झारखंड में ईडी की कार्रवाई से बनता जा रहा है बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल मंत्री और नौकरशाह का ठिकाना
कुछ कार्रवाई पर उठ रही है अंगुली,तो और कारवाई से ईडी जीत रहा है जनता का भरोसा
झारखंड डेस्क रांची का बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल मे इन दिनों माननीय का आवास सा बन गया है। झारखंड जैसे राज्य के लिए यह बहुत गर्व की बात नही है। पिछले कुछ दिनों में जितने भी खुलासे हुए ।जितनी कैश बरामद हुई और इस आरोप में जो लोग भी जेल गये अगर सभी जाँच में सत्यापित हो जाते है और आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाता है तो झारखंड के इतिहास में यह कलंकित अध्याय होगा। आज् बिरसा मुंडा केंद्रीय करागार में झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को भी इडी ने गिरफ्तार कर डाला गया।उनपर लैंड स्केम का आरोप लगाया गया है। हलाकि जिस जमीन के मामले में उन्हे गिरफ्तार किया गया है वह जमीन इनके नाम पर नही है।और सीधा आरोप सिद्ध नही होता है,लेकिन ईडी ने उन्हे आरोपित कर जेल में डाल दिया है।अब मामला नययालय् में है और इस मामले में ईडी इस आरोप को सिद्ध कर पाती है या नही यह समय बताएगा लेकिन झामुमो और राज्य के अधिसंख्य जानता यह मानकर चल रही है कि भारतीय क़ानून व्यवस्था हमारी बहुत मज़बूत है और हेमंत सोरेन बेदाग मुक्त होंगे। लेकिन राज्य में लैंड स्केम के अलाबे बहुत कुछ और ऐसा हुआ है।और ईडी ने खुलासे किये हैँ वह हैरत अंगेज है। जिसके करण ईडी की कुछ कार्रवाई पर भले अंगुली उठे लेकिन कुछ कार्रवाई की सत्यता से उनके पहल की प्रशासा भी हो रही है,और लोग भरोसा भी कर रहे हैं। अभी हाल में ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम 15 मई 2024 को गिरफ्तार किये अगर जो अभी इसी जेल में हैँ। उनपर कमीशन स्केम का आरोप ईडी ने लगाया।कमीशन का 35 करोड़ रुपये भी बरामद किया गया।यह बहुत हीं गंभीर मामला है।सरकार में मंत्री पद पर आसीन लोग किस तरह विकास के नाम पर स्वीकृत राशि का बंदरबांट करते हैँ इसका यह बहुत बड़ा उदहारण है।इस तरह सभी मंत्रालय सवालों के घेरा में आ रहा है। उससे पहले आईएएस पूजा सिंघल, छविरंजन, झारखंड प्रशानिक सेवा के अफसर संजीव लाल और ग्रामीण विकास विभाग के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम गिरफ्तार हुए थे। अभी कुछ और गिरफ्तारियों की आशंका जताई जा रही है। झारखंड टेंडर कमीशन घोटाले में ईडी का जांच दायरा बढ़ता जा रहा है झारखंड के घोटालों के फेहरिस्त में टेंडर कमीशन घोटाला नया अध्याय है। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी जहां हाथ डालते हैं, नए-नए घोटालों का राजफाश होने लगा है। यह भी सच है कि ज्यादातर घोटालों के तार पूर्ववर्ती रघुवर दास के कार्यकाल से ही जुड़ते रहे हैं। मनरेगा घोटाले की जांच के लिए ईडी ने पहली बार झारखंड में दबिश दी थी। रघुवर दास के कार्यकाल में खूंटी की उपायुक्त पूजा सिंघल पर मनरेगा घोटाले का आरोप लगा था। ईडी ने जांच शुरू की तो नए-नए घोटालों की परतें खुलती गईं। ईडी को 1250 करोड़ रुपये के पत्थर खनन घोटाला का पता चला तो जमीन घोटालों के मामले भी ईडी ने उजागर उजागर किए। अब ईडी ने टेंडर घोटाले की पोल खोल दी है। *2019 में भी टेंडर घोटाले के मामले आये थे सामने* झारखंड एसीबी की टीम को अब से पांच साल पहले ही टेंडर कमीशन की भनक लग गई थी, जब 10 हजार रिश्वत लेते एसीबी की टीम ने जमशेदपुर में एक जूनियर इंजीनियर सुरेश राम को गिरफ्तार किया था। सुरेश राम एक ठेकेदार से टेंडर के एवज में पैसे ले रहे थे। सुरेश राम ने तब कबूल किया था कि ये पैसे चीफ इंजीनियर वीरेंद्र राम के पास पहुंचाए जाने हैं। तब राज्य में रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार थी। रघुवर सरकार की सत्ता में पुनर्वापसी नहीं हुई और हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन वाली सरकार ने इस ओर ध्यान ही नहीं दिया। ऐसा जानबूझ कर किया गया या लापरवाही में, पर खामियाजा गठबंधन सरकार को ही अब झेलना पड़ रहा है। *वीरेंद्र के घर से मिले थे 2.66 करोड़* रिश्वत लेने वाले सुरेश राम को लेकर एसीबी की टीम ने जब वीरेंद्र राम के घर पर दबिश दी तो उसके होश उड़ गए। वीरेंद्र के आवास में एसीबी को 2.66 करोड़ नकद मिले थे। इतनी बड़ी रकम बरामद होने के कारण ईडी ने मामले को अपने हाथ ले लिया। चार साल बाद ईडी ने फरवरी 2023 में वीरेंद्र राम के 24 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की तो 30 लाख रुपये के नकद के अलावा अलावा 1.50 करोड़ रुपये जेवरात भी