नई याचिका क्यों दाखिल की गई है?

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हम हालात से वाकिफ हैं। ये याचिका गलत संदेश देती है। उन्होंने कहा, आप चाहें तो लंबित मामले में मदद कर सकते हैं लेकिन हम नई याचिका नहीं लेंगे। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह पब्लिसिटी के लिए किया गया है। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नई याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं।

बता दें कि पहले से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बातचीत करने को भी कहा गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें।याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश देने का भी मांग किया था। याचिकाकार्ता की दलील थी कि हाईवे को इस तरह ब्लॉक करना लोगों के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है। साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध बताया गया था।

297 दिनों बाद फिर दिल्ली कूच करने की तैयारी में किसान, सड़कों पर जगह-जगह जाम, 4000 जवान तैनात

#farmerprotestkisandillichalo_march

दिल्ली में एक बार फिर किसानों का जमावड़ा होने वाला है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आज यानी सोमवार को हजारों किसान नोएडा से दिल्ली की तरफ कूच करने की तैयारी में हैं। नोएडा से दिल्ली में संसद भवन तक विरोध मार्च निकालेंगे। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में धरना प्रदर्शन करने वाले हैं। वे नए कृषि कानूनों के तहत मुआवजे और लाभ की अपनी पांच प्रमुख मांगों पर जोर देंगे। किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते पुलिस ने दिल्ली-एनसीआर में बैरिकेड लगाने और रूट डायवर्ट करने सहित सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं। भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) समेत कई किसान संगठन नए कृषि कानूनों के तहत उचित मुआवजा और लाभ की मांग को लेकर प्रदर्शन करेंगे। बीकेपी का मार्च 2 दिसंबर यानी आज से नोएडा से शुरू होगा, जबकि अन्य संगठन 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। पंजाब-हरियाणा सीमा पर मौजूद किसान भी इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।

दिल्ली पुलिस के साथ गौतमबुद्ध नगर पुलिस अलर्ट

किसानों के दिल्ली मार्च की सूचना पर दिल्ली पुलिस के साथ गौतमबुद्ध नगर पुलिस अलर्ट हो गई। इसी के साथ दिल्ली बॉर्डर पर चेकिंग शुरू हो गई। गौतमबुद्ध नगर से दिल्ली जाने वाले सभी मार्गों पर बैरियर लगाया गया है, जिससे जाम की स्थिति बन गई है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने इस परिस्थिति को देखते हुए वाहन चालकों के लिए एडवाइजरी जारी की थी। गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर की ओर से जारी इस एडवाइजरी में कहा गया कि दिल्ली बॉर्डर पर ट्रैफिक प्रेशर बढ़ने की स्थिति में कई सड़कों पर रूट डायवर्जन किया जाएगा। इस दौरान जाम एवं अन्य समस्याओं से बचने के लिए लोग मेट्रो सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।

ऐसे निकलेंगे वाहन

पुलिस के मुताबिक यमुना एक्सप्रेस-वे से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के रास्ते दिल्ली की ओर जाने वाले तथा सिरसा से परीचौक के रास्ते सूरजपुर जाने वाले मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन बंद रहेगा। इन दोनों ही सड़कों पर किसी तरह के मालवाहक वाहनों की आवाजाही नहीं है। इसी प्रकार चिल्ला बॉर्डर से ग्रेटर-नोएडा की ओर जाने वाले वाहनों को सैक्टर 14ए फ्लाई ओवर से गोलचक्कर चौक सैक्टर 15 के रास्ते संदीप पेपर मिल चौक होते हुए झुण्डपुरा चौक से निकाला जा रहा है। इसी प्रकार डीएनडी बॉर्डर से दिल्ली की ओर जाने वाले वाहनों को फिल्मसिटी फ्लाईओवर से सैक्टर 18 एलीवेटेड के रास्ते निकाला जा रहा है। कालिन्दी बॉर्डर दिल्ली से नोएडा की ओर आने वाले वाहन महामाया फ्लाई ओवर के रास्ते सैक्टर 37 होते हुए गन्तव्य की ओर रवाना हो सकेंगे।

कौन-कौन से किसान संगठन साथ?

