राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जेजे क्लिनिक को किया दोषमुक्त
पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर मुगलसराय । स्थानीय अलीनगर स्थित जे.जे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम में एक युवती के इलाज में लापरवाही के मामले में वर्ष 2014 में उत्तर प्रदेश राज्य उपभोक्ता फोरम द्वारा नर्सिंग होम के चिकित्सक की लापरवाही मानते हुये उनके विरुद्ध लगाये गये आर्थिक दंड को राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने जे.जे. नर्सिंग होम के पक्ष में निस्तारित कर दिया है। जिससे पीड़ित चिकित्सक सहित नगर के आईएमए के डाक्टरों में हर्ष है। इस बाबत नगर के एक लॉन में आयोजित वार्ता के दौरान जे जे क्लीनिक एंड नर्सिंग होम के निदेशक डॉ रजीव ने बताया कि रिचा सिंह ने अलीनगर स्थित जे.जे. क्लीनिक एंड नर्सिंग होम में 11-10-2001 को भर्ती होकर इलाज कराया था। उसके बाद उन्होंने बीएचयू व के.ई. एम मुम्बई में इलाज करवाया।जहां उनके एक पैर में गैंगरीन हो जाने के कारण उनका पैर काटना पड़ा था। जिसके बाद ऋचा सिंह ने राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतिरोध आयोग उत्तर प्रदेश लखनऊ में बाद दायर कर आरोप लगाया कि उच्च गुणवत्ता वाले बुखार के इलाज के दौरान उनके बाएं पैर में बैंडेज को कस कर बांधा गया था जिसके करण उनके पैर में गैंग्रीन हो गया था।
जिसका इलाज बीएचयू में और फिर मुंबई में कराया गया जहां इलाज के दौरान गैंग्रीन का प्रसार रोकने के लिए बाएं पैर को घुटने के नीचे से काटना पड़ा। राज्य आयोग ने नर्सिंग होम के खिलाफ शिकायत को आंशिक रूप से मंजूरी देते हुए इलाज में लापरवाही के कारण 20 लाख रुपये 6% ब्याज के साथ देने का आदेश दे दिया। तत्पश्चात उक्त संस्थान के निदेशक डॉ रजीव ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में अपील संख्या 2135/2018 दायर की। आयोग ने पूरे मामले को काफी गंभीरता से लिया। और दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने व पूर्व में ऐसे कई मामलों का उच्चतम न्यायालय व हाइकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपीलकर्ता एक पात्र सलाहकार चिकित्सक और कार्डियोलॉजिस्ट है। कोई भी बुद्धिमान पेशेवर ऐसी इच्छा शक्ति से काम नहीं करेगा जिससे रोगी को हानि या चोट पहुंचे क्योंकि उसका पेशा खराब होने का खतरा रहता। आयोग ने अपने फैसले में राज्य आयोग को गलत ठहराया।
कहा कि पीड़िता की शिकायत घटना होने के साढ़े छः वर्ष बाद दाखिल की गई थी। राज्य आयोग ने गलती की थी कि कार्यवाही का कारण उस समय हुआ था जब ऋचा सिंह नाबालिग थी इसलिए उसे समय सीमा से बाहर करने के रूप में नहीं देखा जा सकता। राष्ट्रीय आयोग ने राज्य आयोग के आदेश को खारिज कर दिया। वार्ता के दौरान आईएमए के नगर अध्यक्ष डॉ डी पी सिंह,डॉ सी सोम,डॉ गौतम तिवारी,डॉ राजेश अगरैया, डॉ ज्योत्सना आनंद,डॉ सुमन सिंह,डॉ राजेन्द्र श्रीवास्तव,डॉ विष्णु आनंद,डॉ अशोक सिंह,डॉ एस के आर्य,डॉ सी एस झाँ,डॉ राहुल सिंह,डॉ जी ए खान,डॉ हर्षित सिंह, व डॉ रवि गुप्ता उपस्थित रहे।
May 30 2024, 15:18