मिले। उनकी 100 करोड़ रुपये से अधिक की चल-अचल संपत्ति की भी ईडी को जानकारी मिली। ईडी ने उनसे लंबी पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया। *साल भर रही चुप्पी उसके बाद फिर जाँच मे आयी तेजी* वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी के बाद ईडी ने साल भर चुप्पी साध ली। इधर टेंडर में कमीशनखोरी का धंधा परवान चढ़ता रहा। ईडी ने इसी महीने ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पीएस संजीव लाल के नौकर जहांगीर आलम के घर छापा मारा। वहां से नोटों का 'पहाड़' बरामद किया। एक जगह से ईडी को 32 करोड़ से अधिक नकद मिले। फिर संजीव लाल के दफ्तर और उसके करीबियों के आवास पर ईडी ने दबिश दी तो और चार करोड़ रुपये बरामद हुए। ईडी ने संजीव लाल और उसके नौकर को तो उसी दिन गिरफ्तार कर लिया। दो दिन बाद मंत्री आलमगीर आलम को भी ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया। आलमगीर से भी ईडी ने दो दनों तक मैराथन पूछताछ की और उन्हें गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया। इस् बींच जो बातें सामने आयी उसके बाद ईडी को अलग-अलग पूछताछ में उनसे यह जानकारी मिली कि ग्रामीण विकास विभाग के ठेके के एवज में मोटा कमीशन ठेकेदारों से वसूल किया जाता था। फिर इसका बंदरबांट विभाग के ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों में होता था। *मंत्री को भी उनका हिस्सा पहुंचता था।* वसूली से आए पैसे रखने का दायित्व संजीव लाल का ही था। उसने अपने नौकर जहांगीर आलम के नाम पर एक फ्लैट ले रखा था, जहां ये पैसे रखे जाते थे। जहांगीर अलग-अलग स्थानों पर जाकर लोगों से पैसे इकट्ठा करता और झोले में लेकर स्कूटी से फ्लैट तक आता। जिस अपार्टमेंट में जहांगीर का फ्लैट है, वहां के लोगों को इसकी तनिक भी भनक नहीं थी कि वहां नोटों का जखीरा रखा गया है। *फ्लैट से नोट और कागजात भी मिले* ईडी ने दो बार जहांगीर आलम के फ्लैट की अब तक तलाशी ली है। पहली बार जब नोट बरामद हुए थे। दूसरी बार शनिवार (25 मई 2024) को ईडी ने जहांगीर के फ्लैट को खंगाला। वहां से जो दस्तावेज और कागजात ईडी के हाथ लगे हैं, उनमें लेन-देन का पूरा ब्यौरा लिखा बताया जाता है। ईडी सूत्रों के मुताबिक, ग्रामीण विकास विभाग के उन अफसरों के नाम उन कागजों में हैं, जिन्हें कमीशन का हिस्सा पहुंचता था। इसके अलावा भी कुछ और सनसनीखेज दस्तावेज बरामद हुए हैं, जो जांच के दायरे को बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं। *IAS मनीष का भी आया हिस्सेदारों में नाम* पूछताछ और बरामद कागजात के ब्यौरे से ईडी को यह पता चल चुका है कि ग्रामीण विकास विभाग में सचिव रहे मनीष रंजन भी कमीशन के पैसों में हिस्सेदार हैं। ईडी ने पूछताछ के लिए उन्हें 24 मई को बुलाया था, लेकिन उन्होंने अपनी व्यस्तता बताते हुए तीन सप्ताह की मोहलत मांगी। ईडी ने उन्हें सिर्फ तीन दिन दिन की मोहलत देते हुए 28 मई को हर हाल में हाजिर होने को कहा गया था जिसमे वे हाज़िर हुए। मंत्री आलमगीर आलम दूसरी बार ईडी के रिमांड पर थे। उनके रिमांड की अवधि 27 मई को खत्म हो गयी। ईडी तीसरी बार उनके रिमांड के लिए पीएमएलए कोर्ट से आवेदन करने की तैयारी में है। ईडी की तैयारी आलमगीर और मनीष रंजन को आमने-सामने बिठा कर पूछताछ करने की है। आशंका यह भी जताई जा रही है कि मनीष भी नहीं बचेंगे। *ईडी के रडार पर हैं कई और अफसर* ईडी के हाथ जहांगीर के फ्लैट से जो कागजा हाथ लगे हैं, उनमें लेन-देन का हिसाब कोड वर्ड में लिखा है। संजीव लाल, जहांगीर और मंत्री आलमगीर से पूछताछ में ईडी इन्हें डिकोड कर चुकी है। अब उसके पास कमीशन घोटाले में संलिप्त लोगों के नामों का पता चल चुका है। इसलिए मनीष रंजन के बाद कई और अफसरों को ईडी पूछताछ के लिए नोटिस जारी कर सकता है। ईडी को जहांगीर के फ्लैट की दोबारा तलाशी में जो कागज मिले हैं, उनमें ठेकेदारों के नाम भी दर्ज हैं, जिनसे ठेके के एवज में कमीशन वसूले गए। *रांची का जेल माननीय का बनता जा रहा है आवास*। रांची की बिरसा मुंडी सेंट्रल जेल में फिलवक्त पूर्व सीएम हेमंत सोरेन जमीन घोटाले में बंद हैं। अब तो ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम भी पहुंच गए हैं। आईएएस पूजा सिंघल, छवि रंजन और मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के अलावा अब मनीष रंजन के भी जेल जाने की स्थिति बनती दिख रही है। यानी सरकार चलाने वाले नेताओं से लेकर अधिकारियों तक का ठिकाना सेंट्रल जेल बनता जा रहा है। टेंडर कमीशन घोटाले में कुछ और अफसरों के भी सेंट्रल जेल जाने के आसार दिख रहे हैं।
May 29 2024, 16:02