जानकारी के मुताबिक किसानों के इस दिल्ली मार्च में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 10 से अधिक किसान संगठन शामिल हो रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा सहित विभिन्न किसान संगठन भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। ये समूह 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर अपना मार्च शुरू करेंगे। इसके अलावा,केरल,उत्तराखंड और तमिलनाडु में किसान यूनियन उसी दिन अपनी-अपनी विधानसभाओं तक प्रतीकात्मक मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं। पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। वे दिल्ली की ओर अपने रुके हुए मार्च का विरोध कर रहे हैं। किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने घोषणा की कि ये किसान 6 दिसंबर के मार्च में शामिल होंगे।

297 दिन बाद किसान दिल्ली कर रहे हैं कूच

मालूम हो कि किसान इसी साल 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। अब लगभग 297 दिनों बाद किसानों ने एक बार फिर से दिल्ली चलो का ऐलान किया है। बॉर्डर पर बैठे किसान 12 अन्य मांगों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

किसानों की मांगें

➤कानूनी गारंटी वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)

➤कृषि ऋण माफ

➤किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन

➤पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज किए गए पुलिस मामलों को वापस लेना

➤2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय

➤भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना

➤2020-21 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा

कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के अतिक्रमण के खिलाफ लोगों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे साधु-संत और किसान

#karnataka_hindu_saints_farmers_started_protest

कर्नाटक समेत देशभर में जिस तेजी से वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से संपत्तियों को क्लेम करता जा रहा है उसके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उसके खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। ताजा मामला कलबुर्गी का है, जहां साधु-संतों, किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड की ओर से कथित अतिक्रमण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विशाल रैली निकालकर आक्रोश जताया गया।

वक्फ बोर्ड की मनमानियों के खिलाफ नेगिलायोगी स्वाभिमान वेदिके के बैनर तले प्रदेश के मठों के हिन्दू संत, भाजपा नेताओं और किसान समर्थक संगठनों के सदस्यों ने “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” तीन दिवसीय विरोध मार्च निकाला है। इस दौरान प्रदर्शन करते हुए संतों और भाजपा नेताओं ने प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया औऱ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग की। विरोध मार्च कलबुर्गी के नागेश्वर स्कूल से निकाला गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में “ज़मीर हटाओ, ज़मीन बचाओ”, “रायता देशदा आस्थी”, “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” नारे लिखी तख्तियां ले रखा था।

इस मौके पर कर्नाटक विधान परिषद के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि आप स्थिति देख सकते हैं। किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। यह विरोध प्रदर्शन कलबुर्गी में हो रहा है। हम मंत्री ज़मीर अहमद खान और कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी प्रदेश महासचिव प्रीतम गौड़ा ने कहाा था कि कहा कि हजारों प्रभावित व्यक्तियों और किसानों को अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए पूरे दिन मंच पर आमंत्रित किया गया है। हम जिलेवार मुद्दों की गंभीरता की समीक्षा कर रहे हैं। राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए पहले ही तीन टीमों की घोषणा कर दी है। ये टीमें किसानों, धार्मिक संस्थाओं और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए जिलों में जाएंगी और उनके निष्कर्षों पर आगामी बेलगावी विधानसभा सत्र में चर्चा की जाएगी।

वक्फ विधेयक के खिलाफ आज प्रदर्शन, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को मिला कांग्रेस समेत कई दलों का साथ

#protestwaqfamendment_bill

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज जंतर मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का धरना प्रदर्शन है। वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ धरने में विभिन्न मुस्लिम संगठनों और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ ही विपक्ष के कई सांसदों को आमंत्रित किया गया है। इस धरने में कांग्रेस, टीएमसी, आरजेडी समेत कई दल शामिल हो रहे हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई संगठनों का मानना है कि वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित बदलाव स्वायत्तता के लिए खतरा है। वक्फ बिल बोर्ड की वित्तीय और प्रशासनिक स्वतंत्रता पर असर डालेगा। इसलिए पूरे देश में विरोध किया जा रहा है।

नायडू-नीतीश को भी निमंत्रण

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर होने वाला प्रदर्शन में सभी दलों, संगठनों और समुदाय के लोगों को शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। बोर्ड के प्रतिनिधियों ने जनवरी और फरवरी में तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और जद(यू) अध्यक्ष नीतीश कुमार से मुलाकात कर उनसे सहयोग मांगा था, लेकिन ये दोनों दल फिलहाल इस विषय पर सरकार के साथ नजर आ रहे हैं। आयोजकों ने साफ किया कि विरोध प्रदर्शन का मकसद किसी सरकार या पार्टी के खिलाफ नहीं बल्कि समुदाय के हक की रक्षा करना है।

सदन में भी हंगामे के आसार

वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ होने वाले विरोध प्रदर्शन को लेकर भी सदन में हंगामा हो सकता है। विपक्षी दल इसको लेकर सरकार पर लगातार हमलावर है। वहीं, सरकार हर हाल में इस बिल को पास कराना चाहती है। हाल ही में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि सरकार वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना चाहती है। क्योंकि इससे मुस्लिम समुदाय के कई मुद्दे सुलझेंगे। संसद की संयुक्त समिति ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच इस बिल पर अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की थी। इसलिए सरकार के लिए वक्फ संशोधन बिल को जल्द पारित कराना प्राथमिकता है।

पहले 13 मार्च को होना था प्रदर्शन

पर्सनल लॉ बोर्ड पहले 13 मार्च को धरना देने वाला था, लेकिन उस दिन संसद के संभावित अवकाश के चलते कई सांसदों ने अपनी उपस्थिति को लेकर असर्मथता जताई, जिसके बाद उसने कार्यक्रम में बदलाव किया। बता दें कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि वक्फ संशोधन बिल अवकाफ को हड़पने की एक सोची समझी साजिश है, जिसे किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा। मिल्लत-ए-इस्लामिया वक्फ संशोधन बिल को खारिज करता है।

नेपाल की छात्रा की आत्महत्या को लेकर भुवनेश्वर के KIIT में विरोध प्रदर्शन, संदिग्ध को हिरासत में लिया गया

#kiit_bhubneshwar_faces_protests_as_a_nepali_student_commits_suicide

KIIT Bhubneshwar

नेपाल की 20 वर्षीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्रा का शव रविवार शाम को उसके छात्रावास के कमरे में पंखे से लटका हुआ पाए जाने के बाद सोमवार को भुवनेश्वर के कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में विरोध प्रदर्शन हुआ।

KIIT विश्वविद्यालय (मान्य) के सैकड़ों छात्रों ने सोमवार सुबह कॉलेज के सामने मुख्य मार्ग को अवरुद्ध कर दिया और आरोप लगाया कि अधिकारियों ने एक महीने पहले मृतक छात्रा द्वारा दर्ज कराई गई शिकायतों पर ध्यान नहीं दिया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह आत्महत्या का मामला प्रतीत होता है। भुवनेश्वर के डीसीपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने में भूमिका निभाने वाले आरोपी लड़के अदविक श्रीवास्तव को हिरासत में लिया गया है। छात्रों ने आरोप लगाया कि पीड़िता को अदविक श्रीवास्तव कई महीनों से परेशान कर रहा था और विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय संबंध विभाग को मामले की सूचना देने के बावजूद कोई मदद नहीं मिली।

घटना के बाद विश्वविद्यालय के नेपाली छात्रों ने गहन जांच की मांग की और आरोपी की गिरफ्तारी की मांग की। तनाव बढ़ने पर केआईआईटी विश्वविद्यालय ने एक नोटिस जारी कर सभी नेपाली छात्रों को परिसर खाली करने को कहा। बयान में कहा गया, "नेपाल के सभी अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विश्वविद्यालय बंद है। 

उन्हें आज यानी 17 फरवरी को विश्वविद्यालय परिसर खाली करने का निर्देश दिया जाता है।" 

मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए केआईआईटी विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार ज्ञान रंजन मोहंती ने कहा कि पीड़िता आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। मोहंती ने कहा, "वह हॉस्टल में रह रही थी और अपने पार्टनर के साथ तनावपूर्ण संबंधों के कारण उसने यह कदम उठाया। उसके कमरे को सील कर दिया गया है और परिवार के सदस्यों को सूचित कर दिया गया है। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।" पुलिस ने कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने की शिकायत दर्ज होने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। 

दूसरी ओर, सोशल मीडिया पर कथित तौर पर आरोपी और पीड़िता के बीच बातचीत की एक ऑडियो क्लिप सामने आई है। क्लिप में एक युवक को एक लड़की को गाली देते और परेशान करते हुए सुना जा सकता है। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए विश्वविद्यालय ने नेपाली छात्रों से तुरंत हॉस्टल खाली करने और घर लौटने को कहा। विश्वविद्यालय ने कहा, "स्थिति को ध्यान में रखते हुए नेपाली छात्रों को उनके संबंधित घरों को भेज दिया गया है। फिलहाल स्थिति शांत है।" नेपाली छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें बिना किसी यात्रा व्यवस्था के अपने घरों की ओर जाने के लिए मजबूर किया गया। 

नेपाल के एक छात्र ने दावा किया, "हमें कोई ट्रेन टिकट या कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए। हमें बस हॉस्टल की बसों में भर दिया गया, कटक रेलवे स्टेशन भेज दिया गया और जल्द से जल्द अपने घरों के लिए निकल जाने का आदेश दिया गया। स्टाफ के सदस्य हॉस्टल में घुस गए, हमें खाली करने के लिए मजबूर किया और जो लोग जल्दी से खाली नहीं कर रहे थे, उन्हें पीटा भी।"

श्रीलंका की नौसेना ने भारतीय मछुआरों पर बरसाईं गोलियां, भारत ने जताई नाराजगी
0#india_strongly_protests_sri_lankan_navy_firing_on_fishermen श्रीलंकाई नौसेना ने डेल्फ्ट द्वीप के पास से गुजर रहे भारतीय मछुआरों को पकड़ने के लिए गोलियां चलाई। इस दौरान श्रीलंकाई नौसेना ने 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ा है। भारत ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। भारत ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है। भारत में श्रीलंका के कार्यवाहक उच्चायुक्त को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया और कड़ा विरोध दर्ज कराया गया।

विदेश मंत्रालय ने इस मामले में बयान जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, आज सुबह डेल्फ्ट द्वीप के नजदीक 13 भारतीय मछुआरों को पकड़ने के दौरान श्रीलंकाई नौसेना की ओर से गोलीबारी की घटना की सूचना मिली। मछली पकड़ने वाली नाव पर सवार 13 मछुआरों में से दो गंभीर रूप से घायल हो गए हैं और उनका इलाज जाफना टीचिंग अस्पताल में चल रहा है। तीन अन्य मछुआरों को मामूली चोटें आईं हैं। उनका भी इलाज किया जा रहा है। जाफना में भारतीय वाणिज्य दूतावास के अधिकारियों ने घायल मछुआरों से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हालचाल जाना। उन्होंने मछुआरों और उनके परिवारों को हर संभव सहायता प्रदान की है।

बयान में आगे कहा गया, नई दिल्ली में श्रीलंका के कार्यवाहक उच्चायुक्त को आज सुबह विदेश मंत्रालय में बुलाया गया और इस घटना पर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया। कोलंबो में हमारे उच्चायोग ने भी इस मामले को श्रीलंका सरकार के विदेश मंत्रालय के समक्ष उठाया है। भारत सरकार ने हमेशा मछुआरों से जुड़े मुद्दों को मानवीय और मानवीय तरीके से निपटाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। इसमें आजीविका संबंधी चिंताओं को भी ध्यान में रखा गया है। किसी भी परिस्थिति में बल का प्रयोग स्वीकार्य नहीं है। इस संबंध में दोनों सरकारों के बीच मौजूदा सहमति का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।

वहीं, पुदुचेरी सरकार के शीर्ष अधिकारी ने बताया कि सरकार 13 गिरफ्तार मछुआरों और उनकी मशीनीकृत नौका को छुड़वाने के लिए केंद्र से हस्तक्षेप करने की मांग करेगी। गिरफ्तार किए गए मछुआरों के नामों का पता लगाया जा रहा हैं। पुडुचेरी के मत्स्य पालन मंत्री के. लक्ष्मीनारायणन ने दावा किया कि नौका सहित मछुआरों की रिहाई के लिए सरकार विदेश मंत्री से संपर्क में है। ये मछुआरे कुछ दिन पहले मछली पकड़ने निकले थे।
संसद में प्रदर्शन के दौरान धक्का-मुक्की, बीजेपी के 2 सांसद घायल, राहुल ने मारा धक्का?

#parliament_opposition_protest_bjp_mp_injured

संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामा हो रहा है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। इस दौरान दोनों दलों के सांसदों के बीच मकर द्वार पर धक्कामुक्की की खबर आई। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी के सिर में चोट देखी गई। इस दौरान भाजपा सांसद मुकेश राजपूत भी घायल हो गए। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें आरएमएल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। सारंगी का इलाज भी इसी अस्पताल में चल रहा है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-एनडीए सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था, राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है। राहुल गांधी ने भाजपा के 2 सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को जोर से धक्का दिया। राहुल गांधी ने जो धक्का-मुक्की की है, मैं उसका खंडन करता हूं। मैं राहुल गांधी से सवाल करना चाहता हूं कि अगर सब लोग अपनी ताकत दिखाकर मारपीट करने लग जाएंगे, तो संसद कैसे चलेगा? यह लोकतंत्र का मंदिर है, हमारे दोनों सांसद गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उनका इलाज चल रहा है।

इन आरोपों पर अब राहुल गांधी की भी प्रतिक्रिया आ गई है।लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैं संसद के प्रवेश द्वार से अंदर जाने की कोशिश कर रहा था तो भाजपा सासंद मुझे रोकने की कोशिश कर रहे थे। मुझे धमका रहे थे, तो यह हुआ है। यह संसद का प्रवेश द्वार है और हमारा अंदर जाने का अधिकार है। मुख्य मुद्दा यह है कि वे संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं।

दरअसल, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को लेकर कांग्रेस ने संसद भवन परिसर में मार्च निकाला। जवाब में भाजपा ने कांग्रेस पर झूठ की राजनीति का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान संसद भवन के मकर द्वार पर दोनों दलों के सांसद आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच धक्का-मुक्की की भी नौबत आई

अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल
#amit_shah_ambedkar_remarks_congress_protest_opposition
* संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है। गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं। अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..." वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।
अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल

#amit_shah_ambedkar_remarks_congress_protest_opposition

संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है।

गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं।

अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..."

वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।

दिल्ली आने पर अड़े किसान, रोकने के लिए पुलिस ने छोड़ा वाटर कैनन

#farmers_protest_shambhu_border_delhi_march

पंजाब के किसान फरवरी से अपनी मांगों को लेकर शंभू बाॅर्डर पर बैठे हैं। किसान दो बार दिल्ली कूच का प्रयास कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। आज फिर किसान दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं। किसानों के आगे बढ़ते ही पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए वाटर कैनन का इस्तेमाल किया। इसके अलावा आंसू गैस के गोले छोड़े गए। पुलिस की कार्रवाई से किसानों में भगदड़ मच गई है। कई किसानों के घायल होने की सूचना है।

शंभू बॉर्डर से आज 101 किसानों का जत्था दिल्ली की ओर दोपहर 12 बजे रवाना हुआ था। किसान इसके पहले भी दो बार दिल्ली कूच की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन दोनों बार हरियाणा पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया था। शंभू बॉर्डर पर पुलिस ने किसानों से कहा-जब तक आप शांतिपूर्वक हो, हम आपसे दोगुना शांतिपूर्वक हैं। अगर आपको दिल्ली जाकर धरना देना है तो आप परमिशन के लिए अप्लाई कर दें और अगर परमिशन मिलती है तो हम आपको खुद वहाँ पर छोड़कर आएंगे।

हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने किसानों के दिल्ली कूच करने पर अपनी प्रतिक्रिया दी और कहा कि किसानों की चर्चा सुप्रीम कोर्ट से चल रही है और सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि किसानों के साथ जो चर्चा चल रही है वह ठीक ट्रैक पर है। उसके लिए हमें थोड़ा समय चाहिए और किसानों को थोड़े समय के लिए अपना आंदोलन स्थगित कर देना चाहिए। विज ने कहा कि मुझे भी लगता है कि किसानों को सुप्रीम कोर्ट की राय मान लेनी चाहिए।

शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए कांग्रेस नेता और पहलवान बजरंग पूनिया सुबह 10 बजे करनाल पहुंचे। उन्होंने किसान को समर्थन देने का एक दिन पहले ही ऐलान कर दिया था। करनाल पहुंचे बजरंग पूनिया ने कहा कि हमें जात-पात से ऊपर उठ कर किसानों का साथ देना चाहिए। क्योंकि किसान देश का अन्नदाता है और हम लोग जो अनाज खाते है। उस अनाज को किसान खेतों में कड़ी मेहनत कर के उगाता है। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसलों का न्यूनतम दाम मांग रहे है। हरियाणा के किसानों को लेकर उन्होंने कहा कि नोएडा व गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर बैठे है। हरियाणा सरकार को लेकर कहा कि हर साल 12000 किसान आत्महत्या करते है । क्योंकि कि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम नहीं मिल रहा। जितनी उनकी लागत होती है वो भी उनको नहीं मिल रहा है। सरकार को यह आंकड़े देख कर किसानों की मांगों को पूरा करना चाहिए ताकि किसान आज के समय में आत्महत्या करने पर मजबूर न हो।

शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को राहत, प्रदर्शन की वजह से बाधित राजमार्ग खोलने की मांग वाली याचिका खारिज

#sc_refuses_to_hear_petition_filed_on_farmers_protest

सुप्रीम कोर्ट से शंभू बॉर्डर पर डटे किसानों को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर से किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में पंजाब में उन राजमार्गों से अवरोधकों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य प्राधिकारों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। इन राजमार्गों पर किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सर्वोच्च अदालत ने सख्त लहजे में कहा कि बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों दाखिल हो रही है? इस सिलसिल में पहले ही से मामला लंबित है, फिर क्यों ऐसी याचिका दाखिल हो रही है?

जस्टिस सूर्यकांत और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने कहा कि मामला पहले ही अदालत में विचाराधीन है। वह एक ही मुद्दे पर बार-बार याचिकाओं पर विचार नहीं कर सकती। पीठ ने पंजाब में याचिकाकर्ता गौरव लूथरा से कहा कि हम पहले ही व्यापक मुद्दे पर विचार कर रहे हैं। केवल आपको ही समाज की फिक्र नहीं है। बार-बार याचिकाएं दायर मत कीजिए। कुछ लोग प्रचार के लिए याचिका दाखिल करते हैं और कुछ लोगों की सहानुभूति पाने के लिए ऐसा करते हैं। अदालत ने याचिका को लंबित मामले के साथ जोड़ने के लूथरा के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकारों को प्रदर्शनकारी किसानों को हाइवे से हटाने के निर्देश दे। साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों को भी निर्देश दिया जाए कि वो कानून- व्यवस्था बनाए रखें। ये याचिका वकील अमित कुमार चावला के माध्यम से गौरव लूथरा ने दाखिल की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां पहले से याचिका लंबित है तो ऐसे में नई याचिका क्यों दाखिल की गई है?

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, हम हालात से वाकिफ हैं। ये याचिका गलत संदेश देती है। उन्होंने कहा, आप चाहें तो लंबित मामले में मदद कर सकते हैं लेकिन हम नई याचिका नहीं लेंगे। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि यह पब्लिसिटी के लिए किया गया है। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नई याचिका पर सुनवाई करने के इच्छुक नहीं हैं।

बता दें कि पहले से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया था। इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बातचीत करने को भी कहा गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें।याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश देने का भी मांग किया था। याचिकाकार्ता की दलील थी कि हाईवे को इस तरह ब्लॉक करना लोगों के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है। साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध बताया गया था।

297 दिनों बाद फिर दिल्ली कूच करने की तैयारी में किसान, सड़कों पर जगह-जगह जाम, 4000 जवान तैनात

#farmerprotestkisandillichalo_march

दिल्ली में एक बार फिर किसानों का जमावड़ा होने वाला है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में आज यानी सोमवार को हजारों किसान नोएडा से दिल्ली की तरफ कूच करने की तैयारी में हैं। नोएडा से दिल्ली में संसद भवन तक विरोध मार्च निकालेंगे। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली में धरना प्रदर्शन करने वाले हैं। वे नए कृषि कानूनों के तहत मुआवजे और लाभ की अपनी पांच प्रमुख मांगों पर जोर देंगे। किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते पुलिस ने दिल्ली-एनसीआर में बैरिकेड लगाने और रूट डायवर्ट करने सहित सुरक्षा उपाय बढ़ा दिए हैं। भारतीय किसान परिषद (बीकेपी) समेत कई किसान संगठन नए कृषि कानूनों के तहत उचित मुआवजा और लाभ की मांग को लेकर प्रदर्शन करेंगे। बीकेपी का मार्च 2 दिसंबर यानी आज से नोएडा से शुरू होगा, जबकि अन्य संगठन 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर कूच करेंगे। पंजाब-हरियाणा सीमा पर मौजूद किसान भी इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।

दिल्ली पुलिस के साथ गौतमबुद्ध नगर पुलिस अलर्ट

किसानों के दिल्ली मार्च की सूचना पर दिल्ली पुलिस के साथ गौतमबुद्ध नगर पुलिस अलर्ट हो गई। इसी के साथ दिल्ली बॉर्डर पर चेकिंग शुरू हो गई। गौतमबुद्ध नगर से दिल्ली जाने वाले सभी मार्गों पर बैरियर लगाया गया है, जिससे जाम की स्थिति बन गई है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने इस परिस्थिति को देखते हुए वाहन चालकों के लिए एडवाइजरी जारी की थी। गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर की ओर से जारी इस एडवाइजरी में कहा गया कि दिल्ली बॉर्डर पर ट्रैफिक प्रेशर बढ़ने की स्थिति में कई सड़कों पर रूट डायवर्जन किया जाएगा। इस दौरान जाम एवं अन्य समस्याओं से बचने के लिए लोग मेट्रो सेवाओं का इस्तेमाल कर सकते हैं।

ऐसे निकलेंगे वाहन

पुलिस के मुताबिक यमुना एक्सप्रेस-वे से नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे के रास्ते दिल्ली की ओर जाने वाले तथा सिरसा से परीचौक के रास्ते सूरजपुर जाने वाले मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन बंद रहेगा। इन दोनों ही सड़कों पर किसी तरह के मालवाहक वाहनों की आवाजाही नहीं है। इसी प्रकार चिल्ला बॉर्डर से ग्रेटर-नोएडा की ओर जाने वाले वाहनों को सैक्टर 14ए फ्लाई ओवर से गोलचक्कर चौक सैक्टर 15 के रास्ते संदीप पेपर मिल चौक होते हुए झुण्डपुरा चौक से निकाला जा रहा है। इसी प्रकार डीएनडी बॉर्डर से दिल्ली की ओर जाने वाले वाहनों को फिल्मसिटी फ्लाईओवर से सैक्टर 18 एलीवेटेड के रास्ते निकाला जा रहा है। कालिन्दी बॉर्डर दिल्ली से नोएडा की ओर आने वाले वाहन महामाया फ्लाई ओवर के रास्ते सैक्टर 37 होते हुए गन्तव्य की ओर रवाना हो सकेंगे।

कौन-कौन से किसान संगठन साथ?

जानकारी के मुताबिक किसानों के इस दिल्ली मार्च में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले 10 से अधिक किसान संगठन शामिल हो रहे हैं। किसान मजदूर मोर्चा और संयुक्त किसान मोर्चा सहित विभिन्न किसान संगठन भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे। ये समूह 6 दिसंबर को दिल्ली की ओर अपना मार्च शुरू करेंगे। इसके अलावा,केरल,उत्तराखंड और तमिलनाडु में किसान यूनियन उसी दिन अपनी-अपनी विधानसभाओं तक प्रतीकात्मक मार्च निकालने की योजना बना रहे हैं। पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। वे दिल्ली की ओर अपने रुके हुए मार्च का विरोध कर रहे हैं। किसान मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने घोषणा की कि ये किसान 6 दिसंबर के मार्च में शामिल होंगे।

297 दिन बाद किसान दिल्ली कर रहे हैं कूच

मालूम हो कि किसान इसी साल 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। अब लगभग 297 दिनों बाद किसानों ने एक बार फिर से दिल्ली चलो का ऐलान किया है। बॉर्डर पर बैठे किसान 12 अन्य मांगों के साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

किसानों की मांगें

➤कानूनी गारंटी वाला न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी)

➤कृषि ऋण माफ

➤किसानों और कृषि मजदूरों के लिए पेंशन

➤पिछले विरोध प्रदर्शनों के दौरान दर्ज किए गए पुलिस मामलों को वापस लेना

➤2021 के लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय

➤भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 को बहाल करना

➤2020-21 के विरोध प्रदर्शनों के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा

कर्नाटक में वक्फ बोर्ड के अतिक्रमण के खिलाफ लोगों में गुस्सा, सड़कों पर उतरे साधु-संत और किसान

#karnataka_hindu_saints_farmers_started_protest

कर्नाटक समेत देशभर में जिस तेजी से वक्फ बोर्ड मनमाने तरीके से संपत्तियों को क्लेम करता जा रहा है उसके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। इसका नतीजा यह हो रहा है कि उसके खिलाफ अब लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। ताजा मामला कलबुर्गी का है, जहां साधु-संतों, किसानों और बीजेपी कार्यकर्ताओं ने वक्फ बोर्ड की ओर से कथित अतिक्रमण को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विशाल रैली निकालकर आक्रोश जताया गया।

वक्फ बोर्ड की मनमानियों के खिलाफ नेगिलायोगी स्वाभिमान वेदिके के बैनर तले प्रदेश के मठों के हिन्दू संत, भाजपा नेताओं और किसान समर्थक संगठनों के सदस्यों ने “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” तीन दिवसीय विरोध मार्च निकाला है। इस दौरान प्रदर्शन करते हुए संतों और भाजपा नेताओं ने प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धारमैया औऱ अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बी जेड जमीर अहमद के खिलाफ नारेबाजी की। साथ ही वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग की। विरोध मार्च कलबुर्गी के नागेश्वर स्कूल से निकाला गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने हाथों में “ज़मीर हटाओ, ज़मीन बचाओ”, “रायता देशदा आस्थी”, “वक्फ हटाओ, अन्नदाता बचाओ” नारे लिखी तख्तियां ले रखा था।

इस मौके पर कर्नाटक विधान परिषद के नेता चालावाड़ी नारायणस्वामी ने कहा कि आप स्थिति देख सकते हैं। किसानों की जमीनें छीनी जा रही हैं। यह विरोध प्रदर्शन कलबुर्गी में हो रहा है। हम मंत्री ज़मीर अहमद खान और कांग्रेस सरकार के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

इससे पहले बीजेपी प्रदेश महासचिव प्रीतम गौड़ा ने कहाा था कि कहा कि हजारों प्रभावित व्यक्तियों और किसानों को अपनी शिकायतें प्रस्तुत करने के लिए पूरे दिन मंच पर आमंत्रित किया गया है। हम जिलेवार मुद्दों की गंभीरता की समीक्षा कर रहे हैं। राज्य बीजेपी अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने इन चिंताओं को दूर करने के लिए पहले ही तीन टीमों की घोषणा कर दी है। ये टीमें किसानों, धार्मिक संस्थाओं और जनता की शिकायतों को सुनने के लिए जिलों में जाएंगी और उनके निष्कर्षों पर आगामी बेलगावी विधानसभा सत्र में चर्चा की जाएगी।